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पड़ोसन लड़की की चूत के बदले गांड मरवानी पड़ी - Hindi Sex Stories

दोस्तो, नमस्कार.

सबसे पहले मैं अपने बारे में कुछ बताना चाहूँगा.

मेरा नाम है रूद्र सिंह … मैं एक 6 फीट कद का लड़का हूँ. मेरे लंड का साइज़ 6 इंच है और यह औसत से कुछ ज़्यादा मोटा है.

मेरी उम्र 19 साल है.


यह Hindi Sex Stories अभी कुछ दिन पहले की ही है, जब मैंने और मेरे पड़ोस की एक आंटी और उनकी लड़की ने साथ सेक्स किया था.


लड़की का नाम रूचि है और उसकी उम्र करीब 21 साल की होगी.

वह एक दुबली पतली करीना कपूर टाइप की लड़की है.


उसके दूध भी छोटे हैं और गांड भी ज्यादा बड़ी नहीं है.

पर उसमें एक कशिश है जो लड़कों के लंड एक पल में खड़े करने में सक्षम है.


मैंने अभी एक महीने पहले ही रूम चेंज किया था और अब जिस नए कमरे में रहने आया हूँ, वह एक बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर पर है.


फर्स्ट फ्लोर पर रूचि अपनी मां के साथ रहती है.

उसकी एक बहन और भी थी जो मुझे बाद में मालूम हुआ था.


जिस दिन मैं यहां सबसे पहले रहने आया, तो मुझको रूचि से जैसे प्यार सा हो गया था.

अब मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता था.


पर मैंने सोचा कि अभी थोड़ा रुक जाता हूँ बाद में इसके साथ सैटिंग करता हूँ.


ऐसे ही एक हफ़्ता बीत गया और कुछ नहीं हुआ.

फिर एक दिन मेरे घर की बाल्कनी में से एक कपड़ा उनकी बाल्कनी में चला गया.


मैं अपना कपड़ा लेने उनके घर गया.

उधर मेरी मुलाकात आंटी से हुई.


मैंने कहा- आंटी, मेरा एक कपड़ा मतलब मेरा कच्छा आपकी बाल्कनी में उड़ कर आ गया है. क्या मैं उसे ले सकता हूँ?

आंटी- हां आ जाओ बेटा, ले लो!


उन्होंने पजामा और टी-शर्ट पहनी हुई थी, वह भी बिना ब्रा के.

जबकि रूचि ने शॉर्ट्स और क्रॉप टॉप पहना था.


फिर मैं अन्दर गया और उनकी बाल्कनी में जाकर अपनी चड्डी उठाने लगा.

उसी वक्त आंटी भी बाल्कनी में आ गईं और उनसे मेरी कुछ बात होने लगी.


मैं उनकी टी-शर्ट में से थिरकते मम्मों को ताड़ रहा था और इसी वजह से मेरा लंड कड़क होता जा रहा था.

लंड फूला तो वह साला साफ दिखने लगा था.


आंटी ने धीरे से मेरे लंड पर हाथ रखते हुए हंस कर कहा- यह क्या है?

मैंने भी हंस कर कहा- अरे कुछ नहीं आंटी, यह आपकी वजह से हो गया है.


आंटी भी हल्के से हंसने लगीं.

यह सब रुचि भी देख रही थी तो रूचि को थोड़ा अजीब लगने लगा.


वह मुझसे बाहर जाने को कहने लगी.

पर आंटी ने दरवाजा लगा दिए थे.

इससे मैं खुश था पर रूचि को कुछ खास फर्क नहीं पड़ रहा था.


तभी आंटी ने अपनी टी-शर्ट ऊपर उठा कर हटा दी.

मैंने अचकचा कर देखा तो उनके बूब्स लटक रहे थे.


रूचि आंखें बंद करने लगी.

वह अन्दर को जाने लगी तो आंटी ने रूचि को पकड़ कर उधर ही रुकने का कहा.


पर वह मान नहीं रही थी तो आंटी ने उसे कुछ इशारा किया जिससे वह चुपचाप एक तरफ बैठ गई.


मैं समझ नहीं पाया कि यह क्या हुआ.

आंटी ने ऐसा क्या इशारा किया कि रुचि चुपचाप बैठ गई.


तभी आंटी ने मुझे आंख मार कर एक सीटी मारी और लंड निकालने का इशारा कर दिया.


मैंने भी झट से अपना लंड निकाला और आंटी को दिखाने लगा.


आंटी ने मेरे करीब आकर लंड हाथ में पकड़ा और मुझसे बोलीं- मस्त हथियार है बाबू, अब तक यह कितनी सुरंगें खोद चुका है?


मैंने कहा- अरे आंटी, आज आपके शुभ छेद से ही इसकी ओपनिंग होनी है.


यह सुनकर आंटी की खुशी का ठिकाना न रहा.

वे कुंवारा लंड देख कर तुरंत अपने घुटनों पर बैठ गईं और मुँह में लंड लेकर चूसने लगीं.


मैं भी आंटी के मुँह को चोदने लगा और मैंने जीभ हो अपने होंठों पर फेर कर रूचि को आवाज दी कि आ जा रानी कुँवारे लंड की झप्पी ले ले.

वह मुस्कुरा दी और मेरे नजदीक आ गई.


मैंने उसके शॉर्ट्स की इलास्टिक में उंगलियां फँसाईं और उसे नीचे को झटका दे दिया.

रुचि ने भी अपनी पैंटी समेत शॉर्ट्स को उतार दिया.


उसकी गुलाबी चूत देख कर मेरे लंड में सख्ती आ गई, जो आंटी के गले में गड़ने लगी.


मैंने रुचि की चूत को सहलाया और उससे कहा- अपनी चूत मेरे मुँह पर लगा दे. उसने पास में रखे सोफ़े पर खड़े होकर अपनी टांगें फैला कर मेरे मुँह में चूत लगा दी.


अब मैं आंटी को लंड चुसवा रहा था, वे जमीन पर बैठ कर लंड का स्वाद ले रही थीं और मैं उनकी बेटी रुचि की चूत चाट रहा था.


कुछ देर यूं ही लंड चुसवाने के बाद मैंने आंटी को घोड़ी बनाया और अपना लंड उनकी गांड में पेल दिया.


आंटी तो भारी चुदक्कड़ थीं.

लंड मक्खन में चाकू की मानिंद ऐसे घुसता चला गया था मानो उनके हर छेद में किसी भी लंड को फ्री आवाजाही का पास मिला हुआ हो.


मैंने कुछ देर चूत मारने के बाद लंड बाहर निकाला और उसे पौंछ कर रूचि के मुँह में दे दिया.

उसे मेरे चूत रस लगे लंड को चूसने में कुछ घिन सी आने लगी, पर वह लंड चूसने लगी.


मुझे और आंटी को मज़ा आ रहा था.


मैंने आंटी को लिटा दिया ओर रूचि की चूत में लंड को पेल दिया.

मैं रुचि को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा.


तभी आंटी ने अपना मुँह रुचि की चूत पर लगा दिया.

रुचि ने अपनी मम्मी के मुँह में मूत दिया.

एकदम से पेशाब की धार आंटी के मुँह में गई तो उनको उल्टी हो गई और उधर सारा माहौल बहुत गंदा हो गया.


मैं भी जल्दी जल्दी रुचि के ऊपर अपने लंड की मुठ मार कर वहां से अपने घर आ गया.


अपने कमरे में आकर मैं खुद को साफ करके एक सिगरेट पीने लगा और सोचने लगा कि किस तरह रांड मां बेटी हैं, साली बिना कुछ परिचय के चूत गांड खोल कर चुदवाने लगी थीं.


वह सब सोच सोच कर मुझे बेहद मजा आ रहा था.


कुछ देर बाद मुझे दुबारा से उनके साथ चुदाई करने का मन हुआ.

तो मैं वापस उनके घर चला गया.


उधर वे दोनों नंगी लिपटी पड़ी थीं और लेस्बियन सेक्स कर रही थीं.


मुझे वापस आया देख कर रुचि मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गई और उधर उसने मुझसे अपने दूध चुसवाए और घोड़ी बन कर चूत चटवाई.

हालांकि मैं रुचि की चूत नहीं चोद पाया क्योंकि वहां इतनी जगह नहीं थी.


मुझे भी रुचि के साथ फ़ोरप्ले सेक्स करने में काफी मजा आया.


जब मैं बाहर निकला तो देखा कि आंटी पैग लगा रही थीं और किसी कोठे वाली रांड की तरह सिगरेट फूँक रही थीं.


मैंने उन्हें नंगी बैठे देखा तो उनके हाथ से सिगरेट लेकर एक सुट्टा मारा और सिगरेट हाथ में लिए हुए ही उनका पैग उठा कर एक ही सांस में गटक गया.

वे मुझे देखती रह गईं.


मैंने व्हिस्की का स्वाद ठीक करने के लिए सिगरेट को वापस मुँह से लगाया और कश खींच कर आंटी को सिगरेट पकड़ा दी.

अब मैंने कहा- लव यू आंटी … कमाल की माल हो आप दोनों.


रुचि मुझको अपने सीने से लगा कर चूमने लगी.

मैंने उसे आंटी के सामने बिस्तर पर लिटाकर चोदना चाहां तो आंटी ने रोक दिया और बोली- पहले मुझे चोदा, फिर इसे चोदना.

रूचि अपनी मम्मी से भिड़ गई, कहने लगी – पहले मैं मजा लूंगी इसके साथ!


दोनों में झगड़ा होने लगा तो रूचि बोली- तुम अभी जाओ, बाद में फिर से आना.


ऐसे ही कई दिन बीत गए, मैं लगभग हर दूसरे दिन उनसे मिलने चला जाता था.

लेकिन चुदाई नहीं हुई.


फिर एक दिन आंटी किसी काम से शहर से बाहर गई थीं.

उस दिन रुचि ही घर में अकेली थी.


मैं उसके घर आ गया और अब घर में मैं और रूचि ही थे.


हम दोनों पैग बनाने लगे और बात करने लगे.


मैंने उस दिन की चर्चा फिर से छेड़ दी.

उसने मुझसे बताया- मेरी मां बहुत बड़ी रंडी है. वह ऐसे ही कभी भी बाहर चुदवाने चली जाती है. वह मुझको भी अपने साथ लेस्बियन सेक्स के लिए घसीटती है. मुझे लेस्बियन सेक्स पसंद नहीं है. मैं ज्यादातर उनके साथ सेक्स करने वालों से भी दूर ही रहती हूँ. वे जब भी किसी को चुदवाने के लिए घर बुलाती हैं, मैं अपने कमरे में चली जाती हूँ. पर उस दिन मुझे तुम्हारा लंड काफी अच्छा लगा. क्योंकि तुमने कहा था कि तुम कुँवारे हो.


इसी तरह की बातें करते हुए हम दोनों तीन तीन पैग पी चुके थे और अब नशा गहरा गया था.


उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली- आज मुझे चोदने का मन नहीं है क्या?

मैंने कहा- लो आज तो इतने दिन बाद अकेले में चुदाई करने का मौका मिला है. आज तो खुल कर मजा लूँगा.


वह बोली- तो आ जाओ राजा!

मैंने अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिए और हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और एक दूसरे को चूमने लगे.


मैं उसकी गांड दबाने लगा और उसकी गांड में उंगली करने लगा.

ऐसे ही चूमते चूमते मेरा लंड खड़ा हो गया.


मैंने धीरे से उसकी पैंट खोली और उसमें अपना लंड लगा दिया.

चूत में लंड लगते ही मुझसे मज़ा आ गया क्योंकि रुचि की चूत काफी टाइट थी और गोरी भी.


मैंने घपाक से लंड अन्दर पेल दिया और रुचि भी मजे से अपनी चूत का भोसड़ा बनवाने लगी.

वह मुझसे मस्ती से चुद रही थी और मैं भी उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूत में लंड को सटासट अन्दर बाहर करता जा रहा था.


तभी रुचि बोली- मेरे दूध भी तो चूसो न!

मैंने उसके एक दूध को अपने मुँह में लेने के लिए खुद को उसके ऊपर झुकाया, तो उसने मेरे मुँह में अपना दूध दे दिया.


मैं उसके निप्पल को अपने होंठों में दबा कर खींचते हुए चूसने लगा और वह सिसकारी भरती हुई मुझे उत्तेजित करने लगी.

उसकी टाइट चूत में लंड में और ज्यादा सख्ती आ गई थी.


मैं उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसता हुआ उसकी चूत की बखिया उधेड़ रहा था.


कुछ ही देर में मेरे लंड को उबकाई आ गई और उसने रुचि की चूत में ही उल्टी कर दी.

रुचि भी मेरे साथ ही झड़ गई थी.


हम दोनों अपनी सांसें नियंत्रित करने लगे.


फिर हंसते हुए रुचि ने कहा- आज असली मजा आया है. अब तक मैं अपनी मम्मी की वजह से सही से चुदाई का मजा ले ही नहीं पाई थी.


हम दोनों उठ कर बैठ गए मैं सिगरेट सुलगा कर रुचि से फिर से पैग बनाने के लिए कहने लगा.


उसने एक लार्ज पैग बनाया और हम दोनों एक ही पैग से शराब की चुस्कियां लेते रहे.


कुछ देर बाद फिर से चुदाई का मूड बन गया और हम दोनों ने वापस चुदाई शुरू कर दी.


इस बार रुचि ने मेरे लौड़े पर चूत फंसा कर काऊगर्ल पोजीशन में चुदाई का खेल शुरू कर दिया.


चुदाई के तीन दौर पूरा करते करते शाम हो गई.

मैं थक कर वहीं सो गया था.


देर रात को आंटी वापस आ गईं.

उन्होंने मुझे देखा तो खुश हो गईं और मुझसे सेक्स के लिए बोलने लगीं.


मैंने भी हां कर दी ओर उनके साथ बेड पर लेट गया.

वे मेरे लौड़े को चूस कर खड़ा करने लगीं और मैंने उनको घोड़ी बनाया और चुदाई करने लगा.


रुचि पीछे से मुझे मेरे चूतड़ों पर चिकोटी काट रही थी और मैं उसे हंस हंस कर मना कर रहा था.

बाद में वह मुझे अपने दूध चुसवाने लगी और मेरे व आंटी के साथ थ्रीसम सेक्स में शामिल हो गई.


मुझको उस दिन उन दोनों के साथ सेक्स करने में बहुत मज़ा आया.

अब मैं उन दोनों के साथ रोज सेक्स करता हूँ.


एक दिन हम तीनों सेक्स कर रहे थे, मुझे नहीं मालूम था कि रुचि के पापा भी इस घर में आते हैं. मुझे तो आंटी ने यही बताया था कि वे अपने पति से अलग हो गई हैं.


उस दिन उसके पापा ने मुझे रुचि को चोदते हुए पकड़ लिया और मुझको गाली देने लगे.

मैं समझ ही नहीं पाया कि यह आदमी कौन है.


तभी रुचि ने अपने कपड़े पहन कर उन्हें पापा कहा, तो मैं घबरा गया.


मैं उनसे सॉरी कहने लगा.

पर तभी एक कमाल की घटना घट गई.


उन्होंने न जाने क्या सोचा, मेरी गांड पर हाथ फेरने लगे और मुझसे घोड़ी बनने को कहने लगे.


मैं घबरा गया कि साला घर है या चिड़ियाघर है. सब लोग चुदक्कड़ हैं.


रुचि के पापा मेरी गांड मारना चाह रहे थे.

मैं मना भी नहीं कर पा रहा था.

उधर रुचि भी कह रही थी कि हां कह दो.


मैंने मजबूरी में हां कर दी और घोड़ी बन गया.


अंकल ने कहा- ये तेरी सज़ा है साले … तुम मेरी बेटी की चूत चोदते हो तो तुमको बदले में अपनी गांड मरवानी पड़ेगी.


उन्होंने अपनी बेटी रुचि से कहा- जा बेटी तेल ले आ!

रुचि तेल ले आई.


अंकल ने तेल को लंड पर लगाया और मेरी गांड मारने लगे

अंकल का लंड भी किसी गधे के लंड जैसा लंबा और मोटा था.


मेरी गांड फट रही थी तो मैं मरी हुई कुतिया के जैसे मिमिया रहा था.


मेरा दर्द देख कर आंटी ने अंकल को गाली दी- उसको छोड़ दे भोसड़ी के … वह तेरे लंड को नहीं झेल पाएगा.


यह सुनकर अंकल ने आंटी को पकड़ लिया और उनकी चूत में पेल दिया.


आंटी उनके बड़े लंड से तड़पने लगीं.

उनको काफी दर्द हो रहा था और वे रो रही थीं.


मुझको मज़ा आ रहा था.


अंकल ने मुझसे कहा- देख साली रांड कैसा बिलबिला रही है.


मैंने अंकल से इशारे से कहा कि हां ऐसे ही करो.

मैं अपना लंड हिलाने लगा और मज़े लेने लगा.


तभी मैंने रूचि को खींच लिया और उसके साथ सेक्स करने लगा.

अब अंकल ने मुझे मना नहीं किया.


हम सबको इसी तरह से सेक्स करते करते कब रात हो गई, कुछ पता ही नहीं चला.


उसके बाद हम सभी ने कई बार साथ में सेक्स किया.


पर अभी भी रूचि की छोटी बहन हमारी चुदाई से दूर थी. वह बाहर हॉस्टल में रह कर पढ़ रही थी.


जब मुझे रुचि ने अपनी छोटी बहन पिंकी के बारे में बताया तो मैंने सोचा कि उसका भी मजा लेना चाहिए.

मैंने आंटी से उसकी चुदाई के लिए कहा तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि नहीं उसे कुंवारी ही रहने देना चाहिए.


मगर मैंने पिंकी को चोदने का एक प्लान बना लिया.


जिस दिन पिंकी घर आई, उस दिन मैं जानबूझ कर आंटी को चोदने गया था.


मैं आंटी को चोदते हुए काफी शोर कर रहा था.

तभी पिंकी कमरे में घुस आई.


उसने देखा कि उसकी मां चुद रही है.

यह देख कर वह भौंचक्की रह गई.


उसके बारे में बताऊं तो वह 19 साल की थी और बहुत भरी हुई माल थी.

उसे देख कर लगता था कि साली रोज लंड लेती होगी.


वह किसी से कह ना दे, इसलिए मैंने उसे अपने पास बुलाया और उससे भी सेक्स करने को कहा.

मेरे लंड को देख कर वह चुदने के लिए मान गई.

मैंने उसकी भी चूत मार ली.


आज के लिए इतना ही, आगे की कहानी कभी और लिखूंगा.

एक सेक्स कहानी और भी है मेरे पास, उसमें मेरी ओर मेरे टीचर की चुदाई है.

वह कहानी भी काफ़ी मस्त है. उसमें मैंने अपनी टीचर को लंड के नीचे लेने के लिए बड़ी मस्त प्लानिंग की थी.

आप पढ़ेंगे तो आप भी किसी को उसी प्लानिंग से सैट कर सकते हैं.


आप सब कमेंट में बताएं कि आपको मेरी Hindi Sex Stories कैसी लगी.

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