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मेरी जुड़वा बहने की चुदाई लाइव देखी

Kamvasna

दोस्तो, मैं अपना नाम नहीं बता रहा.मैं 22 साल का हूँ और जॉब करता हूँ.

मेरी दो जुड़वा बहनें हैं.एक का नाम रज़िया, दूसरी का नाम मानिया है.

वे दोनों बहुत ही सुन्दर हैं और साढ़े अठारह साल की उम्र में उनके पूरे जिस्म गदरा गए थे.

दोनों के सुडौल चूतड़ एकदम मस्त हैं, दोनों की जांघें मोटी हैं.जैसे ही वे चलती हैं, उनके चूतड़ उनकी चाल के साथ गजब हिलते हैं.

मोहल्ले के सभी लड़कों से लेकर उम्रदराज आदमी तक उनकी मतवाली चाल देख कर उनके थिरकते हुए चूतड़ों का दीदार करते थे.

मेरी दोनों बहनों के चूचे भी एकदम मस्त गोल गोल और अपनी उम्र से अनुपात में काफी बड़े बड़े हो गए थे.

दोनों के पूरे जिस्म का एक एक अंग रस से भरा हुआ था.कोई भी उन्हें देखे तो बस उनकी छलकती जवानी का रस पीना चाहे.

वे दोनों जब मिनी स्कर्ट में घर से बाहर निकलती थीं तो समझो उन्हें देख कर ही लोग उन्हें अपनी कामवासना से भरी निगाहों से चोद देते थे.

यह स्टोरी मेरी इन्हीं दोनों बहनों की लाइव चुदाई की है.

एक दिन की बात है, मेरे पापा मम्मी को 4 दिन के लिए बाहर जाना पड़ा.

अब घर में मैं रज़िया और मानिया ही थे.मैं अपने काम पर निकल जाता था और शाम को 6 बजे तक घर वापस आता था.

मेरी दोनों बहनें सुबह सात बजे स्कूल निकल जाती थीं और स्कूल से एक बजे तक घर आ जाती थीं. वे दोनों 12वीं क्लास में पढ़ती थीं.शाम को जब मैं घर आता था तो हम तीनों बैठ कर बात करते थे और साथ में ही खाना खाते थे.

मम्मी पापा को बाहर गए दो दिन हो गए थे.

तीसरे दिन मुझे काम कुछ ज्यादा था तो मैंने उन दोनों से कहा- मैं आज देर से आऊंगा.मानिया ने पूछा- भईया, आप कब तक आओगे?

तो मैंने कहा कि मुझे आते आते रात के 11 बज सकते हैं.दोनों ‘ठीक है’ बोल कर स्कूल चली गईं.मैं भी 9 बजे ऑफिस के लिए निकल गया.

ऑफिस में मैं मेरा काम ग्यारह बजे की जगह 8 बजे खत्म हो गया.तो मैंने सोचा कि चलो दोनों बहनों को आज जल्दी पहुंच कर सरप्राइज़ देता हूँ.

जब मैं घर पहुंचा तो देखा कि आज टीवी बंद था जबकि उन दोनों को टीवी देखना बहुत पसंद था.

मैंने बाहर की खिड़की से झांक कर देखा तो कोई हलचल नहीं हो रही थी.

ध्यान से इधर उधर देख कर सुनने का प्रयास किया तो कुछ आवाज सी आ रही थी.यह आवाज मेरी बहनों के कमरे से आ रही थी.

मैंने धीरे से अन्दर का दरवाजा खोला और दबे पांव बहनों के कमरे की खिड़की के पास आ गया.अन्दर झांक कर देखा और अन्दर का नजारा देख कर तो मैं चौंक गया.

चार लड़के मेरी दोनों बहनों के साथ थे.मेरी बहनें सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं.

वे दोनों काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थीं और बड़ी गजब माल लग रही थीं.

उनके दूधिया गदराए जिस्म पर यह काला रंग बड़ा ही सेक्सी लग रहा था.

वे चार लड़के किसी कॉलेज के छात्र लग रहे थे.उनके शरीर हट्टे-कट्टे थे और वे सभी मेरी दोनों बहनों के शरीर के अलग अलग अंगों को किस कर रहे थे.

मैं सोच रहा कि मेरी दोनों बहनें तो रंडी बन गई हैं.दोनों बहनें रंडियों की तरह आहें भी भर रही थीं।

अभी कुछ ही देर हुई थी कि दोनों बहनों ने अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार फेंकी और अब वे दोनों बिल्कुल नंगी हो गई थीं.आह … क्या मस्त जिस्म था मेरी बहनों का … चूत एकदम गुलाबी, चूचे मस्त गोल गोल … साला कोई नामर्द भी देख ले, तो वह भी उन्हें चोदे बिना नहीं रुके.

अब सभी लड़कों ने भी अपने अपने कपड़े उतार दिए.उन सबके लंड कम से कम 7 इंच के रहे होंगे.

दोनों बहनें उन सभी लड़कों के लंड देख कर बहुत खुश हो गईं और दोनों बहनों ने उछल कर दो दो लंड हाथ में ले लिए.उन्होंने उन लड़कों के लंड की आगे वाली चमड़ी नीचे खींच करके टोपा बाहर निकाल लिया.

देखते ही देखते उन्होंने उन चारों लड़कों के लौड़े अपने मुँह में लेना शुरू कर दिए और वे मजे से लंड चूसने लगीं.दोनों लंड चूसने में मगन हो गईं.

करीब 15 मिनट तक लंड चूसने के बाद सभी ने एक एक करके रज़िया और मानिया के मुँह में अपने लौड़ों का सारा पानी फेंक दिया.वे दोनों बहनें उन चारों लड़कों के लंड के पानी को चाट गईं.

सभी लड़के ढेर हो गए और मेरी बहनें आपस में लिपकिस करने लगीं.वे अपने मुँह में भरे वीर्य को एक दूसरे से साझा करती हुई वीर्य के रस के स्वाद का मजा उठाने लगीं.

फिर रज़िया और मानिया एक दूसरे के दूध मसलने लगीं और खिलखिलाती हुई उन लड़कों को उनके ढेर हो जाने पर फब्तियां कसने लगीं- उठो मेरे मिट्टी के शेरों … अपनी मर्दानगी दिखाओ!

मेरी बहनें उनके नाम लेने लगीं, तो मुझे उनके नाम मालूम हो गए. उनके नाम गौरव, समीर, राज और धीरज थे.

फिर वे चारों उठ गए और रज़िया व मानिया के जिस्म के साथ खेलने लगे.करीब 30 मिनट के बाद वे चारों लड़कों के लंड फिर से हिचकोले खाने लगे.यह देख कर मेरी दोनों बहनें एकदम से खुश हो गईं.

इस बार सभी लड़के मेरी दोनों बहनों की बॉडी को चाटने लगे.कोई उनके चूचे चूसने में लगा था, तो कोई चूत चाट रहा था.दोनों बहन मादक आवाज में आहें भर रही थीं और उन दोनों से अब रहा नहीं जा रहा था. क्योंकि अब उन दोनों के चूत लंड लेने को पूरी तरह से गर्म हो गई थीं.

दोनों की चूत फड़फड़फड़ा रही थीं.तभी गौरव उठा और उसने रज़िया की चूत पर अपना लंड सैट कर दिया.

दूसरी तरफ राज ने मानिया की चूत पर लंड सैट कर दिया और वे दोनों लंड धीरे धीरे अन्दर पेलने लगे.जब दो दो इंच लंड अन्दर घुस गए तो मेरी दोनों बहनों की आहें निकलने लगीं.

तभी समीर और धीरज आगे आए और उन दोनों ने अपने अपने लंड रज़िया और मानिया के मुँह में दे दिए.मेरी दोनों बहनें लंड चूसने लगीं और नीचे उनकी चूत में गौरव व राज के पूरे लंड अन्दर घुस गए.

कुछ देर तक उनकी दर्द भरी आवाजें आईं उसके बाद यह दर्द भरी आवाज मादक ध्वनि में बदल गई.ऐसा लग रहा था जैसे मेरी बहनें चुदाई के खेल को काफी पहले से खेल रही थीं.

पूरे कमरे में फच फच की आवाजें आने लगीं.वे दोनों बहुत मस्ती से चुदवा रही थीं.

करीब 15 मिनट के बाद गौरव रज़िया की चूत में और राज मानिया की चूत में अपना पूरा पानी छोड़ कर अलग हो गए.

उन दोनों की चूत से रस टपकने लगा था.फिर समीर और धीरज ने मोर्चा संभाला. उन दोनों ने मानिया और रज़िया को 20 मिनट तक चोदा और उन्होंने भी अपने लंड का पूरा पानी मेरी दोनों बहनों की चूत में भर दिया.

अब मेरी बहनें चुदाई के बाद मस्ती से चित पड़ी हुई थीं और उन दोनों की चूत से लंड रस निकल रहा था.

फिर दोनों बहनें उठ कर 69 में आ गईं और लेस्बियन सेक्स करके एक दूसरी की चूत से टपकते हुए लंड रस को चाटने लगीं.वे चारों लड़के अपना अपना लंड पकड़े मेरी दोनों बहनों को देख रहे थे.

फिर मेरी दोनों बहनों ने चूत चूसना बंद किया और चारों लड़कों के बीच बैठ कर उनके लंड से खेलने लगीं.

इस समय तक 10 बज गए थे तो मानिया ने मुझे फोन किया.मेरे फोन की घंटी साइलेंट पर रहती है.

तो मैंने उनके कमरे से दूर होकर फोन उठाया.मैंने दबी आवाज में कहा- मैं 12 बजे तक आ पाऊंगा.

यह सुन कर उन दोनों की बांछें खिल गईं और वे दोनों खुश हो गईं.मैं जल्दी से वापस अपनी जगह पर आकर लाइव सेक्स देखने लगा.

उधर फोन कट जाने के बाद वे दोनों भी अपने चारों चोदुओं से बोलीं- चलो एक एक राउंड और करते हैं.वे चारों लड़के भी तैयार हो गए.

मेरी दोनों बहनें फिर से लंड चूसने लगीं.मानिया ने राज को और रज़िया ने गौरव को बेड पर लेटने के लिए कहा.

वे दोनों जैसे ही बेड पर चित लेटे, मेरी दोनों बहनें उन दोनों के लंड अपनी अपनी चूत में लेकर उनके ऊपर बैठ गईं.मानिया और रज़िया ने बाकी दोनों लड़कों से कहा कि तुम दोनों अपने अपने लंड हम दोनों बहनों की गांड में डाल देना.

वैसा ही हुआ.मेरी दोनों बहनें अपनी चूत गांड में एक साथ दो दो लंड ले रही थीं.

यह नजारा देख कर तो मैं चौंक गया.मेरी साढ़े अठारह साल की बहनें इतनी बड़ी रंडी बन चुकी हैं, यह मुझे मालूम ही नहीं था.अब दोनों बहनें मस्ती से चुदवा रही थीं और लंड का पूरा मजा ले रही थीं.

कमरे का पूरा माहौल मस्त हो गया था.उनकी मादक आवाजों से चारों लड़के और जोर जोर से उन्हें चोदने लगे थे.

बहनों की चूत गीली हो जाने के कारण फच फच की आवाज बड़ी मस्त लग रही थी.

करीब 30 मिनट के बाद चारों ने अपने अपने लंड का पानी चूत और गांड में छोड़ दिया.फिर सभी लड़कों ने अपने अपने लंड बाहर निकाल दिए और दोनों बहनों ने सभी के लंड को चूस कर साफ कर दिया.

अब गौरव और राज बोले कि उन्हें मूतना है और बाकी दोनों लड़के भी बोले कि हां उन्हें भी मुतास लगी है.तभी मानिया बोली- तुम चारों हमारे ऊपर ही मूत दो.

दोनों बहनें साथ में जमीन पर घुटनों पर बैठ गईं और सभी लड़कों ने मानिया और रज़िया पर पेशाब करना शुरू कर दिया. वे दोनों मजे से उनकी पेशाब पीने लगीं और उनके लंड से खेलने लगीं.फिर चारों लड़कों ने कपड़े पहने और अपने अपने घर चले गए.

अभी भी मेरी दोनों बहनें नंगी ही थीं और एक दूसरे की चूत और गांड से टपकता लंड रस चाट रही थीं.फिर दोनों नहाने चली गईं.

थोड़ी देर बाद मैंने दरवाजा खटखटाया और मानिया ने दरवाजा खोला.दोनों बिल्कुल ऐसी सामान्य दिख रही थीं, जैसे दोनों न जाने कितनी मासूम हैं.

उस दिन के बाद मेरा दोनों बहनों के प्रति देखने का नजरिया बदल गया था और अब मुझे उस दिन का इंतजार था जब वे दोनों मेरे लंड को सुकून देंगी.

कहानी पर अपने विचार जरूर बताएं. pve2345@gmail.com

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