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माँ को गर्म करके पेला

Kamvasna

नमस्ते दोस्तो, मैं सजन लाल, मेरी उम्र 22 साल है और रंग समान्य है. मेरी हाईट 5 फीट 10 इंच है.

आज मैं आपका दोस्त, आपके लिए एक नयी मॅाम सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.

अपनी सौतेली मम्मी के बारे में मैं क्या बताऊं, मेरी मम्मी का नाम गुड़िया देवी है.उनकी उम्र अभी सिर्फ 35 साल है. उनकी हाईट 5 फीट 6 इंच है.मेरी सौतेली मम्मी बहुत ही ज्यादा गोरी व गुलाबी हैं. उनका फिगर 36-30-38 का है.

मैं लखनऊ जिले के एक छोटे से गांव दरियापुर में रहता हूँ.हमारे घर में पुराने जमाने वाला लकड़ी का गेट लगा है.

घर में अन्दर बहुत बड़ा आंगन है जिसमें दाईं तरफ से सीढ़ियां है.सीढ़ियों के नीचे लेट्रिन बनी है. बाईं तरफ किचन है और किचन के सामने हैंडपम्प लगा हुआ है.वहीं पर सब लोग नहाते हैं.

आंगन के बीचों बीच में तुलसी का पौधा लगा हुआ है.आगे की तरफ एक बहुत बड़ा 20×20 का हॉल बना हुआ है जिसमें मैं और मम्मी रहते हैं.

उसी के ऊपर एक और कमरा बना हुआ है, जिसमें चाचा चाची और उनके दो लड़के रहते हैं.जो बाहर गेट है, उसके ऊपर एक कमरा बना हुआ है.उसमें मेरे दादा दादी रहते हैं.

कोरोना काल में हमारे चाचा को इन्फेक्शन हो गया था जिसके चलते उनकी मौत हो गयी.उनके परिवार का सारा भार पापा के ऊपर ही आ गया था.अब पापा ही हम सब लोगों का खर्चा चलाते हैं.

इसी वजह से पापा और दादाजी लखनऊ के बड़े मंदिर में पूजा पाठ करते हैं और वे दोनों वहीं रहते है.हमारी कमाई भी अच्छी खासी है.

बड़े मंदिर की जिम्मेदारी होने की वजह से घर में कभी दादाजी, कभी पापा आते हैं … वह भी महीने में एक बार आ पाते हैं.

चाची के दोनों लड़के दून इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ते हैं, इसलिए वे दोनों वहीं हॉस्टल में रहते हैं.मैं लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीबीए कर रहा हूँ और गांव वाले घर से रोज आता जाता रहता हूँ.

एक दिन सुबह के 4 बजे कॉल आया कि दादी के भाई नहीं रहे.दादी का मायका यहीं पास में लगभग 60 किलोमीटर दूर के एक गांव में है.

मैं मम्मी और दादी को लेकर घर का ताला लगा कर तुरंत दादी के मायके के लिए बाइक से निकल पड़ा.घर का ताला इसलिए लगाना पड़ा क्योंकि उस वक्त मेरी चाची अपने मायके गयी हुई थीं.उधर उनके भाई के बेटे की शादी थी.

हम तीनों दादी के मायके पहुंचे और कुछ देर बाद दादी के भाई का अंतिम संस्कार की विधि हुई.वह सब होने के बाद हम तीनों घर की ओर निकलने लगे.

उस वक्त दादी ने मेरी मम्मी से कहा- तुम दोनों घर चले जाओ, मैं अब तेरहवीं के बाद आऊंगी.उनका रुकना जायज भी था तो मैं और मम्मी घर के लिए बाइक से वापस निकल पड़े.

अभी हम दोनों लोग अपने घर से करीब बीस किलोमीटर दूर थे कि तभी बारिश होने लगी और हम दोनों घर आते आते पूरी तरह से भीग चुके थे.

जब मम्मी बाइक से उतर कर घर के अन्दर जा रही थीं.तब मैंने पहली बार मम्मी को इतनी गौर से देखा.

मम्मी की बड़ी सी गांड से पेटीकोट और साड़ी दोनों एकदम चिपके हुए थे.उस वक्त मेरी सौतेली मम्मी बहुत ही मस्त माल लग रही थीं.

जब मम्मी अपने बड़े बड़े कूल्हे मटकाती हुई जा रही थीं, तब वे एकदम चोदने लायक माल लग रही थीं.मेरा मन कर रहा था कि इनको अभी पकड़ लूँ और इनकी चुम्मी ले लूँ.

यह सोच बनते ही मेरा लंड उफान मारने लगा था.

फिर मैंने बाइक को आंगन में खड़ी कर दी और बाहर के गेट की कुंडी लगा कर कमरे के अन्दर जाने लगा.

तभी मम्मी ने कहा- मोहित तू थोड़ी देर बाहर रह, मैं कपड़े बदल रही हूँ.मैंने सोचा कि यही सही मौका है मम्मी की गांड देखने का.

मैं कुछ छेद वगैरह ढूंढने लगा ताकि मैं कमरे के अन्दर का नजारा देख सकूं.

जैसा कि मैंने शुरुआत में आपको बताया था कि हमारे घर के दरवाजे पुराने जमाने की लकड़ी से बने हुए हैं. उस दरवाजे में दो खड़ी झिरी हैं, जिनमें से बड़ी आसानी से अन्दर का नजारा देखा जा सकता था.बस अब मैं कमरे के अन्दर झांकने लगा.

कमरे में अंधेरा होने के कारण मुझे कुछ नहीं दिखाई दिया.मैं मन मसोस कर रह गया.

कुछ देर बाद मम्मी दरवाजा खोलकर निकलीं तो वे मैक्सी पहनी हुई थीं.

फिर मम्मी ने मेरी तरफ अजीब सी नजरों से देखते हुए कहा- जाओ तुम भी अपने कपड़े बदल लो, नहीं तो दाद खुजली हो जाएगी.मैंने कपड़े उतार कर चड्डी बनियान पहन ली.

अब मैं बिल्कुल समान्य हो चुका था.मतलब अब मेरे मन में मम्मी के प्रति कोई गलत विचार नहीं था.

कुछ ही देर में शाम गहरा चुकी थी.

मम्मी ने खाना बनाया और फिर हम दोनों ने खाना खाया.मैं और मम्मी रोज एक ही बिस्तर पर सोते हैं.

रोज की तरह आज भी हम दोनों एक साथ लेट गए.

पूरे घर में कोई नहीं था, सिर्फ मैं और मम्मी थे.घर का कोई भी सदस्य लगभग दो हफ्तों तक नहीं आने वाला था.

रात के करीब 11 बजे चुके थे और पानी अभी तक गिर रहा था.उससे सर्दी भी बढ़ गयी थी.

मैं चड्डी बनियान में था उसके कारण मुझे ज्यादा सर्दी लग रही थी.मैं ठंड से कांपने लगा तो मम्मी ने उठ कर एक रज़ाई मुझे दे दी और खुद भी ओढ़ ली. मैं मम्मी से चिपक कर सो गया.

करीब 2 बजे मेरी आंख खुली तो मेरा एक हाथ मम्मी के पेट पर था और एक टांग मम्मी के कूल्हों पर थी, जिससे मेरा लंड उफान मारने लगा.मैंने अपनी आंखें बंद करके सोने का नाटक करते हुए मम्मी के बूब्स पर हाथ रख दिया और मैक्सी के ऊपर से धीरे-धीरे उनके दूध दबाने लगा.

जब मम्मी ने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दिखाई तो मैं मम्मी के चूचे जोर जोर से दबाने लगा.कुछ देर बाद मम्मी की आंखें खुल गईं.

उन्होंने मेरी तरफ देखा और मेरे हाथ व पैर अपने ऊपर से हटा दिए.कुछ देर बाद मैं फिर से अपने हाथ से मम्मी के कूल्हों को सहलाने लगा.

मम्मी ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर अलग कर दिया.अब मैंने अपने लंड को हिलाया और पूरा पानी निकाल कर मम्मी के चूतड़ों के ऊपर डाल कर सो गया.

मैं सुबह उठा तो बहुत डर रहा था कि रात की बात के कारण मम्मी मुझ पर गुस्सा होकर पापा को न बता दें.लेकिन मम्मी ने ऐसा कुछ नहीं किया.

फिर मैं नहा कर नाश्ता करके यूनिवर्सिटी के लिए निकल गया.अब मैं मम्मी को चोदना चाहता था और सारे दिन उसी के बारे में सोचता रहा.

दोपहर तक मैं यूनिवर्सिटी से पापा के पास मंदिर पर पहुंच गया.वहीं पर मैंने खाना खाया और आराम किया.

पापा ने मुझे कुछ पैसे दिए और कुछ मिठाईयां घर ले जाने के लिए दीं.

उन्हें लेकर करीब 4 बजे निकल पड़ा.घर जाते हुए मैंने अपनी गाड़ी एक मेडिकल शॉप पर रोकी, वहीं से मैंने स्ट्रॉबेरी फ्लेवर का कंडोम का पैकेट, जापानी तेल और कामोत्तेजक दवाईयां व गर्भ निरोधक दवाएं ले लीं, जिन्हें खाने से मम्मी प्रेगनेंट न हों.

इन सब चीजों को लेकर मैं घर आ गया.मैंने पैसे और मिठाइयाँ मम्मी को देकर, कंडोम बगैरह सब छुपा कर रख दिए.फिर मैं अपने दोस्तों के साथ कबड्डी खेलने चला गया.

हम लोग गाँव में रहते हैं, तो हम लोग खेतों में खेलते हैं.हम लोग सर्दियों में क्रिकेट, गर्मियों में गुल्ली डण्डा और वर्षा के मौसम में कबड्डी खेलते हैं.

वर्षा के मौसम में खेतों में पानी भर जाता है, तब कबड्डी खेलने में बहुत मजा आता है.

गोमती नदी से एक नहर फूटी हुई है, जो हमारे गांव से निकलती है.जब हम लोग कबड्डी खेल कर गंदे हो जाते हैं, तो हम लोग नहर में जाकर नहाते और स्विमिंग करते हैं.

कभी कभी हम लोग लंबे घूमने भी निकल जाते हैं.

उस समय बरसात का मौसम था तो हम लोगों ने कबड्डी खेली और फिर हम लोग नहर में तैरने चले गए.

हम लोग शाम को करीब 7 बजे अपने अपने घर चले गए.मैंने घर पहुंच कर कपड़े उतार कर चड्डी बनियान पहन ली.

मम्मी ने खाना बनाया फिर मैं खाना खाकर पढ़ने बैठ गया.मम्मी अपने काम करने के बाद मैक्सी पहन कर लेट गईं.

रात के करीब 12 बजे मैंने अपनी किताबों को बंद कर दिया और मैं चुपके से उठ कर मम्मी को देखने लगा कि मम्मी सोयी या नहीं.

मम्मी सो चुकी थीं.

फिर मैंने दबे पांव जाकर कंडोम वगैरह सब चीजों को उठाकर अपने तकिया के नीचे रख लिया.उसके बाद मैंने कमरे की लाइट बंद कर दी और रज़ाई में घुस कर मम्मी से चिपक गया.

जैसे ही मैं मम्मी से चिपका, तो मम्मी की गांड मेरे लंड से टच हो गई. इस कारण से मेरा लंड खड़ा होने लगा.आधा घंटा बाद मैंने अपनी चड्डी बनियान उतार दी.फिर मैंने एक कंडोम निकाल कर अपने लंड पर चढ़ा लिया.

मम्मी सीधी लेटी हुई थीं, तो मैंने आहिस्ते आहिस्ते मम्मी की मैक्सी ऊपर खिसका दी.मुझे मम्मी की चूत दिखाई दी, मम्मी की चूत पर इतने बड़े बड़े बाल थे कि मुझे चूत का छेद दिखा ही नहीं.

फिर मैंने अपने लंड को हिलाकर शांत कर लिया.आज वीर्य कंडोम में ही था इसलिए कंडोम हटा कर एक तरफ रख दिया.

फिर मैंने मम्मी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखवा दिया और सो गया.

मैं सुबह जल्दी उठ गया तो मैंने देखा कि मम्मी मेरी तरफ पीठ करके लेटी हुई थीं.मम्मी की मैक्सी उनके पेट तक उठीं हुई थी, जिससे उनकी गोरी गुलाबी गांड मुझे साफ दिख रही थी.

मम्मी की चूत जितनी झांटों के जंगल में खोई हुई थी.उनकी गांड उतनी ही गुलाबी और मस्त दिख रही थी.

मम्मी के बड़े बड़े चूतड़ देखकर मेरा लंड फिर से उफान मारने लगा.मैं फिर से लंड हिलाने लगा और अबकी बार पानी मैंने मम्मी की गांड पर डाल दिया और मैं सोने का नाटक करने लगा.

कुछ देर बाद मम्मी उठीं और उन्होंने ये सब देखा तो वे चकित रह गईं.मम्मी ने सोचा कि मैंने उनकी गांड मार ली.

तब मम्मी ने तुरंत अपनी गांड साफ की और वे मेरी तरफ आने लगीं.

मैं डरने लगा.मुझे लगा अब तो मैं गया, पर मैं शांत लेटा रहा और बीच बीच में थोड़ी सी आंखें खोल कर देखता रहा.

फिर मम्मी मेरे पास आईं. उन्होंने मेरे लंड पर नजर डाली और मुझे रज़ाई से ढक दिया.मुझे मन में बहुत डर लग रहा था कि मम्मी मुझसे गुस्सा होकर पापा को इस सबके बारे में बता न दें.

कुछ देर बाद मैं चुपचाप उठकर नहाने चला गया.

जब मैं नहा कर नाश्ता वगैरह करके निपटा तो मम्मी ने मुझे एक झापड़ मार दिया.मम्मी ने कहा- तुमने कल मेरे साथ ये क्या किया, अगली बार ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए!मैंने कहा- सॉरी मम्मी, आज के बाद ऐसा कुछ नहीं करूंगा.

फिर मैं यूनिवर्सिटी चला गया और लौट कर आया तो खेलने चला गया.

खेल कर लौट कर आने के बाद मैंने खाना खाया और पढ़ने बैठ गया; पढ़ने के बाद मैं शांति से सो गया.

आधी रात को मुझे लगा कि कोई मेरे कपड़े उतार रहा है.मैंने हाफ कच्छा और बनियान पहन रखी थी.

जैसे ही मैंने आंखें खोल कर देखा तो कोई नहीं दिखा और मेरा कच्छा उतरा हुआ था.फिर मैंने सोचा कि हो ना हो ये मम्मी ने किया है, पर जो सुबह हुआ … उससे डर भी लग रहा था.लेकिन फिर मैंने सोचा जो होगा, देखा जाएगा.

मैंने अपने चड्डी बनियान उतार दिए और एक चादर ओढ़कर सो गया.कुछ देर बाद मम्मी ने मेरे ऊपर से चादर को हटा दिया और वे मेरे लंड को सहलाने लगीं.लेकिन मैं बिल्कुल शांत लेटा रहा.

फिर मम्मी ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे लंड को हिलाने लगीं.मम्मी की इस हरकत से मैं चकित रह गया.मैं उनका इशारा और इरादा दोनों ही समझ गया था.

उनको अपने पास खींच कर मैं भी किस करने लगा.मम्मी ने भी मेरी जीभ को अपने मुँह में ले लिया.

अब कभी मैं उनकी जीभ कोअपने मुँह में लेकर चूस रहा था, कभी वह मेरी जीभ को चूस रही थीं.

करीब 15 मिनट तक हम दोनों ऐसा करते रहे.अब हम दोनों ही गर्म हो चुके थे.

मैंने उठकर सबसे पहले मम्मी के पैर पर चूमा.धीरे-धीरे मैं ऊपर की तरफ आता गया और मम्मी के पूरे जिस्म को चूमता रहा.

मैं धीरे-धीरे उनकी मैक्सी ऊपर करते हुए आगे बढ़ता जा रहा था.

मम्मी को बहुत मजा आ रहा था और वे मादक आवाजें निकाल रही थीं ‘आ … ऊ … आं … इस्स.’

आज मैंने उनकी चूत को देखा, तो उनकी चूत एकदम साफ थी.मतलब आज मम्मी चूदने के पूरे मूड में थीं.

मम्मी की चूत रस से पूरी भीग चुकी थी, जिससे बहुत अच्छी महक आ रही थी.

मैंने उनकी मैक्सी उतार दी, वे पूरी नंगी हो गईं.फिर मैं मम्मी के ऊपर होकर उनके निप्पलों को बारी बारी से चाटने लगा और उनके मम्मों को आम की तरह चूस रहा था.

फिर उन्होंने मुझसे मेरे कान में कहा- मुझे चोद दो बेटा!यह कह कर वे मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरे होंठों पर किस करते हुए, मेरी छाती को चाटने लगीं.

मैं अपनी उंगलियों को मम्मी की फूली हुई चूत में डाल कर मजा लेता और देता रहा.

कुछ देर बाद मैं उनकी चूत को चाटने लगा.इससे उन्हें मजा आने लगे.

कुछ ही देर में मम्मी चिल्लाने लगीं ‘आह … आह … आह.’

फिर मम्मी बैठ गईं और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.कुछ मिनट बाद मैंने अपने लंड का पानी मम्मी के मुँह में छोड़ दिया और उन्होंने मेरे लंड का पूरा पानी गटक लिया.

अब हम दोनों कुछ देर के लिए रुक गए. मम्मी सीधी लेट गईं.मैंने उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया.

तभी मम्मी बोल पड़ीं- बेटा, अब बर्दाश्त नहीं होता, जल्दी से लंड डाल दो.

यह सुनकर मैंने अपना लंड उनकी चूत के छेद पर रखा और जोर का झटका मार कर पूरा लंड चूत में डाल दिया.

मम्मी की चीख निकल गयी- हाय … रे मर गयी … मेरी फट गई.

मैं मम्मी की आह को अनसुना करके उनको चोदने लगा तो वे जोर जोर से चीखने लगीं ‘उम्म … आह … बड़ा अच्छा लग रहा है … ओह’X मॅाम सेक्स करते हुए उनके साथ मैं भी आवाजें निकाल रहा था- आह … ले … मम्मी पूरा … ले लो … अन्दर तक आह … लो मेरा लंड ले लो!

करीब 20- 25 मिनट तक हमारा ये खेल चलता रहा.कभी डॉगी स्टाईल, कभी मैंने लेट कर मम्मी को लंड पर कुदाया.

ऐसे ही बहुत सारी पोजीशनों में हमने चुदाई का आनन्द लिया और हम दोनों नंगे ही सो गए.

सुबह मम्मी करवट लिए सो रही थीं तो मैंने मम्मी को धक्का दे दिया.वे उल्टी हो गईं.

मैंने एक और कंडोम अपने लंड पर चढ़ाया और मम्मी के चूतड़ों को पसार कर उनके बीच में उनकी गांड को देखा और उसमें जापानी तेल डालकर मैंने अपना लंड मम्मी की गांड में डाल दिया.

मम्मी की बहुत तेज चीख निकल गयी.वे कहने लगीं- हरामी … मादरचोद … तूने पूरी रात मेरी चूत में ये मूसल डाला है … देख साले चुत कैसी सूज गयी है. अब क्या साले मेरी गांड भी फाड़ना चाहता है?

मैंने कहा- साली, तेरे गोरे गोरे चूतड़ मेरा लंड खड़ा कर रहे थे. मैंने सोचा इनकी भी रेल बना दूँ.

बस यह कह कर मैं अपनी पूरी ताकत से झटके मारने लगा और उनके चूतड़ों पर बहुत तेज तेज थप्पड़ मारने लगा.पूरे कमरे में ‘फ़ट … फ़ट … ठप … ठप…’ की आवाजें गूंजने लगीं.

करीब 10 मिनट बाद मैं झड़ गया.मैंने कंडोम अपने लंड पर से निकाल कर पूरा पानी मम्मी के चूतड़ों पर डाल दिया.

मम्मी ने मेरा लंड और कंडोम को जीभ से चाट कर साफ कर दिया.

चुदाई के बाद हम दोनों लोग उठकर अपना अपना काम करने लगे.

मेरी इतनी धमाकेदार चुदाई करने से मम्मी की गांड और चूत दो दिन तक सूजी रही.अब हम दोनों कभी भी चुदाई कर लेते हैं.

X मॅाम सेक्स कहानी पर आप अपने विचार मुझे बताएं. Sajanlal122233@gmail.com

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