नौकरानी की लड़की संग कामसुख - Desi Sex Stories
- Kamvasna
- Mar 26
- 24 min read
दोस्तो नमस्कार.
बिना किसी लाग लपेट के मैं अपनी Desi Sex Stories शुरू कर रहा हूँ.
जयेश की जब इंदौर पोस्टिंग हुई थी, तब उसके घर में मंजू नाम की एक बहुत ही अच्छी नौकरानी काम करती थी.
वह जयेश के घर के सभी काम करती थी.
वैसे तो वह पूरे समय के लिए थी पर रात को अपने घर चली जाती थी.
मंजू शादीशुदा थी.
एक बार पति ने उसे घर से निकाल दिया था तो उसने यहीं शरण ली थी.
तब से जयेश से उसके सम्बन्ध घनिष्ठ बन गए थे.
अब वह कभी कभी रात को रुक जाती थी, तो वह बहुत प्रसन्न रहती थी.
एक दिन शाम को मंजू तीन स्त्रियों के साथ जयेश के घर आई.
जयेश ने बहुत आदर सत्कार से उन सबको सोफे पर बिठाया और बोला- मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
मंजू ने सभी का परिचय देते हुए बताया- सा’ब, यह लड़की नीलू है और यह बहुत मुश्किल में है. यह उसकी मां है और यह उसकी पड़ोसन है. लड़की का पति और ससुर लड़की को खत्म करने पर तुले हुए हैं.
जयेश ने पूछा- क्यों?
इस पर वह लड़की नीलू बोली- मैंने उन दोनों को एक स्त्री से काफी गलत करते देख लिया है.
‘तुम को कैसे लगता है कि वह तुम्हें ख़त्म कर देगा?’
इस पर पड़ोसन ने बताया कि मेरे पति ने मुझे बताया कि उसने उनकी बातें सुनी हैं, तो मैंने इनको बताया और थोड़ी ही देर में वे दोनों तलवार लेकर भी आ गए थे.
लड़की की माँ ने बताया कि मुझे मालूम था कि आपने मंजू को बहुत ही खराब हालत में शरण दी थी. साहब मेरी बेटी को बचा लो. हम बहुत उम्मीद लेकर आए हैं. उसका बच्चा तो उन लोगों ने छीन ही लिया है, कहीं वे मेरी बेटी को भी मुझसे न छीन लें.
जयेश ने मंजू की ओर देखा.
मंजू समझ गई कि साब मेरी हां या ना पूछ रहे हैं.
मंजू ने इशारे से हां कहा, दिल पर हाथ रख कर कहा कि मेरी गारंटी है.
तब जयेश ने कहा- यह यहां खुशी से रह सकती है. पर रात को लड़की को कोई तकलीफ़ हुई, तो क्या होगा? यह अभी भी रो रही है और ऐसे ही रात भर रोती रही, तो मैं कैसे संभालूंगा? आपमें से किसी को कम से कम आज रात को इधर रुकना चाहिए … ऐसा मुझे लगता है!
“नहीं सा’ब वह तो नहीं हो पाएगा. हम रुकेंगी तो वे दोनों हमें मार देंगे. रात को हमारी नीलू की ओर से आपको कोई तकलीफ़ नहीं होगी … क्यों नीलू बता न?”
रोती हुई नीलू ने पल्लू से मुँह पौंछा और बोली- भरोसा रखिए सर, आपको कोई परेशानी नहीं होगी.
जयेश ने कहा- ओके, फिर मंजू के अलावा नीलू से मिलने और कोई नहीं आना चाहिए. मैं ऑफिस जाऊंगा, तब नीलू दरवाजा भी नहीं खोलेगी.
सबने हामी भरी कि हां यही सही है.
जयेश ने मंजू की ओर देखा और बोला कि जाओ मंजू, सबके लिए चाय बनाओ.
सब चाय के लिए ना ना कर रहे थे.
जयेश ने कहा- ओके मंजू केसर, पिस्ता, बादाम डाल कर दूध बनाओ.
अभी भी सब ना ना कर रहे थे, पर मंजू के पास आज सबको यह बताने का मौका था कि वह कितने दिल वाले सा’ब की नौकरानी है.
मंजू वापिस आई और उसने पूछा- साब आपका दूध तो मैंने तैयार करके फ्रिज में रखा था. अभी आपके लिए फिर से गर्म बनाऊं, या आपके लिए वही फ्रिज वाला ले आऊं?
‘मंजू, मैंने आपको कितनी बार बताया है, मेहमान को जो चीज दो, वही हमको भी दो … वर्ना मेहमान का अपमान होता है.’
‘गलती हो गई सा’ब.’
‘कोई बात नहीं मंजू, पर ये सब ध्यान रखना … और मंजू मैंने तो अभी तक खाना भी नहीं खाया है. ऐसा करो मेरा दूध और खाना दोनों लगा दो … और हां नीलू ने भी तो नहीं खाया होगा. उसका खाना भी लगा दो. मैं खाना खाऊंगा और आप सब क्या केवल दूध पिएंगे? … मंजू सबके लिए खाना लगा दो.’
“नहीं नहीं साहब बहुत टाइम लग जाएगा.” उन दोनों बड़ी उम्र की औरतों ने बोला और वे मंजू के साथ किचन में घुस गईं.
कुछ पल बाद मंजू ने आवाज दी- सर आ जाइए. खाना तैयार है.
सब डाइनिंग टेबल पर आ गए.
जयेश और मंजू ने खाना खाया और बाकी सबने केसर पिस्ता वाले दूध के साथ नाश्ता किया.
दोनों औरतों ने जाने के टाईम मंजू को बताया- तुम जरा देर से आना ताकि किसी को मालूम ना पड़े कि हम दोनों तुम्हारे साब के घर आई थीं.
रास्ते में दोनों औरतें बात कर रही थीं.
कितना पैसे वाला और बड़ा आदमी है, फ़िर भी उसने हमारे साथ बैठ कर खाया!
‘अरे बाप रे कैसा मस्त दूध था. कभी सोचा भी नहीं था कि हमारी किस्मत में ऐसा दूध मिलेगा.’
‘मुझे तो तेरी लड़की की किस्मत खुली हुई लगती है. यहां रहेगी तो लाइफ़ बन जाएगी.’
‘पर मंजू थोड़ी हमेशा के लिए यहां रहने देगी? ऐसे कैसे जाने देगी अपनी कमाई? जो होगा होने दो. अभी सर छुपाने की जगह तो मिल गई न? आगे देखो क्या होता है.’
इधर मंजू ने नीलू को घर दिखाया और उसका कमरा बताया.
‘सा’ब से डरना नहीं, वे बहुत अच्छे आदमी है.’
‘पर मुझे तो अकेले इस कमरे में डर लगेगा. मुझे नींद नहीं आएगी.’
‘तो क्या, उनके बिस्तर पर सो जाएगी क्या?’
‘मुझे तो शर्म आती है ऐसा सोचने में भी!’
‘वैसे तो तेरे पति के पास जाने में भी डर लगा ही होगा ना? यहां भी थोड़े नखरे कर लेना.’
‘हट मंजू, तुम बहुत बोलती हो.’
‘तो क्या करूँ? एक बाजू तेरी सांस के लाले हैं, हर पल तेरी मौत सबको दिखती है और तू ऐसी बात करती है. देख नीलू … ये सब सीक्रेट होते हैं. बंद घर में क्या हुआ, क्या नहीं हुआ, मजा आया … नहीं आया. किसी को कभी कोई बताएगा नहीं … और जानना भी नहीं चाहिए. हम सब लड़कियां काम करती हैं, कभी एक दूसरे की बात नहीं करती हैं. सब जानती हैं, मेरी भी चुप … तेरी भी चुप. बस चलती हूँ.’
मंजू जाने लगी और साब से बोली- साहब, मैं चलती हूँ.
जयेश- सुबह समय पर आना.
मंजू- नीलू सब काम कर लेगी.
जयेश- तेरी नौकरी तो चालू ही रहेगी … बाकी तू जाने.
मंजू- सात बजे आऊंगी.
नीलू और जयेश ने मंजू को मेन डोर पर विदा किया.
जयेश ने नीलू से कहा- आओ टीवी देखते हैं.
नीलू को पास बिठा कर उसको सामान्य करने के लिए बहुत सारी बातें की.
धीरे धीरे नीलू भी खुलती गई.
पता चला कि वह कॉलेज का पहला साल पूरा पढ़ चुकी है. उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है. वह पढ़ने में ठीक-ठाक थी, तो क्लर्क की नौकरी और ब्यूटी पार्लर में भी काम कर चुकी है. पति ने नौकरी छुड़वा दी थी. पति के बहुत लफ़ड़े थे. नीलू के परिवार में मां बेटी के अलावा और कोई नहीं है.
बातें करते समय जयेश नीलू की ओर कम देख रहा था, पर उसे पता था नीलू उसे ही एकटक देख रही थी.
शायद वह जयेश का मुआयना कर रही थी.
नीलू को जयेश बहुत आकर्षक लगा था तो उसे बातें करने में बहुत मजा आ रहा था.
बहुत बातें कर लेने के बाद में जयेश ने कहा- चलो तुम्हारा कमरा देख लेते हैं.
नीलू को और बातें करने में रस था तो वह खड़ी होने में देर कर रही थी.
जयेश भी खड़ा नहीं हुआ. फ़िर से दोनों बातें करने लगे.
अब जयेश कुछ पूछ नहीं रहा था.
नीलू खुद अपने बारे में बहुत कुछ बताने लगी.
अब वह बहुत हंस भी रही थी.
जयेश ने कहा- तुम हंसती हो तो बहुत सुंदर लगती हो.
नीलू ने अपनी सुंदर आंखों जयेश की आंखों से मिलाईं तो जयेश को बहुत अच्छा लगा.
जयेश ने अपने आपको सही करते हुए कहा- तुम सुंदर तो वैसे भी हो, पर हंसती हो तो और ज्यादा सुंदर और आकर्षक भी लगती हो.
इस बार नीलू ने घायल करने वाला स्माइल दी.
जयेश सचमुच घायल हो गया.
अब जयेश ने उसकी पीठ पर हाथ रखा.
नीलू जयेश के और नजदीक सरक गई.
जयेश बोला- नीलू बहुत देर हो गई है. चलो सो जाते हैं. बातें तो हर रोज थोड़ी थोड़ी हो ही जाएंगी.
दोनों खड़े होकर नीलू के कमरे की ओर गए.
जयेश ने देखा कि चादर पुरानी बिछी है, तो उसने नीलू को नई चादर दी और अच्छा वाला कम्बल दिया.
‘मैं अपना कमरा खुला रखता हूँ, कोई तकलीफ़ हो तो चली आना, डरना नहीं और घबराना नहीं. कोई दरवाजा खटखटाए तो खोलना नहीं. सो जाओ.’
एक पल रुकने के बाद जयेश ने पूछ ही लिया- डरोगी तो नहीं ना?’
नीलू ने सिर हिला कर ना कहा.
पर जयेश समझ गया कि वह दिल से ना नहीं कह रही है.
जयेश अपने कमरे में आकर सो गया.
वह सोचने लगा कि नीलू बहुत ही सुन्दर लड़की है, कितनी पीड़ा हुई होगी उसे पति के कारनामे से. उसका चेहरा भी कितना सुन्दर है, उसका आखिरी मुस्कुराहट वाला चेहरा याद करते ही जयेश उत्तेजित हो गया.
कितनी उम्र होगी उसकी? जयेश ने सोचा कि पच्चीस के आसपास की होगी.
क्या सचमुच उसको मुझसे रस मिलेगा? कितने समय तक यहां रहेगी?
फिर जयेश ने मन को काबू में करते सोचा कि देखा जाएगा.
आधी रात को कोई उसे जगा रहा था, जयेश ने लाइट को ऑन किया.
नीलू आई थी.
उसे बेड के किनारे पर बैठा कर पूछा- क्या हुआ?
वह रो रही थी.
जयेश ने उसका हाथ पकड़ कर पास बिठाया. उसकी आंख में आंख डालकर पूछा- क्या हुआ यह तो बताओ?
जयेश ने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए और उसका हाथ दूसरे हाथ से पकड़ कर सहलाया.
‘सर, बहुत दर्द हो रहा है.’
‘कहां?’
वह शर्मा भी रही थी और रो भी रही थी.
जयेश ने पास पड़े जग से उसको पानी दिया. उसका पल्लू हटा, तो जयेश ने देखा कि उसके वक्ष पर दूध लगा हुआ था.
जयेश समझ गया. वह बोला- मैं समझ गया!
जयेश ने उसको और सहलाया और कहा- घबराओ नहीं नीलू, सब ठीक हो जाएगा.
जयेश ने दोनों हथेलियों से उसका चेहरा पकड़ कर सहलाया. नैपकिन से उसका चेहरा पौंछा. अपना सुगंधित हाथ वाला रुमाल उसके हाथ में दे दिया.
‘अब थोड़ा मुस्कुराओ.’
वह मुस्कराई तो नहीं, पर शांत हो गई.
जयेश ने अपना एक हाथ दोस्त की तरह उसके कंधे पर रख कर उसको थोड़ा अपने से सटा लिया.
नीलू को बहुत अच्छा लगा.
उसने अपना सिर जयेश के कंधे पर रखा. जयेश ने उसके चेहरे को एक हाथ से सहलाया, तुरन्त ही नीलू ने पास वाले हाथ से जयेश की कमर को पकड़ लिया.
दोनों ने जाने अनजाने में एक दूसरे को आगोश में भर लिया था.
जयेश ने उसके चेहरे को प्यार से ऊंचा उठा कर आंखों में आंखें डाल कर कहा- नीलू तीन रास्ते हैं. तुम्हें जो पसंद हो, वह करेंगे. पहला रास्ता डॉक्टर को घर बुलाना, दूसरा रास्ता हॉस्पिटल जाना. इन दोनों बातों में मुश्किल सवाल खड़े होंगे. बच्चा कहां है, बाप कहां है, वगैरह वगैरह … और तीसरा रास्ता है कि मैं निकाल दूँ. तुम्हारी मर्जी क्या है? मैं तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा. किसी को मालूम भी नहीं पड़ेगा. बोलो तुम क्या चाहती हो?
नीलू ने शर्माते हुए जयेश की ओर देखा और आंख से इशारा किया कि तुम!
बस यह इशारा करके नीलू जयेश से लिपट गयी.
‘सा’ब जरा जल्दी से करो न, बहुत दर्द हो रहा है!’
जयेश ने एक हाथ से उसका पल्लू हटाया और दूसरे हाथ से उसके सर पर हाथ फ़िराया.
जयेश ने कहा- नीलू बहुत देर कर दी तुमने मुझे जगाने में. कोई बात नहीं, अब तो सब ठीक हो जाएगा.
अब तक उन दोनों ने मिलकर ब्लाउज निकाल दिया था.
इतना सुंदर वक्षस्थल! जयेश ने उसका वक्ष स्थल देखा और चकाचौंध हो गया.
जयेश ने सोचा कि नीलू का चेहरा जितना सुन्दर है, उससे कई गुना सुन्दर वक्ष है. जयेश को यह सौंदर्य देखते देखते आंखों से पीना था, पर समय गंवाना नहीं था.
जयेश ने नीलू के एक निप्पल को मुख में भर लिया और बहुत ही नजाकत और नाजुकता से थोड़ा खींच कर चूसा.
जैसे ही जयेश के होंठों ने नीलू के निप्पल को छुआ, उसकी पूरी काया में एक सिहरन सी दौड़ गयी.
तुरंत ही नीलू की दोनों हथेली ने जयेश के चेहरे को थाम लिया.
नीलू के मुँह से दर्द भरी आवाज आई- आह!
जयेश ने एक हथेली से नीलू की पीठ को सहलाया और दूसरी हथेली से स्तन को नीचे से सहारा दिया.
नीलू ने जयेश की पीठ पर ऐसे हथेली रखी, जैसे मां बच्चे पर रखती है.
दर्द इसलिए हुआ क्योंकि अभी तक दूध की धारा ठीक से आ नहीं रही थी.
जयेश ने नीलू के स्तन को धीरे धीरे सहलाया और पके हुए आम का रस निकालने के लिए दबाते हैं, ऐसे ही धीरे धीरे दबाया.
साथ ही जयेश ने बहुत प्यार से सहलाना जारी रखा. उसने स्तन का केवल निप्पल ही चूसने के लिए अरोला तक का भाग मुँह में लिया था और थोड़ा जोर से चूसा था.
दरअसल निप्पल में कुछ दूध सूख कर जमा हुआ होगा, इसलिए अभी तक दूध नहीं आ रहा था. जोर से चूसने के कारण सूखा हुआ दूध निकल गया और दूध की धारा सीधी जयेश के गले में जा लगी.
श्वास नलिका में दूध लगने से जयेश ने खांसा.
नीलू का हाथ जयेश की पीठ पर ही था, उसी से नीलू ने जयेश की पीठ को थपथपाया.
नीलू धीरे से बोली- नहीं, नहीं.
यह कहती हुई नीलू ने जयेश की पीठ को सहलाया.
अच्छी तरह से सहलाती हुई बोली- धीरे धीरे चूसो मेरे राजा.
दूध की अविरल धारा बहने लगने से नीलू को बहुत सुकून मिला तो उसके मुँह से आह आह की आवाज निकलने लगी.
जयेश ने दोनों स्तनों को चूस कर खाली कर दिया और नीलू के मुँह को चूम कर कहा- अब तुम आराम से आधी लेटी सी रहो.
ऐसा कह कर उसने दो तकिए नीलू के पीछे रखे और उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे धीरे से तकिये की ओर धकेला.
नीलू आराम से लेटी.
जयेश का नाईट शर्ट नीलू से सटे रहने से गीली हो गई थी.
यह देख कर जयेश ने शर्ट को निकाल दिया.
नीलू ने जयेश से पूछा- मैं आपको किस नाम से पुकारूँ?
‘अभी तो तुमने बोला था राजा … मुझे वही बहुत अच्छा लगा. वैसे जयेश भी कह सकती हो.’
‘मैं आपको सर या सा’ब कहकर बुलाऊं?’
जयेश ने उसके गाल पर हाथ फ़िराया और कहा- तुम्हारा दिल जो कहे, उस नाम से बुलाओ. हर बार अलग नाम से बुलाया, तो भी चलेगा.
नीलू का चेहरा हंस कर खिल गया.
जयेश ने उसके सर पर हाथ फ़िराया और कहा- बस ऐसे ही हंसती हुई खुश रहना!
जयेश धीरे से नीलू के पास वापस गया और उसके एक स्तन को फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
जयेश के पास आते ही नीलू ने अपनी बांहें पसार दीं और जयेश को आगोश में भर लिया.
नीलू को बूब्ज़ सक करवाना बहुत अच्छा लगा, वह धीरे से बोली- आह मेरे राजा.
जयेश भी नीलू का स्तनपान करते करते नीलू के अंगों को सहलाने लगा.
दोनों एक दूसरे में खो रहे थे; या कहो समा रहे थे.
जयेश कभी एक स्तन को चूसता था, तो दूसरे को सहलाता था.
उसका सहलाने का तरीका भी अजीब था.
वह उंगलियों से ऐसे स्पर्श करता था कि जैसे कोई छोटा बच्चा कर रहा हो.
कभी उंगलियों के पीछे के भाग से चूचक को स्पर्श करता था.
नीलू का आधा दर्द तो दूध की धारा चालू होने से दूर हो गया था, पर जयेश के स्पर्श से मानो आनन्द की उसे कोई अनन्य अनुभूति हो रही थी.
वह उस दुनिया का अनुभव कर रही थी, जहां वह कभी नहीं पहुंची थी.
जयेश का स्पर्श एक अद्भुत अहसास दे रहा था, जो उसने अब तक कभी महसूस नहीं किया था.
नीलू ने अपनी आंखें बंद कर ली थीं.
सुख की इस अनुभूति को वह अपने मन मस्तिष्क में स्थिर कर लेना चाहती थी.
कभी कभी जयेश दूसरे स्तन को सहलाता था, तब नीलू अपनी हथेली से जयेश के उस हाथ को सहलाती थी और सहलाते सहलाते अपना हाथ जयेश के कंधे तक ले जाती थी.
जब भी जयेश एक हाथ से नीलू के गाल को भी सहलाता; तभी नीलू जयेश की उस हथेली को अपनी हथेली से दबा देती थी.
मानो उसका यह कहना था कि करते रहो, बहुत अच्छा लगता है.
कभी कभी जयेश नीलू के कटि प्रदेश पर हाथ फ़िरा देता था.
नीलू की साड़ी तो पहले ही निकल चुकी थी. तभी पहली बार जयेश ने उसकी नाभि और कटि को देखा था.
जयेश ने सोचा कैसे मैंने रात को यह सौंदर्य पान नहीं किया.
जयेश का दूसरा हाथ उसके सुंदर गाल पर पहुंचा और सहलाया.
नीलू को बहुत अच्छा लगा.
उसने जयेश के हाथ पर अपना हाथ रखा और धीरे से उसकी हथेली को अपने होंठों पर लिया और जम कर बहुत चुंबन दाग दिए.
जयेश बहुत रोमांचित हो उठा था.
पर ये क्या … रोमांचित वह हुआ था और नीलू की दुग्धधारा बढ़कर अविरल बहने लगी थी.
मतलब साफ़ था कि नीलू भी उतनी ही रोमांचित हो गयी थी.
इसी लिए तो वह जयेश नाम का जप करने लगी थी.
बीच बीच में वह मेरे राजा जैसे भी बोल लेती थी.
जयेश के लिए मुश्किल हो गया था कि वह नीलू के स्तनों से निकलता हुआ सब दूध पी जाए.
उसका मुँह दूध से भर गया था, तब भी वह थोड़ा थोड़ा गटक रहा था.
जयेश ने सर ऊपर उठाया और नीलू की तरफ़ देखा.
दोनों एक दूसरे के सामने देख कर मुस्कुरा दिये.
जयेश ने अपने होंठों को नीलू के होंठों पर रख कर एक दीर्घ चुंबन धर दिया. जयेश ने कुछ देर अपने होंठ वहीं सटाये रखे.
नीलू ने भी बहुत मादक तरीके से चूमा और चूसा भी.
उसके बाद जयेश ने एक बार फिर से नीलू के स्तन से दूध को भरा और अपने मुँह में भरे हुए दूध को नीलू के मुँह में जाने दिया.
नीलू ने कभी खुद का दूध चखा ही नहीं था.
अपने बच्चे के प्रति प्रेम के कारण यह सोच कर कि उसके हिस्से का दूध मैं कैसे पी सकती हूं? इसी सोच के चलते उसने कभी नहीं चखा था.
नीलू ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसका दूध अमृत जैसा होगा.
आज नीलू को बहुत मजा आया.
उसने बहुत चाव से जयेश के मुँह से अपने मुँह में आया दूध पूरा पी लिया.
जयेश को भी मजा आया कि नीलू ने मेरे मुँह से अपना दूध पी लिया.
यह जयेश को सेक्सी भी लगा और एक दूसरे के प्रति शरीर संबंध के लिए नींव का पहला पायदान भी लगा.
जयेश ने फ़िर से नीलू के स्तन को मुँह से चूसा और जब उसका मुँह पूरा भर गया, तो नीलू के होंठों पर अपने होंठ रख कर उसके छोटे से सुर्ख, सुंदर और पूर्णिमा जैसे गोल चेहरे को दोनों हथेली से नर्मी से पकड़ कर ऊंचा किया.
नीलू को जयेश का ऐसा करना बहुत भाया.
जब जयेश ने अपने होंठ नीलू के होंठ पर रखे तो नीलू ने जयेश के होंठों को प्यार से चूमा.
जयेश ने चूमना भी चालू रखा और धीरे धीरे दूध की धारा को नीलू के मुँह में जाने दिया.
नीलू जयेश के खुले बदन को सहलाने लगी.
जयेश का चौड़ा सीना नीलू को बहुत भा गया था इसलिए उसे जयेश के सीने को सहलाना बहुत अच्छा लग रहा था.
वह सोच रही थी कि कब इस चौड़े सीने और मजबूत बांहों में समा जाऊं.
जयेश बहुत देर तक यही करता रहा. वह नीलू के स्तन से दूध चूस कर अपने मुँह में भरता और नीलू के होंठ से होंठ मिला कर पूरा दूध नीलू को प्यार से पिलाता था.
ऐसा लगता था जैसे एक पंछी की मां अपने बच्चे को प्यार से मुँह में खाना खिला रही हो.
नीलू को जयेश के मुँह से खुद के स्तनों का दूध पीना बहुत ही प्यारा लग रहा था.
उसने कभी ऐसा प्यार पाया ही नहीं था.
जब वह छोटी थी, तभी से नाना के घर रहती आई थी.
नाना जल्द ही चल बसे थे.
कुछ साल तक मामी का प्यार मिला था पर वह ज्यादातर बीमार ही रहती थी.
नयी मामी उसे बहुत लताड़ती थी.
इधर नीलू के पिताजी ने जब बेटी की विपत्ति सुनी तो तुरंत अपने पास बुला लिया.
यहां आने पर ही नीलू को पता चला कि पिताजी ने उसकी मां को निकाल कर दूसरी शादी कर ली है.
मां कहां गई, वह कुछ बता ही नहीं पाया.
नई मां ने नीलू को कभी प्यार नहीं दिया. फिर जबरदस्ती से हुई शादी से भी प्यार नहीं मिला था.
कुल मिलाकर नीलू ने कभी प्यार पाया ही नहीं था.
आज वह एक अजनबी इंसान से इतना प्यार पाकर निहाल हो गई थी.
नीलू को केवल थोड़े ही समय में प्यार का ऐसा अहसास हो गया जैसे न जाने कितने जन्मों से वह प्यार की प्यासी थी और आज उसकी सारी प्यास बुझने वाली थी.
जयेश को नीलू के हाथ ऐसे सहला रहे थे, जैसे उन दोनों का संबंध बहुत पुराना हो.
नीलू का ऐसा सहलाना, जयेश को उन्मादित करता जा रहा था और उसका नीलू के प्रति भावनात्मक बंधन और गहरा होता जा रहा था.
जयेश ने बहुत बार नीलू को दूध पिलाया, तब नीलू ने जयेश के सर पर हाथ फ़िराया और बोली- मेरे राजा, अब मेरा दूसरी तरफ़ का दुख भी दूर करो ना!
जयेश ने ऊपर की ओर देखा.
दोनों अर्थ पूर्ण तरीके से बात को समझ कर मुस्कुरा दिये.
जयेश ऊपर की ओर बढ़ रहा था, तभी नीलू ने जयेश के चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकर सहलाया और कहा- अब तुम पियो मेरे पिया.
इस सम्बोधन पर जयेश खुश होकर मुस्कुरा दिया.
जयेश ने भी नीलू के सुंदर मुख को हथेलियों में लेकर सहलाया, अपने होंठ से नीलू के होंठों पर एक नाजुक चुंबन किया और हाथ से नीलू को थोड़ा दूध मुँह में लेने के लिए इशारा किया.
नीलू ने अपनी बांहों को फ़ैलाया और जयेश को अपने आलिंगन में भर लिया.
जयेश ने अपने आपको सही किया और वह अब घुटनों के बल पर खड़ा हो गया.
उसने वापस नीलू को आलिंगन में भर लिया. उसकी पीठ को सहलाया और अपने होंठ नीलू के होंठ पर रख दिए.
नीलू ने अपने प्रियतम के होंठों से प्रेमरस का पान किया. दोनों जिस्म भी स्पर्श रस का पान कर रहे थे.
उन दोनों के शरीर का यह पहला प्रेमालिंगन था.
दोनों के मुँह से दूध पूरा खत्म होते ही उनके मुँह अलग हो गए. दोनों एक दूसरे को एक पल के लिए देखते रहे.
अब जयेश ने नीलू के दोनों गालों पर बहुत चुम्बन दागे.
जयेश का मुख दूध वाला होने से नीलू के गाल पर दूध के निशान बन गए थे.
जयेश ने अपनी जीभ से नीलू के दोनों गाल को चाट कर साफ़ कर दिए.
मौका देख नीलू ने भी जयेश के चेहरे पर बहुत सारे चुंबन कर लिए.
जयेश के गाल पर दूध नहीं लगा था, तो भी उसके गाल को नीलू ने चाट लिया और आखिर में उसके होंठों को बहुत ही चुंबन दे दिए.
जयेश ने झुक कर दूसरे स्तन की निप्पल को जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
निप्पल को प्यार भरा सुख मिलते ही दूध ने बहना शुरू कर दिया.
अब जयेश ने दूध को चाटने के बदले चूसना शुरू कर दिया था.
स्तन से दूध की धारा बहते ही नीलू को हल्का सा दर्द होने लगा.
नीलू को थोड़ी असहज होती देख कर जयेश ने उसी स्तन को प्यार से सहलाया और नीलू से आंख मिला कर पूछा- प्रिये, धीरे से करूँ क्या?
तब नीलू ने नकार में सिर हिलाकर कहा- थोड़ा दर्द भी प्यारा लगता है.
जयेश ने स्तन को और सहलाया और वह अपने दूसरे हाथ से नीलू के अंग उपांग को सहलाने लगा.
जयेश का हाथ जब नीलू की नाभि पर से धीरे से नीचे की ओर बढ़ा, तो नीलू की योनि से अभी तक बूंद बूंद कर बहता रस, अब धारा में बदल गया.
नीलू ने तुरंत ही अपना पेटीकोट खोला, उसे नीचे से निकाला और अपने नीचे दबा लिया ताकि धारा प्रवाह से पलंग की चादर न बिगड़ जाए.
जयेश का हाथ नाभि से होते नीलू के त्रिकोण प्रदेश पहुंचा तो वह हतप्रभ रह गया.
उसकी योनि देख कर लग रहा था कि वह कोई बिना चुदी कुंवारी कमसिन लड़की की योनि हो, जिस पर अभी तक एक भी बाल ना आया हो.
ऐसी नीलू की योनि थी और आसपास का क्षेत्र भी ऐसा ही था.
जयेश सहलाता भी रहा और स्तन को चूसता भी रहा.
उसने अब तक योनि प्रदेश से दूर तक के अंगों को भी सहलाने के साथ साथ नीलू अन्य अंगों का मुआयना भी कर लिया था.
जयेश ने पाया कि नीलू की जांघ चौड़ी नहीं हैं. इसीलिए उसकी दोनों जांघें एक दूसरे से घिसती भी नहीं होंगी, तो वहां काले निशान भी नहीं होंगे. ऐसे काले धब्बों से जयेश को बहुत ही चिढ़ थी.
ऊपर से दूध बड़ी मात्रा में आ रहा था. जयेश दूध गटकता जा रहा था.
नीलू और जयेश दोनों को सुख की अपार अनुभूति हो रही थी, साथ ही में दोनों के बीच एक अनोखा रिश्ता बन रहा था.
जयेश का हाथ घूमते हुए आखिर त्रिकोण पर अटक गया.
उसकी उंगलियों ने नीलू की योनि को अपार सुख दिया.
नीलू ने दोनों पांव फ़ैला दिए.
एक उंगली योनि के चीरे से धीरे धीरे दाने तक जा पहुंची और उसे सहलाने लगी.
नीलू सिर हिलाने लगी थी.
जयेश ने स्तन छोड़ कर नीलू की ओर देखा.
नीलू मदमस्त हो चुकी थी, फ़िर भी उसने तुरंत ही जयेश के सिर को पीछे से धक्का देकर अपने स्तन पर पुन: टिका दिया.
जयेश दूध भी चूसता रहा, चूत के दाने से भी खेलता रहा.
कभी कभी वह चूत के दाने को छोड़ कर जी-स्पॉट की तलाश भी कर लेता था.
नीलू अलग अलग तरह की आवाज भी कर रही थी.
कभी कभी वह जयेश, जयेश की रट लगा लेती थी.
कभी कभी मेरे राजा बोल कर जयेश को कहीं पर भी छू लेने की कोशिश कर लेती थी.
एक बार उसने जयेश के लंड को भी छुआ और सहलाया.
जयेश का लंड वैसे तो बहुत बड़ा और तगड़ा भी है. नीलू के सहलाने से उसमें और जोश भर गया.
तभी जयेश ने नीलू के उसी हाथ को पकड़ा और उससे लंड को सहलवाया.
नीलू ने भी बहुत देर तक जयेश के लंड और उसकी जांघों को सहलाया.
जयेश ने अपना नाइट पैंट खोल कर उतार दिया.
अब जयेश का लंड सीधा ही नीलू के हाथ में था.
नीलू ने उसे बहुत ही प्यार से सहलाया.
आखिरकार दोनों बातें साथ ही हुईं. स्तन भी खाली हुए और जयेश ने जी-स्पॉट को पूरी तरह उत्तेजित कर दिया.
नीलू को परम सुख की प्राप्ति हो गयी.
वह जोर से कराही और सिर को दाएं बाएं बहुत जोरों से हिलाती हुई उसने अपने दोनों पैरों को जोड़ कर जकड़ लिए.
उसने अपने स्तनों को दोनों हाथ से ढक लिए.
तब जयेश ने धीरे से नीलू के पीछे से दोनों तकिए निकाले और उसको धीरे से बेड पर चित लिटा दिया.
जयेश उसके बगल में ही लेट गया और अपने एक हाथ पर शरीर का वजन उठा लिया.
उसने ऊंचे होकर नीलू को देखते हुए उसके चेहरे को सहलाया, उसके सिर को सहलाया, उसके कंधों को सहलाया और साथ ही साथ वह नीलू के हर अंग को चूमता भी रहा.
धीरे धीरे नीलू होश में आई.
वह जयेश को देखकर मुस्कुराई.
जयेश ने उसको अपने आगोश में लेने के लिए अपने बाहु पसारे तो नीलू बड़े प्यार से और थोड़ी शर्माती हुई जयेश के सीने में सिमट गयी.
काफी देर तक वह ऐसे ही पड़ी रही.
बहुत देर के बाद वह बोली- आप बहुत ही प्यारे लगते हैं.
नीलू ने जयेश के वक्ष को चुंबनों से भिगो दिया, जयेश के सिर पर हाथ फेरा और जयेश के चेहरे को सहलाने लगी.
उसने जयेश के होंठों पर उंगली से स्पर्श भी किया, आंख पर भी स्पर्श किया, उसकी आईब्रो को सहलाया, ठोड़ी को पकड़ कर सहलाया, गाल पर हथेली से स्पर्श कर दाढ़ी के बालों को सहलाया.
वह कामुक होती गई और जयेश के थोड़ी और पास आ गई.
उसने जयेश के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
जयेश ने प्यारी नीलू को दोनों हाथ पसार कर आगोश में भर लिया.
नीलू पूरी तरह से जयेश के ऊपर आ गई.
उसने जयेश के होंठों को अच्छी तरह से अपने होंठों में ले लिए और चूसे भी.
नीलू के मुँह से थोड़ी लार टपक कर जयेश के लबों पर पड़ी, तो जयेश ने नीलू के इस अमृत को बड़े चाव से चूसा.
नीलू ने अपने चुंबन को सख्त बनाया और जयेश के होंठों को और जोर से चूसा.
जयेश की हथेली नीलू के मखमली बदन को सहलाते हुए उसके अंग उपांगों का मुआयना करने लगे.
नीलू की मखमली पीठ पर अच्छी तरह हथेली फ़िराने के बाद उसके दोनों कंधों को सहलाने लगा.
फिर उधर से नीचे आकर नीलू के अन्डर आर्म को उंगलियों से सहलाने लगा.
अब जयेश की हथेली नीलू की कमर पर जा पहुंची.
जयेश ने कमर के ढलान को मापा तो उसको लगा कि नीलू का बदन भगवान ने बड़ी फुर्सत से तराशा है.
कमर से हठ कर जयेश की हथेली उसके नितंब पर जा पहुंची.
नीलू के नितंब बहुत बड़े नहीं थे पर बहुत सुडौल थे.
नितंब की रेखा भी ललचाने वाली थी.
ऊपर चुंबन से तृप्त नीलू का मुँह थोड़ा खुला, तो जयेश ने अपनी जीभ को नीलू के मुँह में धकेल दिया.
नीलू के मुँह ने अपने पिया की जीभ का स्वागत करते हुए अच्छी तरह चूसा.
नीलू को यह बहुत ही मनभावन लगा. ऐसा करने से नीलू का मुख रस जयेश पीने लगा.
यह रस किसी सोमरस से कम नशा देने वाला नहीं था.
जयेश बड़े चाव से उस रस को चूसने लगा.
नीलू को भी बहुत मजा आने लगा.
नितंब को बहुत प्यार से देर तक सहलाने के बाद जयेश ने अपनी उंगलियों से गुदा द्वार को स्पर्श किया.
जिससे नीलू के बदन में एक सिहरन भरी उत्तेजना व्याप्त हुई.
सिहरन के कारण नीलू के पांव थोड़े चौड़ा गए.
ऐसा होने से उसकी योनि के चीरे पर जयेश का शिश्न सट गया.
उधर चुंबन रस का आदान-प्रदान आगे बढ़ता जा रहा था.
नीलू की जीभ कभी जयेश के मुँह में, तो कभी जयेश की जीभ नीलू के मुख में जाकर रस का स्वाद लेती रही.
उनका एक दूसरे के बदन को सहलाना भी जारी रहा.
दोनों पूर्व-रतिक्रीड़ा में रत थे.
जयेश का शिश्न कड़क हो गया था और नीलू की मुलायम योनि के नीचे दबे रहने से जयेश अब असहज हो गया था.
जयेश ने नीलू को कसके पकड़ा और अपनी दांई ओर पलट गया.
अब नीलू बेड पर पीठ के बल पर पड़ी थी और जयेश उसके ऊपर चढ़ा था.
नग्न अवस्था में लेटी सुंदर नीलू को देख कर जयेश को उसकी सुंदरता का रसपान करने की लालसा हुई.
जयेश ने अपने आप को थोड़ा ऊपर उठाया और नीलू के सुंदर मुख को देखने लगा.
थोड़ी देर तक ताकने के बाद जयेश ने उसके चेहरे पर चुम्बनों की बौछार लगा दी.
उस दौरान नीलू भी जयेश के अंगों को सहलाती रही.
जयेश के चुंबन चेहरे से आगे बढ़ते हुए उसके कान की लौ पर अटक गया. जयेश ने लौ को मुँह में लेकर जीभ से टटोला.
नीलू को बहुत मजा आया, पर थोड़ी गुदगुदी भी हुई.
गर्दन पर चुंबन देने के बाद जयेश ने उसके सिर पर हाथ फ़िराया और होंठ से होंठ मिलाये.
फिर उसने तुरंत ही दूसरे कान की लौ को प्यार किया.
इस बार नीलू को ज्यादा मनभावन लगा.
इसके जवाब में नीलू ने जयेश के बदन को सहलाया और अपने पांवों को चौड़ा दिया.
जयेश ने अपना वजन नीलू पर से हटाते अपने पांव पर लेकर उसके दोनों पांवों के बीच में खुद को ठहरा दिया.
जयेश ने फ़िर से होंठ पर चुंबन किया और आगे बढ़ते हुए पूरे गले पर बहुत से चुंबन दागे.
आगे बढ़ते हुए जयेश ने उसके दोनों कंधों को बारी बारी चूमा.
ऐसा करते हुए जयेश ने उसके हाथ को सहलाया और कंधे से लेकर हाथ की उंगलियां तक चुंबन दागे.
जयेश ने उसकी उंगलियों से अपनी उंगलियों को लॉक किया और चूम लिया.
फिर उसने दूसरे हाथ पर भी ऐसे ही प्यार किया. धीरे से हाथ को ऊंचा किया और बगल के पास गया, हथेली से बगल को सहलाया और पास जाकर सूंघा.
उसकी बगल एकदम साफ़ थी. बाल का नामोनिशान नहीं था.
बगल काली भी नहीं थी और दाग भी नहीं थे.
जयेश हैरत से देखता ही रहा.
उसने नीलू की ओर देखा तो वह हंस रही थी.
जयेश ने उसकी बगल को चूम लिया और बोला- इतनी साफ़ कैसे रखती हो?
आगे बढ़ते हुए जयेश ने दोनों स्तनों पर ढेर सारे चुंबन भी दिए. अपने चेहरे से स्तनों को सहलाया और सूखे हुए दूध को चाट चाट कर साफ़ किया.
इस दौरान नीलू का हाथ जयेश की पीठ पर फ़िरता ही रहा.
जयेश ने आखिर में दोनों स्तनों की घुंडियों को भी चूमा.
उसी वक्त जयेश ने अपने एक हाथ से नीलू के चेहरे को छुआ.
तुरंत नीलू ने जयेश को अपनी ओर खींचा और उसको चूमते हुए बोली- मेरे राजा, बहुत सुख दिया है आज आपने मुझे … अब वह भी दे दो जिसके लिए आप भी तड़फ रहे हैं.
इसके जवाब में जयेश ने उसके मुख पर बहुत चुंबन दागे.
नीलू के हृदय में खलबली मची तो उसने जयेश को बांहों में जकड़ लिया.
जयेश को लगा कि नीलू की योनि से रस बहता हुआ उसके लंड पर चिपक रहा है.
वह सीधा ही उसकी योनि के पास पहुंचा; सचमुच ही रस बह रहा था.
उसने तुरंत ही अपना मुँह लगाया और चाटने लगा.
नीलू ने अपने पांव चौड़े और हवा में उठा दिए.
तब उसकी योनि सही तरीके से मुँह लगी. नीलू की योनि बगल की तरह एकदम साफ़ थी.
सचमुच ही कमसिन लड़की जैसी साफ़ और दूध जैसी सफ़ेद चूत थी.
जयेश ने पहले भी उंगली से नीलू को चरम सुख का अनुभव करवाया था.
जयेश ने एक बार पूरी योनि को मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
कुछ ही पलों में चूत से ढेर सारा रस जयेश को इनाम के तौर पर मिल गया.
जब रस बहना कम हुआ, तो जयेश ने योनि को चौड़ा करके जीभ को अन्दर डालना शुरू कर दिया.
थोड़ी ही देर में नीलू बहुत उत्तेजित होकर कराहने लगी और मादक आवाज से ‘जयेश … आह मेरे राजा.’ बोलने लगी थी.
जयेश ने सोचा उसका मुँह बंद करना होगा.
अब जयेश उल्टा हो गया और 69 की अवस्था में आ गया.
जयेश का मदमस्त मोटा और लम्बा लौड़ा नीलू के चेहरे के सामने था.
उसका क्या करना, या नहीं करना … ये सब उसने नीलू पर छोड़ दिया और खुद ने नीलू की चूत पर प्यार बरसाना शुरू कर दिया.
नीलू ने लंड कभी चूसा ही नहीं था, पर उसके पति ने बहुत बार जबरदस्ती मुँह में डाला था.
जब पति ही पसंदीदा नहीं था तो ये सब कैसे होता?
नीलू ने पति से काफी मोटा और लंबा लौड़ा देखा तो वह डर गई.
पर अगले ही पल बहुत चाव से उसके मोटे लंड को अपने हाथ में लेकर सराहने लगी.
उसने एक दो बार लंड को चूमा भी, फिर तो उसको खुद को भी मालूम नहीं पड़ा कि कब वह एक अनुभवी रांड की तरह लंड चूसने लगी.
जयेश के लंड ने भी जवाब देते हुए अपना कद बढ़ा दिया और वह लाल भी हो गया.
नीलू को दोनों ओर से मजा आने लगा था.
चूत से रिसाव हो रहा था, वह जयेश को सुख दे रहा था … और जयेश के मुँह का रिसाव नीलू के आनन्द को बढ़ा रहा था.
थोड़ी ही देर में दोनों चरम सीमा के पास पहुंच चुके थे.
पहले नीलू ने पार किया और जोर से आवाज निकालना चाहा, पर मुँह में बड़ा लौडा किसी मूसल की तरह ठुका हुआ था.
नीलू ने पांव से जयेश को गले से लॉक लगाया. जयेश ने आनन्द विभोर होते हुए अपने गर्म माल की पहली पिचकारी मारी.
नीलू लंड को चूसती ही रही.
एक एक पिचकारी मारते जयेश का आनन्द परमानंद की ओर बढ़ता रहा.
जयेश के गले को लॉक लगा था, पर मुँह को अभी भी योनिरस की अपेक्षा थी.
नीलू के रस का रिसाव भी बढ़ा और जयेश को परम सुख भी मिला.
नीलू ने आज बहुत सारा रस छोड़ा था, जितना उसने पूरे जीवन में भी नहीं निकाला था.
दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही पड़े रहे.
पांच मिनट के बाद जयेश पलट कर सिरहाने की ओर हो गया.
दोनों ने एक दूसरे को आलिंगन में लिया और चुम्बनों की बौछार लगा दी.
प्यार करते करते करते जयेश ने कहा- नीलू मैं हैरान हूं कि गरीब बस्ती में रहते हुए भी तुम अपने अंगों पर एक बाल भी नहीं रहने देती हो? वैक्सिंग करती हो, रेजर या क्रीम … क्या करती हो कि मखमल जैसी मुलायम त्वचा रहती है तुम्हारी?
‘मेरे प्यार, मेरे यार … आप हैरान मत होना. मैं समझाती हूँ.’
नीलू जयेश को और कस कर चिपक गई, जयेश के चेहरे को दुलारती हुई बोली- मैं कमसिन थी, तब नाना के पड़ोस में एक आंटी का स्पा था. मैं उनकी बहुत मदद करती थी. मुझे सब कुछ आता था. जब उन्होंने नई लेसर मशीन ली, तो हम दोनों ने एक दूसरे के प्राईवेट अंगों के बाल साफ़ किए थे, तब से मेरे प्राईवेट्स पर बाल नहीं आ रहे हैं.
‘तो क्या तुम खुद का ब्यूटी पार्लर शुरु कर सकती हो?’
‘क्यों नहीं? बिल्कुल कर सकती हूं. मुझे इस समस्या से निकलने के बाद कुछ तो करना ही पड़ेगा ना?’
जयेश नीलू की बातें सुनते सुनते नीलू के सुंदर अंगों को सहलाता जा रहा था और चूमता भी जा रहा था.
नीलू जयेश के प्यार से अन्दर से पिघल रही थी. जयेश भी नीलू के प्यार से तरबतर हो गया था.
नीलू ने पूछा- क्या तुमको पसंद आएगा?
जयेश बोला- कैसी बात कर रही हो? तुम खुद कमाओ और खुद पर निर्भर बनो, तो मुझे बहुत खुशी होगी. भारत की औरतें खुद पर निर्भर नहीं होती हैं इसलिए उन्हें पुरुष जाति की गुलाम बन कर रहना पड़ता है. मैं नहीं चाहता कि तुम पूरी जिंदगी मेरे घर पर कामवाली बन कर रहो. तुमको उस काम में शर्म आती है तो मैं तुमको ऑफिस चलाना सिखा दूंगा और कहीं नौकरी पर भी लगा दूंगा.
जयेश ने उसका चेहरा संवारा और चुंबन करते हुए कहा- तुम जीवन में बहुत आगे बढ़ो, यही मेरी तमन्ना है. यह सब करने के लिए कितना भी खर्च हो, मैं करूंगा.
नीलू ने प्यार करते हुए कहा कि आप कितने अच्छे हो. मुझे बहुत प्यारे लग रहे हो.
जयेश ने दोनों के शरीर पर एक पतला कम्बल ओढ़ लिया और एक दूसरे के होंठ चूसते हुए लेट गए. अभी स्खलन के बाद थकान ने उन दोनों को रोक दिया था, पर संभोग के बिना प्यार अधूरा रहता है, यह आप सभी जानते हैं.
एक घंटा बाद उन दोनों ने वापस अपने प्यार को पाने की होड़ लगाई और उन दोनों के बीच वासना का ऐसा तूफान आया कि लगातार चालीस मिनट तक जयेश नीलू को रौंदता रहा और नीलू भी खुद को पिसवाती रही. आज उसे खुद के जिस्म को कुचलवाने में पहली बार सुख मिल रहा था.
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