नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम मानस है। एक पाठिका नफीसा अंसारी है और आज मैं आपको उसकी जिंदगी की एक सत्य सेक्स कहानी बताने जा रही हूँ जो उसने मुजे बताई है।
नफीसा अंसारी एक बिना माँ की पाली और पोसी हुई लड़की है.अभी हाल ही में वह अठारह साल की हो चुकी थी और उसे बड़ा करने में उसकी दादी का बहुत बड़ा योगदान था.
नफीसा का अब्बा तो वैसे उसका ध्यान रखता था पर अपने काम-काज के चलते वह बहुत कम घर पर आता.और नफीसा को भी अब इसकी आदत हो चुकी थी और वह अपनी दादी के साथ खुश थी.
पर अचानक पिछले साल ही उम्रदराज होने के कारण नफीसा की दादी परलोक सिधार गयी और अब सही मायने में नफीसा खुद को लावारिस महसूस करने लगी थी.
दादी के गुजरने के बाद कुछ दिन तो सब ठीक चल रहा था.पर एक दिन अचानक उसका अब्बा नफीसा के लिए एक नयी अम्मी लेकर आ गया और बेचारी नफीसा अपने अब्बा से जरा सा भी विरोध न कर सकी.
अपनी किस्मत को कोसते हुए नफीसा ने ये बात भी स्वीकार कर ली.
अगले ही दिन उसका अब्बा नफीसा की नयी अम्मी शीला को घर ले आ गया.
नफीसा ने जैसे ही अपनी नयी अम्मी का नाम सुना तो उसको बड़ा आश्चर्य हुआ कि कैसे उसके अब्बा ने एक गैर मजहब की औरत से निकाह कर लिया.पर घर में शांति बनी रहे इस उद्देश्य से उसने चुप्पी बना ली.
धीरे धीरे अब नफीसा अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गयी.अगर कोई खास काम हो या फिर बात करने की नौबत आ गयी हो, तभी वह शीला अम्मी से बात करती वरना शीला और उसका सम्भाषण बिल्कुल ना के बराबर था.
सच बात तो यह थी कि जब से शीला अम्मी घर आयी थी, उसी रात से ही नफीसा कुछ बैचेन और उदास सी रहने लगी थी.हर रात उसको अपने अब्बा के कमरे से सिसकारियां और चुदाई की आवाजें आती रहती थीं.
नफीसा अभी अभी जवान हुई थी.उसकी बिना चुदी चूत के कान, उन सिसकारियों की आवाज से खड़े होने लगे थे और चुदाई के एक अलग अनुभव के लिए नफीसा का बदन तपने लगा था.
कुछ दिन तो नफीसा ने बस उनकी आवाजें सुनी; पर अब तो हर रात को वह अपनी चूत को सहलाने लगी थी.
चुदाई की आवाजें सुनकर वह भी अपनी उंगलियों के सहारे अपनी चूत की हवस को बाहर निकाल देती.
कुछ दिनों तक तो उसने बस चुदाई की आवाजें सुनकर ही अपनी हवस को काबू करने की कोशिश की.पर अब नफीसा ये जानने के लिए उत्सुक थी कि ये चुदाई आखिर कैसे होती है.
आज तक नफीसा ने चुदाई का बस नाम ही सुना था, पर दादी के डर के कारण ना तो उसके कभी किसी लड़के से दोस्ती की … और ना ही कभी गन्दी लड़कियों की तरह कोई चुदाई की फिल्म देखी थी.
नफीसा ने अपना खाना खत्म किया था और बर्तन साफ़ करके वह अपने कमरे की तरफ जा ही रही थी कि उसके कानों में आज फिर से वही सिसकारियां पड़ीं.तो नफीसा के पैर वहीं के वहीं जम गए.
उसका मन तो कर रहा था कि वह चुपके से जाए और अपनी आंखों से पहली बार किसी का संभोग देखे.पर उसका दिमाग उसे ऐसे करने से रोक रहा था.
धीरे धीरे बढ़ती उन सिसकारियों ने नफीसा के जवान बदन को फिर से गर्म करना चालू किया … और बिना कुछ सोचे समझे वह अपने अब्बा के कमरे की ओर चलने लगी.
डरती हुई वह अब अपने अब्बा के कमरे के बाहर आकर खड़ी हुई.उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था.बदन तपने लगा था.
चुदाई की आवाजें अब साफ़ साफ़ उसके कानों पर नगाड़े की आवाज के जैसे पड़ रही थीं.
पर अचानक से उसे समझ में आया कि ये सिसकने की आवाजें किसी औरत की नहीं, बल्कि किसी मर्द की हैं.
और इस ख्याल से नफ़ीसा और आश्चर्य से कमरे के दरवाजे तक जा पहुंची.
जैसे ही उसने अपने कान दरवाज़े पर लगाए तो उसका शक अब यकीन में बदल गया कि अन्दर जरूर कुछ ऐसा हो रहा है … जो नहीं होना चाहिए.
पर इस यकीन के साथ साथ वह और उत्सुक हो गयी.अन्दर का नजारा देखने के लिए उसने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई और हल्के से दरवाजा धकेला.
लाल रंग की बत्ती में उसे कुछ ठीक से दिखाई तो नहीं दिया, पर उसकी नजरें इधर उधर घूमने लगीं.
अचानक उसे दो नंगे बदन एक दूसरे से चिपके हुए दिखाए दिए और उस नज़ारे को देख कर नफ़ीसा के पैरों के नीचे की ज़मीन ही ख़िसक गयी.कुछ पल में ही नफ़ीसा का बदन पसीना पसीना हो गया.
थरथर कांपती वह वहीं की वहीं जम गयी और देखने लगी कि कैसे उसकी आंखों के सामने उसके घर की इज्जत नीलाम हो रही थी.
अपने अब्बा की इस हरकत से उसे अपने अब्बा के प्रति एक नफ़रत सी होने लगी.
कुछ देर तक वह ऐसे ही आंखें फाड़ फाड़ कर अपने अब्बा की काली करतूतें देखती रही.पर वही काली करतूतें अब उसे एक अजीब सा नशा दिलाने लगी थीं.
नफ़ीसा देख रही थी कि कैसे उसका अब्बा मंसूर अपने ही घर में गांड झुकाकर लेटा हुआ है … और जिसे नफ़ीसा अब तक एक औरत समझ रही थी, वही औरत उसके अब्बा की गांड चोद रही थी.धीरे धीरे नफ़ीसा को अन्दर की सारी हरकतें साफ़ साफ़ नज़र आने लगीं.
चुदाई की आवाजें और गालियां उसके कानों से होती हुई नफ़ीसा की चूत की तरफ बढ़ने लगी थीं.
नफ़ीसा को आज पता चला कि उसकी अम्मी शीला कोई आम औरत नहीं बल्कि एक लिंगधारी महिला है जिन्हें आम जुबान में किन्नर Shemale कहा जाता है और वही किन्नर आज उसके अब्बा को किसी सड़कछाप लावारिस रंडी की तरह चोद रही थी.
तभी अचानक से शीला ने अपना लंड मंसूर की गांड से बाहर निकाला और वह चिल्लाकर बोली- साले हरामी की औलाद, मुँह खोल मादरचोद और चूस मेरा लौड़ा रंडी!
शीला ने मंसूर के बाल खींच कर अपना लंड उसके मुँह के सामने कर दिया.मंसूर ने भी फुर्ती से शीला का लंड अपने मुँह में भर लिया.
इसे देख कर तो नफ़ीसा को लगभग चक्कर ही आ गया कि कैसे उसका अब्बा ख़ुद की गांड से निकला हुआ लौड़ा मजे से चूस रहा था.धीरे धीरे नफ़ीसा को अपने अब्बा से नफ़रत होने लगी.
एक मर्द होकर ऐसी शर्मनाक हरकत करने वाले अपने बाप के प्रति अब उसको गुस्सा आने लगा था.
इधर शीला ने भी अपना पूरा लौड़ा मंसूर के गले तक घुसा दिया और जोर जोर से उसका मुँह चोदने लगी.मंसूर सच में किसी रंडी की तरह दिखाई दे रहा था.
नफ़ीसा को अब धीरे धीरे उस खेल का मज़ा आने लगा था.उसे लगने लगा कि ऐसे घिनौने इंसान के साथ ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए.
अपने अब्बू को रंडी की तरह लौड़ा चूसते देख कर नफीसा की हवस भी उफ़ान पर आ चुकी थी और उसका हाथ सलवार के अन्दर घुस कर चूत को मसलने लगा था.
कमरे में कम रोशनी की वजह से नफ़ीसा को अभी तक शीला का पूरा लंड दिखाई नहीं दे रहा था पर उसे एक चीज दिखाई दी और वह थी उसके अब्बा की मुरझाई हुई लुल्ली.
उसने अपनी सहेलियों से सुना था कि चुदाई के समय मर्द के लंड बड़े हो जाते हैं.पर अपने अब्बा की लुल्ली देख कर वह समझ चुकी थी कि उसका बाप एक गांडू है और नामर्द भी.
पर अब उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि मंसूर के लिए अब उसके दिल में ना कोई प्यार बचा था और ना ही कोई रहम की आशा.वह तो बस अब यही चाह रही थी कि मंसूर की और चुदाई देखने को मिल जाए.
तभी अचानक से उसके कानों पर आवाज आयी- आअहह ह्हह … भोसड़ी के हरामी … झड़ गयी मैं मादरचोद!
नफ़ीसा ने आंखें बड़ी करके देखा तो उसकी चूत अपने आप बहने लगी.
उधर शीला ने उसका माल सीधा मंसूर के मुँह के अन्दर खाली कर दिया था.
आज पहली बार किन्नर सेक्स में नफ़ीसा लंड से निकली मलाई देख रही थी और देख रही थी कि कैसे उसका अब्बा शीला के लंड की मलाई बड़े मज़े से चाट कर खा रहा था.
नफ़ीसा को तो इस बात की बड़ी घिन आयी.पर ये देख कर उसे मजा भी आ रहा था कि लंड की मलाई कैसी होती है.
उसका जवान बदन अब और तपने लगा था.बुर के पानी से भीगी उसकी चड्डी में उसकी चूत अब और ज़्यादा गर्म हो रही थी.
उधर शीला ने अपनी सारी मलाई मंसूर के मुँह में खाली करने के बाद अपना लंड बाहर निकाला और वहीं सोफे पर बैठ गयी.
मंसूर भी किसी गुलाम की तरह शीला के पास बैठ गया और बची कुछ मलाई जीभ से चाटने लगा.
उसकी इस हरकत से खुश होकर शीला बोली- वाह रे मेरे पालतू कुत्ते, बहनचोद बहुत बड़ी रंडी है तू माँ के लौड़े, चल जा अब वह कटोरी लेकर आ जा, आज तुझे मेरा मूत भी पिलाती हूँ सुअर!
शीला के आदेश पर मंसूर घुटनों पर रेंगते हुए किसी पालतू कुत्ते की तरह कमरे में रखी कटोरी के पास पहुंचा और अपने मुँह से ही कटोरी उठाकर वह शीला के पास आ गया.
और शीला ने भी अपना लंड उस कटोरी के आगे कर दिया तो मंसूर शीला के लंड का सुपारा फिर से अपने जीभ से चाटने लगा.शीला उसकी इस हरकत से खुश हुई और उसने अपना मूत उस कटोरी में भरना चालू कर दिया.
कमरे के अन्दर का दृश्य देख कर नफ़ीसा तो ऐसे पागल हो रही थी कि उसकी चूत अब किसी भी लौड़े के सामने चुदने तैयार थी.
अपनी दो उंगलियां चूत में घुसाती हुई वह धीरे धीरे से मज़े ले रही थी.एक हाथ से अपनी चूत व दूसरे हाथ से अपने चूचे दबाती हुई वह अन्दर चल रहे हवस के खेल का मजा ले रही थी.
अपने नामर्द अब्बा को किसी लौड़े से चुदते देख उसे भी चुदाई करवाने का ज्वर चढ़ चुका था.
जैसे ही शीला ने मूत कर वह कटोरी भरी, वैसे झट से मंसूर ने वह कटोरी नीचे ज़मीन पर रख दी और झुक कर कुत्ते की तरह वह शीला का मूत चाटने लगा.
शीला ने सोफ़े पर बैठे बैठे उसके सामने झुके मंसूर के सर पर अपना पैर रखा और उसे उस कटोरी में दबा दिया.वह थोड़े गुस्से में बोली- माँ की चूत तेरी रंडी साली … अच्छी तरह से पी ना मेरा मूत … वरना फिर से तेरी गांड की माँ चोद दूंगी भड़वे!
मंसूर ने शीला का गुस्सा देख कर अपना मुँह उस कटोरी में घुसाया और धीरे धीरे सारा मूत पीने लगा.बिल्कुल किसी गुलाम की तरह नफ़ीसा का अब्बा उसकी नई अम्मी की सारी बात मान रहा था.
अपने नामर्द अब्बा को शीला का मूत पीता देख नफ़ीसा की बुर एक बार फिर से पानी बहाने लगी.
दो बार पानी निकलने की वजह से नफ़ीसा थक चुकी थी.शरीर की थकान के बावजूद उसका मन अभी थका नहीं था. उसे आज सब देखना था कि चुदाई में ऐसा क्या मजा है, जो आज तक वह महसूस ना कर सकी.
कुछ देर में ही मंसूर ने शीला का मूत पी लिया और ख़ुद बाथरूम की तरफ जाने लगा.उसे खड़ा होते देख शीला को पता चला कि मंसूर भी मूतने बाथरूम में जा रहा है.
मंसूर को रोकते हुए शीला ने कहा- कहां जा रही है रंडी, मूतने ना? तो भोसड़ी के मूत ना तू भी इसी कटोरी में? आज तो तू खुद का मूत भी पियेगा मादरचोद!
शीला का आदेश सुनकर नफ़ीसा का सर घूमने लगा.वह सोचने लगी कि क्या सच में उसका अब्बा अब खुद का मूत पीने वाला है? क्या इतना घिनौना काम करता है कोई?
पर अगले ही पल उसको इस सवाल का जवाब भी मिलता हुआ दिखाई दिया.
उसका अब्बा अब बिल्कुल लड़कियों की तरह बैठकर कटोरी में मूतने लगा.सामने शीला सोफे पर बैठ कर आराम से सिगरेट फूँक रही थी और मंसूर को देख कर मुस्कुरा रही थी.
जैसे ही मंसूर का मूतना खत्म हुआ, वैसे ही उसने शीला की तरफ देखा और उसके अगले आदेश का इन्तजार करने लगा.
मंसूर को देख शीला गरजी- अब देख क्या रहा है रंडी की औलाद … पी जा जल्दी से बहनचोद … इसके बाद तुझे मेरी गांड भी चाटनी है हिजड़े!
नफ़ीसा अब आंखें बड़ी बड़ी करके देखने लगी कि कैसे उसका अब्बा खुद का मूत पीने वाला है.जिस बात से उसे शर्म आनी चाहिए, उसी बात से अब वह खुश हो रही थी.मन ही मन में वह चाह रही थी कि उसका नामर्द बाप किसी दो कौड़ी की रंडी की तरह चुदे और ख़ुद का मूत भी पी ले.
हुआ भी बिल्कुल वैसे ही.
फिर से कुत्ते की तरह मंसूर कटोरी के आगे झुक गया और अपने मुँह घुसेड़ कर ख़ुद का पीला पेशाब पीने लगा.
मंसूर को देख कर अन्दर बैठी शीला … और बाहर से देख रही नफीसा खुश हो गयी.नफीसा ने तो अब ठान ली कि वह भी किसी न किसी दिन एक बड़े लंड से चुदवा ही लेगी.
अपने अब्बा को खुद का पेशाब पीते देख कर नफीसा को भी मजा आने लगा था.उसका बाप शीला का पालतू कुत्ता बनकर एक बाजारू रंडी की तरह मूत पी रहा था.
शीला ने बाजू में रखी ऐश ट्रे में सिगरेट को बुझाया और वह मंसूर को ज़लील करते हुए गालियां देने लगी.उसकी गालियां सुनकर नफ़ीसा को और मजा आने लगा.
नफीसा को भी लगने लगा कि कोई उसे भी इसी तरह जलील करते हुए रौंद दे, उसकी प्यासी चूत को चीर कर उसकी अनचुदी चूत को फाड़ दे.
शीला का शायद अभी मंसूर से मन नहीं भरा था, उसने मूत पी कर बैठे हुए मंसूर को खड़ा किया और उसके दोनों टट्टे अपने मुठ्ठी में भर कर कसके मसल दिए.
मंसूर दर्द के मारे तड़पने लगा, उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे.
पर शीला को उस पर जरा भी दया नहीं आयी.मंसूर के टट्टे निम्बू की तरह निचोड़ते हुए शीला ने पूछा- बोल मादरचोद, क्या है तू भोसड़ी के … बता तेरी क्या औकात है तेरी मालकिन के सामने … रंडी की औलाद!
वह कुछ बोलने की हालत में नहीं था पर वह अपनी मालकिन के आदेश को ठुकरा भी तो नहीं सकता था.
जैसे तैसे उसने अपने दर्द को संभालते हुए कहा- मैं एक दो कौड़ी की रंडी हूँ आपकी मालकिन, आपकी गांड चाटने वाली कुतिया हूँ. मेरी माँ आपकी रांड है और मैं आपकी नाजायज पैदाइश हूँ.
मंसूर के मुँह से ऐसी भाषा सुन कर नफ़ीसा को साफ़ पता चल गया कि उसका अब्बा एक पालतू गुलाम सुअर है. नामर्द होने के साथ साथ वह एक गांडू भी है, जिसे अपनी गांड चुदवाने में मजा आता है.
शीला उस और जलील करती जा रही थी, उसके मुँह पर बार बार थूक रही थी.
मंसूर के मुँह पर जोर जोर से चांटे पड़ने से उसका मुँह लाल हो चुका था.
अब मंसूर की शक्ल बिल्कुल एक बाजारू रंडी की तरह हो चुकी थी, जैसे कई मर्दों ने एक साथ उसके बदन को मसला हो.उसकी लुल्ली अभी अभी मुरझाई हुई थी पर उसमें से वीर्य की कुछ बूंदें टपक रही थीं.
जोर से निचोड़े जाने की वजह से मंसूर के दोनों टट्टे सूज चुके थे.
तभी शीला ने उन्हीं टट्टों पर जोर से अपने पैर का घुटना मार दिया.मंसूर बुरी तरह से तड़पने लगा.उसका बुरा हाल हो चुका था पर शीला एक के बाद एक अपने घुटनों से उसके टट्टे फोड़ रही थी.
शीमेल सेक्स में अपने अब्बा का बुरा हाल देख कर नफ़ीसा और ज्यादा ख़ुश हो रही थी.अब तो उसने अपनी सलवार ख़ुद उतार दी और वह वहीं बैठ कर अन्दर का खेल देखती हुई अपनी बुर मसलने लगी.
मंसूर तड़पते हुए नीचे ज़मीन पर छटपटा रहा था.शीला ने वहीं मौका देखा और झट से अपनी गांड लेकर उसके मुँह पर बैठ गयी.
मंसूर की दर्द भरी आवाजें अब शीला की गांड में दब गईं और वह अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगा.पर शीला की ताकत के आगे उसकी एक ना चली.
मंसूर के टट्टे फिर से अपने मुठ्ठी में भरते हुए शीला चिल्लाई- साले, माँ की चूत तेरी भोसड़ी के … इतना क्यों मर रहा है सूअर … चल चाट मेरी गांड अब मादरचोद … वरना तेरी लुल्ली उखाड़ दूंगी!
शीला की धमकी सुनकर मंसूर चुपचाप दर्द सहन करते हुए शीला की गांड सूंघने लगा.अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसनी जीभ को शीला की गांड के छेद पर घुमाना चालू किया.
गांड में जीभ जाते ही शीला सिसकारने लगी, उसके लंड में फिर से गुदगुदी होने लगी और वह अपने पालतू कुत्ते मंसूर को शाबाशी देते हुए आगे की तरफ झुक गयी.
झुकने की वजह से शीला की गांड फैलती चली गयी और मंसूर का पूरा मुँह उसकी गांड के नीचे दब गया.मंसूर अब आसानी से अपनी जीभ से शीला की गांड चाटने लगा.
शीला ने भी मंसूर की मुरझाई हुई लुल्ली अपने मुँह में भर ली और जोर जोर से चूसने लगी.
भले ही मंसूर नामर्द था, पर लुल्ली चूसे जाने से उस लुल्ली में भी जान आने लगी.
जैसे जैसे शीला उसकी लुल्ली चूसती जा रही थी, वैसे वैसे मंसूर की लुल्ली भी पूरी तरह कड़ी हो चुकी थी और ये सब नफ़ीसा बाहर बैठकर देख रही थी.
अपने अब्बा की पूरी खड़ी हुई लुल्ली देख कर नफ़ीसा को पता चला कि मंसूर सच में मर्द के नाम पर धब्बा है. क्यूंकि मंसूर की खड़ी लुल्ली भी मुश्किल से तीन इंच की हो सकी थी.
नफीसा को भी लगा कि ऐसे नामर्द इंसान के साथ यही सुलूक होना चाहिए जो अन्दर शीला उसके बाप के साथ कर रही थी … बस एक गुलाम बनाकर रंडी की तरह चुदाई.मंसूर भी शीला के लुल्ली चूसने से खुश हो रहा था.
उसने अपनी मालकिन की गांड को अपने दोनों हाथों से खोलकर लगभग अपनी पूरी जीभ गांड में घुसा दी थी.मंसूर की खुरदरी जीभ से शीला को गांड में असीम मज़ा मिलने लगा तो उसने भी जोर जोर से अपनी गांड को मंसूर के मुँह पर रगड़ना चालू कर दिया.
शीला मंसूर का काम देख कर सिसकती हुई बोली- वाह रे मेरे मादरचोद ठुल्ले … साले सच में तू किसी बाजारू रंडी की औलाद है कुत्ते … घुसा और अन्दर अपनी जीभ सूअर की औलाद, चाट अच्छे से मेरी गांड को!
मंसूर के मुँह पर अपनी गांड रगड़ते हुए उसने फिर से लुल्ली मुँह में भरी और जोर जोर से चूसने लगी.
शीला कभी लुल्ली को तो कभी गोटों को अपने मुँह से गर्म कर रही थी.पर मंसूर था तो आखिर एक नामर्द ही, कब तक बकरे की अम्मा ख़ैर मनाती?
शीला की दमदार चुसाई की वजह से मंसूर की लुल्ली ने जवाब दे दिया और उसने रस फेंकना चालू कर दिया.मंसूर की लुल्ली की मलाई शीला के मुँह में ही खाली होने लगी.
शीला को इस बात का पता चलता, उसके पहले ही पूरी मलाई उसके मुँह में निकल चुकी थी.
तब शीला को इस बात पर इतना ज्यादा गुस्सा आया कि उसने मंसूर के टट्टों पर एक जोर का मुक्का पेल दिया.अपनी गांड को मंसूर के मुँह से हटाते हुए वह मंसूर के मुँह के पास अपना मुँह लेकर गयी और सारा पानी उसके मुँह पर थूक दिया.
मंसूर के मुँह पर एक जोर का थप्पड़ लगाते हुए शीला चिल्लाई- तेरे माँ का भोसड़ा साले भड़वे, तेरी ये हिम्मत की मेरे इजाजत के बगैर तू अपना पानी निकाल दे और वह भी मेरे मुँह में? आज देख मैं तेरी क्या हालत करती हूँ रंडी के पिल्ले!
शीला ने वैसे ही मंसूर के बाल पकड़े और घसीटते हुए उसे कमरे के बाहर खींचने लगी.यह देख कर नफ़ीसा सतर्क हुई और वह झट से अपनी सलवार उठाती हुई एक बड़े से परदे के पीछे छिप गयी.
अगले ही पल नंगी शीला ने मंसूर को कमरे से बाहर खींचा और उसकी गांड पर लात मारते हुए उसे बाथरूम की तरफ चलने का इशारा किया.मंसूर चुपचाप रेंगते हुए शीला के पीछे पीछे चलने लगा.
पर्दे के पीछे छिपी नफ़ीसा को अपने नामर्द बाप की गांड दिखाई दी.किसी बाजारू रंडी की तरह मंसूर की गांड का छल्ला भी पूरी तरह से खुल चुका था.
जैसे ही मंसूर और शीला बाथरूम में घुसे, वैसे नफीसा भी चुपके से वह पहुंची और ध्यान से अन्दर देखने लगी.अन्दर जलते बल्ब के कारण उसे सब कुछ साफ़ दिखाई दे रहा था.
शीला ने मंसूर के बाल पकड़ कर उसका मुँह कमोड में दबा दिया और जोर जोर से उसकी गांड पर थप्पड़ मारने लगी.मंसूर की गांड शीला के थप्पड़ों से लाल होने लगी.
बुरी तरह गांड लाल करने के बाद शीला ने मंसूर का मुँह कमोड से बाहर निकाला और झट से अपना लंड उसके मुँह में ठूँस दिया.
उसके बाल पकड़ कर पूरा लौड़ा मुँह में दबाते हुए शीला ने कहा- साले मादरचोद, मेरे मुँह में पानी निकाला कैसे तूने हिजड़े की औलाद … आज देख कैसे तेरी गांड का भोसड़ा बनाती हूँ मैं सूअर!
दोनों हाथों से मंसूर के बाल पकड़ते हुए शीला पूरी ताकत से लौड़ा मुँह में ठूंसने लगी.
मुँह चुदाई के कारण मंसूर का थूक शीला के लंड को गीला करने लगा और साथ ही उसके गले से गॉक-गौक जैसी आवाजें आने लगीं.
शीला का रूप देख कर एक बार तो नफीसा की रूह कांप उठी.
कैसे कोई औरत इतनी जालिम हो सकती है … यही सोचते हुए वह अपने नामर्द गांडू अब्बा की इज्जत लुटते हुए देख रही थी.
कुछ देर मंसूर का मुँह चोदने के बाद शीला ने अपना लौड़ा उसके मुँह में बाहर निकाला और पलट कर आगे की तरफ झुक गयी.इस वजह से उसकी गदरायी हुई गांड अब मंसूर के मुँह के ठीक सामने खुल गयी.
शीला के आदेश की प्रतीक्षा किए बिना ही मंसूर ने अपना काम समझ कर अपनी जीभ से शीला की गंदी गांड को चाटना चालू कर दिया. साथ ही अपने एक हाथ से वह शीला का लौड़ा जोर जोर से हिलाने लगा.
मंसूर की इस कला से ख़ुश होकर शीला बोली- अब आया ना अपनी औकात पर बहनचोद सूअर, चल अब पूरी जीभ घुसा मेरे गांड में रंडी … चाट ले मेरी गांड पूरी अन्दर तक साफ़ कर भोसड़ी के!
मंसूर जैसे जैसे शीला की गांड में जीभ घुसाने लगा, वैसे वैसे शीला की सिसकारियां निकलने लगीं.उसका लौड़ा अब और ज़्यादा फूलने लगा था और सुपारे से कुछ बूंदें जमीन पर गिरने लगीं.
शीला को ये पता चल चुका था कि अब उसका लौड़ा उसका साथ ज़्यादा देर तक नहीं दे सकता.पर शीला को मंसूर की गांड मारे बिना और उसकी गांड में अपना माल निकाले बिना चैन नहीं मिलने वाला था.
मंसूर की गांड चोदने के इरादे से वह खड़ी हो गयी और उसने मंसूर को कुछ इशारा किया.
तभी मंसूर ने भी अपनी मालकिन का इशारा समझ लिया; वह झट से किसी सड़कछाप लावारिस कुतिया की तरह अपनी गांड खोलकर झुक गया.
कमोड के ठीक सामने अब मंसूर का मुँह आ चुका था.
शीला ने वही मुँह एक हाथ से कमोड में दबा दिया और दूसरे हाथ से अपना लौड़ा मंसूर की गांड पर रख दिया.
अगले ही पल उसका लंड मंसूर की गांड की गहराई में समा गया और एक बार फिर से नफ़ीसा का नामर्द अब्बा किसी रंडी की तरह चुदने लगा.
उसका मुँह कमोड के अन्दर दब चुका था.
शीला ने एक हाथ से मंसूर के बाल खींच रखे थे तो दूसरे हाथ से वह मंसूर की गांड अपने थप्पड़ों से लाल कर रही थी.
मंसूर के मुँह से किसी औरत की सिसकारियां निकलने लगीं और अब वह खुद शीला से जोर जोर चोदने का अनुरोध करने लगा.
अब मंसूर ने अपने दोनों हाथ पीछे लेकर पानी गांड खोलते हुए कहा- आआहहह मालकिन, धीरे से चोदो मेरी गांड … फाड़ दी मेरी गांड आपने मालकिन्न … आआहह स्सहह उफ्फ्फ अम्मीईईई!
अपने अब्बा के मुँह से इतनी शर्मनाक बातें सुनकर नफ़ीसा को और ज्यादा मजा आने लगा.
उसका हाथ अब जोर जोर से उसकी फुद्दी को रगड़ने लगा और उसकी फुद्दी से निकलता हुआ पानी अब उसकी जांघों से नीचे उतरने लगा.
शीला ने भी पूरी ताकत से अपना लौड़ा मंसूर की गांड में ठूंसना चालू कर दिया.
मंसूर का चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए वह उसके चेहरे पर थूक रही थी.बीच बीच में शीला का हाथ नीचे जाते हुए मंसूर की लुल्ली दबोच ले रहा था.वह जोर से अपनी मुठ्ठी से मंसूर के टट्टे निचोड़ रही थी.
जोर जोर से गांड चुदाई के कारण थप-थप की आवाजें पूरे बाथरूम में गूँज रही थीं और बाहर खड़ी नंगी नफीसा के कानों को सुकून प्रदान कर रही थीं.
शीला के आवेश से मंसूर को पता चल चुका था कि अब शीला किसी भी वक्त उसका माल मंसूर की गांड में ख़ाली कर देगी.मंसूर ने भी खुद अपनी गांड शीला के लौड़े पर दबाना शुरू कर दिया.उसकी कटी हुई छोटी सी लुल्ली से भी अब कुछ बूंदें निकल रही थीं, जो नीचे फर्श पर टपक रही थीं.
पिछले कुछ समय से चल रहे इस घमासान चुदाई युद्ध की समाप्ति होने वाली थी और अगले ही पल शीला के लंड से वीर्य की पिचकारियां मंसूर की गांड में उमड़ने लगीं.झड़ने की संतुष्टि से शीला ने अपना लौड़ा अन्दर तक घुसेड़ कर रखा था और उसके वीर्य की एक एक बून्द मंसूर की गांड में खाली होने लगी.
नफीसा अपनी आंखों से ये नजारा देख कर फिर से झड़ने लगी.
सारा वीर्य मंसूर की गांड में निकालने के बाद शीला ने अपना लौड़ा बाहर खींचा तो पौंक की आवाज के साथ लंड गांड से उछल कर बाहर आ गया.
लौड़े पर लगा शीला का वीर्य और मंसूर की गांड की मलाई नफीसा को साफ़ दिखाई दे रही थी.
उसके अंदाज के परे मंसूर ने वही भिड़ा हुआ लौड़ा झट से अपने मुँह में भर लिया और अपनी मालकिन के लंड को साफ़ करने लगा.
शीला ने जो माल उसके गांड में भरा था वह भी अब खुली गांड से बाहर आते हुए फर्श पर टपकने लगा.जैसे ही लौड़ा साफ़ हुआ तो मंसूर वह फर्श पर गिरा हुआ वीर्य भी चाटने लगा.
दो बार लगातार शीमेल सेक्स से शीला भी थकान महसूस कर रही थी और वह वहीं पर बाथरूम में बने कमोड पर बैठ गयी.
चुदाई के बाद शांत पड़े उसके लंड में अब एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी.मतलब शीला का मूत बाहर आने को बैचेन था.
अपने पालतू रंडी मंसूर को इशारा करते हुए उसने उसे अपने पास बुलाया और झट से लौड़ा उसके मुँह में दे दिया.मंसूर भी अब शीला का मूत पीने के लिए व्याकुल था.
शीला उसके मुँह पर थूकते हुए बोली- साले मादरचोद, ले अब मेरा मूत भी पीले हिजड़े की औलाद!
जैसे ही मंसूर ने शीला का लौड़ा मुँह में लिया, वैसे ही शीला उसके मुँह में अपना मूत भरने लगी.मूत की धार अब सीधे मंसूर के हलक से होते हुए पेट में जाने लगी और ये सब देख कर नफ़ीसा वहां से भागकर अपने कमरे में आ गयी.अपने नामर्द अब्बा की करतूत देख कर वह सारी रात सो नहीं पायी, पर साथ ही उसका बदन जो अब तक चुदाई से वंचित था … वह अब चुदने के लिए तड़पने लगा था.
तो दोस्तो, नफीसा की ये हकीकत मैंने पूरे मन से आपके सामने पेश की है.आशा है कि आप सबको ये सेक्स कहानी जरूर पसंद आएगी.
nice story