मेरी मम्मी ने पापा के बाद दादाजी, चाचाजी और आख़िर में मुजसे चुदी
- Kamvasna
- Jan 8
- 25 min read
दोस्तो, मैं सनी हूँ.मेरे पापा बहुत स्मार्ट और हृष्ट पुष्ट थे.मेरी सगी माँ की मृत्यु मेरे जन्म के समय हो गयी थी तो उसके बाद पापा की शादी मम्मी की बहन से हो गयी थी.तो मेरी मौसी ने ही मुझे माँ की तरह पाला था.
पापा और नयी मम्मी की उम्र में 11 साल का अंतर था.अब मेरे पापा नहीं रहे पर उनकी यादें मेरे दिल दिमाग में हमेशा रहेंगी.
ऐसी ही एक याद जो मेरे लिए कभी ना भूलने वाली है आपके लिए लाया हूँ.आपको यह सच्ची रसीली न्यूड मॅाम सेक्स कहानी सुनाने आया हूँ.बिना किसी भूमिका के आप सीधे सेक्स कहानी का मजा लें.
तब पापा ठीक ठाक थे, हम सब मस्त जीवन जी रहे थे.
बहुत दिनों की प्लानिंग के बाद आखिर वह दिन आ ही गया, जब मैं मम्मी पापा के साथ छुट्टियां मनाने के लिए निकला था.हम लोग एक आलीशान रिसॉर्ट पर देर शाम को पहुंचे थे.
पहुंचते ही पापा ने हम दोनों से पूछा- रिसॉर्ट कैसा लगा‘अच्छा और बढ़िया लग रहा है.’ मम्मी ने जवाब दिया.
जोश में मैं भी बोल पड़ा- बढ़िया ही नहीं पापा … ये तो मजेदार जगह है.
मेरी मां एक बहुत ही सुन्दर औरत हैं. उस वक्त मां युवा वय की न होती हुई भी युवती ही थीं और मैं किशोर था.
पर जब हमारी दुनिया बदल गयी, तो जज्बात बदल गए.
वे किसी भी पुरुष के सपने के सच होने जैसी थीं. वे लम्बे कद, गेहुंआ रंग वाली एक पारम्परिक औरत थीं.मेरे पापा की ट्यूनिंग का ही कमाल था कि उनके मम्मे नेचुरल तरीके से बड़े और उभरे हुए बन गए थे.अपने उभरे हुए मम्मों पर उनको बहुत नाज़ भी था.
तो वापस उधर आते हैं, जहां से मेरी दुनिया ही बदल गयी थी.हम लोग उस आलीशान सुइट के अन्दर चले गए जो हमें दिया गया था.
यहां दो पलंग रखे गए थे और दोनों के बीच एक लकड़ी का जालीदार पार्टीशन लगा हुआ था.
पापा ने कहा- मैं तो काफी थक चुका हूँ. चलो सोते हैं, कल सुबह होने पर घूमने निकलेंगे.
उन्होंने मुझसे कहा- तुम यहां बाहर वाले पलंग पर सो जाओ, हम दोनों अन्दर वाले पलंग पर सो जाते हैं.मैंने भी हां में सर हिलाया.
लम्बे सफर से हम सभी थके हुए थे तो तुरंत हमने कपड़े बदले और पलंग पर लेट गए.पता ही नहीं चला कि कब आंख लग गयी.
लगभग आधी रात हुई होगी, मम्मी पापा के पार्टीशन में से अजीब सी आवाज आने पर मेरी नींद टूट गयी.मुझे ‘उम्म्म … आह्ह’ की आवाज़ के साथ ‘थप थप थप’ की आवाज़ भी सुनाई देने लगी थी.
मैं सोचने लगा कि ये कैसी आवाज़ें हैं.फिर मैंने देखा कि मम्मी जगी हुई थीं और पापा की दबी हुई ‘आह आह’ की आवाजें सुनाई दे रही थीं.
मैंने अपने आप को संभाला और जाली में से देखने लगा.पापा बिस्तर पर लेटे हुए थे, मम्मी पूरी नंगी थीं और पापा के लंड को हाथों से सहला रही थीं.
मैं ये देख कर चौंक गया था.मम्मी पूरी नंगी थीं और वे अपने पैर मोड़ कर बैठी थीं.
जैसे जैसे वे पापा के लंड पर हाथ को ऊपर नीचे करती जा रही थीं, उनके मम्मे भी ऊपर नीचे उछल रहे थे.वह क्षण मेरे लिए बहुत ही कामुक था.इस तरह पापा के लंड के साथ मम्मी को खेलते हुए देखना मुझे उत्तेजित कर रहा था.
अंधेरे में पार्टीशन की एक बाजू में मैं कुछ इस तरह से हो गया कि उनको मैं जागा हुआ न दिखूँ.अब मैं उन दोनों की कामलीला का मजा लेने लगा.
इसी बीच पापा फुसफुसाते हुए मम्मी से कहने लगे- जानू, लंड के साथ खेलने में तुम बहुत माहिर खिलाड़िन हो!
मम्मी भी शरारती अंदाज़ में फुसफुसा रही थीं- हां, मुझे पता है. लेकिन धीरे बोलो, हमारा बेटा बगल में ही सोया है. तुम उसे कहीं उठा न दो!
पापा ने कहा- सनी भी थक कर गहरी नींद में सोया हुआ है … वह नहीं उठेगा जान!मम्मी ने यह सुन कर सर हां में हिलाया और वापस पापा के लंड से खेलने लगीं.
कुछ देर के बाद पापा ने कहा- अन्दर लेना है तो चूसना छोड़ो जानेमन … झड़ जाएगा तो खड़ा होना मुश्किल होगा.मम्मी ने कहा- क्यों मुश्किल होगा?
पापा- अरे यार थकान के मारे बदन टूट रहा है और तुम लंड झाड़ दोगी, तो मैं सीधा सो जाऊंगा.मम्मी- यदि ऐसा है तो फिर तुम झड़ कर सो ही जाओ क्योंकि आधी चुदाई में झड़ गए तो मुझे मजा नहीं आएगा.
पापा ने कहा- हां तुम ठीक कह रही हो डार्लिंग, अब देर न करो … जल्दी से लंड का दूध निकाल कर खेल को खत्म करो.मम्मी बोलीं- ऐसे खेल खत्म नहीं होने वाला मेरी जान … जब लंड चूस कर ही काम चलाना है तो पूरा मजा लेकर चूसूँगी!
पापा हंसने लगे और मम्मी की चूचियां मसलने लगे- चलो अपनी चूचियों को चूसने दो!
मम्मी पापा के मुँह में एक दूध देती हुई उन्हें अपने चूचे का रस पिलाने लगीं.पापा भी किसी तोतापरी आम के जैसे मम्मी के दूध को निचोड़ रहे थे.वे उनके निप्पल को अपने होंठों से दबा कर खींचते और छोड़ देते.
इससे मम्मी के आनन्द में चार चाँद लग रहे थे क्योंकि उनके मुँह से जो मादक सिसकारी निकल रही थी,वह उनकी मस्ती को जाहिर कर रही थी.
इस तरह से उन दोनों का खेल रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.
फिर मैंने मम्मी को फुसफुसाते हुए सुना- तुम्हारे लंड ने मेरी चूत में आग लगा दी है. पूरी गीली हो चुकी है. जानू, कल चूत की देखभाल करने की बारी होगी!इतना कह कर मम्मी हंसने लगीं.
इतनी सेक्सी आवाज़ सुनकर मैं तो पागल ही हो गया था.तभी पापा ने भी फुसफुसाते हुए जवाब दिया- ख़ुशी से मेरी जान. कल जब सनी पूल में होगा, तब हम दोनों ही यहां अकेले होंगे … और फिर तुम्हारी चूत मेरी होगी!
लाइव सेक्स देखने का मजा और बढ़ता ही जा रहा था कि तभी मम्मी ने पापा का लंड मुँह में ले लिया और आइसक्रीम की तरह चूसने लगीं.लंड चूसते चूसते मम्मी ने कहा- आह्ह! तब तक इंतज़ार नहीं होगा … तुमने मुझे अभी ही बहुत गीला कर दिया है.
इतना सब देखते हुए मेरा लंड बहुत ही ज्यादा कड़क हो चुका था और मेरे गोटे भी भर कर दुखने लगे थे.मम्मी तो पापा का पूरा लंड मुँह में अन्दर तक लेकर चूसती ही जा रही थीं.
पापा फिर मम्मी से कहने लगे- आह और तेजी से चूसो मेरी जानेमन, मैं झड़ने ही वाला हूँ.इतना सुनते ही मम्मी ने और तेजी से चूसना शुरू कर दिया.
मैं और उत्तेजित होने लगा था और तभी मैंने देखा कि पापा का लंड पूरा पानी मम्मी के मुँह में गिरा रहा है.मम्मी को देख कर तो ऐसा लग रहा था, मानो उनकी मुराद पूरी हो गयी.
मम्मी ने वीर्य को निगलते हुए पापा से कहा- स्वाद बहुत बढ़िया है जान. उम्मीद है … कल और भी मिलेगा!ऐसा कह कर वे पापा के लंड को फिर निहारते हुए अपनी जीभ से चाट कर साफ़ करने लगीं.
यहां मैं अपने लंड को हाथ में लेकर रगड़ रहा था और यही सोच रहा था कि कैसे पापा ने मम्मी के मुँह में अपना वीर्य भर दिया और मम्मी ने एक बूँद भी नहीं छोड़ी थी.
जैसे ही उनका खेल खत्म हुआ, पापा तो गहरी नींद में सो गए.
न्यूड मॅाम सेक्स के बाद उठीं और बाथरूम की तरफ जाने लगीं.मैं सोने का नाटक करने लगा.
उसी रात में कुछ देर बाद मैं अपने खड़े लंड के साथ बाथरूम में गया.पापा-मम्मी अब दोनों सो चुके थे. जैसे ही मैं अन्दर घुसा, मैंने बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और मैंने सिंक पर मम्मी की ब्रा को देखा.
मैंने सोचा शायद वे इसे ले जाना भूल गयी हैं. मैंने ब्रा को हाथ में लिया और मुझे वह एकदम ऐसी मुलायम सी लगी, मानो मम्मी के मम्मों की तरह मुलायम हो.
उसको हाथ में लेकर तो लंड अब और भी ज्यादा कड़क हो गया था और उछलने लगा था.मैंने भी अपने शॉर्ट्स को उतारा और मुठ मारने लगा.
कुछ ही देर में मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ तो दबी आवाज में आह आह करते हुए मैंने रस झाड़ दिया.
बढ़िया सी छुट्टियां गुजरने के बाद पूरी तरह थके हुए हम लोग वापस घर पहुंचे.
पूरी छुट्टियों में मां-बाप की चुदाई देख कर मैं मुठ मारता रहा.जितनी बार वे दोनों झड़े, उतनी ही बार मैं भी झड़ा.
पर मेरा जोश यहीं ठंडा नहीं पड़ा और अब मैं उनकी चुदाई चोरी छुपे देखने लगा.
जब जब उनको मौका मिलता चुदाई करने का, तब तब मैं उनका ये खेल देखने पहुंच जाता.
हर रात मैं उनके कमरे की तरफ जाता और लाइव शो का मजा लेने पहुंच जाता.
एक रात की बात है, दोनों नंगे बदन एक दूसरे को चूम रहे थे.
तभी मम्मी ने पापा का लंड हाथ में लिया और हिलाने लगीं.पापा ने कहा- जब तक चाहो आराम से मजे करो जानेमन!
कुछ देर लंड से खेलने के बाद मम्मी ने लंड को अपनी चूत में घुसेड़ लिया.पापा मम्मी को अब खड़े खड़े ही चोद रहे थे.
मम्मी सिसकारियां भरती हुई पापा से कहने लगीं- आह और अन्दर घुसाओ ना जानू … आअह्ह … चोदते रहो उम्म्म … जोर जोर से चोदो मुझे आ … आ … आह … बहुत मजा आ रहा है राजा उम्म्म … रुकना नहीं, चोदते रहो!पापा भी ये सब सुनकर और जोश में आ गए और पूरा कमरा थप थप की आवाज से गूंज रहा था.
मम्मी की ठुकाई इतनी मजेदार हो रही थी कि तभी मैंने पापा को मम्मी से कहते हुए सुना कि जान, तुम्हारी चूत बहुत मजेदार है आह … मैं अपने आप को रोक नहीं पांऊंगा. मैं झड़ने वाला हूँ.मम्मी ने भी जवाब दिया- उम्म्म … मेरी … चूत में ही … आअह्ह … अपना पानी छोड़ो जानू. मैं भी झड़ने वाली हूँ.
वे दोनों एक साथ झड़े.
दोनों बहुत देर तक एक दूसरे से चिपके रहे और जोर जोर से आह भरने में लगे रहे.
हमेशा की तरह उनका खेल खत्म होने के बाद मैं अपने कमरे में गया और उनकी चुदाई को याद करके मुट्ठ मारने लगा.फिर मैं भी सो गया.
हर गुजरते दिन के साथ उनके चुदाई के तरीके भी मजेदार होते जा रहे थे.
समय गुजरता रहा और मैंने अब कॉलेज खत्म कर लिया था.
मम्मी चालीस साल की थीं, जब ख़राब स्वास्थ्य के चलते पापा का देहांत हो गया था.वे टूट चुकी थीं लेकिन उनसे ज्यादा साहसी औरत को मैंने देखा नहीं था.
उन्होंने उस दौर में अपने आप को अच्छे से संभाला.
अब तो वे और भी कमाल की लगने लगी थीं.मम्मी ने अपने आप को इस दौर से संभाला और दोबारा घरेलू कामों में जुट गईं.
ज्यादातर समय वे कुछ न कुछ काम करती रहती थीं.लेकिन मैंने महसूस किया था कि मम्मी हमेशा ख्यालों में गुम रहती थीं.
मैं नहीं जानता था कि वे किन परेशानियों से गुजर रही थीं.हो सकता है कि उन्हें चुदाई की कमी सता रही हो क्योंकि पापा के रहते उनकी सेक्स लाइफ बहुत जानदार थी … और अब सब वीरान था.
शायद यही कमी महसूस हो रही होगी.
बढ़ती उम्र के साथ मम्मी और जवान होती जा रही थीं.उनका गठीला बदन मुझे आकर्षित करने लगा था.
जब मम्मी कुछ काम करती रहतीं, तो मेरी नज़र हमेशा उनके मम्मों पर टिक जाती.
मेरे ख्वाबों ख्यालों में आजकल मम्मी ने ही घर जमा रखा था और जब भी मैं उत्तेजित होता था तो उनका नंगा बदन हमेशा मेरे सामने दिखाई देता.
मेरी कल्पनाओं में मैंने मम्मी को हर तरफ से देखा.अलग अलग अंदाज़ और अलग अलग कपड़ों में उनकी कल्पना की थी.
इस तरह के सपने देखने में बहुत मजा आने लगा था.पर मुझे लगा नहीं था कि एक दिन मेरा सपना सच भी हो जाएगा.
पापा के जाने के बाद कुछ महीनों बाद एक दिन दादाजी और चाचाजी हमारे घर पर मुलाकात करने आए थे.
हम दोनों उनसे मिले.कुछ देर बाद मैं अपने कमरे चला गया क्योंकि मुझे उनकी बातें बोरिंग लगती थीं.
हॉल और मेरा कमरा नजदीक होने की वजह से मैं अब भी उनकी बातचीत ठीक से सुन पा रहा था.
मैंने दादाजी को कहते हुए सुना- बहुत समय बाद मिल रहे हैं. अच्छा लगा तुमसे मिलकर. पुराने दिन याद आते हैं. अपने घर पर बुलाने के लिए धन्यवाद.
मम्मी ने जवाब दिया- इसमें धन्यवाद कैसा? आप कभी भी घर आ सकते हैं. अपना ही घर समझिये और इस घर के दरवाजे आपके लिए सदैव खुले हैं.दादाजी और चाचाजी का मम्मी से कुछ ज्यादा ही मेलजोल दिख रहा था.
ऐसा कुछ साल चला.फिर पिछले कुछ दिनों से मुझे ऐसा महसूस होने लगा था कि अचानक मेरे घर पर मेरे दादाजी और चाचाजी का आना जाना कुछ बढ़ सा गया है.
पहले सिर्फ त्योहारों पर ही आना जाना लगा रहता था पर आजकल उनका रोजाना आना जाना होने लगा था.
मैं समझ रहा था कि मम्मी को सहारा देने के लिए आते होंगे.चाचाजी ने शादी नहीं की थी और दादी तो मेरे पैदा होने से पहले ही जा चुकी थीं.
दादाजी और चाचाजी दोनों हमारे पुराने घर में साथ में ही रहते थे.अब वे दोनों रोजाना हमारे घर आने लगे थे और घंटों घर पर ही रहते.
जब भी वह आते मम्मी के अन्दर एक नयी ऊर्जा आ जाती.बहुत गर्मजोशी से उन दोनों की आवभगत होती.
एक रात की बात है, मैं सोने के लिए जाने ही वाला था कि मैंने देखा चाचाजी ने मम्मी को पीछे से बांहों में भर लिया है और एक हाथ से मम्मी की नाभि में उंगली कर रहे हैं. एक हाथ उनके मम्मे को भी मसल रहा था.
यह देख कर मैं चौंक गया था, गुस्से से मैं कांपने लगा था.
इतने में चाचाजी मम्मी से मादक आवाज में कहने लगे- आ जाओ मेरी जानेमन … हाय, इस उम्र में भी क्या कहर ढा रही हो. कुछ देर तो मुझे तुम अपने बदन से खेलने दो.मम्मी ने आंखें बंद कर रखी थीं. उन्हें भी मजा आ रहा था.
वे भी सेक्स का मजा लेना चाहती थीं लेकिन मैं उस वक़्त घर में ही था तो शायद उन्हें इस बात का डर था.
मम्मी ने भी बड़ी कामुकता से कहा- मैं पूरी तरह आप ही की हूँ देवरजी! मगर सब्र रखो, कोई देख लेगा!
चाचाजी कहां मानने वाले थे, उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मम्मी की चूचियों को दबाना और मसलना शुरू कर दिया.
वे कहने लगे- काश मेरी उंगलियां तुम्हारी चिकनी चूत में होतीं .. आह्ह्ह्ह …इतना कहते ही वे मम्मी की नाभि से अपनी उंगली को धीरे धीरे चूत की तरफ सरकाने लगे.
मम्मी ने भी उत्तेजना पर काबू करते हुए उनका हाथ पकड़ लिया और कहा- आप क्यों मेरी प्यास बढ़ा रहे हो? कल तक रुको. मैं पूरे मजे दूंगी.चाचाजी ने झट से मम्मी को अपनी तरफ घुमा लिया और होंठों पर जोरदार चुम्मा ले लिया.
इसमें मम्मी ने उनका पूरा साथ दिया और चुम्मे का मजा लेने लगीं.
अलग होने पर चाचाजी ने मम्मी को हवस भरी नजरों से देखते हुए कहा- कल का इंतजार रहेगा जानेमन. अभी चलता हूँ. कल मिलेंगे.उन्होंने अपने दोनों हाथों से मम्मी के स्तनों को जोर से दबाया.
मम्मी ने भी निचले होंठ को दांत में भींचते हुए सिसकी ली और कहा- स्स्स्स … आईईई … मैं भी तैयार रहूंगी देवरजी!चाचाजी मम्मी को गालों पर चूम कर चले गए.
मम्मी की चमक अलग ही दिखाई दे रही थी.
मुझे यह जानने की दिलचस्पी और बढ़ गयी कि और क्या क्या होने वाला है.
मैं उस दिन कॉलेज जाने के लिए निकला.जाते हुए मैंने कमरे की खिड़की खुली छोड़ दी ताकि मैं वहां से वापस अन्दर आ सकूँ.
थोड़ी देर मटरगश्ती करने के बाद मैं चोरी से घर के अन्दर घुस गया और इंतज़ार करने लगा.
दादाजी और चाचाजी लगभग उसी समय फिर से घर पर आए.उन्होंने हर बार की तरह नाश्ता किया और बातें करने लगे.
कुछ देर की बातचीत के बाद मम्मी अपने कमरे की ओर जाने लगीं.वे दरवाजे पर जाते ही रुक गईं और सेक्सी अंदाज़ में पलट गईं.
मम्मी ने अपना एक हाथ कमर पर और एक हाथ दरवाजे पर रखा.
मेरी उत्तेजना अचानक से बढ़ गयी.मम्मी को पहली बार इस अवतार में देख कर मेरा लंड उछलने लगा.जो साड़ी मम्मी ने पहनी थी, वह कमर के काफी नीचे थी और ब्लाउज भी पीछे से पूरा खुला हुआ था, सिर्फ एक हुक के सहारे बंधा हुआ था.
जिस तरह से मम्मी खड़ी थीं, वह स्टाइल बहुत ही मादक लग रहा था.उन्होंने दोनों को देख कर पूछा- हम्म्म … तैयार हो? आज किसकी बारी पहले है?
इतना सुनते ही दादाजी खड़े हुए और मम्मी की तरफ बढ़े.सत्तर साल की उम्र में भी दादाजी कम जवान नहीं लग रहे थे.
कुर्ता पजामा पहनने वाला ये आदमी आज कुछ और ही लग रहा था.
मम्मी के पास जाकर उनकी कमर में हाथ फिराते हुए उन्होंने कहा- ये भी कोई बात है मेरी जान? कोई भी पहले सवारी कर सकता है.इतना कहकर दादा जी ने मम्मी को चूम लिया.मम्मी हंस दीं.
दोनों कमरे के अन्दर चले गए और दरवाज़ा बंद कर दिया.दरवाज़ा बंद होने से पहले चाचाजी ने दोनों से कहा- बाबूजी, मजे लूटने का पहला हक़ तो आपका ही है, पर देखते हैं कि कितनी देर टिकोगे!
चाचाजी उत्साह के साथ सोफे पर बैठे रहे.मैं अपने कमरे से खिड़की से निकल कर मम्मी के कमरे की तरफ गया.
लेकिन उनके कमरे की खिड़की पर पर्दा लगा हुआ था और झाँक कर देखने पर कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था.मैं उदास मन से मेरे कमरे में दोबारा आ गया.
लगभग आधा घंटा बाद मम्मी के कमरे का दरवाज़ा खुला और दादाजी बाहर निकले.
वे थके थके से सोफे पर आ कर बैठ गए.चाचाजी की तरफ संतोष वाले भाव से देखा और मुस्कुराते हुए कहा- जाओ. लूट लो.इस पर चाचाजी ने जवाब दिया- हां हां! बिल्कुल … लेकिन कल पहले मैं!
दादाजी ने भी हामी भरी और चाचाजी कमरे की तरफ चल दिए.कमरा बंद होने से पहले मम्मी की झलक मुझे दिखाई दी.
मम्मी अपने बालों को बांध रही थीं और वे सिर्फ काले रंग की सेक्सी पैंटी में थीं.
जाते हुए चाचाजी को दादाजी ने कहा- जरा प्यार से पेलना, मेरी जान है वह!
कमरे का दरवाज़ा बंद होने से पहले मुझे सिर्फ मम्मी को कहते हुए इतना ही सुनाई दिया- तैयार हो देवर जी?दरवाज़ा बंद हो गया.
वे दोनों बारी बारी से मम्मी चोदते हैं, ये तो पता चल गया था … पर मुझे अब ये सब लाइव देखना था.
लगभग आधा घंटा बाद चाचाजी भी बाहर आ गए.मम्मी भी तैयार होकर बाहर आ चुकी थीं.
तीनों ने फिर से चाय पी, कुछ देर बातें की … और उसके बाद दोनों चले गए.
तीनों का यह खेल अब रोजाना का हो चुका था.
इनका तरीका वही था. तीनों पहले चाय नाश्ता करते थे, फिर मम्मी कमरे में जातीं और दरवाजे पर खड़े होकर पूछतीं कि आज किसकी बारी है.फिर जिसकी बारी होती थी, वह पहले अन्दर जाता था. पहले के बाहर आने पर दूसरा अन्दर जाता था.
फिर तीनों चाय पीते थे.उसके बाद दादाजी और चाचाजी घर चले जाते.
हफ्तों तक ये सब मैं देखता रहा था.
लेकिन मुझे कमरे के अन्दर की चुदाई देखनी थी.कुछ हफ्तों में इसका भी तोड़ मैंने निकाल लिया.
एक दिन जब मम्मी घर पर नहीं थीं तो मैंने उनके कमरे में कैमरा लगा दिए.चार कोनों में कुल चार कैमरा सही जगह पर लगा दिए.
कैमरा की सैटिंग्स पूरी तरह करने के बाद अब मौका था इसको जाँचने का.अब कैमरा से मैं लाइव चुदाई देख सकता था और ऑडियो की सुविधा होने की वजह से कमरे में होने वाली आवाजें सुन भी सकता था.बस अब हमेशा की तरह उनके आने का इंतज़ार था.
अगले दिन हमेशा की तरह ही माहौल था.आज मैं अपने ही कमरे में लैपटॉप पर सारी हरकतें देखने वाला था.
लाइव कैमरा की वीडियो क्वालिटी भी गजब की थी.मैंने देखा कि दादाजी कमरे में घुसे. आज शायद उनकी बारी पहले थी.
मम्मी ने सेक्सी गाउन पहना हुआ था और गाउन गले में काफी नीचे तक खुला था जिससे उनके मम्मे साफ़ दिखाई दे रहे थे.दादाजी हमेशा की तरह कुर्ते पायजामे में ही थे.
लाइव फीडिंग के साथ मैंने रिकॉर्डिंग भी शुरू कर दी.
दादाजी ने मम्मी का हाथ पकड़ कर जोर से अपनी बांहों में खींचा और मम्मे को हाथों से दबाने लग गए.कभी वे कसके दबाते, कभी जोर से चूसते.
दादाजी की हर हरकत पर मम्मी की आहें निकल जा रही थीं और उनकी कामुकता और बढ़ जा रही थी.
हवस की हद दोनों की आंखों में साफ दिख रही थी.दादाजी ने मम्मी के कपड़े उतार दिए और बहुत समय बाद मुझे मम्मी की नंगी चूचियां देखने को मिलीं.
दोनों ने एक दूसरे को नंगा किया. दोनों ने जिस तरह एक दूसरे को नंगा किया, वह सब देख कर ही मेरा लंड फड़फड़ाने लगा.
नंगी होने के बाद मम्मी ने दादाजी का लंड हाथ में ले लिया और लंड को रगड़ते हुए दादाजी से कहा- उम्म्म … ससुरजी, आप तैयार हो मुझे लूटने के लिए?
जवाब में दादाजी ने कहा- क्यूँ नहीं मेरी जान? मैं तो सुबह से ही तुम्हारी लेने के लिए तड़प रहा हूँ. मेरे लंड से खेलो, जैसे रोज खेलती हो.यह सुनते ही मम्मी ने दादाजी के लंड को हिलाना शुरू कर दिया. मैं चारों कैमरे एक साथ चला कर हर तरफ से दोनों का खेल देख रहा था.
मम्मी तो लंड के साथ खेलने में थीं ही माहिर खिलाड़िन … और दादाजी को पूरे मजे दे रही थीं.दादाजी भी बीच बीच में मम्मी की चूचियों के साथ खेल रहे थे. कभी कभी वे उनके होंठों पर चुम्मा भी ले लेते.
दादाजी पूरे उत्तेजित होकर बोले- जानेमन, अब लंड गीली चूत के लिए तैयार है!मम्मी भी शरारती अंदाज़ में कहने लगीं- आज बड़ी जल्दी में हो ससुरजी?
दादाजी ने झट से मम्मी को बिस्तर पर लेटा दिया और उनकी दोनों टांगें फैला दीं. फिर अपना लंड बिना देरी किए मम्मी की चूत में घुसेड़ा और चोदना शुरू कर दिया.
मम्मी भी गांड उछाल उछाल कर झटके लेती जा रही थीं.
ठुकाई की थप थप की और मम्मी की सिसकारियों और चीखों से कमरा गूँज रहा था ‘उम्म्म … आअह्ह्ह … ऊं … ऊं … हा … हम्म्म, चोदो ससुरजी औ … र … जो … र … से … चो … दो … उम्म्म!’
यह सब मैं साफ़ साफ़ सुन सकता था. मैं भी उत्तेजित होकर अपने लंड को हिलाने लगा.
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि मम्मी दादाजी के साथ ऐसे चुदवाएंगी.
ग़ुस्सा तो मुझे बहुत आ रहा था, पर मैं उत्तेजित भी था. मैं कुछ नहीं कर सकता था और सिर्फ लैपटॉप पर मम्मी और दादाजी की चुदाई का खेल ही देख सकता था.
दादाजी ने कुछ देर बाद अपना लंड निकाला और मम्मी की चूत को हवस भरी नजरों से देखते रहे.इससे पहले कि मम्मी कुछ समझ पातीं कि दादाजी ने चूत पर जोरदार चांटा मारा तो मम्मी की चीख निकल गयी.
देखकर तो ऐसा लगा कि मम्मी को पता था कि मम्मी को मजा आ रहा है.क्योंकि मम्मी ने सेक्सी आवाज़ में किकियाते हुए कहा- आह … और जोर से मारो न जान!
इतना सुनते ही दादाजी शैतानी भरी निगाहों से मुस्कुराए और फिर से दो-तीन चांटे जड़ दिए.मम्मी चूत पर होते हुए हमले से काफी ज्यादा सेक्सी अदाएं दिखा रही थीं और अपने दोनों मम्मों को दबा रही थीं.
दादाजी ने मम्मी की चूत को सहलाते हुए फिर से कहा- हाय जान, क्या चूत है … तेरी सास के बाद कइयों की चूत चोदी … लेकिन तेरी चूत की बात ही अलग है.
यह सुनकर मैं हैरान था कि दादा जी तो पूरे रंगे सियार निकले.अब दादाजी मम्मी की चूत को जोर जोर से रगड़ते जा रहे थे और मम्मी लेटी हुई ही दादाजी की हरकतें देख कर सेक्सी लुक देने लगी थीं.
कुछ देर तक चूत को रगड़ने के बाद दादाजी ने फिर से चूत पर एक चांटा मारा.मम्मी फिर से आह करती हुई कहने लगीं- आह और जोर से मारो … और जोर से आह … ये चूत आप ही की तो है!
जितनी बार मम्मी मारने को कहतीं, उतनी बार दादाजी उनकी चूत पर चांटे मारते जा रहे थे.
थोड़ी देर बाद मम्मी को दादाजी ने कहा- जान, मेरी कुतिया बनोगी?मम्मी ने हां में सर हिलाया और बिस्तर पर कुतिया बनकर अपनी दोनों टांगें फैला दीं.
यह नज़ारा देख कर तो मेरा लंड इतना कड़क हो चुका था कि अब दर्द करने लगा था.मम्मी ने मुड़ कर दादाजी को देखा और कहा- आपकी कुतिया हाज़िर है ससुर जी.
दादाजी ने तुरंत ही अपना लंड एक ही बार में मम्मी की चूत में घुसा दिया और चोदना शुरू कर दिया.मम्मी का ये अवतार देख कर मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था.
अब तो दादाजी ने मम्मी के बाल पकड़ कर उन्हें चोदना शुरू कर दिया था.
‘आह चोदो मेरे … राजा … आआह्ह्ह … चो … दो … क्या लंड है … उम्म्म्म … फाड़ दो अपनी कुतिया की इस प्यासी चूत को … आह मेरी चूत की प्यास बुझा दो … कितनी चुदक्कड़ चूत है!’
दादाजी बहुत देर तक मम्मी को पीछे से चोदते रहे और मम्मी भी ठुकाई के पूरे मजे ले रही थीं.
तभी दादाजी ने कहा- जानेमन, तुम्हारी कसी हुई चूत मेरे लंड का दूध निकालने वाली है, मैं झड़ने वाला हूँ.मम्मी ने कहा- मेरे ऊपर दूध निकाल दो जान … आआह!
दादाजी ने लंड चूत से निकाला और मम्मी की गांड पर पूरा दूध गिरा दिया.
इस फकिंग से मम्मी मानो तृप्त हो गयी थीं.उन्होंने कहा- आआह्ह्ह … कितना सारा दूध … निकाला है ससुर जी!
थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे को गले लगाकर चिपके रहे और दोनों ने बाथरूम में जाकर अपने आप को साफ किया.
फुल फकिंग के बाद मम्मी नंगी ही थीं.दादाजी ने कपड़े पहने और फिर दोनों दरवाजे की तरफ जाने लगे.
दरवाजे पर पहुंचते ही दादाजी ने मम्मी को होंठों पर चूमा, चूतड़ों को दबाया और कहा- कल का फिर से इंतज़ार रहेगा!मम्मी ने मुस्कुरा कर जवाब दिया- आपकी कुतिया आपको तैयार मिलेगी.
दादाजी कमरे से बाहर चले गए और मम्मी फिर से बिस्तर पर बैठ गईं.
कुछ ही देर में चाचाजी कमरे के अन्दर घुसे.
चाचाजी ने अन्दर आते ही पूरे कपड़े उतार दिए और नंगे होकर मम्मी के पास बैठ गए.
चाचाजी ने जोश भरे अंदाज़ में पूछा- उम्मीद है दूसरा लंड भी संभाल लोगी जानेमन!मम्मी ने चाचाजी के खड़े लंड पर उंगली घुमाते हुए कहा- पिछले कुछ समय से मैं दो लंड संभाल ही रही हूँ मेरे राजा. सवाल ये है कि यह लंड दो बार मुझे दूध पिलाएगा क्या?
चाचाजी खड़े हुए और उन्होंने चहकते हुए कहा- वाह यह हुई न बात … तो पहले लोड के लिए तैयार हो जाओ. इस लंड को तुम्हारी सेवा की जरूरत है.मम्मी भी घुटनों के बल बैठ गईं.
उन्होंने अपने एक हाथ से चाचाजी का लंड पकड़ कर कहा- इसकी सेवा करना तो मेरा फ़र्ज़ है.इतना कहते ही मम्मी ने चाचाजी का पूरा लंड मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.
इसके साथ ही मम्मी ने अपनी चूत को भी एक हाथ से रगड़ना शुरू किया.मैं पूरा खेल देख कर फिर से उत्तेजित होने लगा.
अब चाचाजी ने लंड चूसती हुई मम्मी का सर पकड़ा और उन्होंने मम्मी के मुँह को चोदना चालू कर दिया.मम्मी भी पूरे शवाब पर थीं और चाचाजी के कूल्हों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर वे उनके लंड को गन्ना समझ कर चूस रही थीं.
कुछ देर तक मम्मी के मुँह की चुदाई होने के बाद चाचा जी ने लंड को बाहर निकाल लिया.मम्मी ने चाचाजी की तरफ देख कर कहा- देवरजी, तुमने दो बार लंड का दूध मुझे पिलाने का वादा किया है. चलो अखाड़े में चलते हैं.
इतना कह कर मम्मी ने चाचाजी को बिस्तर पर जाने का इशारा कर दिया.चाचाजी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह बिस्तर पर लेट गए मानो उन्हें पहले से ही पता था कि क्या करना है.
उनका लंड छत की ओर देख रहा था. मम्मी को चाचाजी के लंड का दूध पीने की इतनी लालसा थी कि वे तुरंत पलंग पर आईं और लंड हिलाने लगीं.चाचाजी ने कहा- ओह्ह्ह अह … क्या बात है भाभी. लंड की सेवा करने में तुम्हारा जवाब नहीं है.
कुछ ही देर में मम्मी ने लंड को अपनी चिकनी गीली चूत के अन्दर ले लिया और वे लंड की सवारी करने लगीं.लंड के ऊपर उछलती हुई मम्मी ने दोनों हाथ अपने चूचियों पर रख कर दबाना शुरू कर दिया.
कमरा एक बार फिर से चुदाई की आवाज़ों से गूंजने लगा.इतने में मैंने मम्मी को कहते सुना- देवरजी, अब मेरी कमीनी चूत तुम्हारे लंड से दूध निचोड़ेगी आह लो.
यह कह कर वे जोर जोर से लंड की सवारी करने लगीं.
चाचाजी ने कहा- अब पहले लोड के लिए तैयार हो जाओ मेरी जान. मैं छूटने वाला हूँ.मम्मी ने जल्दी से चूत से लंड निकाला और उसे हाथों से हिलाने लगीं.
लंड हिलाते हुए अपनी जीभ होंठों के ऊपर से घुमाते हुए मम्मी ने कहा- हाय … क्या बात है. लंड के दूध की धार मुझे देखनी है!
चाचाजी ने झड़ना शुरू किया, तो मम्मी ने लंड को अपनी चूचियों की तरफ मोड़ दिया और कहने लगीं- वाह … बढ़िया … अपना पूरा माल मेरी चूचियों पर छोड़ो देवर जी.
चाचाजी ने पूरा माल मम्मी के बदन पर छिड़क दिया और मम्मी ने लंड को मुँह में भर लिया.वे उसे चाट कर साफ करने लगीं.
चाचाजी का लंड अब भी तैयार था.मम्मी ने चाचाजी की ओर देखा और हंसते हुए कहा- अब दूसरे लोड की बारी हैं देवर जी!
चाचाजी ने कुछ ही देर में लंड कड़क करवाया और मम्मी को घोड़ी बना कर खूब चोदा.
बारी बारी से मम्मी को चोदने के बाद और अपने अपने माल से मम्मी को नहलाने के बाद दादा जी और चाचाजी दोनों घर चले गए.
मैंने लैपटॉप में चैक किया कि रिकॉर्डिंग पूरी हुई है या नहीं!मेरी किस्मत भी बहुत बढ़िया थी … रिकॉर्डिंग पूरी थी.
कुछ दिन बीत गए और मैंने मम्मी के सामने ऐसे जताया मानो मुझे कुछ नहीं मालूम है. सब कुछ सामान्य है.मैं मम्मी की चुदाई के चक्कर में था लेकिन साथ ही मैं मम्मी के साथ अपनी निजी ख्वाहिशें भी पूरी करना चाहता था.
मैंने ठान भी लिया था कि जल्दी ही अपनी दबी हुई इच्छाओं को पूरा किया जाए.
तब मैंने एक प्लान बनाया.
उसी रात खाना खाने के बाद मम्मी हॉल में आईं.दादाजी और चाचाजी मम्मी को जी भर कर चोद चुके थे.जिस वजह से मम्मी का फिगर अब कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रहा था.
मम्मी ने सोफे पर बैठते हुए कहा- सनी, टीवी चला दो. कोई मूवी देखते हैं.
मैंने भी टीवी शुरू किया.
तब मैंने हिम्मत करके चैनल चेंज किया और मम्मी की चुदाई का वीडियो चला दिया.
अपनी चुदाई की वीडियो देखते ही मम्मी चौंक गईं और गुस्से से चिल्लाईं- क्या तुमने ये रिकॉर्डिंग की है?मैंने बिंदास हां कहा.
मेरे इस दो टूक जवाब से मम्मी शर्मिंदा होती हुई रोने लगीं.वे रोती हुई मुझसे कहने लगीं- मुझे माफ़ कर दो बेटा. जो हुआ उसके लिए मैं माफ़ी मांगती हूँ.
मैंने कहा- मैं नहीं जानता कि इसका मैं क्या जवाब दूँ!
‘तुम्हारे पापा ने मेरी सेक्स लाइफ का बहुत ख्याल रखा था. उनके जाने के बाद कई साल तक मैंने अपनी इस इच्छा को दबाए रखा. मैं दबी हुई इच्छा को और नहीं रोक पायी. मुझे इसका हल निकालना ही था. तुम मुझे रण्डी समझ रहे होगे. लेकिन चुदाई से आदमी या औरत दोनों दूर नहीं रह सकते हैं. मुझे माफ़ कर दो. इस बात को हम दोनों के बीच ही रहने दो. तुम जो चाहोगे वह मैं करूंगी.’
मेरा काम हो चुका था, जो मैं चाहता था … वह होने में अब देर नहीं कर सकता था.फिर मैंने जवाब दिया- ठीक है मम्मी. ये बात हम दोनों के बीच ही रहेगी. लेकिन जो मैं चाहता हूँ, वह करने के लिए आप तैयार हो जाओ.
मम्मी ने रोना बंद करते हुए मुझे शक की निगाहों से देखा.उनकी आंखों में असमंजस साफ़ देखा जा सकता था.वे शायद जानती थीं कि मैं क्या कहने वाला हूँ.
मैंने हिम्मत करते हुए कहा- मैं आपके साथ सुहागरात मनाना चाहता हूँ.यह कहते हुए मैंने मम्मी को एक पैकेट दिया. इस पैकेट में जालीदार लाल रंग की सेक्सी ब्रा और पैंटी थी.
मम्मी पैकेट को देख कर चौंक गईं.मैंने कहा- पंद्रह मिनट में आप मेरे कमरे में आ जाओ. आपको मेरी रण्डी दुल्हन बनकर आना है.
मम्मी के पास अब कोई रास्ता नहीं था.उन्होंने कहा- ठीक है. जैसी तुम्हारी इच्छा. तुम्हारी रण्डी दुल्हन पंद्रह मिनट में तुम्हारे कमरे में आ जाएगी.
मैं मेरे कमरे में नंगा बैठा हुआ था.
ठीक पंद्रह मिनट में पोर्न माँ चुदाई के लिए कमरे में आईं.मम्मी ने रण्डियों जैसी गहरी लाल रंग की लिपस्टिक लगायी थी और मेरी दी हुई ब्रा और पैंटी भी पहनी थी.इस ब्रा और पैंटी की खास बात ये थी कि ये जालीदार थी.
मम्मी की चूचियां और चूत इस जालीदार ब्रा पैंटी में से हल्की हल्की दिखाई दे रही थी.
मम्मी ने शादी का घूँघट ओढ़ा हुआ था.मैंने हवस भरी निगाहों से मम्मी को देखा और खड़े लंड को हाथ में लेकर कहा- वाह … क्या बात हैं. अब दरवाज़ा बंद करो और मेरे पास बैठो.
मम्मी जब पलटीं तो उनकी गांड पूरी दिखाई दे रही थी.मेरा लंड और भी तन गया था और सलामी दे रहा था.
मम्मी भी अब रण्डियों की तरह चुदवाने के लिए तैयार दिख रही थीं.उनकी शर्म जा चुकी थी.
मैंने मम्मी की चूत पर से हाथ फेरते हुए उनकी चूचियों को बारी बारी से दबाया, फिर दोनों हाथ उनकी गांड पर रख दिए.मम्मी पूरा साथ देते हुए सेक्सी सिसकारियां भर रही थीं.
मैंने गांड को हौले से दबाते हुए कहा- मम्मी, इस रात का मैंने बहुत इंतज़ार किया है. हर रात को सपने में आपको इस अवतार में देखा है. लेकिन सपने से ज्यादा सेक्सी हो. जब से मैंने आपको पापा से चुदवाते हुए देखा है, तब से मैं आपको चोदना चाहता था.
मैंने मम्मी का घूँघट उठाया और निकाल कर लापरवाही से फेंक दिया, फिर उठ कर मम्मी के पीछे गया.
उन्हें अपनी बांहों में भरते हुए मैंने मेरा खड़ा लंड मम्मी की गांड की दरार के ऊपर लगा दिया.
मैंने अपने दोनों हाथों से चूचियां पकड़ कर मम्मी के कान में कहा- मैं चाहता हूँ कि आज आप वैसे ही मजे लो, जैसे पापा, दादा जी या चाचा जी से चुदवाती हुई लेती हो.
मम्मी ने दोनों हाथ मेरे हाथों पर रखे और मेरे हाथों को दबाया. फिर गर्दन पीछे मेरी तरफ घुमाई और मुझे होंठों पर किस किया.
थोड़ी देर तक चूमने के बाद मम्मी ने कहा- अगले एक हफ्ते तक शहर में न तेरे दादा जी हैं और न चाचा जी होंगे. अब तेरा लंड ही मेरी प्यास बुझाएगा.
इतना सुनते ही मेरा लंड और जोर से सलामी देने की कोशिश करने लगा.मम्मी की इतनी चुदाई देखने के बाद मुझे ये तो पता चल गया था कि मम्मी को चूत पर चांटे बहुत पसंद हैं.
जैसे ही मैंने यह सुना कि अगला पूरा हफ्ता मैं ही मम्मी को चोदूंगा, मैंने उनकी चूत पर एक कसके चाँटा जड़ दिया.
मम्मी चीख उठीं- आ अह्ह्ह्ह!उनको अंदाज़ा नहीं था कि मैं ऐसा कुछ करूँगा.
उन्होंने मेरे हाथ को अपने हाथ से अपनी चूत पर मसलते हुए कहा- हाय मेरी जान … क्या मजा दिया है. कहां से सीखा?’
मैं कहा- आप भूल रही हो; मैंने आपको रोज चुदवाते हुए देखा है.मम्मी ने फिर से मुझे चूमा और कहा- हाय रे मेरा बेटा, तू जानता है कि अपनी मां को कैसे खुश करना है. अब तो मैं भी बिंदास होकर मजा लूँगी.
मैंने मम्मी के बाल पकड़े और सामने वाली टेबल की तरफ झुका दिया.मम्मी ने दोनों हाथ अब टेबल पर रख दिए थे.
मैं घुटनों के बल बैठ गया और सामने दिख रही मम्मी की गांड को सहलाने लगा और निहारता रहा.
मुझसे रहा न गया और मैं पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को चाटने लगा.मम्मी की चूत पूरी गीली हो चुकी थी. उनकी टांगें कांपने लगी थीं.
मैंने उनको कहते हुए सुना- ओह्ह्ह्ह … हां … ऊह्ह्ह … तुम्हारे पापा भी पैंटी के ऊपर से चूत चाटते थे … अम्मम्म … आह … ह … ह….. बस जानेमन अब मैं और टिक नहीं पाऊंगी.
तब मैंने चाटना बंद किया और मम्मी के सामने आते हुए कहा- मज़ा आ गया मम्मी … मैं शुरू से ही आपकी चूत चाटना चाहता था.
अब मम्मी बिस्तर पर बैठ गईं और अपनी दोनों टांगें फैलाते हुए बोलीं- आज रात तेरी इच्छा तो पूरी हो गयी ना … चल मेरी चूत फिर से चाट. अपने पापा जैसे मजे दे मुझे!
मैंने भी जवाब में कहा- जैसा तुम चाहो. इस चूत को पापा से भी बेहतर तरीके से चाटूंगा.
कुछ देर चूत चटवाने के बाद मम्मी ने कहा- ओह्ह्ह सनी, मैं जानती हूँ कि हमारा ये रिश्ता … ऊह्ह्ह … नाजायज है. लेकिन आह हह … तू मुझे बहुत मजे दे रहा है. मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी है.
वे फिर से चूत चटवाने लगीं.
कुछ देर बाद उन्होंने मुझसे कहा- जानेमन, मुझे भी तेरा लंड चूसना है!
मैं उठ कर खड़ा हो गया और मम्मी घुटनों के बल बैठ गईं.लंड को अपने हाथ में पकड़ा और पूरा लंड मुँह में ले लिया और फिर शुरू किया.
‘अम्मम्म … अम्मम्म’ की आवाज़ करते हुए लंड चूसती हुई मम्मी ने कहा- आह … तेरा लंड तेरे पापा की याद दिलाता है.वे फिर से लंड चूसने लगीं.
जब तक मम्मी लंड चूसती रहीं, मैं उनकी चूचियों के साथ खेलता रहा.
कुछ देर चूसने के बाद मम्मी ने कहा- मेरी जान, तेरा लंड तैयार है. अब चूत को लंड का स्वाद भी चखा दे!
फिर से मैंने चूत पर चाँटा मारा और कहा- हां मम्मी, लंड तैयार हैं. चलो लेट जाओ.
मैंने मम्मी को बिस्तर पर लेटाया और मम्मी ने मुझसे कहा- चोदते हुए चूत पर कोई रहम मत करना. जैसा चाहे वैसे चोद लेना मुझे.
बस फिर क्या था, मैंने लंड को चूत पर टिकाया और एक जोरदार झटका दे दिया.मम्मी की जोरदार चीख निकल गयी.
मैंने मम्मी से पूछा- दर्द तो नहीं हुआ?मम्मी ने कहा- नहीं रे ज़ालिम. बिल्कुल अपने बाप पर गया है तेरा ये लंड! चल अब चोद दे अपनी मां को और बन जा मादरचोद!
मैंने मम्मी को बेरहमी से चोदना शुरू कर दिया.जब तक चुदवाती रहीं, मम्मी कुछ बोल ही नहीं पाईं.
कमरे में सिर्फ मादक सिसकारियां और चीखें ही सुनाई दे रही थीं.मम्मी किसी पोर्नस्टार की तरह ही चुदवा रही थीं.
कुछ देर चोदने के बाद मैं रुका.मम्मी समझ गईं कि मैं क्या करने वाला हूँ.
मैंने मम्मी को देखा तो उन्होंने निचले होंठ को दांतों में दबाते हुए सर ऊपर नीचे हिलाया.उनका इशारा पाते ही मैंने मम्मी की चूत पर जोरदार चाँटा मारा.
प्रतिक्रिया में मम्मी ने जो चेहरे पर सेक्सी भावनाएं दिखाई थीं, वह मैं बयान नहीं कर सकता.
अब मम्मी ने मुझे गले से लगाया और कहा- चल अब तुझे वह दिखाती हूँ, जो तूने देखा नहीं होगा.
इतना कह कर मम्मी मुझे बाथरूम में ले गईं. उन्होंने शॉवर शुरू किया और चिपक कर चूमना चालू कर दिया.काफी देर तक चूमने के बाद मम्मी ने कहा- चल अब पीछे से लंड चूत में एक ही बार में घुसा … और फिर चोदते हुए ही चूत के दाने को उंगलियों से रगड़ते रहना!
मैंने आज्ञाकारी बेटे की तरह मम्मी को दीवार की तरफ घुमाया और चूत में लंड घुसा दिया.मम्मी ने फिर से उसी सेक्सी अंदाज़ में बोलना शुरू किया- बढ़िया … मेरे बेरहम बलमा … जोर जोर से चोद अपनी मां को … बना दे चूत का भोसड़ा … फाड़ दे मेरी चुत!
कुछ देर चुदवाने के बाद मम्मी ने कहा- मैं झड़ने वाली हूँ मेरी जान … चोदते रहो … रुकना नहीं … चोदते रहो … ओह्ह्ह … आह्ह!मैंने भी चूत चुदाई के साथ साथ दाने को रगड़ना भी तेज़ कर दिया.
कुछ ही देर में मम्मी ने झड़ गईं.मैं भी लगभग झड़ने ही वाला था.
मैंने कहा- मम्मी मैं भी झड़ने वाला हूँ.तभी मम्मी ने कहा- कहां झड़ना चाहोगे? चूत में या चूचियों पर?
मैंने कहा- मम्मी, मैं आपकी चूत में झड़ना चाहता हूँ.मम्मी ने भी उत्तेजित होकर कहा- भर दो मेरी चूत को अपने लंड के दूध से … आह.ये सुनते ही मैंने लंड का दूध छोड़ना शुरू कर दिया.
आखिरकार मेरा मम्मी को चोदने का सपना पूरा हुआ.मैं खुश था कि मम्मी की चुदाई की प्यास मैंने बुझा दी थी.
पोर्न माँ चुदाई के बाद हम दोनों एक दूसरे को साफ़ करके मेरे बिस्तर पर नंगे ही लेट गए.दोनों सोने की तैयारी में थे कि मम्मी ने शैतानी मुस्कराहट के साथ कहा- क्यूँ ना वह मूवी देखी जाए, जिसमें मैं मेरे ससुर और देवर की सेवा कर रही हूँ?
बस फिर क्या था … हम दोनों ने टीवी पर मम्मी का बनाया हुआ पारिवारिक माहौल देखा और फिर से चुदाई शुरू कर दी. हमारी चुदाई के चार दौर सुबह के लगभग चार बजे तक चले.थकान से चूर होकर हम दोनों एक दूसरे की बांहों में ही सो गए.
अगला पूरा हफ्ता हम दोनों मां बेटे चुदाई करते रहे.जब दादाजी और चाचाजी वापस आ गए, तो मम्मी ने ऐसा प्लान बनाया कि वे दोनों दिन में मम्मी की चुदाई करेंगे और मैं रात में.
तब से लेकर आज तक ये सिलसिला जारी है.
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