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जिस्म से रूह तक का सफर - Desi Sex Kahani

Kamvasna

मेरा नाम अर्णव है और मैं उत्तर प्रदेश से हूँ। मेरी उम्र 28 साल व कद 5′ 10″ है।


एक बार फिर आप सभी के बीच अपनी नयी कहानी साझा करने जा रहा हूँ।


Desi Sex Kahani शुरू करने से पहले मैं आपके समक्ष सेक्स को लेकर अपने कुछ विचार प्रकट करना चाहूँगा।

इस से आप कहानी में मेरी परिस्थिति समझने और आम ज़िंदगी में होने वाली कुछ छोटी-मोटी बातों से भी रूबरू हो पायेंगे।


सेक्स के प्रति अत्यधिक रुचि होने के बाद भी मैं बेहद संजीदा और अन्तर्मुखी स्वभाव का लड़का हूँ और मुझे किसी के साथ संबंध बनाने से पहले उसे भली भांति समझना और दोस्ती करना पसंद है।


भले ही हमारे बीच कितने भी गहरे संबंध क्यूँ न स्थापित हो जायें पर मैं सदैव अपनी और अपने साथी की निजी जिंदगी एवं उसकी गोपनीयता को लेकर बेहद संजीदा रहता हूँ।


फिर चाहे हमारे बीच का संबंध कुछ महीनों का हो या कुछ सालों का पर उसके उपरांत भी हम बिना किसी की निजी जिंदगी में दख़ल दिये सदैव अच्छे मित्रों की तरह रहते हैं।


मेरे विचार में संभोग सिर्फ शारीरिक संतुष्टि तक सीमित न हो बल्कि सदैव किसी अच्छे दोस्त की तरह रहें, जो खुल कर अपनी भावनाओं को आपके सामने रख सके और आप बेहद संजीदगी से एक दूसरे की इच्छाओं और भावनाओं का सम्मान कर सकें।


सच पूछिये तो आज के दौर में किसी को अपनी भावनायें समझाना भी बेहद कठिन कार्य है।


क्योंकि बहुतायत लोग सेक्स को सिर्फ क्षणिक सुख तक ही सीमित समझते हैं।

और उनके लिये केवल उन क्षणों के ही मायने होते हैं, जब उनके मन में किसी के प्रति सेक्स के लिये अभिरुचि पैदा होती है।


इसे लेकर मेरी धारणा थोड़ी अलग है।

मेरे लिए मेरे साथी के साथ आत्मीयता और लगाव होना बहुत जरूरी है।


क्योंकि केवल सेक्स की भूख मिटाने के लिये तो अनेक साधन हैं, उसके लिये हमें किसी को जानने समझने और उनकी इच्छाओं का ख्याल रखने की भी कोई आवश्यकता नहीं पड़ती।


पर मेरी दॄष्टि में ऐसा सेक्स निरर्थक है जिसमें कोई आत्मीयता का भाव न हो, मात्र हवस और क्षणिक सुख के भोग की लालसा हो।


अब मैं आप सभी का ज्यादा समय न लेते हुये सीधे अपनी कहानी पर आता हूँ, जो कि अभी हाल में हुई घटनाओं पर आधारित है।


जैसा कि मैंने आप सभी को अपनी पिछली कहानियों में भी बताया है कि मैं ज्यादा समय तक एक स्थान में नहीं रह पाता और इसके कई सार्थक कारण हैं जैसे कि मेरी स्कूलिंग जो कि कई अलग-अलग जगहों से हुई एवं मास्टर्स कम्पलीट होने तक लगभग हर 2 से 3 सालों में जगह बदलती रही हैं।


आप सभी इस बात को भली-भांति समझते ही होंगें कि जीवन का असली संघर्ष तो डिग्री कम्पलीट होने के बाद ही शुरू होता है। जिसमें हर कोई अपनी पहचान बनाने के इरादे से निकलता है ताकि वो एक बेहतर कैरियर बना सकें।


एक सही कैरियर की तलाश में न जाने कहाँ-कहाँ भटकना पड़ता है।


बस यही सिलसिला मुझे हिमाचल की वादियों तक ले गया।

इंटरव्यू और कुछ औपचारिकताओं के बाद मैंने वहाँ रह कर अपनी जॉब शुरू कर दी।


मेरा फ्लैट एक सोसाइटी बिल्डिंग के दूसरे तल में था।

नौकरी के ही सिलसिले में वहाँ बहुत से परिवार और सिंगल लड़के-लड़कियाँ भी रहते थे।


वहाँ सबकी ज़िंदगी कामकाज की व्यस्तता में उलझी हुई थी, सभी अपने-अपने समयानुसार काम पर आते जाते थे।


मैं भी रोज सुबह ऑफिस निकलता और दिन ढलने के बाद घर वापस आता।

सेक्स तो जैसे मेरे जीवन से खत्म ही होता जा रहा था।


क्योंकि एक नयी जगह में बिना किसी परिचय के साधारण बातचीत भी संभव नहीं हो पाती।


कुछ महीनों बाद मेरे बगल वाले फ्लैट में एक शादीशुदा लड़की अपने पति के साथ रहने आयी।

उसे देख कर मेरी नीरस ज़िन्दगी में थोड़ा सुकून आ गया।


उसका नाम श्रुति था।

उसकी उम्र 26 साल और लंबाई लगभग 5’1″ थी।

उसका फिगर 34-30-36 था जो मुझे बाद में पता चला।


उसकी हाइट बेशक कम थी पर एकदम गोरा रंग, गदराया शरीर, भरी हुई मांसल जाँघे और उभरे हुये नितम्ब से साफ पता चलता था कि जवानी पूरे उफ़ान में बह रही है।


उसे देखकर शायद ही कोई ऐसा होता जो कामाग्नि की आग से जल न उठता।


इतना सब मेरे सामने था, पर अपने अन्तर्मुखी स्वभाव के कारण मैं किसी भी भावना को व्यक्त करने में असमर्थ था।


मैं उस लड़की से कैसे भी कर के बात करना चाहता था।

पर अभी तक उसके बारे में कुछ भी नहीं जानता था और दूसरी तरफ वो अभी नयी-नयी विवाहिता थी।


तो मेरे द्वारा की गयी एक छोटी सी पहल भी मुसीबत खड़ी कर सकती थी।


मैं ऐसा कोई भी कृत्य नहीं करना चाहता था जिस से बेवजह कोई समस्या खड़ी हो जाये।


कई हफ्तों तक मैं उसे सिर्फ दूर से ही देखता रहा और उसके स्वभाव को समझने की कोशिश करता रहा।


उसी बीच मेरे कुछ एग्जाम थे तो मैंने कुछ समय के लिये अपनी जॉब छोड़ दी और अपने फ्लैट में ही पूरा दिन बिताने लगा।


श्रुति के पति की जॉब एक एम एन सी कंपनी में थी और लगभग हर हफ्ते शिफ्ट बदलती रहती थी।

एक हफ्ते डे शिफ्ट चलती तो अगले हफ्ते नाईट शिफ्ट।


मैंने नोटिस किया कि वो दिन भर अपने फ्लैट में अकेली रहती है और जब कभी बोर हो जाती है तो बाहर निकल कर टहलने लगती और कभी कभार दोपहर में सीढ़ियों में बैठ कर अपने फ़ोन में गेम भी खेलती है।


एक दिन दोपहर को जब वो बालकनी में खड़ी थी तो मैंने थोड़ी हिम्मत कर के उस से पूछा- क्या आप भी यह वाला गेम खेलती हैं?


मैंने आते जाते देख लिया था कि वो कौन सा गेम खेलती है और मैंने इसी बात के बहाने उस से बात करने की कोशिश की.


यह पहली बार था जब हम बात कर रहे थे तो वो थोड़ा झेंप सी गयी फिर धीरे से बोली- हाँ।


मैंने फिर उससे बोला- मैं भी यही गेम खेलता हूँ, क्या आप मेरे साथ खेलेंगीं?

उसने बोला- ठीक है, और अपने रूम में जाकर अपना फोन ले आयी और गेम ओपन कर के सीढ़ियों में बैठ गयी।


मैं भी उसके करीब जा कर ऊपर वाली सीढ़ी में बैठ गया।

और हमने गेम खेलना शुरू कर दिया।


उसकी बॉडी लैंग्वेज से लग रहा था जैसे वो मुझसे शरमा रही है।


गेम खेलना तो एक बहाना था मुझे तो उस से बस ढेर सारी बातें करनी थी और उसे थोड़ा करीब से जानना था।


मेरे मन जितने भी सवाल थे मैंने एक-एक कर के सारे उस पर दाग दिये।

जैसे वो कहाँ से है, उसकी शादी कब हुई, उसको क्या क्या पसंद है वगैरह वगैरह।

वह बेहद शर्मीली स्वभाव की थी और सब कुछ बड़ी सौम्यता से बता रही थी।


और पता नहीं क्यूँ वो हर 15 मिनट में उठकर वाशरूम जा रही थी।


लगभग एक घंटे बाद जब हमने गेम खेल लिया तो मैंने उसे बताया इस गेम को हम ऑनलाइन भी खेल सकते हैं और उसके फोन में खुद को ऐड कर दिया।


उसके बाद मैंने बोला- आप जब भी बोर हों और आपका गेम खेलने का मन करे तो मुझे इनविटेशन सेंड कर दीजियेगा।

उसने मुस्कुराते हुए कहा- ठीक है।


मुझे उस से बात करके काफी अच्छा लग रहा था।


हम काफी दिनों तक गेम के माध्यम से थोड़ी बहुत चैटिंग कर लेते थे।


फिर मैंने एक दिन उस से इंस्टाग्राम में बात करने के लिये बोला तो उसने मेरा यूजर नेम पूछा और एक मैसेज भेज दिया।


अब हमारी काफी बातें होने लगी थी।


मैंने उस से बोला- मुझे प्राइवेसी बहुत पसंद है इसलिये हमारे बीच की बातें कभी किसी से शेयर मत करना। और अगर मेरी किसी भी बात से कोई प्रॉब्लम हो तो डायरेक्टली मुझसे बोल देना मैं आगे से कभी डिस्टर्ब भी नहीं करूँगा।

उसने बोला- ठीक है।


एक बार मैंने बोला- मुझे आपसे कुछ कहना है।

उसने बोला- क्या कहना है?

मैंने जवाब दिया- अब तो हम अच्छे दोस्त बन गये हैं, तो क्या मैं आप की जगह तुम बोल सकता हूँ? क्योंकि मुझे बार बार आप बोलना बहुत फॉर्मल लगता है।


उसने कहा- इरादा क्या है?

मैंने बोला- फिलहाल तो अच्छे दोस्त बनने का ही है। आगे का जो होगा देखा जायेगा।


उसने बोला- इतने में ही ठीक है, अब आगे और कुछ नहीं समझना।

मैं उसे नाराज नहीं करना चाहता था तो मैंने कहा- ठीक है, पर मुझे एक और बात कहनी थी?


उसने पूछा- अब क्या है?

मैंने बोला- मैं तुम्हें अच्छे से देखना चाहता हूँ।

उसने कहा- सामने तो होती हूँ, अब और कैसे देखना है?


मैंने बोला- तुम मुझे बहुत प्यारी लगती हो। इसलिये जी भर के देखना चाहता हूं। तुम्हें इस से कभी असहजता न महसूस हो इसलिए पहले परमिशन मांग रहा हूँ।

उसने बोला- तुम वाकई बहुत अजीब हो।

मैंने कहा- मैं ऐसा ही हूँ, क्या करूँ … शायद मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट है।


उसने बोला- ठीक है, पर जरूरी नहीं मैं भी तुम्हें देखूँ या कोई जवाब दूँ।

मैंने उसे इसके लिये थैंक्स बोला।


हमारी बातें तो काफी होती थी पर अभी तक कोई ऐसी बात नहीं हुई थी कि जिस से कोई ग्रीन सिग्नल मिलने की उम्मीद हो।


कुछ दिन बाद मैंने बातों ही बातों उस से बोल ही दिया कि मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ।

तो उसने बोला- यह सब किसलिये?


मैंने बोला- ये बात मेरे मन में बहुत टाइम से थी। और मेरे मन में जो भी बात आती है मैं डायरेक्टली बोलना पसंद करता हूँ। मैं मन में कुछ और सोच कर किसी और चीज़ का दिखावा नहीं कर सकता इसलिये जो मन में था बोल दिया।


फिर उसने मुझसे पूछा- और भी कुछ है बताने के लिये इसके अलावा?

मैं बोला- एक बात और है, पर अगर बुरा न मानो तो ही बताऊंगा।


उसकी काफी तसल्ली के बाद आखिरकार मैंने उस से अपने जज्बात ज़ाहिर कर दिये।


मैंने बोला- मैं तुम्हारे थोड़ा करीब आना चाहता हूँ, तुम्हें छूना चाहता हूं और महसूस करना चाहता हूँ।

उसने बोला- तुम भी बाकी लड़को की तरह ही हो। आखिरकार जो बाकी सब को चाहिये होता है तुम भी घुमा फिरा कर वहीं आ गये। अब मुझे कभी मैसेज मत करना न ही बात करने की कोशिश करना।


मैंने तो उस पर भरोसा कर के अपने मन की बात बता दी थी।

पर वो गुस्सा न करने वाली बात से पलट गयी थी।


मैंने उसकी बात का मान रखा और बिल्कुल वैसा ही किया जैसा उसने मुझसे करने को कहा और हमारी बातें पूरी तरह से बंद हो गयीं।

और हम फिर से एक दूसरे के लिये अंजान बन गये।


उसके दो-तीन हफ्ते बाद उसने मुझे इंस्टाग्राम में मैसेज कर के मेरा हाल चाल पूछा।

तो मैंने बोला- सब ठीक है।


उसने कहा- मैं अपने घर से इतनी दूर अपने पति के साथ रह रही हूँ और मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते हैं। मैं किसी और से कोई भी रिश्ता कैसे रख सकती हूं, यह गलत होगा।


मैंने कहा- मैं तुम्हें चाहता हूँ, और मेरे मन में तुम्हारे लिये जो भी था वो सब मैंने तुम्हें बता दिया और जरूरी नहीं मुझे बदले में तुमसे कुछ मिले ही। मैं तुम पर किसी चीज़ के लिए दबाव नहीं बना रहा। मुझे बस लगा अपने अंदर इस बात को रखकर सुलगने से अच्छा तुमसे बोल ही दूँ। बाकी तुम्हें जो सही लगे वैसा ही करो, कोई जोर जबरदस्ती नहीं है, हम हमेशा अच्छे दोस्त रहेंगें।


उसने बोला- तुम भी मुझे अच्छे लगते हो। इतने दिन तुमसे बात नहीं हुई तो मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। मैं तुम्हें गले से लगाना चाहती हूँ।

मैंने बोला- मेरे लिये इतना भी बहुत है। तुम जितने में सहज रहो मैं उतने में खुश रहूंगा।


उसने बोला- क्या मैं अभी तुम्हें कस के गले लगा सकती हूँ?

मैंने कहा- तुम्हें मुझसे किसी चीज़ के लिये पूछने की जरूरत नहीं। बस हुकुम करो, बंदा हाज़िर है।


उसने बोला- ठीक है, गेट खुला है मेरे फ्लैट में आ जाओ।


मैं टीशर्ट और शॉर्ट्स में था, और वैसे ही उसके फ्लैट की तरफ चल दिया।


उसका फ्लैट मेरे बगल में ही था तो मुझे वहाँ पहुँचने में ज्यादा से ज्यादा कुछ सेकंड्स ही लगे होंगे।

मैं उसके फ्लैट में पहुँचा और अंदर से लॉक कर के सीधा उसके रूम में आ गया।

वो वहीं खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी।


मैंने उसे देखते ही पकड़ कर अपनी बाहों में भर लिया।

उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं।

उसके बड़े बड़े मम्मे मेरी छाती से चिपके ऊपर नीचे हो रहे थे।


मैंने उस से पूछा- क्या मैं तुम्हें चूम सकता हूँ?

उसने सर झुका कर अपनी सहमति जतायी।

तो मैंने उस पर चुम्बनों की बारिश कर दी।


कभी उसके माथे को चूमता तो कभी उसके गालों को तो कभी उसकी गर्दन में।

वो मुझसे हाइट में काफी छोटी थी तो मेरे कंधे तक ही आ रही थी।


मैंने कहा- बेड पर लेट जाओ, मुझे तुम्हें अच्छे से किस करना है।

वो बिना कुछ बोले बेड पर लेट गई।

मैं उसके ऊपर आ गया।


वो बहुत ज्यादा शरमा रही थी और उसका पूरा चेहरा पूरा लाल पड़ गया था।


मैंने धीरे से उसके नाजुक होंठों पर अपने होंठ रखे और उसके फूल से होठों से रसपान करने लगा।


धीरे धीरे माय लव गर्ल भी मेरा साथ देने लगी और हम कुछ ही पलों में एक अलग ही दुनिया में पहुँच गये।


जब आपके मन में किसी के लिये चाहत हो तो सबसे अच्छा एहसास उसे चूमने का ही होता है।

और मेरे साथ कुछ ऐसा ही हो रहा था।


हम लगभग 10-15 मिनट तक ऐसे ही किस करते रहे और फिर अलग हो गये।

साथ बैठ कर हमने ढेर सारी बातें की।


मैं किसी बात के लिये जल्दी नहीं करना चाहता था, न ही जंगलियों की तरह पेश आना चाहता था।


क्योंकि सेक्स के हर चरण में लयबद्ध तरीके से अपनी भावनायें व्यक्त करना चाहिये।

जहाँ जितनी उग्रता और जोश की जरूरत हो वहाँ उसी प्रकार उसका उपयोग करना चाहिये।


दूसरे शब्दों में कहें तो जब भावनात्क सेक्स चल रहा हो तब अपने साथी की किसी नाजुक फूल की तरह देखभाल करनी चाहिये।


वहीं जब सेक्स रोमाचंक मूड में हो रहा हो तो अपने साथी को आगोश में लेकर उसके हर अंग का मर्दन करते हुए ताबड़तोड़ चुदाई के साथ उसे चरम सुख तक ले जाना चाहिये।


जैसा कि मैंने बताया था कि मैं कोई भी जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था और श्रुति की भावनाओं और इच्छओं का बखूबी सम्मान भी करता था।


और ऐसा मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि मेरी किसी हरकत की वजह से वो आहत हो या जल्दबाज़ी में किये गये किसी कृत्य की वजह से उसे बाद में आत्मग्लानि हो या किसी प्रकार का कष्ट उठाना पड़े।

मैं अपनी जरूरतों के साथ उसे भी हमेशा खुश देखना चाहता था इसलिये सब कुछ आराम से करना चाहता था।


मैंने सोच लिया था कि जब तक श्रुति खुद मेरे साथ चुदाई के लिये राजी नहीं हो जाती तब तक मैं उसे फ़ोर्स नहीं करूंगा और उसके बाद ही आगे बढूंगा।


मेरा अपनी सभी महिला मित्रों के लिये यह सुझाव है आप सभी अपने साथी का चुनाव सोच समझ कर ही करें और सेक्स करने से पहले अच्छे से सोच विचार कर लें।


खासकर शादीशुदा महिलाएं क्योंकि बहुत सी महिलाएं क्षणिक उन्माद में आकर चुदाई के मजे तो ले लेती हैं।


पर कुछ समय बाद उन्हें यह एहसास होता कि उन्होंने जिस इंसान पर भरोसा करके खुद को सौंपा था वो इंसान उनकी साधारण सी भावनायें समझने में भी असमर्थ है।


इसका दूसरा पहलू यह है कि कुछ औरतें पहले तो बिना सोचे समझे भावनाओं में बह जाती हैं और फिर बाद में अपने पति से बेवफाई करने की सोच में आत्मग्लानि से भर जाती है और पूरा समय यही सोच कर दुखी रहती हैं।


इसके लिये आप जब भी किसी से संबंध बनायें तो पहले खुद को हर तरह से तैयार कर लें और अपनी प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुये सही साथी के चुनाव के बाद ही सेक्स का आनंद लें।

ताकि भविष्य में उन पलों की याद मात्र से ही आपका रोम रोम खिल जाये और आप पूरी तरह से रोमांच से भर उठें।


मैं यहाँ किसी भी व्यक्ति का आंकलन या समीक्षा नहीं कर रहा बल्कि सिर्फ अपने व्यक्तिगत विचार आप सबके सामने रख रहा हूँ।

ताकि आप सभी अपने जीवन का बिना किसी परेशानी के भरपूर आनंद ले सकें।


अब ज्यादा समय न लेते हुये मैं सीधे कहानी पर आता हूं।


मेरे और श्रुति के बीच भावनात्मक आलिंगन और किसिंग का सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा और हम दोनों बहुत खुश भी थे।


किस करते-करते मैं कभी कभार उसके चुचे दबा देता तो उसकी प्यार भरी सिसकियां निकल जातीं।


कुछ दिनों के बाद मैंने श्रुति से उसके मम्मे चूसने की इच्छा जाहिर की तो उसने मुझे अपनी सहमति दे दी साथ ही बोली- थोड़ा आहिस्ता आहिस्ता करना, बस मुझे दर्द न हो।


मैंने उसे प्यार से चूमा और कहा- मुझे इस बात का पूरा खयाल है कि तुम्हें किसी भी तरह की तकलीफ न होने पाये। तुम बेफिक्र रहो और बस खुलकर इस एहसास को महसूस करो।


इसके बाद मैंने बड़े प्यार से उसकी कुर्ती उतारी। उसने कुर्ती के अंदर नेट वाली डिज़ाइनर ब्रा पहनी हुई थी।


वो नज़ारा मैं आज तक नहीं भूल पाया हूँ क्योंकि वो उस वक़्त बिल्कुल संगमरमर की तराशी हुई किसी मूर्ति जैसी लग रही थी और उसके बड़े बड़े चुचे ब्रा में कैद होते हुए भी कयामत ढा रहे थे।


मुझे उसे इस तरह से देखकर कुछ पल के लिये उसके पति से जलन होने लगी थी कि इतनी खूबसूरत लड़की अगर मेरी बीवी होती तो मैं उसे एक पल के लिये भी न छोड़ता।


मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और उसकी ब्रा के हुक खोल कर ब्रा के स्ट्रैप्स नीचे खिसका दिये।

उसके मम्मे उछल कर बाहर आ गये जैसे अभी तक किसी ने उन्हें कैद में बंद करके रखा रहा हो।


वो सच में इतने प्यारे और बेदाग थे कि मन कर रहा था बस चबा कर खा जाऊँ।


हमारे बीच इतना सब होने के बाद वो अभी भी मुझसे शरमा रही थी और मुझे उसकी इस अदा पर बहुत X लव उमड़ रहा था।


मैंने उसके मम्मे बड़े प्यार से अपने हाथों में लिये और सहलाने लगा और मुँह लगाकर बड़े प्यार से धीरे-धीरे चूसने लगा।

उसके चुचे इतने मुलायम थे जैसे ताज़ी ब्रेड के बन से बनें हों।


मैं बारी-बारी से दोनों चुचों को सहलाता और चूसता रहा.

उसकी आँखें बहुत नशीली हो गयी थी और चेहरे के भाव बता रहे थे कि उसे बहुत अच्छा लग रहा है।


वो बार-बार अपनी टांगे सिकोड़ती और आपस में भीच लेती, उसकी कसमसाहट और बेचैनी से साफ पता चल रहा था कि उसकी आग धीरे-धीरे भड़क रही है।


मैं बिना रुके उसके होठों से लेकर पेट के निचले तक चूम रहा था और साथ ही अपनी झीभ से उसके हर अंग को सहलाता जा रहा था.

जिससे उसकी बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी।


मैंने कमर से उसकी लेग्गिंग की साइड्स को छुआ तो उसने आहिस्ता से अपनी कमर ऊपर उठा दी।

मैंने बड़े प्यार से उसकी लेग्गिंग को नीचे खिसका दिया और उसके शरीर से अलग कर दिया।


उसकी जाँघें बिल्कुल बेदाग और केले के तने जैसी चिकनी थी।


अब वो मेरे सामने सिर्फ डार्क मैरून डिज़ाइनर लायेंज़री सेट की पारदर्शी पैंटी में थी जिसमें उसकी फूली हुई चूत उभरी हुयी दिख रही थी जो कि पूरी तरह से उसके कामरस से भीग कर गीली हो गयी थी।


उसने अपनी दोनों टांगें आपस में कसकर भीच रखी थी।

और भले ही वो काफी गर्म हो गयी थी पर उसकी शर्म अभी तक खत्म नहीं हुई थी।


मैं अभी भी अपने कपड़ों में था।

और जब मुझे इस बात का खयाल आया तो मैंने बड़ी तेजी से अपने सारे कपड़े उतार कर इधर उधर फेंक दिये कि ताकि हम दोनों एक जैसी अवस्था में आ जाएं।


मैं उसकी मांसल जाँघें चूमते हुए उसकी चूत के ऊपर अपनी गर्म सांसें छोड़ रहा था।

उसकी आंखें बंद हो गयी थी और वो आनन्द के सागर में डूबी हुई थी।


मैं धीरे से ऊपर आया और उसके कानों में आहिस्ता से बोला- अब आगे बढ़ें जान!

उसने अपनी आँखे खोली और आंखों ही आंखों में अपनी सहमति मुझे दे दी।


मैंने अपने दोनों हाथ की उंगलियाँ उसकी कमर से खिसकाते हुए उसकी पैंटी में फंसाई और आगे के हिस्से को अपने दांतो से दबाते हुए उसकी पैंटी को नीचे खिसकाते हुए उसके तन से जुदा कर दी।


उसकी चूत गुलाबी सी थी और ऐसा लग रहा था जैसे बहुत कम ही चुदी है।

मैंने बोला- तुम्हारी चूत तुम्हारी तरह ही प्यारी है।

वो यह सुनकर शरमा गयी।


इसके बाद मैंने बड़े प्यार से उसकी चूत को चूमा और अपनी झीभ लगाकर बडे प्यार से उसे चोदने लगा और अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल कर उसके खुरदुरे हिस्से को सहलाने लगा।


वह कुछ देर बाद उसकी कमर में हरकत आ गयी।

मैं समझ गया कि अब चुदाई का वक्त आ गया है।


मैंने अपनी अंडरवीयर उतार कर साइड में रखा और मेरा लंड किसी रॉड की तरह सख़्त हो चुका था क्योंकि अभी तक चुदाई के इंतज़ार में एक-एक पल गिन रहा था।


मैंने दो तकिया उठा कर श्रुति की कमर के नीचे लगा दीं और उसकी दोनों टांगों को उठाकर अपने कंधे पर रखकर अपना लंड उसकी चूत के मुहाने में रख कर धीरे-धीरे रगड़ने लगा.

और फिर धीरे धीरे उसकी चूत में डालने लगा।


शादीशुदा होने के बावजूद भी उसकी चूत काफी कसी हुई थी।

जैसे ही मैंने थोड़ा सा लंड उसकी चूत में डाला उसकी आंखें खुल गयीं और वो मेरी तरफ बड़े प्यार भरी निगाहों से देखने लगी।


मैंने उसको तसल्ली दी और एक झटके के साथ लंड उसकी चूत में उतार दिया उसकी हल्की सी आह निकल गयी।

फिर मैंने श्रुति को धीरे-धीरे चोदना चालू कर दिया और जल्दी ही अपनी स्पीड बढ़ाने लगा।


मेरे हर झटके के साथ उसकी आहें निकल रही थीं और वह अपनी कमर हिला हिला कर लंड अपने अंदर ले रही थी।


अब हमारी धकापेल चुदाई का दौर शुरू हो गया था।

मैं पूरे जोश में उसे चोद रहा था और मेरे दोनों हाथ उसको मम्मों का मर्दन कर रहे थे।

साथ ही उसे बीच बीच में झुक कर उसके होंठों को चूमता जा रहा था।


मेरा लंड पूरी रफ्तार से श्रुति की प्यारी सी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था और उसी के साथ श्रुति की आहें भी तेज़ होती जा रही थी।


कुछ देर में श्रुति थरथराते हुए मेरे लंड पर झड़ गयी और मुझे कस कर जकड़ लिया।

मैंने उसे तेजी से चोदना जारी रखा और अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक उतार कर अपना पूरा गाढ़ा माल उसकी चूत की गहराइयों में भर दिया और उसके ऊपर ही लेट गया।


पहले ही राउंड में श्रुति के चेहरे पर संतुष्टि के पूर्ण भाव दिख रहे थे।

उसके बाद मैं उसे अपनी बाहों में लेकर काफी देर तक चूमता और सहलाता रहा।


श्रुति अभी भी मेरे साथ बेड पर नंगी पड़ी थी उसके नंगे जिस्म को देख कर एक बार फिर मेरा मूड बन गया और मेरा लंड उठकर फिर से सलामी देने लगा।


मैंने श्रुति को पकड़ा और चूमने लगा और लंड डालकर फिर से चोदना शुरू कर दिया।

श्रुति जोर जोर से आहें भर रही थी- उई मां आहह … आह!


मैंने अपना लंड श्रुति की चूत से बाहर निकाला तो वह बड़े प्यार से मेरे लंड को निहारने लगी.

मेरा लौड़ा अभी भी तना हुआ था।


मैंने उसको घुमा कर घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया।


उसकी गांड भी उसके शरीर के बाकी अंगों की तरह एकदम गोरी और देखने में स्ट्राबेरी के शेप जैसी लग रही थी।


उसकी गांड का छोटा सा सुर्ख लाल छेद देखकर मेरा मन मचल गया।


पीछे से उसकी चूत मारते हुये मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी जिससे वो सिहर सी गयी क्योंकि शायद उसको इस बात का अंदाज़ा भी नहीं रहा होगा कि मैं ऐसा कुछ करने वाला हूँ।


मैंने अपनी उंगली निकाल कर उसकी गांड को थपथपाया और चोदना जारी रखा।


फिर मैंने उस से पूछा- कोई ऑयल है क्या?

उसने बोला- किचेन में रखा होगा।


वो समझ गयी थी कि मैं उसकी गांड देख कर फिदा हो गया हूँ.

तो उसने बोला- मैंने कभी गांड में लंड नहीं लिया, अभी पीछे से मत करो प्लीज! मेरी सहेलियों ने बताया था कि पीछे से बहुत दर्द होता है।


मैंने बोला- कुछ नहीं होगा बेबी! बस शुरू में थोड़ा दर्द होता है पर बाद में मजा आएगा।


थोड़ा मनाने के बाद वो राज़ी हो गयी और बोली- मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, तुम मुझे कोई भी तकलीफ नहीं होने दोगे।


मुझे उसकी इस बात पर बहुत X प्यार आ रहा था, मैं बोला- बिल्कुल जान, मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूंगा।


फिर मैं जल्दी से किचन की तरफ गया तो मुझे वहाँ ऑलिव ऑयल की बॉटल दिखाई दी।

मैं बिना देरी किये उसे उठाकर सीधे श्रुति के पास वापस आ गया।


मैंने खूब सारा तेल उसकी गांड में डाला जो बह कर उसकी चूत तक चला गया।

मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में डाला और मस्ती के साथ चोदने लगा और अपनी एक उंगली उसकी गांड में डालकर अंदर बाहर करने लगा।


जब थोड़ी जगह बन गयी तो मैंने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी उसकी गांड में डाल दी और अपनी दोनों उंगलियों से उसकी गांड चोदने लगा।


जब मुझे लगा कि अब उसकी गांड मेरा लंड ले सकती है तो मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर अपने लंड पर भी थोड़ा तेल डाला और धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद में डालने लगा।


मेरा लंड फिसलते हुए उसकी गांड में चला गया।

उसकी एक ज़ोरदार आह निकली और वह फड़फड़ाने लगी।


मैं उसे अपने नीचे दबा कर लेट गया और किस करने लगा फिर धीरे धीरे से लंड को अंदर बाहर करने लगा और एक हाथ से उसकी चूत भी सहलाने लगा।


कुछ देर बाद उसके मुँह से मादक आवाज़ें निकालने लगी तो मैंने अपने धक्के तेज़ कर दिये।


श्रुति- आआआ आह जान … थोड़ा धीरे करो दर्द हो रहा है!


कुछ देर आराम से उसकी गांड मारने के बाद मैं जोर-जोर से अपना लंड उसकी गांड में पेलने लगा।


मैंने बोला- जान मजा आ रहा है ना!

श्रुति बोली- आह! तुम बहुत दुष्ट हो। आह! माने नहीं, आखिरकार मेरी गांड भी फाड़ ही दी … आह एयेए!


लगभग दस मिनट तक जमकर गांड मारने के बाद मैं श्रुति की गांड में ही झड़ गया।

और जब मेरा पूरा लंड उसकी गांड में खाली हो गया, मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाला और उसके साथ लेट गया।


कुछ देर तक हम एक दूसरे की बाहों में वैसे ही नंगे पड़े रहे।


और फिर मैंने उस से कहा- चलो साथ में नहाते हैं।


हम दोनों शावर के नीचे खड़े हो गये और खूब सारा शावर जेल डाल कर एक दूसरे को अच्छे से साफ किया।


और देखते ही देखते मेरा लंड एक बार फिर से तन गया।

मैंने श्रुति को लंड चूसने को बोला।


श्रुति वहीं घुटनों के बल बैठ गयी और मेरा लंड अच्छे से साफ करके अपनी जीभ उस पर फिराने लगी।

मेरा लंड का आगे का हिस्सा काफी बड़ा है तो वो मेरा लंड मुँह में नहीं ले पा रही थी।


मैंने बोला- तुमसे जितना हो सके उतना ही करो।


उसने मेरे लंड को धीरे-धीरे चूसना शुरू कर दिया और कभी पकड़कर अपने हाथों से हिलाने लगती.

और जब वो थक गयी तो कहने लगी- जान! अब चूत में डाल के कर लो। मुझे लंड चूसने की आदत नहीं है।


उसकी हाइट मुझसे काफी कम थी तो मैंने उसे दीवार से सटा कर आगे की तरफ झुका दिया और पीछे से अपना लंड डाल कर चोदने लगा।


इतनी नॉन स्टॉप चुदाई के बाद मैं भी थोड़ा थक गया था।

पर शॉवर की वजह से काफी फ्रेशनेस भी महसूस हो रही थी।


फिर मैं कमोड पर बैठ गया और उसकी दोनों टांगे खोलकर अपनी गोद में बिठा लिया।


श्रुति अब बड़े आराम से चुदवा रही थी और लगातार मुझे किस किये जा रही थी।

हम दोनों एक लय में चुदाई कर रहे थे और इस बार एक साथ ही झड़ गये।


इसके बाद हम एक बार फिर नहाये और नहाने के बाद मैंने अपने हाथों से उसे सारे कपड़े पहनाये और बोला- जान, अब तुम आराम कर लो।


उसने मुझे कसकर गले लगा लिया फिर मैं वापस अपने फ्लैट में आ गया।


हमारी चुदाई कई महीनों तक चली और वो हम दोनों के जीवन के बेहद यादगार पल थे।


हम दोनों एक दूसरे के साथ बिताये हुए पलों के लिये बेहद खुश थे इसलिए किसी को कोई मलाल नहीं था।


उसके बाद जॉब के सिलसिले में मैं दूसरी जगह शिफ्ट हो गया और हमने आपसी सहमति से अपने दायरे भी सीमित कर लिये.

और आज भी अच्छे दोस्तों की तरह एक दूसरे के साथ हैं।


क्योंकि बेशक हमारे बीच सब कुछ बेहद रोमांचक था, पर मैं उसकी निजी जिंदगी में किसी तरह की खलल नहीं डालना चाहता था।


आशा करता हूँ आपको मेरी Desi Sex Kahani जरूर पसंद आई होगी।


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मुझे आप सभी के संदेश का इंतजार रहेगा।

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Guest
Feb 22
Rated 4 out of 5 stars.

good sensible story

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