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भाई ने मुजे गांडू बनाया और पापा ने रंडी

Kamvasna

मेरा नाम राजन है. हमारे घर सौतेली मम्मी पापा और हम दो भाई ही हैं. मेरी उम्र 24 साल है और मैं जालन्धर पंजाब का रहने वाला हूँ. ये मेरी पहली सेक्स कहानी है और शत प्रतिशत सच है.

मैं देखने में एकदम गोरा-चिट्टा और हेल्थी था, पर कोई लड़की मुझे भाव नहीं देती थी. मैंने भी लड़कियों के बारे सोचना छोड़ दिया था.

मैंने जब जवानी में कदम रखा, तो गलत संगत में पड़ गया और मैं नशे की गोलियां का नशे करने लगा. हालांकि ये कोई बड़ा नशा नहीं था, पर इसको लोग शुरूआत समझते थे. मेरे नशे करने की भनक मेरे भाई को लग गयी और उसने मुझे बहुत डांटा.

वो मुझे अपने साथ ही रखने लगा था. रात को भी हम एक ही बेड पर सोते थे. मम्मी पापा अलग रूम में सोते थे.

एक रात मुझे एहसास हुआ कि कोई मेरे लंड को सहला रहा है. मैंने आंखें खोलीं और अंधेरे में अंदाजा लगाया कि ये मेरा बड़ा भाई है. मैंने सोचा करने दो, अपने भी मज़े हैं.

उसने धीरे धीरे लंड हिलाना चालू किया और मेरा हाथ अपने लंड पर रखवा दिया. मैंने नींद में होने का नाटक करते हुए कोई हरकत नहीं की. उसने मेरा लंड हिला हिला कर मेरी मुठ मार दी और मेरा माल निकल गया. बाद में उसने अपनी भी मुठ मारी. इस तरह हम सो गए.

सुबह मेरे दिमाग में आईडिया आया कि मेरे और मेरे नशे के बीच मेरा भाई ही दीवार है, अगर मैं इसको खुश कर दूं, तो फिर मुझे कोई रोकने वाला नहीं रहेगा.

पूरे दिन मेरी उससे कोई बात नहीं हुई और हम दोनों ने ऐसा व्यवहार किया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं.

अगली रात भाई ने फिर वैसा ही किया. अबकी बार मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उसको पता चल गया कि मैं जाग रहा हूँ. चूँकि मुझे कोई आपत्ति नहीं थी. तो उसने मेरी मुठ मार दी, मैंने उसकी मार दी.

अगली रात उसने कहा- राजन, अपने सारे कपड़े उतार कर आ जा.

उसने खुद के भी सारे कपड़े उतार दिये. कमरे में अन्धेरा था. अचानक उसने लाईट ऑन कर दी. मैंने उजाले में देखा कि उसका लंड गोरा था जबकि मेरा लंड काला था. वो मेरे पास आया मैं बेड से टांगें नीचे करके बैठ गया.

वो लंड हिलाता हुआ बोला- मेरा लंड चूस.मैंने मना कर दिया तो उसने एक थप्पड़ दे मारा.मैं रोने लगा.

उसने कहा- देख अगर तू मुझे खुश रखेगा, तो मैं तुझे किसी बात से नहीं रोकूंगा. वरना सुबह मम्मी पापा के सामने तेरा चिट्ठा खोल दूंगा. फिर सोच तेरा क्या होगा?मैं सोच में पड़ गया कि अब क्या करूं.

फिर मेरे दिमाग ने कहा कि भाई की बात मानने में मेरा फायदा है.मैंने भाई से कहा- भाई तू जो भी चाहता है, मैं करूंगा, मगर एक वादा कर कि ये बात किसी को बताना मत … वर्ना मेरा मजाक बन जाएगा क्योंकि पंजाब में गांड मरवाने वाले को हिजड़ा और बहुत कुछ कह कर लोग छेड़ते हैं.उसने कहा- तू मेरा भाई है, मैं किसी को थोड़े ही ये बात बताऊंगा.

मैं खुश हो गया और भाई के गले लग गया.

भाई बोला- आज से तू मेरा भाई नहीं मेरी बीवी है … मैं जो भी कहूँगा, तुम करोगे. दुनिया के सामने भईया अकेले में सईंया.

भाई ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा. मुझे अलग सा नशा होने लगा. फिर भाई ने मुझे बेड पर बैठा कर अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ना शुरू किया.

उसने कहा- मुँह खोल.मैंने मुँह खोला, तो भाई ने अपना लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया.

भाई का लंड ज्यादा बड़ा नहीं था, न ज्यादा छोटा. पहले तो मुझे गन्दा सा लगा, पर दूसरी तरफ सोचा कि राजन सह ले … बाद में मजे आने हैं. कोई रोक टोक वाला नहीं रहेगा.

पर मुझे क्या पता था कि एक अलग नशा मुझे लगने जा रहा था.

भाई ने बोला- इसे लॉलीपॉप की तरह चूस.मैंने लंड चूसना शुरू कर दिया. अब मुझे भी मजा आने लगा था. मैं कभी सुपारे को चूसता, कभी भाई लंड को मेरे हलक तक पहुंचा देता.

इस तरह 10 मिनट बाद भाई स्खलित हो गया और उसने अपना गर्म गर्म लावा मेरे मुँह में उड़ेल दिया.

भाई ने मेरा सर पकड़े रखा था और तब तक नहीं छोड़ा, जब तक आखिरी बूंद मेरे मुँह में नहीं गिर गई.

मैं वाशबेसिन की तरफ भागा और मैंने उल्टी कर दी. मैंने जल्दी से ब्रश किया और आकर भाई से कहा- भाई तुमने तो मार ही दिया था.

भाई हंस कर बोला- अभी शुरुआत है. तुमसे मुझे बहुत कुछ करवाना है. फिर तुझे मज़े ही मज़े आएंगे.

मैं भाई की बात नहीं समझा. भाई ने फिर से मेरी मुठ मारी.

इस बार मुझे बहुत मज़ा आया और हम दोनों कपड़े पहन कर सो गए.

अगली चार रातों को ऐसा ही चलता रहा. अब मुझे भी भाई का लंड चूसने और उसका पानी पीने में मज़ा आने लग गया था.

कुछ रोज बाद एक दिन घर में बात हुई कि अगले हफ्ते मौसी जी की बेटी की शादी है. सबको जाना होगा. मुझे क्या पता था कि इस शादी वाली रात मेरी गांड की सील टूटेगी.

हुआ यूं कि भाई ने जाने से मना कर दिया, पर मैंने हां कर दी. भाई ने मुझे घूरा, तो मैंने भी डर कर मम्मी पापा से कह दिया कि भाई अकेला कैसे रहेगा … आप दोनों चले जाओ. बस 3-4 दिन की ही बात है, हम दोनों रह लेंगे.

जिस दिन मम्मी पापा को जाना था, उसमें अभी कुछ समय बाकी था. उन दिनों एक बड़ी ताज्जुब की बात ये हुई कि भाई ने इस पूरे समय तक मुझे तंग नहीं किया और कुछ नहीं कहा.

आखिर वो दिन आ गया, जब मम्मी पापा को शादी में शामिल होने जाना था. वे दोनों रात की ट्रेन से चले गए.

मम्मी पापा के जाते ही भाई ने मुझे पैसे दिए- जा एक बोतल शराब की, चिकन और अपने नशे के लिए जुगाड़ ले आ.मैं हैरान था कि भाई खुद मुझे ऐश करवा रहा है.

मुझे क्या था … मेरे तो मज़े थे. मैंने नशे की दवाई ली और चिकन शराब लेकर घर आ गया. भाई ने शराब की बोतल खोली और दो पैग बनाए.मुझे नशे पर नशा मिला, तो मैं झूम उठा.

पूरे सुरूर में होने के बाद भाई बोला- चल जल्दी से अपने कपड़े उतार.

मैंने झट से अपने पूरे कपड़े उतार दिए. भाई बोला- मेरे भी उतार.

मैंने उसकी शर्ट जींस उतारी, तो भाई बोला- मेरा अंडरवियर अपने मुँह से उतार.

मैंने अंडरवियर की इलास्टिक को दांतों से पकड़ा और अंडरवियर खींच कर उतार दिया. भाई का लंड टन्न से मेरे चेहरे से टकराया.

भाई ने उठ कर मुझे गले लगा लिया और पीछे से मेरी गांड पर हाथ फिराने लगा. हाथ फिराते फिराते उसने अपनी एक उंगली मेरी गांड में घुसेड़ दी. मैं चिंहुक कर उछल पड़ा.मैं- भाई क्या कर रहे हो?भाई हंस कर बोला- आज इसकी ओपनिंग सेरेमनी है या यूं समझ ले कि तेरी सुहागरात है.मैंने कहा- भाई ऐसा मत करो मेरी गांड फट जाएगी.भाई बोला- मेरे रहते चिंता न कर … थोड़ा सा दर्द होगा, फिर तुझे बहुत मज़ा आएगा.

मैं गांड में लंड लेने से डर रहा था.

फिर भाई ने एक मोटा से पैग बना कर दिया और बोला- खींच जा इसे … तुझे कोई दर्द नहीं होगा.

मैंने पैग खत्म किया. अब मुझे काफी नशा हो गया था और भाई को भी चढ़ गई थी.

भाई ने मेरे होंठ चूसे और मेरे गालों को चूमा, तो मुझ पर भी काम हावी होने लगा. नशे में दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. मैंने सोचा जो होगा, देखा जाएगा. बस आज भाई को खुश करना है.

भाई ने मुझे नीचे बैठने को कहा और कहा- मुँह खोल.मैंने मुँह खोल लिया. भाई ने गर्म गर्म पेशाब मेरे मुँह में कर दी और मेरे सिर पर भी पेशाब कर दिया.भाई बोला- चल अब रंडी की तरह डांस कर.

मैं कुतिया की तरह गांड हिलाता हिलाता घुटनों पर चलने लगा और भाई के आगे खड़ा हो गया.

भाई ने मुझे झुकने के लिए कहा और मेरी गांड के छेद में सरसों का तेल लगा दिया. फिर भाई ने अपना सुपारा मेरी गांड पर रखा और जोर से धक्का लगा दिया. मेरी चीख निकल गयी. सारा नशा काफूर हो गया. ऐसा लगा, जैसे किसी ने गांड में चाकू घुसेड़ दिया हो.

मैं रोने लगा- भाई छोड़ दो मुझे!

मगर भाई की पकड़ ज्यादा मजबूत थी. भाई ताबड़तोड़ झटके लगाता रहा और मैं दर्द से रोता रहा. दस मिनट बाद अचानक दर्द गायब हो गया. लंड का तेज़ दर्द, मीठे दर्द में बदल गया.

मेरे मुँह से कराहने की जगह मादक आवाजें निकलने लगीं- आह भाई … हम्म भाई जोर से करो भाई … बहुत मज़ा आ रहा है. … उम्म्ह… अहह… हय… याह… भाई पहले मेरी गांड क्यों नहीं मारी … आंह भाई रोज़ मारा करो. आह भाई … सीईईई उई जोर से भाई.

दस पन्द्रह मिनट बाद भाई ने अपना गर्म गर्म वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया.इस बीच वो मेरे लंड को भी हिला रहा था तो मेरे लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी.

इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया था. उस रात मैं नशे में सो गया मगर सुबह पीछे बहुत दर्द हो रहा था. मैंने गर्म पानी से सिकाई की … मगर अभी तो असली मज़ा और चुदाई बाकी थी.

सुबह से ही मेरी गांड में दर्द हो रहा था और ठीक से चला भी नहीं जा रहा था. मैंने दर्द की दवाई ली और सो गया. शाम तक राहत मिल गई. रात को भाई ने फिर दारू पी और मुझे भी पिलाई. इतना तो मैं समझ गया था कि चुदाई आज भी होगी … मगर अब मैं खुद गांड मरवाने को उत्सुक था.

भाई और मैं जब नशे में टुन्न हो गए, तो भाई बोला- आज कुछ नया करते हैं.मैंने पूछा- क्या?

वो मुस्कुरा दिया. वो मुझे मम्मी पापा के कमरे में ले गया और बोला- तू आज औरत बनेगी … चल जल्दी से मम्मी की साड़ी पहन और मेकअप कर.

मैंने मम्मी की साड़ी पहनी. जैसे तैसे साड़ी बांध ली. वैसे हमारे पंजाब में शादी वगैरह पर ही औरतें साड़ी बांधती हैं. मैंने साड़ी बांधी मेकअप किया.और जब मैंने खुद को आईने में देखा, तो दिल में आया राजन तू तो पक्की लौंडिया लग रहा है. भाई भी मुझे देखता रह गया.

उसके मुँह से निकला- वाह मेरी रांड … आजा मेरी गोद में बैठ जा!मैं भी लड़कियों की तरह गांड मटकाता हुआ भाई की गोद में बैठ गया. नीचे से गांड में भाई का लंड चुभा, तो मेरे मुँह से आउच निकल गया.

मैं खुद को एक रंडी महसूस कर रहा था, जो ग्राहक को खुश करने के लिये कुछ भी करती है.

भाई ने मेरे होंठ बुरी तरह चूसे और होंठों पर काट लिया.मैं- आह जानू … क्या करते हो जान निकालोगे मेरी.भाई- मेरी रांड … आज तो तेरी जान ही निकाल दूंगा.

भाई ने गोद में उठा कर बेड पर पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया. उसने मेरे गालों पर चुंबनों की बरसात कर दी.

मेरा वीक पॉइन्ट यही बन गया था. जब भाई मेरे गालों को मुँह में भर कर ताबड़तोड़ चुंबन करता है … तो मैं मस्त हो जाती हूँ.

मेरे चेहरे पर भाई ने लंड घिसा तो मैंने लंड पकड़ पर मुँह में ले लिया.भाई- आंह चूस मेरी रांड … मेरा लंड चूस … निकाल दे सारा माल.

कोई 5 मिनट लंड चूसने के बाद मेरा मुँह दुखने लगा.भाई बोला- चल अब मेरे लंड पर बैठ जा. मैं भाई के लंड पर बैठ गया.

लंड अन्दर घुसने लगा. ‘उई मां..’ मेरी कराह निकलने लगी.

भाई का लंड फंस फंस कर मेरी गांड में पूरा चला गया. पर मुझे मज़ा बहुत आ रहा था. मैं उछल उछल कर भाई का लंड अपनी गांड में ले रहा था. भाई मस्ती से मेरी गांड मारने लगा. मैं भी गांड हिला हिला कर मरवाने लगा. भाई मेरे लंड की मुठ भी मार रहा था.

दस मिनट बाद भाई ने लावा मेरी गांड में छोड़ दिया और इधर मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी. मैंने अपना माल भाई की छाती पर गिरा दिया.

इसके बाद भाई ने एक बार और गांड बजाई और हम दोनों सो गए.

अब मैं पक्का गांडू बन चुका था. रोज़ दो बार मेरी गांड में लंड न जाए, तो मुझे अधूरा सा लगता था.

एक दोपहर को हम अपने रूम में चुदाई का खेल खेल रहे थे कि अचानक पापा ने दरवाजा खोल दिया.

मैंने सिर उठा कर देखा, तो बाहर पापा थे.मेरी तो फट गई, काटो तो खून नहीं वाली हालत हो गई … पर पापा चुपचाप पीछे हट गए.

यह तो मैं समझ गया था कि अब सुबह मेरी शामत पक्का आएगी ही.इसी डर से पूरी रात नींद नहीं आई.गांड मराने का सुख भी खत्म हो गया था.

सुबह हुई, मैं उठा और डरता हुआ बाहर आया.सामने पापा थे, उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा.

मेरे लिए यही सबसे बड़ी ताज्जुब की बात थी … मगर यह कहां मालूम था कि आगे जो होने वाला है, वह किसी पहाड़ टूटने से कम नहीं था.

एक महीने में ही पापा ने भाई को बुआ के पास कनाडा भेज दिया.भाई के चले जाने से मेरी हालत तो जवानी में विधवा हो जाने वाली हो गई.रातें लंबी हो गयी और दिन वीरान.गांड मराने की लत चैन न लेने दे.

पर तक़दीर को कुछ और ही मंजूर था.उसी दौरान मामी जी के भाई की शादी आ गई.

पापा की अपनी ससुराल में बनती नहीं थी, तो पापा ने मम्मी से शादी में जाने से मना कर दिया.पर मम्मी बोलीं- आप मेरे मायके में जाते नहीं, तो न जाओ … पर मुझे तो मत रोको!

मम्मी अपने मन की करती हुई शादी में शामिल होने के लिए अपने मायके चली गईं.शादी में 5-7 दिन लगना, तो आम बात थी … इतने दिन तो लगने ही थे.

पापा गुस्से में रात को काफी पीकर आए.मैंने घर का मेन डोर लॉक किया और पापा से पूछा- खाना लगा दूँ?वे गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए बोले- नहीं, मुझे खाना नहीं खाना.

मैं डरते डरते अपने रूम में जाने के लिए मुड़ा ही था कि पापा बोले- रज्जो, इधर आ जरा!मैं समझ गया कि आज इनका गुस्सा मुझ पर उतरेगा, पर कैसे उतरेगा … यह पता नहीं था.

मैं उनके पास गया और बोला- जी पापा!तभी तड़ाक से एक थप्पड़ मेरे एक गाल पर, फिर दूसरा दूसरे गाल पर पड़ा.

मैंने रोते हुए पूछा- मैंने क्या किया है?पापा बोले- साले गांडू, मैंने लड़का पैदा किया और तू गांड मरवाता है … लंड चूसता है!

मैं हैरान हो गया कि इनको लंड चूसने वाली बात कैसे पता चली?

बाद में पता चला कि भाई की पहले ही पिटाई हो चुकी थी और भाई ने माना था कि उसने ही मुझे गांडू बनाया था.

मैंने नजरें झुका कर कहा- पापा गलती हो गई!वे बोले- गलती हो गई, साले … आज तेरी मां का बदला तुझसे पूरा होगा, चल कपड़े उतार!‘क्यों पापा?’तड़ाक से एक और थप्पड़ पड़ा.

मैंने झट से सारे कपड़े उतार दिए मगर अंडरवियर नहीं उतारा.

कड़क आवाज आई- इसे भी उतार!मुझे नँगा करके मेरी गांड पर पापा ने अपनी बेल्ट से प्रहार करना शुरू कर दिए.मैं चीखता रहा.

कोई दस मिनट बाद पापा ने मुझे अपने गले से लगाया और प्यार दिया.मैं पापा के घड़ी घड़ी बदलते रवैये से हैरान भी था और सन्न भी!

प्यार देते देते पापा ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.मैंने पीछे हटते हुए कहा- क्या कर रहे हो पापा?

वे बोले- तू जो रात को गाजर मूली से काम चलाता है न, मुझे सब पता है. ये ले असली माल … जिसकी तुझे जरूरत है.पापा ने अपना मोटा सांप जैसा लंड निकाल कर मेरे हाथों में दे दिया.

मेरे सारे शरीर में कंपकंपी दौड़ गयी.पापा नशे में बड़बड़ा रहे थे.

तभी उन्होंने मुझे झटका देकर गिरा दिया और लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया.

आह … इतने दिनों के बाद असली लंड चूसने को मिल रहा था.मैंने भी शर्म को साइड में किया और पापा का लंड चूसने लगा.

“आह मेरे बेटे … चूस तेरी मम्मी तो मुँह में लेती नहीं … आह कितना प्यारा बेटा है मेरा … चूस गांडू साले भोसड़ी वाले!”

दस मिनट तक अपना लंड चुसवाने के बाद पापा ने मुझे घोड़ी बना लिया और पीछे से अपना लंड सैट कर दिया.उन्होंने मेरी गांड के फूल पर जरा सा थूक लगाया और झटके से लंड अन्दर डाल दिया. सेक्स के बाद मेरी तो जैसे बरसों की प्यास बुझ गयी थी … आह मजा आ गया.‘चोदो पापा … आह मुझे जोर से चोदो आह जोर से … और जोर से … फाड़ दो मेरी गांड!’

लगभग पंद्रह बीस मिनट बाद मेरी गांड में गर्म गर्म लावा फेंक कर पापा बिस्तर पर लुढ़क गए और सो गए.

आज मैं बहुत खुश था क्योंकि घर में ही मेरी संतुष्टि का साधन मिल गया था.पर क्या पता था कि आगे जाकर नया पंगा न पड़ जाए.

एक रात वे फिर बहुत पीकर आये.और फिर घर में भी 2 पैग लगा लिये.

तब पापा सीधे मेरे कमरे में आये और बोले- चल कपड़े उतार!मैंने कहा- अभी तो मम्मी जाग रही हैं. वे इधर आ गई तो?“तेरी मां की चूत तू कपड़े उतारता है या नहीं!

मैं नन्ही सी जान … डर गया और अपने सारे कपड़े उतार लिये।

पापा ने अपना लंड मेरे मुंह मे दे दिया और मैं प्यार से चूसने लगा.

उधर मम्मी आवाजें दे रही थी.मगर मेरे मुँह में पापा का लंड था और गांड में खुजली और दरवाज़ा बंद होने की वजह से आवाज़ सुन नहीं रही थी.दरवाज़ा बंद तो था मग़र लॉक नहीं।

मम्मी ने आवाजें देती हुई मेरे कमरे तक आ गयी और जब उन्होंने दरवाज़ा खोला तो मम्मी को तो जैसे झटका लगा हो; कुछ पल तो उनको समझ नहीं आया कि ये ब्लू फिल्म चल किस एंगल से रही है।पापा की पैंट नीचे थी और मैं घुटनों के बल होकर उनका लंड चूस रहा था.

मम्मी चिल्ला कर बोली- ये क्या हो रहा है?मैं डर गया.पर पापा को जैसे कोई असर ही न हुआ हो.वे बोले- दिख नहीं रहा … अपना लंड तेरे बेटे से चूसवा रहा हूँ. क्यों मजा खराब कर रही है? और तू क्यों रुक गया? चल चूस!

मुझे समझ न आये कि किसकी साइड लूँ.तो फिर पापा की एक गाली ने मुझे अपना काम करते रहने को मजबूर कर दिया।मम्मी रोती हुई चली गई।

पापा ने रात को मेरी गांड मारी और लड़खड़ाते हुये अपने कमरे में चले गये।मुझे रात भर नींद न आई कि सुबह मम्मी का सामना कैसे करूँगा।

पापा भी सुबह जल्दी चले गये तो मम्मी मेरे कमरे में आई.शायद वे भी रात भर सो न सकी थीं।

मुझे उठाकर गर्म लहज़े में मम्मी ने पूछा- ये सब क्या चल रहा है? तेरी इन्ही हरकतों की वजह से तेरे भाई को विदेश बुआ के पास भेजा. तो तू अपने बाप को … छी … शर्म कर कुछ! तू क्या है और क्या बन गया है. हमें समाज में बेइज़त करेगा।मैंने कहा- मेरी इसमे कोई गलती नहीं है. मुझे गांडू भी तेरे बेटे और फिर तेरे मर्द ने बनाया। मैं तो नार्मल था।

मैं भी गुस्से से अपने अंदर की आग निकाल देना चाहता था.फिर मैंने सारी कहानी बताई तो मम्मी को मुझसे हमदर्दी होने लगी।

वे बोली- छोड़ दे ये काम! ये काम मर्द के नहीं होते।मैं नाराज़गी भरे लहजे से बोला- अब कौन सा मर्द? अब तो इन मर्दों ने मिलकर मुझे औरत बना दिया है। अब बहुत देर हो चुकी है माँ! अब मेरे अंदर का मर्द मर गया है।

मम्मी बोली- नहीं ऐसा नहीं है. कोशिश से हर आदत छोड़ी जा सकती है।मैंने कहा- तेरा पति मुझे रखैल बना चुका है. आपको तो खुश होना चाहिये कि अब ये बाहर मुँह नहीं मारेगा. पहले तो आपका झगड़ा भी इसी बात से होता था. अब तो घर में ही गंगा है।

मम्मी की आंखों में न जाने क्यों ये सब सुनकर एक चमक आ गई।मैं इस चमक का मतलब समझ गया कि अब मुझे फिर अपनी जरूरत के लिये यूज़ किया जाना था।

मम्मी बोली- ठीक है. तो आज मैं तुझे औरत बनाऊँगी और दुल्हन की तरह तैयार करुँगी।यह मेरे लिये फिर एक झटका था।

मम्मी मुझे कमरे में ले गयी और मुझे कपड़े उतारने को बोला।

मैंने सवालिया नज़रों से देखा तो मम्मी बोली- उतार कर नंगा हो जा!

फिर मम्मी ने मेरे पूरे बदन को वैक्स किया और एकदम चिकना बना दिया।

शाम को पापा को फोन किया कि आप जल्दी आ जाना और पैग भी घर आकर लगाना।शायद वे भी हैरान हो गए होंगे मम्मी की इस बात से!

शाम को मुझे दुल्हन की तरह सजाया मम्मी ने … अपनी ब्रा पेंटी पहनने को दी और फिर साड़ी!मेरा मेकअप भी किया उन्होंने.

तब शीशा देखने पर मुझे खुद पर यकीन ना हुआ कि मैं लड़की हूँ या लड़का!

पापा घर आये तो बोले- क्या है?मम्मी ने कहा- सरप्राइज़ है. आप दूसरे रूम में पार्टी कीजिये।

घण्टे भर में पापा टल्ली हो गए।मैंने भी आज 3-4 पैग लगा लिये थे।

पापा जब कमरे में आये तो बोले- ये कौन है?मम्मी बोली- आपकी नई दुल्हन!“मेरी दुल्हन? ये कब बनी?”

मम्मी हँस कर बोली- आप घूंघट तो उठाइये।

पापा ने घूंघट उठाया तो मुझे देखते हुए बोले- वाह, इतना मज़ा तो मुझे तेरी मां का घूंघट उठाते नहीं आया था जितना तेरा उठाते आया है।

मम्मी बोली- ये आपका गिफ्ट है. मज़े कीजिये!तो पापा बोले- एक शर्त है?“क्या”पापा बोले- आज की रात तुम दोनों की एक बैड पर ही लूंगा।

मम्मी झिझकती हुई बोली- नहीं, मुझे शर्म आएगी.तो पापा बोले- यहाँ मैं ही एक मर्द हूँ. तो शर्म क्यों?

कुछ सोचते हुए मम्मी ने भी कपड़े उतार दिए।

पापा मुझपर झपट पड़े और मेरे होंठों की सारी लिपस्टिक धीरे धीरे चूस गये और मुझे नंगा करके खुद भी नंगे हो गये।

अब कमरे में हम तीनों नंगे ही थे, मम्मी, पापा और मैं!पापा मम्मी से बोले- देख, तुझमें एक ही कमी थी जो मुझे बाहर जाना पड़ता था.मम्मी बोली- क्या? पापा बोले- दिखाता हूँ!और उन्होंने अपना लंड मेरे होंठो पर लगा दिया।

मैंने होंठ खोलकर लंड जीभ से चाटा और फिर मुँह में लेकर चूसने लगा।मम्मी अपनी कमी समझ चुकी थी।

तब मम्मी ने मेरा लंड पकड़कर हिलाना शुरू कर दिया।मेरा लंड भी ठीक है तो वो अपना आकार लेने लगा।

मम्मी बोली- बहुत हुआ चूसना चुसवाना … अब आप इसकी गांड का उद्घाटन करो और तू गांडू मेरी चूत चाट!

पापा ने मुझे घोड़ी बनाया और अपना लंड मेरी गांड में दे दिया.और मम्मी ने मेरे मुह के आगे अपनी चूत कर दी।

बैड सेक्स इन फॅमिली में मुझे डबल मज़ा तो आ रहा था और मेरे घर में अब किसी का किसी से कोई पर्दा नहीं था।

मम्मी और पापा का दुलारा बेटा दोनों को खुश कर रहा था और अपनी भी खुजली मिटा रहा था.अब मुझे किसी का डर नहीं था.

मैं अब अपनी प्यास बुझाने कोई नया शिकार सोच रहा था क्योंकि रोज रोज मेरी गांड मारना पापा के बस की बात नहीं थी.तो मुझे अब सोच समझ कर नया आशिक ढूंढना था कि मेरा राज भी बना रहे और दमदार लंड भी मिल जाये।

दोस्तो, जब तक कोई नया आशिक़ नहीं मिलता तब तक के लिये इज़ाज़त दीजिये.जल्दी की नई घटना लेकर हाज़िर होऊंगा।

ख्यालों में मुझे चोदते रहना और विडियो जरूर भेजना।मैं भी देखूँ कि मैं कितनों के काम आ सका। rb109315@gmail.com

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