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बॉयफ्रेंड से चुदवाते हुए चुंचिया बड़ी हो गई

आप सभी पाठकों को मेरा और मेरी मचलती चूत का प्रणाम.

वैसे तो मैं इस साइट की नियमित पाठिका हूं.आज मैं भी अपनी पहली चुदाई की कहानी आप सबके सामने पेश कर रही हूं.

चूंकि यह मेरी पहली सेक्स कहानी है तो मैं चाहूँगी कि आप मेरी गलतियों को नजरअंदाज करते हुए मुझे लव लव Xx कहानी में प्रोत्साहित करें, जिससे मैं अपनी बाकी की कहानियां भी आप लोगों के साथ साझा कर सकूं.

मेरा नाम चित्रांगदा है और मैं लखनऊ की रहने वाली हूं.

इस कहानी का प्रारंभ इसी शहर में तब हुआ था जब मैंने बी.एड करने के लिए लखनऊ के एक मशहूर कॉलेज में प्रवेश लिया था.

यह पहली बार था कि मैं किसी को-एजूकेशन वाले कॉलेज में जाने वाली थी.

इस कॉलेज में जाने से पहले मैं एक स्कूल में पढ़ाती थी जहां पर मेरा अफेयर वहां एक अध्यापक से हो चुका था … पर इजहार और इकरार के अलावा कुछ नहीं हुआ था.और उसका विवाह उनके घर वालों के हिसाब से हो गया.

उसके बाद से मैंने टूटे दिल के साथ कॉलेज में जाना शुरू किया था.

मैं अपनी मां के साथ अपने मामा के घर पर पली बढ़ी हूं तो मैंने बचपन से ही तिरस्कृत जीवन जिया है.

यह कॉलेज मेरे घर से 25 किलोमीटर दूर था.

जब मैंने कॉलेज जाना शुरू किया तो देखा हमारी क्लास में कुल 120 स्टूडेंट थे, जिनमें ज्यादातर लड़कियां थीं … जबकि लड़के कुल 25-30 ही थे.

इस संख्या से आप समझ ही सकते हैं कि लड़कों के लिए लड़कियों में कितना टफ कॉम्प्टीशन था.उसमें भी ढंग के लड़के तो 2-3 ही थे, जिनमें एक लड़का तो ऐसा था, जिस पर क्लास की लगभग हर लड़की फिदा थी.

वह पढ़ने में होशियार, दिखने में स्मार्ट, मजाकिया स्वभाव का था साथ ही वह एक बहुत अच्छे परिवार से था.

वह इंग्लिश मीडियम से पढ़ा हुआ था, सभी लेक्चरर का चहेता व सभी लड़कियों की दिल का सुकून था.लड़कियों में शर्त लगती थी कि कौन उसे पटाएगा.

पर वह मस्तमौला … सबसे जुदा.

सलमान खान जैसी बॉडी (जो मैंने अपने पहली बार के सेक्स में देखी थी).मुझे भी वह अच्छा लगने लगा था.

वह मेरे ही ग्रुप का लीडर था.लेक्चर से पहले हमें उसे ही अपने लेसन प्लान दिखाने पड़ते थे और टीचर की गैर मौजूदगी में वही हमारी क्लास को देखता था.

मैं उसकी तरफ खिंचने लगी थी.पर कॉलेज के दो महीने में ही वह हमारी क्लास की एक लड़की ऐश्वर्या को पसंद करने लगा था.

बुरा तो मुझे बहुत ज्यादा लगा क्योंकि मैं और वह (अजय … बदला हुआ नाम) एक ही जाति के थे, जबकि वह लड़की अलग जाति से थी.

लेकिन वह लड़की शायद शर्मीली थी तो ज्यादा रेस्पोंस नहीं दे रही थी उसे!

धीरे धीरे उस लड़की की बेरुखी के कारण अजय मुझसे बात करने लगा क्योंकि हमारे घर आमने-सामने मुहल्ले में थे, तो वह कॉलेज जाते वक्त मुझे अपनी बाइक से या कार से ले जाता था और हम दोनों रास्ते भर बातें करते हुए जाते थे.

उस लड़की के कारण वह बहुत परेशान हो गया था.क्योंकि वह चाहती तो थी पर कभी खुल कर कहती नहीं थी!

अजय एक अच्छे परिवार से आता था, तो उसने कभी वासना से वशीभूत होकर उस लड़की के साथ कुछ नहीं किया.

जल्द ही हमारी परीक्षा हुई और सब अलग अलग अपनी जिंदगी में मशरूफ हो गए.दो महीने बाद परिणाम आया तो अजय ने कॉलेज में टॉप किया था.

अब वह धीरे-धीरे मुझ पर छाने लगा.मैं उसके ख्यालों में ही खोई रहने लगी.

यह बात मेरी एक सहकर्मी व सहेली को पता चल गई.

वह भी अजय से मिल चुकी थी और काफी इंप्रेस भी थी.उसने मुझे उकसाना शुरू कर दिया.

अब इधर वक्त आ गया है कि मैं आपको अपने बारे में कुछ बता देती हूं.

मैं एकदम अनछुई लड़की थी. मैं सांवली हूँ, पर तीखे नयन नख्श हैं. मेरी लंबाई पांच फुट चार इंच की है. ऊपर से नीचे तक मैं एक सी हूँ. मतलब अविकसित स्तन. मुझे ब्रा की कोई जरूरत ही नहीं होती थी.

जब तक मैंने अजय के साथ पहली बार सेक्स नहीं किया था, मैंने कभी अपने हाथों से भी अपने स्तनों को नहीं मसला था. क्योंकि मैं इस सबका अहसास अपने पहले सेक्स में ही करना चाहती थी.मेरी योनि तो एकदम संकरी थी.

आप समझ ही सकते हैं कि मैं किस टाइप की हूँ.

सब सही चल रहा था.

अजय भी नौकरी करने लगा था और जब गर्मी की छुट्टियां हुईं तो मुझे और अजय को काफी समय मिल जाता था.

वह मेरे घर आ जाता था. मेरे घर में भी सब उसे पसंद करते थे.मैं और वह शहर में घूमने भी चले जाते थे. कभी उसकी कार में, तो कभी बाइक पर.

एक दिन तो मुझे उसका व्यवहार बड़ा अजीब सा लगा.ऐसा लग रहा था कि वह आज अपने दिल की बात बोल देगा या मुझे बांहों में भर लेगा.

इसी सोच से मैं और देर कर रही थी कि शाम ज्यादा होगी तो शायद अजय आज सब बोल डालेगा.

पर उसने कुछ नहीं कहा.बस इतना कहा कि उसका सिलेक्श्न बनारस के एक बोर्डिंग स्कूल में हो गया है और वह दो सप्ताह में ही वहां जा रहा है.मुझ पर तो जैसे बिजली गिर पड़ी.

मैंने आकर यह बात अपनी सहेली को बताई तो उसने सुझाया कि मुझे ही पहल करनी चाहिए क्योंकि अजय अभी एक रिश्ते से दूर हो रहा है तो इतनी जल्दी वह मुझे नहीं बोलेगा, पर यदि मैं बोलूँगी तो शायद वह मेरा हो जाए.

इसी उम्मीद में मैंने उसे मेसेज कर दिया कि मैं उसे प्यार करती हूं.

उसका मैसेज आया- पागल हो गई हो क्या? हम अब कभी नहीं मिलेंगे और मैं इसी शनिवार को बनारस चला जाएगा.मेरा दांव उल्टा पड़ गया.

काफी देर रात तक हमारी बात होती रही.सुबह होते ही मैं उसके घर पहुंच गई.मेरी उम्मीद के मुताबिक वह अपने कमरे में सो रहा था.

उसकी मम्मी ने बोल दिया- बेटा, ऊपर उसके कमरे में जाकर उसे उठा दो.

मैं कमरे में गई तो कमरे में एकदम अंधेरा, कूलर चल रहा था और कमरे एकदम ठंडा था.अजय चादर ओढ़ कर सो रहा था.

मुझे शरारत सूझी, मैं भी उसके चादर में घुस गई.मैं घुस तो गई, पर अजय तो गहरी नींद में था.

मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.तभी मेरी जांघों पर कुछ कड़ी सी चीज़ टकराने लगी थी.

मैंने हाथ नीचे करके टटोला तो पाया यह अजय के शॉर्ट्स के अन्दर है.तब मुझे ख्याल आया कि हो न हो यह अजय का लिंग है, जो अकड़ा हुआ है.

मैंने अजय को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया.इससे उसकी नींद टूट गई और उसने मुझे यह कहते हुए झटक दिया- मैं यह सब सिर्फ अपनी पत्नी के साथ करूँगा.मैं उसके पास से मायूस होकर चली आई.

अजय जल्दी ही चला गया.यहां मेरा रो रो कर हाल खराब था.

मेरी सहेली ने मुझसे अजय का नंबर लेकर उसे समझाने की कोशिश की.तो अजय ने यह कहा कि वह मेरी भी जॉब वहीं लगवा देगा.

लगभग दो महीने की जुदाई के बाद पता चला कि वहां पर एक टीचर के लिए वैकेंसी हुई है, जिसके लिए मेरा इंटरव्यू अजय ने रखवाया है.इंटरव्यू एक हफ्ते बाद शनिवार को होना था.

मेरी सहेली ने बोला कि जाने से पहले तैयारी कर लूं. अपने नीचे के और बगलों के बाल साफ कर दूं और कुछ ब्लू फिल्म्स देख कर जाऊं.उसने मुझे कुछ किताबें भी दीं, जिनमें मस्तराम कहानियां भी थीं.

उसने मुझसे कहा कि जाने से पहले अपने स्तनों का आकार बढ़ा लूं, जिससे अजय आकर्षित हो.एक दिन मेरी सहेली ने मुझे अपने घर पर बुलाया और मुझे अपने कमरे में ले गई.

उसने मुझे कुर्ते के ऊपर से स्तनों को मसलना शुरू किया, फिर निप्पलों को उमेठना शुरू कर दिया.मैंने सिसकते हुए उसे करने दिया.

करीब दो घंटे बाद उसने कहा कि बाथरूम में जाकर देखूं कि कुछ फर्क पड़ा या नहीं.मैंने देखा तो अब मेरे स्तन कुछ निंबू की तरह गोल हो गए थे. निप्पल एकदम तने हुए थे और पहले से मोटे हो गए थे.

मैंने आकर उसे बताया तो उसने कहा कि जाने तक ऐसे ही रोज अपने आप करो.फिर मैंने उसे अजय के बारे में उसे बताया कि उसका लिंग मैंने टटोला था.

उसने पूछा- कितना लंबा है!तो मुझे लंबाई का अंदाज़ा तो नहीं हुआ था, पर मैंने मोटाई अपने हाथों से बताई. मेरी सहेली के मुँह से निकल गया कि हे भगवान तेरी तो लॉटरी निकल आई है!

मैंने उससे पूछा- तुझे क्या लगता है कि कैसा होगा?उसने बताया कि अजय का हथियार कम से कम चार इंच मोटा रहा होगा. इस हिसाब से लंबाई कम से कम सात इंच होगी. तू तो मजे करेगी. मेरे पति का तो पांच इंच लंबा और डेढ़ इंच मोटा है. फिर भी मुझे मजा कराता है. मुझे तो तुझसे जलन हो रही है. अब जाना तो मीनार फतह करके ही आना.

मैं उसकी बातों से खुश तो बहुत हुई और उसके कहे अनुसार मैं अपने ऊपर काम करने लगी.

अपने कॉलेज के इस दोस्त का Xx लव लव पाने के लिए मैं चुदने को तैयार हो गयी थी.पहला संभोग और जिंदगी में नए मोड़ का अहसास मुझे गुदगुदाने लगा था.

धीरे धीरे मेरे बनारस जाने का समय आ पहुंचा.अब तक मुझमें बहुत बदलाव आ गए थे.

मैंने सफेद चिकन का सूट पहना और बनारस जाने वाली बस में चढ़ गई.

मेरे साथ मेरा एक दोस्त था क्योंकि मैंने कभी अकेले सफर नहीं किया था.उसकी मौसी बनारस में रहती थी.

मैंने अजय को पहले ही बता दिया था.अजय के कहे अनुसार मैंने स्कूल से हफ्ते भर की छुट्टी ले ली थी.

मैं करीब तीन बजे अजय के स्कूल पहुंची.वहां मैंने अजय को फोन किया तो उसने बताया कि मेरा रहने का इंतजाम वहीं के गेस्ट हाउस में हो गया है.

गार्ड रूम से मुझे वहीं पहुंचा दिया गया था.

मैं बड़ी बेसब्री से अजय का इंतजार कर रही थी.मैंने बाथरूम में जाकर मुँह धोया और हल्का सा मेकअप भी किया, फिर अपने आपको निहारा.

इसी बाच दरवाजे की घंटी बज उठी.मैंने दरवाजा खोला तो अजय मेरे सामने खड़ा मुस्कुरा रहा था.मेरा मन किया कि उससे लिपट जाऊं.

पर बाहर बच्चे खड़े थे तो अजय के लिए दिक्कत हो सकती थी.उसने अन्दर आकर मुझे निहारा, फिर कहा- दस मिनट में इंटरव्यू शुरू होगा.

अजय- अरे यार … तुम तो एकदम से बदल गई हो, क्या बात है?मैं अन्दर ही अन्दर खुश होती हुई बोली- क्या बदल गया है, मैं तो वैसी ही हूं?

अजय- अरे कितना निखार आ गया है तुम पर … कोई मिल गया है क्या?मैं- मिला तो था, तुम तो जानते ही हो … फिर तुम भी यहां आ गए. इरादा क्या है तुम्हारा … इतनी खुशामद क्यों कर रहे हो? इससे पहले तो जनाब के मुँह से कभी तारीफ नहीं सुनी.

अजय मुस्कुराते हुए बोला- चलो, तुम्हें इंटरव्यू रूम तक छोड़ देता हूंमैं धीमे से बुदबुदाई- बस छोड़ते ही तो आ रहे हो!

अजय- क्या मतलब?मैं- कुछ नहीं … चलो अब.

इंटरव्यू के बाद अजय ने आकर बताया कि मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ है और मैं अब वापस जा सकती हूं.यह सुनकर मेरा मन भारी हो उठा और आंखों के किनारे आंसू आ गए.

तभी एक इंटरव्यू टीम की मैडम आईं और उन्होंने मुझे देख कर कहा- आप आज यहीं रुक जाइए, चाहें तो आप अगले हफ्ते क्लास लीजिए … फीड बैक के आधार पर हम निर्णय लेंगे बुधवार तक! अब आपका जाना भी सेफ नहीं है, दिन होता तो बात अलग थी. आपके रुकने का प्रबंध हम करवा देंगे. अजय तब तक आप इन्हें कैंपस घुमा दें.

अजय- जी मैडम, मैं अभी चित्रा से यही कहने जा रहा था. अगर आप उचित समझें तो क्या मेरे स्थान पर इनके लिए दूसरा बेड मिल सकता है?मैडम- क्यों नहीं. तुम्हें तकलीफ तो नहीं होगी अजय एक लेडी के साथ जगह साझा करने में?

अजय- मुझे कोई समस्या नहीं है अगर आपको, स्कूल को या चित्रा को कोई आपत्ति नहीं हो.मैडम- अरे तुमने तो यह सुझाव देकर सारी समस्या ही हल कर दी. क्योंकि सभी गेस्ट हाउस बुक हैं और किसी गर्ल हॉस्टल में भी जगह नहीं है. मैं उम्मीद करती हूं कि तुम दोनों अनजान नहीं हो, यदि हां तब कोई समस्या नहीं होगी. क्यों चित्रांगदा तुम्हें कुछ कहना है?

मैं- नहीं मैडम, मैं तो आपकी आभारी हूं कि आपने मुझे मौका दिया कि मैं साबित कर सकूं कि मैं यहां काम कर सकती हूं और अजय ने मेरा नाम सुझाकर गलत नहीं किया. मैं एड्जस्ट कर लूंगी, फिर अजय को तो मैं भली भांति जानती हूं.मैडम- ठीक है, तुम लोग घूम कर आओ. तब तक अजय के घर में बेड लग जाएगा. तुम्हारा खाना और नाश्ता स्कूल के मैस से ही होगा और तुम्हें तय समय पर आकर करना होगा. यह अजय बता देगा.

अजय और मैं एक साथ बोले- जी ठीक है.

तब अजय ने मुझसे कहा- चलो तुम्हें कैंपस घुमा दूं.मैं- चलो.हम दोनों कैंपस घूमने निकल गए.

मैं और अजय नदी के किनारे आ गए.वहां से अजय ने एक नाव ली, हम दोनों उस पर चढ़ गए.

माझी नाव को नदी के बीच में ले आया जहां बहाव बहुत तेज़ था.

अजय सामने बैठ कर मुझे ही देख रहा था.अजय ने खादी का कुर्ता और सफेद पाजामा पहन रखा था.

मैंने गौर किया कि धीरे धीरे उसके कुर्ते का सामने से कुछ उभार आ रहा है.मैं भी सोच सोच कर मस्त होने लगी.

तभी बारिश शुरू हो गई और मेरा सफेद कुर्ता मुझसे चिपकने लगा तो अजय की नजर मेरे हल्के हल्के से उभारों और नुकीले निप्पल पर जा पड़ी.वे एकदम जाहिर हो रहे थे.

अब मैं शर्माने लगी तो अजय ने अपना कुर्ता उतार दिया और मेरी तरफ बढ़ा दिया.

उसने नीचे बनियान पहनी हुई थी, जो उसकी कमर तक ही आ रही थी.उसका पजामा भीगने लगा और उसके लिंग का उभार मेरे सामने आने लगा था.

शाम ढलने लगी तो अजय ने कहा- थोड़ा देरी से चलते हैं, ऐसे में कोई देखेगा तो खराब लगेगा.मैंने हामी भर दी.

तभी कुछ पल बाद अजय अचानक से बोला- चित्रा यार, छह बज रहे हैं. अब चलना चाहिए, मुझे स्कूल बिल्डिंग में जाना होगा. शाम की क्लासेस को चेक करने जाना पड़ता है!

मैं- ठीक है, चलो. पहले तुम ही बोल रहे थे … देर से चलने के लिए!अजय- कहा तो था, पर अब सोच रहा हूं कि देर करने से ज्यादा देर ना हो जाए. वैसे भी सभी बच्चे अभी मैदान में खेल रहे होंगे तो यह घर चलने का सही समय है.

हम अजय के घर पर आ गए.

अन्दर पहले कमरे में एक बेड आ गया था. पीछे दूसरे कमरे में बिस्तर लगा हुआ था.

अन्दर आते ही अजय ने किसी को कॉल की, दूसरी तरफ से कोई लड़की थी.

लड़की- जी सर बताइए कैसे याद किया?अजय- मेघना जी, मैं यह कहना चाह रहा था कि क्या आप आज शाम की क्लास चैक कर लेंगी. मैं थोड़ा व्यस्त हूं.

मेघना- जी मैं कर लूंगी, वैसे आप कहां और किसके साथ व्यस्त हैं?अजय- धन्यवाद मेघना जी. आप भी छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं. मैं बताया तो था आपको!

मेघना- अच्छा तो आपकी चित्रांगदा आ गयी हैं. फिर हमारे लिए कहां समय होगा आपके पास!

स्पीकर पर यह बातें सुन कर मेरे मन में गुदगुदी होने लगी कि आग दोनों तरफ लगी हुई है.अब बस सही समय का इंतजार था.

तभी अजय ने आगे वाले कमरे को बंद कर दिया, लाईट बंद करके अन्दर कमरे में आ गया.अजय- मैं आगे सो जाऊंगा, तुम इसी कमरे में सोना क्योंकि बाथरूम इसी रूम से अटैच है.

मैं- जैसा तुम कहो. वैसे तुम यहीं सो जाओ, मैं नीचे सो जाती हूं.अजय- नहीं, मैं आगे सोऊंगा. वैसे तुम बहुत बदल गई हो.

मैं- बदल गई हो … बदल गई हो … क्या बदला है? बताओ भी. आने के बाद कभी आकर खबर ली मेरी … कैसे जी रही हूं? तुमको तो सब मजाक लगता है, बोला था तुम्हें कि मैं चाहती हूं तुमको. यह बदलाव भी तुम्हारे लिए किया है अपने आप. किसी ने छुआ नहीं है मुझे आज तक.

यह कहती हुई मैं फफक पड़ी.

अजय ने मुझे बांहों से पकड़ा और मेरी ठुड्डी से मुँह ऊपर किया.मैं तो बस पिघलने के लिए बेकरार थी. देसी गर्ल लव सेक्स के लिए जैसे मरी जा रही थी.

अजय ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.हम एक दूसरे में समा जाने के लिए आतुर हो उठे, सांसें गर्म हो गईं.

अजय ने अपने हाथ मेरे स्तन पर रखे.वह मेरे दूध दबाते हुए बोला- ये उठ कैसे गए?

उसके बाद उसने मेरा कुर्ता निकाल फेंका.मेरे स्तन नंगे उसके सामने थे.

अब मेरा हाथ उसके लिंग पर टकरा गया जो उसके पजामे में तंबू बनाए खड़ा था.

मैंने उसका नाड़ा खोल दिया और पजामा नीचे कर दिया.उसका लिंग देख कर मेरी तो जैसे सांस ही रुक गई.

लगभग काफी लंबा और चार इंच मोटा … मेरी दोनों हथेलियों में भी नहीं समा रहा था.

मैं तुरंत घुटने के बल हो गई और उसके लिंग को मुँह में ले लिया.अजय की टीस निकल गई.

अजय- आह चित्रा … यह क्या कर रही हो? कब से इस समय के लिए बेकरार था … आह और करो.मैं- अब चुपचाप रहो, खुद तो किया नहीं … बस ख्याली पुलाव बनवा लो जनाब से!

अजय का लिंग और सख्त व मोटा हो गया.उसे चूसते हुए मेरा मुँह दर्द करने लगा.

तभी अजय उठा और उसने कमरे की लाइट बंद कर दी.

पूछने पर बताया कि खिड़की के सामने हॉस्टल है और वहां से कोई देख सकता है कि कमरे में क्या चल रहा है.

फिर अजय मेरे पास आया और मुझे उठा कर बेड पर लिटा दिया.मेरे स्तनों को सहलाते हुए उसने मेरी नाभि को चूम लिया.

फिर उसने मेरे पजामे का नाड़ा खोला और सलवार भी निकाल दी.

मेरी जांघों पर हाथ से सहलाते हुए वह मेरी योनि के आस-पास अपने हाथ से सहलाने लगा.यह मेरा पहला अहसास था.मैं शर्म के मारे एकदम सिमटती जा रही थी.

तभी अजय बोला- चलो, रहने देते हैं.

मैंने उसे तुरंत अपने ऊपर खींच लिया.उसने मेरे स्तनों को मुँह में लेकर पीना शुरू कर दिया.मेरे तन बदन में जैसे बिजली का सा झटका लगा.

क्या आदमी भी औरत के स्तन पीता है!

मैं सोचने लगी, पर अब मेरे बदन में तरंगें उठने लगीं.मेरा मन कर रहा था कि अजय आज मेरे स्तनों का कतरा कतरा निचोड़ डाले, तभी मुझे शांति मिलेगी.

तभी मेरी नजर अजय के लिंग पर गई.मैंने उसे पकड़ कर वापस अपने मुँह में ले लिया.

वह जैसे जैसे मेरे स्तनों को निचोड़ रहा था, वैसे वैसे मेरी योनि से रस धार टपक रही थी.

फिर उसने एक निप्पल को दांत में दबा कर खींचना शुरू कर दिया.मैं अपना हाथ बिस्तर पर पटकने लगी और अजय का लिंग मेरे मुँह से छूट गया.

अब अजय ने मेरा दूसरा स्तन मुँह में लिया और मेरे ऊपर आ गया. वहीं मेरी योनि से पानी निकलने लगा.

अजय को भी इसका अहसास हो गया था क्योंकि उसकी जांघें मेरी चूत के ऊपर थीं और घिस रही थीं.

उसने मेरी आंखों में देखा.मैं बस आनन्द के समुद्र में डूबी हुई थी.

तब अजय मेरे ऊपर से उठा और नीचे की तरफ सरक गया.मेरे स्तनों से नीचे आते हुए उसने मेरे पेट को, नाभि को चूमना और चूसना शुरू कर दिया.

मैं बहुत उत्तेजित हो गई और मेरी चूत ने लगातार पानी छोड़ना शुरू कर दिया.मेरा बदन थोड़ा हवा में उठा और फिर धम से फिर से बेड पर आ गयी.

अजय को समझ में आ गया कि मैं स्खलित हो गई हूं.वह अब मेरी टांगों को फैला कर बीच में आ बैठा और उसने मेरी चूत पर अपना मुँह लगा दिया.

मैं तो उफ्फ उम्म उम्म करने लगी और वह जीभ से मेरी योनि को चाटने लगा.अपनी योनि पर मैं मर्द की जुबान का पहला अहसास पाते ही आह्ह उम सी शिस करने लगी.

अब मैं बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई थी.मैंने अजय से कहा- अब जल्दी से करो … मैं और बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी.

अजय ने कहा- ठीक है, पर तेरी चूत झेल नहीं पाएगी.“तुम आओ तो सही! ऐसा ना हो तुम ही ना झेल पाओ!”अजय- ऐसा क्या? तैयार रहो. पर कंडोम तो है नहीं!मैं- किसने कहा कंडोम के लिए! ऐसे ही करो.

फिर अजय मेरे ऊपर आ गया और मेरे स्तनों को मुँह में ले लिया.मेरी आह निकल गयी.

अब उसने अपने लिंग को मेरी चूत पर रखा.एकदम गर्म लंड का चूत के मुख पर पहला अहसास पाकर मैं एकदम से चिहुंक उठी.

अजय ने मेरी आंखों में देखा, जैसे पूछ रहा हो कि क्या हुआ?मैंने सर हिला कर ‘कुछ नहीं’ कहा और उसे आगे बढ़ने की अपनी मौन स्वीकृति दे दी.

उसने थोड़ी देर लंड को चूत पर घिसा और छेद पर लगा दिया.मैंने कमर उठा कर अन्दर लेना चाहा.

अजय समझ गया और उसने एक जोर का झटका दे दिया.जिससे उसके लंड का सुपारा अन्दर आ गया और मेरी हालत खराब हो गई.मुझे ऐसा लगा, जैसे किसी ने मेरी तीन चार हड्डियां एक साथ तोड़ डाली हों.

अजय मेरे स्तनों को चूसने और चूमने में लगा हुआ था जिससे मुझे थोड़ा आराम मिल रहा था.

जब उसका लंड थोड़ी देर तक अन्दर रह कर एड्जस्ट हो गया तो मैंने कमर हिलानी शुरू कर दी.अजय को इशारा मिल गया.

उसने स्तनों को छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह में दबा लिया और जोरदार झटका मार दिया.

उसका लगभग छह इंच लंड मेरी चूत में पेवस्त हो गया था.मैंने चिल्लाना चाहा, मगर मेरे मुँह से बस इतना ही निकल पाया- उइ मम्मी मर गयी … आह बाहर निकालो मुझे नहीं लेना अन्दर!

पर अजय कहां छोड़ने वाला था- बहुत टाईट है तुम्हारी, कभी उंगली भी नहीं डाली क्या इसके अन्दर?मैं- नहीं, तुम्हारे लिए संजो कर रखी थी.

मैंने अजय की कमर को लपेट लिया और चिपक गयी.अब अजय आश्वस्त हो गया कि मैं अब नहीं चीखूंगी, तो उसने धीरे से मेरे होंठों को आजाद कर दिया और झटके देने लगा.मैं भी मादक आवाजें निकाल कर उसका जोश बढ़ा रही थी.

‘हाय मर गयी, उम्म सिइ आह … ह्म्म ह्म ह्म्म और जोर से!’इस बीच मैं वापस झड़ गई पर अजय अभी भी लगा हुआ था.

मेरी चूत से खून बाहर आने लगा था.अजय ने खून देखा और प्यार भरी नजरों से मुझे निहारने लगा.

मैंने भी समझते हुए मुँह से किस का इशारा किया.

उसने दर्द के कारण मेरी आंखों में आए आंसुओं को पौंछ डाला और लगातार धक्के मारता रहा.

फिर उसने मेरी एक टांग को अपने कंधे पर फंसा लिया और जोरदार तरीके से चोदने लगा.उसका लंड मुझे पहले से ज्यादा कड़ा महसूस होने लगा.

हर धक्के पर वह कहने लगा- मैं तुझे बहुत प्यार करना चाहता हूं. यह इस तरह से नहीं होना था.मैं- तो कर लो प्यार … जब तक हूं मैं तुम्हारे पास!

अजय- तुम्हारे नीचे के बाल कहां गए?मैं- तुम्हारे लिए इस पल के लिए तैयार होकर आई थी.

अजय- वाउ सो स्वीट … चिट्स आइ लव यू.(अजय लाड़ में मुझे चिट्स बुलाता था)

इतना कहते कहते उसने आंखों ही आंखों में इशारा करते हुए पूछा- कहां निकालूं?मैंने इशारे से कह दिया कि अन्दर ही खाली कर दो.

अगले पांच झटकों में अजय ने मेरी चूत में अपने वीर्य से बाढ़ ला दी.हम दोनों साथ में ही स्खलित हुए.यह मेरा तीसरा स्खलन था और अजय का पहला.

मेरी यह पहली चुदाई थी, जो काफी देर तक चली थी और मैं पूरी तरह से तृप्त हो गई थी.

अजय भी मुझसे तृप्त हो गया था.

फिर अजय थकान के चलते मुझ पर ही निढाल हो गया.मैं भी उसकी बांहों में सो गई.

करीब घंटा भर बाद हमारी नींद टूटी.मैंने महसूस किया कि अजय का लंड अभी भी मेरे अन्दर था और सख्त था.

मैंने अपनी कमर चलानी शुरू कर दी जिससे अजय भी उठ गया.

मैं शर्माती हुई सी अपने आप को ढकती हुए उठने लगी तो अजय का लंड जो फिर से सलामी दे रहा था, मुझे दिखाई दिया.

अजय ने लाईट ऑन कर दी.पूरी चादर हमारी प्रेमवासना की गवाही दे रही थी. वह मेरे खून और पानी व अजय के वीर्य से सनी हुई थी.

यह देख मैंने आंखें झुका लीं.

मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था और मैं चल भी नहीं पा रही थी.खड़ी होने से मेरी चूत से खून और वीर्य मेरी जांघों से होता हुआ रिसने लगा.

अजय ने तौलिया लिया और नहाने जाने लगा.उसका लंड अभी भी खड़ा था.

मैं- यह ऐसा ही रहता है क्या?अजय- इसे भी अपने लिए साथ की ज़रूरत है, तो आज जब साथी मिला है तो उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहता है.

मैं- मना किसने किया है, अब तो समय ही समय है … पर तुमको काम था उसका क्या?अजय- हां यार, बस नहा कर जा ही रहा हूं.

मैं- मैं भी नहा लेती हूं तुम्हारे बाद!अजय- नहीं, तुम खाने के बाद नहाना … सोने से पहले.

मैं- नहीं, मैं भी नहाऊंगी.अजय- ठीक है, तो अभी बस पानी डाल लेना … फिर आकर साबुन लगा कर नहाना.

मैं- ठीक है, पर ऐसा क्यों?अजय- सरप्राइज़ है.

मैं चुप हो गई.अजय नहा कर आ गया और मुझे गोदी में उठा कर बाथरूम में ले गया.

मैंने कपड़े उतारे तो देख कर दंग रह गयी.मेरा एक स्तन और उसका निप्पल थोड़ा बड़ा हो गया था … यह शायद अजय के चूसने के कारण हुआ था.

फिर मैंने अपनी चूत का मुआयना किया, वह फट गयी थी और सूज गयी थी, छेद बड़ा हो गया था.मेरी चूत दिखने में बड़ी अजीब सी लग रही थी, फांकें अलग अलग हो गयी थीं.

अजय अन्दर से देख रहा था और मुस्कुरा रहा था.मैं बाथरूम का दरवाजा बंद करना भूल गयी थी, फिर पर्दा भी मुझे किससे करना था.

मैंने शिकायत भरे अंदाज में कहा- देखो तुमने क्या हाल कर दिया इसका?अजय- तो क्या जिंदगी भर वैसी ही रखना चाहती थी क्या? अब कली से फूल बन गयी हो तो इसका मजा लो और मुझे भी दो!

मैं- खुद नहीं ले सकते हो क्या तुम मजा … हर बार मुझे ही कहना होगा क्या?अजय- अगर तुम्हें कोई प्रोब्लम नहीं है, तब तो बढ़िया है. अब बस देखती रहो तुम … अब जल्दी करो, हम डिनर छोटे बच्चों के साथ करेंगे, जिससे तुम उन बच्चों से मिल सको, जिन्हें तुम्हें पढ़ाना है. फिर मुझे काम से सिटी जाना है. तुम घर वापस आकर नहा कर रेडी रहना … सरप्राइज़ के लिए. मुझे एक से दो घंटे लग सकते हैं.

मैं- सरप्राइज़ तो मेरे पास भी है.अजय- क्या सरप्राइज़?

मैं- आओगे तो देख लेना.अजय- ओके.

जैसा कि तय हुआ था, डिनर के बाद अजय काम से शहर चला गया और मैं अजय के बताए हुए रास्ते से हॉस्ट्ल … जहां अजय का घर था, पहुंच गयी.मुझे आते किसी ने नहीं देखा.

उस वक्त बारिश हो रही थी और मैं अजय का छाता लिए हुई थी, जिससे कोई मुझे देख ना सके.

इसी बीच मेरी सहेली आंचल का कॉल आया.आंचल- और चित्रा, चींटी पहाड़ चढ़ पाई कि नहीं?मैं- पहाड़ या मीनार?

आंचल- अरे तू बता न काम बना कि नहीं?मैं- दोनों चढ़ गयी. पहाड़ भी और मीनार भी!

आंचल- लेने में मजा आया?मैं- जान निकल गयी मेरी तो. इसे मजा आया कहती है?

आंचल- क्यों क्या हुआ? सब ठीक तो है? पहली बार सबको दर्द होता है. मैंने जानबूझ कर बताया नहीं था कि कहीं तू डर कर करे ही न!मैं- अरे इतना तो मुझे भी पता था. पर अजय का उम्मीद से ज्यादा है.

आंचल- कितना है?मैं- मेरी दोनों हथेलियों में भी नहीं आ रहा है और मुठ्ठी भी बंद नहीं होती. उंगली बंद नहीं हो पाती.

आंचल- मतलब जितना मैंने बताया था … उससे भी बड़ा निकला क्या?मैं- हां शायद.

आंचल- फिर तो तुझे तो बड़ा मजा आया होगा!मैं- आया तो … पर फटने से दर्द भी बहुत हुआ. अभी भी खून रिस रहा है. ऐसा मजा तू ही ले ले. घंटा भर जैसे रेल बना दी मेरे अन्दर!

आंचल- मुझे कोई समस्या नहीं लेने में!मैं- अच्छा अब रखती हूं, मुझे नहा कर तैयार होना है.आंचल- ठीक है … ऑल द बेस्ट. मजे कर.

अब मैंने नहा कर अपनी नई नाइटी पहन ली, इसे मुझे आंचल ने खरिदवायी थी.

अब तक अजय का कुछ पता नहीं था तो मैं उसका कमरा ठीक करने लगी.

फिर उस वक्त रात के दस बज रहे थे जब मुझे अजय की बाइक के आने की आवाज़ सुनाई दी.

वह एक बैग में थोड़ा सामान लाया था.मैंने घर का दरवाजा खोला, लाइट बंद थी.

अजय अन्दर आ गया. उसने किचन में सामान रख दिया और कमरे में आकर उसने लाइट जला दी.

मैं बाथरूम के दरवाजे के सामने खड़ी थी.उसने कमरे को देखा और कहा- तुमने क्यों किया? कल भीम (अजय को मिला हुआ अटेंडेंट) कर देता साफ. बेड की चादर भी बदल दी. एक काम करो, तुम फ्रेश हो लो तब तक मैं कुछ काम कर लूं.मैं- ठीक है.

मैं फ्रेश होकर आई.तब तक अजय ने कमरे में बेड पर गुलाब की पंखुड़ियां बिछा दीं और बचे हुए फूल मुझ पर डालने लगा.

उसने मुझसे कहा- आज तुमने जो मेरे लिए किया, उसके लिए मैं तुम्हें थैंक्स कहना चाहता हूं.

मैं अजय के करीब गयी.उसने मुझे कंधे से पकड़ लिया और फिर उसने सिंदूर मेरी मांग में भर दिया.

मैं तो स्तब्ध खड़ी रह गयी.

उसने कहा- यह मैं इसलिए कर रहा हूं, जिससे मेरे और तुम्हारे बीच में जो हुआ … वह नाजायज ना रहे. और अब हम एक दूसरे से पूरी तरह से खुल जाएं … और तुम शर्माओ नहीं या कोई संकोच न करो.ऐसा कह कर अजय अपने होंठों से मेरे होंठ चूमने शुरू कर दिए.मेरे होंठ अपने आप खुल गए और मैं भी उसका साथ देने लगी.

मैंने झुक कर अजय के पैर छुए, यह जताने के लिए मैं इस रिश्ते से खुश हूं … वह किसी खुद को दोषी न समझे.

तभी मुझे अजय का पजामा में तंबू बना हुआ दिखा.यह अजय का लंड था जो फिर से अकड़ गया था.

मैंने उसे पकड़ लिया- इसे बड़ी जल्दी है … और तुम अन्दर कुछ पहनते क्यों नहीं या इसकी नुमाइश करनी है. इतनी सारी अंडरवियर हैं, फिर भी नहीं पहनते हो?

अजय- अरे यार … यहां नमी बहुत रहती है … तो जांघ के किनारों में नमी रहती है. इसलिए पजामा कुर्ता पहनता हूं. अंडरवियर से साइड्स कट जाती हैं न इसलिए रात में पाउडर डाल कर ऐसे ही सो जाता था. और भी सामान है … निकालो.

मैं बैग से सामान निकालने लगी.तो मेरा हाथ किसी ठंडी चीज़ से टकराया.निकाला तो बियर की दो केन थीं.

मैंने अजय की तरफ देखा.उसने आंख मार दी.

अजय- कल संडे है, तो बस मैं और तुम साथ में मजे करेंगे.

मैं बैग से एक पैकेट निकालती हुई बोली- इसकी क्या जरूरत थी?अजय- चिट्स यह सेफ़्टी के लिए है.

मैं- कैसी सेफ्टी? तुमको मुझ पर विश्वास नहीं है ना?अजय- चिट्स यार कंडोम इसलिए है कि तुम प्रेग्नेंट न हो जाओ.

मैं- अभी नहीं होऊंगी, सेफ टाइम है. पीरियड्स दो दिन पहले ही खत्म हुए हैं.अजय- तो बताना था ना!

मैं- तुम भी तो हक से पूछ सकते थे. अब क्या बातों में ही लगे रहना है?यह कहते हुए मैंने अजय का लिंग मुँह में भर लिया.अजय की टीस निकल गई.

मैं- क्या हुआ?अजय- खुद देखो.

मैं अजय का लंड निकाल कर देखने लगी, वह कई जगहों से छिला और कट गया था?“इसे क्या हुआ?”अजय- तुम्हारी चूत ने इसका यह हाल किया है!

मैं- अच्छा, तो अब नहीं कर पाओगे?अजय- ऐसा मैंने कब कहा? अभी तो तुम्हारी चूत को इस हरकत की सज़ा मिलेगी.मैं- तो दो ना सज़ा!

अजय- सज़ा नहीं, इनाम मिलेगा इसे सारी रात!यह कहते हुए अजय ने मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया और गोदी में उठा कर फूलों की सेज पर लिटा दिया.

मैं कसमसा गयी.

अब अजय ने धीरे से मेरी नाइटी निकाल फेंकी.मैं पूरी नग्न अवस्था में लेटी रही. वह मुझे सर से पांव तक चूमने लगा और बारी बारी से मेरे अंगों को चूसने लगा.अब वह मेरे दाहिने स्तन पर आकर रुक गया और निप्पल को जीभ से छेड़ने लगा.

फिर वह उठ कर बैग के पास गया और उसमें से कुछ निकाल कर मेरे पास आकर ऊपर लेट गया.उसने वह चीज निकाली, जो असल में शहद की शीशी थी.

बोतल खोल कर उसने मेरे निप्पल पर शहद टपका दिया और पूरे स्तन को मुँह में भर कर चूसने लगा.

मेरे तो तन बदन में जैसे तरंगें मचल उठीं.मैं अपने हाथ बेड पर मारने लगी.

उसने आधे घंटे में मेरे इस दूध को भी खींच डाला, मैं प्यार से उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी.

अब उसने दोनों चूचों को अपने हाथों में भरा और मसलना शुरू कर दिया.मुझे पोर्न लव में मजा आने लगा और मैंने अपने पैर फैला दिए.

अब अजय ने मेरे स्तन छोड़ दिए और मेरे बगल में लेट गया.मैं उसकी तरफ देखने लगी तो उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और होंठों को चूसने लगा.

मेरी चूत एकदम गीली हो चुकी थी और बूंद बूंद पानी टपक कर अजय के पेड़ू पर गिर रहा था.उसने मेरी चूत को छुआ और उंगली से घिस दिया.

फिर बोला- तुम्हारी चूत तैयार हो गयी है, अब तुम शुरू हो जाओ. मैं नीचे से मजे लूंगा.यह सुनकर मैं थोड़ा ऊपर उठी, ताकि अजय का लंड अन्दर ले सकूं.

लंड एकदम तना हुआ, नसें एकदम फूली हुई थीं तो मेरे तो पसीने छूटने लगे.फिर भी वासना से वशीभूत होकर मैंने लंड को थामा और चूत उस पर रख दी और धीरे धीरे अन्दर लेने लगी.

अभी सुपारा ही अन्दर गया था कि मैं ‘आह मम्मी रे मर गयी’ करके उठने को हुई.तभी अजय ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे नीचे घसीट लिया.

एक झटके में पूरा लंड मेरे अन्दर समा गया.पोर्न लव फक से मेरी तो जान ही निकल गयी.

मुझे लग रहा था कि किसी ने कोई गर्म गर्म सरिया मेरे अन्दर पेट तक डाल दिया हो.मेरी चूत बुरी तरह से फट गई थी और अजय के लंड से खून की धार रिस कर आ गयी.अजय चौंकते हुए मुझे देखने लगा.

मैं उस पर बैठी हुई थी तो अजय ने धक्के लगाने का इशारा किया.तब मैं उसके लंड पर हिलने लगी पर दर्द के कारण मजा नहीं आ रहा था.

तो अजय ने मेरे चूतड़ पकड़ कर मुझे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया.

अब तो इतना मजा आया कि मैं अजय पर लेट गयी और अपना एक स्तन उसके मुँह में दे दिया.वह मेरे दूध को चूसने लगा और मैं आह ह्म्म उफ उफ करने लगी.

तभी मेरी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और मैं अजय पर निढाल हो गयी.अजय नीचे से धक्के लगाता रहा, मैं पसीने से तर उस पर यूं ही पड़ी पड़ी चुदवाती रही.

उसका सीना मुझे किसी सेज से कम नहीं लग रहा था, जिस पर मैं उसकी धड़कन साफ साफ सुन रही थी.करीब पंद्रह मिनट तक चुदवाने के बाद मैं अजय के बगल में लेट गयी और मैंने उसी की तरफ करवट ले ली.

वह मुझे ही देख रहा था. मैंने उसको बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया.

उसने कहा- अभी मेरा हुआ नहीं है!

मैंने अपनी बांहें फैला कर उसको इशारा किया कि तो अब कर लो.

यह इशारा पाते ही अजय ने उठ कर पोजीशन ले ली.वह मेरी फट चुकी चूत को देख रहा था, जिसमें से खून और कामरस दोनों रिस रहे थे.

उसने मेरी नाइटी से चूत को पौंछा, फिर चूत पर भी शहद लगा दिया और चूत की दोनों फांकों को एक साथ मुँह में भर कर चूसने लगा, साथ ही दांत से दबाने लगा.

इससे मेरी तो हालत खराब होने लगी, मेरे मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगीं- ओ मां ऊंम्म्म ह्फ आउ आह आआह!

मेरी ये आवाजें लगातार निकल रही थीं.उसके निरंतर चूसने से मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, जिसे अजय पूरा पी गया.

अब उसने चेक किया कि अन्दर चिकनाई ठीक है.तब भी उसने अपने लंड पर नारियल का तेल लगाया और मेरे मुँह को चूमता हुआ अपना लंड मेरी चूत पर घिसने लगा.मैंने अपने दोनों हाथ उसके कंधों पर रख दिए और मैं लता की तरह उससे लिपट गयी.

मेरे मुँह को अपने मुँह में भर कर उसने एक ज़ोरदार झटका दिया, उसका लंड एक बार में ही मेरी चूत को रगड़ता हुआ अन्दर तक जा घुसा.मैंने आंख खोल कर देखा तो उसका लंड अभी दो इंच बाहर ही दिख रहा था.

मैंने नीचे से दबाव बनाया तो थोड़ा सा और अन्दर घुसा, पर अब मेरी चूत जैसे फटने सी लगी थी.अजय ने उतना लंड ही अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया और मैं आनन्द के सागर में बह चली.

अजय ने अब तेज धक्के लगाते हुए मेरे स्तन पीने शुरू कर दिए.वह बारी बारी से जब उनको खींचता तो मुझे बड़ा मज़ा आता था.

मैं अपने प्यार से जबरदस्त चुदाई का मज़ा ले रही थी और मन ही मन ऐश्वर्या (अजय की वह गर्लफ्रेंड को याद कर रही थी, जिसने अजय को निराश किया था) और आंचल (मेरी सहेली) जिसने मुझे इसके लिए तैयार किया, उन दोनों का शुक्रिया कर रही थी.उन दोनों की वजह से ही मुझे ऐसी जबरदस्त चुदाई नसीब हुई.

अजय मुझे लगातार बहुत देर तक चोदता रहा, फिर मेरे अन्दर ही स्खलित हो गया.मेरी चूत फिर से उसके वीर्य से भर गई.

इस वक्त रात के दो बज गए थे, लम्बी चुदाई के बाद अजय भी थक कर सोने लगा था.मैं उसके सीने पर अपने स्तनों को दबा कर सो गई.

नीचे से अजय का लंड मेरे पीछे छू रहा था.मैं अजय को चूमते हुए पता नहीं कब सो गई.

अजय ने मुझे रात में तीन बार और चोदा, फिर आखिरी राउंड उसने सुबह नौ बजे लगाया.

मैं अजय के यहां लगभग दस दिन रुकी और बिना नागा किए हमने बहुत चुदाई की. एक दिन में कम से कम पांच बार पोर्न लव फक तो होता ही था.

अजय ने रविवार को नहाते हुए मेरी गांड भी मार ली थी.वह सेक्स कहानी बाद में लिखूँगी.

मैं जब लौटकर आई तो एक पूर्ण औरत बन चुकी थी, इतनी सारी चुदाई के बाद मेरे स्तन बड़े हो गए थे और रस से भर गए थे.मेरी गांड बाहर निकल आयी थी और फिगर पूरा ही बदल गया था.

मैं जब भी अपनों से अलग होती तो हल्का सा सिंदूर भी लगाने लगी थी.

इतनी चुदाई और बाद मैं होटल में भी अजय से चुदते रहने के कारण जल्द ही मेरा गर्भ भी ठहर गया था.

मेरी चुदाई की कहानी सुनकर मेरी सहेली आंचल भी अजय के साथ सेक्स करना चाहने लगी.

मैंने उसकी सैटिंग अजय के साथ करवा दी क्योंकि वह शादीशुदा थी तो मुझे अजय को खोने का डर नहीं था.

उसके चुदने की कहानी को मैं बाद में बताऊंगी.अजय अब नोएडा में रहता है … अभी हमारी शादी नहीं हो पायी है.

chitzsaxy@gmail.com पे अपने सुझाव भेजे जिससे में अपनी गलतियों को सुधार सकू।


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