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कॉलेज के रास्ते में मिला हसीन लंड - Gay Sex Stories

दोस्तो, नमस्कार.


वह कहते हैं न कि अपने सारे शौक जवानी में पूरे कर लेने चाहिए.

हालांकि मेरी ख्वाहिश आप सभी को सुनने में थोड़ी अजीब लगे, पर सच है.


मेरी इच्छा थी कि मैं कम से कम 250 लंड से चुदाई करवाऊं.

आपको यह जानकर आश्चर्य भी होगा कि मेरी ये ख्वाहिश पूरी हो भी चुकी है.


जी हाँ, काफी मर्दों की गर्मी को मैंने शांत किया है.

लंड चूसते हुए मुझे काफी मर्दों ने सराहा है.


मैं आपको अपने बारे में बता दूं. मेरा नाम आरव खरे है.

अभी 24 साल का हूं और एक गे के हिसाब से मेरा शरीर काफी ज्यादा आकर्षक है.


हाइट 5 फुट 8 इंच, पतली कमर बराबर 28 इंच की और चूतड़ भी 32 इंच के हैं.

मैं अपना वजन कभी भी 59 से ऊपर होने ही नहीं देता.

आपको इसका कारण बताने की जरूरत तो है नहीं.


मैं एक पावर बॉटम हूं.


यह Gay Sex Stories कुछ 2 साल पहले की है. उस वक्त मैं पुणे के एक कॉलेज में था.

फैशन डिज़ाइन कॉलेज में मैंने दाखिला लिया हुआ था और यह कॉलेज काफी नामी था.


इस कॉलेज की लोकेशन भी अच्छी जगह पर है.

मतलब यह पुणे के सबसे अमीर इलाके में से एक में बना हुआ है.


मैं रोज की तरह सुबह की जॉगिंग के बाद तैयार होकर स्लिंग बैग लटका कर कॉलेज जा रहा था. मैं हाथ में हॉट लेमन जूस की बॉटल लेकर मस्त इयरबड्स लगाए जा रहा था.


एकदम से मेरी नजर सामने से आ रहे बंदे पर पड़ी.

कम से कम 35 साल का तो रहा ही होगा वह, पर किसी 25 साल की उम्र के बंदे से कम का ही लग रहा था वह.


नॉर्मल सी फिट वाली बॉडी और 6 फुट की हाइट में ग्रे टी-शर्ट, ब्लू जींस एंड ब्लैक सनग्लासेस लगाए वह भी मुझे देखते हुए मेरी तरफ ही आ रहा था.


मैं उसकी आंखों में देखते हुए आगे बढ़ गया और कुछ कदम आगे जाकर रुक गया.

पीछे मुड़ कर देखा तो वह भी रुका हुआ था.


अचानक से हम दोनों के कदम एक दूसरे की ओर बढ़े.

पास आकर उसने हाथ आगे बढ़ाया और उसने अपना नाम संजय बताया.

मैंने भी नाम बताया और उसके पूछने पर बताया कि मैं कॉलेज जा रहा हूं.


उसने कहा- आज मेरे लिए बंक कर सकते हो?

मैंने मना किया और शाम को मिलने को कहा या फिर 4 घंटे बाद, क्लास खत्म होने के बाद.


वह मान गया.

उसने कहा कि मैं तुम्हें कॉलेज से लेने आऊंगा.

मैंने भी कॉलेज का पता बता दिया.


मुझे कोई झिझक नहीं होती अपने बारे में बताने में.


इसके बाद कॉलेज जाकर मैंने ये बात अपनी एक फ्रेंड को बताई.

उसे मेरे बारे में पता है, बस उसने जिद की कि वह उस बंदे को देखना चाहती है.


मैंने पहले मना किया पर फिर उसके ज्यादा ज़िद करने पर दूर से दिखाने के लिए मान गया.


क्लास खत्म होने के 15 मिनट पहले मैंने उसको मैसेज कर दिया था और लोकेशन भी भेज दी थी.

कुछ देर बाद उसका मैसेज आया कि वह कॉलेज के नीचे आ गया है.


मैं क्लास से निकल कर बाहर गया तो वह दिखा नहीं.


फिर उसको मैसेज करके पूछा तो उसने गाड़ी का नंबर बताया.


मैंने देखा कि एक ऑडी लेकर संजय मेरा इंतजार कर रहा है.


जैसे ही मैं कार के पास पहुंचा, वह कार से उतरा और उसने मुझे वहीं रोड पर गले लगा लिया.


न जाने कितने ही कॉलेज के लोगों ने देख लिया था.

हम दोनों कार में बैठे और एक कैफे में जाकर बैठ गए.


वह मुझसे पहले बात करना चाहता था.

फिर कॉफी खत्म करने के बाद हम दोनों उसके घर गए.


काफी अमीर था संजय.


अब पार्किंग से जैसे ही हम लिफ्ट में घुसे, उसने मुझे पीछे से जकड़ लिया.

मुझे काफी अच्छा, रोमांटिक लगा वह.

मैंने भी उसका साथ दिया.


उसके बाद मुझे अपनी ओर पलट कर उसने जो किस करना शुरू किया, वह रुका ही नहीं.

सीधा बेड पर जाकर ही उसने मुझे छोड़ा.


हां लिफ्ट सीधा उसके फ्लैट में खुली इसीलिए वह मुझे किस करता रहा था.


अब बेड पर आते ही उसने मुझे बेड पर गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गया.

उसी ने मेरी पैंट उतारी.


वह इतना बेताब लग रहा था मानो उससे सब्र ही नहीं हो रहा हो.


मैंने अन्दर जॉकस्ट्रैप पहन रखे थे जिसमें मेरा खड़ा हुआ लंड कुछ ज्यादा ही अच्छे से उभर कर आ रहा था.


उसने कपड़ा सहित मेरा पूरा लंड अपने मुँह में भर लिया.

कुछ देर वैसे चूसने के बाद उसने मुझे पूरी तरह नंगा कर दिया.


अब वह मेरे लंड को अच्छे से चूसने लगा.

ऐसा पहली बार था कि किसी टॉप ने मेरा लंड चूसा हो.


मेरी टी-शर्ट अब भी मेरे बदन पर ही थी.

जैसे ही उसने उसे खींचा, उसका मुँह खुला का खुला रह गया.


हां चौंकने वाली बात थी भी, मैंने अन्दर स्पोर्ट्स ब्रा पहन रखी थी.

क्योंकि मेरे बूब्स थोड़े बड़े हैं और काफी हद तक लड़कियों जैसे हैं तो उन्हें कंट्रोल में रखने के लिए मैं ब्रा पहनता हूँ.


उससे ज्यादा खुश शायद ही इस वक्त कोई रहा होगा.

उसने झट से मेरी ब्रा उतारी और बूब्स चूसने लगा.


हाँ, मेरे बूब्स काफी मुलायम हैं. किसी लड़की से मुक़ाबला करूँ, तो बराबर की टक्कर होगी.


मेरा लंड कोई चूसे, तब उतना अहसास नहीं होता, जैसे मेरे बूब्स चूसने पर होता है.

कुछ ही देर में मेरी आहें निकलने लगीं- आह सक इट बेबी … सक इट … बाइट दैम अ बिट माइ डीयर संजय आह!


ये सुनकर वह और उत्तेजित हो गया और मेरे एक बूब को चूसने लगा और एक को कसकर भींचने लगा.

मैं सातवें आसमान पर था.


अब उस मर्द का काम हो चुका था.

मैं पूरी तरह गर्म हो चुका था.


मैंने उसे हल्का सा धक्का दिया और एक भूखी शेरनी की तरह उसके लंड पर कूद पड़ा.


पक्का मर्द था वह. जांघों पर हल्के हल्के बाल और छोटी छोटी झांटें.

उसका 6.5 इंच का वह लंड कमाल का था.


सच में मैं देख कर और गर्म हो गया, मुझे ऐसे ही मर्द पसंद हैं ना कि चिकने बदन वाले.


अब उसका लंड मेरे मुँह में था. मैंने अपनी कला का दिखावा चालू किया.

मैंने पहले अपनी सिर्फ जीभ उसके सुपाड़े पर घुमाई और फिर लंड की धार से ले जाकर नीचे उसके टट्टों तक को मुँह में लिया.


इससे वह पूरी तरह अब गर्म हो चुका था.


हम दोनों ही अब एक ऐसे न/शे में थे जैसे किसी ने मस्त दारू दी हो और हम न/शे में हों.


काफी देर लंड चूसने के बाद शायद उसका काम तमाम होने ही वाला था कि उसने मुझे उठाया और फिर किस करने लगा.

पर इस बार उसने अपने मुँह से ही मेरे मुँह में थूक डाल दिया.


उसकी ये अदा मुझे बड़ी अच्छी लगी.


ऐसे करने के बाद जब उसे समझ गया कि मुझे ये अच्छा लगा है, तब उसने और बहुत सारा थूक मेरे मुँह में भर दिया और तुरंत वापस अपने लंड पर मेरा मुँह दबा दिया.


इस बार वह मेरा सिर पकड़ कर तेज तेज अपने लंड चलाने लगा.


कुछ देर वह मेरे मुँह में ही झड़ गया.


सच कहूं तो इस थूक और वीर्य के मिक्स से मुझे वीर्य का टेस्ट ही नहीं आया जो मुझे इससे पहले कभी अच्छा ही नहीं लगा था.

पर आज मजा आ गया.


अब वह थोड़ा धीमे हो गया और मैंने उसके लंड को पूरी तरह से चाट चूस कर साफ कर दिया और सारा माल गटक लिया.

ये सब काफी मजेदार था.


अब हम थोड़ी देर के लिए लेट गए.


उतने में उसने कहा- यार, तू लंड बहुत अच्छा चूसता है.


यह कह कर वह मेरी बांहों में आ गया था और उसकी ऐसी मीठी मीठी बातों से मेरा एक हाथ धीरे धीरे वापस उसके लंड पर जा पहुंचा.


मैंने फिर से उसके लंड को हिलाना शुरू कर दिया.

उसने फिर अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिए.


एक बार फिर से हम दोनों अपना खेल शुरू करने लगे.


इस बार उसने मुझे पलटा और मेरी गांड में अपने लंड को थोड़ा सा घिसा.


मुझे लगा कि अब इसे मेन काम करना है.


पर नहीं थोड़ा सा लंड घिसने के बाद मुझे कुछ मुलायम सा और गीला सा महसूस हुआ.

देखा तो उसकी जीभ मेरी गांड की सफाई कर रही थी.


मेरे लंड चूसने की तरह वह इस काम में माहिर था.

उसने अपनी जीभ से ऐसा कमाल दिखाया कि मैंने सोच लिया आज अगर गांड भी फट जाए, तब भी इस मर्द के लंड का माल अपनी गांड में गिरवा कर ही रहूंगा.


उसने अपनी जीभ से मेरी पूरी गांड ऐसे गीली की जैसे मैं पानी से नहा कर आया हूं.


अब मैं लंड सेक्स के लिए पूरी तरह से तैयार था.


उसने अपनी उंगलियों को मोड़ा और तीन उंगलियां एक साथ मेरी गांड में अन्दर बाहर करने लगा.


जब उसे सही लगा कि छेद फैल गया है, तब उसने अपना लंड मेरी गांड पर रखा और एक तेज से धक्के के साथ अपना पूरा लंड अन्दर घुसा दिया.


मुझे काफी दर्द हुआ, पर यह दर्द मजेदार था.

उसने अपने स्पीड नहीं रोकी. मेरी आंखों से आंसू आ गए.


तभी उसने कहा- लुक इंटू माय आईज़!

मैंने उसे देखा, बस तभी सारा दर्द गायब हो गया.

अब मुझे काफी मज़ा आने लगा.


कुछ दस मिनट बाद वह झड़ गया और अपना पूरा माल मेरी गांड में गिरा दिया.


मुझे लगा सब खत्म, पर नहीं … उसने मेरी टांगें ऊपर की और नीचे से गांड में जीभ डाल कर अपने ही माल को चाटने लगा.


उसने अपना लगभग पूरा माल अपने मुँह में भर लिया था.

उसके बाद वह मेरे ऊपर आया और मुझे किस करते हुए अपना पूरा माल मेरे मुँह में डाल दिया.


इस बार टेस्ट तो अजीब था, पर उसका अंदाज नया था, जिसने इसे मजेदार बना दिया.


कुछ देर तक किस करने के बाद वह उठा और उसने मुझसे पूछा- डू यू वन्ना जर्क ऑफ़!


मैंने हां कहा तो वह उठा और अपने लिविंग रूम से दो पैग बना कर ले आया.


उसने एक मुझे दिया और एक खुद पिया. थोड़ा सा ही पिया और वह मेरा लंड चूसने लगा.


उसने भी मेरी कला सीख ली थी और उसी तरह से चूसते हुए मेरा माल निकलवा ही लिया.

पर उसने माल को सीधे नहीं खाया बल्कि उसे अपने पैग में मिलाया और फिर उस पैग को खत्म किया.


सच में संजय की अदा तो काफी मस्त थी.

इसके बाद हम साथ नहाये और मैंने देखा कि मेरी पूरी गर्दन पर हिक्की* बन चुकी है.


मैंने उस पर इतना नहीं सोचा और फिर हम कॉफी पीने चले गए.


अगले दिन सुबह सुबह वह फिर मुझे जॉगिंग के टाइम पर मिला और फिर मेरे साथ ही मेरे घर तक आ गया.

क्योंकि वह जॉगिंग के लिए कार से आया था तो वापस निकलते वक्त उसने मुझे कॉलेज छोड़ दिया.


अब न जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि कल से कोई घर ही नहीं गया था.

सब वहीं थे मेरे इंतजार में.


अब मैंने उसे बाय कहा.


पर वह कार से उतरा और मुझे हग किया … फिर गया.

ये सब मेरे कॉलेज के लोगों ने देख लिया था.


उसके जाते ही सब लोग ‘हो हो’ करके चिल्लाने लगे.


मैं कैम्पस में घुसा और मेरी वही दोस्त मेरे पास आकर बोली- कुछ ज्यादा ही लंबी डेट नहीं थी ये!


मैं मुस्कुराया और अपनी हिक्की उसको दिखाते हुए क्लास में चला गया.


इसके बाद हम लोग काफी बार मिले.

वह रोज मुझे कॉलेज से लेने आने लगा और बस वही कार्यक्रम होता.


आगे का किस्सा फिर कभी.


आपको ये Gay Sex Stories कैसी लगी, कॉमेंट सेक्शन में जरूर बताएं.

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