मेरा नाम मुकेश है। इससे पहले की सेक्स कहानी बेटे ने मजदूर माँ को मालिक से चुदती देखा में आपने पढ़ा था कि मां से मुजे सेक्स का बहुत सुख मिला. माँ भी अब अपने पति से कम और मुजसे ज्यादा चुदने लगी थी.
अब इससे आगे कहानी का मजा लें.
मैं रोजगार के लिए मुंबई के लिए निकल गया.मुंबई आकर मैंने दोस्त को फोन किया.
मेरा दोस्त मुजे लेने गया और घर ले आया.
मेरे दस्त का नाम आदिल था, उसके घर में उसकी बीवी थी.उसकी बीवी का नाम बुशरा था.
उनकी शादी हुए 2 साल ही हुए थे.
मुझको आदिल ने कुछ दिन अपने घर रखा.
आदिल की बीवी बुशरा दिखने में सुंदरता की मूरत थी.उसकी आंखें बड़ी ही कातिल थीं, कोई देखे तो दीवाना हो जाए.
बुशरा खुद भी कामातुर रहने वाली स्त्री थी.उसकी कामोत्तेजना बहुत ज्यादा थी.
आदिल उसकी वासना को पूरा ही नहीं कर पाता था.वह एक दुबला पतला इन्सान था.उसे सेक्स में ज्यादा रुचि नहीं थी.
जब आदिल ने मुजसे अपने बीवी का परिचय कराया, तो हमने एक दूसरे को नमस्ते की.
उस दिन सब सामान्य था.दूसरे दिन आदिल उठ कर काम पर जाने लगा.
जाते जाते वह मुजसे बोला- आज मैं तेरे लिए काम का बंदोबस्त करता हूँ.फिर वह चला गया.
मैं नहा धोकर फ्रेश हो गया.बुशरा ने मुजे चाय नाश्ता दिया.
उसने खुद भी एक कप चाय ली और हम दोनों सामने सामने बैठ कर बातें करते हुए चाय पीने लगे.
बुशरा बोली- मुकेश जी, मैं आपको क्या कह कर पुकारूँ? मुकेश कहूँ या मुकेश जी … या कुछ और!
इस पर मैंने बोला- आप मेरी भाभी हैं, कुछ भी बुलाइए.
बुशरा मुस्कुरा दी.
फिर जब मैंने बुशरा के बनाये नाश्ते की तारीफ की, तो बुशरा को बड़ा अच्छा लगा.
मैं बोला- भाभी जी, आपने नाश्ता बहुत लजीज बनाया है. आपके हाथों में जादू है. जी करता है आपके हाथ चूम …यह कहते कहते मैं
अचानक से चुप हो गया.
बुशरा बोली- बोलिए ना मुकेश … जी … आप चुप क्यों हो गए? मुझे अच्छा लगेगा अगर कोई मेरी तारीफ करे तो!
तब मैं बोला- भाभी, नाश्ता अच्छा बना था.
बुशरा इठला कर बोली- ऐसे नहीं, जैसे पहले बोले … वह पूरा करो न … मुझे अच्छा लगेगा!
तब मैं बोला- भाभी नाश्ता इतना अच्छा बना है कि दिल करता है कि आपके हाथ चूम लूँ! ये सुनते ही बुशरा ने अपना हाथ आगे किया और बोली- लो कर लो अपनी हसरत पूरी.
यह देख कर मैं शर्माया और बोला- भाभी, आप मजाक कर रही हैं!तो बुशरा बोली- नहीं, हमें भी अच्छा लगेगा … अगर कोई हमारी तारीफ करता है तो … हमें इनाम देता है तो … और हमारा हाथ चूमना, हमें हमारी तारीफ ही लगेगी.
यह कह कर बुशरा ने फिर से अपना हाथ आगे कर दिया.इस बार मैंने बुशरा का हाथ थामा और बड़ी नजाकत से उसे चूमा.
कुछ देर तक मैं ने अपने होंठ उसके हाथ पर ही चिपकाये रखे.
फिर हाथ को आहिस्ता से छोड़ कर बुशरा की ओर देखा.बुशरा शर्मा रही थी.
मैं बोला- भाभी, आप अप्सरा जैसी सुंदर हो. काश आप मेरी दुल्हन होतीं!
इस पर बुशरा वासना से बोली- तो क्या करते?उस पर मैंबोला- मैं आपको जम कर …
वह बोलता बोलता पुनः रुक गया.इस पर भाभी बोली- क्या … बोलो न?
इस पर मैं बोला- जाने दो भाभी!उन दोनों की बात वहीं रुक गयी.
सारे दिन मैं और बुशरा एक दूसरे को देखते और आहें भरते रहे.
एक दो बार तो बुशरा ने खुद ही झुक कर अपने चूचों के दर्शन करा दिए.पर मैंने उसे चोदने की पहल नहीं की.
शाम हुई तो आदिल घर आया.
उसने आते ही खुश खबरी दी कि उसने मेरे तेरे काम का बंदोबस्त कर दिया है. कल तुझे मेरे साथ चलना है.
मैं और बुशरा दोनों खुश हो गए.
फिर रात का खाना खाकर सोने की तैयारी में लग गए.
मुंबई में आदिल का घर छोटा था, तो एक साथ सबका बिस्तर लग गया.दीवार की तरफ बुशरा लेट गई, फिर आदिल, उसके बाद मैं.
तीनों लोग आपस में बातें करते करते सो गए.
रात को बुशरा का मन हुआ, तो उसने आदिल को सहलाया.उसके लंड को पकड़ कर खड़ा कर दिया.
आदिल ने देखा तो मैं सो रहा था.तब आदिल ने बुशरा की चोली में हाथ डाल कर उसके चूचे सहलाये.
फिर उसकी साड़ी ऊपर करके खुद उसके ऊपर चढ़ गया.ऊपर आकर उसने बुशरा को अपने नीचे सैट कर लिया और चुदाई आरंभ करने से पहले आदिल ने एक नजर मेरे ऊपर डाली.
मैं सोने का नाटक कर रहा था.
आदिल ने अपना लंड बुशरा की चूत में डाला और उसको चोदने लगा.
अभी 5 मिनट ही हुए थे कि आदिल का पानी निकल गया और आदिल बुशरा के ऊपर ढेर हो गया.
बुशरा ने उस बाजू में धकेल दिया.वह अपने शौहर से नाराज थी क्योंकि उसकी चुदाई अधूरी रह गयी थी; उसका का मन नहीं भरा था.
एक तो वह सुबह से मुजको ललचा रही थी, तो उसका तापमान बढ़ गया था.
बुशरा उठ कर बाथरूम में जाकर साफ सफाई करके आ गयी.
तब तक आदिल नंगा ही उसकी जगह पर चला गया.काम पर थकान के कारण और झड़ने से उसे तुरंत नींद लग गयी.
बुशरा ने अब मुझको देखा.मुकेश अभी भी सोने का नाटक कर रहा था.बुशरा दोनों के बीच में जाकर बैठ गयी.
उसने फिर से मुझको देखा और वह मुजे सहलाने लगी.उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया और वह चड्डी के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी.
मेरा लंड तो दोनों की चुदाई देख कर पहले से ही खड़ा था.
मेरे लंड का आकार देख कर बुशरा का मन ललचाने लगा.
बुशरा बिस्तर पर लेट गयी और उसने अपना मुँह आदिल की ओर कर दिया.उसका पिछवाड़ा मेरी ओर था.वह अपनी गांड मेरे लंड से चिपका कर सोने का नाटक कर रही थी.
ये देख कर मुजसे रहा नहीं गया.उसने अपना एक हाथ बुशरा की कमर पर रख उसे अपने सीने से चिपका लिया.बुशरा मन ही मन चहक उठी.
मैंने बुशरा के चूचों पर हाथ रखा और वह बुशरा की चोली के ऊपर से ही दूध दबाने लगा.बुशरा शांत लेटी थी और अपने दूध दबवाने का मजा ले रही थी.
मैंने कुछ देर तक चूचे दबाने के बाद पीछे से बुशरा की चोली के हुक खोल दिए और बुशरा के चूचों को आजाद कर दिया.फिर मैंने अपने कठोर हाथों से बुशरा के चूचों को मसलने लगा.
बुशरा कसमसा उठी.चूंकि मेरे हाथ खेती में काम करते करते कठोर हो गए थे, बुशरा को इसी वजह से दर्द हो रहा था, पर उसे मेरे हाथों से अपने मम्मों का मर्दन करवाना अच्छा लग रहा था.
बुशरा का हाथ अपने आप मेरे हाथों पर आ गया. मेरा चूचों का दबाने का काम चालू था और नीचे उसका लंड बुशरा की गांड में घुसने को आतुर था.
मारे लंड से गांड की घिसाई से बुशरा को मीठा सा सुख मिल रहा था.
मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर बुशरा की साड़ी को खोल दिया, उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपने हाथों से उसकी साड़ी पेटीकोट को नीचे करने लगा.
अब तक बुशरा की चोली के खुक खुल चुके थे … मतलब चूचे नंगे थे और अब बुशरा की चूत और गांड भी नंगी हो चुकी थी. मैंने धीरे से अपने चड्डी को नीचे सरका दिया और अपने नागराज लंड को आजाद कर दिया.
अब मैंने बुशरा की कमर पकड़ ली और अपने लंड को उसकी गांड की दरार में घुसाने लगा.तभी बुशरा ने अपनी टांग थोड़ी खोल दीं, जिससे मेरा लंड टांगों की दरार में घुस गया.
अब मैंने उसकी चूत पर हाथ रख कर उसकी चूत की पंखुड़ियों को खोला और उसकी चूत के दाने को अपनी बीच की उंगली से घिसने लगा.बुशरा उसकी उंगली से होने वाले घर्षण से पिघलने लगी.
उसको ऐसी ही काम क्रीड़ा की इच्छा थी, पर आदिल कभी उसके इस अंग के साथ ऐसे खेला ही नहीं था.आज मैं ने उसकी दबी हुई इच्छा को जगा दिया था और वह उसकी चूत के साथ खेलने लगा था.
बुशरा अब खुल कर सिसकारने लगी.उसने अपने हाथ पीछे करके मेरे बालों में डाल दिए और उसके बालों को खींचने लगी.
मैंने अपनी एक उंगली से दाने को घिसते घिसते ही चूत के अन्दर सरका दी और उंगली को अन्दर बाहर करने लगा.इस हरकत से बुशरा अपनी कमर हिलाने लगी.
उसने अपना एक हाथ नीचे लाकर मेरे हाथ पर रख दिया और उसको दबाने लगी.दूसरे हाथ से वह मेरे बालों को खींचने लगी.
बुशरा की चूत कामरस छोड़ने लगी थी.उसकी महक पूरे कमरे में महकने लगी थी.
वह जैसे ही कमर हिलाती, मेरा लंड उसकी जांघों के बीच आगे पीछे होता.
दोनों हमले के हमले से बुशरा और ज्यादा कामुक हो गयी थी.
अब मैंने बुशरा के एक पैर को उठा लिया, ऐसा करने से बुशरा की चूत खुल गयी. मैंने चूत खुली महसूस की और अपने लंड को बुशरा की चूत के मुख पर रख दिया.
फिर उसने एक नजर आदिल के ऊपर घुमाई, आदिल घोर निद्रा में था.उसने बुशरा के चेहरे को अपनी ओर घुमाया, बुशरा ने आंखें बंद की हुई थीं.
मैंने बुशरा के होंठों को अपने होंठों में ले लिया और नीचे से एक धक्का लगाया तो पूरा लंड चूत की दीवारों को चीरता हुआ जड़ तक घुसता चला गया.
बुशरा ‘उम्ह म्ह्ह्म्ह …’ करती रह गयी. मैंने उसके होंठों को नहीं छोड़ा.
अब मुकेश पीछे से उसकी चूत को धकाधक पेलने लगा.उसका एक हाथ बुशरा के भरे हुए चूचों पर था, तो दूसरा हाथ चूत पर रखा हुआ था.वह बुशरा को धकापेल चोदे जा रहा था.
चूत का रस निकलने लगा था तो ठप ठप की आवाज गूंजने लगी थी.दोनों मस्ती में चुदाई का मजा ले रहे थे.
अभी कुछ पल ही हुए थे कि बुशरा थरथराने लगी.उसने अपने एक हाथ में चद्दर दबायी और दूसरे से मुकेश के सर के बाल पकड़ लिए.
वह आआआह की गूंज के साथ वह बहने लगी.अपनी चूत से पूरा पानी बह जाने के बाद वह शांत हो गई.
पर अभी चुदाई चालू थी और मुकेश के जोरदार धक्के चालू थे.
दोनों चुदाई में इतने ज्यादा मग्न थे कि कभी कभार उनका धक्का आदिल को भी लग जाता था और यह बात उन दोनों को मालूम ही नहीं हो रही थी.पर आदिल भी घोड़े बेच कर सो रहा था, तो कुछ भी खलल नहीं हुआ.
बुशरा का दूसरा राउंड चालू था.
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वह फिर से झड़ने को हुई.इस बार उसका हाथ अपनी चूत पर था, तो मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया था.
बुशरा ने अपने हाथ को और जोर से दबाया और झड़ने लगी.अब मैंने अपना लंड निकाल लिया.
बुशरा का तूफान शांत हो गया था.उसको लगा कि मेरा भी हो गया है.
पर मैं ने बुशरा को सीधा कर दिया और उसके पैरों को ऊपर कर दिया.
इस बार बुशरा मुजे … और मैं प्यार से बुशरा को देख रहा था.मैं बुशरा की दोनों जांघों के बीच बैठ गया था और मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर एक ही धक्के में अन्दर उतार दिया.
इस बार बुशरा को दर्द हुआ क्योंकि मेरा लंड सीधा उसकी बच्चेदानी को ठोकर मार रहा था.पर उसने उसे नहीं रोका.
मैं पूरी रफ्तार के साथ बुशरा को चोद रहा था. हमारे मिलाप की खुशबू पूरे कमरे में फैल गयी थी.
आखिरकार मैं अपनी अंतिम स्थिति में आ गया और मेरा फव्वारा बुशरा की चूत में फूट पड़ा.
मेरे लंड ने बुशरा की चूत को लबालब भर दिया था. यह होते होते बुशरा का भी पानी पुनः बह गया.एक तूफान शांत हो गया था.
मैंने बुशरा के पैरों को छोड़ दिया.तब बुशरा ने पैर सीधे किए. मैं उसके ऊपर ही सो गया.
बुशरा ने मेरा भार बड़े प्यार से सह लिया.बुशरा ने मेरा पसीना अपनी साड़ी से पौंछा. मेरा लंड कुछ देर बाद खुद ही चूत से बाहर निकल आया.
आज बुशरा की चूत पहली बार लबालब भरी थी.बुशरा की चूत से खून भी निकला था, वह भी इस रस में मिला था.
बुशरा का शरीर, मन और कामाग्नि तीनों शांत हो गए थे. उसको जो चाहिए था, वह सब मेरे लंड से मिल गया था.
बुशरा ने मुजे किस किया और थैंक्यू बोला. मैंने भी बुशरा को किस किया.
आज मैं दोगुना खुश था. एक तो मेरी नौकरी लगी थी और दूसरा मुजे बुशरा जैसी औरत चोदने मिली थी.
मैं उठा और बाथरूम चला गया, उधर से साफ-सफाई करके मैं वापस आ गया.
बुशरा उस वक्त अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी.उसकी चूत से खून निकला था.
यह देख कर बुशरा भी दंग थी कि दो साल बाद भी चूत से खून निकला था.बुशरा बाथरूम में गई और साफ-सफाई करके आ गई.
फिर वे दोनों एक दूसरे की बांहों में समाने लगे. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. यहां बुशरा की चूत भी गीली होने लगी.
मैं ने इस बार बुशरा को अपने ऊपर ले लिया.बुशरा समझ गयी और उसने मेरा लंड अपने हाथों से अपनी चूत में डाल लिया और उसके ऊपर बैठने लगी.
आहिस्ता आहिस्ता पूरा लंड अपनी चूत के अन्दर लेने के बाद वह उस लंड पर कूदने लगी.
तब तक मैं उसके चूचे निचोड़ते रहा, दबाते रहा.फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसे चोदने लगा.
इस बार तो करीब 35 मिनट तक चुदाई चली थी.उस दरमियान बुशरा 2 बार और झड़ी थी.
फिर मैंने भी अपने लंड की पिचकारी बुशरा की चूत में मारी और पूरी चूत फिर से भर दी.
वापस साफ सफाई का दौर चला और तीसरा राउंड भी चला.
इस तरह से रात भर हम दोनों चुदाई करते रहे.सुबह होते ही बुशरा आदिल की ओर इशारा करती हुई बोली- अब बस … मेरा बदन दर्द कर रहा है और ये भी उठेंगे काम पर जाने के लिए … और आज तो आपको भी जाना है ना?
मैंने उसे छोड़ दिया.बुशरा ने साड़ी पहन ली और जगह छोड़ दी.
जाने से पहले उसने फिर से एक बार मुजे किस किया और नहाने चली गयी. मैं चुदाई में हुए थकान के मारे सो गया.
कुछ देर बाद आदिल जाग गया. वह बाहर आया और तैयारी करने में लग गया.
वह बुशरा से बोला- अरे बुशरा, मुकेश को जगाओ, वह सफर की थकान के मारे अब तक सो रहा है!
बुशरा मन में ही हंस पड़ी और बोली- हां ऐसा ही हुआ है शायद. मैं जगाती हूँ उन्हें!
फिर उसने मुजे जगाया.आदिल रोज की तरह दूध लाने जा रहा था.तब मैं नहाने जा रहा था.
आदिल बोला- तू तैयार हो जा, मैं आधा घंटा में दूध लेकर आता हूँ, फिर चाय पीकर साथ में निकलेंगे.
यह कह कर आदिल बाहर चला गया.बुशरा रोटियां सेंक रही थी. आदिल के जाते ही मैंने दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया और मैं रसोई में चला गया.
मैंने पीछे से बुशरा को अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा.
बुशरा बोली- अरे आपको काम पर जाना नहीं है क्या?तब मैं बोला- पहले मुझे ये बताओ कि मैं तुम्हें क्या कह कर पुकारूँ?
इस पर बुशरा हंस पड़ी और बोली- मुकेश, कल रात से मैं तुम्हारी बन गयी हूँ. अकेले में तुम्हें जो पसंद है, वह नाम मुझे दे दो. आज से मेरी लाईफ में आदिल के बाद तुम आए हो और मेरी अधूरी लाईफ तुमने पूरी कर दी है. कल रात मेरी असल में सुहागरात हुई है, कल मैं सही मायने में औरत बनी.
वह यह सब बोल ही रही थी कि तभी मैंने उसे उठा कर किचन की पट्टी पर बिठा दिया और उसके पैरों को अलग करके खुद बीच में खड़ा हो गया.उसके बाद उसने अपना टॉवेल निकाल कर अलग किया और अपना लंड सीधे उसकी चूत के मुँह पर लगा दिया,
मैंने बुशरा को अपने पास खींच कर गले से लगा लिया.ऐसा करने से उसका लंड बुशरा की चूत के अन्दर घुस गया.
मैंने अब बुशरा को अपने बदन पर खींच लिया और खड़े खड़े कमर पर उछाल उछाल कर उसकी चुदाई चालू कर दी.बुशरा के होंठों को किस करते हुए वह दनादन चोदने लगा.
कोई 15 मिनट बाद मैंने बुशरा की चूत में अपना वीर्य भर दिया और बुशरा को नीचे उतार कर मैं नहाने चला गया.
मेरे नहाकर आने तक बुशरा ने अपनी चूत भी साफ कर ली और उसके बाद आदिल आ चुका था.
फिर मैं भी तैयार हो गया और तीनों ने चाय पी और दोनों दोस्त काम पर निकल गए.
आप को मेरी यह कहानी कैसी लगी ये adm.kamvasna@gmail.com पर मेल करे। इसके बाद में मैंने ड्यूटी पे एक चोरनी की चूत मारी उसकी कहानी बताऊंगा।
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