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पड़ोसन ने बुला कर मुझे दे दी अपनी चूत - Sex Stories in Hindi

मेरा नाम नरेश है दोस्तो! मैं 28 साल का एक मस्त नौजवान हूँ।


मैं एक गाँव का रहने वाला हूँ।

बचपन में दूध दही मक्खन बहुत खाया है और कसरत भी खूब की है इसलिए मेरा शरीर बड़ा सुडौल और आकर्षक बना हुआ है।


मैं कसरत और योगा हर रोज़ करता हूँ।

मेरा रंग गोरा है और कद 5′ 10″ का है; बाल घुंघराले हैं और मैं हमेशा क्लीन शेव रहता हूँ।


जहाँ मैं रहता हूँ वहां एक धीरज नाम का आदमी भी रहता है।

वह मेरा पड़ोसी है।


मेरा उसके घर खूब आना जाना रहता है।

मैं उसे अपना बड़ा भाई मानता हूँ।

हम दोनों मिलजुल कर रहते हैं और खूब एन्जॉय करते हैं


उसकी शादी हो चुकी है और उसकी बीवी का नाम आरती है।


मैं उसे भाभी जी कहता हूँ और वे भी मुझे अपने देवर की तरह मानती हैं।

हमारा उनके साथ तालमेल बहुत अच्छा बना हुआ है।


यह भाभी सेक्स का मजा कहानी इन्हीं भाभी के साथ की है.


आरती भाभी बहुत ही सुन्दर सेक्सी और हॉट हैं।

वे अक्सर साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज़ में रहतीं हैं. कभी कभी ब्लाउज़ की जगह ब्रा ही पहने रहतीं हैं।


सच बताऊँ तो आरती भाभी साड़ी और ब्रा में बहुत ज्यादा ही हॉट लगतीं हैं।


उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आँखें, लम्बे लम्बे बाल, गोरा बदन, पतली कमर, बड़े बड़े कूल्हे, खुली हुई बाहें, उभरते हुए चूतड़ और उसके बीच की गांड सब मुझे बहुत भाते हैं।


मैं जब उसे देखता हूँ तो बस देखा ही करता हूँ।


इसके अलावा जब वह मुस्कराकर बोलतीं हैं तो मन करता है की मैं उससे घंटों बातें करता रहूं।


धीरज भाई साहब जब ऑफिस चले जाते हैं तो मुझे उससे बातें करने का ज्यादा वक्त मिल जाता है और मैं उस मौके को छोड़ता नहीं हूँ।


मेरी नज़र उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर रहती है और मस्तानी गांड पर भी।

उसकी खुली हुई बाहें तो मुझे अच्छी लगती हैं।


आरती भाभी को देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है।

यह बात शायद भाभी को नहीं मालूम।


मैंने सोच लिया कि मैं यह बात उसे किसी दिन बताऊंगा जरूर!

एक दिन अचानक मैं उसके घर पहुंचा तो मालूम हुआ कि धीरज भाई साहेब घर पर नहीं है।

भाभी अकेली ही हैं।


बस मुझे उससे खुल कर बातें करने का मौका मिल गया।


मैंने कहा- भाभी जी, आज तो आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं।


वे बोली- लग नहीं रही हूँ … मैं तो खूबसूरत हूँ यार!


मैंने कहा- अच्छा यह बताओ भाभी जी, आपके पीछे लड़के खूब घूमा करते होंगे?

वे बोली- हां बिल्कुल घूमा करते थे और आज भी घूमते हैं। मैं जहाँ जाती हूँ वहां तो लोग मुझे घूर घर कर देखते हैं। उनका बस चले तो मुझे उठा ले जाएँ!


मैं बोला- वैसे उठाने का तो मेरा भी मन करता है भाभी जी!

भाभी मुस्कराकर बोली- इतना आसान नहीं है मुझे उठाना। गांड फट जाएगी तेरी मुझे उठाने में!


उनकी इस गाली ने मुझे बुरी तरह झकझोर दिया।

मेरा लण्ड साला एकदम से टन्न हो गया.


मैंने कहा- जो फटना है वो फट जाये … पर मैं उठा जरूर लूँगा आपको भाभी जी!

“अच्छा … तो उठा कर दिखाओ मुझे?”


मैं आगे बढ़ा और झुक कर भाभी की दोनों टांगों के बीच हाथ डाल कर उसे गोद में उठा लिया और उनकी चुम्मी भी ले ली.


उन्होंने भी मुझे प्यार भरी निगाहों से देखा और फिर उतर कर खड़ी हो गईं।


ये सब हो ही रहा था कि अचानक धीरज आ गया।

मुझे लगा कि मेरे हाथ से एक बेहतरीन मौका निकल गया।

मैं थोड़ा निराश हो गया और अपने घर चला गया।


उसके 3 घंटे बाद भाभी का फोन आया, बोली- नरेश तुम अभी मेरे घर आ जाओ।

यह सुनकर मैं खुश हो गया।


मैं फ़ौरन उसके पास पहुँच गया।

मुझे देख कर उन्होंने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मेरे गले में बाहें डाल कर मेरी चुम्मी ले ली।


मैंने कहा- अरे भाभी जी, अगर धीरज भाई साहेब फिर आ गए तो?

वे बोली- अब वह भोसड़ी का नहीं आएगा क्योंकि उसका हवाई ज़हाज़ उड़ चुका है। अब वह मादरचोद 3 दिन के बाद ही आएगा। अब तुम बेफिक्र होकर मेरे साथ बैठो और रोमांटिक बातें करो।


यह सुनकर मेरे बदन में आग लग गयी।

मेरे लण्ड में गज़ब का तनाव आ गया।

मेरा चेहरा भी खिल उठा।


भाभी ने मुझे सोफे पर बैठा दिया और खुद अंदर चली गई।


थोड़ी देर में वे ड्रिंक्स का सेट एक टेबल पर रखे हुए आ गई।


उनके बदन पर केवल एक छोटी सी ब्रा थी और नीचे एक तंग पैंटी।


मैं उन्हें देख कर बहुत उत्तेजित हो गया।


उनके बड़े बड़े स्तन लगभग पूरे खुले हुए थे सिर्फ निप्पल ही छिपे हुए थे।


मेरा मन हुआ कि मैं लण्ड इन्हीं स्तनों के बीच घुसेड़ दूँ।


भाभी के पूरे बदन से सेक्स टपक रहा था।


मुझे उसका अधनंगा बदन देख कर बड़ा आनंद आ रहा था।


वे मेरे सामने बैठ गई और एक ड्रिंक का एक पैग बना कर मुझे पकड़ा दिया।


फिर हम दोनों आमने सामने बैठे हुए दारू पीने लगे।

मुझे पहली बार मालूम हुआ कि आरती भाभी दारू भी पीती हैं।


एकाएक भाभी जी बोली- यार, क्यों न हम लोग ताश का एक गेम खेलें?

मैंने कहा- हां हां मैं तैयार हूँ भाभी जी!


वे ताश की गड्डी लेकर बैठ गयी।


उन्होंने कहा- देखो नरेश एक पत्ता तुम निकालो, एक पत्ता मैं निकालूँगी। जिसका पत्ता छोटा होगा वो अपने बदन का एक एक कपड़ा उतारता रहेगा। इस तरह खेल तब तक चलेगा जब तक कि हम दोनों के कपड़े पूरे उतर न जाएँ और हम दोनों नंगे न हो जाएँ।


यह सुनकर मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। उनके जिस्म पर सिर्फ दो ही कपड़े थे.


बस फिर खेल शुरू हो गया।


गड्डी से एक पत्ता मैंने निकला और एक पत्ता भाभी ने!


मेरा पत्ता छोटा था तो मैं हार गया इसलिए मुझे अपनी शर्ट उतारनी पड़ी।


दूसरी बार भी मैं हार गया तो मुझे अपनी पैंट उतारनी पड़ी।


अब मैं सिर्फ चड्डी आ गया था.


तीसरी बार मैं जीत गया और भाभी हार गईं तो उन्होंने अपनी ब्रा उतार दी।


उनकी दोनों चूचियाँ नंगी नंगी मेरे सामने छलक पड़ीं.

उन्हें देख कर मेरा लण्ड साला चड्डी एक अंदर ही कड़क हो गया।


चौथी बार मैं फिर हार गया तो भाभी बोली- अब मैं तेरी चड्डी खोलूंगी नरेश!


वे उठी और मेरी चड्डी दन्न से नीचे खींच दी.

तो मेरा चिकना लण्ड टनटना कर उनके आगे खड़ा हो गया।


उन्होंने लण्ड पकड़ लिया और बोली- ओ माय गॉड … कितना बड़ा कितना मोटा है तेरा लण्ड बहनचोद! मुझे तो मज़ा आ गया तेरा लण्ड पकड़ कर!


मैंने कहा- भाभी जी, अगली चाल चलो न?


पाँचवीं बार में भाभी हार गयी तो मैं उछल कर बोला- भाभी, अब उतारो अपनी पैंटी और दिखाओ मुझे अपनी मस्तानी चूत जो इतनी देर से छुपी बैठी है।


भाभी शायद इसी बात का इंतज़ार कर रही थीं।

वे खड़ी हुईं और अपनी पैंटी खोल दी।


फिर क्या उनकी छोटी छोटी झाटों वाली चूत मेरे सामने थिरकने लगी.


मैंने उसे पहले सहलाया फिर झुक कर मस्ती से एक चुम्मी ले ली।

उधर भाभी ने मेरे लण्ड की चुम्मी ले ली।


हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगे एक दूसरे के बदन से खेलने लगे।

मुझे उसकी चूत चाटने में मज़ा आने लगा उन्हें मेरा लण्ड चाटने में!


मेरी हिम्मत बढ़ गयी तो मैं फिर उनकी चूचियाँ दबाने लगा।

वे भी मज़ा लेने लगी।


हम दोनों काफी देर तक यूं ही एक दूसरे से चिपके रहे.

यह सच है कि आग दोनों तरफ से लगी थी।

न मैं रुकने को तैयार था और न भाभी जी।


वे बोली- नरेश, मुझे जी भर के प्यार करो। मैं प्यार की बहुत भूखी हूँ।

मैंने कहा- जी भाभी, मैं तो सच में आपको बहुत प्यार करता हूँ। मैंने जबसे आपको देखा था भाभी जी, उसी दिन से मुझे आपसे प्यार हो गया था. पर मैं कह नहीं सका।


वे बोली- मेरी भी यही दशा है नरेश … मैंने जब तुम्हें पहली बार देखा था तो मेरे दिल में कुछ कुछ होने लगा था। मेरा मन हुआ कि मैं इस लड़के को नंगा देखूं!

फिर उन्होंने मेरे कान में कहा- नरेश, आज मैं तुम्हें अपनी चूत दूंगी।


यह सुनकर मैं पागल हो गया।


मैं उसके नंगे बदन का पूरा मज़ा लेने लगा।


वे भी मेरा नंगा लण्ड पकड़ कर उसे हिला हिला कर उसे चारों तरफ से घुमा घुमा कर चाटने और चूसने लगी।

जोश में उनके मुंह से निकला- ओ माय गॉड … क्या मस्त लौड़ा है तेरा भोसड़ी के नरेश? मुझे नहीं मालूम था कि तेरा लौड़ा इतना बड़ा और इतना मोटा होगा। यह मेरी उम्मीद से ज्यादा हैंडसम है और कड़क है। मैं ऐसे ही लौड़ों की दीवानी हूँ।


जैसे ही भाभी ने मेरा लण्ड मुंह में डाला, वैसे ही मैं बड़ी जोर से गनगना उठा।

मेरी इस छोटी सी उम्र में पहली बार किसी औरत ने अपने मन से मेरा लण्ड अपने मुंह में डाला था।


मैंने ऐसा होते हुए सिर्फ पोर्न में देखा था, ब्लू फिल्म में देखा था।


पर मुझे पता नहीं था कि एक दिन मुझे किसी लड़को को अपना लण्ड उसके मुंह में घुसाने का मौका मिलेगा।

या यूं कहिये कि कोई लड़की अपने मन से मेरा लण्ड अपने मुंह में लेगी।


मेरा तो सपना पूरा हो रहा था।

मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी, मुझे किसी लड़की को पूरी तरह नंगी देखने का ही नहीं बल्कि उसके नंगे बदन से खेलने का भी मौका मिल रहा था।


मैं अपने आपको बड़ा लकी समझने लगा।

मैं उसकी नाभि को, उसकी जाँघों को उसकी कमर को बड़े प्यार से चाटने लगा।


फिर मेरा मुंह अपने आप ही उसकी मस्तानी चूत की तरफ बढ़ा।

उसकी चूत की महक मुझे मदहोश करने लगी।


मैं अपनी जबान निकाल कर चूत को चाटने लगा, चूत में अपनी जबान घुसेड़ने लगा।


उधर आरती भाभी मेरे लण्ड को बड़ी मस्त होकर चाट रही थीं।

ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्हें पहली बार कोई लौड़ा मिला है।


उन्होंने कहा- नरेश, तेरा लौड़ा बड़ा सख्त है यार एकदम लोहे की तरह। बड़ा प्यारा लग रहा है तेरा लौड़ा! मन करता है कि मैं इसे रात भर पकड़ कर मज़ा लूं … इसे कभी अपनी आँखों से ओझल न होने दूँ।


आरती भाभी बड़े मजे से लौड़ा हिला भी रही थी और चूस भी रही थीं।

मेरे मन में आया कि कहीं मैं झड़ न जाऊं?

अगर ऐसा हुआ तो मैं चोद नहीं पाऊंगा.


तो मैंने भाभी की टाँगें फैलाईं और लौड़ा उसकी चूत पर सेट कर दिया।

पहले तो मैंने लण्ड उसकी चूत पर रगड़ा और फिर एकदम गच्च से अंदर पेल दिया।


मेरा लौड़ा एक ही बार में सरसराता हुआ घुस गया।

मैं तो मस्त हो गया और भाभी को भी मज़ा आया.


वे बोली- हाय दईया … तूने तो एक ही बार में पूरा लौड़ा पेल दिया यार! तेरी माँ का भोसड़ा … साले कुत्ते, ऐसे चोदते हैं क्या? अरे ज़रा हौले हौले चोदो … मैं कही भागी नहीं जा रही हूँ. हाय रे, कितना मज़ा आ रहा है, कितना अच्छा लग रहा है. आज तो मेरी मस्त चुदाई होगी। क्या मस्त लौड़ा है तेरा, आज मेरी चूत का हलवा बन जाएगा। आज सच में फट जाएगी मेरी चूत!


कुछ देर में वे फिर बोली- नरेश माँ के लौड़े … तेरी गांड फट रही है क्या? ठीक से जल्दी जल्दी चोदता क्यों नहीं? पूरा लौड़ा पेल पेल के चोद! मैंने कहा था न कि मैं तुझे अपनी चूत दूँगी। मैं दे तो रही हूँ तुझे अपनी चूत। अब ज़रा जल्दी जल्दी मार मेरी चूत … घुमा घुमा के लौड़े पेल और चोद मुझे!


मैंने अचानक रफ़्तार बढ़ा दी तो वे सिसकारियां निकालने लगी- हां हां … ओहो हां हूँ आह हय ओ हां हां … आह बड़ा मज़ा आ रहा है. तू तो मादर चोद चूत लेने में बड़ा माहिर है. तेरी बहन की बुर साले हरामजादे … तूने मुझे पहले क्यों नहीं चोदा? पहले मुझे अपना लौड़ा क्यों नहीं दिखाया? तेरा लौड़ा बड़ा हरामी है, बड़ा बेरहम है. मेरी चूत तेरे बाप का माल है क्या जो अंदर तक घुसा जा रहा है? यह मेरी चूत है तेरी माँ का भोसड़ा नहीं है जो चोदे चला जा रहा है।


भाभी जी इसी तरह मस्ती से कुछ न कुछ बोले जा रही थीं.

मैंने कहा- हां, तेरी चूत मेरा बाप का माल है, मेरा माल है. आज मैं इसे पूरी तरह लेकर ही रहूंगा। आज मैं फाड़ डालूँगा तेरी चूत, कचूमर बना दूंगा तेरी चूत का! तू तो बहनचोद पूरी रंडी है रंडी। तेरी चूत क्या, तेरी माँ का भोसड़ा भी फाड़ डालूँगा मैं!


ऐसा बोल कर मैंने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी।

मुझे जरुरत से ज्यादा ताव आ गया था।

मैं भाभी के पूरे बदन का मज़ा लेना चाहता था। मैं हाथ धो के पीछे पड़ गया उन्हें चोदने में!


वे भी पूरा साथ देती जा रही थी।


लेकिन बस 10 मिनट में ही उनकी चूत ढीली हो गयी; उनकी चूत ने छोड़ दिया पानी!

पानी की धार उनकी चूत से बाहर निकलने लगी।


वे बोली- हाय मेरे राजा, तूने मेरी चूत सच में फाड़ डाली यार! अच्छी तरह से तूने ले ली मेरी चूत!


मैं भाभी को खलास करके बड़ा खुश हो गया।


लेकिन कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी.

तब भाभी ने उसे अपने मुँह में ले लिया, सारा का सारा वीर्य चाट कर लण्ड को एकदन चमका दिया।


उसके बाद नंगी भाभी जी मुझे बाथ रूम में ले गयीं।

वहां उन्होंने मुझे खूब साबुन लगा कर खूब नहलाया।

मेरे लण्ड को भी प्यार से चुम्मी ले ले कर नहलाया।


फिर उन्होंने मुझे घर में नंगा ही रखा, बाहर जाने नहीं दिया।


मैं उनके साथ मजे से लिपट कर लेट गया।

उनके पूरे नंगे बदन पर हाथ फिरा फिरा कर मज़ा लेने लगा।


एक घंटा के बाद वे बोली- नरेश अब तुम मेरी गांड चाटो मैं तेरा लण्ड चाटूँगी।

वे सच में लण्ड चाटने लगी।


फिर मैं भी उनकी गांड चाटने लगा।

मुझे गांड चाटने में मज़ा आने लगा।


हालांकि पहली बार मैं किसी परायी बीवी की गांड चाट रहा था।

गांड के साथ साथ मैं चूत भी चाट लेता।


उसके बाद वे खुद ही घोड़ी बन गई और बोली- नरेश, अब तुम मुझे पीछे से चोदो। डॉगी स्टाइल में चोदो। मुझे कुतिया की तरह चोदो, मुझे घोड़ी बनाकर चोदो।


बस फिर मैंने पूरा लण्ड उनकी गांड में घुसा दिया।

उनकी चीख निकल पड़ी।

मैंने उनकी कोई परवाह नहीं की और गपागप चोदने लगा उनकी गांड … मुझे तो बिन मांगे मुराद मिल गई थी।


मुझे पीछे से चोदने का सुख मिल रहा था।

मैं बीच बीच में लण्ड उनकी चूत में भी पेल देता।


चूत और गांड दोनों एक साथ चोदने का मौका पहली बार मिला था और मैं उसका पूरा पूरा फायदा उठाकर डबल सेक्स का मजा ले रहा था।


बीच बीच में उसकी गांड के छेद में उंगली भी करता जा रहा था।

मुझे गांड चोदने में उससे ज्यादा मज़ा आ रहा था जो चूत चोदने में आया था।

बल्कि गांड उसकी ज्यादा टाइट थी जिसमें लण्ड चारों तरफ से चिपक कर घुस रहा था।


मैंने चूत और गांड दोनों को एक चोदने का खूब मज़ा लिया और भाभी ने भी खूब मज़ा लूटा।

वे बोली- नरेश, अब तुम मुझे इसी तरह चोदा करो।


रात में मैंने भाभी को 3 बार चोदा और सवेरे उठ कर एक बार फिर घपाघप चोदा।


अब जब जब उसके पति बाहर जाते हैं, तब तब वह मुझे बुलाकर खूब धकाधक चुदवाती है और अपनी चूत मुझे बड़े दिल से देती है।


मेरी हॉट भाभी Sex Stories in Hindi पर अपनी राय मुझे बताएं.

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