माँ की चुदाई मेरे ही लंड से आंटी ने करवाई - Free Sex Kahani
- Kamvasna
- Oct 5
- 10 min read
कामवासना के प्यारे पाठक गण, आज आपको ऐसा किस्सा सुनाने वाला हूं। जो मेरे इतना करीब हो रहा था, मगर उस किस्से का पता मुझे इतने साल बाद चला।
देखो हर किसी के गली मोहल्ले में ये छोटी बड़ी चीज़ें हो रही होती है, लेकिन जब तक नज़र के सामने भी आती तब तक लगता है कभी कुछ न हुआ है न हो सकता है।
कुछ दिन पहले मेरा दोस्त विशाल और मैं मूवी देखने गए , मूवी कुछ खास अच्छी नहीं थी , तो हम ऐसे ही तालाब के किनारे पर जाके बैठे। मेरे दोस्त ने बोला के यार तूं मेरा सच्चा पक्का दोस्त है।
बचपन से हम एक दूसरे को जानते है आज मुझे तुझको हमारे मोहल्ले का एक राज़ बताना है।
मैने पैर मोडे और हॉल की सीट पर बैठकर सुनने लगा उसने मुझे अपनी कहानी बतानी शुरू करी ।
मेरे पाठकों से मैं कह दूँ 'एक हाथ लन्ड पर रखो और मेरी मस्त पाठिकाओं से केह दू उंगलियों चूत पर रखकर पढ़ो':-
विशाल बोला “ये उन दिनों की बात है, जब हम स्कूल में थे मेरी उम्र लगभग 16 रही होगी , हमारे मोहल्ले में तब रोज़ी जी की नई नई शादी हुई थी।
उनके और मेरी माँ की अच्छी दोस्ती हो गई थी वो भी बहुत ही कम दिनों में। रोज़ी जी अक्सर आती जाती थी हमारे घर।
मैं जब भी स्कूल से घर पहुंचता तो रोज़ी जी मुझे घर पर ही मिलती कभी वो किचेन में मम्मी का हाथ बटा रही होती, तो कभी बेडरूम सैट कराती।
लेकिन मुझे अजीब तब लगता जब में उनको मेरे ही घर में बाथरूम से नहाकर निकलता देखता। मम्मी अक्सर मुझसे कहती के रोज़ी को तोलिया दे दे।
जब भी वो बाथरूम से बाहर आती तो तुरंत में अंदर घुस जाता। बाथरूम में हमेशा एक जोड़ा रोज़ी जी की ब्रा और पेंटी का पड़ा रहता था। लेकिन साथ ही साथ माँ की चड्डी भी उन्हीं के कपड़ो में रखी होती।
ये सील सिला धीरे धीरे और भड़कता गया। मेरे पापा ट्रांसपोर्टर है तुम जानते उनका आधा साल घर में और आधा सफर में गुज़रता है।
एक दिन की बात है जब महीने का आखरी दिन था और हमारी जल्दी स्कूल की छुट्टी हो गई थी उस दिन जब में घर पहुंचा तो रोज़ी जी की आआह! आवाज़ कमरे से आई।
मैं अंदर गया तो दोनों एक साथ बेड पर सिर्फ तोलिया लपेटे हुए थे। मेरी माँ रोज़ी जी के पैरों के बीच नारियल तेल की शीशी लिए बैठी मालिश कर रही थी।
मेरी लंबाई तब छोटी थी और अपनी उमर के लिहाज़ से काफी छोटा बच्चा लगता था। काई बार माँ मेरे सामने कपड़े बदल लेती थी। उनकी देखा देखी रोज़ी जी भी मेरे साथ खुल गई थी।
कमरे में मुझे देखकर माँ ने बोला आज तू जल्दी आ गया रोज़ी जी बोली आज आखरी दिन है महीने का इसलिए जल्दी छुट्टी हुई होगी कभी कभी ही इसे मौके आते है।
माँ उठी और मेरे लिए खाना लेने चली गई। जाते जाते मुझसे बोल गई कि रोज़ी के पैर दबा दे वो बाथरूम में फिसल गई तो सूजन आ गई है।
माँ चली गई, मैने हाथ मुंह धोया कपड़े बदले और रोज़ी जी के पास पहुंचा। मैं कमरे में अंदर घुसा तो रोज़ी जी सीधी कमर के बल लेती एक टांग ऊपर उठाकर मुझे बोला “ आ जाओ , बाबू “।
मैं हिचकिचाता हुआ आगे बढ़ा उनके टांग उठाने की वजह से तोलिया नीचे सरक गया था। घुटने से नीचे तक उनकी टांग नंगी थी।
एक दम गोरी चिकनी मक्खन जैसी उनकी टांग मुझे लप लपाते बटर चिकन की याद आ गई।
मैने अपनी उंगली तेल से गीली करी और उनकी पैरों पर उंगलियों से मालिश शुरू की। उन्होंने कहा “ बाबू दर्द वहां नहीं ऊपर है।”
मैने उनका चेहरा देखा तो वो अपने होठ काटने लगी। उनका गोल चेहरा मोटे ओर चटकीले लाल होठ, भारी गाल बड़ी बड़ी गहरी आंखे देखकर मुझे पेंट में भरी भरी कुछ महसूस हुआ।
तब मुझे जिस्म के साइज की कोई समझ नहीं थी लेकिन उनकी ब्रा पर एक बार 32 पड़ा था वो याद कर के में उनके तोलिया में छुपे स्तन देखने लगा। बेड के नीचे पास में ही एक और ब्रा पड़ी थी जो बिना शक मेरी माँ की थी।
लेकिन वो रोज़ी जी से ज़्यादा बड़ी थी। मैं घुटनों पर रोज़ी जी की तेल मालिश करने लगा। मेरे हाथ उनकी नर्म रूई जैसी टांगों पर घूम रहे थे।
मेरे दिमाग में ख्याल घूम रहे थे कि रोज़ी जी बाथरूम में गिरी लेकिन माँ तोलिए में क्यों है या माँ के बाथरूम से आने के बाद ऐसा हुआ और इसलिए वो कपड़े नहीं पहन पाई।
इतने में रोज़ी जी बोली “ बाबू! थोड़ी और ऊपर। वहां दिक्कत ज़्यादा है। “
में खामोश था। उनके मोटे मोटे गांड़ के गोलाई वाले हिस्से ओर उनके उभरे दुदू देख मुझे सुसु महसूस होने लगी।
मैने उन्हें बोला तो वो हस पड़ी और कहा चल में कराती हूं। वो आसानी से उठ गई उनको आता देख ऐसा लगा नहीं की इनको सूजन हो।
माँ ने कमरे से आवाज़ दी “ कहा चले गए दोनों। “
रोज़ी जी बोली “हम बाथरूम में है।”
रोज़ी जी आवाज़ बाकी औरतों से बहुत अलग थी मेरी माँ, मेरी फेवरेट टीचर दोनों की आवाज़ मुझे हमेशा मीठी लगती मगर रोज़ी जी आवाज़ मीठी नहीं थी आज समझ आता है उनकी आवाज़ कामुक है।
वो मुझे बाबू नहीं “हम्मम बा बू” कह कर बुलाती है।
माँ दौड़ती हुई बाथरूम आई फिर उनसे बोली “तू मेरे बच्चे के साथ बाथरूम में क्या कर रही है।”
मैने खुद ही जवाब दिया “मालिश करते करते मुझे बाथरूम आ गई थी तो रोज़ी जी मुझे कराने ले आई “।
हमारा अटैच बाथरूम था सो माँ भी अंदर आ गई। मेरे सामने मस्त गदराई जिस वाली अपने जवानी की चरम पर पहुंची दो औरतें तोलिए में थी।
रोज़ी जी ने मेरी बात पर हंसकर माँ को आंख मारी, माँ ने उनको प्यार से चपत लगाई में समझ नहीं पारा था मुझे किया हो रहा है।
रोज़ी जी अपनी बड़ी हवस से भरी लाल आंखे लिए मेरे लन्ड को देख रही थी, मुझे सुसु नहीं आ रही थी जिससे मुझे अजीब सी गर्मी लग रही थी।
मेरे पापा तब दो महीनो से घर नहीं आए थे, रोज़ी जी ने आंखों आंखों में माँ को कोई इशारा किया फिर दोनों खड़ी मेरे लन्ड को देखने लगी।
रोज़ी जी मेरे पास बैठी उन्होंने मेरा लन्ड पकड़ लिया वो मेरी माँ की आंखों में झांक रही थी। मेरी माँ उनकी तरफ भारी नज़रों से देख रही थी।
रोज़ी जी ने मेरी माँ हाथ पकड़ा उनको अपने साथ ज़मीन पर बिठाया और मेरे लन्ड की तरफ इशारा कर के सहलाने लगी।
मुझे दोनों मैसे कोई नहीं देख रहा था, मुझे घबराहट होने लगी लन्ड लंबा होने लगा। 2 इंच का लन्ड दोनों अधनंगे जिस्म देखकर 5 इंच का हो गया।
रोज़ी जी ने माँ का चेहरा पकड़ा और मेरे लन्ड के करीब करने लगी। साथ ही साथ वो भी अपने होठ मेरी माँ के होठ ओर लन्ड के करीब लाने लगी।
एक पल लिए मुझे लगा मेरा दिल बाहर आ जाएगा मेरी ओर मेरी माँ की नज़रे हुई हमारी आँखें मिली। तो वो वहां से उठ कर चली गई।
रोज़ी जी ने अपने मोटे होठों से मेरे गाल को चूमा और कहा “ बाबू! तूने हमारी परेशान खत्म करदी, चल अब खाना खा लेते है।”
हम बाहर आकर खाना खाने लगे कि तभी माँ ने एक चाटा रोज़ी जी को लगाया और वो हसने लगी फिर माँ ने मेरे गाल साफ करी जिनपर रोज़ी जी के होठ चुपके हुए थे।
अगले कुछ रोज़ी जी घर नहीं आई। माँ ने बताया वो अपने मायके गई है मैने पूछा माँ से के उनकी और रोज़ी जी की दोस्ती इतनी गहरी कैसे है। वो हमेशा हमारे घर रहती है खाती भी है नहाती भी है।
तो उन्होंने बताया के वोह बचपन के दोस्त है किस्मत का खेल है कि उनकी शादी भी इसी मोहल्ले में हुई है।
अगले दिन रात को 8 बजे आवाज़ आई “ कनिका! कनिका! मैं आ गई।”
मैने कमरे के बाहर सीढ़ियों पर आ कर देखा तो रोज़ी की एक चुस्त जींस और गहरे गले के टॉप में माँ के होठ को चूस रही थी।
साड़ी लपेटे मेरी माँ उनकी गांड़ दबा रही थी। मैने फोन में कैमरा चालू करा और वीडियो बनाने लगा।
मेरी माँ रोज़ी जी के टॉप को फाड़े दे रही थी। रोज़ी जी ने माँ के बूब्स को अपनी जकड़ में ले रखा था। मेरा दिल घबराने लगा लेकिन लन्ड में तनाव भी आने लगा।
रोज़ी जी ने माँ साड़ी निकाल फेंकी। माँ घुटनों पर बैठकर उनकी जींस खोलने लगी। कुछ पल गुज़रे और माँ अपना मुंह रोज़ी जी की चूत में दबा दिया।
रोज़ी जी की आंखे बंद हो गई उनकी सिसकारियां पूरे घर में थी।
सईसस अआह!सईसस! जान तेरे बिना मन ही नहीं लगता ।
कहते कहते उनकी कामुक आवाज़ मेरे कानो में गई, मेरा लन्ड पेंट फाड़ने को तैयार था। रोज़ी की नज़र मुझे देखने लगी।
मैं वहीं जम गया वो मुझे देखती रही। देखते देखते अपने कपड़े उतारते लगी जैसे ही उनका टॉप उतरा तो चिकनी गुलाबी रंग की ब्रा दिख रही थी।
उन्होंने अपनी एक टांग मेरी माँ के कंधे पर रखी और उनको चूत में दबा के मुझे आंख मारने लगी।
आआह! ओह! बाबू मेरी , मैने तुझे बहुत याद किया।
मैं समझ रहा था कि ये इशारा किस की तरफ था। उन्होंने मेरी माँ को उठाया फिर अपने साथ कमरे में ले गई। में भी जल्दी से उतरा फोन बंद कर के रख लिया मेरी उत्तेजना वीडियो से ज़्यादा अब लाइव देखने में थी।
जब तक मैं कमरे तक पहुंचा तो ब्रा और पेंटी कमरे बाहर फिकते हुए मुझे दिखे। जब मैने अंदर देखा तो मेरा सर घूम गया।
दो चूंचे मोटे मोटे उछाल रहे थे, एक मादक जिस्म अपनी चूत को मेरी माँ के मुंह में दबाए उनके ऊपर बैठा रगड़ रहा था। रोज़ी जी माँ चूत में ज़ुबान घुसाए चाट रही थी उनकी नज़रे मुझ पर थी।
मैं दरवाज़े पर खड़ा था, वो मुझे देखकर मेरी माँ की चूत मेरे सामने चाट रही थी उसमें उंगली डाल रही थी। रुक रुक कर वो चूत के छेद को खोलकर मुझे दिखाती, मेरा लन्ड पेंट में साफ दिख रहा था।
उन्होंने मेरी माँ की चूत पर थूका , मुझे सुनाने के लिए आह! ऊंह! उफ्फ! अआह! की तेज़ सिसकारियां ले रही थी।
मुझे अंदर आने का उन्होंने उंगली से इशारा किया। मेरे दिमाग के फ्यूज़ अब उड़ चुका था। मैं अंदर चला गया था माँ अपने में मस्त थी रोज़ी जी ने मेरी पेंट को खींचकर अपने करीब किया।
मेरी आंखों में अपनी आंखे डाली , धीरे धीरे करीब लाई थोड़ी सी अपनी ज़ुबान निकाली और मेरे मुंह में डालकर मुझे चूमने लगी।
मेरे होठ छोड़ कर उन्होंने एक कातिल मुस्कान मुझे दी ओर मेरा एक एक कपड़ा उतारकर मुझे नंगा कर दिया।
उन्होंने अपनी दो उंगली मेरे मुंह में डालकर मुझे चुसाई, फिर मेरी ही माँ की चूत में मेरे थूक से गीली हुई उंगली डालकर चोदने लगी।
मेरी माँ ने उनकी चूत छोड़ी और आह! आह! की आवाज़ करने लगी। रोज़ी जी ने मेरे लन्ड को कुछ मिनिट चूस कर गिला किया फिर पकड़ कर खींचा और मेरी माँ की चूत पर लगाया।
माँ ने हांफते हुए कहा “रोज़ी बेबी क्या कर रही है, किसका लौड़ा ले आई आज”।
माँ ने उठना चाहा मगर रोज़ी जी ने रोक दिया उन्होंने एक कपड़ा लेकर माँ की आंखों को ढक दिया।
माँ समझाते हुए बोली - “बेबी विशाल घर में ही है, किसे बुलाकर ले आई तू। उसने देख लिया तो परेशानी हो जाएगी आज कल बहुत सवाल करता है वो मुझसे।”
लेकिन माँ को फितूर चढ़ चुका था मेरे आंखों के सामने भी बस दो नंगी औरते थी। मुझे नहीं पता थी किया करना है या ये सब किया हो रहा है।
रोज़ी जी माँ की आंखे ढक कर उठ गई और मेरे पीछे आई। मेरे लन्ड के टोपी को चूत में हाथ से रखा और झटका मेरे चूतड़ों पर मारा।
मेरा लन्ड मेरी ही माँ की चूत चीरता हुआ अंदर घुस गया। मुझे लन्ड पर जलन हुई एक आंसू भी निकल आया। लेकिन माँ एक सुकून भरी आआह! मुझे सुनाई दी।
“रोज़ी तो मेरी सच्ची मोहब्बत है सिर्फ तू ही है जो मेरी हर ज़रूरत को समझती है।”
ये कहते हुए माँ चूदाई के लिए टांगे खोलने लगी।
रोज़ी जी ने मुझे डरावनी आंखे बनाते हुए घूरा और चुप रहने का इशारा दिया।
मेरे होठों चूसते हुए वो पीछे से धक्के देने लगी। रोज़ी जी मुझसे मेरी ही माँ की चुदाई करवा रही थी।
मेरी माँ “आह! अआह! मज़ा आ गया! तुम जो भी हो मुझे अपने से लग रहे हो। आह! और चोदो! बहुत समय से प्यासी हूं मैं, मैं ऐसी वैसी नहीं पहली बार ये सब हो रहा है।”
आह! आआह! रोज़ी मेरी जान! मेरे पास आह! आजा मेरे पास। तुझे चूमलु।
रोज़ी जी मुझे देखकर मुस्कुराई और मुझे धक्के देते रहने को बोलकर माँ के ऊपर चढ़ गई।
वो लगातार माँ के होठों को चूस रही थी। करीब पंद्रह मिनट ये सब चला और मेरा पानी उनकी चूत में ही छूट गया।
हम सबकी आखिरी अआआह! साथ ही निकली। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
मैं और मेरी माँ साथ ही में झड़ गई जब हम दोनों रोज़ी जी मेरी माँ की मुंह में झड़ गई। हम तीनों शांत हुए तभी रोज़ी जी ने मेरी माँ की आंखों से कपड़ा हटा दिया।
उनका मुंह खुला का खुला रह गया मेरा लन्ड अभी भी उनकी चूत में था मैं उनके सामने नंगा खड़ा था। वो मेरे सामने टांगे फैलाए नंगी लेटी थी।
रोज़ी जी खिल खिलाकर हस रही थी। उन्होंने मुझे बिस्तर पर खींचा और माँ के नंगे बदन पर गिरा दिया। खुद भी चिपट कर लेट गई वो लगातार हस रही थी।
मैं और माँ नज़रे नहीं मिला पा रहे थे तभी रोज़ी जी बोली
“देख मेरी जान बात को समझ घर की बात घर में ही रहने दें। तू कही बाहर जाती तो सबकी ज़िंदगी बर्बाद हो जाती।”
उन्होंने मेरे होठों को चूमकर अपनी कामुक आवाज़ में कहा
“विशाल तुम्हारी माँ और मैं कॉलेज से ही एक दूसरे से प्यार करते है लेकिन ये समाज हमारे जज़्बात नहीं समझता, इसलिए तुम्हारी माँ ने तुम्हारे पापा से शादी की!”
“लेकिन जब हम एक दूसरे को नहीं भूल पाए तो इन्होंने मेरी शादी इसी मोहल्ले में कराने का प्लान बना लिया।”
वो मुस्कुराई रोज़ी जी ने मेरे और माँ के चेहरे को पकड़ा और क़रीब करती चली गई उन्होंने हमारे चेहरे इतने करीब करे की दोनों के हाथ मिल गई।
करीब दस मिनट मैं और माँ एक दूसरे के होठ चूसते रहे फिर तीनों आपस में गले लगे और यूंही नंगे सो गए।
मुझे तब उनकी मोहब्बत वाली बाते समझ नहीं आई लेकिन आज समझता हूं!
तो दोस्तो कैसी लगी मेरे दोस्त विशाल की कहानी जब से उसने मुझे ये बताया है तब से मेरी नज़रे रोज़ी के लिए बदल गई।
शायद सबके मोहल्ले में ऐसी एक सेक्स कहानी होती है जो तब तक सच नहीं लगती जब तक सामने खुलकर नहीं आती।
यह माँ बेटे की Free Sex Kahani कैसी लगी? मुझे कॉमेंट करके और मेल करके ज़रूर बताए!
