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मेरी बीवी अपने भाई से चुदने लगी थी - Desi Kahani

मेरा नाम अजय है. मैं पुणे का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 48 साल है.


मेरी वाइफ का नाम ज्योति है. उसकी उम्र 36 साल है.

वह देखने में हॉट और सेक्सी है. उसकी गांड 34 साइज की है. बूब्स 32 इंच के हैं.


ज्योति दिखने में इतनी ज्यादा सुंदर है कि उसे कोई भी बस एक बार देख ले तो उसका लंड खड़ा हो जाए.


यह मेरी बेवफा बीवी की कहानी 14 साल पहले की है.

तब ज्योति की उम्र 22 साल थी और मैं 34 का था.

हमारा एक बेटा था, उसकी उम्र एक साल की थी.


मैं एक कंपनी में जॉब करता था.

मेरी ड्यूटी हर महीने 15 दिन रात की पाली में और 15 दिन दिन की पाली में होती थी.


रात की पाली 11 बजे रात से सुबह 7 बजे तक और दिन की पाली दोपहर को 3 बजे से रात 11 बजे तक रहती थी.


उन्हीं दिनों एक ऐसी घटना हुई कि हमारी जिन्दगी बदल गई.

उस दिन ज्योति का चचेरा बड़ा भाई विजय मेरे घर आया था.


विजय की उम्र 36 साल थी.

उसकी जॉब पूना में ट्रांसफर हुई थी.


वह 6 फिट का ऊंचे कद वाला बंदा था, दिखने में काला था, उसकी बॉडी किसी पहलवान के जैसी थी.


उस दिन वह अचानक ही मेरे घर आया था तो मैंने उससे पूछा- आज यहां कैसे?

उसने कहा- यहां मेरा ट्रांसफर हुआ है. अब यहीं कहीं किराए से एक घर देख रहा हूँ.

मैंने कहा- अरे यार यहीं रहो ना, बड़ा घर है, दो बेडरूम हैं. तुम्हारा पैसा भी बचेगा और ज्योति को कंपनी भी हो जाएगी.


वह तैयार हो गया और ‘कल मैं अपना सामान लेकर आता हूँ’ कहकर चला गया.


दूसरे दिन वह अपना सामान लेकर आ गया.

मेरी बीवी ज्योति उसे देख कर बहुत खुश हुई.


भईया भईया कहकर वह उसे सामान सहित दूसरे बेडरूम में ले गई.


ऐसे ही तीन महीने गुजर गए.

ज्योति अब ज्यादा खुश लगती थी.


एक दिन मैंने देखा उसने नई ब्रा और पैंटी खरीद ली थी जो एक जालीदार और वन पीस थी.

इस तरह की अंडरगारमेंट्स को मैंने पोर्न एक्ट्रेस को पहने देखा था.


मैंने उससे पूछा- ये कब लाई? मैंने तो लाकर नहीं दी!

तब उसने कहा- भैया की सैलरी की पेमेंट हुई, तो उन्होंने मुझे रूपए दिए थे. उन्हीं रुपयों से मैं यह लेकर आई.


मैं कुछ नहीं बोला.

मैंने सोचा कि चलो अच्छा हुआ, मेरे पैसे बच गए.


ऐसे ही चार महीने और गुजर गए.


मुझे उसके बूब्स और गांड बड़े दिखने लगे.

वह अब और ज्यादा हॉट लगने लगी थी.


एक दिन मेरी नाइट शिफ्ट थी.

ग्यारह बजे मैं काम पर चला गया.


सुबह सात बजे मुझे वापस आना था.

पर सुबह के तीन बजे मुझे अपनी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो छुट्टी लेकर घर आ गया.


मैंने बेल बजाई, कोई नहीं आया.


दो तीन बार बजाई तो ज्योति आई.

वह घबराई हुई थी.


मैंने पूछा- इतनी देर क्यों?

उसने कहा- मैं गहरी नींद में थी. तुम्हें क्या हुआ … इस वक्त कैसे?

मैंने कहा- कुछ तबियत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए आ गया.


मैं अन्दर आ गया और सोफे पर बैठ गया.

मैंने ज्योति से कहा- चाय बनाकर लाओ जान!


ज्योति किचन की तरफ जाने लगी, तो मेरा ध्यान उसकी गांड की तरफ गया.

उसने सिल्की गाउन पहना था. लेकिन मेरा ध्यान गया कि पीछे से उसका गाउन गांड के चीरे पर अटका था.


मैंने देखा कि उसके पैर के पीछे पांव के पास से कुछ बह रहा है. वह जमीन पर गिर रहा था.

ज्योति किचन में गई, तो मैंने उस जगह पर जाकर देखा. वह कुछ चिपचिपा पदार्थ था.


मैंने उंगली से टच करके देखा तो वह ज्योति की चूत का पानी था.

मैं स्तब्ध रह गया.


में जल्दी से अपने बेडरूम की तरफ गया.


उधर मुन्ना सो रहा था. बेड के ऊपर की बेडशीट ऐसी साफ सुथरी बिछी हुई थी मानो उस पर कोई सोया ही नहीं हो.

यदि ऐसा था तो फिर ज्योति कहां सोई थी.


अब मुझे शक हुआ.

मैं धीरे से ज्योति के विजय भैया के बेडरूम की तरफ गया.


उसके बेडरूम की लाईट चालू थी और विजय दूसरी तरफ मुँह करके सोया था या शायद सोने का बहाना कर रहा था.

लेकिन उसके बेड की हालत ऐसी थी, जैसे वहां कुश्ती हुई हो.


तभी मेरा ध्यान बेड के नीचे गया तो वहां ज्योति की रेड कलर की वन पीस ब्रा पैंटी पड़ी थी, साथ में विजय की अंडरवियर भी पड़ी थी.


यानि भाई बहन की चुदाई पार्टी हुई थी.


न जाने क्यों … गुस्सा होने की जगह मैं उत्तेजित हो रहा था. मेरा लंड खड़ा होकर फनफनाने लगा था.

मुझे खुशी हो रही थी.


मैं अब किचन की तरफ गया.

ज्योति चाय बना रही थी.


मैं पीछे से गया और पीछे से ही उसे अपनी बांहों में भर लिया. मैं उसके मम्मे दबाने लगा तो वह कसमसाने लगी.


ज्योति धीरे से बोली- भैया जाग जाएंगे. बेडरूम में चलिए, वहीं आकर मुझे चोद लेना … पर यहां नहीं.


मैंने ज्योति को अपनी बांहों में उठाया और बेडरूम की ओर ले गया.

उसे मैंने बेड पर लिटा दिया और उसके कपड़े उतारने लगा.


वह बोली- ऐसे नहीं पहले लाइट बंद करो.

मैंने कहा- तुझे तो उजाले में चुदना पसंद है ना!

वह बोली- हां लेकिन … अरे भैया घर पर हैं. वे जाग गए तो … एक काम करती हूँ कि तुम्हारी आंखों पर पट्टी बांध देती हूँ. फिर जितना चाहे चोद देना मुझे.


मुझे उसका यह बोलना आज कुछ अजीब सा लग रहा था कि साला आंख पर पट्टी बांध देने से इसका भैया कैसे नहीं जागेगा.

पर आज मुझे उसे चोदना ही था.

मैं ओके कह कर अलग हो गया.


वह अलमारी में से पट्टी लेकर आई और उसने वह पट्टी मेरी आंखों में बांध दी.


अब वह मेरे सामने आई और मुझे किस करने लगी.


उसे किस करते-करते मैंने अपनी आंखों की पट्टी ढीली कर दी.

मुझे पट्टी के नीचे से साफ दिखाई देने लगा.


मैंने उसका गाउन ऊपर करके निकाला.

सामने नजारा देख कर मैं देख कर चौंक गया.


उसके मम्मों पर दांतों के काटने के निशान थे जो ताजा-तरीन थे.


मैं अब पूरी तरह से समझ गया था कि ज्योति को विजय ने जमकर चोदा है.

लेकिन अब भी मुझे गुस्से की जगह यह सब मस्त लग रहा था.


मैं उसके बूब्स दबाकर चूस रहा था और ज्योति मचल रही थी.

वह मस्ती में कह रही थी- आहहह ओह मजा आ रहा है जानू … और जोर से दबा कर चूसो जानू … खा खाओ मेरे मम्मे को … आह काटो जोर जोर से.


मैं दूध को चूसने लगा और काटने लगा.

ज्योति सिसियाई जा रही थी- आह इस्स आहह … ऑऑ ओऊ ऊऊ ओह जान … मजा आ रहा है.


उसके मम्मों को दबाते और जीभ चाटते हुए मैं नीचे आ रहा था.


मैं उसकी नाभि के अन्दर जीभ डालने लगा.

मुझे उसकी नाभि भी आज बड़ी हुई नज़र आ रही थी.


नाभि के अन्दर जीभ डालते ही वह तड़पने लगी.

वह अपने हाथों से बेडशीट खींचने लगी और अपने सर को यहां वहां करने लगी.


उसके बाद मैं नीचे चूत तक आने लगा.

चूत साफ सुथरी की हुई थी. उस पर झांट का एक भी बाल नज़र नहीं आ रहा था.


फिर मैं चूत की पंखुड़ियों के पास गया.

उधर देखा तो चौंक गया.


ओह माई गॉड … मेरी बीवी की चूत की पंखुड़ियां फूली हुई थीं और उसके ऊपर भी दांतों के काटने के निशान थे.


न जाने क्यों … मुझे यह सब देखकर मजा आ रहा था.

मैं उसकी चूत की पंखुड़ियों को चाटने लगा.

मुझे मस्त लग रहा था.


दस मिनट तक चाटने के बाद ज्योति चिल्लाई- आह मेरी चूत को काटो भैया!

मैं स्तब्ध रह गया … लेकिन वह चुदाई के नशे में थी.


मैं और जोर जोर से काटने लगा.

ज्योति गांड उठा उठा कर अपनी चूत मेरे मुँह पर दबाने लगी.


फिर मैंने उसके दोनों पैर फैला दिए.

ओह माई गॉड … उसकी चूत पूरी तरह से फैल गई थी.

ऐसा लग रहा था, जैसे वह घोड़े के लंड से चुदी हुई हो.

उसकी चूत में से पानी बह रहा था.


ज्योति फिर से चिल्लाई- चूत को चाटो भैया, खा जाओ मेरी चूत को … चाटो चाटो.

मैं फिर से चुत चाटने लगा.


वह गांड उठा उठा कर चूत चटवाने लगी थी.

लेकिन मुझे चूत में से आने वाला पानी मिक्स लगने लगा था, जैसे ज्योति का और विजय का वीर्य मिक्स हुआ हो.


तभी ज्योति बोली- भईया चूत का पानी मेरे मुँह में डालो.

मैंने चूत में का पानी अपने मुँह में भर लिया, जिसमें विजय का वीर्य भी मिक्स था.


मैं उस पानी को अपने मुँह में लेकर ज्योति के पास गया.

उसने मुँह खोलने के लिए आंखें खोलीं और मुझे देखकर सकपका गई.


मैंने जानबूझकर उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया.

ताकि उसे ऐसा लगे कि मैंने जैसे भैया का जिक्र सुना ही ना हो.

उसने मुँह खोला, तो मैंने सब पानी उसके मुँह में डाल दिया और उसके मुँह को चूसने लगा.


ज्योति की चूत का पानी और विजय का वीर्य हम दोनों के मुँह में घुलने लगा.


अब ज्योति जैसे पागल हो गई, वह जोर जोर से उस पानी को पीने लगी.

उसने इस बार विजय नाम तो नहीं लिया लेकिन शायद वह भी मेरे जैसे ही विजय के नाम को याद करके गर्मा गई थी.


कुछ देर बाद मैंने उसकी जीभ को अपने मुँह में भर लिया और जीभ को चूसने लगा.

वह भी कामातुर हो गई थी और उसकी चुदास लगातार बढ़ती ही जा रही थी.


कुछ देर बाद वह मेरे लंड को पकड़ने लगी और उसे मुठियाने लगी.

मैंने अब उसे चित लिटाया और उसकी चुत में लंड पेल दिया.


उसने बड़े आराम से लंड लील लिया और गांड ऊपर करके मेरे लंड को अपनी चुत की जड़ तक लेने की कोशिश करने लगी.


उसकी हरकत देख कर मुझे समझ आ गया कि विजय का लंड मुझसे काफी बड़ा होगा और शायद मोटा भी ज्यादा होगा, जिस वजह से ज्योति को मोटा लंड लेने की आदत हो गई है.


आज तो उसकी चुत अभी कुछ समय पहले ही अपने भाई के मोटे लंबे लंड से चुद कर आई थी, तो उसकी चुत ढीली थी.


मेरा लंड उसकी चुत को शायद मजा नहीं दे रहा था.

तो मैंने आसन बदला और उसे अपने ऊपर आने का कहा.

वह लपक कर मेरे लौड़े पर बैठ गई और पूरा लंड चुत में खाकर गांड उछाल उछाल कर लंड लेने लगी.


उसकी चूचियां गजब हिल रही थीं.

मैं उसकी आंखों में वासना से देखे जा रहा था और वह भी मेरी आंखों में किसी भूखी रांड सी देखे जा रही थी.


मैंने एक हाथ से उसके एक दूध को पकड़ा तो वह मेरे ऊपर झुक गई और अपने एक दूध को मेरे मुँह में देने की कोशिश करने लगी.


मैंने भी उसके दूध के निप्पल को अपने होंठों में दबाया और खींचते हुए गांड उठाने लगा.

वह तुरंत स्थिर हो गई और उसने अब मेरे लौड़े पर अपनी गांड को घिसना शुरू कर दिया था.


कुछ देर बाद मैंने उसके दूध को छोड़ दिया और दूसरे दूध की तरफ होंठ बढ़ाने लगा.

वह भी मेरे मुँह में अपना दूसरा निप्पल देकर आह आह करने लगी.


मैंने दूध खींच कर एक बार छोड़ा और कहा- साली … तुझे तो आगे पीछे एक साथ चोदने की इच्छा हो रही है.

वह तुरंत बोली- दोनों छेद में डालने के लिए दो लौड़े चाहिए होंगे.


मैंने कहा- हां, मेरे पास इंतजाम है दूसरे लंड का … वह तेरी गांड को फाड़ कर रख देगा!

वह हंसी और बोली- ठीक है राजा … तेरी खातिर फड़वा भी लूँगी.


इस तरह की बातों से हम दोनों की उत्तेजना बढ़ गई और वह झड़ने लगी.

वह झड़ कर मेरे सीने पर ढुलक गई.


अब मैंने सही मौका समझा और उसके कान में कह दिया कि यदि तुम चाहो तो एक छेद में विजय भाई का लंड भी ले सकती हो. मुझे कोई ऐतराज नहीं है.


मेरी बेवफा बीवी एकदम से मेरी तरफ देखने लगी और मैं उसे मजे से चोदता गया.


मेरा लंड भी उसकी चुत में झड़ गया और वह चुपचाप मेरे लौड़े पर चुत फँसाए पड़ी रही.


आगे की सेक्स कहानी को मैं आप सभी के कमेंट्स मिलने के बाद बताऊंगा.

आप मेरी ईमेल आईडी पर लिख कर मुझे बताएं कि आपको मेरी बेवफा बीवी की Desi Kahani कैसी लगी.

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