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बड़ौदा में धोबन की जवानी का मजा - Hindi Sex Kahani

Kamvasna

मैं आपका मित्र अजय यह एक और सच्ची Hindi Sex Kahani आपको बताने जा रहा हूं जिसमें देसी भाभी की चूत चोदी मैंने!


मैं बड़ौदा गुजरात में रेलवे की 4 माह की ट्रेनिंग करने गया।


रेलवे कॉलोनी में क्वार्टर खाली नहीं होने के कारण मैं पास ही एक सोसायटी में कमरा लेकर रहने लगा।

खाना तो दोनों समय घर पर ही बनाता था।


लेकिन कपड़े सोसाइटी के बाहर कौने पर एक कमरे के बने मकान के बाहर टीन शेड के बरामदे में रह रही धोबन से धुलवा कर प्रेस करवा लेता था।


मेरे आने जाने का रास्ता भी वहीं से था।


अब धोबन भाभी के बारे में बताता हूं।

उसका नाम था हेतल … बेहद खूबसूरत … उम्र यहीं 25 या 26 साल, इकहरा बदन, लंबी, पतली कमर … शरीर का साइज 36-28-38 … बोबे ब्लाउज से बाहर निकलने को आतुर!


एक साल के एक बच्चे की मां!

वैसे कोई कह नहीं सकता था कि इसके एक बच्चा भी है।


वहीं हेतल का पति … मनु भाई … भाभी से उम्र में 6 या 7 साल बड़े।

चेहरे पर मुहासे के दाग!

हेतल भाभी के साथ दूर दूर तक उसकी कोई जोड़ी नहीं फिट होती थी।


मैं अक्सर ऑफिस से लौटते समय उसके क्यूट से बच्चे को गोद में लेकर खिलाता।

हेतल भाभी मुझसे काफी मुस्करा कर बात करती।


ज्यादातर कपड़े भाभी ही बाहर लगे मेज पर प्रेस करती।

मनु भाई घर घर से कपड़े इकट्ठे करते, उन्हें 4 किलो मीटर दूर नहर पर धो कर लाते।


कपड़े धोने का काम वो सोमवार और शुक्रवार को करते।


सुबह उठ कर पोटला बांध कर साइकिल पर निकल जाते और शाम होते होते अंधेरा होने तक वापस लौट आते।


उनकी कमजोरी थी वे रोज देसी शराब पीने की!

जब कपड़े नहर पर लेकर जाते तो भी शराब की अध्धा साथ ले जाते।

दोपहर को खाना खाने से पहले जरूर लगाते।

रात को तो निश्चित रोज का काम था।


भाभी सारे दिन कपड़े प्रेस करती।

बच्चा झूले में लेटा रहता।


पसीने की बूंदें भाभी के चेहरे से बह कर गले से होते हुए ब्लाऊज से बहती हुई अंदर की ब्रा को भी गीला कर देती।


भीगने के कारण पतले ब्लाउज में से ब्रा दिखती और ब्रा में से उसके चूचों की काली काली निप्पल नज़र आती।


एक बात और … उनके घर पर सोसाइटी का कोई भी व्यक्ति नहीं आता था क्योंकि कपड़े लाने और पहुंचाने का काम मनु भाई करते थे।

उनका कमरा मेन रोड से थोड़ा अंदर की और था जहां से कुछ नहीं दिखता था।


सिर्फ मैं ही अपना टाइम पास करने के लिए उनके पास बैठता था।


मनु भाई से भी मेरी दोस्ती हो गईं थी।


वैसे मनु भाई कम ही मिलते थे।

सिर्फ हेतल भाभी ही मिलती थी।

वो भी मुझ से हंस हंस कर बात करती।

वह भी मुझ में इंटरेस्ट लेने लगीं थीं।


एक दिन मैंने कहा- भाभी, आप इतनी सुंदर हो। पर ये बताओ मनु भाई का तो आपके जोड़ मिलता नहीं है। आपने इनमें क्या देखा जो इनसे शादी कर ली?

वे उदास हो गई।

मैंने कहा- सॉरी, मेरे पूछने का बुरा लगा हो तो!


वे एक गहरी सांस लेकर अपनी आप बीती बताने लगी:


अजय भाई, मेरी शादी इनसे मेरी मर्जी से नहीं हुई है।

इसने मुझे मेरे बाप को एक लाख रुपए देकर खरीद कर शादी की है।

इसकी पहली लुगाई मर गई थी।


मेरे घर में मेरा बाप ही था वो भी शराबी। मां बचपन में ही मर गई थी जब मैं छोटी थी।


मेरा बाप बहुत कमीना इंसान था।

2 साल पहले एक रात शराब के नशे में वो मेरे ऊपर चढ़ गया। मुझे जान से मारने की धमकी देकर रोज रात को शराब पीकर मेरी चूत मारता।


फिर एक दिन उसे अटैक आया।

वो अस्पताल में भर्ती हो गया।

डाक्टर ने ऑपरेशन बताया।


पैसे थे नहीं … ये मनु उनका परिचित था, दोनों एक साथ पीते थे।

मनु के सामने उसने प्रस्ताव रखा कि तुम मुझे एक लाख दे दो और हेतल से शादी कर लो।


मनु के आगे पीछे भी कोई नहीं था।

सिर्फ ये जो खोली है, ये इसके नाम थी जो कि इसके मां बाप इसे देकर मर गए।

इसके नाम छोड़ी थी।

ये भी ऐसे ही कपड़े धोने प्रेस करने का काम करता था।

लोगों को समय पर कपड़े नहीं देता था।

काम बंद सा ही था।


मेरा बाप अस्पताल में भर्ती था।

बाप की लगातार चुदाई से मेरे गर्भ ठहर गया था।

2 महीने उपर चढ़ गए थे, मुझे उल्टी आने लगीं थीं।


मैं मन मार कर मनु से मंदिर में शादी करके यहां आ गई।

मेरा बाप अस्पताल में इलाज के दौरान चल बसा।


मैं मनु के साथ यहां आ गई।

मेरे पेट में बच्चा था ये मनु को भी नहीं पता था।


पहली रात मनु शराब पीकर रात में मेरे ऊपर चढ़ा।

दो चार झटके मार कर एक तरफ लुढ़क गया।


यही रोज का काम हो गया।

फिर कुछ महीने बाद ये किट्टू पैदा हुआ।

मनु को तो यह पता है कि किट्टू उसकी धुंआधार चुदाई करने से 7 महीने में ही पैदा हो गया।


ये बातें करते समय हम दोनों कमरे में आ गए।

वो बोली- मुझे नहीं पता कि मैंने ये सब बातें आप से क्यों की! पर आप मुझे अच्छे लगने लगे हो।


मैंने उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया।

उसकी पीठ पर हाथ फेरते फेरते उसके चेहरे को ऊपर उठा कर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए।

वो मेरे होठों को चूसने लगी।


मैंने उसकी कमर पर हाथ फेरते फेरते उसके स्तनों को दबाने लगा।


फिर मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटा कर उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए।

अंदर उसने काली ब्रा पहन रखी थी।

उसकी बगल के बालों से पसीने की खुशबू आ रही थी।


मैंने ब्रा के हुक खोल दिए।

हे भगवान … उसके 34 इंच के बोबे बाहर लटक गए।

गोरे गोरे सफेद दूध जैसे बोबों पर हल्की भूरे रंग के निप्पल गजब ढा रहे थे।


मैं देर न करते हुए इनको बारी बारी से चूसने लगा।

वह सिसकारियां भरने लगी।


मैं उसके निप्पल पर कभी दांतों से काटता कभी होठों में दबा कर चूसता।

ये मैं खड़े खड़े ही कर रहा था।


मैंने अपने हाथ से उसकी साड़ी पेटीकोट सहित ऊंची की।

उसकी जांघों पर हाथ फेरते फेरते अपना हाथ उसके चूतड़ों तक ले आया, पीछे से उसकी पैंटी में हाथ डाल कर सहलाने लगा।


उसकी पेंटी गीली हो गई थी।

मैंने बड़े प्यार से एक अंगूली उसकी चूत में घुसा दी।


वह चिहुंक उठी, बोली- बाबू, मनु के आने का समय हो गया है।

उसने अपने कपड़े ठीक किए- बाबू, मुझे आज सही से प्यार करने वाला मिला है।


मैं वहां से निकल गया।

गली से मैं निकला ही था कि मनु दूर से आता दिखा।


वह बोला- केम छो साहब? डयूटी से आ रहे हो?

मैंने कहा- हां मनु भाई।


बस हम निकल लिए.


गुरुवार को शाम को मैं जब ड्यूटी से लौट रहा था तो हेतल मुझे प्रेस करती मिली।

मुझे देख कर एक सेक्सी स्माइल दी।


मैं रुक गया, पूछा- कैसी हो?

बोली- ठीक हूं।


मैंने कहा- मनु भाई क्यांन छै!

बोली- कपड़ा मुकवा गया छै!

मैंने कहा- कब तक आयेंगे?

बोली- वार लाग छे!

मैं बोला- कितना?

बोली- 9 बजे तक … कपड़े तो 7 बजे तक देकर पैसा ले लेता है, फिर दारू के ठेके पर पीने बैठ जाता है।


वह बोली- चाय बनाती हूं, पीकर जाना!

मैंने कहा- ठीक है।


वह अंदर चाय बनाने चली गई, बोली- अंदर आ जाओ।

मैं कमरे में अंदर गया।


उसने मुझे स्टूल पर बैठने को कहा।


वो बोली- कल सुबह मनु नहर पर कपड़े धोने जायेगा।

मैंने कहा- कितने बजे जायेगा?

बोली- सुबह 7 बजे निकल जायेगा और रात 9 बजे तक लौटेगा।


मैंने पूछा- खाना नहीं बनाया?

बोली- दोपहर का रखा है, मेरा तो हो जायेगा। मनु शाम को जब पी लेता है तो नशे में खाना नहीं खाता। बेहोश होकर बिस्तर पर गिर जाता है।


मैं बोला- फिर वो काम कब करता है?

वो बोली- कौन सा काम?

कह कर हँसी, बोली- वो नामर्द है, उसका लंड ढंग से खड़ा नहीं होता। तभी तो पहली बीबी से शादी के 8 साल तक कोई बच्चा नहीं हुआ।


वह फिर से अपनी कहानी सुनाने लगी:


अभी पीकर आएगा। साथ ही साथ भी लेकर आएगा, यहां पी लेगा।

नशे में गिरता पड़ता अपना लंड मेरी चूत में डाल कर … वो भी अंदर गया या नहीं … हिला कर दो चार झटके मार कर लुढ़क जाता है, सारी रात बेहोश पड़ा रहता है मेरी चूत में आग लगा कर!

मैं सारी रात तड़पती हूं।

बेहोश होकर ऐसा पड़ता है कि उसे होश नहीं रहता।

सुबह मैं ही जगाती हूं मुंह पर पानी के छींटे मार कर!

यही मेरी जिंदगी है।


वह आगे बोली- बाबू, रात को इसको इतना भी होश नहीं रहता कि मुझे कोई आकर चोद जाए।

कल तो सारे दिन मैं अकेली रहूंगी।

सुबह ये चाय पियेगा, तब तक मैं इसके लिए खाना बना कर टिफिन तैयार कर दूंगी।

तब ये निकल जायेगा।

वहां ये कपड़े धोकर सूखने डालेगा, फिर पीकर खाना खा लेगा।

सुबह मैं 10 बजे तक सारे कपड़े प्रेस कर दूंगी, फिर किट्टू को नहला कर दूध पिला कर सुला दूंगी।


मैं समझ गया कि वह मुझे निमंत्रण दे रही है।

मैंने कहा- मैं आफिस से जल्दी 11 बजे आ जाऊंगा।


हम दोनों ने चाय खत्म की।


मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसे अपनी गोद में बैठा लिया।

वह आकर बच्चे की तरह मेरी गोद में बैठ गई।


मैं उसके होंठों पर रख कर प्यार से चूसने लगा।

वह भी मेरा साथ देने लगी।


15 मिनट तक चुम्मा चाटी के बाद वह गर्म हो गई।

इधर मेरा लंड पैंट में खड़ा होकर उसकी गांड पर टकराने लगा।


मैंने धीरे से उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए, उसके चूचों को ऊपर से दबाने लगा।


फिर मैंने उसकी ब्रा को भी खोल दिया।

उसके 34 इंच के बोबे बंधन से आजाद हो गए।


क्या गोरे गोरे स्तन थे … उन पर भूरे रंग की निप्पल शानदार थीं।

निप्पल लंबी थी किट्टू ने चूस चूस कर खींच कर लंबी कर दी थी।


मैं निप्पल अपने मुंह में लेकर चूसने लगा।

वह सिसकारियां भरने लगी।


मैंने धीरे से उसका पेटीकोट ऊपर करके उसकी पैंटी उतारी।

उसकी झांटों के बाल घुंघराले थे।


मैंने धीरे से उसमें एक अंगुली डाल दी।

वह चिहुंक उठी।

उसकी चूत पानी छोड़ रही थी जो मुझे मेरे हाथ पर लग रहा था।


मैंने उसे उठाया और अपना पैंट उतार कर फेंक दिया, चड्डी भी उतार दी।


अब मैं फिर से स्टूल पर बैठ गया।


मैंने उसकी दोनों टांगों चौड़ी करके उसको अपने लंड पर उसकी चूत के छेद को सेट करके बैठा लिया।

चूत गीली होने के कारण मुझे ज्यादा परेशानी नहीं हुई।


जैसे ही वह नीचे बैठी मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में आधा इंच अंदर घुस गया।

वह चिल्लाई- उई मां मर गई!


मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर नीचे की ओर खींचा।

फट से लंड उसकी चूत की गहराई में समा गया।


उसको दर्द हो रहा था … जाने कब से उसकी चूत में सही से लंड नहीं गया था।

दर्द के कारण उसने अपने होंठ भींच लिए।


मैं थोड़ा रुका, उसके निप्पल को चुसने लगा।


थोड़ी देर बाद मैंने उसे ऊपर उठाया और फिर नीचे खींच लिया।

अब मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया था।


उसको भी मज़ा आने लगा, वह भी मेरा साथ देने लगी. अपने आप उपर नीचे होने लगी।


मैं भी जोर जोर से धक्के पे धक्का लगाने लगा।


जल्दी ही वह झड़ गई।

उसका चूत रस गर्म गर्म मेरी जांघो पर फैलने लगा।


अब ठप ठप से बदल कर फच फच की आवाज आने लगी।

वह मस्त होकर मेरा साथ देने लगी।

मेरे लंड का टोपा उसकी चूत की दीवार पर घर्षण कर रहा था।


वह सीत्कार कर रही थी ‘ओआह ई पत्रिका ओ ई इ’ की आवाज उसके मुंह से निकल रही थी।

उसके चूचे ऊपर नीचे उछल रहे थे।


वह फिर से एक बार फिर झड़ गई।

देसी भाभी की चूत का रस लुब्रिकेंट का काम कर रहा था।


मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।

वह हांफ रही थी, ऐसा लग रहा था कि वह मीलों दौड़ कर आई हो।


थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ने लगा।

फिर से उसकी चूत से पानी की धार निकली।

अब वह तीसरी बार झड़ी थी।


पर मेरा अभी बाकी था।

मैं ठोकर पर ठोकर मारे जा रहा था।

वह अब शिथिल पड़ गई।


मैं अपनी स्पीड बढ़ा कर जल्दी जल्दी करने लगा।

अब मेरा निकलने वाला था.


मैंने कहा- हेतल कहां निकालूं?

उसने कहा- बाबू अंदर ही छोड़ दो। आज मेरी वर्षों के बाद प्यास बुझी है।


मैं उसकी चूत में स्खलित हो गया।

हम दोनों ठंडे पड़ गए।


उसने मेरे होंठों को चूमा और जैसे ही उठ कर खड़ी हुई।

उसकी चूत और मेरे लंड से मिश्रित पानी की धार मेरे लंड के फच की आवाज के साथ बाहर निकलते ही बह निकली।

उसने कपड़े से अपनी चूत ओर मेरे लंड को साफ किया और अपने कपड़े ठीक किए।


मैंने उसके गाल पर किस किया और उससे अगले दिन 11 बजे मिलने का वायदा करके चलने को हुआ।


वह फिर मुझसे लिपट गई।

मैंने कहा- कल खाना साथ ही खायेंगे।

कह कर निकल गया।

मैं ड्यूटी से 11 बजे निकला।

मैंने 34 नंबर की एक पेंटी ब्रा का सेट खरीदा।

फिर एक शराब की बोतल, खाने के लिए होटल से तंदूरी चिकन, बटर चिकन, शाही पनीर, चपाती और किट्टू के लिए केडबरिज चॉकलेट, दूध पीने की एक शानदार बोतल, खरीद कर लाया।


हेतल मेरा इंतजार कर रही थी, बोली- कितनी देर लगा दी।

वह प्रेस का काम खत्म कर चुकी थी।


मैंने अपने हाथ का पैकेट उसे पकड़ा दिया।


उसने पूछा- इसमें क्या है?

मैंने कहा- खुद ही खोल कर देख लो।


उसने खाने का पैकेट खोला।

फिर किट्टू की बोतल देखी।


फिर आखिर में पैकेट खोला तो उसमें पैंटी ब्रा देख कर खुश हो गई, मेरे गले लग गई।

उसकी आंखों में आंसू आ गए।


मैंने उसे खाना खाने के लिए कहा।


उसने खाना थाली में परोसा।

इतने में मैंने उससे एक गिलास और पानी लाने को कहा।

फिर अपनी शराब की बोतल निकाल ली।


वह आश्चर्य से देख कर बोली- आप भी?

मैं बोला- मेरी जान, तुमसे मिलन की खुशी में आज थोड़ी लेने का मन कर रहा है।


मैंने अपने गिलास में एक पेग बना लिया।


तब मैंने वैसे ही उससे पूछा- आप भी लोगी?

वह बोली- मैंने जिंदगी में आज तक नहीं ली। पर आप मुझे जहर भी पिला भी दोगे तो मैं खुशी खुशी पी लूंगी। मुझे आपके साथ कुछ ही दिनों में पूरे जीवन का आनंद मिल गया।

यह कह कर एक गिलास उठा कर मेरे सामने कर दिया।

मैंने उसका भी एक पेग बना दिया।


दोनों ने चीयर्स किया।

मैंने अपना गिलास उसके मुंह पर लगाया, उसने मेरे मुंह पर लगाया।

हम दोनों ने अपने जाम खत्म करे।

फिर खाना खाया।


अब हम दोनों नशे में टुन्न हो गए।


मैंने उसे अपने द्वारा लाई गई पेंटी ब्रा पहनने को कहा।


वह मेरे सामने ही नंगी हो गई।

मेरा दिमाग खराब हो गया।


मैंने उसे पेंटी ब्रा नहीं पहनने दी।

उसे अपनी बाहों में भर कर चूमने लगा, उसे बिस्तर पर लिटा दिया।


मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए।


अब मैंने उसके माथे से चुंबन लेना शुरू किया.

उसके कान के पीछे, होंठों पर, गले पर, छाती से होते हुए मैं उसके निप्पल को अपने होंठों से चूसने लगा, उसके बोबे दबा दबा कर चूसने लगा।


वह भी मस्ती में आ गई।


चूमते चूमते मैं उसके पेट से नाभि तक आ गया।


फिर उसकी चूत को अपने दोनों हाथों से फैला कर चौड़ी कर अपनी जीभ उसकी चूत में डाल कर चूसने लगा।


वह उत्तेजित होकर अपनी कमर उठा उठा कर साथ देने लगी और मुंह से ‘आह आह ओह ओह सी सी’ की आवाज निकाल रही थी।


उसकी चूत चूसते चूसते करीब 15 मिनट हो गए।

उसका शरीर अकड़ने लगा और एकदम से उसकी चूत से पानी निकलने लगा।


नमकीन पानी को मैंने चाट चाट कर साफ़ कर दिया।

इधर मेरा लंड खड़ा हो कर अपने पूरे आकार में आ गया।


मैंने खड़े होकर अपना लंड उसके मुंह में दे दिया।

वह इसे लालीपॉप की तरह चूसने लगी।


मैं लंड उसके मुंह में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।

कभी कभी मेरा 7 इंच मोटा और 3 इंच मोटा लंड उसके गले तक पहुंच जाता।

उसके मुंह से घुर्र घूर्र की आवाज आ रही थी।


मैं उसके मुंह में झटके मारे जा रहा था।

कुछ ही देर में मैं उसके मुंह में झड़ गया।

उसने मेरे लंड को चाट कर साफ़ कर दिया।


अब हम दोनों बिस्तर पर लेट गए।


थोड़ी देर बाद मेरा लंड खड़ा हो गया।

मैंने बेड के किनारे पर उसकी दोनों टांगें चौड़ी करके दोनों टांगों को अपने कंधों पर उठा कर अपने लंड को उसकी चूत के मुंह पर रखा और धीरे से दबा दिया।


मेरे लंड का सुपारा अभी थोड़ा सा ही गया था कि वह चीख उठी- अरि मैया … मर गई … इसे बाहर निकालो, वरना मैं मर जाऊंगी।

मैं थोड़ा रुका।


मैं उसके चूचों को मुंह में भर कर चूसने लगा।

वह थोड़ी शांत हुई।


मैंने एक झटका दिया मेरा लंड आधा उसकी चूत में समा गया।

वह जोर से चिल्लाने लगी- बाबू मार डाला … मर गई मैं! ऊ ऊ ओ ओ हाय दईया … कोई मुझे बचा लो! मेरी चूत फाड़ दी बाबू ने!


मैंने झट से अपना मुंह उसके मुंह पर रख दिया।


अब मैंने धीरे धीरे से झटके मारने शुरु किया।

पहले तो वह दर्द से कराह रही थी, फिर उसे भी मज़ा आने लगा।


कुछ देर बाद वह झड़ गई।

उसकी चूत से निकले पानी से जब मेरा लंड अंदर से बाहर आकर अंदर जाता तो हर ठाप पर फच फ्च की आवाज के साथ पूरे कमरे में उसकी ‘आह आह ओह ओह सी सी के साथ ओ बाबू ओर जोर से राजा ओर जोर से चोदो’ की आवाजें गूँजने लगी.


वह कमर उठा उठा कर साथ देने लगी।

मैं उसके चूचों को मुंह में भर कर चूस रहा था, उसके चूचों की निप्पल को अपने होंठों से दबा रहा था।


मेरे लंड का टोपा उसकी बच्चेदानी तक पहुंच गया था।


इसका अहसास उसके मुंह से निकल रही सिसकारी भरने से लग रहा था।

मेरा लंड उसकी चूत में घपा घप बेलन की तरह जा रहा था।


वह भी कमर उठा उठा कर बोल रही थी- मेरे राजा, मेरी वर्षों की प्यास बुझा दो।


अब तक वह तीन बार झड़ चुकी थी, ढीली पड़ गई थी।

बोली- बस मेरे राजा, अब बस करो! मैं थक गई हूं।


मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेजी से धकाधक करते हुए उसकी चूत में झड़ गया।

उसके बोबे को मुंह में लेकर पसर गया।


उस दिन मैंने उसे शाम 7 बजे तक तीन बार चोदा।

वह बहुत खुश थी।


हां उसने एक बात कही- बाबू, आप रात को मनु के घर पर रहते भी मुझे चोद सकते हो।

मैंने कहा- कैसे?

बोली- मनु शराब पीने का आदी है. तुम उसके साथ रात को मेरे घर दारू पीने बैठ जाना। तुम कम पीना, उसे ज्यादा पिलाना। वह पीकर बेहोश हो जाता है। जब तुम उसे शराब पिलाओगे तो वह बहुत खुश होगा। जब रात को पीकर लुढ़क जाए तो फिर रात भर मेरी चूत मार सकते हो।


मैंने कहा- ठीक है।

उसके बाद मैं अपने घर आ गया.


अगले दिन मैं आफिस के लिए निकला तो गली में मुड़ कर हेतल से मिलने चला गया।

मैंने उसे बताया कि आज रात मैं तुम्हारे साथ प्यार करना चाहता हूं।

वह बोली- ठीक है। शाम को आते समय मनु के लिए दारू की बोतल लेकर आना।


मैं आफिस निकल गया।


शाम को मैंने एक फुल शराब बोतल, दो बीयर की बोतल खाने के लिए कुछ नमकीन, बटर चिकन, तंदूरी रोटी पैक करा ली।

और मैं घर के लिए निकल पड़ा।


मैं जब हेतल के घर पहुंचा तो शाम के 7 बज रहे थे।

वह कपड़े प्रेस कर रही थी।


मुझे देख कर वह मुस्कराई।

उसकी कातिल मुस्कान पर मैं पागल हो गया; सोचा अभी ही लेकर इसको चोद दूं।


पर मैंने कंट्रोल किया, उससे पूछा- कहां है मनु भाई?

वह बोली- कपड़े देने गए हैं।


मैंने पूछा- कब तक आयेंगे?

बोली- 9 बजे तक।


मैंने कहा- सामान लाया हूं रात के प्रोग्राम का!

वह बोली- जब वह आएगा, तब आ जाना। वैसे भी पीकर आएगा। पर मैं उसको बोल दूंगी कि बाबू का जन्मदिन है वह हमें पार्टी दे रहा है।


मैं सामान लेकर कमरे पर आ गया।

9 बजे रात को मैं हेतल के घर पहुंचा।

मनु भाई टुन्न थे, झूम रहे थे।


नशे में ही बोला- बाबू जन्म दिन की बधाई हो!

मैंने कहा- ऐसे नहीं मनु भाई, आओ साथ एंजॉय करते हैं।


तभी मैंने थैले से शराब और बीयर की बोतल निकाली.

तो वह बहुत खुश हुआ।


मैंने दो गिलास हेतल से लाने को कहा।


अपने गिलास में कम और उसके गिलास में ज्यादा शराब डालकर उसमें बीयर मिला दी।


वह तो भाई पक्का बेवड़ा निकला, एक सांस में ही पी गया।

अभी मैंने गिलास मुंह से भी नहीं लगाया था।


मैंने फिर से उसका गिलास बीयर और शराब से भर दिया।

वह उसे भी सटक गया।


मैंने उसे खाने के लिए कहा पर वह तो जमीन पर ही पसर गया।


तब मैंने और हेतल ने उसे पकड़ कर एक तरफ लिटा दिया।

अब मैंने हेतल से कहा- अपने लिए गिलास ले आओ और खाना भी लगा दो. रात के साढ़े दस बजे हैं।


फिर हेतल ने और मैंने अपने लिए छोटे छोटे पेग बनाया।


अब दोनों को थोड़ा सुरूर आ गया।


मैंने हेतल से ब्लाउज खोलने को कहा।

उसने ब्लाउज खोल दिया।


फिर मैंने उसकी ब्रा को भी खोल दिया।

अब मैं अपने गिलास से बीयर उसके बोबों पर बूंद बूंद टपका कर चाटने लगा, उसकी निप्पल को चूसने लगा।

वह भी मस्ती में आने लगी।


जब हमारी शराब खत्म हो गई तो मैंने हेतल को खाना लगाने को कहा।

उसने खाना परोसा।


हमने प्यार से एक दुसरे के मुंह में निवाला दिया।


अब खाना खाकर मैंने हेतल को पूरी नंगी कर दिया।

मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए।

देसी हॉट भाबी सेक्स के लिए एकदम तैयार थी.


अब हेतल को मैंने अपनी बाहों में भर कर बेड पर लिटा दिया।

मैं उसके चूचों को मुंह में लेकर चूसने लगा, उसके निप्पल को अपने होंठों से चूसने लगा।


अब मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया इससे उसकी चूत ऊपर उठ गई।


मैंने उसकी चूत पर अपने होंठ लगा कर उसको अपने दोनों हाथों से पकड़ कर चौड़ा किया।

फिर अपनी जीभ से चाटने लगा।


अपनी जीभ मैंने उसकी चूत में अंदर डाल दी।

वह सिसकारी भरने लगी।


मेरी जीभ उसकी चूत के दाने पर जैसे ही रगड़ती, वह उत्तेजना से अपनी कमर उठा उठा कर ऊपर नीचे होने लगी।

उसका शरीर अकड़ने लगा।


फिर उसकी चूत से पानी निकलने लगा।

वह ठंडी पड़ गईं।


इधर मेरा लंड उफान मार रहा था।

मैंने उसकी चूत के मुंह पर अपना लंड टिकाया और धीरे से एक झटका दिया।

मेरा लंड आधा उसकी चूत में समा गया।


वह चीख उठी।

मैंने उसके मुंह पर अपना मुंह रख दिया।

मैं थोड़ा रुका।


थोड़ी देर तक उसके होंठों को चूसता रहा, फिर एक जोर से झटका दिया।

मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया।

वह चीखी- उई मां, मर गई! बाबू इसे बाहर निकालो, बहुत दर्द हो रहा है।


हेतल छटपटाने लगी।

मैं उसके चूचों को मुंह में लेकर चूसने लगा।

उसका दर्द कम हुआ।


फिर मैं धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा।

उसको भी मज़ा आने लगा; वह भी साथ देने लगी।


‘दे धक्के पे धक्का’ उसकी चूत में मेरा लंड भच भच्च कर अन्दर बाहर हो रहा था।


मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।


फिर अंत में जोर से झटका दिया, देसी हॉट भाबी की चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर निढाल होकर गिर पड़ा।

उसका पति वहीं पास ही धुत्त पड़ा था.


उस रात मैंने उसे डोगी स्टाईल में, दीवार के सहारे खड़ी कर एक पैर ऊपर करके, खड़े खड़े अपनी गोद में बैठा कर तबीयत से चुदाई की।

अब हम थक कर चूर हो गए।

सुबह 4 बजे मैं अपने कमरे पर चला गया।


दोस्तो, मैं 2 महीने तक रोज उसे चोदता रहा।


अंत में मेरी ट्रेनिग खत्म हो गई।

मैं उससे विदा लेकर अपने शहर आ गया।


दोस्तो, कैसी लगी मेरी Hindi Sex Kahani?

आगे अगली कहानी लेकर हाजिर होऊंगा।

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