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मेरे चार जालिम आशिक़ - Desi Sex Stories

ये फिज़िकल बॉडी लव स्टोरी है मेरे तीन आशिकों की।

इन तीनों आशिकों को ज़रा भी इल्म नहीं था एक दूसरे के बारे में!


हालांकि अब मैं किसी के भी संपर्क में नहीं हूं, बिना किसी का भी नाम लिखे ये कहानी ज्यों की त्यों प्रस्तुत कर रही हूं।


पहले आशिक से मेरी मुलाकात तब हुई, जब मैं अपनी कहानियों की चिट्ठियों में वेदांत को ढूंढती थी.


मेरा पहला आशिक दिल्ली से काफी दूर, उत्तर प्रदेश के शहर में 6 घंटे दूर रहता था.

वह शादीशुदा था और उनके बच्चे भी थे.


अब आप सोचते होंगे कि मैंने उनके साथ सम्बन्ध क्यों स्थापित किए होंगे? जबकि वो मुझसे उम्र में 18 साल बड़े थे।

मैं उस दौरान एक ऐसा मर्द अपने जीवन में चाहती थी जो मेरी गड़ी हुई भावनाओं से परे हटके मुझे शारीरिक सुख दे, जिसके साथ जीवन बिताने की कोई संभावना ना हो!


शुरुआत में हम दोस्त थे।


वे मुझे अपने लगातार बढ़ते परिवार की वजह बताते थे कि उनकी पत्नी को एक कन्या की इच्छा थी.

जबकि उनकी छोटी सी नौकरी में तीन बच्चे और चौथे की इच्छा होना एक पाप जैसा लगता था मुझे!


मैं दिन रात उन्हें समझाती कि यदि बच्चों को अच्छा रहन सहन, अच्छा जीवन ना दे सकें, तो बच्चे पैदा क्यों करने हैं।

एक और फर्क था उनमें और मुझमें, हम दोनों के जन्म अलग अलग धर्म को मानने वाले परिवार में हुआ था.


मैं उन्हें मजाक मजाक में कहा करती थी यदि उनकी और मेरी छिपी कहानी बाहर आ गई तो दिल्ली और उत्तर प्रदेश को दंगों से कौन बचाएगा।

हंसी में उड़ा कर हम दोनों होंठों से होंठ मिलाकर फिर से चुदाई में जुट जाते, भूल जाते अपने परिवारों को, अपनी बंदिशों को, अपने व्यवहार को!


मैं अपने मुंह से उनके लंड को तड़पाती और वो मेरे बड़े बड़े स्तनों को मसल मसल के लाल कर देते।


कई बार उन्होंने मेरी गांड मारने की इच्छा प्रकट की.

पर मैं उनसे प्यार नहीं करती थी।


हम दोनों दो प्रेमियों की तरह छिप छिपाकर मिलते जरूर थे, बुरका पहन मैं उनके साथ होटलों में जाकर चुदाई का कार्यक्रम भी करती थी, पर कभी इच्छा नहीं हुई की उनका बसा बसाया संसार उजाड़ूं और उनके बच्चों को उनसे अलग करूं।

इसीलिए धीरे धीरे मैंने उनसे दूरी बनाना शुरू कर दिया.


शुरू में वो हर दो महीने मुझे चोदने आया करते थे पर मेरी प्यास दो महीने में एक बार से कहां बुझने वाली थी.

ऐसे में मुझे कोई ऐसा चाहिए था जो मुझे हर हफ्ते चोदे, मेरी जवानी का रसपान करे, बिना रोकटोक, मेरे हाथ पैर बांध कर, मेरी चूत का भोसड़ा बनाए.


इस दौरान मैंने कई मर्दों का इस्तेमाल किया, लंड की जांच और चोदने की शक्ति तो सिर्फ चुदकर ही पता चलती है.

आप चाहे मुझे अब छिनाल कहें, या रण्डी, पर मेरे जिस्म की इच्छाएं, एक बार चुदने से खत्म होने वाली नहीं थी.


ऐसे में मुझे कोई ऐसा चाहिए था जो मेरा और मेरी चूत की इच्छाओं का पूरा खयाल रखे, एक बार झड़ने के बाद एक दो घंटे में दोबारा तैयार हो सके।

जो मेरी चूत को रानी बना के रखे, उसकी अपने लंड के पानी से पूजा करे, टांगें फैला के मेरी चूत चूसे।


मैंने कई मर्द इस्तेमाल किए, पर चूत चूसने वाला कोई नहीं मिला.


फिर एक मिला, जिसने मुझे अपने किराए के छोटे से कमरे पर बुलाया और मैं चुदक्कड़ रण्डी की तरह चली गई.


उस दिन को मैं कभी नहीं भूल सकती.

मैंने कमरे में घुसते ही उसने मेरे पीछे से दरवाजा बंद कर दिया, वो सिर्फ तौलिए में था, नंगा, मादक और उत्तेजित!

मेरे आने भर के ख्याल से उसका खड़ा था!


उसने घुसते ही मुझे अपनी बांहों में लिया और बिना कोई वक्त खराब किए मुझे चूमने लगा, मेरे कपड़े उतार फेंके, और मुझे नंगी कर मेरी गीली चूत में उंगली करने लगा।


वो खुश था कि मेरी चूत उसके लिए गीली है.

वह नहीं जानता था कि चुदने का सोचते ही मैं गर्म हो जाती हूं।


उसने एक के बाद एक लगातार मेरी कई बार चुदाई की, सुबह 10 बजे से रात के 8 बजे तक!

मैं उसकी रण्डी, कुतिया, सब बन चुकी थी।


उस दिन मैं दो बार झड़ी, और वो पता नहीं कितनी बार।

मुझे मेरा दूसरा आशिक मिल गया था।


पर एक कमी अब भी थी … चूत चुसाई की!

जितने वक्त भी मैं उसके साथ रही, उसने कभी मेरी चूत नहीं चूसी।

पर चुदाई जमकर हुई।


मैं हर हफ्ते एक बाद उसके कमरे पर जाती और एक दिन की उसकी रण्डी बन जाती।


अब मेरी इच्छाएं बढ़ने लगी, अब एक लंड से काम नहीं चलता था, मुझे, थ्रीसम करने की इच्छा थी।


जब मैंने उसे ये बात जाहिर की तो वो मुझे बांटना नहीं चाहता था. वो नहीं जानता था कि मैं पहले से अपने दो महीने वाले आशिक के साथ बंटी हुई थी।


खैर …


एक बार उसने मेरी चूत में पूरा हाथ घुसा दिया, उसे मेरी चीखें अच्छी लगती थी.

जब मैं मज़े में आहें भरती और चिल्लाती, तो उसे अपने मर्द होने पर गर्व होता था।


पर मेरी कमी वो पूरी नहीं कर पा रहा था.

ऐसे में मुझे कोई ऐसा मर्द चाहिए था जो ना सिर्फ मेरी जमकर चुदाई करे, पर मेरी योनि को चरमसुख के कई अनुभव कराए!


जिस तरह में लौड़ों को चूसने में माहिर हूँ, मैं चाहती थी कोई मेरी चूत भी उसी बारीकी से चूसे।


मैंने फिर अपने पाठकों की चिट्ठियों का रुख किया जिनमें कई मर्द मेरे साथ सोने की अपनी प्रबल इच्छा व्यक्त करते थे।


मेरे दो आशिकों के साथ अच्छी कट रही थी पर बात नहीं बन रही थी, खुश मैं अब भी नहीं थी.


फिर एक दिन मेरे दूसरे आशिक ने मुझसे पैसे मांगे.

मैंने देने से मना कर दिया.

इसके बाद हमारे सम्बन्ध ज्यादा दिन नहीं चल सके और हमने एक दूसरे से किनारा करना शुरू कर दिया।


धीरे धीरे दोनों आशिकों से संपर्क टूट गया।


अब मैं फिर से अकेली थी एक ऐसे मर्द की तलाश में जो करीब रहता हो, चोदने में माहिर हो, बार बार खड़ा कर सकता हो और चूसता हो।


ये सभी चीजें एक ही में मिल पाना बहुत मुश्किल था तो मैंने एक ऐप में अपनी प्रोफाइल बनाई, जिसमें मुझे अपना तीसरा आशिक मिला।


मेरा तीसरा आशिक थोड़ा अलग था, शादीशुदा और एक अच्छी कम्पनी में एक अच्छे पद पर कार्यरत था।


हम जब पहली बार मिले तो काफी पी और खुलकर एक दूसरे के सामने अपनी फिज़िकल बॉडी लव की इच्छाओं को रखा.


पिछले दो सम्बन्धों में टूट के चुदने के बाद, अब एक लंड की इच्छा खत्म हो गई थी, इसीलिए मैंने उन्हें साफ साफ कहा कि मेरी उनसे चुदने की कोई इच्छा नहीं है.

उन्होंने भी कहा कि वो भी एक शारीरिक सम्बन्ध बनाकर मन पर अपनी पत्नी के साथ धोखा करने का बोझ नहीं रखना चाहते।


अब आप सोच रहें होंगे कि मेरी लंड की भूख खत्म कैसे हो गई।

दूसरे आशिक से रिश्ता खत्म होना और तीसरे आशिक से मुलाकात में करीब 3 साल लग गए।


इस दौरान मैं कई मर्दों के साथ हमबिस्तर हुई, सिर्फ ये देखने को कि कौन मेरे लायक है और मेरी ज़रूरत पूरी कर सकता है।


वक्त के साथ या यूं कहो कि दफ्तर के कार्य के तनाव में मेरी भूख दबती जा रही थी।

ये सब स्त्री के जिस्म में बनने वाले हार्मोंस का खेल था।


उन्हीं दिनों मुझे पता चला कि मुझे पी सी ओ एस है, जिसके कारण मेरे हार्मोन कभी बेइंतिहा ज्यादा या कभी बहुत कम हो जाते थे, जिससे मेरी कामशक्ति पर सीधा प्रभाव पड़ता था।


तो अगली मुलाकात हमारी बेंगलुरु में हुई, जहां मैं अपने टूटे दिल के साथ गई थी, वो टूटे दिल की कहानी फिर कभी!


मैंने उन्हें अपने होटल का एड्रेस दिया और वो दो घंटे बाद रात के 11 बजे मेरे कमरे पर आ पहुंचे।


एक बार फिर मैंने उन्हें याद दिलाया कि वो किसी भी तरह अपने लंड को मेरी चूत से दूर रखें!

उन्हें सिर्फ कड्डल (लिपटा लिपटी) करना था और मुझे भी … एक मर्द के छूने की बात ही अलग होती है।


हम दोनों बिस्तर पर कडल करने लगे, धीरे धीरे उनका हाथ खिसक कर मेरे कपड़ों में घुसता हुआ मेरे नितंबों को टटोलने लगा।


कई महीने बाद मैं एक मर्द के ख़ुद को छूने के मज़े ले रही थी।


मन में एक बार इच्छा तो हुई चुदने की … फिर मैंने उसे दबा दिया।

मेरे मेरी इच्छा को दबाना और उनका मेरे चूचे दबाना, मानो एक ही समय पर हुआ।


धीरे धीरे हम दोनों नंगे हो गए, कमरे की बत्ती जल रही थी, हम दोनों को ही खाते पीते घर का कहा जा सकता है।


उन्होंने कहा कि उन्हें भरी पूरी, मोटे चूतड़ और चूची वाली लड़कियां पसंद हैं।

मैंने फिर उन्हें याद दिलाया- चुदाई के बारे में मत सोचना!


और गजब की बात यह है कि मैंने उनका लंड सहलाने की बहुत कोशिश की, पर उनका खड़ा नहीं हुआ, गजब का कंट्रोल था उनमें।

मेरी इच्छा के विरुद्ध उन्होंने कुछ नहीं किया।


उन्होंने पूछा कि क्या मेरी चूत कभी किसी ने चूसी है.

मैंने ना में जवाब दिया.


तब उनकी दो उंगलियां मेरी चूत में और अंगूठा मेरी गांड के मुहाने पर था।

उन्होंने मेरी टांगें चौड़ी की और घुसा दिया अपना चेहरा मेरी जांघों के बीच … और मेरी कसक छूट गई।


हां … इसी का तो इंतजार कर रही थी मैं!

जाने कितने अरसे से … सालों से … इस कामुक जिस्म को यही तो चाहिए था।


करीब तीन चार मिनट ही गुजरे होंगे कि मैंने पानी छोड़ दिया, ऐसा लगा जैसे जमीं पर स्वर्ग के दर्शन हो गए.


जब उन्होंने मेरी जांघों के बीच से अपना मुंह उठाया तो नाक से लेकर ठुड्ढी तक मेरे योनि रस से नहा चुके थे.

वो गौरवान्वित महसूस कर रहे थे कि उन्होंने मुझे इतनी जल्दी झाड़ दिया.


मैंने उन्हें चूसने की इच्छा प्रकट की.

उन्होंने कहा कि हमारी मुलाकातें सिर्फ और सिर्फ, मेरे मनोरंजन के लिए होंगी। वो अपना सारा समय सिर्फ मुझे चरम सुख दिलाने के लिए बिताएंगे.


ऐसे में उनकी इच्छा नहीं थी कि मैं उनका लंड खड़ा करूं!

वो चुम्बन में सुख ढूंढते थे।


ऐसा मर्द मुझे पहली बार मिला जो स्त्री के सुख आनन्द को खुद के सुख से ऊपर रखता था।


पर एक परेशानी थी, वो और मैं एक शहर में नहीं रहते थे, काम के कारण वो काफी ट्रैवल करते थे, ऐसे में दिल्ली आना जाना दो तीन महीने में एक बार ही होता था।


अब बाकी था थ्रीसम, सच कहूं, तो वो इच्छा आज भी अधूरी है, तीन चार बार कोशिश की अलग अलग मर्दों के साथ, एक जोड़े के साथ, पर कुछ बात नहीं बनी।


मेरा चौथा आशिक बहुत ही अजीब निकला.

वो मुझे टिंडर से मिला.

मिला क्या, हम कभी मिले ही नहीं … पर उसने बिना मिले ही मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया।


आप भी सोच रहे होंगे कि कैसे?


मेरा यह आशिक एक गुप्त नौकरी में था, एक साउथ अफ्रीकन गोरा, उसका नाम पीटर था, इस कारण से वो मुझे कभी मिलने नहीं आया.

पर मैंने उसे अपने शारीरिक इच्छाएं व्यक्त की थी जैसे कि थ्रीसम, ककओल्ड, स्वैप और सेक्स पार्टीज।


उसने कहा कि वो ऐसे नहीं देख सकता मेरी प्यास को! और वह मेरी इस प्यास को बुझाने के लिए वो कुछ प्रबंध करेगा।


वो और मैं एक कृत्रिम सम्बंध में थे जहां मैं उसकी सेक्स स्लेव थी और वो मेरा मालिक!

मैं बिना उसकी इच्छा के किसी मर्द से नहीं मिल सकती थी और सिर्फ वही मेरी जिस्म की भूख का इंतजाम करने का जिम्मेदार था, एक मालिक की तरह!


वो मुझे रह रह के पूछता कि अगर मैं उसके साथ उसके देश गई तो मुझे उसके सभी दोस्तों के साथ सोना होगा, उसके बॉस को खुश करना होगा ताकि उसकी तरक्की हो सके।

मैं एक अच्छी नौकर की तरह उसको हर इच्छा को सर माथे रखती।


ये सब ऑनलाइन करीब 6 महीने चला।


एक दिन उसने मुझे एक एड्रेस दिया और कहा- दफ्तर से छुट्टी लो और घर पे कहो कि शहर से तीन दिन के लिए बाहर जा रही हो दफ्तर के काम से। इस तारीख को इस होटल में चेक इन कर लेना।

मैंने उससे पूछा कि क्या वो मेरी भूख मिटाने आने वाला है?


उसने कहा- इस तारीख को तुम्हारी चुदाई होगी और एक अच्छी नौकर की तरह हर बात मानने के लिए तैयार रहना, वरना तुम्हें तकलीफ भी हो सकती है और मैं दस लंड से चुदवा के तुम्हें सजा दूँगा।


मैंने डर से हर बात के लिए हामी भरी।


वो और मैं लगातार मैसेज पर बात कर रहे थे.

उसने कहा- दरवाजा बिना लॉक किए स्कर्ट और लो कट टॉप जो अलमारी में रखा है वो पहन लो और आंखों पर पट्टी बांध कर कमरे के फर्श पर एक नौकर की तरह सिर झुका कर बैठ जाओ, तुम्हारा तोहफा जल्द ही तुम तक पहुंचेगा।


कुछ देर बाद कोई कमरे में घुसा, उसने अपनी पैंट खोली और मेरे मुंह में अपना लोड़ा दे दिया।

मैं एक अच्छी बांदी की तरह अपने मालिक की इच्छा को पूरा करने लगी।


चुसाई के बाद उसने अपना पानी मेरे लो कट टी शर्ट से झांकते मेरे चूचों पर गिरा दिया।


तब उसने मुझे खड़ा किया और बाथरूम ले गया, जहां उसने अपना लोड़ा पकड़वा के मूता और मेरी चूचियां साफ़ की।


मैं अभी भी उसे देख नहीं पाई थी.


फिर मुझे कुछ फोटो खींचने की आवाज आई।

मैंने उसे फोटो खींचने से मना किया, उसने शसश्ह … कहके मुझे चुप करा दिया और मुझे किस करने लगा.

फिर किस करते करते फोटो खींचने की आवाज आई।


उसने मेरे हाथ बांध दिए, मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और मेरी चूचियां दबाने लगा.

अब तक उसने मुझसे कोई बात नहीं की थी।


उसने मेरे चूचे जमकर चूसे जैसे आज ही उनमें से दूध निकलेगा।

मैंने कुछ बोलना चाहा तो उसने मुझे चमाट जड़ दिया और फिर शसश्ह … कहा।


उसने मेरी टांगें खोली और चूत के होंठ अलग किए, उस पर थूका और वहां भी चमाट जड़ दिए चार पांच छः … जाने कितने!

मैं गिनते गिनते थक गई थी पर ये रोमांच मज़ा भी दे रहा था, डर भी लग रहा था।


फिर उसने अपनी बेल्ट मेरे गले में बांध दी और मुझे कुतिया की तरह कमरे में घुमाया, अपने पैर से मेरे चूचे हिलाए, चूत में पैर की उंगलियों से उंगली की.


इसके बाद मेरी बेल्ट खींचते हुए मुझे चूसने का इशारा देते हुए लोड़े पे मुंह रख दिया.

और मैं फिर एक अच्छी कुतिया की तेरह उसका लंड चूसने लगी।


जब उसका लंड तन के फिर से खड़ा हो गया उसने मुझे बेल्ट से खींच के बेड पे कुतिया बनाया और एक झटके में मोटा लोड़ा अंदर डाल दिया।


उसने मुझे 40 मिनट तक रगड़ के चोदा, इतना पेला कि मैं चुद कर थक गई।

उसका तब भी नहीं छूटा।


उसने पहली चुदाई के बाद मेरी आंखों की पट्टी हटा दी।

वो पीटर नहीं, एक भारतीय था.

मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे साथ धोखा हुआ।


जिसने मुझे चोदा, उसने अपना नाम सलीम बताया, सलीम पीटर को पिछली नौकरी से जनता था.

उसने कहा कि वो भी पीटर का सेक्स स्लेव है और पीटर के कहने पर मुझे दो दिन लगातार चोदने आया है।

और उसने कहा कि पीटर की इच्छा थी कि मैं हमारी फोटो खींच उसे भेजूं, इसीलिए बिना इजाजत फोटो लेने के लिए वो शर्मिंदा है।


उसने कहा कि पीटर चाहता है कि तुम्हें सिर्फ सेक्स डॉल से ज्यादा ना समझा जाए. इसलिए जब भी तुम उत्तेजित भाव में बोलोगी तो तुम्हें चमाट पड़ेगा. वो चाहता है कि तुम्हें महसूस कराया जाए की पीटर से शादी के बाद तुम्हारी क्या हालत होने वाली है, क्या तुम इसे झेलने को तैयार हो?


हम पीटर की बात कर ही रहे थे कि पीटर का कॉल आ गया और सलीम ने फोन स्पीकर पर किया.

पीटर अपने चिरपरिचित अंग्रेजी एक्सेंट में बोला- कैसा लगा चुद कर मेरी जान? मज़ा आया? दो दिन के लिए तुम इसकी रण्डी हो, समझो कि ये मेरा दोस्त है और तुम्हें इसे खुश करना है। और अगर तुम इसे खुश नहीं कर पाई, तो मेरे तुम्हारे रिश्ते का यहीं अंत हो जायेगा, हम कभी नहीं मिलेंगे।


अब मेरा ऑनलाइन रिलेशन खतरे में था, छः माह में मैं पीटर को अपना दिल दे बैठी थी, मैं किसी भी तरह उस से मिलना चाहती थी, अब चाहे उसके लिए मुझे किसी के साथ भी सोना पड़े।


मैंने हामी भर दी और सलीम को पीटर ने कहा कि उसे हर चुदाई की वीडियो चाहिए और उसे देखना है कि उसकी बांदी कैसे चुदती है।

उसने सलीम को साफ साफ कहा कि मुझे कुतिया का पोजीशन पसंद है इसलिए मुझे सिर्फ कुतिया बना कर ही चोदे।


फोन रखते ही सलीम बोला- मैं तुम्हें चोदते वक्त सलीम नहीं हूं, तुम्हारे मालिक का एक गुलाम हूं, और मुझे अपने मालिक की हर इच्छा पूरी करनी है, क्या तुम्हें करनी है?

मैंने हां में सर हिलाया।


मेरी हां पाते ही सलीम ने मुझे बालों से पकड़ा और मुझे बाथरूम ले गया, जहां उसने मुझ पर मूता।

उसने कहा- अब तुम मेरी कुतिया बनी हो! मेरी जागीर!


और बालों से घसीटते हुए मुझे वापिस कमरे तक लाया और सोफे पे दीवार की तरफ मुंह रख के बिठाया जिससे मेरी मोटी गांड उभर के खिड़की से आती रोशनी से उनके आंखों के सामने चमकने लगी।

उसने बिना रुके मेरी गांड पर तमाचो को बौछार कर दी; उसने कहा- औरत का जिस्म जब तक लाल न हो तब तक उसे मजा नहीं आता।


मेरी लाल गांड की फोटो खींच उसने पीटर को भेज दी।


फिर उसने उसकी उभरी गांड पर चुम्बन भी दिए और बोला- इस गांड के जाने कितने दीवाने होंगे, पर ये मेरी है।


मैंने तुरंत हिचकते हुए कहा- मैंने और पीटर ने एक वादा किया है एक दूसरे से … कि वो मेरी गांड की सील सुहागरात वाले रात तोड़ेगा, शादी की पहली रात!

उत्तेजित भाव में बात करना मना है, मैं भूल गई थी.

सलीम ने तुरंत मेरे बालों से मुझे खींचा और चेहरे पर चार चमाट जड़ दिए।


जब सलीम ने मुझे खींचा तो देखा कि चूचे लाल नहीं रहे, अब पिछली चुसाई का असर खत्म हो चला है, तो उसने चार चमाट चूचों पर भी जड़ दिए।


तमाचों से चूचे कहां इतने लाल होने वाले थे, उसने मुझे बालों से खींच के सोफ़ा पे सीधा लेटा दिया और मुझ पे चढ़ गया, अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियां दबोच कर वो मेरी चूचियां चूसने खसोटने लगा, अपने दांतों के निशान बनाने लगा।


कुछ देर में ही मेरी चूचियां लाल नीली हो गई.


उसने उनकी फोटो भी खींच के पीटर को भेज दी।


पीटर का निर्देश था कि मुझे नशे में धुत्त करना है इसलिए सलीम बीयर की बोतल लाया था, उसने मुझे वो पिलाई.


सलीम का लोड़ा फिर से खड़ा होने लगा क्योंकि वो अब तक सिर्फ एक बार झड़ा था.

उसे निर्देश थे कि वो सिर्फ तीन बार ही झड़ सकता है इन दो दिन में।

और उसे अपना सारा ध्यान मुझे झड़वाने पे लगाना है।


सलीम ने बीयर की खाली बोतल का मुहाना मेरी चूत में डाल दिया और उसे डिल्डो की तरह अंदर बाहर करने लगा।


उसने मेरी गांड में उंगली घुसा दी.


उसे निर्देश थे कि वो मेरी गांड नहीं मार सकता क्योंकि वो सिर्फ और सिर्फ पीटर ही मार सकता है।


चूत में बोतल घुसा के उसने फिर तस्वीर ली और पीटर को भेज दी।


उस बीयर की बोतल ने मुझे 2 बार झाड़ा.

सलीम और किसी के भी लंड से ज्यादा मजा मुझे उस बीयर की बोतल ने दिया.

मेरा बस चलता तो मर्द की जगह हमेशा के लिए मैं बीयर की बोतल को अपना आशिक बना लेती।


खैर, वो तो सिर्फ पहला दिन था, रात भर सलीम ने मेरी चूत चोदी और रात के 3 बजे वो मेरी चूत में कंडोम के साथ झड़ गया।

मैं पहले दिन की चुदाई से उबर नहीं पाई थी कि दूसरा दिन मेरे सामने था.


सुबह छः बजे सलीम का लोड़ा फिर सलामी देने लगा.


मैं पिछले दिन की थकी हारी, पूरा दिन और रात 3 बजे तक चुदी, नींद में थी।


सलीम में नींद में मेरी टांगें चौड़ी की और मिशनरी आसन में मुझ पर चढ़ गया और चोदने लगा।

वो मेरा नंगा कामुक जिस्म देखकर भूल गया कि मुझे सिर्फ कुतिया बना के चोदना है।


उसने मालिक की इच्छा को दरकिनार किया और मेरे चूचे दबोच के मुझे जबर्दस्त धक्कों के साथ फचक फच्च फाचक फच की गीली आवाज़ों के साथ चोदम चुदाई करने लगा।

उसका वजन इतना नहीं था कि मैं उसे धकेल ना सकूं … पर मेरा थका जिस्म मेरा साथ नहीं दे रहा था।


सलीम पीटर की इच्छा के विरुद्ध मुझे बहुत देर तक चोदता रहा.

जब वो झंडने को था तो उसने अपना लोड़ा बाहर निकाल लिया.

शायद उसे याद आ गया था कि उसे सिर्फ तीन बार झड़ने की इजाजत है।


लोड़ा बाहर निकाल वो मुझपर लेट गया, उसका खड़ा लंड अब भी मेरी गीली चूत पे आसपास झूल रहा था, कभी भी अंदर घुस सकता था।


उसने मुझे एक बेहद लंबा चुम्बन दिया जो काफी देर तक चला.

और फिर चूमते चूमते उसने धक्का मरा और लोड़ा फिर अंदर चला गया।


दीवार पे लगी घड़ी में, सुबह के साढ़े आठ बज रहे थे और ये भूखा सांड मेरी चूत में था.

मैं भी तब तक मूड में आ चुकी थी।


मुझे सलीम से बचने का एक बढ़िया मौका नजर आया।


अगर मैं सलीम को झाड़ दूं तो वो पूरा दिन कुछ नहीं कर पायेगा और मेरी जान छूट जायेगी.

सोचते हुए मैंने सलीम की गांड पकड़ ली और नीचे से धक्के देते हुए सलीम की गांड को अपनी ओर खींच कर एक लय में चुदने लगी.


सलीम और मैं जिस्मानी रिश्तों के बंधनों से दूर, एक दूसरे में समाए हुए दो घंटे से चोदे जा रहे हैं एक दूसरे को!


तब तक मैं नहीं जानती थी कि सलीम का अपने वीर्य पर कितना कंट्रोल है. मैं सोचती थी कि लड़की चाहे तो किसी भी मर्द का पानी निकाल दे.

सलीम के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ।


सुबह के साढ़े नौ बज गए चुदाई चुदाई में, पर सलीम अभी भी लगा हुआ था और झड़ने की कोई संभावना नहीं थी।


थक हारकर मैं सलीम को बोली- थोड़ा ब्रेक ले लें, भूख लग रही है।


हमने कपड़े पहने और खाने होटल के रेस्तराँ में चले गए.

मेरी हालत बहुत खराब थी, नाश्ते के साथ पीटर का फोन भी आ गया।


“कैसी चुदाई चल रही है मेरी रांड की?” पीटर ने अंग्रेजी में पूछा.

सलीम बोला- हम अभी 3 घंटे चुदाई करके नाश्ता करने आए हैं मालिक! आपकी इच्छा अनुसार इसकी नींद में चुदाई की सुबह सुबह!


यह सुन पीटर हंसने लगा और बोला- ये खड़ी होने लायक नहीं रहनी चाहिए आज शाम तक! इसकी उतनी चुदाई करो!

“जी मालिक!” बोलकर सलीम ने फोन रख दिया।


पीटर ने मुझसे बात तक नहीं की, पूछा तक नहीं कि मैं कैसी हूं, क्या कोई प्यार करने का दावा करने वाला ऐसा कर सकता है?

मेरे मन में कई तरह के सवाल उठने लगे।


खैर आज दूसरा और आखिरी दिन था, इसके बाद मैं कभी सलीम से नहीं मिलने वाली थी,.


ये मैंने कल ही तय कर लिया था, ऐसे जानवर और राक्षस के साथ कौन सेक्स करेगा।

सलीम ने इशारों में कहा- जल्दी खाना खत्म करो, मेरा लोड़ा अब भी खड़ा है और मुझे कहा गया है कि खड़ा लोड़ा औरत के अंदर हो तो ज्यादा बेहतर रहता है।


मैंने जल्दी खाना खाया और हम वापिस कमरे में आ गए.

चादर मेरे चूत के पानी से अब भी गीली थी.


सलीम ने कहा- देखा मेरा सुबह का कमाल, चादर भी शर्मा गई तुम्हारी जबरदस्त चुदाई देख के!

ये कह कर उसने मेरी गांड पकड़ के मुझे अपनी ओर खींचा और पीटर ने जो स्कर्ट और टी शर्ट दी थी, वो फाड़ डाली।


सलीम बोला- तुम्हें कपड़े पहनने की इजाजत नहीं है. और अब अगर तुमने सुबह तक कपड़े पहने तो सभी का यही हाल होगा।


सलीम ने कहा- मुझे तुम्हारी गांड मारने को मना किया गया है पर उसमें बोतल डालने को नहीं. चल छिनाल कुतिया बन!

उसने गुस्से से कहा.


मैं रोने लगी, मुझे डर लग रहा था.

उसने मुझे प्यार से चुप कराया और बोला- बस तुम्हें डरा रहा था जानेमन. कुतिया बन पीटर को वीडियो भेजनी है हमारी जबरदस्त चुदाई की!


मैंने हिम्मत की ओर जमीन पर कुतिया बन गई.

उसने आव देखा न ताव … मेरी गांड में बोतल घुसा दी.


मैं दर्द से चीख उठी, उसने मेरी चीख अपने हाथों से दबा दी।


कुछ देर बाद मुझे गांड में बोतल लेते हुए मजा आने लगा.

अब सलीम ने मेरी चूत में अपना लोड़ा डाल दिया और मुझे दोनों छेदों में एक साथ चोदने लगा।


मैं कराह भी रही थी और मजे भी ले रही थी.

अजीब सा था वो सब … कुछ देर बाद जब सलीम झड़ने को हुआ तो उसने लोड़ा वापिस बाहर निकाल लिया, वो झड़ना नहीं चाहता था।


वो मेरी गांड बोतल से मारता रहा, वो चाहता था कि मैं गर्म रहूं. वो मेरी क्लिट सहलाने लगा और देखते ही देखते मैं ऐसा झड़ी कि मेरे रस की फुहार मेरी जांघों से बहने लगी।


ये देख सलीम को अहसास हुआ कि मैं स्क्विर्ट squirt करती हूं, और कल से लेकर आज तक, वो अब तक जान नहीं पाया था।

उसने मेरी चूत तो नहीं चाटी पर मेरी गीली जांघों से गिरते रस को सूंघते हुए एक तस्वीर जरूर ली।


अब सलीम का बदन भी चोदते चोदते थकने लगा था।

वो थोड़ी देर सोना चाहता था ताकि रात भर मुझे चोद सके।


उसके नींद में होने के कारण मुझे एक तरकीब सूझी, क्यों ना मैं इसका लोड़ा चूस चूस के झाड़ दूं।

यह सोचते ही मैंने सलीम का लोड़ा अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।


उसका लोड़ा धीरे धीरे मेरे मुंह में बड़ा होने लगा, वो अभी भी गहरी नींद में सोया था।

मैंने उसके लोड़े को चूसना जारी रखा, कभी मैं उसके लोड़े के टोपे पर अपनी जीभ फिराती, कभी उसकी लंबाई अपने गालों के बीच समेट कर लोलीपॉप को तरह चूसती।


उसकी लुल्ली का लोड़ा बनते देख मुझे भी अपने आप पर गर्व होने लगा कि मैं जिसका चाहे उस भोसड़ी के का लोड़ा खड़ा कर चुद सकती हूं!


मैंने सोचा कि क्यों न लोड़ा गले तक ले जाकर निकाला जाए, उससे मर्दों को काफी मज़ा आता है.


और मुझे सलीम को मज़ा ही तो दिलाना था ताकि वो जल्द से जल्द झड़ जाए।

पर मेरी फूटी किस्मत … गले तक डालते ही उसकी नींद टूट गई.


उसने मेरे सिर पे हाथ रखा और पूरा अपने लंड पे दबा दिया।


मेरी सांसें रुकने को ही थी कि उसने मेरे बाल खींच के मेरा सिर ऊपर उठाया- बहन की लोड़ी, मुझे झाड़ने की हिम्मत नहीं है तुझमें! बहुत रंडियां चोदी है तेरे जैसी! रोज टांगें खोल के पड़ी रहती हैं मेरे सामने! थूकता भी नहीं मैं उन पर! पर तेरी किस्मत अच्छी है जो तू दो दिन के लिए मेरी है. मैं अगर पीटर होता तो तेरे एक रात के पांच लाख मांगता. पर उसने तुझे मुझे मुफ्त में दे दिया. वो नहीं जानता वो क्या खो रहा है. तुझ जैसा गर्म माल उसे अपने देश में भी नहीं मिलेगा. और तू तो अपनी गांड भी उससे मरवाना चाहती है, बहुत किस्मत वाला है साला!


यह बोल के उसने मेरे मुंह पे दो तीन चमाट जड़ दिए और मुझे पागलों की तरह चूमने लगा; मेरे निपल्लों को खींचकर मरोड़ने लगा.

मुझे दर्द हो रहा था पर उसे मुझे दर्द देने में मजा आ रहा था।


मैने कुछ बोलने की हिम्मत नहीं की वरना मुझे और तमाचे मारता हरामी।

उसने मेरी दोनों टांगें बिस्तर के कोनों से बांध दी.


उस समय घड़ी में शाम के चार बज रहे थे, उसने कहा- अब तो तुझे मेरा लंड भी शांत नहीं कर पायेगा. तूने अंदर बीयर की बोतल जो ली थी, अब तो तुझे मेरा लोड़ा भी छोटा लगेगा।


यह बोलकर उसने अपना पूरा हाथ मेरी योनि में डाल दिया और फिस्टिंग करने लगा.

मुझे सच में बहुत मज़ा आ रहा था, इतने सालो के बाद मैं रज के चुद रही थी, जैसे मैं एक बाजारू, बिकाऊ औरत बन गई सलीम की।


काफी फिस्टिंग के बाद सलीम रुका और उसने 69 पोजीशन ली.

अब उसका लोड़ा मेरा मुंह चोदने लगा और वो मेरी चूत में बीयर की बोतल घुसाने लगा.


उसने मेरी चूत से बीयर की बोतल निकाल गांड में डाल दी और चूत पे तमाचे मारने लगा, बोला- तेरी चूत गुलाबी आज लाल होकर जायेगी।


मुझे याद भी नहीं उस रात उसने मेरी चूत में क्या क्या डाला … खीरा, शैंपू की बोतल, लौकी!


उसने कहा कि अगली बार वो मेरे लिए चार डिल्डो लायेगा, मेरे हर छेद में डिल्डो डालकर मुझे तड़पता हुआ देखेगा।


मैं चुद चुद के थक हार के जाने कब सोई मुझे नहीं पता!


पर वो सुबह मेरे उठने पर मैंने देखा कि वो मुझे चोद रहा था, मेरी चूत में लौकी और गांड में करेला था.

शायद वो इस दौरान झड़ चुका था, इसी कारण उसका लंड मेरे आसपास कहीं नहीं था.


मैंने मन ही मन कसम खाई कि ये पीटर के चक्कर में दोबारा नहीं पड़ूंगी, नहीं मिलता तो न मिले।


उस दिन मैं घर नहीं गई, मेरी चलने की हालत नहीं थी.

मैंने एक कमरा लिया और बेहोशों की तरह, गांजा फूंके नशेड़ी की तरह से गई.


अगले दिन दोपहर में मैं उठी, चेक आऊट किया और घर को लौट गई.

तीन दिन तक मैं घर पर बीमार रही, मेरी टांगों में बहुत ज्यादा खिंचाव आ चुका था, कमर में, गर्दन में दर्द, जबड़ा भी चूस चूस के दर्द कर रहा था, खाना भी नहीं खाया जा रहा था.


वो सलीम नहीं जानवर था, भगवान किसी को ऐसा BDSM लॉन्ग सेक्स का आदमखोर न बनाए!


आप भी ये सब पढ़ कर सोच रहे होंगे कि अब शायद हमारी चिट्ठी से हमारी किस्मत खुल जाए, शायद हमें भी इस काम की देवी के दर्शन हों और चोदने का मौका मिले!

कुछ कह नहीं सकते … आज भी मुझे कभी कभी बद से बदतर चुदने के खयाल आते हैं.

पर चौथे आशिक के कारनामों के कारण मैं अब ज्यादा रिस्क नहीं लेती।


मुझे किसी के साथ रात बिताए ढाई साल हो चुके हैं, और अब लोड़ा लेने का मन नहीं करता!


मैंने घर में तीन बीयर की खाली बोतल जो रखी हैं, उनसे काम बढ़िया चल रहा है, किसी नौसिखिए आशिक से तो ये बोतल बेहतर है, दिल तो नहीं तोड़ती!


अब इजाजत लेती हूँ अगली कहानी तक!

Desi Sex Stories आपको कुछ अलग तो जरूर लगी होगी. मैं हूँ ही ऐसी … कुछ अलग सी!


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