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आंटी ने मूत पिलाकर चूत की चुदाई कराई - Indian Sex Stories

दोस्तो, मेरा नाम आशीष है और मैं हरियाणा का रहने वाला हूं.

आज आप सभी को मैं अपनी जिन्दगी का सबसे हसीन वाकिया बताना चाहता हूं जिसको पढ़ कर लड़कियों की चूत और लड़कों के लंड से पानी की फुहार निकल जाएगी.


यह आंटी की Indian Sex Stories उस समय की है … जब मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता था.

उस वक्त कुछ ऐसा मौक़ा मिला जिसमें मैंने अपनी एक पड़ोसन रोशनी आंटी का मूत पिया और उनकी जमकर चुदाई की.


आंटी के चूचे खरबूजे के जैसे थे और मस्त गांड थी; एकदम दूध सा गोरा बदन और काले लंबे बाल.


वैसे तो आंटी दो लड़कियों की मां थीं पर हर कोई उनका दीवाना था.

मैं अक्सर आंटी को देखकर मुठ मारा करता था.


हुआ यूं कि जब मेरे नाना जी की तबीयत खराब हो गई तो मेरे घर वालों को मुझे छोड़कर जाना पड़ा क्योंकि मेरे 12वीं कक्षा की प्रैक्टिकल थे.

तो मेरे घरवालों ने मेरी पड़ोसन आंटी को मेरी जिम्मेवारी दी.


मेरे घर वालों के जाने के बाद मैं आंटी के घर खाना खाता और रोज की तरह स्कूल जाता.


दो दिन तक ऐसे ही चलता रहा.


तीसरे दिन मैं प्रैक्टिकल देकर स्कूल से जल्दी घर आ गया. मैंने अपने घर आकर कपड़े बदले और दोपहर का खाना खाने के लिए आंटी के घर चला गया.


वैसे तो मैं उनके घर आवाज लगाकर जाता था लेकिन उस दिन मैं उनके घर में ऐसे ही चला गया.


मैंने देखा आंटी के घर में कोई नहीं है, तो मैंने आवाज लगाई- आंटी जी, कहां हो?

बाथरूम से आवाज आई- आशु, खाना गर्म करना पड़ेगा, तुम बैठ जाओ. मैं आती हूँ.


जैसे ही मैं बैठा मैंने बाथरूम के बाहर की दीवार पर टंगी हुई एक लाल रंग की पैंटी और सफ़ेद ब्रा देखी.

आंटी की ब्रा पैंटी देख कर मैं अपने होश खो बैठा.


मैं अपने आप पर पूरी तरह से कंट्रोल नहीं कर पा रहा था.

आंटी की ब्रा पैंटी को देखकर ही मेरे लंड ने लोअर में तम्बू तान दिया था.


मेरा लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था और मैं नहीं चाहता था कि आंटी मुझे इस हालत में देखें.

मैंने झट से हैंगर से आंटी की पैंटी उतारी और उसको अपने साथ घर ले गया.


अपने घर जाकर मैं बेड पर लेट गया और आंटी की पैंटी को चूत की तरह गद्दे तकिया के बीच में सैट कर दिया.

फिर अपने लंड को उनकी पैंटी में घुसेड़ दिया.


मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं आंटी की चुदाई कर रहा हूँ.


कसम से दोस्तो, मैंने दो बार जल्दी जल्दी आंटी की पैंटी में अपने लंड का पानी गिराया और इसके बाद मैं उनके घर चला गया.

मेरी जेब में आंटी की गंदी हो चुकी पैंटी थी.


लेकिन जैसे ही उनके घर में पहुंचा, मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं क्योंकि आंटी पूरी तरह से सिर्फ एक तौलिए में लिपटी हुई थीं.

शायद आंटी अपनी पैंटी को ढूँढ रही थीं.


मैंने आंटी को देखा तो मैं सकपका सा गया.

शायद उनको भी शक हो गया था कि उनकी पैंटी गायब होने में मेरा हाथ है.


चूंकि उनके घर में मेरे सिवाए कोई नहीं गया था. आंटी की दोनों बेटियां हॉस्टल में पढ़ती थीं और अंकल जी डॉक्टर थे, वो शाम को घर आते थे.


जब आंटी ने मुझसे कुछ नहीं कहा, तो मैंने समझ लिया कि सब कुछ ठीक है.

फिर मैं खाना खाने के बाद वापस आ गया और उनकी पैंटी को वहीं आंटी के घर में छिपा कर रख आया.


शाम के समय मैंने आंटी के घर जाकर खाना खाया और उसके बाद मैं वहीं गहरी नींद में सो गया.


मैं रात को आंटी के घर में सोता था क्योंकि मुझे अकेले घर में डर लगता था.


रात में मैंने अजीब सी आवाजें सुनी तो देखा कि अंकल और आंटी सेक्स कर रहे थे, पागलों की तरह एक दूसरे में लगे हुए थे.

उन दोनों का सेक्स देख कर मैं पागल हो गया.


मैंने देखा आंटी की अंकल के बालों को पकड़कर उनका मुँह अपनी चूत में घुसाए जा रही थीं.

वो उनको गालियां दे रही थीं- कुत्ते, चाट मेरी चूत को आज खा जा … मेरी चूत को जल्दी जल्दी से चाट साले.


रोशनी आंटी ने अब अपनी चूत अलग हटाई और उस पर लिक्विड चॉकलेट गिराकर अंकल को इशारा किया.

अंकल आंटी की चूत से लग गए और आंटी ने उन्हें अपनी चूत से चिपका लिया था.


अंकल को आंटी की चूत चाटते देखकर मैं भी गर्म हो गया.

मैंने अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया; अपने हाथ से तेज तेज हिलाते हुए लंड की मुट्ठी मारी.

आज मैंने पहली बार आंटी को इस हालत में देखा था.


वैसे तो आंटी साड़ी में बड़ी शरीफ लगती थीं लेकिन सारे मोहल्ले वाले उनके दीवाने थे; आंटी की मटकती गांड को हर कोई चोदना चाहता था.


अगली सुबह जब मैं उठा, तो मैं नहाकर स्कूल आ गया. उधर अपना प्रैक्टिकल देने लगा.


लेकिन मैं वह दृश्य भुला नहीं पा रहा था. सोच रहा था कि किस तरह से आंटी चूत चुसवा रही थीं. मेरे मुँह में पानी आ रहा था.


मैं स्कूल से फ्री हुआ और तेज कदमों से अपने घर आ गया.

जल्दी से अपनी ड्रेस चेंज की और आंटी के घर आ गया.


मैंने उनके घर में छिपाई हुई आंटी की पैंटी उठाई और अपने घर आकर बैठ कर कल के जैसे नंगा होकर फिर से आंटी की पैंटी को आंटी समझ कर चोदने लगा.


इतने में मेरे घर में आंटी आ गईं और उन्होंने मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया.


वैसे तो आंटी गुस्सा थीं लेकिन कुछ हंस भी रही थीं.


उन्होंने मुझसे कहा- तुम्हारी मम्मी को मैं सब बताऊंगी.

मैंने दोनों हाथ जोड़ कर आंटी से कहा- प्लीज़ माफ़ कर दीजिए, आप जो कहेंगी, मैं करूंगा.


“ठीक है … चलो अभी घर आकर खाना खाओ. बाद में सोचती हूँ कि क्या करना है.”

मैं खाना खाने आ गया लेकिन मुझसे खाना नहीं खाया गया क्योंकि मैं काफी डर गया था.


शाम को भी मेरा आंटी के घर जाने का दिल नहीं कर रहा था, मुझे बेहद डर लग रहा था.


जब मैं शाम को नहीं गया, तो वो मेरे घर आईं और मुझे अपने साथ ले गईं.


उसी वक्त अचानक से आंटी के फोन पर अंकल का फोन आया.

उन्होंने हैलो कहा.


तो अंकल ने कहा- हां, मैं जरा देरी से वापस आऊंगा. तुम दोनों खाना खाकर सो जाना. यदि मैं ग्यारह बजे तक नहीं आया, तो फिर मैं कल आऊंगा.


अब आंटी ने मेरी तरफ देखा और होंठ दबा कर हल्का सा मुस्कुरा दी.

लेकिन मैंने कुछ भी रिएक्ट नहीं किया.


मैंने और आंटी ने खाना खाया और टीवी देखने आ गए.

हम दोनों ने 11:00 बजे तक टीवी देखा.


फिर आंटी बाथरूम में नहाने चली गईं.

आज भी उनकी पैंटी और ब्रा वहीं दरवाजे के पीछे की दीवार पर टंगी हुई थी.


मेरा अभी फिर से मन हुआ कि आंटी की पैंटी को चोदने के लिए उठा लूं लेकिन मुझे आंटी का डर था.

मुझे नहीं पता था कि आज आंटी का क्या इरादा है.


आंटी ने मुझे आवाज लगाई और बोलीं- आशु बेटा, बाहर मेरी पैंटी और ब्रा टंगी है, उसे लेकर देना.

मैं डरते डरते वॉशरूम के पास आ गया.


तभी झटके से दरवाजा खुला और मैंने देखा कि आंटी पूरी नंगी खड़ी थीं.

मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.


आंटी की नंगी चूत को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया था.

तभी उनकी मस्त उठी हुई गांड हिली, जिससे चूत ने मुँह चलाया.

मैं नजारा देखने लगा.


फिर आंटी मादक आवाज में बोलीं- आशु क्या देख रहे हो? अन्दर आ जाओ.


जैसे ही मैं अन्दर जाने लगा तो सहमा हुआ था. मेरी सांसें तेज चल रही थीं.


मैं कुछ भी करने से डर रहा था. मैंने कहा- आंटी, मुझे माफ़ कर दीजिए.

तभी आंटी के हाथ ने मेरा हाथ पकड़ा और वो मुझे खींचती हुई बोलीं- तुमको एक शर्त पर माफ करूंगी, अगर आज अपने अंकल का काम तुम करो.


मैंने कहा- कैसा काम?

उन्होंने मेरे बालों को पकड़ा और मुझे नीचे कर दिया. अपनी एक टांग को कमोड पर रखी और मेरे सामने आंटी की गुलाबी और रसभरी चूत खुल गई थी.


उन्होंने मेरा सर अपनी चूत में दबा दिया.

मैंने भी चूत को देखा और आंटी की चूत में मुँह लगा दिया.

आंटी की चूत में रस ही रस भरा था.


नमकीन सफ़ेद अमृत का स्वाद जैसे ही मेरी जीभ पर लगा, मैं निहाल हो गया ‘उफ्फ … उम्महा …’


मैंने आज पहली किस उनकी चूत की फांकों पर की थी.


उनके मुँह से मुझे वासना से लबरेज सिसकारियां निकलती सुनाई देने लगीं.

मैंने जीभ चूत पर चलाने शुरू कर दी. शुरूआत में तो चूत चाटने में बहुत अजीब सा लगा. मगर चपर चपर करके मैं आंटी की चूत चाटने लगा.


तभी उन्होंने अपनी चूत पर लिक्विड चॉकलेट टपकानी शुरू कर दी.

मुझे आंटी की चूत मीठी लगने लगी.


उन्होंने एक पल के लिए मुझे हटाया और लिक्विड चॉकलेट की शीशी को अपनी चूत में लगा कर दबा दिया.

उनकी चूत में लिक्विड चॉकलेट भर गई.


अब आंटी बोलीं- अगर तुम ये पूरी चॉकलेट खा लोगे, तो मैं तुमको स्पेशल गिफ्ट दूंगी.


मैंने आंटी की चूत को चाटा, उनकी चूत में जीभ डालकर मजा लेने लगा.

आंटी सेक्स की उत्तेजना में बोलने लगी- उफ्फ आंह … चाट ले साले … भोसड़ी के पैंटी में लंड हिलाने से क्या होगा … आज चूत में घुस जा मादरचोद.


आंटी की गालियां और कामुक सिसकारियों से मेरा लंड तनता जा रहा था.


फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी चूत को खोला और जीभ को नुकीला करके अन्दर डाल दी.

जीभ अन्दर हुई और हाथ फ्री हो गए.


मैंने हाथों से आंटी की गांड को पकड़ा और अपनी जीभ से उनकी चूत को गपागप चोदने लगा.


मैं पागलों के जैसे लगा हुआ था.

वो भी मेरे बालों को पकड़कर मेरा साथ दे रही थीं.

आंटी बोलीं- तुम आज अपने अंकल का काम कर रहे हो, इतनी मस्ती से तो तेरे अंकल भी नहीं चूसते हैं. आंह लगे रहो मेरी जान. चूसो … आंह जब तक मेरी चूत का पानी तुम्हारे मुँह में नहीं आ जाता, चूत चूसते रहो.


कुछ देर बाद मुझे लगा कि बहुत अजीब सा नमकीन पानी मेरे मुँह आने लगा है.

मैं हटने को हुआ, लेकिन उन्होंने मुझे हटने ही नहीं दिया.


आंटी बोलीं- आंह … साले पी जा भोसड़ी के … आज तो तू मेरा कुत्ता है … भैन के लंड … साले अगर आज तूने मेरी चूत से मुँह हटाया, तो मैं तुम्हारी मम्मी को सारी बात बता दूंगी.


मुझे डर लगा और बिना मुँह हटाए उनकी चूत को चूसना पड़ा.

चूत चूसते हुए ही मुझे उनका सारा नमकीन पानी पीना पड़ा.


फिर आंटी ने मुझे उठाया और मेरे होंठों पर टूट पड़ीं.

आंटी ने मेरे होंठों को चूस चूस कर अपनी चूत का सारा रस साफ़ कर दिया.


फिर वो मुझे अपने साथ पकड़ कर अपने रूम में ले आईं.

अब मेरे लंड की गर्मी बढ़ चुकी थी और मुझे लग रहा था कि मैं जल्द से जल्द मुठ मार लूं.


मतलब सामने चुदासी रांड के जैसे आंटी नंगी थी और मैं चूतिया मुठ मारने की सोच रहा था. गांड फटने पर यही हाल होता है.


फिर जब आंटी ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए, तब ख्याल आया कि लंड के लिए चूत तो सामने ही है, मुठ क्या मारना.


मैं पूरा नंगा हो गया.

आंटी ने मेरा लंड देखा और मुस्कुरा दीं.


अब हम दोनों बेड पर आ गए और मैं चित लेट गया.

आंटी मेरे ऊपर चढ़ गईं और वो मेरे होंठों को किस करने लगीं.


एक मिनट बाद आंटी बोलीं- आज तुझे तेरे अंकल का काम करना है, करेगा ना!

मैंने सर हां में हिला दिया.


आंटी मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच दबाने और चूसने लगीं, मेरे लंड को अपने हाथों से दबाने लगीं.


लंड पर उनका हाथ लगते ही लंड एकदम कड़क हो गया था.

आह आह साली आंटी, किसी रंडी के जैसे मेरे लंड को मसल रही थी.


कुछ पल बाद वो अपनी चूत से मेरे लंड को रगड़ने लगीं.

लंड को चूत का चुम्बन मिला तो मैं चूत का कायल हो गया; लंड चूत के अन्दर घुसने को लालायित हो गया.


हम दोनों ही पागल हो चुके थे.

मैं नहीं चाहता था कि आंटी मुझे चोदें, इसलिए मैंने उनको धक्का दे दिया और उनके ऊपर आ गया.


मैं भी गर्म हो चुका था. मैंने भी उनके गोरे-गोरे चूचों को मसलना और दबाना शुरू कर दिया. एक स्तन को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. पागलों के जैसे उनके निप्पल को दाँतों से खींच कर काटा. दूसरे हाथ से उनके दूसरे निप्पल को मसल दिया.

आंटी एकदम से चिल्ला उठीं- आंह साले काट मत भोसड़ी के … प्यार से चूस न.


फिर मुझको पता ही नहीं चला कि मैं कब उनके चूचों से उनकी चूत पर आ गया.

मुझे भी आंटी की चूत चूसने का मजा आने लगा था क्योंकि वह चॉकलेट और शहद टपका कर मुझे पागल कर रही थीं.


अबकी बार मैं आंटी की चूत को ऐसे चाट रहा था जैसे कुत्ता मलाई खाता है.


उन्होंने अपनी दोनों टांगों को खोलकर मुझसे अपनी चूत खूब चुसवाई.

आंटी बोलीं- तुम मेरे कुत्ते हो और कुत्ते के जैसे चाटो.


सच कहा था उन्होंने … आज असल में आंटी का कुत्ता ही बन गया था.


फिर आंटी बोलीं- चल आ जा … अब आज मैं तुझको कुछ और देना चाहती हूँ.


अब आंटी ने मुझको अपने नीचे लेटाया और मेरे मुँह पर आकर बैठ गईं.

आंटी बोलीं- चूत चूसते जाओ बस … मरी तरफ मत देखो … और जो भी परसाद मिले, उसे खा जाना.


मैं आंटी की चूत चूसने लगा.


कुछ मिनट के बाद आंटी का रज मेरे मुँह में निकल गया. मैंने उस दिन उनका 3 बार पानी चूस लिया था.


फिर आंटी बोलीं- आज तुझे तेरे किए की सजा भी मिलेगी. तेरे लिए मेरी चूत से अभी कुछ और भी आएगा.


ऐसा कहते हुए उन्होंने अपनी चूत से पेशाब की पिचकारी मेरे मुँह में मारना शुरू कर दी.

मुझे घिन आने लगी.


मगर आंटी ने जबरदस्ती मुझे अपनी पेशाब पिलाना शुरू कर दी.

मैंने मुँह इधर उधर करने लगा.

आंटी ने मेरा सर थामा और बोलीं- तुम्हें तुम्हारी मम्मी की कसम, पी ले.


मुझको आंटी का मूत पीना पड़ा.


कुछ ही पलों में मुझको उनका गर्म-गर्म मूत बहुत मस्त लगने लगा. मैं आंटी का सारा मूत पी गया.


उनकी चूत से मूत निकलना बंद हो गया जबकि मैं चाह रहा था कि वो मुझे और मूत पिलाएं.

वह समझ गईं और बोलीं- आज तूने मेरे मन की इच्छा पूरी कर दी. बोलो आशु तुमको क्या चाहिए?


मैंने भी बोल दिया- आपकी चूत को चोदना चाहता हूँ.

उन्होंने ओके कहा और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया.

वो पागलों के जैसे लंड चूमने लगीं.


जैसे ही मैं अपना लंड उनके होंठों पर रखा, मेरे लंड ने हार मान ली.


लंड का रस उनके मुँह में निकल गया. आंटी ने सारा रस खा लिया.

साली कुतिया के मुँह से एक भी बूंद बाहर नहीं गिरी.


आज पहली बार मेरे लंड से इतनी क्रीम निकली थी कि आंटी का मुँह अच्छे से भर गया था.


आंटी हंसती हुई बोलीं- इतनी सारी क्रीम मत जमा किया करो, इसके अन्दर कीड़े पड़ जाएंगे.

मैंने कहा- निकालता तो आपकी पैंटी में हूँ.


आंटी हंसने लगीं और बोलीं- अब तड़पाओ मत … मेरी चुदाई करो.

मैंने कहा- लंड तो खड़ा करो.


उन्होंने दोबारा से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और एक मिनट में ही चूस कर खड़ा कर दिया.


लंड देख कर आंटी बोलीं- चल अब असली काम पर लग जा. मुझे ज्यादा मत तड़पा. डाल दे जल्दी से मेरी चूत में.


मैंने भी उनको कुतिया बनाया और पीछे से लंड लगा और उनकी चूत पर लंड रगड़ा.

आंटी अपनी गांड हिलाकर बोलीं- कुत्ते ऐसे मत तड़पा … डाल देना अन्दर अपना लंड … मेरी चूत को रगड़ दे.


मैंने भी लंड को सैट किया, उनकी गांड को पकड़ा और जोर से धक्का दे मारा.

मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में अन्दर तक समा गया था.


वो एकदम से चिल्ला उठीं और बोलीं- आशु, इतना लंबा लंड तो तेरे अंकल का भी नहीं है.

मैंने कहा- आंटी, तुम्हारी पैंटी पर लंड को रगड़ रगड़ कर इतना लंबा किया है.


वो हंसने लगीं और गांड हिलाने लगीं.

मैं जोर जोर से धक्के देने लगा और उनके चूचों को पकड़कर चूत को फाड़ता रहा.


आंटी भी अपनी गांड को उठा उठा कर साथ दे रही थीं, मुझे गालियां दे देकर अपनी चूत का भोसड़ा बनवा रही थीं.


वो मुझे जोश दिला रही थीं लेकिन मैं भी कहां थकने वाला था, मैंने भी आंटी को ऐसा चोदा कि वो थरथरा उठीं.


आंटी बोली- तू तो बड़ा मर्द निकला.

मैंने कहा- बस आपके मूत की वजह से ही ये सब कुछ हुआ.


लगभग दस मिनट की चुदाई के बाद आंटी की चूत से पानी की फुहार छूटने लगी.


अब उन्होंने धक्का देकर मुझे हटाया और मुझे बेड पर गिरा दिया.

वो फिर से मेरे होंठों पर बैठ कर बोलीं- फिर से चूस मेरी चूत को … मुझे आज तुझे सजा देनी है.


मैं भी चूत चूसने लगा क्योंकि उनकी चूत में से मस्त खुशबू आ रही थी.


कुछ देर बाद आंटी लंड पर चूत फंसा कर चुदवाने लगीं.

आधा घंटा की चुदाई में हम दोनों संतुष्ट हो गए.


कुछ देर आराम करने के बाद आंटी बोलीं- अब तुम मेरी गांड की चुदाई करो.

मैं तो आंटी का गुलाम था.


मैंने उनकी गांड की चुदाई करने के लिए इस बार उनको बेड के एक सिरे पर लेटा दिया, उनकी टांगों को फैलाया और उनकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया.

फिर अपने लंड पर थूक गिरा कर लंड को आंटी की गांड में सैट कर दिया.


आंटी ने मुस्करा कर देखा, तो मैंने उनकी चूचियों को पकड़ कर जोर से झटका दे दिया.

लंड गांड में घुसता चला गया.


आंटी की चीख निकल गई.


मैंने झट से उनके होंठों को लॉक किया और अपने लंड से फिर से धक्के देने शुरू कर दिए.


मेरे धक्के इतने जोर से लग रहे थे कि आंटी की गांड के अंतिम छोर पर लग रहे थे.

आंटी पागलों के जैसे चिल्ला रही थीं.

मैंने अपने लंड से धक्के मार मार कर उनकी गांड सुजा दी.


कुछ देर बाद मैंने कहा- मेरा रस निकलने वाला है.

आंटी ने कहा- आज तुम अपनी रांड बना लो. बोलो कहां निकालने का मन है!


मैंने भी बोल दिया- आपके मुँह में.

वो बैठकर मेरे लंड को चूसने लगीं.


मेरे माल की पिचकारी निकली तो उनकी आंखों में, बालों में, होंठों पर जा गिरी.

वो हंसने लगीं.


फिर हम दोनों शांत होकर वहीं लेट गए और सो गए.


सुबह जब उठे तो आंटी ने एक प्यारी सी किस मेरे होंठों पर कर दी और बोलीं- यदि आज रात को भी तुम्हारे अंकल नहीं आए, तो तुम्हारे लिए एक और चीज भी है.


मेरी यह Indian Sex Stories आपको कैसी लगी? आप मेल करना न भूलें.

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