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गांड़ मराने का शौक़ क्या क्या न करवाए

मैं गांडू हूँ पर मौक़ा मिले तो चूत भी मार लेता हूँ. मेरी मकान मालकिन ने मेरा लंड देख लिया तो वो लंड पर मर मिटी.

दोस्तो, ये सेक्स कहानी वैसे तो गे सेक्स पर लिखी गई है, लेकिन इसमें चुत चुदाई का मजा भी है. चलिए एक चुत की चुदाई से ही चूत और गांड की चुदाई कहानी का मजा शुरू करते हैं.

‘अबे साले ज्यादा सुरसुरा रहा था, तो मेरी में डाल देते.’

धकाधक धकाधक … मैं लगा हुआ था. बहुत दिनों बाद लंड को अन्दर बाहर अन्दर बाहर कर रहा था. मस्ती से धक्के पर धक्का देता जा रहा था.

मैंने उसकी चूत लाल कर दी. उसे अपनी बांहों में कसे था और कमर पूरी ताकत से चला रहा था.

बड़ी मुश्किल से मौका मिला था और मेरा लंड एक मस्त चूत में पिला था. मैं सरपट दौड़ा चला जा रहा था कि उसे भी दर्द की जगह मस्ती छा गई. वह भी कमर हिलाते हुए चूत चलाने लगी.

फिर हम दोनों ने लेटे लेटे ही अपनी पोजीशन बदल ली.अब मैं नीचे चित लेटा था और वो मेरे ऊपर सवार थी.

मैंने सांस रोक कर अपनी तरफ से धक्के बंद कर दिए. अब मेरे लंड पर बार बार चोटें पड़ रही थीं. वह अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को कसे हुआ जबरदस्त तरीके से चूत चला रही थी. अपनी कमर से जोरदार धक्के दे रही थी.

उसकी चूत की जबरदस्त चोटें लंड पर शुरू हो गई थीं. लंड गर्म हो गया था. मेरी जोर जोर से सांस चलने लगी, बदन गर्म सा हो गया था. पर बेहद मजा आ रहा था.मैं पूरी कोशिश में था कि झड़ न जाऊं, तब भी लंड सनसनाने लगा था.

हम दोनों ने करवट बदली और मैं फिर से उसके ऊपर आ गया. लंड चुत में अन्दर तक पेला और मैंने भी दो चार जोरदार धक्के लगाए.फिर एकदम से पूरा लंड चुत की जड़ में पेल दिया.

वह ‘आह आई आऊ ..’ करने लगी और मेरे सीने से चिपक कर रह गई.उसी पल हम दोनों ढीले पड़ गए. मेरा पानी चुत में छूट गया.

मैं अनाड़ी था मगर वह खिलाड़ी थी. असल में उसकी चुदाई के समय मेरी खुद गांड फट रही थी, इससे मैं देर से छूटा … वह मस्ती में लंड ले रही थी.

वो मेरी मकान मालकिन थी.

मैं तब यही कोई चौबीस साल का रहा होऊंगा, वह चौंतीस पैंतीस की रही होगी. मैं एक मजबूत मर्द था, गोरा हैंडसम स्मार्ट कसरती बदन का छरहरा बांका नौजवान था. पर मुझे अब तक चूत की चुदाई का तजुर्बा नहीं था. अनमैरिड था … झैंपू या आप चूतिया या गंडफट भी कह सकते हैं.

मेरी नई जॉब लगी थी, जो एक छोटी जगह पर थी. मैं इस शहर में एक डिर्पाटमेंटल ट्रेनिंग के सिलसिले में आया था.इंस्टीट्यूट के हॉस्टल में जगह नहीं थी. स्टूडेंट्स ज्यादा थे सो डबल बैच ट्रेनिंग ले रहे थे. पिछला बैच फ्री हो, तब हॉस्टल में जगह मिलने की जानकारी हुई. इसलिए पास ही कमरा ले लिया था.

ये एक नई आऊट स्कर्ट छोटी सी बस्ती थी, इधर थोड़े से ही घर बने थे. बीच बीच में बहुत सारे प्लॉट खाली पड़े थे.यह रिहाइश मुख्य शहर से एक डेढ़ किलो मीटर दूर रही होगी. मगर अच्छा ये था कि हमारे इन्स्टीट्यूट की बाउन्ड्री वाल से लगी थी.

ये दो कमरों का छोटा सा घर था. उसने मुझे सड़क की तरफ वाला कमरा दे दिया था. उसी में हम दोनों चुदाई कर रहे थे.

उसका पति दिन भर घर से बाहर रहता था. उसका टूरिंग जॉब था.

एक दिन आंगन में नहाते समय उसने मेरा खड़ा लंड देख लिया, तो वो मुस्करा कर पट गई या यूं कहो कि मुझे पटा लिया.

थोड़ी बहुत बातचीत हुई और मजाक मस्ती के बाद सेक्स पर गाड़ी आ गई. हम दोनों चुदाई में चालू हो गए.

मैं क्या करूं, मेरा लम्बा मोटा हथियार है. जब दोस्तों के साथ हम मिल कर हैंड प्रैक्टिस करते तो दोस्त कहते थे कि साले तेरा कितना बड़ा और मोटा है … साले मादरचोद घोड़े का सा लंड मिला है, जिसको चोदेगा साली की गांड चुत फाड़ कर ही रहेगा.

उसी लम्बे मोटे लंड से आज मैंने अपनी मकान मालकिन को चोद कर संतुष्ट कर दिया था.वो चुदते समय दांत निकाल रही थी. मेरी ओर देख कर समझ गई- तुम घबरा रहे थे शायद … पहली या दूसरी बार ही है?

उसकी इस बात से मुझे भी आत्मविश्वास आया. उसे चोद कर लगा कि हां मैं भी सफल चुदाई कर सकता हूं.फिर उसके साथ ऐसा दो तीन बार हुआ.

एक दिन उनका कोई रिश्तेदार आ गया तो मुझे कमरा खाली करना पड़ा.फिर मैंने एक पास ही दो कमरों का किराए का कमरा ले लिया.

मकान में एक लड़का बीस बाईस के लगभग का होगा, वो रहता था. उसका बाकी परिवार गांव में रहता था.मैं उसी मकान में रहने लगा.

मेरे इस मकान मालिक का नाम प्रमोद था, वो कॉलेज भी जाता था और उसने घर में ही एक छोटी सी परचूनी की दुकान भी खोल रखी थी. उसका कॉलेज भी पास ही था. परिवार की गांव में खेती थी … शादी नहीं हुई थी, कहता था कि शादी होने तक पढ़ेगा.

प्रमोद दिखने में बहुत हैंडसम था … उसको गोरा नाजुक सा चिकना माशूक कह सकते हैं.

वो हमेशा नानॅवेज जोक सुनाता रहता था. उसे अधिकतर लौंडे बाजी के या गांड मारने मराने के जोक सुनाने में बड़ा मजा आता था.मैं ट्रेनिंग से लौट कर कमरे में होता तो जोक सुनाने आ जाता.

जोक सुनाने में पूरी एक्टिंग करता, हाथ की मुट्ठी बांध कर दूसरे हाथ से कोहनी पकड़ लंड सा हिलाता. गांड का जिक्र होने पर अपने ही चूतड़ों पर हाथ मार लेता. गांड की जगह उंगली करता. मेरे सामने अदा से चूतड़ हिलाता.

मुझे हंसी न आते हुए भी हंसना पड़ता था.

एक दिन वो मस्त चिकनी गांड की चर्चा कर रहा था.मैंने कहा- मैंने किसी की देखी ही नहीं.तो वो हंसने लगा.

मैंने कहा- तुम्हारी वैसी हो तो दिखाओ?वे बोले- दिखा दी तो क्या दोगे?मैंने कहा- जो कहो.

उसने अपना अंडरवियर झट से नीचे कर दिया. मैं उसके चूतड़ सहलाने लगा और लपक कर चूम लिया. वो भी मेरी इस हरकत को जब तक समझ पाता, तब तक मैंने उसे अपनी गोदी में खींच लिया.

वो ‘जे नईं … जे नईं ..’ कहता रहा, पर मेरी गोद से उठा ही नहीं. मेरा खड़ा लंड उसे गांड में गड़ रहा था, पर वो कसमसाते हुआ बैठा रहा.

मैंने उसके गालों पर जोरदार चुम्बन जड़ दिया और उससे कहा- टांगें चौड़ी कर लो और आराम से बैठ जाओ.

वो आराम से बैठ गया.तो मैं उसके सर को अपनी तरफ करके उसके होंठ चूसने लगा.उसने भी मेरे होंठों में अपने होंठ लगा दिए.

फिर उसके कंधे पकड़ कर धीरे से उसे खाट पर लिटा दिया.

वो ‘हट् जे नईं ..’ करता रहा, पर करवट लेकर लेट गया.उसकी पीठ मेरी तरफ थी.

अब मैंने अपना लंड निकाला और उसकी गांड से छुला कर एक बार उसे लंड का अहसास दिया और औंधा कर दिया.वो कुछ नहीं बोला, बस जैसे मैंने किया, सो करता गया.

मैंने उसको जांघों पर घुटने मोड़ कर बैठा दिया. वो बार बार पीछे मुड़ मुड़ कर मेरे लंड को देख रहा था.

मैं अपने मुसंड लौड़े पर थूक लगा रहा था. मैंने लंड को उसकी गांड पर टिकाया और धक्का दे दिया. सुपाड़ा गांड में अन्दर घुस गया.

वो दर्द से दांत भींचते हुए कराहा- आह … आपका बहुत मोटा है.मैंने कहा- पहले कभी कराई है?

वो बोला- हां कराई तो है, पर आपका ज्यादा मोटा है. अब तक इतना बड़ा लंड कभी नहीं लिया.मैंने कहा- यार झेल लो … धीरे धीरे करूंगा, घबराओ नहीं. जब लंड डलवाया है, तो यह भी चलेगा. थोड़ी देर लगेगी, फिर मजा आ आएगा. तुम बस गांड ढीली किए रहो.

मैंने एक और धक्का दे दिया. मेरा आधा हथियार अन्दर चला गया.

फिर मैंने हाथ से उसकी टांगें चौड़ी कर दीं और उसके गाल का चुम्बन लेने लगा.

एक हाथ से कमर को कस कर पकड़ा और इस बार एक झटके में पूरा लंड गांड में पेल दिया.

मैं उससे लगातार बातें करता जा रहा था.मगर पूरा लौड़ा गांड में घुसा तो वो ‘आ आई आई ..’ करने लगा.

मैंने लंड को हिल़ाया तो वो कहने लगा- अरे लग रई यार … आपका बहुत मोटा है. साला गांड फाड़ू हथियार है.वो गांड सिकोड़ने लगा, मैं उसके चूतड़ सहलाने लगा.

फिर दोनों हाथों से उसके चूतड़ पकड़ कर फैला दिए और लंड अन्दर बाहर करने लगा. यह काम मैं बिल्कुल धीरे धीरे कर रहा था और लंड को देख भी रहा था.

किसी की गांड में अपना लंड अन्दर बाहर आते जाते देखना बहुत ही मजे का काम है.

पूरा लंड आराम से अन्दर बाहर होने लगा तो मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके गले में हाथ डाल कर गाल चूमने लगा.

दो पल बाद मैंने उसके कान के पास फुसफुसाते हुए कहा- अब तो दर्द कम हो गया होगा? यार मुस्कुरा तो दो.उसके दांत बाहर आ गए.

मैंने भी उसके दो तीन चूमा ले डाले और धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर किया- मजा आ रहा है?वो आंखें बंद किए शांत लेटा था, उसने कोई जवाब नहीं दिया.

मैं भी तेज धक्के लगाने लगा और लंड गांड में अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा.गांड मराई से चप चप की आवाज आ रही थी.

उसने भी अपनी गांड पूरी तरह ढीली कर ली थी.

मैंने लंड चलाते हुए कहा- बस यार ऐसे ही ढीली किए रहो, अभी निपटे जाते हैं.वो ‘ऊंह हां ..’ और लंड लेता रहा.

तभी मैंने उसका लंड पकड़ कर हिला दिया. मस्त लंड था, लंबा मोटा और सख्त था.मैं सोचने लगा कि ऐसा मस्त लंड मेरी गांड में जाए, तो मजा आ जाए.मेरी गांड भी कुलबुलाने लगी.

मैंने अपने आपको रोक नहीं पाया और उससे पूछ ही लिया- यार तुमने भी किसी की गांड मारी है? तुम्हारा हथियार तो बहुत मस्त है.वो मुस्कुरा दिया- हां, मेरा एक क्लास फैलो है … अभी पांच दिन पहले ही मैंने उसकी मारी थी, हम दोनों अटा-सटा करते हैं. वह मेरी मारता है, मैं उसकी.

मैं- तो मेरी मारोगे?वह जोर से हंसा- आप मेरे से बड़े हो … मुझे करने में मजा नहीं आएगा.

मैं- तो तुम्हारा दोस्त कैसा है?वह- अरे वो मेरा दोस्त है और मेरी ही उम्र का है. मेरे से ज्यादा नमकीन है … बहुत गोरा है, गुलाबी होंठ हैं, कंजी आंखें हैं … क्या मस्ती से करवाता है और मारता भी बड़ी जोरदारी से है. साला गांड फाड़ कर रख देता है. हरामी को सब्र ही नहीं होता है. उसका हथियार भी आप जैसा ही लम्बा मोटा है, एकदम चिपट जाता है. वह तो लौंडिया भी चोदता है … कुत्ता, पटाने में एकदम एक्सपर्ट है, बहुत बातें बनाता है.

मैं- तो यार उसकी दिलवाओगे?वह- अरे आप तो बड़े मजे से करते हो, मैं उससे जरूर बात करूंगा. जहां तक है वो अपने दोस्त की बात मान जाएगा.मैं- ज्यादा नहीं, बस एक बार करवा ले.

वह- अरे कैसी बात करते हैं, एक बार नहीं, चाहे जितनी बार कर लेना. आखिर मेरा दोस्त है, टालेगा नहीं. फिर करवाता तो है ही, बड़े दिल से करवाता है. उसे आपसे पक्का बहुत मजा आएगा. आप भी उसे देख कर रह जाएंगे. मेरा दोस्त बहुत माशूक माल है और आप भी क्या कम माशूक हैं. गोरे चिकने लम्बे तगड़े और आपका लंड तो मेरी गांड में अभी चल ही रहा है … बड़े मजे दे रहा है. जिसने आपकी मारी होगी, वो जिंदगी भर याद रखेगा कि क्या छेद मिला.

मैं- अरे यार क्यों मक्खन लगा रहे हो … अगर मैं तुम्हें इतना ही पसन्द हूं और तुम मेरी गांड मारना चाहते हो, तो अभी मार लो. मैं तुमसे अपनी गांड मराने को तैयार हूं … पूरा मजा दूंगा.वह- नहीं, आप मेरे से बहुत बड़े हैं. मैं बराबरी के लौंडों की मारता हूं. आपकी मार ही नहीं पाऊंगा. हां यह बात सच है कि आप बहुत माशूक हैं.

मेरे हाथ से उसके लंड की लगातार मुठ मारने से उसकी गांड हरकत करने लगी और हम दोनों करवट से हो गए.

फिर उसने अपने लंड को मेरे हाथ से छुड़ा लिया और बोला- मत करो … जल्दी झड़ जाऊंगा, तो पूरा करवा नहीं पाऊंगा.वो काफी तजुर्बेदार था और पुराना पापी था.

अब मैं जोश में आ गया और दे दनादन दे दनादन चालू हो गया.

बार बार पूरा लंड पेल कर, फिर आधा बाहर कर रहा था.फिर मैंने उसका एक जोरदार चूमा लिया और पूरा लंड अन्दर पेले पड़ा रहा.मेरा लंड अब झड़ रहा था.

पानी निकाल कर हम दोनों अलग हो गए.

वायदे के मुताबिक हम दोनों शाम को डिनर करने होटल गए.उसे मैंने पिक्चर भी दिखाई.

उसने डिनर में अपने दोस्त को भी बुला लिया. वह वाकयी बहुत नमकीन लौंडा था बिल्कुल रनवीर कपूर जैसा लगता था … पंजाबी मुंडा था.प्रमोद की ही उम्र का था वैसा ही बन-ठन कर रहता. लम्बा पूरा स्लिम, बहुत गोरा स्मार्ट. दोस्तों ने उसका नाम ही रनवीर रख दिया था.

ये दोनों दोस्त बीकॉम के स्टूडेंट थे. रनवीर के पिता जी शहर के मेन मार्किट में जनरल स्टोर के मालिक थे.वह शाम को कॉलेज टाईम के बाद उनकी मदद करता.

इस तरह से ट्रेनिंग पीरियड के बाद कोई मुझे काम नहीं रहता था. बस घूमता फिरता और माल तलाशता रहता.कभी कभी हॉस्टल चला जाता तो दोस्तों से मिल कर गप्पें मारता.

उसी हॉस्टल में एक रूम में नईम सर रहते थे, वे हमारे ट्रेनर थे और एक्सपर्ट के तौर पर बुलाए गए थे. बहुत अच्छी इंगलिश बोलते थे, उनका अपने सब्जेक्ट पर कमान्ड था.

हम सबसे सवाल पूछते और बोलते- अब करके बताओ बेटा.

नईम सर काफी हंसमुख थे, अक्सर जोक मारते रहते थे. मुझसे खासा मिक्सअप रहते थे, जबकि और ट्रेनर नकली गम्भीरता ओढ़े रहते.नईम सर हमारी ही उम्र के थे, लम्बे पूरे हैंडसम आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक थे.

मैंने एक बात नोट की कि वे हम कुछ नमकीन लौंडों पर ज्यादा मेहरबान रहते थे. मैं भी उनकी गुड लिस्ट में था. जब हॉस्टल जाता, तो उनके कमरे में जरूर जाता और उन्हें विश करता.

वे थोड़ी देर बात करते, कभी मेरे गालों पर हाथ फेर देते … कभी चूतड़ पर चिकोटी काटते और मसक देते, मेरे गले में हाथ डाल देते.

एक दिन शाम को सर बोले- चलो कहीं घूमने चलते हैं.

मैं उनके साथ चल दिया.

अभी वो मेरे कमरे तक आए ही थे कि बोले- मेरी एक गर्लफ्रेंड है, क्या मैं उससे तुम्हारे कमरे में मिल सकता हूं?मैंने कहा- हां सर … क्यों नहीं जरूर.

वे खुश हो गए. दूसरे दिन वो उस लड़की को लेकर आ गए. उस दिन कमरे में रनवीर भी था.

मैं रनवीर और प्रमोद उन्हें कमरे में बिठा कर बाहर जाने लगे, तो सर बोले- आप चाहें तो हम लोग शेयर कर सकते हैं.

मैंने संकोच से मना कर दिया.पर रनवीर मचल गया- सर, क्या मैं शामिल हो सकता हूं … सर सर प्लीज!

सर मान गए और मैं बाजार चला गया.

जब मैं लौट कर आया तो दरवाजा अभी भी बंद था. मेरे मकान मालिक प्रमोद ने एक छोटे से छेद से अन्दर का नजारा दिखाया.

नईम सर तब तक निपट चुके थे … रनवीर अपने लंड पर थूक लगा कर चूत में लंड पेल रहा था. फिर उसने लंड चुत में डाल कर चुदाई चालू कर दी.

उसने तो धक्कम पेल धक्कम पेल मचा दी. बन्दा एक्सपर्ट था और साले का लंड भी मस्त था. अपनी कमर का पूरा जोर लगा कर चुदाई कर रहा था.

चुत में लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर चल रहा था और लौंडिया भी गांड हिला हिला कर लंड ले रही थी.

मैं और प्रमोद बारी बारी से देखते रहे जब वह चिपक कर रह गया, तो समझ गए कि अब ये झड़ने वाला है.

हम दोनों दरवाजे से दूर होकर आराम से बैठ गए.

कुछ देर बाद दरवाजा खुला और लौंडिया अपनी सलवार के ऊपर से ही चुत सहलाती हुई चली गई.

इसी तरह सर ने दो-तीन बार मेरे कमरे में आकर लौंडियां निपटाईं. कई बार चुदाई की मगर हर बार वही लड़की होती. एक बार बदल कर नया माल लाए तो प्रमोद के साथ उसे शेयर किया.

रनवीर मेरा बहुत अहसान मानता बोला- सर आपको चुत दिलवाऊं?मैंने संकोच तोड़ कर कह दिया- यार दे सके तो अपनी दे दे!

प्रमोद मेरे से तो कह रहा था कि रनवीर की दिलवाऊंगा, पर शायद उसने कहा नहीं.रनवीर को भी मालूम नहीं था कि मैं गांड मारने का शौक रखता हूं.

वह मेरी बात सुनकर झट से तैयार हो गया.

उस दिन कमरे पर हम दोनों ही थे प्रमोद बाहर गया था.

उसने अपना पैंट उतार कर हैंगर पर टांग दिया और अंडरवियर घुटनों तक करके खाट पर लेट गया.

मैं सोच ही नहीं सका था कि वह इतनी जल्दी तैयार हो जाएगा.मेरे लिए तो मुँह मांगी मुराद थी.

मैं उसके ऊपर चढ़ बैठा और चैन खोल कर लंड निकाल लिया. लंड पर थूक लगा कर उसकी गांड में पेल दिया.

वह मुस्करा दिया और बोला- अरे सर कम से कम पैंट तो उतार लेते … इतनी जल्दी भी क्या है. अब तो डाल लिया ही है, मैं पूरी मरा कर ही हटूंगा.

मैं उसके ऊपर से उतर कर खड़ा हो गया. अपनी पैंट उतारी, साथ ही चड्डी भी उतार फैंकी और फिर से चढ़ बैठा.

इस बार मैं घुटनों के बल उसकी जांघों पर बैठ गया. उसके दोनों चूतड़ देखे, तो एकदम मक्खन जैसे गोरे और मस्त गोल गोल थे.जब चूतड़ हाथ से अलग किए तो उसकी गुलाबी गांड झांकने लगी दुबारा लंड पर थूक लगाया और फिर गांड पर टिका कर सुपारा अन्दर कर दिया.

वह हंसने लगा- अरे आप हड़बड़ा गए … अब तो ठीक है.मैंने कहा- हां यार अब ठीक है. मेरी हडबड़ी इसलिए है कि सोचा न था कि इतने माशूक नमकीन लौंडे की मारने को मिलेगी. तुम्हारी गांड में मेरा लंड, मैं बता नहीं सकता कितना रोमांच हो रहा है. तुम बस थोड़ी ढीली रखना, कॉपरेट करना … इतने माशूक लौंडे की मिलना किस्मत की बात है.

ये कह कर मैंने उसका एक जोरदार चुम्बन ले लिया और पीछे से बांहें डाल कर उसे कसके पकड़कर पूरा लंड गांड में पेल दिया.

वह ‘आ आ ..’ करने लगा- आह सर … आपका बहुत बड़ा है, मस्त है थोड़ा धीरे कीजिए … जल्दी झड़ जाएंगे.मैं लंड डाले लेटा रहा.

फिर मैंने उससे पूछा- अब, चालू करें?

उसके दांत बाहर आ गए मैंने इसे उसकी हां समझी और धक्के देना शुरू कर दिए.

मैं धीरे धीरे कर रहा था. मुझे डर था कि वो नाराज न हो जाए.मेरी सांसें जोर से चल रही थीं, हाथ पैरों में सनसनाहट हो रही थी. मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए.

फिर मैंने पूछा- कोई तकलीफ तो नहीं हो रही?वह हंसा- अरे सर, कितनी बार पूछोगे … कैसे मरे मरे तो कर रहे हो, खुल कर करो न!

उसकी बात सुनी तो अब मैं जोरदार झटके देने लगा. दे दनादन दे दनादन धच्च पच्च धच्च पच्च ..

उसकी गांड गीली सी हो गयी और लंड चलने से चप्प चप्प की आवाज आने लगी.

वह भी जोश में आ गया और अपनी गांड चलाने लगा. बार बार ढीली कसती ढीली कसती करने लगा. चूतड़ों का पूरा जोर लगा कर लंड की चुसाई कर रहा था.

मैं भी अपनी कमर चला रहा था.वह- वाह सर वाह … मजा बांध दिया क्या रगड़ाई की.

अब हम दोनों थक गए थे. मैं लंड डाले पसर गया और उसके चुम्में लेने लगा. उसकी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.मेरा पानी छूटने लगा और कुछ पल बाद हम दोनों अलग हो गए.

वह मुस्करा रहा था- वाह सर … आज तो आपने मजा बांध दिया.मैंने कहा- यार तुम जैसे मस्त लौंडे की गांड मारने मिली, ये मेरी किस्मत थी. सच में आज मैं भी पूरी तरह से तृप्त हो गया.वह बोला- हां सर मैं भी, अपन मिलते रहेंगे.

फिर एक दिन शाम के समय मैं हॉस्टल गया तो देखा कि मेस का रसोईया नईम सर के रूम के सामने हंगामा कर रहा था.असल में मेस में कुछ नई उम्र के लड़के थे, यही कोई 18-19 साल के. वे खाना परोसने में सहयोग करते थे, काम करते थे … और जो लेबर थे, वे बदलते रहते थे.

उन्हीं लड़कों में में एक लड़का प्रेम नया नया आया था.रसोईया कह रहा था कि नईम साहब ने प्रेम की गांड मार दी.

आरोप गम्भीर था प्रेम उनके कमरे में कुछ चाय व नाश्ता लाया था. जब वो बड़ी देर तक नहीं लौटा, तो रसोईया आया, उसने देखा कि नईम साहब प्रेम को दीवार से चिपकाए खड़े हैं और उसकी गांड में लंड पेल कर धक्के दे रहे थे.

मैंने जाते ही रसोईए को पकड़ा और जोर से कहा- अरे सर को किसी की गांड ही मारना थी, तो क्या उसी की मारते? अरे उनका ज्यादा सुरसुरा रहा था … तो मेरी गांड में लंड पेल देते. साले! अभी तेरे को सुप्रिंटेंडेंट साहब से कह कर हटवा देते हैं. तभी तेरा इन लड़कों से काम लेना बंद हो जाएगा.

मेरी इस बात को सुनकर जो लड़के ट्रेनी अब तक चुप थे, वो बाहर आ गए और मेरा सपोर्ट करने लगे.जरा सी देर में में चालीस-पचास लड़के इकट्ठे हो गए.

रसोईया समझ गया कि कुछ गड़बड़ हो गई है.

वह बोला- यही कह रहा था.मैंने सवाल किया- कौन कह रहा था, बुलाओ उसे!

लड़का बदल गया, उसने कुछ भी नहीं कहा. तो रसोईया मुँह सा लेकर चला गया.

ये प्राईवेट मेस थी तो इस मामले के बाद उसे निकाल दिया गया. ठेकेदार ने आकर माफी मांगी.

अगले दिन ठेकेदार रसोइए को लेकर मेरे कमरे में आया.हम सब नईम सर के पास गए.उसे सर ने माफ कर दिया.

मैंने कहा- समझ ले … अब ऐसी हरकत न करना.

असल में हॉस्टल में ऐसा चलता रहता था. उन सारे लड़कों की ही गांड मारी गई थी … खुद ठेकेदार ही लौंडेबाज था. सर पर और ट्रेनीज पर मेरा सिक्का जम गया था.

एक दिन मैं बाजार गया था. वहीं पर नईम सर मिल गए.हम दोनों ऑटो से मेरे कमरे तक आए.

उस दिन भी प्रमोद गांव गया था.मैंने उन्हें कमरे में आने को कहा, वे अन्दर आए और बैठ गए.

मैं कपड़े बदलने लगा, कमरे मैं टेबिल कुर्सी और खाट थी. कुर्सी पर सबेरे नहाने के बाद मैंने गीले अंडरवियर बनियान सूखने डाल दिए थे.

वे खाट पर बैठ गए. टेबल पर कपड़े एक ढेर में तितर-बितर से रखे थे.मैंने शर्ट उतार कर टांग दी … फिर पैंट उतार दिया.

मैं उनसे बातें करता जा रहा था, देखा ही नहीं कि मैंने पैंट के नीचे कुछ नहीं पहना था.

पैंट उतार कर टांग दिया, तब देखा. वे हंसने लगे, मैं शर्मा गया.मैं इस समय केवल सेन्डो बनियान में था.

वे बोले- अरे, तेरा तो बहुत बड़ा लौकी सा लटक रहा है … खड़ा होकर तो नौ-दस इंच का होगा.

उन्होंने हाथ से लंड पकड़ कर दो तीन बार आगे पीछे किया, तो लौड़ा खड़ा हो गया.

वे बोले- वाह क्या मस्त हथियार है … मेरे से भी बड़ा है … कितना मोटा है. उस दिन बेकार झैंप गए, मजा ले लेते.मेरी शर्म कम हुई तो मैंने कहा- सर, अपना भी तो दिखाएं.

ये कहते हुए मैंने उनके पैंट की चैन नीचे कर दी व हाथ डाल कर उनका लंड बाहर निकाल कर सड़का मारने लगा.

उनका लंड मेरे हाथ में था, तो वे रोकने लगे- नहीं बेकार दिमाग खराब होगा, रहने दो.मैंने कहा- सर बेकार नहीं, मैं चूस लूंगा.

मैंने उनका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगा.दो-तीन मिनट तक लप लप करके लंड चूसा तो उनका फूल कर तन गया.

फिर मैंने मुँह से लंड निकाला और उनकी ओर देखा.वे ‘बस बस ..’ कर रहे थे.

सर ने कहा- अब अपने कपड़े पहन लो.

मैं टेबिल पर कपड़े ढूंढने लगा, उनकी तरफ मेरे चूतड़ थे. मैं कुछ टेबिल पर झुका था.

वे पास आए और बोले- तुम्हारे चूतड़ तो बहुत मस्त हैं, अब भी कितने गोल गोल हो रखे हैं.

सर चूतड़ सहलाने लगे- तुम्हारी जांघों में मछलियां दौड़ रही हैं. क्या बॉडी बना रखी है, कसरत करते हो क्या?वे मुझ पर मर गए थे, अब उनका लंड टनटनाने लगा था.

सर मेरी गांड पर उंगली फिराने लगे. मेज पर एक क्रीम की शीशी रखी थी, उसे खोल कर उंगलियों में क्रीम लेकर मेरी गांड पर मलने लगे.फिर अपनी क्रीम में लिपटी उंगली मेरी गांड में ठूंस दी. अब वे उंगली गांड में घुमा रहे थे.

फिर उन्होंने उंगली हटा ली तो मैंने पीछे मुड़ कर देखा.अब वे अपने लंड पर क्रीम मल रहे थे.

मैंने पहली बार उनका लंड ध्यान से देखा. क्या भयंकर सुपारा था … फूला मूसल सा था. कितना मोटा लंड था, मेरी तो देख कर ही जान निकल गई.

तब तक उन्होंने लंड मेरी गांड पर टिका ही दिया.अपने दूसरे हाथ से मेरे सिर के पीछे से मुझे टेबिल पर झुकने को इशारा किया.मैं कोहनियों के बल टेबल पर झुक गया.

वे बोले- बस, ऐसे ही बने रहो, शाबाश … अभी हुआ जाता है.

मेरी हालत अजब हो गई थी. इतना बड़ा लंड देख कर गांड फट रही थी. बहुत दिनों से कोई लंड नहीं लिया था, तो लंड का मजा लेने को गांड लुकलुका भी रही थी.

उन्होंने धक्का दिया और वह भयंकर सुपारा मेरी गांड के अन्दर था.मैं बिलबिला उठा, दर्द से जान सी निकल गई.

मैं छोटा नहीं था, जवान मर्द था. गांड मराने का पुराना तजुर्बा था. ये ठीक है बीच में बहुत दिनों से प्रैक्टिस छूट गई थी.फिर भी दर्द हुआ. बहुत दिनों से कोई लंड गांड में डलवाया नहीं था, सो दर्द ज्यादा हो रहा था.

उधर सुपारा अन्दर पेल कर थोड़ी देर तो वे रूके, फिर एक दम से सरसराता हुआ पूरा हथियार अन्दर कर दिया.एक हाथ उनका मेरी कमर को लपेटे था, दूसरे हाथ से मेरी गर्दन जकड़े थे. एकदम लंड पूरा पेले हुए चिपक कर रह गए.

मैं फड़फड़ा भी नहीं पा रहा था.

वैसे मैं उनसे मजबूत था, ज्यादा मस्कुलर था … तगड़ा था, पर इस समय उनका लंड मेरी गांड में था. वे पीछे से पकड़े थे.

मैं छूटना भी नहीं चाहता था. गांड मराने में दर्द तो होता है और लगती भी है. पर मजा भी देता है, जो गांड मराने का शौक रखता है, इसे वही समझ सकता है.जिन्होंने कोई लम्बा मोटा सख्त लंड गांड में डलवाया हो, उन्हें ही इसकी लज्जत का अंदाजा होगा.

करीब एक मिनट के लिए वे रुके, जब उन्होंने समझा कि अब गांड थोड़ी ढीली पड़ गई, तो चालू हो गए.पहले तो धीरे धीरे धक्के दिए, फिर तो मानो हथियार उनके कन्ट्रोल में ही नहीं रहा; जोर जोर से धक्कम पेल मचा दी.

धच्च फच्च धच्च फच्च … गांड फाड़ू झटके चालू हो गए.

वे स्वयं कह रहे थे- थोड़ा सब्र करो, बस दो मिनट.पर वो दस मिनट तक धूम मचाए रहे. जब हांफने लगे, पसीने पसीने हो गए … तब धीमे पड़े.लंड तब भी नहीं निकाला बस रुक गए.

मेरी गांड को भी चैन मिला.मगर तभी सर फिर से चालू हो गए, पर अब वो जोर नहीं रहा था. सर ढीले पड़ गए थे … पर छोड़ नहीं रहे थे. न जाने कबके प्यासे थे.

अब मुझे मजा आने लगा था, मेरा दर्द कम हो गया था. लंड की टक्करों से गांड ढीली हो गई थी.

अब मैंने अपनी कलाकारी दिखाई. गांड थोड़ी कसी ढीली की, तो वे ‘अश अश ..’ कर उठे.

उनसे रिस्पांस पाकर मैं जोर जोर से चूतड़ भींचने लगा और ढीले करने लगा.

वे बोले- अरे क्या मार ही डालोगे … गांड मराने की भी इतनी कलाकारी … मैं तुम्हें मान गया यार … सलाम करता हूं.

मेरी गांड जलन कर रही थी, दर्द हो रहा था … पर मैंने उनको मस्त कर दिया.

दोस्तो, गांड मराना भी एक आर्ट है. करीब चार पांच साल पहले नसीम भाईजान से करवाई थी. उनका (नसीम भाईजान का) नईम सर जैसा ही मस्त लंड था, पर गांड मारने का अनोखा अंदाज था. उन्होंने किस कलाकारी से मेरी मारी थी, अब तक याद है. लौंडे को मस्त कर देते थे.

अब सर जी ढीले पड़ गए और उनका रस छूट गया.

मैं उनसे अलग हुआ तो वे बोले- अब बस सीधे हॉस्टल जाऊंगा.मैंने रिक्वेस्ट की- रात हो गई, यहीं रुक जाएं … सुबह चले जाना.

वे रुक गए.

सुबह सात बजे हम दोनों उठे, फ्रेश हुए, नहाए, तैयार हो गए.

वे पैंट पहन रहे थे कि मैंने छेड़ा- एक बार और हो जाए?

वे न न करने लगे, फिर खुद ही पैंट उतार का टांग दी.

मैंने अपना अंडरवियर उतारा. उन्होंने तेल लगा कर गांड में लंड डाला.उन्होंने मेरी गांड में पूरा पेला ही था कि प्रमोद दिखाई दे गया.

वह बोला- सर आप भी लंड का मजा लेते हैं.मैं- तो यार क्या केवल तू लेना जानता है!

सर ने मेरी गांड में से अपना लंड निकाल लिया.मैंने प्रमोद का अंडरवियर उतार दिया- यार आज तुझे साहब को खुश करना ही होगा.

उसने बहुत नानुकुर की, पर तैयार हो गया.

जब साहब ने उसकी गांड में डाला तो वह बहुत उछल कूद मचा रहा था.पर नईम साहब भी पुराने खिलाड़ी थे. पूरा लंड डाल कर ही माने. तबियत से उसकी गांड मारी.वह बार बार चूतड़ हिला कर लंड निकाल देता था तो उसे पकड़ कर फिर से लंड डालना पड़ता.

आखिर उनकी टांगों के नीचे वो औंधा लेट गया था. बच कर कहां जाता.दो चार झटकों में चिल्लाने लगता- फट गई … फट गई छोड़ दो.

पर सर जी ने तब तक नहीं छोड़ा, जब तक पानी न निकल गया.इससे देर भी ज्यादा लगी और ज्यादा रगड़ाई भी हुई.

फिर साहब तैयार होकर नाश्ता करके निकल गए.

मैं समझा प्रमोद नाराज हो गया होगा.पर वह शाम को खींसे निपोरता मेरे पास बैठा था- सर जी … जैसे मस्ती से आप करते हैं … वैसा मजा उन साहब से नहीं आया. आपकी स्टाइल ही कुछ और है. मैंने आपके गेस्ट को मजा दिया, सिर्फ आपकी वजह से.

मैं- यार प्रमोद, रोज रोज एक ही मिठाई अच्छी नहीं लगती, कभी लड्डू, कभी पेड़े, कभी बर्फी.

प्रमोद- बुरी तरह रगड़ दी, जल्दी झड़ भी गए थे.मैं- अपनी अपनी स्टाइल है, जैसी उन्हें ट्रेनिंग मिली वैसी की. जाने कहां से सीखा होगा. अब तो उनका टाईम गया.

प्रमोद- तो उन्होंने भी कहीं से मरवा कर सीखा होगा. उनका ट्रेनर सही नहीं रहा होगा. बुरी तरह रगड़ दी … अब तक दर्द कर रही है. मजा तो बस आपके साथ आया था.मैं- अरे यार, तुम ठीक हो जाओ, फिर देखेंगे. अपनी अपनी पसंद है. उन्होंने भी मेरा हथियार देखा और सराहा कि वाह क्या मस्त है, मेरे से भी बड़ा. पर मेरी गांड पसंद की और मारी.

प्रमोद- उन्ह … मेरी अभी भी परपरा रही है.

मैं- प्रमोद भाई, तुमने मेरी गांड देखी. मैंने तुमसे कहा था कि मार लो. मगर तुमने रिजेक्ट कर दी. मेरे चूतड़ बड़े बड़े हैं इसलिए उन्हें मेरा लंड भी पसंद आया.

ये गांड मराने की सेक्स कहानी यूं ही मेरे जीवन में चलती रहेगी. आप मुझे मेल करते हैं, तो मुझे भी सेक्स कहानी लिखने में मजा आता है.

आपका आजाद गांडू

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Jack
Jan 11
Rated 5 out of 5 stars.

Koi muje bhi aisa mauka do.

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