मेरी बेवफाई की कहानियाँ - Desi Sex Stories
- Kamvasna
- Apr 18
- 19 min read
मेरा नाम करुणा है, अपने पति को मैं प्यार से गुड्डू कहती हूँ।
यूँ तो हमारी शादी को 4 साल हो गए हैं और मेरी एक साल की बेटी भी है। वैसे तो मैं सुखी हूँ पर लगता था कि कुछ कमी सी है, मेरे वो बहुत सीधे हैं और मैं भी उनको बहुत प्यार करती हूँ.
मैं भी अपनी कॉलेज लाइफ में बहुत सीधी रही हूँ, न मैंने किसी लड़के को घास डाली और न डालने दी पर जब वो कभी-2 कामवासना की कहानी मुझे पढ़ कर सुनाते तो मुझे लगने लगता कि मुझे भी कोई दूसरा प्यार करने वाला चाहिए जो एक बार मुझे कस कर अपनी बांहों में लेकर ज़ोरदार तरीके से कुछ नया तरीका अपना कर मुझे चोद सके।
पर क्या करूँ, मेरी हिम्मत ही नहीं होती थी, जब वो मुझे कभी ब्ल्यू फ़िल्म दिखाते और कोई लड़की दो मर्दों से चुदती दिखती तो मेरे अंदर की प्यास और जग जाती, उस रात मैं गुड्डू से दो बार तो चुदवाती ही थी पर शायद अभी मेरी किस्मत में दूसरा लन्ड नहीं लिखा था तो मैंने यह विचार मन से निकालना ही बेहतर समझा।
पर क्या करती जब भी इनसे कोई कहानी सुनती या बीएफ़ देखती तो ये उमंगें ज़ोर पकड़ लेती। वैसे मैं ज्यादा सुंदर तो नहीं हूँ पर मेरा शरीर बहुत शानदार है, 38-30-36 !
मेरे मम्मे भी बहुत भारी हैं जब वो इनके बीच में लंड घुसा कर मेरे मम्मों को चोदते हैं तो मजा आता है, और जब उनकी पिचकारी ऐसे में मेरे मुँह तक आती है तो और भी मजा आता है, मेरा दिल झूम उठता है।
पर कहते हैं न कि सच्चे मन से कुछ मांगो तो भगवान भी सुन लेता है। मेरे इनके एक दोस्त हैं सुनील ! वो अक्सर हमारे यहाँ इनके सामने और इनके पीछे भी आते रहते हैं।
एक दिन मैं मेरी बेटी को दूध पिला रही थी और सुनील हमारे यहाँ आ गये।
मैं अकेली थी, ये ऑफिस गये थे तो मैं थोड़ा फ्री होकर बैठी थी और मुझे उम्मीद भी नहीं थी कि कोई आएगा तो मेरे लगभग दोनों मम्मे बाहर ही थे।
और सुनील अचानक चला आया तो मैं संभाल भी न सकी। पर क्या करती वो मुझे देख कर मुस्कराया और नमस्ते की। मैंने तुरंत अपने आपको संभाला और उसको बैठने की लिए कहा।
उसने लपक कर मेरे बेटी को सहलाने का बहाना करके थोड़ा मेरे मम्मों को भी सहला दिया और मैं कुछ भी ना कह सकी।
उसके बाद सुनील ने कहा- भाभी, चाय पिला दो!
मैंने बेटी को उसको दिया और मैं चाय बना कर ले आई। मैंने तब सोचा कि कहीं सुनील मेरी प्यास बुझाने के लिए सही रहेगा क्या? या कहीं यह मुझे बाद में बदनाम तो नहीं कर देगा?
मैंने सोचा कि जल्दबाज़ी ठीक नहीं रहेगी। फिर मैं सुनील के सामने बैठ कर चाय पीने लगी।
थोड़ी देर शांति रही, फिर सुनील बोला- भाभी, एक बात है, भैया प्रसन्न तो रहते हैं?
मैंने पूछा- क्या बात है? वो तो हमेशा ही खुश रहते हैं।
तो वो बोला- जिसके पास ऐसी सुंदर पत्नी हो वो हमेशा खुश ही रहेगा!
और वो फिर पड़ोस वाली लड़की की बात बताने लगा कि उसका उसके साथ चक्कर है और वो 3 लड़कों से भी मिलती है, कुछ इस तरह की बात !
मैंने कहा- तुम्हारा किसके साथ चक्कर है, यह तो बताओ?
तो वो बोला- आपसे ही चलाने की सोच रहा हूँ।
मैं मन ही मन तो खुश हुई पर मैंने कहा- गुड्डू से मिल कर फिर सोचना!
तो वो बोला- इसीलिए तो आज तक नहीं चला पाया हूँ।
मैंने सोचा कि आज तो सुनील पीछे ही पड़ गया, चलो देखते हैं कि क्या होता है।
तभी मैंने कहा- तुम्हारे भैया के आने का समय हो गया है।
तो वो बोला- रहने दो, आज मैं चलता हूँ, कल दोपहर में आऊँगा।
मैंने कहा- ठीक है !
अगले दिन सुनील दो बजे आ गया और एकदम बनठन कर आया था।
मैंने सोचा कि आज तो यह मुझे चोद कर ही जाएगा और यह सोच कर मेरा मन भी उसकी तरफ आसक्त होने लगा।
मैंने कहा- बैठो आप !
और वो बैठ गया, उस समय मैं गुड़िया को सुला रही थी और वो मुझे बैठा-बैठा देखने लगा और मुस्कराने लगा।
मैंने पूछा- क्या बात है?
तो क़हने लगा- आज आपको लाइन मार रहा हूँ।
अब मैंने भी सोच लिया कि एक बार इसका ले ही लेते हैं, किसको पता चलेगा, इससे एक बार चुदा ही लेते हैं, क्या फरक पड़ेगा।
सो मैंने कहा- मारो लाइन! देखें पटा पाते हो या नहीं?
सुनील बोला- अगर तुम बुरा न मानो तो मैं अभी पटा लूँ।
मैंने सोचा अगर उनका नाम लिया तो यह वैसे ही डर कर भाग जाएगा तो मैंने कहा- मैं बुरा नहीं मानूँगी !
इतना कहते ही वो मेरे पास आकर बैठ गया और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बोला- मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ।
यह कहानी आप कामवासना पर पढ़ रहे हैं।
मैंने कुछ नहीं कहा और सिर्फ नजरें झुका ली, इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गई और वो मेरे और पास आ गया। मैं अंदर ही अंदर काफी खुश थी, थोड़ा डर भी था, पर एक दिल कर रहा था कि कर ले बेवफ़ाई अगर दूसरा लंड लेना है तो !
उसने मेरा हाथ अपने हाथों में ले लिया और वो मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेरे गाल पर चूमने लगा।
अब मेरे से शायद रुकना मुश्किल था पर मैं शांति से बैठी रही, मन बहुत तरंगित हो रहा था, मन में इच्छा थी कि आज मुझे मनचाहा मिलने वाला है।
उसके बाद उसने मेरे होठों को चूमना शुरू किया।
अब मेरे लिए रुकना नामुमकिन था, मैंने भी उसे बांहों में भर लिया और मैं भी उसके चेहरे, होंठ, गाल पर जोरदार चुम्बन करने लगी, मुझे सुनील में गुड्डू नज़र आने लगा।
अब वो पूरी तरह खुल चुका था।
ऐसा करीब 15 मिनट तक हम करते रहे, मेरी और उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी, न वो कुछ कह पा रहा था और न मैं कुछ, बस एक दूसरे को चूम रहे थे और प्यार कर रहे थे।
तभी मुझे ध्यान आया कि मेरा घर खुला हुआ है, मैंने सुनील से कहा- तुम बैठो एक मिनट !
वो बैठ गया, मैंने घर के बाहर जाकर देखा, कोई घर के बाहर नहीं था तो मैंने अंदर आकर अपना गेट बंद किया और गेट बन्द करते ही तो मानो सुनील सब समझ गया और वो शुरू हो गया।
सबसे पहले उसने मेरे मम्मों को आज़ाद किया और उनको चूसना शुरू कर दिया। मैंने रोका उसको कि मेरी बेटी के हिस्से का दूध मत पी, इनको हाथ से सहला ले और दाब ले, जीभ से चाट ले !
उसने ऐसा ही किया और करीब वो 15 मिनट तक उनको सहलाता रहा और चाटता रहा।
तभी उसने मेरी साड़ी खोल दी और पेटीकोट भी उतार दिया।
अब मैं पैंटी में उसके सामने थी और वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठा था।
मैंने कहा- सुनील, यह सही है क्या?
वो मेरा मतलब समझ गया और उसने अपने कपड़े भी खोल दिये !
काफी शानदार शरीर था उसका पर मेरे गुड्डू जैसा नहीं !
उसका लंड मुझे जरूर मोटा लग रहा था पर लंबा ज्यादा नहीं था।
अब उसने मेरे पास बैठ कर मेरी चड्डी भी उतार दी और मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा।
अभी हम खड़े ही थे कि मैंने भी उसका लंड पकड़ लिया, इसका लंड मोटा था।
तभी वो घुटनों के बल बैठ कर मेरी चूत को प्यार करने लगा।
मुझे लगा कि मैं कहीं खो रही हूँ, और कभी वो उसको सहलाते हुए उंगली भी कर देता था, कभी भग्नासा को छेड़ता था जिससे मेरे बदन में आग सी लगती जा रही थी और मैं सुनील को उकसा रही थी, कह रही थी- सुनील, अब तो चोद दे यार ! अब नहीं रहा जाता !
अब उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी टाँगों को फ़ैला दिया, मेरी आँखें बंद थी और मैं सोच रही थी कि यह मुझे तरसा क्यों रहा है, चोद क्यों नहीं देता।
तभी वो मेरे ऊपर लेट गया और अब उसका लंड मेरी चूत में अड़ रहा था, काफी मोटा था, करीब 2′ का तो होगा।
तभी उसने अपना सुपारा मेरे अंदर सरका दिया, मैं एकदम चिहुँक उठी, मेरे दांत भिंच गए, कुछ दर्द महसूस हुआ, पर क्या करती, चुदवाना था तो दर्द पी कर पड़ी रही।
वो शायद समझ चुका था इस बात को तो वो थोड़ी देर रुका और मुझे चूमने लगा, मेरी जीभ को उसने अपने मुँह में ले लिया और एक करारा शॉट मारा।
मैं एकदम निढाल हो गई, बस यही शुक्र था कि उसका लंड गुड्डू से लंबा नहीं था नहीं तो मैं शायद मर ही जाती।
अब वो धीरे-2 धक्के मारने लगा और मुझे भी मस्ती आने लगी थी। कमरे में धप-धप का संगीत गूंज रहा था और मस्ती में मेरी आँखें मिची जा रही थी।
तभी मेरे शरीर में अकड़न शुरू हो गई और मैं झड़ने लगी थी।
मैंने सुनील को कस कर भींच लिया पर वो कहाँ रुक रहा था, वो तो दनादन शॉट मार रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने मेरी टांगें ऊंची उठा दी और फ़िर से एक झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया पर अब मेरी चूत गीली थी सो आराम से लंड अंदर चला गया और वो शुरू हो गया।
मेरे मुँह से आह आह की आवाज निकल रही थी और साथ ही मैं बोल रही थी- ज़ोर से करो !
और इसे सुन कर सुनील के शॉट और तेज हो रहे थे।
तभी मेरे शरीर में फिर अकड़न होने लगी, मैंने सुनील से कहा- मैं फिर से झड़ रही हूँ।
तभी वो बोला- मैं भी आ रहा हूँ।
और वो एकदम मेरे पैरों को सीधे करके शॉट मारने लगा और मेरे साथ ही उसने अपना वीर्य मेरी योनि में छोड़ दिया। हम काफी देर तक ऐसे ही लेटे रहे।
फिर मैंने उसे उठने को बोला और कहा- वो तौलिया लाओ, मेरी भी पौंछों और अपना भी!
इसके बाद उसने कपड़े पहने, मैंने भी पहने!
और चाय पी, फिर वो चला गया।
इसके बाद सुनील मेरे यहाँ करीब पाँच दिन बाद आया पर यह पाँच दिन मेरे लिए बहुत बुरे निकले।
जब गुड्डू रात को बारह बजे नाइट शिफ्ट करके आए तो मैं बहुत बुरा महसूस कर रही थी कि मैंने यह क्या कर दिया?
जब हम रात को सोने गए तो वो अपनी आदत के अनुसार प्यार करने लगे पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं उनसे प्यार करूँ।
मुझे एक आत्मग्लानि अपने मन में थी।
मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मैं रोने लगी उनकी बाँहों का तकिया बना कर मेरी रुलाई फूट पड़ी।
उन्होंने मुझे रोने दिया और जब मैं जी भर कर रो ली तो उन्होंने मेरे आँसू पौंछे और मेरे गालों पर चूम कर बोले कि अगर अपनी मम्मी की याद आ रही हो तो अपनी माँ के पास जा सकती हो।
मुझे उस दिन जितना उन पर प्यार आया, मैं कह नहीं सकती कि मेरे पति मेरा कितना ध्यान रखते हैं और मैंने यह क्या किया?
फिर मैं उनसे लिपट कर लेट गई और उनको प्यार करने लगी।
वो बाले- तुम भी न यार, कभी क्या सोचती हो और कभी क्या करती हो?
मैं जब तुम्हें प्यार कर रहा था तो अपनी मम्मी को लेकर आ गई और अब जब मैं सोने की सोच रहा हूँ तो तुमको करने की पड़ी है।
सच उस दिन मैंने उनको हर तरह से खुश किया।
करीब बीस मिनट सेक्स के बाद हम दोनों सो गए।
मैंने भी सोच लिया था कि मैं अब कभी सुनील को घर में नहीं आने दूँगी जब यह नहीं होंगे पर वो मेरे घर पाँच दिन बाद आया और मेरे पास आ कर बैठ गया।
मैं वहाँ से उठ कर उसके सामने सोफ़े पर बैठ गई।
वो कुछ कहना चाह रहा था पर मैंने उसको बोल दिया- तुम प्लीज, यहाँ अब मत आया करो। मैं भी पता नहीं उनसे कैसे बेवफ़ाई कर बैठी, मैं काफ़ी शर्मिंदा हूँ।
तब वो बोला- जो हुआ उसका मुझे कोई अफसोस नहीं है, मैंने तुम्हें चोदने के बारे में सोचा और मैंने कर लिया, चलो जब तुम्हारी मर्जी हो तो मुझे बुला लेना, मैं आ जाऊंगा।
मैंने कहा- अब मैं तुम्हें नहीं बुलाऊँगी, जो हुआ उसे भूल जाओ, बस जो जब था वो उस दिन ही था।
पर बेशर्म था सुनील जाते-जाते मुझसे पूछने लगा- एक बात बताओ भाभी, उस दिन आपको गुड्डू से ज्यादा मजा आया या नहीं?
मैंने उससे कहा- मुझे सबसे ज्यादा मजा तो गुड्डू के साथ ही आता है और वो सही है मेरे लिए, हाँ एक बात मैं कहूँगी कि मुझे तुम्हारे साथ भी मजा आया यह बिल्कुल सच है।
तभी सुनील उठा और उसने मुझे अपनी बाँहों में भींच लिया और मेरे होंठों पर जोरदार वाला चूमा लिया और चला गया।
लेकिन इस चुम्मे ने मेरा क्या हाल किया, सुनील मुझे चूम कर जा चुका था और मेरे अंदर उस आग को वापस जगा चुका था जो मैंने ना करने की कसम खाई थी।
मुझे लग रहा था कि मुझे अभी किसी मर्द की जरूरत है जो मुझे न मिला तो मैं ना जाने क्या कर लूँगी?
अजीब सी सोच मेरे अंदर पैदा हो रही थी कि मुझे मेरे गुड्डू से बेवफ़ाई करते रहना चाहिए, जिस में मन को खुशी मिले वो कम करते रहना चाहिए या फिर अपनी ज़िंदगी को एक ही तरह, जैसे चल रही थी चलते रहना चाहिए।
पता नहीं मैं क्या करने वाली थी? पर इस समय मुझे अपने आप को शांत करना जरूरी था क्योंकि मेरे अंदर एक वासना पनप रही थी जिसे ही शायद अन्तर्वासना कहते है।
मुझे सेक्स की जरूरत थी।
मैंने देखा कि मेरी बेटी दूध पीते-पीते बस सोने वाली थी।
मैंने उसको सुलाने की कोशिश तेज की और मैंने एक हाथ से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
मेरी बेटी थोड़ी देर में ही सो गई और अब मैंने अपने कपड़े खोलने शुरू कर दिये।
यह भी नहीं सोचा कि मेरा घर खुला हुआ है जिस में से कोई भी अगर आना चाहे तो आ सकता है।
मैं कभी अपने मम्मों को दबाती थी, कभी अपनी चूत को सहला रही थी।
ना जाने मुझे क्या हो गया था?
मुझे अपनी बिलकुल भी परवाह नहीं थी, बस मन मे था कि किसी भी तरह शांति मिल जाए।
जो आग मेरे अंदर लगी है वो शांत हो जाए !
तभी मैंने अपनी चूत को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ना और सहलाना शुरू कर दिया और मेरे घर मे कोई ऐसा सामान देखने लगी जिससे मुझे मजा आ जाए।
तभी मेरी नजर घर में बैंगन पर पड़ी जो कल ही मैं सब्जी के लिए लाई थी।
पहले तो मैंने उसको क्रीम से तरबतर किया, उसके बाद बिल्कुल पागलों की तरह मेरी चूत पर रगड़ने लगी और पता नहीं कब मैंने उस बैंगन को अपनी चूत में डाल लिया और पूरा ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगी।
करीब पंद्रह मिनट बाद मेरा पानी छूट गया तब जाकर मेरे मन को शांति मिली और मैं लंबी-लंबी साँसें लेने लगी
करीब दस मिनट आँखें बंद करके उसी अवस्था में पड़ी रही पर जब आँखें खोली तो क्या देखती हूँ मेरे ऊपर वाली भाभी जी मेरे सामने खड़ी है और मुझे देखे जा रहीं हैं और मेरी चूत मे घुसे हुए बैंगन को भी जो शायद आधा अंदर था और आधा बाहर था।
उनके देखने के अंदाज से ऐसा लग रहा था कि वो मुझे देख के शायद गरम हो चुकी है। मेरा अंदाजा एकदम सही था वो मेरे एक-एक अंग को निहार रही थीं।
मुझसे बोली- अगर ऐसा ही था तो मुझे क्यो नहीं बुला लिया?
मैं क्या कहती?
मैं कुछ कहने के लायक ही नहीं थी।
तभी उन्होंने मुझसे कहा- मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ।
तब मुझे यह ध्यान आया कि ओह! मेरा दरवाजा खुला था और कोई मर्द अंदर नहीं आया वरना पता नहीं क्या हो जाता?
वो तुरंत गईं और दरवाज़ा बंद करके आ गईं और आकर उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया।
कभी मेरे गालों को चूमती तो कभी मेरे मम्मों को सहलाती तो कभी मेरी गांड को दबातीं।
मेरे अंदर वापस वासना भरने लग गई थी।
तभी उन्होंने कहा- मेरे कपड़े खोलो।
मैं भी अब समझ चुकी थी कि मुझे क्या करना है।
मैंने भी उनको ब्रा और पैंटी में कर दिया और उनको गले पर, छाती पर और उनके पेट पर चूमने लगी।
बहुत ही मस्त माहौल था, मैंने उनके गोल-गोल मम्मों को आजाद कर दिया और एक मर्द की तरह उनके मम्मों को दबाने, सहलाने और चाटने लगीं।
वो बोल रही थी- और ज़ोर से काट मेरे मम्मों को, बहुत मजा आ रहा है।
तभी उन्होंने मेरा वो बैंगन उठा लिया और कहने लगी– करुणा, अब नहीं रहा जाता, तू एक मर्द की तरह इससे मुझे चोद।
फिर मैंने भी सोचा, आज तो वास्तव में मजा आ ही गया।
मैं करीब उनको बीस मिनट तक चोदती रही और उनके मम्मों को एक हाथ से सहलाती काटती रही।
उसके बाद जब उनका पानी छूट गया तो मैं भी दोबारा गर्म हो गई थी।
मैंने उनसे भी चोदने को बोला और उन्होंने इसके बाद मुझे चोदा, तब जाकर हम दोनों को शांति मिली।
फिर मैंने और उन्होंने चाय पी।
दिन में बंगाली भाभी के साथ लेस्बियन सेक्स करने के बाद मुझमें सेक्स की भूख कुछ ज्यादा ही बढ़ गई लगती थी।
मगर मैं क्या करती, सुनील को तो डांटकर भगा चुकी थी।
उसका रोता हुआ चेहरा देख कर मुझे हंसी सी आ रही थी।
लेकिन मैं बिल्कुल ही निष्ठुर हो चुकी थी।
मेरे मन में ग्लानि भी थी कि मैंने अपने पति को धोखा दिया है।
लेकिन अब तो इस बारे में कुछ किया नहीं जा सकता था क्योंकि मैं तो सुनील से अपनी चुदाई करवा चुकी थी।
यही सोचते हुए शाम हो गई।
अब मेरे पति के आने का समय हो गया था।
मेरी बेटी जाग गई तो मैंने उसे दूध पिलाया।
इतने में ही मेरे पति आ गए।
शाम से ही मैंने अपने पति को सेक्स के लिए उकसाना शुरू कर दिया था, एक बार तो मैंने उनको तगड़ा वाला स्मूच कर दिया।
फिर एक बार मैं उनकी गोदी में बैठ कर अपनी गांड उनके लन्ड पर रगड़ने भी लगी।
मेरे पति भी मेरा साथ देने लगे, मेरे चूचे दबाने लगे तो कभी मेरी गांड में उंगली भी करने लगे।
अभी रात होने में देर थी, गुड़िया भी जगी हुई थी।
इसलिए मैंने खाना बना कर पहले गुड़िया को दूध पिलाया।
फिर हम दोनों ने खाना खाया।
मैं खाना खाकर गुड़िया को सुलाने लगी और मेरे पति मुझे बार बार देख कर मुस्करा रहे थे।
जैसे सोच रहे हों कि आज तो मैंने उनका कत्ल कर देना है।
करीब 9 बजे गुड़िया सो गई तो मैं धीरे से उठी.
और फिर मैंने अंगड़ाई ली और धीरे-धीरे अपनी गांड मटकाते हुए कपड़े खोलने लगी।
बस मैं पैंटी में आ गई क्योंकि चूचों में दूध इतना आता है कि चूचे बहुत भारी हो गए हैं। उनका दूध मुझे मेरे पतिदेव को पिलाना पड़ता है।
मुझे देख कर मेरे साहब भी कपड़े खोलकर सिर्फ अंडरवियर में आ गए।
मैं उनके पास चिपक कर उनके कंधे पर सिर रखते हुए एक पैर उनके ऊपर रखकर लेट गयी।
मेरा घुटना उनके लन्ड को छू रहा था और मैं एक हाथ से उनके लन्ड को सहला रही थी।
आखिरकार जो डर था वही हुआ।
वे पूछ बैठे- आज इतनी मस्ती क्यों आ रही है ये बता?
एक बार तो मैं हड़बड़ा गई लेकिन सम्भल कर बोली- आज मुझे मेरी सुहागरात याद आ गई थी। जबकि उनको पता ही नहीं कि मैं एक दिन पहले सुनील के साथ सुहागदिन मना चुकी थी।
बस इतना सुनते ही मेरे पति मेरे ऊपर भूखे शेर की तरह टूट पड़े।
वे मेरे होंठों को, मेरे गालों को, और मेरी चूची को दबाकर दूध की धार खुद के मुंह में लेने लगे, जोर से मुझे मसलने लगे।
मैं सिर्फ आह … ही कर पा रही थी।
सच में मेरी जिंदगी की वो सबसे हसीन रात थी।
मेरे अंदर कामाग्नि भयंकर जल रही थी।
लग रहा था कि बस लन्ड मेरी चूत में हो और मैं चुदती रहूं।
तभी उन्होंने अपने दांतों से मेरी पैंटी उतारनी शुरू की।
मैंने थोड़ा सा ऊचक कर उनका साथ दिया।
वे मेरे पैर के अंगूठे को काटने लगे और मैं तड़प उठी।
सच में बहुत मजा आ रहा था।
तभी वो मेरे पैरों को चाटते हुए मेरी चूत तक आ गए।
पहले तो उंगली से सहलाने लगे, फिर अपनी जीभ से चाटने लगे।
मैं सिर्फ आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी और सिर्फ ‘आह … और करो … ऐसे ही चाटो … बस करते रहो … अंदर तक … आह्ह’ करती जा रही थी।
उनका सिर मैं लगातार चूत में दबा रही थी।
मैं बार बार गांड को उठाकर ऊंची होने की कोशिश कर रही थी।
मुश्किल से 2 मिनट बीते थे कि मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया; मेरा शरीर एकदम हल्का हो गया।
मैं हांफ रही थी।
तभी मेरे पति अपना लंड मेरे मुंह के पास ले आए।
उन दिनों मुझे चूसना अच्छा नहीं लगता था।
उनकी खुशी के लिए मैं उनके टट्टे चाटने लगी।
मैं लंड को साइड से चाट रही थी।
मेरे पति इससे भी संतुष्ट हो जाते थे।
चाटने की वजह से मेरे निप्पल तन गए थे, मेरे अंदर कामरस बहने लगा था।
बस मुझे लगने लगा कि अब तो चोद ही दे ये।
पतिदेव भी समझ गए, उन्होंने मेरी गांड के नीचे तकिया लगा दिया जो कि हमेशा लगाते हैं।
इससे चूत ऊपर हो जाती है और टांगें चौड़ी करने से लन्ड अंदर बच्चेदानी तक पहुंच जाता है।
मेरे पति अपना लन्ड मेरी चूत में रगड़ने लगे।
इससे मैं और ज्यादा तरस गई और उनसे बोली- यार अब चोद दो! अब नहीं रहा जाता बस!
तभी एक झटका लगा और उनका आधा लन्ड मेरी चूत के अंदर घुस गया।
मेरे मुंह से आह्ह निकल गई और मैं बोली- आराम से करो यार, हमेशा ही क्यों हवसी बने रहते हो!
लेकिन उन्होंने जैसे सुना नहीं …बस दूसरा झटका लगा और लन्ड सीधा मेरी बच्चेदानी के मुंह से टकराया।
थोड़ा दर्द हुआ लेकिन मजा भी आ गया।
फिर पति धक्के पर धक्के लगाने लगे और मैं चूतड़ उचका कर लंड अंदर लेने की कोशिश करने लगी।
ये तो राजधानी मेल की तरह शुरू हुए और लगातार 10 मिनट तक मुझे ठोकते रहे।
फिर उन्होंने मेरी टांगें पकड़ कर उठा लीं और खुद घुटनों के बल बैठकर चोदने लगे।
मेरे मुंह से आह … आह … निकलती जा रही थी और चुदाई की मस्ती में चूर हो चुकी थी।
फिर ये पूछने लगे- माल चूचियों पर निकालूं या चूत में?
मैं बोली- चूत में!
इतना कहते ही मेरी चूत का पानी भी छूटने लगा और साथ में पतिदेव भी झड़ गए।
हम दोनों पस्त होकर करीब 15 मिनट ऐसे ही पड़े रहे।
फिर मैंने उनको हटने को बोला।
तौलिया लेकर मैंने अपनी चूत साफ की; उनके लन्ड को पौंछा, एक बार किस किया और सो गई।
अगली सुबह उठी तो मैं संतुष्ट थी।
लेकिन पता नहीं क्यों मुझे सुनील का लंड रह रहकर याद आ रहा था।
अब खुद ही मेरी इच्छा उससे चुदवाने की हो रही थी।
सुनील रोज मेरे घर के सामने से निकलने लगा और उसको लालच रहता था कि वह मुझसे फिर बात करना शुरू करे।
वह इतना तो समझ ही गया था कि मैंने उसकी बात को राज रखा हुआ है क्योंकि मेरे पति उससे नॉर्मल तरीके से ही मिल रहे थे।
अब मेरे मन में वापस उससे चुदवाने की इच्छा होने लगी थी।
लेकिन एक डर भी लग रहा था कि किसी को पता चल गया तो क्या होगा!
मेरे पति की शिफ्ट शाम 4 बजे से रात 12 बजे की थी।
अचानक 2 बजे सुनील अपने स्कूल की छुट्टी करके घर आ गया।
वह मेरे पति से बात करने लगा.
तभी मेरे मन में ये ख्याल आया कि चलो इसको फिर से बुला ही लेते हैं।
तो मैंने कहा- आपको बेटी रोज शाम को याद करती है और आप उसे घुमाने भी नहीं ले जाते।
इतना सुनते ही उसकी जैसे आत्मा प्रसन्न हो गई और बोला- हां भाभी, थोड़ा बिजी था … आज लेकर जाऊंगा।
वह ठीक 6 बजे घर आ गया और बेटी को घुमाने ले गया।
करीब आधे घण्टे बाद वह वापिस आया और कमरे में बैठ गया।
मैंने चाय बनाई और हम साथ में पीने लगे।
फिर सीधे ही उसने बोला- भाभी, चूत की खुजली बर्दाश्त नहीं हुई न? मैं तो जानता हूं कि जो एक बार मुझसे चुदवा ले, दोबारा भी चुदवाती जरूर है। बताओ कितने बजे आऊं?
मैं बोली- रात 9.30 के बाद आना, तब तक मैं गुड़िया को भी सुला दूंगी।
उसके बाद मैंने रात की तैयारी करनी शुरू कर दी।
खाना तो 3 बजे बन ही गया था क्योंकि 4 बजे उनको भी टिफिन देना होता है।
उसके बाद मैंने अपनी चूत के बाल साफ किए।
गर्मी के दिन थे तो शाम को दुबारा नहा भी ली और गुड़िया को जल्दी सुलाने की कोशिश करने लगी।
गेट मैंने खुला ही छोड़ दिया था और गुड़िया को लेकर बेड पर लेटा कर सुलाने लगी।
करीब 9 बजे तक गुड़िया सो भी गई।
फिर धीरे से मुझे भी नींद आ गई।
मुझे पता भी नहीं लगा कि कब सुनील मेरे घर में दाखिल हो गया।
वह फिर मेरे मम्में सहलाने लगा और मेरे गाल पर प्यार करने लगा।
ऐसा करने से मेरी आँख अचानक खुल गई तो वो दूर हो गया और बोला- भाभी, दूसरे बिस्तर पर बैठते हैं।
फिर हम दोनों उठकर दूसरे बिस्तर पर आ गए।
गुड़िया के पास मैंने तकिया लगा दिया जिससे कि वह बीच में न जगे।
फिर हम दोनों ऐसे चिपक गए जैसे कि बरसों बाद मिले हों।
मेरी और उसकी जीभ एक दूसरे के साथ खिलवाड़ कर रही थी।
वह कुर्ते के ऊपर से मेरे मम्में दबा रहा था, सहला रहा था।
कभी मेरी गांड पकड़ कर दबा रहा था और मैं भी उससे बेल की तरह लिपटी हुई थी।
उसको बस जितना मैं भींच सकती थी उतना मैंने भींच रखा था।
दोनों की लार एक हो रही थी।
करीब 15 मिनट तक यही स्थिति रही हम दोनों की।
उसके बाद हमने एक दूसरे की तरफ देखा और जैसे कहा हो कि कहां थे यार इतने दिनों तक हम दोनों।
तभी उसने मुझे खड़े खड़े पलट दिया।
अब वह मेरी पीठ और गर्दन को पीछे से चूमने लगा, साथ-साथ मेरे चूचे भी दबाने लगा।
मेरा दूध मेरे कुर्ते को गीला कर रहा था।
उसने मेरा कुर्ता उतार दिया; मैंने हाथ उठा कर उसका साथ दिया।
अब मेरे मम्मे आजाद थे क्योंकि मैंने ब्रा नहीं पहनी थी।
तभी उसने मेरी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया।
अब चूंकि पैंटी नहीं थी तो मैं एकदम नंगी खड़ी थी।
फिर मैंने बोला कि वो भी उतारे कपड़े।
तो वह सब कुछ उतार कर मेरे पास आ गया और मेरे ऊपर लेट गया।
उसका मोटा लन्ड मेरी चूत को छू रहा था और मैं आनंद के सागर में गोते लगा रही थी।
वह मेरे दूध की अमृत धार का पान कर रहा था और मैं उसकी पीठ सहला रही थी।
तभी वो उठकर मेरे पैर के अंगूठे को चूसने लगा।
फिर बोला- भाभी, मैं आज से आपका गुलाम हूं।
वह चाटते हुए मेरी जांघों तक आ गया।
फिर वह मेरी नाभि को चाटने लगा।
अब मैं मचल पड़ी थी।
इतना मजा आ रहा था कि मैं लिख नहीं सकती।
बस मैं आह … आह कर रही थी और पैर हल्के से पटक रही थी।
ऐसा लग रहा था कि बस ये मादरचोद मुझे चोद दे।
पर सुनील ऐसा नहीं कर रहा था।
तभी वह अपना मुंह मेरी चूत पर ले गया और हाथों से मेरी चूचियों की घुंडियों को उमेठने लगा।
बस कुछ बयां नहीं कर सकती कि मैं कितने आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी।
उसने धीरे-धीरे मेरे भगनासा को चाटना शुरू किया; फिर मेरी चूत में अपनी जीभ घुसाने लगा।
यह मेरे लिए अलग अनुभव था।
बस मैंने उसका सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबा दिया।
मेरे मुंह से बस आह-आह निकल रही थी।
तभी मेरा कामरस छूट गया और उसने अपना मुंह हटा लिया।
मेरी सांसें लम्बी-लम्बी चल रही थीं।
मुझे लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूं।
इतना मजा मुझे आज तक नहीं मिला था।
फिर मैंने सुनील से कहा- अब ऊपर आ जाओ।
वह मेरे पास आ गया और ऊपर लेट गया।
उसका लन्ड चुभता हुआ मुझे मेरी चूत में महसूस हो रहा था।
तभी वह उठा और उसने मेरी गांड के नीचे तकिया लगा दिया।
मैंने उसको बोला कि वो छोटा तौलिया इसके ऊपर रख ले क्योंकि जो तकिया मेरी गांड के नीचे लगा था, वो मेरे पति का था।
उसने ऐसा ही किया और मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखकर अपना लन्ड मेरी चूत के मुंह पर लगा दिया।
मैं अपनी गांड उचका कर उसका लन्ड लेने की कोशिश करने लगी।
लेकिन वह ऐसे ही रहा, मानो मुझे और तड़पाना चाह रहा।
तभी मुझे गुस्सा आ गया और कहा- मादरचोद, चोद ले अब तो!
तभी सुनील मुस्कराया और उसने अपना 2 इंच मोटा लन्ड मेरी चूत में एक झटके में आधा डाल दिया।
मेरी चूत गीली थी; फिर भी मुझे लगा कि मेरी चूत की दीवालों को किसी ने छील दिया हो।
मैंने कहा- कुत्ते धीरे कर!
लेकिन अब वह कहां सुनने वाला था … अगले ही पल एक करारा शॉट पड़ा और उसका लन्ड मेरी बच्चेदानी तक पहुंच गया।
बस मेरे लिए बहुत था।
मैंने बोला- मादरचोद … अब रुका तो फिर कुछ नहीं करने दूंगी।
फिर चल पड़ा वो राजधानी मेल की तरह।
लंड कब अंदर हो रहा था और कब आधा बाहर हो रहा था, मुझे पता नहीं लग रहा था।
वह बड़े ही खतरनाक तरीके से चोद रहा था।
मैं तो सिर्फ आह-आह कर जोर से आवाज निकाल रही थी।
पर मैं कोशिश कर रही थी कि आवाज ज्यादा तेज न हो।
करीब 10 मिनट में मेरा शरीर अकड़ने लगा और मेरा पानी छूट गया।
मैंने उसे रुकने को बोला और लम्बी सांसें लेने लगी।
तभी सुनील बोला- भाभी घोड़ी बन जाओ, अब पीछे से चोदने दो।
मैं मेरे घुटनों और मेरी कुहनियों पर आ गई जिससे मेरी चूत पीछे से खुल गई क्योंकि मुझे पता था कि लन्ड मोटा है, दर्द करेगा।
बस इस बार चूत गीली थी और एक शॉट में लन्ड अंदर चला गया।
फिर सुनील शुरू हो गया, मेरी धक्कापेल चुदाई शुरू हुई।
मेरे चूतड़ों पर पड़ने वाली थाप और थप्पड़ अलग ही मजा दे रहे थे।
करीब 5 मिनट बाद सुनील बोला- भाभी मेरा आने वाला है, कहां निकालूं?
मैंने कहा- अंदर मत निकालना!
तभी उसने अपना लन्ड बाहर निकाल कर सारा माल मेरी गांड पर निकाल दिया।
वह फिर साइड में पस्त होकर पड़ गया।
मैं भी पेट के बल लेट गयी।
सच में बहुत मजा आया।
थोड़ी देर बाद मैंने उसके लन्ड को तौलिया से पौंछा।
उसने मेरी पीठ को पौंछा।
हमने कपड़े पहने, एक जोरदार हग किया।
उसके बाद उसने किस किया और वह चला गया।
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