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अनजान भाभी के साथ बस से होटल तक का सफर

यह कहानी थोड़े महीनों पहले की है, जब मैं भोपाल से पुणे जा रहा था अपनी जॉब के सिलसिले में। मेरी बस स्लीपर थी और रात का सफर था। दिन के करीब 3 बजे मेरी बस भोपाल से रवाना हुई। मैं अकेला था। मेरी सीट पर अभी तक कोई नहीं आया था।

बस शाम के 6 बजे इंदौर आ गई थी। इंदौर में बस रुकती है, और एक जवान भाभी बस में चढ़ती है। उनकी उम्र करीब 35-36 साल की होगी, पर दिखने में 25 की लग रही थी। दिखने में बहुत सुंदर और सेक्सी थी। सब लोग उनको ही देख रहे थे। शायद वो अकेली ही थी। उनके साथ कोई नहीं था।

वो धीरे-धीरे पीछे आती है, और मेरी सीट के पास खड़ी हो जाती है। मैं भी अंदर से थोड़ा खुश हो जाता हूं, कि इतना लंबा सफर एक हसीन खूबसूरत महिला के साथ निकलेगा। वो पास आ कर बोलती है-

भाभी: जी यहां मेरी भी सीट है, मेरा बेग ऊपर लेंगे?

मैं: ठीक है।

मैं उनका बेग ले लेता हूं, और वो मेरे बगल में बैठ जाती है। वो अपना फोन निकालती है पर्स में से, और किसी को काल करती है।

भाभी: हैलो, में बस में बैठ गई हूं, और बस यह से निकल गई है।

हम दोनों थोड़ी देर कुछ बातें नहीं करते है, अपना-अपना फोन चलाते है। ठंड का टाइम होता है तो अंधेरा जल्दी हो जाता है।

भाभी: आपके पास फोन का चार्जर है क्या? मैं अपना घर पर भूल गई।

मैं: अच्छा ठीक है, मैं देता हूं।

मैं अपना चार्जर निकाल कर दे देता हूं। अब भाभी ऐसे ही बैठी होती है, तो मैं भी फोन नहीं चलाता, और उनसे बात करने की हिम्मत करता हूं।

मैं: वैसे कहां जा रहे हो आप?

भाभी: मैं तो पुणे जा रही हूं, अपनी मम्मी के घर, और आप?

मैं: मैं भी पुणे ही जा रहा हूं अपनी जॉब के लिए।

भाभी: अच्छी बात है।

मैं: आप पुणे की है? फिर तो आपने पुणे पूरा देखा होगा? सब जानती होंगी पुणे के बारे में।

भाभी: मैं पुणे की नहीं हूं। पुणे के पास ही मेरा गांव है। पर हां, देखा है पुणे। मेरी पढ़ाई वहीं हुई है।

मैं: ओह अच्छा, वैसे मेरा नाम आसिफ है।

भाभी: जी मैं काव्या मिश्रा।

मैं: ओह नाइस।

भाभी: वैसे क्या जॉब करते है आप?

मैं: एक कंपनी में इंजीनियर हूं, और आप क्या करते हो?

भाभी: हाउसवाइफ हूं, और सिलाई का भी काम करती हूं।

मैं: जी हां। वैसे आपकी उम्र जान सकता हूं?

भाभी थोड़ा हंसी और बोली-

भाभी: आपको पता नहीं क्या औरतों की उम्र नहीं पूछते है?

मैं (मैं भी हंसा): पर आप तो औरत नहीं लग रही, कोई कुंवारी लड़की लग रही हो।

भाभी: अरे नहीं-नहीं, मैं तो शादी-शुदा औरत ही हूं।

मैं: अरे अच्छा-अच्छा।

भाभी: वैसे 36 की हूं मैं। दिखने से तो आप भी यंग ही लग रहे हो।

मैं: अरे आप तो 36 की लगती ही नहीं हो। 24-25 की लग रही हो।

भाभी: झूठ मत बोलिए, मैं तो 36 की ही हूं, और आप?

मैं: मैं तो दिखने में भी जवान हूं, और हूं भी जवान 24 साल का।

मैं: अच्छा वैसे यह लाइन कितनों औरतों को मार चुके हो?

मैं: अरे यह लाइन बस आप पर हर मारी है। इतनी सुंदर महिला आज ही मिली है।

भाभी: अरे अब ज्यादा मस्का मत लगाओ। मैं शादी-शुदा हूं।

मैं: मस्का नहीं लगा रहा, बस सच बोल रहा हूं।

भाभी: ठीक है, शुक्रिया तारीफ करने के लिए।

दोनों ऐसे ही बात करते है, और रात हो जाती है। बस एक होटल पर रुकती है। वहां दोनों साथ में खाना खाते है। अब हमारी थोड़ी दोस्ती हो गई थी।

भाभी: मैं अपने पति को काल करके आती हूं, रुकना।

मैं: हर चीज की जानकारी उनको देती हो क्या?

भाभी: अरे हां देनी पड़ती है। उनको फिक्र होती है। मैं आती हूं काल करके।

मैं: तो काव्या जी यहीं काल कर लो। मुझसे क्या शर्माना?

भाभी: शर्माने वाली बात नहीं है, ठीक है यही कर लेती हूं।

मैं: जी ठीक है।

भाभी काल करती है।

भाभी: हैलो जी, हम होटल पर रुके है खाना खाने, अपने खा लिया खाना?

दोनों थोड़ी बात करते है। फिर फोन रख देते है। हम साथ में खाना खाते है, और फिर बस में चले जाते है।

भाभी: तुम्हारी शादी हो गई या कुवारे हो अभी तक?

मैं: अभी इतनी जल्दी नहीं। अभी तो छोटा हूं।

भाभी: जॉब करते हो, खुद कमाते हो, और 24 साल के हो कर बोल रहे हो छोटा हूं अभी।

मैं: हां तो शादी के लिए छोटा हूं ना।

भाभी: अच्छा गर्लफ्रेंड तो पक्का होगी? दिखने में भी अच्छे हो तुम।

मैं: हां थी। ब्रेकअप हो गया। तो फिलहाल सिंगल ही हूं, कोई आप जैसी की तलाश में।

भाभी: मेरी जैसी की तलाश! इतना पसंद आ गई क्या मैं? (हस कर बोली)

मैं: पसंद तो नहीं आए, पर आप हो बहुत अच्छे दिखने में, भी और नेचर में भी।

भाभी: अच्छा अब इतनी भी अच्छी नहीं हूं मैं। वैसे भी तुमने जाना ही कहा है मुझे।

मैं: मैं तो जानने के तैयार हूं।

भाभी: अच्छा आसिफ अभी तुम मुझसे थोड़े छोटे हो मुझे जानने के लिए।

हम दोनों ऐसे ही बात करते रहे। रात गहरी होने लगती है, और ठंड भी तेज हो रही थी। भाभी अपना कंबल ओढ़ कर सो जाती है, मैं अपना फोन चलाता हूं। जैसे-जैसे रात बढ़ती है, ठंड भी तेज होती जाती है। मैं ऐसे ही बैठ कर फोन चलाता हूं। अब ठंड मेरे शरीर को चिपक रही थी, और मैं ठिठुरने लगता हूं।

भाभी: आसिफ क्या हुआ? इतना ठिठुर क्यूं रहे हो? कुछ ओढ़ने के लिए नहीं है क्या?

मैं: जी हां, कुछ नहीं है।

भाभी: तुम ऐसे ही ठिठुरते रहोगे तो बीमार हो जाओगे।

मैं: कुछ नहीं होगा मुझे तो।

भाभी: तुमको दिक्कत नहीं हो तो मेरे कंबल में आ जाओ।

मैं: आपको परेशानी होगी, आपको ठंड लगेगी।

भाभी: अरे नहीं, यह कंबल दो लोगों का ओढ़ने का है। तो सो जाएंगे दोनों।

मैं: नहीं, मैं ऐसे ही ठीक हूं।

भाभी: अरे आ जाओ चुप-चाप, देखो कैसे ठिठुर रहे हो तुम। ठंड में फालतू बीमार हो जाओगे।

मैं: आपको कोई समस्या नहीं है तो मैं आ जाता हूं।

भाभी: हां आ जाओ।

मैं भाभी के कंबल में आ जाता हूं, अंदर से उनका कंबल बहुत गरम था। मुझे भी अब थोड़ा अच्छा महसूस होता है। भाभी सो जाती है, पर मुझे नींद नहीं आती है। नींद में भाभी मुझसे चिपक जाती है, तो मुझे और ज्यादा गरम महसूस होने लगता है। भाभी की गांड मेरी तरफ थी, और उनको नींद लग जाती है

मैं थोड़ी हिम्मत करके अपना हाथ उनकी गांड पर रखता हूं। उनकी गांड बहुत ज्यादा मस्त और मखमली थी। धीरे-धीरे उनकी गांड दबाने लगा बड़े प्यार से। उनकी गर्मी से मेरा लंड खड़ा होने लग रहा था, तो मैं उनसे पूरा चिपक गया, और अपना लंड उनकी गांड से चिपका दिया। मैंने अपना खड़ा लंड उनकी गांड से चिपकाया। वो थोड़ा हिली-डुली।

फिर मैंने अपना हाथ हटा लिया, पर उनकी गांड से चिपका रहा। अब उनको गांड पर लंड महसूस होने लगा था। पर उन्होंने कुछ बोला नहीं।

थोड़ी देर बाद वो मेरी तरफ चेहरा करके सो गई मेरा। लंड अभी भी खड़ा था, और उनकी नज़र उस पर चली गई। मैं भी सोने का नाटक कर रहा था, पर उनकी गरम सांसे मेरे चेहरे पर लग रही थी। मैं थोड़ा अपनी जगह से हिला, तो भाभी की नींद खुल गई और वो बोली-

भाभी: क्या हुआ आसिफ, नींद नहीं आ रही क्या?

मैं: हां नींद तो नहीं आ रही है।

उन्होंने फोन में टाइम देखा तो 11:30 ही हुए थे।

भाभी: अभी तो पूरी रात बाकी है, और हम पुणे भी सुबह 9 बजे तक पहुचेंगे।

मैं: हां रात पूरी बाकी, और नींद भी नहीं आ रही है।

भाभी: तो तुम्हारे पास कोई अच्छी मूवी हो तो लगा लो देख लेंगे। नींद तो मुझे भी नहीं आ रही।

मैं: हां मूवी तो है पर शायद आपको पसंद ना आए।

भाभी हस कर बोलती है: ऐसी कौन सी मूवी है? डर्टी पिक्चर है क्या?

मैं: डर्टी नहीं हॉलिवुड की मूवी है।

भाभी: ठीक है लगा लो मूवी। देख कर बोर हो कर सो जाऊंगी।

मैं: आपकी मर्जी‌।

मैं जान-बूझ कर एक रोमांटिक मूवी लगा लेता हूं, जिसमे बोल्ड और हॉट सीन्स ज्यादा हो। हम दोनों देखने लगते है मूवी। देखने में वो घुल गई थी, और उनको उनकी साड़ी का ख्याल भी नहीं था। वो शौंक से मूवी देख रही थी, और मैं उनके जिस्म को देख कर मजे ले रहा था‌ उनका पल्लू थोड़ा साइड हो गया था। उनकी क्लीवेज और चिकना पेट दिख रहा था।

उनको ऐसे देख कर मेरे लंड में हलचल होने लगी, और मूवी के बोल्ड सीन्स देख कर वो भी थोड़ा गरम होने लगी थी। उनकी नज़र मेरी तरफ आती है। मैं उनको ही घूर रहा था। मेरा खड़ा लंड देखा, और अपनी साड़ी की तरफ ध्यान गया। फिर उन्होंने साड़ी ठीक की और बोली-

भाभी: ऐसे क्या देख रहे हो मेरी तरफ? इतनी अच्छी मूवी लगाई है, वो देखो।

मैं: मैं कुछ नहीं देख रहा। वो थोड़ा मूवी से अच्छा सीन कहीं और दिख गया था।

भाभी: वो तो दिख रहा है क्या अच्छा सीन्स दिख गया तुमको (मेरे लंड की तरफ देख कर बोली)।

मैं: अच्छा तो क्या दिख गया आपको ऐसा?

भाभी: कुछ नहीं छोड़ो।

मैं: वैसे वो सीन्स कुछ ज्यादा ही बोल्ड थे इस मूवी के (थोड़ा हवसी मुस्कान के साथ बोला)‌।

भाभी: बेटा अभी तुम बच्चे हो, इधर-उधर ध्यान नहीं देते।

मैं (अपने लंड की तरफ देख कर बोला): आपको लगता है में बच्चा हूं?

भाभी मेरे खड़े लंड की तरफ देखती है, और मेरी तरफ देख कर मुस्करा देती है।

भाभी: बच्चू मेरे सामने तो छोटे ही हो।

मैं: वो तो पता चल जाएगा।

मैं अपना एक हाथ उनके हाथ के करीब लाता हूं। वो भी मूवी देख कर थोड़ा गरम हो गई थी। उन्होंने हाथ नहीं हटाया‌। उनकी उंगली के बीच अपनी उंगली डाल कर हाथ पकड़ लिया, और धीरे-धीरे उनकी तरफ बढ़ने लगा।

भाभी: क्या कर रहे हो आसिफ? हाथ छोड़ो, कोई देख लेगा।

मैं: खुद छुड़ा लो अपना हाथ। और वैसे भी सब सो रहे है। कोई कुछ नहीं देख पाएगा।

भाभी अपना हाथ छुड़ाने की थोड़ी नाकाम कोशिश करती है। पर मैंने उनका हाथ टाइट पकड़ के रखा था। फिर दूसरे हाथ से फोन रखता हूं, और उनका दूसरा हाथ पकड़ के अपनी तरफ खींच लेता हूं। फिर मैं उनकी हवस भरी आंखों में देखता हूं। उनकी सांसे मुझसे टकरा रही थी।

भाभी (भाभी थोड़ा मुस्कुराई): अरे आसिफ, बोला ना तेरे को छोड़। कोई देख लेगा।

मैं: अब तो आपका हाथ मेरे हाथों में आ चुका है।

भाभी: आ गया तो क्या कर लेगा तू मेरे साथ? करके दिखा।

मैं: ठीक है, फिर देख लो।

मैं उनके दोनों हाथ जकड़ के उनके थोड़ा ऊपर आता हूं, और अपने होंठ उनके नरम-नरम होंठों पर रख देता हूं। उनके होंठ इतने मीठे थे, चख कर मजा आ गया।

वो मुझे हटाने की कोशिश करने लगी, पर सभी कोशिश नाकाम हो रही थी। फिर वो भी अब मेरा साथ देने लग रही थी,‌ और मेरे होंठ चूसने लग रही थी। उन्होंने अब अपने शरीर को ढीला कर लिया था, और अपने जिस्म को मेरे हवाले कर दिया था। सोचा नहीं था इतनी सेक्सी भाभी इतनी आसानी से मान जाएगी। थोड़ी देर किसिंग करने के बाद दोनों अलग होते है और मैं बोलता हूं-

मैं: देख लिया क्या कर सकता हूं?

भाभी: बस इतना ही? मुझे तो ज्यादा उम्मीद थी तुझसे।

मैं: अच्छा तो आपकी उम्मीद पर खरा उतरूंगा मैं।

मैंने फिर उनका साड़ी का पल्लू हटाया, और उनके बड़े रसीले बूब्स ब्लाउस के ऊपर देखने लगा। उनकी लचीली कमर पर हाथ रखा, और झटके से अपनी तरफ खींच लिया। उनके बूब्स पर प्यार से हाथ फेरने लगा। धीरे-धीरे पेट पर लाया अपना हाथ, और उनकी नाभि में उंगली करने लगा। उनको गुदगुदी होने लगी। गले में मंगलसूत्र और ज्यादा आकर्षित कर रहा था।

मैं फिर से उनके होंठ चूसने लगा। अब वो पूरा साथ दे रही थी, और फुल मजे ले रही थी। एक हाथ से उनके बूब्स ब्लाउस के ऊपर से दबाने लगा। इतने मस्त बूब्स थे उनके।‌ मैं हाथ पीछे पीठ पर ले गया, और ब्लाउस की डोरी खोल दी। फिर होंठों से गले पर आया, और गले को चूमने लगा। वो धीरे-धीरे सिसकियां ले रही थी, ताकि बस में कोई जाग ना जाए। फिर वो हाथ मेरे लंड फेरने लगी और बोली-

भाभी: बहुत सख्त और बड़ा लग रहा है तेरा लंड तो।

मैं: है तो लगेगा ही बड़ा।

उनके ब्लाउस के हुक खोल दिए मैंने, और उनकी ब्राउन रंग की ब्रा में से बूब्स उभर कर बाहर आ रहे थे। मैंने ब्रा के ऊपर से बूब्स दबाए, और क्लीवेज पर जीभ फेरने लगा। मैं ऊपर से ही बूब्स चूसने लगा। वो मेरे को धक्का दी, और मेरे ऊपर आ गई। फिर मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरे बालों वाले सीने को चूमने लगी। फिर सीने से गले पर आ गई, और गले पर हल्का सा काटा।

मैं अपने दोनों हाथों से उनकी गांड दबाने लगा। उनकी साड़ी निकाल दी, और अब सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में ही मेरे ऊपर थी। उसने मेरे होंठ चूसे और सीधे मेरे लंड के पास आयी। फिर बिना देरी के मेरी पैंट और अंडरवियर नीचे कर दिए, और अपने कोमल हाथों से लंड हिलाने लगी। मेरे मुंह से आवाज निकल रही थी, पर हम बस में थे तो ज्यादा जोर से निकाल नहीं पा रहा था।

भाभी लंड हिलाते हुए बोली: आहह साले, सही में मस्त लंड है तेरा।

मैं: तो इसको मुंह में ले कार देखो, और ज्यादा मजा आएगा।

वो लंड को मुंह के पास लायी, और जीभ से टोपे को चाटने लगी। अब वो मेरा लंड चूस रही थी, और मैं पूरे मजे ले रहा था। धीरे-धीरे पूरा लंड मुंह में लिया और मजे से चूसने लगी। मैं उसको देख रहा था उसका मंगलसूत्र बार-बार मेरे गोटों से टकरा रहा था, पर वो निकाल नहीं रही थी।

फिर मैं उसकी ब्रा निकाल देता हूं। अब मैं एक बूब्स को मुंह में लेकर चूसने लगा। उनके रसीले मीठे बूब्स चूसने में मजा आ रहा था। वो हल्की-हल्की सिसकियां ले रही थी धीमी आवाज में। मैं दोनों बूब्स पर टूट पड़ा, और एक भूखे की तरह बूब्स पीने लगा। वो मेरे बालों में हाथ डाल कर सहला रही थी। मैंने उनके दोनों बूब्स निचोड़ दिए।

फिर पेटीकोट ऊपर करके अंदर मुंह घुसा दिया, और पैंटी निकाल दी। उनकी चूत पहले से ही गीली हो रही थी। चूत पर हल्के-हल्के बाल भी थे। जांघों को दोनों हाथो से पकड़ के मुंह उनकी चूत में घुसा दिया।‌ आवाज बाहर ना आए इसलिए उन्होंने अपनी ही ब्रा अपने मुंह में डाल ली। मैं धीरे-धीरे चूत के आस-पास जीभ फेरने लगा। उनकी हवस चरम पर थी, और जोर-जोर से सिसकियां लेना चाहती थी, मगर ले नहीं पा रही थी।

मैं उनकी चूत के अंदर जीभ डाल के चूसने लगा। उनकी जांघों पर मेरे नाखून के निशान हो गए। मैं अपनी जीभ का सही इस्तेमाल कर रहा था, और उनको पूरे मजे दे रहा था।‌ फिर मेरे मुंह पर उन्होंने अपना सारा अमृत छोड़ दिया, और ऐसे ही निढाल हो गई‌।

मैं: तो केसा लगा मेरी जान? आ गया मजा?

भाभी: हां आसिफ, मजा आ गया मुझे तो।

मैं: तो अब मेरी बारी मजे लेने की।

भाभी: यहां नहीं।

मैं: तो फिर?

भाभी: पुणे पहुंच कर होटल बुक कर लेंगे, और वहां पूरा खुल कर मजे करेंगे।

मैं: होटल तो मैंने मेरे लिए पहले ही बुक कर लिया है।

भाभी: फिर तो अच्छी बात है।

मैं: तुम्हारा पानी तो निकल गया, मेरा तो निकला नहीं।

भाभी: बस इतनी सी बात!

भाभी मेरे लंड के पास आती है, और हिलाने लगती है। मैं आंखें बंद करके मजे लेता हूं। वो सारा लंड मुंह में ले लेती है, और जोर-जोर से चूसने लगती है। कभी जोर से तो कभी धीरे चूसती है। फिर मैं उनके मुंह के अंदर ही सारा पानी निकाल देता हूं, और वो पूरा पानी पी जाती है। हम थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहते है।

भाभी: तो आसिफ, आ गया मजा?

मैं: हां मेरी जान, पर पूरे मजे कल लूंगा।

भाभी: हां बिल्कुल ले लेना।

सुबह में भाभी और मैं एक-दूसरे की बाहों में थे।

भाभी: गुड मॉर्निंग जान (मुझे किस करते हुए बोलती है)।

मैं: सेक्सी मॉर्निंग बेब।

वो दोनों बात करे थोड़ी देर। फिर बस सुबह एक रेस्टोरेंट पर रुकती है चाय-नाश्ते के लिए। हम दोनों फ्रेश हो कर चाय-नाश्ता करते है। फिर वापिस बस में बैठ जाते है।

भाभी: कल रात को तो तुमने अपनी जुबान से ही मेरा पानी निकाल दिया।

मैं: भाभी अभी रूम पर तो चलो, चीखे निकलना बाकी है आपकी।

भाभी: हां जरूर, तुम्हारी बाहों में चीखना है मुझे।

दोनों बस में बैठ कर बाते करते है, और 9 बजे हम पुणे पहुंच जाते है। फिर कैब बुक करके हम होटल में पहुंच जाते है। जैसे ही दोनों अंदर आए, मैंने दरवाजा बंद किया, और मैंने भाभी को पकड़ लिया पीछे से। फिर उनको दीवार से चिपका कर उनकी नशीली आँखों में देखने लगा। धीरे-धीरे गले पर किस करने लगा।

भाभी: आए, इतनी भी क्या जल्दी है? आते ही शुरू हो गए।

मैं: अब आपको देख कर कंट्रोल नहीं हो रहा मेरी सेक्सी डॉल।

भाभी: आए, आज दिन भर तुम्हारे ही साथ हूं। इस बंद कमरे में जो करना है वो कर लेना।

होंठों पर किस करते-करते मैंने उनकी साड़ी का पल्लू हटा दिया, और गले, होंठ, और क्लीवेज को चूमने लगा। भाभी भी पूरे मूड में थी, और भरपूर मेरा साथ दे रही थी। मैं अपना हाथ उनकी लचीली कमर पर ले गया, और अपनी तरफ उनको पूरा खींच लिया।

फिर मैं उनके होंठों का रसपान करने लगा। किस करते हुए हम दोनों की आँखें बंद थी, पर दोनों मजे से एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे। उन्होंने मुझे धक्का दिया, और मुझे बिस्तर पर फेक दिया। फिर अपनी साड़ी निकाल फेंकी, और मेरे ऊपर चढ़ के मुझे चूमने लगी। उन्होंने मुझे चूमा, चूसा, और काटने लगी। मैं हर जगह अपने दोनों हाथ उनकी गांड पर ले जा कर प्यार से दबाने लगा।

मेरी शर्ट के बटन खोल कर वो मेरे सीने को चूमने लगी। मैं उनकी कमर पकड़ के मसलने लगा। मैंने उनके ब्लाउस की डोरी खोल दी। हम दोनों एक-दूसरे में मगन थे। मैं उनको बिस्तर पर लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया। फिर उनका ब्लाउस ब्रा निकाल फेंके। अब उनके नंगे बड़े गोल बूब्स मेरी आँखों के सामने थे।

मैं: रात को ठीक से देख नहीं पाया था यह बड़े-बड़े तरबूज।

भाभी: तो अब देख लो, और एक बार और चख लो वापिस मेरे राजा।

मैं उनके बूब्स पर टूट पड़ा। दोनों चूचे मसल-मसल कर दबाने लगा। भाभी अब पूरे जोश में सिसकियां ले रही थी ‘अहह उहह ऐसे ही करो आसिफ’। मैं उनके बड़े बूब्स मुंह में लेकर चूसने लगा। मेरा सर उन्होंने अपने बूब्स में दबा लिया। मैं पूरे जोश में बूब्स चूसने लगा। अब भाभी जोर-जोर से सिसकियां ले रही थी, बिना किसी डर के।

फिर मैं थोड़ा नीचे आया उनका, और पेट चूमने लगा। उनकी नाभी में मैं जुबान डाल कर चाटने लगा। उनका पेटीकोट भी निकाल दिया। वो पूरी नंगी मेरे सामने लेटी हुई थी। उनको मैंने ऊपर से नीचे तक निहारा।

भाभी: ऐसे क्या देख रहा है?

मैं: कल रात को ठीक से इस खूबसूरत बला को देख नहीं पाया था। अब वहीं कर रहा हू।

भाभी: देख लेना आराम से। पर अब मुझे तेरे लंड की सवारी करनी है।

मैं: हां मेरी रानी।

मैं खुद भी पूरा नंगा हो गया, और उनकी चूत के पास अपना मुंह ले गया। मैं उनकी चूत की महक लेने लगा, और चूत को आस-पास चाटने लगा। भाभी की सिसकियां अब मुझे और उत्तेजित कर रही थी। मैं अपनी जुबान से उनको मजा दे रहा था। उनकी चूत पानी छोड़ चुकी थी, और मैंने एक भी बूंद वेस्ट नहीं होने दी।

भाभी: अहह मेरे आसिफ, क्या जादू करता है तू? मजा आ गया!

मैं: अभी तो मजे की शुरुवात है।

मैं बिना देरी किए उनको बिस्तर के किनारे लाता हूं। फिर मैं नीचे खड़ा हो कर उनकी चिकनी चूत पर लंड सेट करता हूं। दोनों को चुदाई की इतनी जल्दी थी कि कंडोम का ध्यान भी नहीं था। मैं अपना लंड चूत पर सेट करता हूं, और एक धक्का देता हूं। उनकी रोजाना चुदाई की वजह से चूत ज्यादा टाइट नहीं थी, तो लंड जाने लगा। पर भाभी को दर्द हो रहा था, क्योंकि उनके पति से मोटा और बड़ा लंड था मेरा। भाभी का चेहरा लाल होने लगा था। मैंने 4-5 झटके जोर-जोर से मारे, और लंड अपनी जगह बना चुका था।

भाभी: साले मस्त लंड है तेरा और चोदना भी अच्छे से आता है तुझे।

मैं: तुम जैसी को नीचे ले चुका हूं।

धीरे-धीरे मैं भाभी की चुदाई करने लगा। उनके बूब्स और मंगलसूत्र हवा में उछल रहे थे। मैं उनके बूब्स पकड़ के मसलने लगा।‌ उनके दोनों हाथ पकड़ के अपनी स्पीड तेज कर दी, अब उनको ज्यादा मजा आने लगा।

भाभी: अहह, ऐसे ही चोद, मजा आ रहा है।

मैं अपनी स्पीड धीरे-धीरे तेज करता गया। उनकी सिसकियां गालियों में बदलने लगी। उनको किस करते हुए मैं अपनी कमर हिला कर उनको चोदने लगा।

भाभी: हां साले कुत्ते, ऐसे ही चोदता रह। एसी चुदाई की भूखी हूं।

मैंने उनके बूब्स पे थप्पड़ मारे, और उनको जोर-जोर से चोदने लगा।

मैं: हां साली कुतिया, ऐसी चुदाई सिर्फ मैं ही करूंगा।

ऐसे ही दोनों चुदाई करते रहे। हम दोनों पसीने में भीग चुके थे। इतने में उनका फोन बजता है। एक बार तो हम दोनों ध्यान नहीं देते। फिर वापिस आता है तो भाभी देखती है उनके पति का काल था। मैं उनकी चुदाई जारी रखता हूं, और वो फोन उठा लेती है।

भाभी: अहह जान, बोलो क्या हुआ?

उनका पति: काव्या पहुंच गई पुणे?

भाभी: जी हां, मैं अपनी दोस्त के साथ, उफ्फ आराम से!

उनका पति: यह कैसी आवाज निकाल रही हो?

भाभी: जी कुछ नहीं, वो तो एसे ही। मैं बाद में करती हूं आपको काल।

भाभी फोन कट कर देती है: साले रुक तो जाता, मेरे पति का फोन था!

अब उनको उठाया और उनको कुतिया बना लिया। फिर उनकी गांड पर थप्पड़ मारे, और लाल कर दी। पीछे से मैं उनकी चूत चोदने लगा। मेरी जांघें और उनके कूल्हे टकरा रहे थे, और पूरे रूम में भाभी की सिसकियां गूंज रही थी। मैंने उनके बाल पकड़ कर खींचे और बोला-

मैं: साली कुतिया है तू मेरी आज से रंडी!

फ़च फ़च अहह उम्म उफ्फ की आवाज़े रूम से आ रही थी। ऐसे ही उनको कुतिया बना कर चोदा। भाभी इतने में 2 बार झड़ चुकी थी। उनके पानी से लंड और चिकना हो गया। आराम से लंड अंदर-बाहर होने लगा। मैं भी थक चुका था उनको चोद-चोद कर, और मैं भी झड़ने वाला था।

मैं: भाभी मेरा होने वाला है। किधर निकालूं?

भाभी: चूत छोड़ कर कही भी निकाल ले। कंडोम नहीं पहना है तूने।

मैं खड़ा हो कर उनके मुंह के सामने आ गया, और उनके मुंह में लंड डाल दिया।भाभी लंड चूसने लगी। मैंने आँखें बंद कर ली, और मजे लेने लगा। इतने में मेरा सारा माल निकाल गया। वो पूरा माल निगल गई, और लंड चाट कर साफ कर दिया। हम दोनों लेट गए एक-दूसरे की बाहों में।

भाभी: मजा आ गया इतनी मस्त चुदाई के बाद।

मैं: हां भाभी, मजा तो आना ही था।

अपना एक हाथ मैंने उनके बूब्स पर रखा, और प्यार से दबाने लगा। ऐसे ही दोनों थक कर सो गए। पूरे दिन हमने चुदाई ही करी। शाम को भाभी चली गई, और अपना नंबर दे गई। उसके बाद जभी मन होता है चुदाई का, तो एसे ही दोनों पुणे का प्लान बना लेते है।

शुक्रिया यहां तक पूरी सेक्स कहानी पढ़ने के लिए। अपना अनुभव जरूर सांझा करें। मेरी ईमेल आइडी

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