कोलकाता के सिनेमा में मेरी ग्रुप में गांड चुदाई - Gay Sex Story
- Chomal Gupta
- Sep 26
- 7 min read
मेरा नाम चोमल गुप्ता है। मैं समलैंगिक के लिए भी काफी उत्साहित रहता हूँ और रोल हमेशा केवल बोटम के रूप में निभाना चाहता हूं। मेरी दिली ख्वाहिश थी कि एक साथ अनेक तीन या चार टॉप मुझे इस्तेमाल करे। (गे में जो गांड मरवाये उसको बॉटम और जो गांड मारे उसको टॉप कहते है)
जो सम्भव नजर नहीं आ रहा था। फिर मैंने इंटरनेट पर राज सिनेमा गुड़गांव और छाया सिनेमा कोलकाता के विषय मे जाना, कोलकाता मेरे नजदीकी होने के कारण मैंने कोलकाता छाया सिनेमा जाने का मन बनाया और एक दिन पहुच गया कोलकाता।
मैं बता दु कि मेरा शरीर बालो से मुक्त साफ चिकना है जो किसी भी टॉप का लंड खड़ा करने के लिए प्रयाप्त है।
मैंने होटल मे अपने कपड़े चेंज किये केवल एक पैंट और ऊपर एक पतला सा नाइलॉन टी-शर्ट डाल लिया और कुछ नहीं। टीशर्ट से मेरे निप्पलो का उभार साफ नजर आ रहा था। जेब मे अपनी एक कंडोम पैकेट रख लिया क्यों कि मैं सुरक्षा को पहला महत्व देता हूं।
शोभा बाजार मेट्रो स्टेशन पर उतर कर वहां से ऑटो पकड़ सीधे छाया सिनेमा पहुंचा। यहां मेरा पहली बार आना हुआ था लेकिन आने से पहले मैंने सबकुछ जानकारी हासिल कर लिया था। शाम का 6 बज चुके थे 6.15 के शो का टिकट लेना था, मैं सीधे खिड़की पर पहुंच बालकनी के लिए एक टिकट लिया - टिकट ले ही रहा था कि मैंने अपने पिछवाड़े दोनों पिंडलियां के बीच दबाव महसूस किया देखा एक अधेड व्यक्ति अपने लडं का दबाव मेरी गांड मे करके मुझे न्योता दे रहा था। मैंने उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया क्यों कि जिस जगह मै पहुचा था वहां यह सब कॉमन था और वह अधेड़ मुझे सकल से पसंद नहीं आया।
मे टिकट ले आगे बढ़ता उससे पहले बगल में खड़ा मुझ पर नजर गडाया एक लौडां ने मेरी छाती के एक उभार को मुट्ठी मे भींच लिया। मैं मुस्करा कर ऊपर बालकनी की सीढियों मे चढ़ते हुए उसे एक और स्माइल दे दिया क्यों कि वह लोडा मुझे सही दिख रहा था।
मैं बालकनी मे पहुचने पर शो शुरू नहीं हुआ था वहां 10 - 15 लोग बैठे और घूमते नज़र आये, हल्की रोशनी वाली लिखे जल रही थी। मैं आखिरी लाइन के सीट पर बैठने के लिए कोने की तरफ जा रहा था तो देखा दो सीट पर दो लोग बैठकर अपना अपना जीप खोलकर दोनों एक दूसरे का लडं पकड़ सहला रहे थे खुलेआम मुझे अपनी तरफ आते देखकर भी उन्होंने अपनी हरकत रोकने या छिपाने की कोशिश नहीं की, मैं उनके आगे से निकलने लगा तो उन दोनों ने मेरी कमर को पकड़ कर मुझे अपनी गोद मे खिंच लिया।
अचानक हुए इस हमले से मैं संभाल नहीं पाया और उनके खड़े लंड पर जा बैठा। दोनों ने मेरी टी शर्ट के भीतर हाथ डाल कर मेरे दोनों निप्पल को दबाने और मरोड़ने लगे। दूसरे लाईन से कुछ और लोग भी हमारी तरफ देखने लगे मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था लेकिन फिल्म शुरू नहीं हुई थी। इसलिए लाइट ऑन थी और कुछ लोगों की नजर मुझ पर थी इसलिए मुझे शर्म भी आ रही थी। लेकिन जो कामुक भाव मैं महसूस कर रहा था उसके नीचे शर्म को दबा कर मैं उनके लंड पर बैठ रहा।
इतने मे उन दोनों ने मेरी टीशर्ट को उतार दिया अपनी टीशर्ट को मैंने अपनी जेब मे घुसेड दिया ताकि कहीं खो न जाय। मैं ऊपर से पूरा नग्न हो गया था।
हाय में मर जांवा दो और लोग भी अपने पैंट की जीप खोल मुझे अपना औजार दिखा कर ललचाने लगे थे और जिनके लंड पर मैं बैठा था वे मेरी निप्पल को चूसने लगे थे। इतने मे लाइट बंद होने के साथ ही फिल्म शुर हो गई लेकिन फिल्म की तरफ किसी का ध्यान नहीं था। क्योंकि यहां फिल्म देखने कोई नहीं आता सभी बस आपस मे मजे लेने आते हैं यह बात मैं अच्छी तरह से जानता था।
लाइट बंद होते ही दोनों ने मुझे खड़ा कर मेरी पेंट खोलने को कहा। मैंने पूरा न खोल कर केवल ऊपर से खोलकर नीचे पांव तक सरका दिया ताकि अंधेरे मे कपड़े मिस न हो मेरे पास ही रहे। उन दोनों ने भी अपने पेंट पूरा निकाल कर बगल की खाली सीट पर रख दिये।
अब वे दोनों नीचे से पूरा नंगा थे और मैं ऊपर नीचे दोनों से पूरा नंगा उनकी नंगी गोद पर बैठ चुका था और दोनों का खड़ा लडं बारी बारी से मेरी गाडं की दरार मे रगड़ लगा रहा था।
अब मुझे पूरी तरह से एक रंडी की फिलिंग आ रही थी। क्यों कि मैं एक सार्वजानिक स्थान पर अनेक लोग के समुह के पास पूरा नंगा हो दो नंगे लोगों की गोद मे बैठा हुआ था।
यह उस सिनेमा की ही महिमा थी कि न तो मुझे अब शर्म महसूस हो रही थी और न ही डर। उस हमाम मे अब लगभग सभी नंगे हो चुके थे सभी किसी न किसी के साथ या ग्रुप मे मजे लेने लगे थे।
तभी एक व्यक्ति मेरे सामने प्रकट हुआ आपना लंबा लंड हिलाते हुए, चलती हुई फिल्म की रोशनी मे उसका लंबा लंड साफ झलक रहा था। उसने अपने लंड को मेरे चेहरे के सामने लाकर हिलाते हुए मेरे होठों से लगाने लगा, मैंने अपना मुँह फेरते हुए उसके लंड को अपनी मुट्ठी मे थाम लिया।
ओह माय गॉड, बहुत टाइट और रसीला लंड था। मन तो किया मुह के अंदर ले लू लेकिन मैं हाइजिनिक पसंद कर्ता हू इसलिए केवल हाथो से सहलाता रहा।
पहले वाले दोनों लोग मुझे अपने लंड पर बिताए मेरी चुचिया चूसने मे लगे थे और उनका लंड कभी कभी मेरी गांड की छेद मे घुसने की कोशिश मे थे और सामने खड़े आदमी का लंबा लंड बार बार मेरे होठों को रगड़ रहा था।
ऐसै मे मेरे अन्दर का विपरित सेक्स पूरा आग उगलने लगा था और मैं अपने आप को बिल्कुल एक लडंखोर औरत की तरह महसूस करने लगा था। मैं कब तक अपने होठों को बंद कर रख सकता था मेरे होठ खुले और खुलते ही सामने खड़े आदमी का लंबा लंड गप से मेरे मुह के अंदर चला गया और उस आदमी के मुह से आह निकला। वह मेरे सर को अपने दोनों हाथो से थाम कर मजे से अपनी कमर आगे पीछे करने लगा।
इतने मे ही जिनके लडं पर मैं बैठा हुआ था वह मुझे उठाते हुए खड़े हुए और मुझे जमीन पर कुतिया बनने के लिए कहा। मैं समझ गया, अब ये मेरी गांड की बैडं बजायेगें।
इतना सब होने पर मेरी गांड की छेद भी खुलते हुए फड़कने लगा था।
मैं नीचे होने से पहले अपने पैंट की जेब से निरोध निकाल लिया था और नीचे दोनों हाथ थकते हुए झुक गया कुतिया की तरह।
एक जो मेरे पिछवाड़े खड़ा हुआ उसके लंड पर मैंने निरोध लगा दिया ।उसने घुटने के बल खड़े होते हुए मेरे पिछवाड़े अपना लंड लगा कर एक धीरे से दबाव दिया। इतनी कामुक हरकते सहने के बाद मेरा छेद अपने आप खुल कर चौड़ा हो गया था। इसलिए एक छोटा दबाव मे ही उसके लडं का उपरी हिस्सा मेरे पिछवाड़े प्रवेश कर चुका था।
फिर उसने मेरी कमर पकड़ एक और झटका मारा कि पूरा का पूरा लंड मेरे अन्दर समा गया। दूसरा आदमी अपना लंड मुझे पीछे से चोद रहे अपने साथी के मुह मे दे दिया जिसे वह मजे से चूसते हुए मेरी गांड मारे जा रहा था।
बाद मे आया हुआ तीसरा आदमी इतनी ज़बर्दस्त चुदाई देखते हुए कब तक खड़ा रहता वह भी फिर मेरे मुह के तरफ आने के बाद घुटनों के बल होकर आपना लंड फिर से मेरे मुह के अंदर घुसेड दिया। चूँकि पीछे से मेरी चुदाई होने के कारण मेरा मुह खुल कर अहा अहा निकल रहा था। इसलिए उसके लंड का मुँह मे दे देना आसान हो गया उसके लिये।
एक सिनेमा हॉल - फिल्म चल रहा है - आस पास 30 - 40 लोग मौजूद हैं और मैं पूरा नंगा होकर जमीन पर था और एक लंड मेरी गांड के अंदर घुसा हुआ है तो दूसरा मेरे मुँह के अंदर। कुछ अन्य लोगों की नजर भी हम पर है फिर भी मैं मस्ती मे डूब गांड चदाई करवा रहा हूँ ऐसा हमारे देश मे सिर्फ कलकत्ता के छाया सिनेमा मे ही सम्भव हो सकता है।
जल्द ही मुह से लंड को मैंने बाहर निकाल दिया ताकि उसका निकल न जाय। मैं उसका अपनी गांड मे लेना चाहता था क्यों कि उसका साइज मुझे पसंद आया था लंबा अधिक था। तभी पीछे वाले ने दो तीन तेज झटके दिये मैंने अपनी गांड के भीतर गरम गरम महसूस किया पीछे वाला कंडोम मे मेरे अन्दर झाड़ते हुए शांत होकर अलग हट गया। उसका साथी भी शायद उसके मुह मे छोड़ चुके था इसलिए वह भी किनारे होकर अपने कपड़े पहनने लगा।
लेकिन मेरी अपनी चुदाई की भूख इतने पर शांत नहीं हुई थी क्यों कि मैंने अपना लंड स्खलित नहीं किया था और जब तक निकलता नहीं मन और जिस्म शांत होता नहीं।
फिर मैंने आगे मेरे मुह की चुदाई कर रहे लंबे लंड वाले आदमी को पिछवाड़े अपनी गांड चुदाई के लिए आमंत्रित किया।
वह कुर्सी पर बैठते हुए पहले मेरे सर को आपनी कमर के पास करते हुए एक बार और चूसने के लिए कहने पर मैंने उसका लंड मुह मे लेकर चूसने लगा।
उसका लंड फिर से टाइट होने पर वह मुझे उस पर कंडोम लगाने के लिए कहा मैंने कंडोम उसके लंड पर चढ़ा दिया। वह मुझे कुर्सी पकड़ कर झुकने के लिए बोला और खुद खड़े होकर मेरी कमर को पकड़ अपनी कमर का दबाव मेरे पिछवाड़े दिया।
चूंकि अभी अभी एक एक मोटे लंड से मेरी चुदाई हुई थी इसलिए फण से पूरा लंड बिना किसी परेशानी के पूरा अंदर चला गया। वह मेरी कमर को पकड़ कर गपा गप मुझे पेलता गया।
यह घोड़ा लंबी रेस का साबित हुआ 10 मिनट करीब तीस से चालीस झटके देने के बाद जाकर मेरे अन्दर उसकी पिचकारी से निकली गर्मी महसूस हुई।
वह अलग होकर अपना कंडोम निकाल सीट के नीचे डाल निकल गया। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये थे।
सबकुछ हो गया था एक घंटे की फिल्म भी खत्म होने का समय हो रहा था। लेकिन इतनी बढ़िया और लंबी गांड चुदाई के बावजूद मेरा मन और लंड लेने को हो रहा था क्यों कि मैंने अभी तक अपना माल नहीं निकलने दिया था।
फिल्म खत्म हो चुकी थी और अन्य लोग भी अपने अपने-अपने कपड़े पहन निकलने लगे थे निकलते निकलते कईयों ने मेरी छाती को दबाया तो कई ने मेरे पिछवाड़े हाथ घुमाया।
फिर एक बार और आऊंगा छाया सिनेमा और उसकी कहानी आप सभी से शेयर भी करूंगा।
इस Gay Sex Story पर अपना विचार जरूर दे। ताकि आगे और कहानी बताने मे मेरी दिलचस्पी बनी रहे।

Best in west