नमस्कार दोस्तो,मेरा नाम सुरेंद्र है।मैं 48 साल का हूँ और मैं एक ठेकेदार हूँ।
मेरे घर में मेरी बीवी और 3 बच्चे हैं.लेकिन वे सभी गाँव में रहते हैं और मैं अपने काम के कारण बाहर शहर में रहता हूँ।
यह कहानी पूरी तरह से मेरी सच्ची कहानी है; मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को यह कहानी पसंद आएगी।
शहर में मैं एक किराये के मकान में रहता हूँ.यहाँ रहते हुए मुझे 12 साल हो चुके हैं।
मेरी जितनी जान पहचान मेरे गाँव में नहीं होगी उससे कहीं ज्यादा पहचान मेरी यहाँ शहर में हो गई है।मैं महीने में एक दो बार ही अपने घर जा पाता हूँ।
आप लोग सोच रहे होंगे कि मेरा परिवार होते हुए भी मैं यहाँ अकेला क्यों रहता हूँ तो इसकी एक ख़ास वजह है मेरी अय्याशी!जी हाँ दोस्तो, मैं हमेशा से ही एक अय्याश किस्म का आदमी रहा हूं।
मेरी बीवी बिल्कुल गाँव की औरत है. उसे शहर के रहन सहन में मजा नहीं आता.उसके उलट मुझे बस शहर में ही अच्छा लगता है।
शादी के पहले से ही मैं चूत चोदने का शौकीन रहा हूँ और गाँव में भी कितनी ही भाभी और लड़कियों को चुदाई का मजा दे चुका हूं।
इसके अलावा यहाँ मैंने एक बेहतरीन माल भी पटा कर रखी हुई है जिसके साथ मैं यहाँ ऐश करता हूँ।उसका नाम है कंचन!
जब से मैं गाँव छोड़कर शहर में रहने आया हूँ, मेरे पास पैसा की कोई कमी नहीं रही और पैसों के कारण ही मैंने कंचन के साथ चुदाई का मजा लिया है।कंचन एक शादीशुदा औरत है और उसकी उम्र 32 साल है।दिखने में तो वह उतनी सुंदर नहीं है लेकिन चुदाई में उसका कोई जवाब नहीं है, चुदाई में वो मुझे वो मजा देती है जितना मजा मुझे मेरी बीवी भी नहीं देती है।
कंचन का पति मेरे साथ ही काम करता है और मेरे पास सुपरवाइजर है।वे दोनों भी किराए के मकान में रहते हैं.
पिछले 8 साल से मैं कंचन को चोद रहा हूं।मैंने कंचन को जितना चोदा है उतना शायद अपनी बीवी को भी नहीं चोदा हूँ।
दिखने में वह साधारण औरत है लेकिन उसका फिगर लाजवाब है।बड़े बड़े दूध और पूरी तरह से भरा हुआ जवान बदन!
कंचन के अभी तक कोई बच्चा नहीं है क्योंकि उसके शरीर में कुछ दिक्कत है इसलिए वह माँ नहीं बन सकती।
लगातार 8 सालों से मैं उसे चोद रहा हूँ और इसकी भनक तक उसके पति को नहीं है।
मैं अक्सर उसके पति को किसी न किसी काम से दूसरे शहर भेजता रहता हूँ और यहाँ कंचन के साथ रातें रंगीन करता हूँ।
ऐसा नहीं है कि कंचन के पति में कुछ कमी है और वो उसे खुश नहीं कर पाता.वो भी बराबर उसकी चुदाई करता है और कंचन भी उससे खुश है.लेकिन कंचन एक बेहद ही लालची टाइप की औरत है; उसे बस पैसे से प्यार है और वह पैसों के लिए ही मुझसे चुदती है।
मैं भी उसे निराश नहीं करता हूँ और हर महीने उसे पैसों के अलावा अच्छे अच्छे कपड़े और सामान देता रहता हूँ।इसके बदले कंचन मुझे हर तरह से खुश करती है।
कंचन के लालची होने का ही मुझे फायदा मिला और मुझे बेहद ही खूबसूरत और कुँवारी लड़की को चोदने का मौका मिला।
यह बात दो साल पहले की है जब मैं एक दिन दोपहर को कंचन के घर गया।
कंचन के घर में दो ही कमरे हैं, एक में वो लोग खाना बनाते हैं और दूसरे कमरे में सोते हैं।
मैं अचानक से उसके घर पर पहुँच गया था, मेरा कोई इरादा नहीं था।
मुझे देख कंचन ने मुझे अंदर के कमरे में बैठाया और मुझसे पूछने लगी- कैसे आना हुआ आज दोपहर में?मैंने कहा- अरे यहीं पास में मेरा काम चल रहा है तो काम देखने आया था. तो चाय पीने का मन हुआ इसलिए तेरे पास चला आया।
हम दोनों बात कर ही रहे थे कि उसके बाथरूम से मुझे किसी के नहाने की आवाज सुनाई दी।मैंने कंचन से पूछा- इस समय कौन नहा रहा है तेरा पति तो काम में गया हुआ है न?
कंचन बोली- अरे, बगल वाली लड़की है. आज उसके घर पर पानी नहीं आया तो मेरे घर पर नहाने चली आई।
इसके बाद कंचन चाय बनाने के लिए किचन में चली गई।
किचन सामने ही था और कंचन मुझे अंदर से साफ साफ दिख रही थी।बीच बीच में मैं कंचन को गंदे इशारे भी कर रहा था जिससे कंचन मजे लेकर हंस रही थी।
कुछ समय बाद उसके बाथरूम का दरवाजा खुला और एक बेहद खूबसूरत लड़की केवल तौलिया लपेटे हुए मेरे कमरे में आ गई।उस लड़की ने छोटा सा तौलिया लपेटा हुआ था जिससे उसकी पूरी जांघ और आधा सीना नजर आ रहा था।
वह इतनी अधिक गोरी थी कि उसके बदन पर उसकी नसें साफ साफ दिख रही थी।पानी में भीगा हुआ उसका गोरा गोरा बदन ऐसा लग रहा था कि बस चाट ही जाओ।
कमरे में आते ही उसने मुझे देखा और सकपका गई।वह सेमी न्यूड हॉट गर्ल तुरंत ही अपना तौलिया सम्हालती हुई कमरे से भाग कर किचन में चली गई और कंचन से बोली- अरे भाभी, आपने बताया नहीं कि कोई अंदर बैठा है।कंचन बोली- मुझे क्या पता था तू ऐसे ही बाहर निकल आएगी. कपड़े तो पहन लेती।
वह लड़की बोली- कैसे पहनती? कपड़े तो कमरे में ही रखे हुए हैं।
मैंने बिस्तर पर नजर डाली तो उसकी चड्डी ब्रा और सूट बिस्तर पर ही रखा हुआ था।इसका मतलब था कि वह लड़की अंदर से पूरी तरह से नंगी थी, बस तौलिया लपेटे हुई थी।
उसके बाद कंचन ने कमरे में आकर उसके कपड़े लेजाकर उसे दे दिए और वह सेमी न्यूड हॉट गर्ल किचन का पर्दा लगाकर कपड़े पहनने लगी।
पर्दे के बाहर से भी मुझे साफ साफ झलक रहा था कि वह कपड़े पहन रही है।पहले उसने चड्डी पहनी, फिर तौलिया गिराकर ब्रा पहनी और फिर अपना सूट पहना।
पर्दे के कारण मुझे साफ साफ तो नहीं दिखा पर इतना समझ आया कि उसका फिगर मस्त था और उसके दूध बड़े बड़े औऱ बिल्कुल तने हुए थे।
इसके बाद वह लड़की चली गई लेकिन पहली ही नजर में वो मेरे दिल को भा गई थी।
उसके जाने के बाद मैंने कंचन से उसके बारे में पूछा तो कंचन ने मुझे बताया- उसका नाम रेनू है और वो अभी 19 साल की है।
मजाक मजाक में ही मैंने कंचन को कहा- यार दिखने में तो बहुत करारी माल है रेनू, कोई इसको भी चोदता होगा।कंचन बोली- नहीं, अभी वो इतनी बड़ी नहीं हुई है. लेकिन मोहल्ले के लड़के बहुत लाइन मारते हैं उसे!
“लाइन क्यों नहीं मारेंगे … इतनी पटाखा माल जो है. और छोटी कहाँ से दिख रही है? ये तो अच्छे से अच्छा लंड झेल जाए!”कंचन भी मजाक में बोली- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे उसको झेलना है तुमको!
मैंने भी बोल दिया- अगर वो देने को तैयार हो जाये तो क्यों नहीं … मैं तो उसके लिए कुछ भी कर जाऊं! मेरा तो पहली नजर में ही खड़ा कर गई वो!कंचन बोली- सपने मत देखो, वह तुमसे बहुत छोटी है. तुम्हारा नहीं झेल पाएगी वो!
“अरे चोदना तो मुझे है न … मैं सब समझ लूंगा. और एक बार अंदर जाने की देर है, चूत बड़े से बड़ा लंड झेल लेती है।”
मैंने कंचन से मजाक में ही कहा- अरे, अगर कोई जुगाड़ बने तो दिलवा दे मुझे इसकी!“अरे नहीं, वह ऐसी लड़की नहीं है. और शर्म करो. तुम्हारे सामने बच्ची है वो!”
“कहाँ की बच्ची है? दूध देखो उसके … अच्छी अच्छी औरतों को फेल कर दे वो!”“इसका मतलब तुम देख रहे थे उसे कपड़े बदलते?”“अच्छे से तो नहीं दिख रहा था लेकिन समझ में आ रहा था सब!”
“तुम बस देखो ही … वो मिलने वाली नहीं है।”“अरे मेरी जान, कोशिश कर न … अगर मिल जाये तो!”
“मिल जाये तो क्या?”“अगर तूने उसकी दिलवा दी तो जो कहेगी वो दूँगा तुझे!”“अरे बहुत मुश्किल है।”
“फिर भी देख ले, अगर बने तो फायदा तेरा ही होगा।”“अच्छा क्या फायदा, क्या दोगे मुझे?”“जो तू बोलेगी दूँगा।”
“सोच लो?”“सोच लिया … बस तू दिलवा दे!”
इसके बाद कंचन बोली- चलो मैं कोशिश करती हूं. और अगर वो तैयार हो गई तो सोने का जेवर लूंगी।“बिल्कुल … अगर तू उसे मुझसे चुदवा ड़े तो एक सोने की चैन पक्का दूँगा।”“चलो फिर तो मैं जरूर कोशिश करुँगी. शायद मुझे चैन मिल ही जाए।”“अगर तूने उसको मुझसे चुदवा दिया तो तेरी चेन पक्की!”
इसके बाद मैं आये दिन कंचन के घर जाने लगा और उस लड़की को देखता था।मैं जितना उसे देखता था मेरे अंदर उसके लिए उतनी ही वासना भरती जा रही थी।
वो उम्र में भले ही मुझसे बहुत छोटी थी लेकिन उसका चेहरा उसके बदन की बनावट और उसका गोरा बदन मुझे उसके तरफ आकर्षित करती थी।
धीरे धीरे वक्त बीतता गया और इस बात को आठ महीने से ज्यादा का समय बीत गया था।
इस दौरान मैं कंचन को न जाने कितने बार चोद चुका था और हर बार चोदते समय उसे यह बात याद दिलाता था कि उस लड़की को कब चुदवा रही हो।लेकिन कंचन मुझे बस इंतजार करने को कह देती थी।
फिर एक दिन सुबह 9 बजे कंचन का फोन आया.उस वक्त मैं काम में जाने के लिए निकल रहा था।
कंचन ने मुझसे कहा- अगर समय मिले तो आज दोपहर में घर आओ, कुछ जरूरी काम है।मैं कंचन से बोला- क्या काम है अभी बता दे?
लेकिन कंचन ने फोन में बताने से इन्कार कर दिया।मैं समझ गया कि कंचन को जरूर पैसों की जरूरत होगी तभी बुला रही है क्योंकि पहले भी वह ऐसा कर चुकी थी।
जेब में कुछ पैसे रखकर मैं काम पर चला गया।
इसके बाद दोपहर में मैं कंचन के घर पर गया।घर पर कंचन के अलावा कोई नहीं था।
कंचन ने मेरे लिए चाय बनाई और हम दोनों चाय पीते हुए बात करने लगे।
कंचन ने मुझे बताया- रेनू को मैंने मना लिया है और वह एक दिन के लिए तुमसे मिल सकती है। लेकिन वह चुदाई के लिए तैयार नहीं हुई है, बस तुम्हारे साथ समय बिताएगी।मैं बोला- बस समय बिताने के लिए मैं तुमको सोने की चैन दूँगा।
कंचन बोली- देखो, मैंने रेनू को इतने के लिए मना लिया है. अब आगे तुम भी कुछ करो. और अगर तुम उसे चोदने में सफल हो गए तो मुझे दे देना, वरना मत देना।
कुछ देर सोचने के बाद मैं बोला- चलो ठीक है, मैं कोशिश करता हूँ। लेकिन मैं उसे लेकर कहाँ जाऊँगा?कंचन बोली- अब तुम समझो कि कहाँ ले जा सकते हो. मैं उसे लेकर सुबह निकलूंगी और मैं अपनी चाची के घर चली जाऊँगी. तुम रेनू के साथ चले जाना और अगली सुबह मैं फिर रेनू को लेकर वापस आ जाऊँगी।
मैं बोला- चलो ठीक है. मैं कोई जगह देखता हूँ। 24 घण्टे बहुत हैं मेरे लिए!
इसके बाद मैंने दरवाजा बंद किया और कंचन की साड़ी उसके कमर तक उठाकर उसे घोड़ी बना दिया और जल्दी जल्दी उसे चोदने लगा।10 मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद मैं झड़ गया और इसके बाद मैं वहाँ से वापस आ गया।
अब उस दिन के बाद मैं बस यही सोच में पड़ गया कि आखिर मैं रेनू को लेकर कहाँ जाऊं. अगर उसे होटल में ले जाता हूँ तो कहीं कोई दिक्कत न हो जाये।
ऐसा ही सोचते हुए मुझे एक हफ्ता हो गया लेकिन कोई भी जगह समझ में नहीं आ रही थी।
फिर रविवार के दिन मैं अपने एक दोस्त मोहन के साथ बार में बैठा हुआ शराब पी रहा था।मेरे बारे में उसे सब कुछ पता था और वह यह भी जानता था कि मैं कंचन को चोदता हूं।
पीने के बाद मैंने उससे अपनी बात बताई- भाई ऐसी बात है. तू कुछ बता कहीं जगह की व्यवस्था हो तो?वह भी एक नम्बर का चुदक्कड़ आदमी था, बोला- जगह का इंतजाम मैं चुटकियों में कर सकता हूँ लेकिन मुझे भी कोई माल चुदवाने के लिए दिला तब!मैंने कहा- मेरे पास तो एक ही माल है कंचन! अगर उसको चोदना है तो चोद ले।
मेरा दोस्त बोला- कंचन तैयार हो जाएगी क्या?“बिल्कुल हो जाएगी. मैं बात कर लूंगा, उसकी चिंता न कर!”
फिर मेरा दोस्त बोला- मेरे नजर में मेरे दोस्त का फार्म हाउस है. वो सबसे सही जगह है। मैं उस दोस्त को तैयार करता हूँ और तू कंचन को मेरे लिए तैयार कर!
अगले दिन ही मोहन ने फॉर्म हाउस का इंतजाम कर लिया और अगले रविवार का दिन भी फिक्स कर लिया।
उसी दिन मैं कंचन के पास गया और उसे सारी बातें बताई.शुरू में तो कंचन मोहन से चुदाई के लिए मना करती रही.लेकिन फिर मैंने उसे कुछ लालच देकर तैयार कर ही लिया और हमारा रविवार का दिन फिक्स हो गया।
मैंने कंचन के पति को जो कि मेरे यहाँ सुपरवाइजर का काम करता था, उसको एक काम बता दिया और उससे कहा- रविवार को तुम इस काम को करने के लिए दूसरे शहर चले जाओ.और वह भी तैयार हो गया।
अब तक मैंने सब प्लान सेट कर लिया था.जगह भी मिल गई थी और कंचन का पति भी बाहर शहर जाने के तैयार हो गया था.
लेकिन बस दिक्कत एक ही थी कि क्या रेनू चुदाई के लिए तैयार होती है या नहीं!
इसके लिए भी मैंने एक जबरदस्त बात सोची.और अगर ऐसा हुआ तो उसके बाद मैं बड़े आराम से रेनू को चोद सकता था।
लेकिन अभी रेनू मुझसे चुदने के लिए तैयार नहीं थी बस मेरे साथ घूमने फिरने के लिए तैयार हुई थी।
मैंने अपने दोस्त मोहन की मदद से एक फॉर्म हाउस का इंतजाम किया था और जिसके बदले मोहन कंचन को चोदने वाला था।
मोहन से चुदने के लिए मैंने कंचन को भी तैयार कर लिया था और दो दिन के लिए कंचन के पति को शहर से बाहर भेजने का भी इंतजाम कर लिया था।
अब वर्जिन पिंक पुसी फर्स्ट फक स्टोरी में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि फार्म हाउस में क्या क्या हुआ।
रविवार को सुबह सुबह ही मैं अपने घर से मोहन के घर चला गया और उसके साथ मिलकर हमने खाने पीने का इंतजाम किया हमने वहाँ बनाने के लिए चिकन लिया और साथ में विस्की की बोतलें भी साथ रख ली।
9 बजे के करीब कंचन रेनू को लेकर मोहन के घर पहुँच गई.और हम चारों मोहन की कार से फार्म हाउस के लिए निकल पड़े।
लगभग दो घंटे के सफर के बाद हम सभी लोग शहर के बाहर एक छोटे से गाँव में पहुँचे जहाँ पर फार्म हाउस था।हम लोग फार्म हाउस में गए.वहाँ पर कोई भी नहीं था।
जब हमने फार्म हाउस का दरवाजा खोला और अंदर गए तो वहाँ का माहौल काफी अच्छा था।
दोपहर के 12 बज रहे थे और हम सब ने मिलकर पहले खाना तैयार किया।
मेरी नजर तो बस रेनू पर ही टिकी हुई थी और लाल सलवार सूट पहनी रेनू बहुत सेक्सी लग रही थी, उसके बड़े बड़े तने हुए दूध ऐसे लग रहे थे कि मानो कपड़े फाड़कर बाहर निकल आएंगे।
नीचे सलवार से उभरी हुई उसकी गाँड़ और जांघ मेरे लंड को उत्तेजित कर रहे थे।
कंचन बार बार मेरी निगाहों को देख कर सब समझ रही थी और उधर मोहन भी कंचन को देखकर अपना माहौल बना रहा था।
कुछ देर बाद हम सबने खाना खाने के लिए जमीन पर ही दरी बिछाई और सब लोग साथ में बैठकर खाना खाने लगे।
मैं और मोहन चिकन के साथ विस्की का आनंद ले रहे थे और दो दो पैग अंदर जाने के बाद हम दोनों को नशा छाने लगा।
फिर मैंने कंचन से कहा- जब तुम दोनों साथ में आई हो तो विहस्की में भी हमारा साथ दो।
पहले तो कंचन मना करती रही.लेकिन मैं जानता था कि कंचन पी लेगी क्योंकि पहले भी मैंने उसे विहस्की पिलाकर उसकी चुदाई की है।जल्द ही कंचन विहस्की पीने के लिए तैयार हो गई लेकिन रेनू अभी भी मना कर रही थी।
जब कंचन को नशा छाने लगा तो कंचन ने खुद ही रेनू के लिए पेग तैयार किया और अपने हाथों से उसे पिलाया भी!जल्द ही रेनू और कंचन को भरपूर नशा छा गया था।
इसके बाद मैंने विहस्की का आखरी पैग तैयार किया और मैंने रेनू को और मोहन ने कंचन को अपने हाथों से विहस्की पिलाई।
खाना खाने के बाद हम चारों ही पूरी तरह से नशे में चूर हो चुके थे।
इस दौरान मोहन को पता नहीं क्या सूझा, उसने म्यूजिक सिस्टम में गाना लगा दिया और हम सभी को नाचने के लिए कहने लगा।
मोहन तो कंचन के साथ बाहों में बाहें डालकर नाचने लगा और मैंने भी इस मौके का फायदा उठाकर रेनू को अपनी तरफ खींच लिया और उसे अपनी बाहों में लेकर नाचने लगा।
पहले तो रेनू थोड़ा हिचकिचा रही थी लेकिन जल्द ही वो सामान्य होकर मेरे साथ नाचने लगी।रेनू के तने हुए दूध मेरे सीने पर उछलकूद कर रहे थे और मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था।
माहौल बेहद ही सेक्सी हो गया था और मेरे लंड में भी हलचल पैदा होने लगी थी।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि मोहन और कंचन एक दूसरे को चूमने लगे हैं और मोहन ब्लाउज के ऊपर से ही कंचन के दूध मसल रहा है।
फिर रेनू की नजर भी उधर गई और वो नजारा देख रेनू बड़ी बड़ी आँखों के साथ शर्माते हुए मेरी तरफ देखा।मुझे देख वह और शर्मा गई और अपनी आँखें नीचे कर ली।
हलचल तो रेनू के बदन में भी मच रही थी क्योंकि उसके हाथों में पसीना आ रहा था और उसने अब तेजी से मेरी पीठ पकड़ी हुई थी।
मैं भी उसकी कमर को कस लिया था और उसे अपने बदन से चिपकाये जा रहा था।
कुछ देर बाद मैंने फिर से कंचन की तरफ देखा तो अभी तक कंचन की साड़ी उतर चुकी थी और यहाँ मैं और रेनू केवल हल्के हल्के डांस ही कर रहे थे।
पहले तो मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन फिर मैंने हिम्मत दिखाई और रेनू के गालों पर अपने होंठ चलाना शुरू कर दिया।गालों पर चुम्मन का रेनू ने कोई विरोध नहीं किया और मेरी हिम्मत बढ़ गई।
अब मैं रेनू के होंठ की तरफ बढ़ गया।पहले तो रेनू अपना चेहरा इधर उधर करती रही लेकिन मैंने उसका चेहरा पकड़कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
कुछ देर तो रेनू ने मेरा साथ नहीं दिया और मुझसे छूटने का प्रयास करती रही.लेकिन जब उसे भी मजा आने लगा तो उसने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और उसने भी होंठ चलाना शुरू कर दिए।
मेरा रास्ता अब एक तरह से खुल चुका था और मैं बड़े प्यार से रेनू के गुलाबी होंठों को चूम रहा था।
नशे के कारण रेनू के कदम डगमगा रहे थे लेकिन मैंने उसे कसकर अपने बदन से चिपकाया हुआ था।
उधर अभी तक कंचन के ब्लाउज और पेटिकोट उतर चुके थे और कंचन ब्रा पेंटी में ही मोहन से लिपटी हुई थी।
कुछ देर बाद मोहन ने कंचन को अपनी गोद में उठाया और हम लोगों को बाय बाय बोलते हुए कमरे में ले गया।
अब मैं और रेनू ही इधर रह गए थे.मैंने भी हिम्मत दिखाते हुए रेनू को गोद में उठा लिया और कमरे की तरफ चल पड़ा।
कमरे में लेजाकर मैंने रेनू को नीचे उतारा और दरवाजा बंद कर दिया।
फिर मैंने रेनू को लेजाकर बिस्तर पर लिटा दिया और अपने कपड़े निकाल दिया सिर्फ चड्डी ही मात्र पहना हुआ था।
मुझे ऐसा देख रेनू बोली- अंकल ये सब मत करिए न … ये सब गलत है।
लेकिन मैंने उसके होंठ अपने होंठों से बंद कर दिया और उनके ऊपर लेटकर फिर से उसके होंठ चूमने लगा।
जल्द ही रेनू फिर से मेरा साथ देने लगी और फिर मैंने पहली बार उसके सीने पर अपना हाथ रखा।उसके बड़े बड़े कड़क दूध को हल्के से ही दबाने पर रेनू उछल गई और मुझसे लिपट गई।
मैं शर्ट के ऊपर से ही उसके दूध को हल्के हल्के दबाने लगा और रेनू ‘सश सीईईई सीईईईई आआ आह आअआ आह’ करने लगी।
अब रेनू को पता नहीं क्या हुआ, वह खुद ही जोर जोर से मेरे होंठों को चूमने लगी और अपनी जीभ मेरे मुँह में डालने लगी।
मैं समझ गया था कि लड़की गर्म हो गई है और अब ये किसी चीज के लिए मना नहीं करेगी।
मैंने रेनू को उठाया और एक झटके में उसका कमीज निकाल दिया।उसके बड़े बड़े दूध ब्रा के अंदर बिल्कुल दबे हुए थे.
मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने तुरंत ही उसकी ब्रा भी खोल दी।जैसे ही उसकी ब्रा अलग हुई, उसके दोनों दूध उछलकर मेरे सामने तन गए और मैंने अपना मुंह उसके निप्पल पर लगा दिया और चूसने लगा।
निप्पलों को जैसे ही मैंने चूसा, रेनू बोली- आआ आआ आह अंकल ऊऊ ऊऊहह ऊऊऊहां आआ आआईई ईई मम्मीईई ऊऊऊऊ!
रेनू पूरी तरह से गर्म और मस्ती से भरी हुई थी और उसकी जवानी उफान मार रही थी।वो मेरी पीठ को सहलाने लगी और मुझे अपनी तरफ़ खींचने लगी।
मैं जोर जोर से उसके दोनों दूध को चूस रहा था और बुरी तरह से मसल रहा था।रेनू अंदर से भी बेहद गोरी थी और अभी तक मैंने इतनी गोरी लड़की कभी नहीं चोदी थी।
उसके निप्पल बिल्कुल गुलाब की तरह गुलाबी रंग के थे और दूध पर नीली रंग की नसों का जाल बिछा हुआ था।
मेरे जोर जोर से मसलने के कारण जल्द ही उसके दोनों दूध लाल हो चुके थे और रेनू बड़ी मस्ती से अपने दूध चुसवा रही थी।इधर मेरी चड्डी में तंम्बू बन चुका था और इतनी जवान हसीन और मस्त माल को देखकर मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था।
मैंने रेनू को फिर से लिटा दिया और उसके पायजामे का नाड़ा खोलने लगा।जल्द ही मैंने उसका पजामा निकाल दिया और उसकी गोरी गोरी चिकनी जांघ को देख मैं उसकी जांघ चूमने और सहलाने लगा।
रेनू बिल्कुल पागल होकर बिस्तर पर मचल रही थी।
जांघ चूमते हुए मैं उसकी पैंटी तक जा पहुंचा जहाँ पर उसकी चूत पैंटी के अंदर से ही फूली हुई नजर आ रही थी।
मेरे मन में बस एक ही ख्याल आ रहा था कि जब ये इतनी गोरी है और इसके निप्पल इतने गुलाबी है तो इसकी चूत कैसी होगी।
मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैं उसकी पैंटी को पकड़कर नीचे करने लगा।
लेकिन रेनू भी अपनी पैंटी को पकड़ ली और उतारने से रोकने लगी।उसे शर्म आ रही थी और मेरे अंदर उसकी चूत देखने की तड़प बढ़ रही थी।
मैंने जोर से उसकी पैंटी खींची और उसकी पैंटी नीचे खिसक गई।
रेनू ने जल्दी से अपने हाथों से अपनी चूत छुपा ली और मैंने उसकी पैंटी निकालकर अलग कर दी।
अब रेनू पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और मैंने भी अपनी चड्डी निकालकर पूरा नंगा हो गया।रेनू की नजर मेरे खड़े हुए लंड पर पड़ी और उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
मेरा लंड काफी बड़ा है और रेनू जैसी कुँवारी और कम उम्र लड़की के लिए यह ज्यादा है.लेकिन मुझे पता था कि रेनू की पहली चुदाई कैसे करनी है और इसकी सील कैसे तोड़नी है।
रेनू आँख बंद किये हुए अपनी चूत छुपाए हुए नंगी लेटी हुई थी और मैं अपने घुटनों पर बैठा हुआ उसे देख रहा था।
वह किसी मलाई से कम नहीं थी और उसका बदन बिल्कुल सांचे में ढला हुआ लग रहा था।34″ का सीना 28″ की कमर और 36″ की गांड।गजब का फिगर पाया था उसने!ऊपर से उसका बेहद ही गोरापन अच्छे अच्छे मर्द का पानी टपका दे।
अब मैंने रेनू के हाथों को हटाया और उसकी चूत के पहले दर्शन किये।
उसकी चूत किसी जन्नत से कम नहीं थी टमाटर जैसी लाल और बिना झाट की बिल्कुल चिकनी चूत!ऊपर से ही देखकर पता चल रहा था कि इस चूत को अभी तक किसी ने छुआ तक नहीं है।
अभी भी रेनू मेरे हाथों को पकड़ी हुई थी और चूत छुपाने की कोशिश कर रही थी।
उसने दोनों पैरों को जोड़ रखा था लेकिन फिर भी उसकी चूत सामने गोलगप्पे की तरह फूली हुई थी।
मैं उसकी चूत पर झुक गया और सबसे पहले उसकी चूत की खुशबू ली।बेहद ही मादक और उत्तेजित करने वाली खुशबू उसकी चूत से आ रही थी।
मैंने उसकी चूत पर एक पप्पी ली.और रेनू को जैसे जोर का करंट लगा और वो बोली- सीसी सस्श्स सीई ईईई ऊऊऊ ऊऊह!
मैंने उंगलियों से उसकी चूत द्वार को फैलाया और उसकी गुलाबी चिपचिपी चूत फैल गई.उसका छोटा सा छेद मुझे नजर आया और उसे देखते ही मैं समझ गया कि रेनू अभी पूरी तरह से सील पैक कुँवारी माल है।.उसकी चूत पानी से भरी हुई थी.मैंने अपनी जीभ निकालकर उसे चाटना शुरू कर दिया।
उसकी चूत बेहद गर्म थी और उसका नमकीन पानी का टेस्ट गजब का था।मैं लगातार उसकी चूत चाटने लगा.और रेनू बोल रही थी , आहें भर रही थी- आआ आईईई ईई ऊऊह ऊऊ … मम्मीई ईईई … आह ऊऊईई मम्मीई आह अंकल मत करिए ना … नआआ आआ मम्मी ईईई ऊऊ ऊईई … ओह आह आआह … मम्मीईई आह मम्मी … मत करिए न अंकल आआह!
करीब पांच मिनट चाटने से ही रेनू का सब्र टूट गया और वह झड़ गई।लेकिन उसके चूत से निकल रहे पानी की एक एक बूंद को मैं चाट रहा था और लगातार उसकी चूत चाटता जा रहा था।
कुछ ही देर में रेनू दुबारा से गर्म हो गई थी।
फिर भी मैं उसकी चूत को अपने मुँह में भरकर बुरी तरह से चूस रहा था और जब रेनू अपने हाथ पैर पटकने लगी तब मैं समझ गया कि अब देर करना ठीक नहीं वरना यह दुबारा से झड़ जाएगी।वर्जिन पिंक पुसी फर्स्ट फक का ये बिल्कुल सही समय था।
इसके बाद मैं रेनू के बदन को चूमता हुआ उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी दोनों टांगें फैलाकर अपने हाथों में फंसा ली।
रेनू की चूत फैलकर मेरे लंड के सामने आ गई थी।मैंने अपने लंड को उसकी वर्जिन पिंक पुसी पर रगड़ना शुरू किया और फिर छेद पर सेट कर दिया।
तब मैंने रेनू को अच्छे से अपनी बाहों में जकड़ लिया जिससे वो हिल भी नहीं पा रही थी।
रेनू अभी भी विस्की के नशे में थी लेकिन फिर भी उसे वर्जिन पिंक पुसी फर्स्ट फक में दर्द तो होता ही और वो ज्यादा आवाज न करे इसके लिए मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया।
अब मैं हल्के हल्के जोर लगाने लगा और मेरा लंड उसकी पिंक पुसी की चमड़ी को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा।
जैसे ही मेरा सुपारा छेद में थोड़ा सा अंदर गया, वर्जिन पुसी की गर्मी मेरे सुपारे पर आई और उसकी गर्मी से मेरे मुँह से आआह निकल गई।
मैं हल्के हल्के जोर लगा रहा था और लंड चूत के पानी में फिसलता हुआ अंदर जा रहा था।एक इंच अंदर जाने के बाद मेरे लंड को बेहद ही कसाव महसूस हुआ और लंड अंदर जाना बंद हो गया।
मैं समझ गया कि अब इसकी सील टूटने की बारी है और मैंने रेनू को कस लिया और एक धक्का लगा दिया।
मेरे धक्के को उसकी नई नवेली चूत सह नहीं सकी और मेरा लंड उसकी सील तोड़ते हुए आधा अंदर धंस गया।
रेनू ने मुझे जोर से जकड़ लिया और मेरे मुँह से अपना मुँह हटाते हुए जोर से चिल्लाई- आआई ईईई ईई उईई ईई मर गई ईई … छोड़ो मुझे छोड़ो … आआई ईई ई मम्मीईई ईईई … छोड़ दो मत करो … आआई ईईई मम्मीईई ईईई!
रेनू मुझसे छूटने के लिए बहुत जोर लगा रही थी कि किसी तरह से वह मुझसे अलग हो जाये.लेकिन मैं उसे कसकर जकड़ा हुआ था और वो हिल भी नहीं पा रही थी।
रेनू का पूरा बदन बुरी तरह से कांपने लगा, वह रोने लगी.तभी मैंने एक और धक्का लगा दिया और मेरा मूसल जैसा लंड पूरी तरह से उसकी चूत में चला गया।
रेनू बिल्कुल बेसुध हो गई और उसकी आंख बंद हो गई।
उसका चीखना चिल्लाना बंद हो गया और उसके मुंह से आवाज तक नहीं निकल रही थी।
पहले तो मैं डर गया कि कहीं ये बेहोश न हो गई हो.लेकिन फिर उसके बदन में हलचल हुई तो मुझे समझ आ गया कि यह बेहोश नहीं हुई है बस दर्द के कारण बेसुध हो गई है।
मैं चुपचाप उसके ऊपर लेटा रहा और उसके गालों को चूमने के साथ साथ उसकी जांघो पर अपनी उंगलियां फिराता रहा।
लड़कियो जांघों पर हल्के हल्के उंगलियां फिराने से लड़कियां जल्दी उतेजित हो जाती हैं।काफी देर तक मैं ऐसा ही करता रहा और बीच बीच में हल्का सा लंड आगे पीछे कर देता था।
करीब दस मिनट बाद रेनू सामान्य होने लगी और वो अपनी आँखें खोलते हुए बोली- अंकल … मुझे बहुत दर्द हो रहा है. निकाल लीजिए बाहर!मैंने कहा- अब तो सब हो गया जान! अब दर्द नहीं होगा बस पहली बार शुरू में ही दर्द होता है. अब कुछ नहीं होगा।
इसके बाद मैंने बिल्कुल आहिस्ते से आधे लंड को बाहर किया और वैसे ही आहिस्ते से अंदर डाल दिया।
रेनू बोली- आआ आआ आह दर्द हो रहा है।मैं बोला- बस थोड़ा सा होगा. इतना बस झेल जाओ. फिर नहीं होगा।
इसके बाद मैंने रेनू के निप्पलों को चूसना शुरू कर दिया.मेरा लंड वैसे ही उसकी चूत में घुसा हुआ था।
निप्पलों को चूसने से जल्द ही रेनू की चूत एक बार फिर से पानी से भर गई और अब मैंने हल्के हल्के लंड चलना शुरू कर दिया।रेनू के मुँह से अब ‘आआह आसह ऊऊऊ ऊऊऊह’ की मीठी आवाज निकल रही थी।
कुछ देर धीरे धीरे चोदने के बाद मैंने रेनू से पूछा- अब मजा आ रहा है?रेनू कुछ नहीं बोली बस मुसकुरा कर ही अपना जवाब दे दिया।
इसके बाद मैंने उससे कहा- अब थोड़ा तेजी से करूंगा. ओके!
“ज्यादा जोर से मत करना अंकल!”“ओके ज्यादा जोर से नहीं करूंगा।”
इसके बाद मैंने अपनी रफ्तार तेज करनी शुरू कर दी और उसकी चूत से फच फच की आवाज आने लगी।
अब रेनू को भी मजा आ रहा था और वह आँख बंद करके चुदाई का मजा ले रही थी।
जल्द ही मेरी रफ़्तार काफी तेज हो गई और मेरे धक्के उसके पेट पर पड़ रहे थे और पूरा कमरा फट फट की आवाज से गूंज उठा।
कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद मैंने लंड बाहर किया और एक कपड़े से उसकी भीगी हुई चूत को साफ किया।इसके बाद फिर से एक बार चुदाई शुरू हो गई और अब हमारी चुदाई से पूरा पलंग हिलने लगा।
रेनू का गोरा बदन पूरी तरह से पसीने से भीग गया था और चमक रहा था।
लगातार उसके दूध मेरे सीने के नीचे दबे हुए थे और पूरी तरह से लाल हो चुके थे।
मैं लगातार रेनू को जोर जोर से चोद रहा था और रेनू ‘आआह आअह आआ आह उआह ऊह … मम्मीई ऊऊईई … आआह आऊऊ ऊईई’ कर रही थी।
जल्द ही रेनू झड़ गई और कुछ देर और चोदने के बाद मैं भी उसके अंदर ही झड़ गया।
फिर मैं उठा और लंड बाहर करते हुए उसकी चूत पर मेरी नजर पड़ी.उसकी चूत का छेद अभी भी खुला हुआ था और बिल्कुल लाल हो गया था।
मैं उसके बगल में लेट गया और कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
आधे घंटे के बाद मैंने फिर से रेनू को अपनी आगोश में ले लिया और उसे चूमते हुए गर्म करने लगा।
जल्द ही रेनू फिर से गर्म होकर चुदाई के लिए तैयार हो गई और फिर से मैंने उसकी धमाकेदार चुदाई की।
यह चुदाई 40 मिनट तक चली और इसमें रेनू दो बार झड़ी।
दूसरी चुदाई से हम दोनों ही बुरी तरह से थक चुके थे और रेनू तुरंत ही सो गई।उसकी इतनी भी हिम्मत नहीं हुई कि कपड़े पहन सके.बस वह ऐसे ही नंगी चादर ओढ़ कर सो गई।
कुछ देर लेटे रहने के बाद मैंने तौलिया लपेटा और सिगरेट पीने के लिए बाहर निकला।
बाहर मैं सिगरेट पी रहा था और तभी मेरी नजर उस कमरे में गई जहाँ कंचन लोग चुदाई के लिए गए थे।
मैंने दरवाजे के छेद से अंदर देखने की कोशिश की लेकिन कुछ नजर नहीं आया और मैंने थोड़ा सा धक्का दिया तो दरवाजा खुला हुआ था।मेरी नजर अंदर बिस्तर पर पड़ी जहाँ पर मोहन और कंचन नंगे बदन बेसुध सोए हुए थे और कंचन के पूरे बदन पर मोहन का वीर्य गिरा हुआ था।
मैं समझ गया कि इन दोनों के बीच भी धमाकेदार चुदाई हुई है।
इसके बाद रात में भी मैंने रेनू के साथ जी भरकर चुदाई की और 4 बार उसे चोदा।
उसकी चूत चोदने में इतना मजा आ रहा था कि मन ही नहीं भर रहा था लेकिन मेरी हिम्मत जवाब दे दी थी।
अगले दिन सुबह हम लोग फार्म हाउस से वापस आ गए और सब अपने घर चले गए।
उस दिन के बाद से मैंने रेनू को न जाने कितने बार चोदा है, कभी होटल में कभी कंचन के घर पर और जब जगह नहीं मिलती है तो कई बार उसे जंगल लेजाकर भी उसकी चुदाई की है।अभी उसकी शादी तय चुकी है लेकिन अभी भी वो मुझसे चुदती रहती है।
मैंने कंचन से किया अपना वादा पूरा किया और रेनू की चुदाई के बदले एक सोने की चैन उसे गिफ्ट की।मैं आये दिन दोनों को कुछ न कुछ गिफ्ट देता रहता हूँ और दोनों ही मुझसे खुशी खुशी चुदती हैं।
आशा है आप को ये कहानी पसंद आई होगी। अगर पसंद आई हो तो कमेंट करे जिससे में आपको और अच्छी कहानी भेज सकू।
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