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दिल्ली की लॉज में गांड चुदाई - Gay Sex Stories

दोस्तो, यह बात तब की है. जब मैं अपनी क्लासेस जॉइन करने के लिए ट्रेन से पानीपत से रोजाना दिल्ली आता जाता था.

उस वक्त मेरी उम्र 19 साल थी और मैं बहुत स्लिम था.

मेरी कमर 28 इंच और गांड 36 थी, मेरे शरीर पर बाल भी नहीं आते थे और बिल्कुल हल्की नर्म सी मूछें आती थीं. उन्हें भी मैं छंटवा लेता था.


मेरे होंठ बिल्कुल लाल गुलाब की पंखुड़ियों जैसे थे. मेरी स्किन बहुत ज़्यादा सॉफ्ट थी, बिल्कुल चीज के जैसे.

एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरी जिंदगी ही बदल दी और मेरा अपने आप को और अपने आस पास की दुनिया को देखने का नज़रिया ही बदल गया.


उस दिन टीचर ने हमारी एक्स्ट्रा क्लासेस लेनी शुरू की थी.

अमूमन मैं रात की 8 बजे वाली ट्रेन से घर के लिए निकल जाता था पर उस दिन वक्त का पता ही नहीं चला और मैं बहुत लेट हो गया.

मेरी आखिरी ट्रेन भी छूट गई.


मैं बस स्टैंड भी नहीं जा सकता था क्योंकि 10 बजे के बाद बस मिलने के चांस बहुत कम थे.

मैं बैठा बैठा सोच ही रहा था कि क्या किया जाए कि तभी मेरी ही उम्र का एक लड़का, जिसे मैं रोज़ उसी ट्रेन में देखता था, वह मेरे पास आया.


वह बोला- क्या तुम्हारी भी ट्रेन छूट गई?

मैंने कुछ नहीं कहा क्योंकि मैं अजनबी लोगों से ज्यादा बात नहीं करता.


पर वह वहीं खड़ा रहा.

बाद में मैंने हां में सिर हिला दिया.


उस लड़के के बारे में बता दूं कि वह लड़का 5 फुट 6 इंच लंबा था यानि की मुझसे 2 इंच छोटा.

उसका रंग गेहुंआ था, नैन नक्श तीखे थे और आवाज़ बहुत मीठी थी … जैसी लड़कियों की होती है.


वह बहुत थोड़ा सा मुँह खोल कर बोलता था और बिल्कुल इठलाता हुआ वैसे ही चलता था, जैसे लड़कियां चलती हैं.

यह बॉय गाड सेक्स कहानी इसी लड़के के साथ की है.


वह बोला- मुझे यहां पास में दरियागंज में एक लॉज का पता है, वह सस्ता भी है. अगर तुम्हारा कोई रिश्तेदार यहां नहीं रहता है, तो हम दोनों एक ही रूम ले लेंगे. बस रात ही तो गुज़ारनी है.


मुझे उसकी सलाह सही लगी क्योंकि मेरी जान पहचान का कोई भी दिल्ली में नहीं रहता था जिसके घर जाकर मैं रात बिता सकूं.


मैंने घर पर फोन करके बता दिया.

घर वालों ने अपना ध्यान रखने को कहा.


वह दिसंबर का महीना था और उस दिन बेमौसम बरसात भी हुई थी.


हम दोनों वहां से दरियागंज के लिए पैदल ही निकल गए और हमने एक अच्छी सी लॉज में एक रूम ले लिया.


अब हम एक ही डबल बेड पर थे और कंबल भी बहुत गर्म नहीं था पर मजबूरी में हम क्या ही कर सकते थे.


रात को मुझे बहुत ठंड लगने लगी और मेरे होंठ कांपने लगे.


उसने मुझे ऐसे देखा तो जल्दी से मुझसे चिपक गया.

मुझे कुछ भी अजीब नहीं लगा.


वह मेरी हथेलियां भी रगड़ रहा था.

मैं समझ गया कि वह बस मुझे ठंड लगने से बचाना चाहता है.


थोड़ी ही देर में मेरे शरीर में गर्मी आ गई और मेरे होंठ भी कांपने बंद हो गए, पर वह मुझसे चिपका रहा और मुझे और कसके जकड़ने लगा.


फिर अचानक उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

उसके होंठ बहुत नर्म और नम थे जैसे ताज़ा मक्खन.


मैंने अपनी जीभ से उसके निचले होंठ को छुआ तो उसने भी अपनी जीभ से मेरी जीभ को छुआ.


मेरे अन्दर जैसे करंट दौड़ गया और मैं उसके होंठों को चूसने लगा. वह भी मेरे होंठों को!


ऐसे हम एक दूसरे को 10 मिनट तक चूमते रहे.


चूमते चूमते ही उसने अपना हाथ मेरी टी-शर्ट में डाला और मेरे एक निप्पल से खेलने लगा.


मैं भी अपना हाथ उसकी टी-शर्ट में डाल कर उसकी पीठ और कमर पर फिराने लगा और हल्के हल्के उसे नाखून से टच करने लगा.

क्योंकि मैंने सुना था कि इससे सेक्स करने का मन करता है.


उसने भी अपना हाथ मेरी जींस में डाला और मेरे लंड से खेलने लगा.


वह कभी टोपा निकाल कर उसमें उंगली लगाता तो कभी मेरे टट्टे सहलाता.


लंड से खेल कर उसने अपनी उंगली मेरे मुँह में डाली तो मुझे घिन आने लगी.


फिर उसने उंगली अपने मुँह में डाली और मेरे लंड पर लगा कर फिर से अपनी उंगली चूसी.


अब उसने अपनी जीभ अपने मुँह से निकाली और मुझसे मेरी जीभ निकलने को कहा.


मैंने अपनी जीभ निकाली तो उसने मेरी जीभ पर अपनी जीभ रख दी.


अब मुझे बहुत मजा आ रहा था.


वह अपनी जीभ मेरी जीभ के चारों ओर चला रहा था और जीभ को चूस भी रहा था.

फिर हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसने लगे.


आप सब पाठकों को मैं बताना भूल गया कि उसकी दाढ़ी मूंछ भी नहीं आई थी उसकी ठोड़ी और होंठों के ऊपर भी बिल्कुल बाल नहीं थे.


मैं उसकी ठोड़ी और होंठ भी चूस रहा था और वह बस आंखें बंद कर सब कुछ बड़े प्यार से करवा रहा था.

मैंने उसके होंठ, माथा, जीभ सब अच्छे से चाटा.


उसका हाथ अभी भी मेरे लंड से खेल रहा था.

अब मैंने अपना हाथ उसकी जींस में डाला और उसकी गांड को सहलाने लगा.


उसकी गांड बहुत चिकनी थी.


वह मुझसे बोला- उंगली डालो ना अन्दर … ऐसे ही सहलाते रहोगे क्या?


मैंने हाथ उसकी जींस से बाहर निकाला और अपनी दो उंगलियां उसके मुँह में डाल दीं.

वह मेरी उंगली लंड की तरह चूस रहा था और ऊंह-आह की आवाज़ भी निकाल रहा था.


मैं भी उसका साथ देने लगा और सिसकारियां लेने लगा.


उसने मेरी उंगली चूस कर पूरी गीली कर दी.

मैंने भी अपनी उंगली चूसनी शुरू की.


अब वह मेरी आंखों में देख रहा था और मैं बस उंगली चूसे जा रहा था.

मेरी उंगली कभी उसके मुँह में तो कभी मेरे मुँह में जा रही थी.


फिर उसने अपनी जींस उतार कर कंबल से बाहर फेंक दी और मेरा हाथ अपने अंडरवियर के ऊपर रख दिया.

मुझे भी जोश आया और मैंने अपनी टी-शर्ट उतार कर कंबल से बाहर फेंक दी.


अब मेरी टी-शर्ट उसकी जींस के ऊपर थी.

मैंने उसका लंड उसके अंडरवियर से हल्के से बाहर निकाला और उसके लंड से खेलने लगा.


उसका लंड बहुत मोटा नहीं था पर बिल्कुल तन चुका था और मैं बस उसके लंड को आगे पीछे कर रहा था.

उसने मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और मेरी ठोड़ी और गले को चाटने लगा.


फिर मैं धीरे धीरे नीचे आ गया.


उसके होंठ मेरे निप्पल चूस रहे थे और मेरी उंगली उसकी गांड में अन्दर बाहर हो रही थी.

मैं अपनी उंगली कभी उसके मुँह में तो कभी उसकी गांड में डाल रहा था.


वह मेरे निप्पल चूस रहा था और ऊंह-आह की आवाज़ भी कर रहा था.


ये सब हरकतें माहौल को बहुत ज्यादा रूमानी बना रही थीं.


फिर वह धीरे धीरे मेरे सीने को चाटने लगा और वह हौले से मेरे एक निप्पल को अपने दांतों से काटने लगा.

यह बात मुझे बेहद मजा दे रही थी.


वह मेरे सीने, कंधे, गर्दन सब जगह चाट रहा था और उसकी जीभ मेरे जिस्म पर मुझे ऐसे लग रही थी, जैसे फूलों पर सुबह की ओस अठखेलियां करती है.


फिर उसने अपने बैग से कैडबरी की डेरी मिल्क सिल्क चॉकलेट निकाली.


मैं बस देख रहा था और सोच रहा था कि इसे अचानक अब चॉकलेट खाना क्यों याद आ गया.


उसने चॉकलेट का एक टुकड़ा अपने मुँह में लिया और मेरे मुँह के साथ लगा दिया.

मैंने अपने दातों से टुकड़ा तोड़ा और उसे खाने लगा.


उसने मेरे गाल पर एक चपत लगा दी और मुझसे कहा- आराम से खाओ और अभी खत्म भी नहीं करनी है.


अब उसने अपने मुँह में टुकड़ा लिया और खाने लगा.

फिर उसने चॉकलेट अपनी जीभ से मेरे होठों पर लगा दी और मेरे होंठ चूसने लगा.


मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया था.


मुझे यह अंदाज़ बहुत पसंद आया.

फिर मैंने भी मेरे मुँह वाली चॉकलेट अपनी जीभ से उसके होंठों पर लगाई तो उसने अपने होंठ मेरे गाल, गर्दन और माथे पर लगा दिए और चाटने लगा.


मैं तो जैसे पागल हो गया और उसे पकड़ कर मैंने उसके होंठों को काट लिया.

उसने भी मेरे होठों को काट लिया.


हमें इस बात का भी ध्यान रखना था कि हमारे जिस्म पर कोई लव बाइट का निशान न बने.

यही बात ध्यान में रखते हुए हमने एक दूसरे को काटना बंद कर दिया.


उसने मुझे जोर से एक किस किया और मेरे कानों पर और आस पास अपनी जीभ से हरकत करने लगा.


मैंने ब्लू फिल्म में ऐसा देखा था, पर मुझे नहीं पता था कि ये सब बहुत ज्यादा सेक्स की इच्छा को बढ़ा देता है.


उसने मेरी जींस उतार कर फेंक दी.

मेरा अंडरवियर अपने दांतों से नीचे किया और मेरा लंड चूसने लगा.


मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

मैं उसका सिर दबा रहा था और कह रहा था ‘आह करो, बस ऐसे ही चूसते रहो.’


उसने मेरे टट्टे भी मुँह में लिए और चूसने लगा.


फिर उसने मेरी टांगें उठा कर हवा में कर दी और मेरी गांड चाटने लगा.


उस वक्त तो जैसे मैं सातवें आसमान पर पहुंच गया था.

वह मेरी कसी हुई गांड चाटे जा रहा था और उसमें उंगली भी कर रहा था.


कभी वह मेरा छेद चाटता तो कभी अन्दर जीभ डालता.

जो कुछ भी हो रहा था, वह सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.


उसने मुझसे कहा- कुछ और भी करना है या नहीं?

मैंने कहा- जो मन है, कर लो.


उसने मुझे सीधा लिटाया और आकर मेरे सीने पर बैठ गया.


उसका लंड बहुत बड़ा नहीं था पर बिल्कुल गोरा था और उसका टोपा उस हल्की रोशनी में भी चमक रहा था.

मैंने फट से उसका लंड मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा.


तभी मुझे पता लगा कि उसे भी मजा आ रहा है क्योंकि जब मैं उसका लंड चूस रहा था, तो वह सी-सी की आवाज़ कर रहा था.


मैंने उसका लंड पूरी तरह भिगो दिया और लाल कर दिया.

पर मेरा मन अब भी नहीं भरा था और मैं अभी उसे और चूसना चाहता था.


मैं जानता था कि इतना हसीन लड़का मुझे फिर से नहीं मिलने वाला.


मैंने उसे बेड पर ही खड़ा किया और उसका लंड चाटने लगा.


इस बार मैं उसके लंड को चूस नहीं रहा था, क्योंकि ज़्यादा दबाव पड़ने पर उसका रस छूट भी सकता था … जो मैं नहीं चाहता था.


वह भी मेरी मंशा समझ गया था कि मैं उसका लंड अपने अन्दर लेना चाहता हूं.


कुछ देर में हम दोनों तैयार थे, वह मुझे चोदने के लिए उत्सुक था और मैं चुदने के लिए.


वह बैठ गया.

उसने एक बार मेरे होंठों को चूसा और मुझे उल्टा लिटा दिया.


अब सबसे पहले उसने मेरी गांड चाटी और अपने लंड का टोपा मेरी गांड के छेद पर रख कर बड़ी सावधानी से धीरे-धीरे अन्दर डालने लगा.


मैंने कहा कि मेरे बैग में वैसलीन रखी है. उसे निकाल कर मेरी गांड में लगा लो तो दोनों को दर्द कम होगा.


उसे मेरी सलाह अच्छी लगी और मेरे बैग से वैसलीन निकाल कर अपनी उंगली पर ढेर सारी लगा ली, फिर बेदर्दी से मेरी गांड में घुसा दी.

मुझे एक साथ गर्म और सर्द दोनों अहसास हुए.


फिर उसने बड़ी बेरहमी से अपना लंड मेरी गांड में एक ही बार में पेल दिया.


मेरी तो चीख ही निकल गई और उसके दर्द का अंदाज़ा मुझे उसकी आह की आवाज़ से हो गया.


अब वह मुझे जोर जोर से चोदने लगा और सर्द रात में वह अंधेरा कमरा हमारी सिसकियों और गर्म आहों से गूंज रहा था.


हम दोनों की जिंदगी की शायद वह सबसे हसीन रात थी और हम दोनों में से कोई नहीं चाहता था कि यह रात कभी खत्म हो.


अब उसके धक्के और तेज होते जा रहे थे और मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा था.


उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और उसका हसीन लंड मेरी गांड में था.


उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन को छू रही थीं.


मैंने मजा लेना शुरू ही किया था कि तभी वह निढाल हो कर मेरे ऊपर लेट गया और मेरी गांड में मैंने उसके प्यार का तोहफ़ा महसूस किया.


वह कुछ देर ऐसे ही बिना कुछ बोले मेरे ऊपर लेटा रहा.

मैं खुद भी इतनी जल्दी उससे जुदाई नहीं चाहता था.


फिर उसने मेरे कान में हौले से कहा- जान अब उठें?


हम दोनों ही उठे एक दूसरे को बाथरूम में जाकर साफ़ किया.


अगली सुबह फिर से मिलने का वादा करके एक दूसरे के होंठों पर प्यार के दस्तखत दिए और अपनी अपनी मंज़िल को निकल पड़े.


अगली बार आपसे ऐसा ही कोई किस्सा बांटने का वादा करते हुए मैं आपका दोस्त गौरव, अब आपसे विदा लेता हूं.

मेरी Gay Sex Stories कैसी लगी?

गौरव अरोरा

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