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चूत जो खोजने मैं चला चूत मिल गयी दो - Desi Sex Kahani

जिन्दगी आसान नहीं है. हम सब लोग जानते हैं कि कभी कभी हम परेशान होकर सबसे दूर कही एकांत में चले जाना चाहते हैं.


मेरी Desi Sex Kahani भी कुछ ऐसी ही थी.


मैं नया नया दिल्ली में जॉब करने आया था, नोएडा में रहने लगा था.

अच्छी नौकरी थी तो पैसे की कोई कमी नहीं थी.


रविवार के दिन मैं अपने कमरे पर था और बहुत बोर हो रहा था.


जैसा हम सब करते हैं कि कहीं घूमने जाने का प्लान बना लेते हैं.

ठीक वैसे ही मैंने भी किया.


साथ में कोई नहीं था तो सोचा मूवी देखने चलते हैं.

जैसा कि आप लोग जानते हैं कि दिल्ली में मेट्रो का सहारा है, मैंने वही किया.


मेट्रो से कनाट प्लेस चला गया.

मैं उस एरिया में पहली बार गया था तो उधर का मुझे कुछ खास पता नहीं था.


वहां मेट्रो से बाहर आकर मैंने एक बंदे से पूछा कि इधर सिनेमा हॉल कहां है और यहां क्या क्या घूमने के लिए है?

वह आदमी बोला- बाहर बड़ा पार्क है, उधर सब कुछ मिलेगा … चले जाओ.


मैं बाहर आया तो एरिया काफी सुन्दर था. कनाट प्लेस का अभी तक सिर्फ नाम सुनता आया था.

उस एरिया में हर एक बिल्डिंग का नाम ब्लॉक सब अलग था. जैसे ए, बी, सी. सब कुछ बड़ा ही व्यवस्थित सा लगा.


कहीं मस्त रेस्टोरेंट, तो कहीं पब, कहीं ओपन रूफटॉप बार, क्लब, किसी जगह सुपर स्टोर, स्टाल, शोरूम जैसे बहुत खूबसूरत चीजें.

बहुत ही खूबसूरत जगह, सब जगह आनन्द ही आनन्द.


मजा तो खूब आ रहा था … बस कमी थी एक साथी लड़की की.


मैं युवा हूँ और आकर्षक लगता हूँ.

अब तक कोई गर्ल फ्रेंड नहीं थी मगर कइयों की ले चुका हूँ.


मुझे ज्यादातर औरतें ही पसंद आती थीं. उन्हें टांग उठाने में कोई देर नहीं लगती थी और पका पकाया माल होती हैं तो कोई ज्यादा नखरे भी नहीं होते हैं.


आज एक महिला साथी की कमी सच में बड़ी अधूरी लग रही थी.


मैं कुछ देर सोचता रहा, फिर सोचा कि चलो कुछ ट्राई करता हूँ.

बस फिर क्या … जाग गया दिमाग़ का शैतान.


मैंने सोचा कि पार्क में चल कर अच्छी अच्छी लड़कियां देखता हूँ.

उधर ही कुछ मसाला मिल गया … तो छौंक भी लग जाएगा.


मैं पार्क में आ गया.

बड़ा सा पार्क … बीचों बीच में देश का तिरंगा झंडा लगा था. बहुत खूबसूरत लग रहा था.


हर जगह कपल ही कपल दिखाई दे रहे थे. एक दूसरे का हाथ पकड़े बैठे थे.


मतलब हर कोई अपने अपने तरीके से इन्जाय कर रहा था.


मैं पूरा पार्क घूमने लगा.

इधर उधर एक से एक खूबसूरत लड़कियां, औरतें … चक्षु चोदन का मजा दे रही थीं.


कुछ से नजरें मिलती भी थीं तो वे ऐसे मुँह टेड़ा कर लेती थीं मानो उन्होंने मेरे लौड़े को ही देख लिया हो और नापसंदगी जाहिर कर दी हो.


फिर मैंने सोचा कि यहां पर कोई सिंगल लड़की या कोई औरत ढूंढते हैं.

सैट हो गई तो उसके साथ मैं भी चुदाई के मजे कर लूँगा.


बहुत देर तक घूमने के बाद मुझे एक लड़की दिखाई दी.

उसने लैदर की काले रंग की जैकेट पहनी हुई थी; ब्लैक लैदर की ही पैंट, हाई हील, सिल्की हेयरस्टाइल.


मस्त कांटा माल लग रही थी, उसके उठे हुए दूध और बाहर को निकली हुई गांड थी.


उसे देख कर ही साफ लग रहा था कि ये चुदने को ही बैठी है.

शायद वह भी अकेली थी और मेरे जैसे ही अकेली घूमने आयी थी.


मैं बार बार उसको नोटिस करने लगा.

ऐसा करने से उसको भी समझ गया कि मैं उसे ताड़ रहा हूँ.


वह वहां से जाने लगी तो मैं उसके पीछे जाने लगा.


मैं ये पता करने में लगा था कि वह अकेली है या किसी के आने का इन्तजार कर रही है.

कुछ दूर जाकर वह फिर से बैठ गयी.


मैंने सोचा कि शायद इसका कोई मिलने वाला आ रहा होगा तो मैं वहां से चला आया.


थोड़ी देर बाद वह मेरे पास से निकली और पास में ही थोड़ी दूर पर पड़ी एक बेंच पर बैठ गयी.


अब मैं समझ गया था कि ये भी अकेली है और शायद मेरा साथ ले सकती है.


हम दोनों ही बात करना चाहते थे लेकिन अन्जान से कैसे बात शुरू करें

यह दोनों की समस्या लग रही थी.


फिर मैं ही उसके पास गया और उससे हैलो बोला.

पर वह बिना जवाब दिए उठ कर दूसरी जगह बैठ गयी.


मुझे समझ आया कि ये दूर जा नहीं रही … और पास आती नहीं.

मतलब ये रांड हो सकती है और इसे अभी पक्का भरोसा नहीं है कि मैं कुछ इन्जाय करवा सकता हूँ या नहीं.


अब मैं दूर से ही जेब से पैसे निकालने के बाद गिनती करते हुए उसे दिखा रहा था.


बस फिर क्या था, वह आगे पीछे पास करने लगी.

पर बात अभी भी नहीं कर रही थी.


मैंने उसको इशारे से दूसरी जगह चलने को कहा.

तो उसने भी इशारे में हां कर दी और चलने लगी.


थोड़ी दूर पर हम रूके तो मैंने हैलो कहा.


उसने कहा- जी बोलिए … क्यों पीछे पड़े हो.

मैं बोला- कुछ नहीं, आप अकेली बोर होती दिखाई पड़ीं और मैं पहले से ही बोर हो रहा था. तो सोचा बात की जाए.


उसने बोला- हां यार, बोर तो हो रही थी, लेकिन डर की वजह से पहले बात नहीं की.


फिर हम दोनों बात करने लगे.

काफी देर साथ घूमने के बाद हमने मूवी देखने का प्लान किया.


मूवी में कुछ हॉट सीन थे.

हम दोनों गर्म हो गए.


मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.

उसने भी हाथ में किस कर दिया.


मैंने देर न लगाते हुए सीधे दूध पर हाथ फेरा.

वो हंस दी और बोली- बड़ी जल्दी है?


मैंने कहा- तू माल ही ऐसी है कि रहा नहीं जा रहा है.


वह बोली- हम्म … मैं माल लगती हूँ?

मैंने कहा- क्यों माल नहीं है क्या तू?


वह बोली- माल तो हूँ … पर बिकाऊ माल नहीं हूँ.

मैंने समझ लिया कि ये रांड नहीं है बस गुलछर्रे उड़ाने वाली फंटिया है.


मैंने कहा- तू ही बता दे कि कैसी माल है?

वह हंसी और मेरे लौड़े पर हाथ फेर कर बोली- वो तो तेरा ये बताएगा कि मैं कैसी माल हूँ.


मैंने कहा- तो इधर तो चैक हो ही नहीं पाएगा. चल किसी कमरे में चलते हैं.

वह चलने को राजी थी.


मैंने कहा- अभी यहीं मजा ले लेते हैं. बाद में होटल में चलेंगे.

उसने हामी भर दी.


अब हम दोनों वहीं बैठे रहे और बस हाथ से ही एक दूसरे को पकड़ कर मजा लेते रहे, ऊपर ऊपर से खूब मजे किए.


फिर बाहर आकर मैंने कहा- चल किसी होटल में चलते हैं.

उसने कहा- आज टाइम ज्यादा हो गया. अभी इतना ही, कल जल्दी आना.


मैंने कहा- कल तो शाम को ही आ पाऊंगा.

वह बोली- ठीक है, शाम को आ जाना.


फिर हम दोनों ने एक दूसरे के फोन नंबर बदल लिए और मैं उससे अलग होकर मेट्रो स्टेशन आ गया.


उधर बहुत भीड़ थी. मैं पहले से ही बहुत गर्म हो गया था.

जैसे ही मेट्रो में घुसने लगा, भीड़ ने धक्का लगा दिया.


इस धक्के से मैं अनजाने में किसी से टक्कर खाकर एक जगह दब सा गया.


संभलते ही मैंने देखा कि मेरा शरीर एक बहुत खूबसूरत आंटी से सट गया था.


मेरे पास एक लड़का खड़ा था.

वह जैसे ही थोड़ा आगे हुआ तो वह आंटी सीधा मेरे साथ हुई और उसकी बैक साइड मेरे लौड़े के सामने आ गयी.


आंटी बहुत अच्छा परफ्यूम लगा कर आयी थीं.


मैं तो पहले से ही हॉट था.

जैसे ही उसका पिछवाड़ा मेरे लंड से टच हुआ, मुझे जोर का झटका लगा और लंड काले नाग की तरह जोर से उछाल मारने लगा.


मेरे मस्त लंड की छुअन उसने भी फील की, तो वह थोड़ा और पीछे सरक कर आ गयी.


अब मेरा लंड उसकी गांड की दरार में फिट हो गया.


हम दोनों में आग लग चुकी थी पर कोई बोल नहीं रहा था.


मैंने धीरे धीरे लंड आगे पीछे करना चालू किया.

भीड़ होने के कारण किसी को पता नहीं चल रहा था.


उसने भी भीड़ में ही हाथ नीचे करके मेरा लंड पकड़ लिया.

मैंने भी मौका देखकर भीड़ में उसका एक दूध दबा दिया.


उसने उसी समय मेरे लौड़े को मसल दिया.

हम दोनों बहुत बुरी हालत में हो चुके थे.


अब उसने पूछा- कहां जा रहा है?

मैं बोला- नोएडा.


उसने कहा- मुझे उतरना है. साथ चलने का मन हो तो चलो, मेरे यहां कोई नहीं है.


फिर क्या … मैं उसके साथ चला गया.


वह एक फ्लैट में रहती थी.


वह अन्दर जाकर सीधी चालू हो गई.

उसने मेरा लंड निकाला और चूसने लगी.


हम दोनों एक दूसरे में खो गए.

मैं उसके बूब्स सहलाने लगा.


धीरे धीरे उसकी चूत पर मुँह लग गया और चुत चुसाई चालू हो गई.


कुछ ही देर में हम दोनों ने अपने अपने कपड़े निकाल दिए.


फिर मैंने जैसे ही उस आंटी की चुत पर अपनी जीभ रख कर चूसने लगा, वह तो बेचैन हो गयी और अमर बेल के जैसे मुझे लिपटी रही.

मैं उसके कामुक शरीर का भोग कर रहा था.


कुछ देर बाद वो चोदने की कहने लगी.

मैंने सीधे होकर उसके बूब्स सहलाए और चूत में लंड घुसाने के लिए सैट कर दिया.


उसने हाथ से मेरी कमर को थपकी दी और कहा- पेल दो.

मैंने ठोकर मार दी.

वह तड़प कर बोली- उई मां … आह राजा मर जाऊंगी. धीरे पेलो.


मैंने कुछ ही देर में पूरा हथियार चुत में ठांस दिया और धाएं धाएं चालू कर दी.


वो अपनी दोनों टांगें हवा में उठा कर लंड के मजे लेती हुई कहने लगी कि आज बहुत ज्यादा मजा आ रहा है.

हम दोनों ने जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी. कभी वह मेरे ऊपर, कभी मैं उसके ऊपर.


पूरे कमरे में सिर्फ ‘आह … आह … हम्म अशश … आह उम्म ई आआह ऊह … की आवाज आ रही थी.

साथ में वो मेरे साथ जोरदार तरीके से लिपट कर लिपलॉक किस कर रही थी.


काफी देर तक चुदाई के बाद मैं आंटी की चुत में झड़ गया.


उस दिन पूरी रात हम दोनों ने चुदाई की.


सुबह वह सिल्क की नाइटी पहनकर मुझे जगा रही थी.

मैं उसके बूब्स सहलाने लगा.


वो चाय बनाने किचन में जाने लगी.

मैंने उसे किचन में ही पकड़ा और जबरदस्त खेल शुरू कर दिया.


उसकी गांड में तेल लगाया और खूब गांड चुदाई की.


फिर मैं उस आंटी से विदा लेकर चला आया.

उसने शाम को आने का वादा ले लिया.


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