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मामी ने मुझे पहली चूत चुदाई का मजा दिया - Best Sex Stories

मेरा नाम राहुल देव सिन्हा है, मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ और पेशे से इंजीनियर हूँ. दोस्तो मैं कामवासना का नियमित पाठक हूँ. अनुभव तो बहुत हैं जो आप लोगों से शेयर करना चाहता था


दोस्तो, आप जितने भी पाठक हैं सभी अच्छे से जानते हैं कि शायद आज की दुनिया में जो चीज़ सबसे सुलभ है, वो है सेक्स. तो शायद ही किसी को कोई मनगढ़त कहानी लिखने की जरूरत होती होगी. क्योंकि सबके जीवन में कभी न कभी ऐसे अनुभव हुए ही होते हैं.


यह बात 2006 की है, जब मैं 19 साल का था और मेरी बड़ी बहन की शादी का वक़्त था. मैं उन दिनों अपने इंजीनियरिंग के तीसरे साल में था. दिखने मैं अच्छा खासा में आज भी हूँ और तब तो मुझ पर नई नई जवानी का सरूर चढ़ा हुआ था. शादी बहुत ही शानदार रही और दो रात जागने के बाद आख़िर कार मेरी आँखों ने मेरा साथ छोड़ना शुरू कर दिया था. परन्तु शादी का आखिरी दिन था तो जाहिर सी बात है कि घर में मेहमानों की भरमार थी.


जनवरी का महीना था तो सर्दी भी जम कर थी. गर्मी होती तो कहीं भी सो जाता लेकिन सर्दी में तो ओढ़ने के लिए कुछ चाहिए ही था.


अब चूँकि मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ तो दोस्तों बता दूँ हमारे यहाँ आज भी बिजली की किल्लत होती हैं और उन दिनों सुबह 4 बजे से 10 बजे तक बिजली गायब रहती थी.


जब मुझे कहीं सोने की जगह नहीं मिली तो मैं अपने रूम की तरफ ही गया इस उम्मीद में कि मेरा रूम है तो मेरे लिए तो जगह होगी ही. कमरे में अँधेरा था तो मैंने मोबाइल की लाइट को जला कर देखा तो वहां सभी मेरे ननिहाल से आये लोग सोये हुए थे.

मैं जगह ढूँढ ही रहा था कि एक आवाज सुनाई दी- राहुल क्या हुआ, जगह नहीं मिली?


आवाज पहचानने में कौन सी दिक्कत होती क्योंकि वो मेरी मंझली मामी की आवाज थी. वो आवाज है ही इतनी मीठी कि पूछो मत. मैंने देखा कि मेरे बेड और दीवार के बीच जो जगह खाली है, वहां पर मेरी मामी एक गद्दा बिछाकर ऑलमोस्ट आधी लेटी हुई थीं, साथ में मेरी मम्मी का कजिन भाई यानि कि मेरा कजिन मामा भी उन्हीं की ही तरह लेटा हुआ था.

वो हंस कर बोलीं- तू भी आजा यहीं पे.. थोड़ी देर में तो सुबह हो ही जाएगी.


मामी मुझसे उम्र में 10 या 12 साल तो बड़ी होंगी ही, लेकिन दोस्तो, वो आज भी इतनी जवान लगती हैं.. तो सोचो 9 साल पहले तो बला की खूबसूरत रही होंगी.


मैं उन्हीं के बगल में जाकर बैठ गया. मामी मेरे और मामा के बीच में बैठी थीं. हमारी कमर बेड से लगी हुई थी और पैर दीवार से. हम लोग शादी के बारे में बातें करने लगे. मैंने अपनी मामी के बारे में सुना हुआ था कि उन्होंने शादी से पहले बहुत मजे लिए हैं और शायद अभी भी उसी राह पर हैं. लेकिन मैं सुनी सुनाई बातों पर यकीन नहीं करता.


थोड़ी देर इधर उधर की बात करने के बाद मामी बोलीं- हमें भी तो उसकी फोटो दिखा दे.

मैंने पूछा- किसकी मामी?

तो वो हँसते हुए बोलीं- अपनी गर्ल फ्रेंड की.

मैं जोर से हँसा और बोला- कोई है ही नहीं मामी, तो कहाँ से दिखा दूँ.

मामी ने आश्चर्य चकित होते हुए पूछा- ऐसे कैसे? तूने क्या अभी तक किसी से मजे भी नहीं लिए क्या?

मैं शुभ काम में देर नहीं करता दोस्तो, इसलिए उनकी बात को पकड़ कर सीधा बोला- कहाँ मामी, साली कोई भाव ही नहीं देती.


मुझ पर नींद हावी हो रही थी लेकिन मामी से बात करने में बड़ा मजा आ रहा था. मैं शायद आधा सोया हुआ ही था कि तभी मुझे लगा कि किसी ने मेरा हाथ उठा कर मामी के पेट पर रख दिया.

मुझे समझते देर नहीं लगी कि ये कोई और नहीं मेरा मामा है, जो मामी के बगल में लेटा हुआ सोने का दिखावा कर रहा था. वो मेरे हाथों को मामी के पेट पर दबाने लगा.


मामी की तरफ से कोई विरोध न पाकर मेरी खुद की हिम्मत बढ़ गई और वैसे भी मामी की बातें सुन कर लंड पहले से ही ये सब करने को मजबूर कर रहा था. मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने खुद से अपना हाथ उठा कर अपना हाथ उनकी चुचियों पे रख दिया.


मामी ने मेरे कान में बोला- इनका मजा लेना है तो अपनी बड़ी मामी के पास जा.

मैं बता देना चाहता हूँ कि मेरी दोनों मामियां आपस में सगी बहनें हैं.


मैं नींद में था तो उस वक़्त उस बात का मतलब नहीं समझा और मैंने अपने हाथों को मामी के शर्ट में डालने की कोशिश शुरू कर दी. मैंने सूट के गले से अपने हाथों को अन्दर डालने की कोशिश की तो मामी ने मेरा हाथ जोर से दबा लिया. मैं नींद में था तो इतनी भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था कि एक महिला के हाथों को भी झटक सकूँ.

मुझे ठंडा पड़ता देख मेरे मामा के हाथ ने फिर से मेरे हाथों को पकड़ा और वापस लाकर मामी के पेट पर रख दिया. लेकिन इस बार शर्ट ऊपर हो चुका था और मेरा हाथ मेरी मामी के चिकने पेट पर था. जैसे एक बिजली दौड़ी हो मेरे अन्दर… और एक झटके में मेरी सारी नींद फुर्र हो गई


अब मेरे हाथ मेरे काबू में थे और मुझे पता था कि अब आगे क्या होने वाला है. इसलिए अब कोई शर्म लिहाज न करते हुए मेरे हाथ मामी के शर्ट में ऊपर की तरफ बढ़ने लगे.


दोस्तो, मेरी मामी को 6 महीने की बेटी थी तो उनकी चूचियां इस वक़्त अपने चरम पे थीं. पहली बार पूर्णतया: विकसित चुचियों का आभास पाकर मेरा लंड तो अपना होश खो चुका था.

मुझे ये मानने में भी कोई संकोच नहीं होगा कि चूँकि ये मेरा पहला अनुभव था तो मुझे चुदाई का ‘चु’ भी नहीं पता था. क्योंकि ब्लू फिल्म जितनी आसानी से आज के वक़्त में उपलब्ध हैं, तब नहीं हुआ करती थीं क्योंकि तब न तो स्मार्ट फ़ोन थे और ना ही हाई स्पीड इन्टरनेट.


तो दोस्तो, बिना अनुभव के मैं मामी के ऊपर एक हड़काए कुत्ते की तरह अपने लंड को रगड़ने लगा. मामी समझ गईं कि मैं सच में नौसिखिया हूँ.

उन्होंने मुझे रोका और कहा- तू कुछ मत कर… मैं करती हूँ.

मामी मेरा लंड अपने हाथों में ले चुकी थीं और उसे बड़े प्यार से सहला रही थीं.


हाँ, ये अनुभव जाना पहचाना था क्योंकि मुठ मारने का तो मैं शायद रोगी ही था. लेकिन उनके मुलायम हाथों से पकड़े जाने पर लंड कुछ अलग ही व्यव्हार करने लगा था. ऐसा लग रहा था मेरा लंड मेरा नहीं हैं उनका हो, क्योंकि वो मेरे काबू में तो नहीं था.


मेरे हाथ मामी की चुचियों पर जमे थे, लेकिन एक मिनट अगर मेरे हाथ मामी की चुचियों पर हैं.. और उनके मेरे लंड पर तो उनका शर्ट अपने आप कैसे ऊपर हो रहा था. तो इसका श्रेय फिर से उस इंसान को जाएगा जो शायद स्वर्ग में अपनी जगह पक्की कर रहा था. एक नए लंड को जवान बनाने में यानि कि मेरा मामा ये सब कर रहा था.


मैं समझ चुका था कि मामी और मामा का मस्त वाला चक्कर चलता है. लेकिन दोस्तो, मुझे इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन किससे चुद रहा है. ये तो प्यार है, जहाँ से मिले… ले लो.

मुझे पता था कि बिजली आने की कोई गुंजाईश नहीं है… तो मैंने मामी को यही बोला कि लाइट नहीं आने वाली, आप अपना शर्ट उतार दो.

अब इस वक्त कोई भी फॉर्मेलिटी नहीं बची थी तो एक ही बार कहने पर उनका शर्ट उतर चुका था. अँधेरे में मैं देख तो नहीं पाया लेकिन इतना पता था कि अगर उनकी नंगी चुचियां किसी अप्सरा की चूची से कम नहीं रही होंगी.. क्योंकि वो हैं ही इतनी खूबसूरत.


मेरे हाथों ने अब अपना निशाना बदला और पहुँच गए सलवार के नाड़े तक.. और बिना किसी विलम्ब के उसकी गाँठ को खोल दिया. मामी ने न तो ब्रा पहनी थी और न ही पेंटी.. तो सलवार उतारते ही मामी पूरी नंगी हो चुकी थीं.


अब बारी थी मेरे नंगे होने की और मुझे ये भी पता था कि मेरे साथ साथ कोई और भी नंगा होने लगा है क्योंकि अब तक आँखें अँधेरे में थोड़ा थोड़ा देख पा रही थीं. अब शायद मुझमें और मामा में एक जंग छिड़ी हुई थी कि कौन मामी को अच्छे से निचोड़ेगा. लेकिन मामा ने हर बार बड़प्पन दिखाते हुए मुझे आगे आने का मौका दिया.


आख़िरकार वो हुआ जो मैं बहुत देर से करने की सोच रहा था यानि कि मामी की चुचियों को चूसने का मौका.


मैं उन्हें पागलों की तरह चूसने लगा और थोड़ी ही देर में दूध मेरे मुँह में आने लगा. पहली बार के दूध का स्वाद बड़ा अजीब लगा लेकिन इस वक़्त हवस हम सभी पर हावी थी, तो मैं जोश जोश में उनकी चुचियों को निचोड़ने लगा. मामी को भी मजा आ ही रहा होगा क्योंकि उनकी साँसें पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं.


उनका हाथ मेरे लंड को तेज़ी से रगड़ रहा था. मुझे एक डर ये भी था कि कहीं मैं झड़ न जाऊं लेकिन मेरे लंड ने मेरी और अपनी दोनों की ही लाज रख ली थी.


कुछ हलचल हुई और मैंने महसूस किया कि मेरा लंड अब मामी के मुँह में जा चुका था. वो मेरा लंड मजे से चूसने लगीं और मेरे हाथ उनकी चूचियां दबाने लगी. कुछ मिनट तक लंड चूसने के बाद मामी अब पागल हो चुकी थीं. उन्होंने बोला ‘चूत चाट मेरी..’

उनकी आवाज बहुत तेज़ थी, मुझे लगा शायद किसी ने सुन ना लिया हो.


तभी मामा की आवाज आई कि इसकी चूत चाट जल्दी से.. वरना ये चिल्लाने लगेगी.

मेरी गांड फटने लगी क्योंकि अगर कोई जग जाता तो मेरी तो बैंड बज जाती. मैंने बिना किसी देरी के उनकी चूत पर अपने होंठ रख दिए. लेकिन मामी जोर से सिसकारी भरने लगीं. मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं कोई जाग न जाए परन्तु उसका भी इलाज मामा को आता था.


मैं समझ गया कि मामा अपना लंड मामी के मुँह में दे चुके हैं क्योंकि उनकी आवाजें थोड़ी कम हो गई थीं. मामी की चूत का स्वाद मुझे पसंद नहीं आ रहा था क्योंकि वो बहुत तेज़ गंध छोड़ रही थी. असल में चूत चुसाई का वो मेरा पहला अनुभव था इसीलिए अजीब लग रहा था. अब तो वो महक मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं.


अब मामी ने मुझे सीधा बैठाया और आकर मेरे लंड पे अपनी चूत को सैट करने लगीं. एक हल्का सा धक्का और मेरा लंड सीधा अन्दर. वैसे तो मेरा लंड अच्छा ख़ासा लम्बा मोटा है लेकिन इतनी आसानी से अन्दर चले जाने का कारण मुझे समझ आने लगा कि किस्से कहानियां सच होती हैं. उनकी चूत ऊपर से ही छोटी है, अन्दर से भोसड़ा बन चुकी है.


दोस्तो, पहली बार चूत का साथ पाकर मेरा लंड और फनफना चुका था, अचानक से मुझमें कहाँ से इतना जोश आ गया कि मैंने मामी को कमर से पकड़ कर तेजी से अपने लंड पर सवारी कराना शुरू कर दिया.

कुछ पल बाद मैं झड़ने वाला था और मामा को पता था कि जितना जोश में मैं हूँ उस हिसाब से मैं जल्द झड़ जाऊँगा. उन्होंने मेरे हाथों को जोर से दबाया और धीरे से बोला कि बेटा बड़ी जल्दी है तुझे, अभी तो बहुत कुछ बाकी है.


मामी अपने चरम पर थीं और शायद वो भी झड़ने वाली थीं लेकिन मामा ने दोनों को रोक दिया.

मामा ने बोला- अब बेटा, तू थोड़ा आराम कर.

मामा ने मामी को अपनी ओर खींचते हुए अपना लंड सीधा कहीं डाल दिया. मामी की चीख़ सी निकल गई. मैं सोचने लगा कि मामा का लंड क्या इतना बड़ा है जो मामी की चीख़ निकल आई.. चूत में जाते ही.


मुझे कुछ शक हुआ तो मैंने नीचे हाथ लगा देखा कि चूत तो खाली पड़ी थी यानि की लंड मामी की गांड में था. मैंने बस सुना था कि कुछ लोग गांड भी मरवाते हैं, लेकिन ख्याल आते ही कि मामी गांड भी मरवाती हैं.. मैं और पागल होने लगा.

मेरा मन अब मामी का सैंडविच बनाने का करने लगा और मैं आगे से लंड डालने की कोशिश करने लगा.

मामी बोलीं- यहाँ जगह कम है.. नहीं हो पाएगा.. तू हमारे घर आना फिर सब कुछ कर लेना.. जो भी मन में हो.


बात में दम था क्योंकि मैं नानी के घर काफी दिनों से नहीं गया था और अगर मैं कुछ दिनों बाद जाने का प्लान बनाता भी तो किसी को कोई आपत्ति भी नहीं होती.


जब तक मामा मामी की गांड मार रहे थे मैं उनकी चुचियों के मजे ले रहा था. मैंने मामी को बोला- मामी, अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा मुझसे.. अब और देर तक नहीं रुका जाएगा.

मामी जानती थीं कि पहली बार में ये होता ही है इसलिए उन्होंने मामा को कुछ कहा, तो मामा ने अपनी स्पीड दोगुनी कर दी.


मैं लंड के अन्दर बाहर होने की आवाज सुन पा रहा था. फिर दो मिनट में सब शांत हुआ और मामा रुक गए. मामा अपना लंड रस मामी की गांड में निकाल चुके थे. साथ ही वो अपना काम कर चुके थे. अब मामी इतनी गर्म हो रही थीं कि उन्होंने मेरे लंड को तुरंत अपने मुँह में ले लिया.


मैं समझ नहीं पा रहा था कि हर बार जब भी वो मेरे लंड के साथ खेलतीं तो वो साला लंड और बड़ा हो जा रहा था. मुठ मारते हुए तो कभी इतना बड़ा नहीं हुआ था. दो मिनट तक लंड की चुसाई करने के बाद मामी अब मेरे लंड पर फिर से बैठ गईं. लेकिन इस बार मैं कुछ करने की हालत में नहीं था क्योंकि मामी में मेरे कन्धे अपने हाथों से दबाए हुए थे और पूरा शरीर हिलाने की जगह वो अपनी गांड को तेज़ी से उचका रही थीं.


मैं पागल हुआ जा रहा था, मैं मामी को बोला- मामी, मेरा निकलने वाला है.

मामी ने मुझे गाली देते हुए बोला- मादरचोद, अगर मेरे झड़ने से पहले तेरा निकला.. तो भूल जाना कि आगे कभी मुझे चोद पाएगा.

मैंने कहीं सुना था कि दिमाग को इधर उधर लगा लेने से टाइम थोड़ा बढ़ जाता है. मैं बचपन से ही योग करता आ रहा हूँ तो ध्यान लगाना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी. उस दिन मुझे समझ आया कि आखिर योग के फायदे क्या होते हैं.


मामी ने अपनी स्पीड को दोगुना कर दिया. अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो पाया और मेरे लंड से रस की धार फूट पड़ी.

लेकिन किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान, उसी वक़्त मामी का भी काम तमाम हो गया. वो अपने दोनों छेदों को अलग अलग रस से भरवाकर शायद कुछ ज्यादा ही खुश हो रही थीं.

मैंने उम्मीद नहीं की थी कि मेरी जिंदगी का पहला सेक्स अनुभव इतना शानदार होगा.


अब झड़ते ही वापस नींद हावी होने लगी. मैंने अपने कपड़े पहने और दो मिनट में ही नींद के आगोश में चला गया.


अगली सुबह मुझे अपने गालों पर एक मीठी सी किस का एहसास हुआ, मैं मुस्कुराया और फिर सो गया.


जब आँख खुली तो तूफ़ान जा चुका था मामी और बाकी सभी रिश्तेदार विदा हो चुके थे. लेकिन एक दूसरा तूफ़ान मेरे दिमाग में चलने लगा कि अब मामी के घर कैसे जाना है.


शादी संपन्न होने के बाद जब मैं अगली सुबह सो कर उठा तो देखा कि तूफान जा चुका था, यानि मेरी मामी जा चुकी थी।


सब लोग विदा हो चुके थे.


मैं उठना चाहता था, देखना चाहता था कि कहीं वह बाहर मेरा इंतजार तो नहीं कर रही.

लेकिन थकान मुझ पर इस कदर हावी थी कि मैंने नींद को चुनना ज्यादा अच्छा विकल्प समझा।


लेकिन मेरी मामी मेरे दिलो दिमाग दोनों में बस चुकी थी, सारा दिन मेरे दिमाग़ में उन्हीं के ख्याल रहते थे।


शादी के बाद मैं वापस कॉलेज चला गया.


धीरे-धीरे दिन बीतते चले गए लेकिन वे यादें मेरे दिमाग से हट ही नहीं पा रही थी।


उन दिनों मोबाइल वगैरह इतने आम बात नहीं हुआ करते थे कि सभी के पास हो.

तो जाहिर है कि मेरी मामी के पास भी उस अपना मोबाइल नहीं था जिस पर मैं उनसे बात कर सकूं।


लेकिन अब मैं भूखा शेर हो चुका था और मुझे अब किसी भी प्रकार अपनी मामी को दोबारा चोदना था, उसके लिए फिर चाहे कुछ करना पड़े।


किस्मत ने भी मेरा पूरा साथ दिया और इसके लिए मुझे ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ी क्योंकि मुझे एक कंपनी में नौकरी के एग्जाम के बारे का पता चला और सारा का सारा प्लान मैंने उसी समय अपने दिमाग में बना लिया कि मुझे क्या करना है.


मैंने तुरंत उस नौकरी के लिए आवेदन कर दिया और एग्जाम सेंटर में दिल्ली को ही विकल्प में रखा क्योंकि इससे बेहतर मामी के घर जाने का तरीका क्या हो सकता था कि मेरा एग्जाम दिल्ली में है और मुझे लखनऊ से दिल्ली एग्जाम देने आना है तो मुझे एक दिन पहले तो आना ही होगा।


आखिर वह घड़ी आ ही गई, मैं दिल्ली पहुंच गया और सीधा पहुँचा अपनी नानी के घर।


दोस्तो, मैं बताना चाहूंगा कि मेरे तीन मामा हैं, बड़े मामा घर से दूर अलग रहते हैं, सबसे छोटे मामा नानी के साथ पुराने घर में रहते हैं और उसी घर के सामने एक नया घर है जिसमें मेरी बीच वाले मामा मेरी मनचाही, मनपसंद मामी के साथ रहते हैं.


इस दौरान मेरे छोटे मामा की भी शादी हो चुकी थी और अब मेरे मेरे पास तीन मामियां हैं, दो सगी बहनें हैं और यह तीसरी एक अलग परिवार से आती है.

तो उनके बारे में आगे बात करूंगा.


अभी असल मुद्दे पर आकर बात करते हैं।


मैंने मामी को देखा, मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.

मैं उन्हें दौड़कर बस गले लगा लेना चाहता था लेकिन मैंने मामी की चेहरे पर देखा उनके चेहरे पर मुस्कान तो थी लेकिन वह मुझे देख कर खुश हुई या नहीं हुई इस बारे में मैं अनजान था।

उनको देखकर लग रहा था जैसे उन्हें मेरे आने की कोई खुशी ही नहीं हुई है.


लेकिन मेरी खुशी तो सातवें आसमान पर थी. मेरे दिमाग में बस वही सब चीज दोबारा चल रही थी और मैं जल्दी से जल्दी बस मौका तलाश लेना चाहता था कि कब मैं और मामी एक साथ अकेले में समय पायें।


लेकिन यह थोड़ा मुश्किल था क्योंकि मेरे मामा हमेशा घर पर ही रहते थे और मामी के एक बेटा भी था, वह घर पर ही होता था.

तो उस समय अकेले समय निकालना मुश्किल हो रहा था।


लेकिन किस्मत मुझ पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी, रात को खाने के बाद जब हम सब सोने के लिए लेटे तो मैं मामा के साथ अंदर रूम में था और मामी बाहर चारपाई पर अकेली लेटी हुई थी, उनका बेटा दूसरे कमरे में सोया हुआ था।


रात को मामा बोले कि उन्हें गर्मी लग रही है, वे छत पर सोने जा रहे हैं.

और वे एक बिछौना लेकर छत पर सोने चले गए।


मेरी तो जैसे लॉटरी ही लगने वाली थी.

लेकिन मुझे अभी भी इस बात को लेकर संशय था कि क्या मामी को वह सब बातें याद हैं क्योंकि सुबह जो उनके चेहरे पर भाव थे, उन्हें देखकर मुझे नहीं लगा था कि आज रात मेरे साथ वह सब फिर से होने वाला है।


लेकिन मैंने अपनी किस्मत पर भरोसा करना ज्यादा अच्छा समझा.


अब काफी रात हो चुकी थी लेकिन मेरी आंखों में बिल्कुल भी नींद नहीं थी क्योंकि पिछली बार मैं नींद के चलते ही बहुत कुछ होते होते बचा था।


मुझे लगा जैसे मामी सो गई हैं क्योंकि उनकी तरफ से कोई आवाज नहीं आ रही थी.


अचानक से सन्नाटे में उनकी मीठी मधुर आवाज गूंजी और उन्होंने मुझसे बोला- अंदर ज्यादा अच्छा लग रहा है? बाहर आ जा मेरे साथ चारपाई पर, बातें करेंगे।


मेरी तो जैसे मन की मांगी बात पूरी हो गई, मैं बिना एक पल की देर से उठा तो सीधा चारपाई पर उनके साथ जाकर लेट गया।


हम दोनों के बीच बहुत सामान्य बातें हो रही थी.

ऐसा लग नहीं रहा था कि हम दोनों के बीच कभी शारीरिक संबंध भी बने थे.

हम लोग बिल्कुल इसी तरीके से बातें कर रहे थे जैसे कि हम दोनों बस रिश्तेदार हैं.


और लाजमी भी था … इस घटना को बीते 6 महीने से ऊपर हो गए थे और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वापस से वे सब चीजें आखिर शुरू कहां से की जायें।


लेकिन बातें तो शुरू करनी थी और वे शुरू हुई जब मैंने मामी के बारे में बोलना शुरू किया- आप बहुत कमजोर लग रही हैं. आपका कोई ख्याल नहीं रखता क्या?

तब मामी बोली- तू आया तो है मेरा ख्याल रखने … लेकिन बहुत दिनों बाद आया. मैं तो पता नहीं कब से तेरा इंतजार कर रही थी।


यह सुनते ही एक अलग ही उर्जा का संचार शरीर में होने लगा.

सुबह के जो संशय मेरे दिलो-दिमाग में थे, सब एक झटके में दूर हो गए और बस अब मेरे अंदर का जानवर जागने को बेताब था।


मैंने बिना किसी पल की देरी किये मामी के होठों पर एक चुंबन दे दिया.

मामी सिकुड़ने लगी, मैं उनसे बोला- अरे आप तो मेरी टीचर हैं, आपने तो मुझे यह सब करना सिखाया है तो आप क्यों शर्मा रही है?


तब मामी बोली- जब पिछली बार हमने किया था, तब सच में मैं तेरी टीचर थी. लेकिन आज तू मेरा स्टूडेंट बनकर नहीं आया है. मुझे पता है कि तूने इतने दिनों में ना जाने कितनी बार अपने ख्यालों में कितनी बार मुझे चोदा होगा. और मुझे तो यह भी लगता है कि तूने मेरी यादों में ना जाने कितनी लड़कियों को भी चोद डाला होगा।


“हा हा हा … आप भी मजाक करती हो मामी! भला मुझसे कोई लड़की चुदना चाहेगी? यह तो आप ही हो जिसने इस नाचीज पर इतना कर्म फरमाया है।”


रात के लिए इतनी बातें पर्याप्त थी, अब वक्त था सिर्फ कार्य करने का!

और हम दोनों ही यह अच्छे से जानते थे कि बातों से फायदा नहीं होने वाला!


अब मैंने मामी को तेजी से चुम्बन करना शुरू किया।


हमारे होंठ एक दूसरे के होठों में फंस चुके थे.

मेरे लिए तो यह केवल दूसरी बार था तो आप समझ सकते हो कि मैं उस समय किस तरह बर्ताव कर रहा होऊँगा.

मैं बस मामी के होठों को खा जाना चाहता था।


जितनी तेजी से मैं कर सकता था, मैं उतनी तेजी से मामी को किस किये जा रहा था।

उन्हें दर्द हो रहा था लेकिन उन्होंने बोला नहीं क्योंकि वे भी मेरे साथ पूरा मजे ले रही थी।


मैंने बीच में उनसे पूछा- मामी, मामा आपको अच्छे से नहीं चोदते क्या जो आप मेरे लिए इंतजार कर रही थी?

मामी ने एक जोरदार झापड़ मेरे गाल पर रसीद किया और बोला- बहनचोद, रात को औरत से किसी और की नामर्दी की बातें नहीं करते, अपनी मर्दानगी दिखाते हैं. तू ज्यादा राजकुमार मत बन … जिस काम के लिए आया है, वह काम कर!


एक बार को तो मैं डर गया लेकिन मुझे पता है और मैंने अन्तर्वासना कीकई कहानियों में भी पढ़ा हैं कि जब औरत के ऊपर सेक्स सवार होता है तो वह इसी तरह से बातें करती है।

लेकिन मामी के मुंह से गाली सुनकर मुझे मजा भी बहुत आया।


मेरे हाथ मामी के शरीर से खेलने लगे. मेरे दोनों हाथ मामी की गोल-गोल चूचियों को दबा रहे थे और मामी सिसकारियां ले रही थी।


मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं हर काम में बड़ी जल्दबाजी कर रहा था.

क्योंकि था तो मैं आखिर 19 साल का एक नवयुवक ही।


मामी ने नाइटी पहनी हुई थी जिसमें ऊपर तीन बटन थे, मैं उन बटन को खोलने की कोशिश कर रहा था पर मुझसे खुल नहीं पा रहे थे।


मामी को डर लगा कि मैं ये बटन तोड़ दूंगा इसलिए उन्होंने बोला- सब्र कर!

और एक झटके में वे उठ कर बैठ गयी।


मुझे लगा था कि अगर कुछ होगा भी तो बड़े शांति से होगा.

मामी को डर होगा कि मामा कहीं हमें देख ना लें!


लेकिन मामी शांति के मूड में बिल्कुल नहीं लग रही थी।

वे चारपाई से उठी और उन्होंने सबसे पहले जाकर लाइट जलाई और मुझसे बोली- बाहर नहीं अंदर चलते हैं।


हम लोग अंदर कमरे में आ गए, मामी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया।


मैं सोच सोच कर ही पागल हुए जा रहा था कि पिछली बार तो अंधेरे में सब कुछ हुआ था, आज तो रोशनी में मजा ही आ जाएगा। आज मामी के खूबसूरत जिस्म को देखने का मौका मिलेगा।


मामी कुछ ज्यादा ही उत्साहित थी, किसी भी प्रकार की देरी बर्दाश्त नहीं करना चाह रही थी.

इसलिए उन्होंने एक झटके में अपनी नाइटी उतार कर एक तरफ रख दी।


अब मामी सिर्फ ब्रा और पेंटी पहन कर मेरे सामने खड़ी हुई थी।

क्या फिगर था उनका … ऐसा लग रहा था कि भगवान ने बड़ी फुर्सत से उन्हें तराशा हो, कोई नहीं कह सकता था कि वह एक 8 साल के बच्चे की मां थी।

मैंने तो सुना था कि बच्चा हो जाने के बाद औरतों का शरीर बेडौल हो जाता है लेकिन काश कोई मेरी मामी को उस समय देख पाता, किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।


काले रंग की ब्रा और काले रंग की पेंटी के नीचे उनका दूध जैसा सफेद शरीर रात की रोशनी में और चमक रहा था।


मामी को इस तरह बस दो कपड़ों में देख कर मेरा लण्ड पूरा उत्साहित हो चुका था।


उन्होंने मेरी चड्डी पर नज़र डाली और हंसती हुई बोली- लगता है कई सारी हैं तेरे पास! अरे उतार दे इसे … नहीं तो तेरा हथियार इसे फाड़ कर बाहर आ जाएगा।


मैं अब मामी के आगे एक दम नंगा खड़ा था और मामी को देखे जा रहा था।


मामी बड़ी समझदार थी और वे समझ रही थी कि मैं थोड़ा झिझक रहा हूँ.


तब उन्होंने पूरा मामला अपने हाथ में लेने का मन बनाया।

उन्होंने खुद से अपनी ब्रा और पेंटी भी उतार कर रख दी।


क्या चूत थी यार … एक रोयां तक नहीं था चूत पर!

मामी बोली- तुझे सुबह देखकर आज अच्छे से शेव की है।


मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ कि जितना मैं तड़प रहा था, मेरी मामी तो मुझसे भी ज्यादा तड़प रही हैं।


मामी ने कहा- मुझे पता है कि तूने कभी किसी और को नहीं चोदा. इसलिए मैं तुझे सिखाऊंगी और जैसा मैं बोलूं … बस वैसे ही करते जाना।

उन्होंने मुझे बेड पर बैठने को बोला और अपनी एक चूची लाकर मेरे सामने कर दी और बोली- इसे जम के चूस!


क्या रसभरी चूचियां थी यार … मैं एक के बदले दोनों चूचियों पर एक साथ टूट पड़ा।

मैं उन्हें ऐसे खा रहा था जैसे कोई बहुत स्वादिष्ट फल हो।


मामी अब सिसकारियां लेने लगी और उनका बदन कसमसाने लगा।


जिस तरह से मामी मुझे अपनी बाहों में लपेट रही थी, मुझे उनकी कसमसाहट का पूरा पता चल रहा था।


फिर मैंने अचानक से अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया.

वे अचानक से जैसे कूद ही पड़ी।

उनकी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी.


और इधर मेरे लंड ही हालत भी पूरी टाईट थी।

मैं अब एक पल भी नहीं गवांना चाहता था और पता नहीं मुझे कहाँ से अचानक इतनी तेज़ी और ताक़त आ गयी कि मैंने मामी को उठा कर बेड पर पटक दिया और एक झटके में अपना लंड मामी की चूत के मुहाने पर रख दिया।

मामी मुझे मना कर रही थी- अभी नहीं, अभी रुक, जैसा मैं कहती हूँ वैसा कर!

लेकिन अब मैं कहाँ उन्हें सुनने वाला था, मैंने पूरे जोश मैं आकर एक ही झटके मैं अपना लंड मामी की चूत में पूरा पेल दिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा।


पर जल्द ही मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया क्यूंकि मामी की चूत अन्दर से किसी भट्टी की तरह तप रही थी।

मैं ज्यादा देर तक खुद को संभाल नहीं पाया और एक एक झटके के साथ अपना सारा माल मामी की चूत में गिरा दिया।


मामी ने मुझे एक ज़ोरदार झटका दिया और मैं बेड थे नीचे जा गिरा.

मैंने उनकी तरफ देखा तो उनका चेहरा गुस्से में लाल हो चुका था।

वे मुझे मार देने वाली नजरों से घूर रही थी।


मैंने उन्हें सॉरी बोला- मामी, मैं इतनी जल्दी नहीं करना चाहता था लेकिन मुझे संभला ही नहीं गया।

लेकिन मामी गुस्से में जैसे कुछ सुनना ही नहीं चाहती थी।


पर उस रात कुछ ऐसा हुआ जो मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था.

और इस बात पर मेरी और मामी दोनों की एक साथ नज़र गयी कि एक बार झड़ जाने के बाद भी मेरा लंड अभी भी एकदम सख्त होकर सलामी दे रहा है।


तब क्या था … मामी का गुस्सा जैसे कहीं उड़नछू हो गया और उन्होंने लंड से पकड़ कर ही मुझे अपनी ओर खींच लिया।

वे प्यार से बोली- देख तूने अपनी मनमानी कर ली, अब मेरी बारी है. और अगर तूने इस बार कोई चुतियापा किया तो भूल जाना कि तेरी कोई मामी भी है।

अब मैं और बेइज्जत होने के मूड में था भी नहीं … इसलिए इस बार मैं मामी के कहे अनुसार चलने लगा।


मामी ने मेरे लंड को अभी भी अपने हाथ में पकड़ा हुआ था और अब उन्होंने उसे चूमना शुरू कर दिया था.


और थोड़ी देर में वो हुआ जिसकी कल्पना मात्र से ही मेरा पानी छूट जाया करता था।

मेरा लंड अब मामी के मुख में था और वे उसे किसी अनुभवी औरत की तरह से हर एक कोण से चूसे जा रही थी।


इस बार मेरा लंड मेरी इज्ज़त बचाने में लगा हुआ था और 10 मिनट तक मामी के चूसने के बाद भी उसने अपना पानी नहीं गिराया।


मुझे अपने लंड और खुद पर दोनों पर फख्र हो रहा था.

उस समय और साथ ही मामी की आँखों में भी मुझे इस बार इज्ज़त बढ़ी हुई दिखाई दे रही थी।

वे बेहद खुश लग रही थी और मैं भी!


अब मैं और मामी अगल बगल लेट गए और मामी के होंठ इस बार मेरे होठों के साथ मग्न होने लगे।


मैं एक बार पहले ही झड़ चुका था इसलिए मेरी उत्तेजना मेरे वश में थी और मैं एक एक लम्हे को जी लेना चाहता था।


मेरे हाथ अपने आप से किसी प्रोफेशनल की तरह काम करने लगे, वो कभी मामी की चूचियों को दबाते तो कभी उनकी गांड को!


हम दोनों किस करते करते एकदम गुत्थम गुत्था हो रहे थे।

कभी मैं मामी के ऊपर होता तो कभी मामी मेरे ऊपर।


इस बार मामी ने अपने हथियार डाले- अब तूने मुझे गर्म किया हैं, अब निकाल अपना हथियार और पेल दे मेरी चूत में!


मामी के मुंह से चूत सुनकर मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैंने मामी के दोनों पैरों को हवा में उठाकर अपने लंड को बिना किसी देरी के मामी की चूत में पेल दिया।


तभी मामी मेरे कान में बोली- कोई जल्दबाजी मत मचाना, अपना पूरा वक़्त ले!


उनके ये शब्द मुझपर बड़ा असर कर रहे थे।


मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये.

मामी मेरी हालत समझ रही थी इसलिए वे मुझे उकसा नहीं रही थी बल्कि मेरा मनोबल बढ़ा रही थी- तू कर सकता है मेरे बेटे … इस लंड में बहुत दम है. तू कर सकता हैं अपनी मामी को शांत! आज बुझा दे अपनी मामी की चूत की प्यास! लेकिन कोई जल्दी नहीं हैं आराम आराम से बुझा।


मामी के ये शब्द किसी वियाग्रा से कम नहीं थे मेरे लिए!

मैं पूरी शिद्दत से मामी को चोदने में लगा हुआ था।


मामी को अब मेरी काबिलियत पर शक नहीं रहा था इसलिए उन्होंने पोजीशन बदलने की सोची।


उन्होंने मुझे बेड पर लेटने को बोला.

जैसे ही मैं लेटा, वे बिना एक पल की देरी किये मेरे ऊपर चढ़ बैठी।


मेरा लंड फच्च की आवाज के साथ उनकी चूत में अन्दर तक घुस गया.

मामी के चेहरे पर एक ख़ुशी की लहर तैरने लगी।


मैं महसूस कर पा रहा था कि यह मामी की मनपसंद पोजीशन है और जिस तरह से वे मुझसे चुदवा रही थी उस हिसाब से तो उन्हें बहुत पहले इस अवस्था में आ जाना चाहिए था.

क्यूंकि यहाँ से वे सबकुछ अपने कण्ट्रोल में ले सकती थी।


उसके बाद दोस्तो, मैं मामी का खिलौना बन चुका था.

क्यूंकि न तो वो मुझे अब देख रही थी और ना ही उन्हें मेरे झड़ जाने की कोई चिंता थी।


वे बस पागलों की तरह ऊपर नीचे हो रही थी.


कभी कभी थकान के कारण मेरे लंड पर बैठकर बस अपनी गांड को ऊपर नीचे किये जा रही थी।


अब मेरे बर्दाश्त से बाहर होने लगा, मेरा लंड अब और नहीं सह सकता था.

मैंने मामी को बोला- मेरा बस होने वाला है।


मामी भी शायद अपने अंतिम चरण पर थी और वे भी समझ रही थी कि मैं और नहीं रुक पाऊंगा.

तो उन्होंने अचानक से अपनी स्पीड को दोगुणा कर दिया।


मैं परमसुख के चरम पर था और मेरा लंड भी शायद इस परम सुख के पूरे मजे लेना चाहता था.


इसलिए उसने अभी तक हिम्मत बाँधी हुई थी।


फिर एक पॉवर ब्रेक की तरह मामी रुकी और अपने दोनों हाथों से मेरे कंधों को जोर से पकड़ लिया।


मुझे एहसास हो गया कि मामी झड़ चुकी हैं।

मैं ना जाने कैसे अभी तक टिका हुआ था.


मामी ने मेरी तरफ एक कातिल मुस्कान के साथ देखा और हंस कर बोली- तेरा अभी भी नहीं हुआ?


तभी मामी ने कहा- ला मैं दूसरे तरीके से कराती हूँ.

यह बोल कर मामी ने मेरा लंड अपने मुख में ले लिया।


मेरा लंड पहले ही चरम पर था और मामी की जीभ का गर्म अहसास सहन नहीं कर सका और कुछ ही सेकेंड में मामी का मुख मेरे वीर्य से लबालब था।


मेरे लिए ये सच में आश्चर्य ही था कि मामी ने एक एक बूँद तक निगल ली।

पूरा वीर्य पी लेने के बाद वे मुझे देखकर जोर से हँसी और बोली- मुझे तो लगा था कि तू आज झड़ने ही नहीं वाला … लेकिन क्या हुआ? जीभ लगते ही मामला शांत! चल कोई नहीं, लेकिन तूने आज तृप्त कर डाला मुझे!


मन तो मेरा बिल्कुल नहीं था … लेकिन मैं नहीं चाहता था कि मामा मुझे ऐसी हालत में देख लें!

इसलिए मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर जाकर चारपाई पर सो गया.


मुझे नहीं पता कि मामी ने रात भर कपड़े पहने या नहीं … लेकिन सुबह जब मेरी आँख खुली तो मामी नहा धोकर एकदम तैयार होकर बैठी थी और मुझे ऐसे अनदेखा कर रही थी जैसे कल रात कुछ हुआ ही नहीं।


तो दोस्तो, यह था मेरी ज़िन्दगी का दूसरा वाकया जिसने मेरी लाइफ को एकदम बदल कर रख दिया.

उस दिन के बाद मैंने एक बात मान ली कि सेक्स के सागे सारे रिश्ते फीके पड़ जाते हैं और कब आपकी किस्मत आपको क्या दिला दे, यह मेरी आगे की कहानियों में आपको पता चल जाएगा।


आपका दोस्त राहुल देव सिन्हा

मेरी Best Sex Stories पर अपने विचार आप मुझे मेल पर कमेंट्स में भेज सकते हैं.

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