मेरे जेठ से मुझे मेरी सुहागरात पर चोदा और पति का धर्म निभाया - Free Sex Kahani
- Kamvasna
- Oct 30
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हेलो दोस्तों, मैं रौनक, मुरादाबाद की रहने वाली एक 24 साल की नई-नवेली दुल्हन, आपका स्वागत करती हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 4 इंच, गोरा रंग, लंबे घने बाल जो कमर तक लहराते हैं, और 36-28-36 का फिगर, जो हर मर्द की नजर को अपनी ओर खींच लेता है। आज मैं आपको अपने जीवन की एक ऐसी गुप्त और मसालेदार घटना सुनाने जा रही हूँ, जिसने मेरी सुहागरात को यादगार बना दिया। मेरी शादी एक अच्छे और रईस घराने में हुई थी। मेरा पति, राहुल, 34 साल का, साधारण कद-काठी, गेहुंआ रंग, और शर्मीला स्वभाव। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी सुहागरात का असली हीरो कोई और होगा।
शादी के बाद पहली रात, मैंने अपने आपको पूरी तरह से तैयार किया। लाल जोड़े में सजी-धजी, मैंने धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारे और सिर्फ लाल रंग की ब्रा और पैंटी में अपने पति के सामने खड़ी हो गई। मेरी चिकनी गोरी त्वचा, मखमली जांघें, और भरे हुए 36 इंच के मम्मे किसी को भी पागल कर सकते थे। मैंने नजाकत भरे लहजे में राहुल से कहा, “जी, आज हमारी सुहागरात है, मेरे पास आइए, मुझे प्यार कीजिए।”
राहुल ने मेरी तरफ देखा और अचानक उनका चेहरा सफेद पड़ गया। वो बुदबुदाए, “वो… वो… मैंने आज तक किसी लड़की को नंगा नहीं देखा। मुझे डर लगता है।” उनकी आवाज में कंपकंपी थी, जैसे कोई बच्चा भूत से डर रहा हो। मैं हैरान रह गई और हंसते हुए बोली, “अरे जी, आप भी कैसी बात करते हैं! आजकल तो लड़के शादी से पहले ना जाने कितनी लड़कियों को चोद लेते हैं, और आप अपनी बीवी से डर रहे हैं? आइए ना, आज तो हमारी पहली रात है!”
मैंने अपनी नंगी बाहों से उन्हें पीछे से पकड़ लिया, मेरे मुलायम मम्मे उनकी पीठ से टकराए। लेकिन राहुल ने मुझे झटक दिया और बोले, “मुझसे दूर रहो, रौनक! मुझे जवान लड़कियों से डर लगता है!” ये कहते हुए वो कमरे से बाहर भाग गए और छत पर चले गए। मैं बिस्तर पर अकेली रह गई, मेरे सारे सपने चूर-चूर हो गए। मैंने कितने ख्वाब सजाए थे कि राहुल मुझे रात भर प्यार करेंगे, मेरी चूत को चोद-चोद कर मेरी जवानी का मजा लेंगे। लेकिन वो तो डरपोक निकले।
ऐसा ही हर रात होता रहा। जैसे ही मैं कपड़े उतारती, मेरी गुलाबी चूत और टाइट मम्मों को देखकर राहुल डर के मारे छत पर भाग जाते। एक महीना बीत गया, 30 दिन, और मेरे पति ने मुझे एक बार भी नहीं चोदा। मेरी चूत में आग लगी थी, जवानी की प्यास बुझाने वाला कोई नहीं था। मैं हर रात बिस्तर पर अकेली तड़पती, अपनी उंगलियों से चूत को सहलाती, लेकिन वो मजा कहाँ जो लंड से मिलता।
एक रात, 12 बजे, मैं अपने कमरे में लाइट जलाकर रो रही थी। आंसुओं से मेरा तकिया भीग चुका था। तभी मेरे जेठ, सूरज, जो 40 साल के थे, लंबे-चौड़े, गठीले बदन वाले, और आँखों में एक चालाक चमक लिए हुए, मेरे दरवाजे पर आए। उनकी आवाज गहरी थी, “रौनक, क्या हुआ? क्यों रो रही हो? राहुल ने कुछ कहा या किया?”
मैंने रोते-रोते अपनी सारी व्यथा सुना दी, “जेठ जी, यही दुख है कि राहुल रात में कुछ करते ही नहीं। एक महीना हो गया, इन्होंने मुझे एक बार भी नहीं चोदा। हर औरत चाहती है कि उसका पति उसे सुहागरात पर जी भर के प्यार करे, उसकी चूत को चोदे, लेकिन ये तो मुझे नंगी देखकर डर जाते हैं और छत पर भाग जाते हैं।”
जेठ जी ने गंभीरता से सुना और बोले, “क्या राहुल को तुम पसंद नहीं? आखिर दिक्कत क्या है?” मैंने सारी बात बताई, “जैसे ही मैं ब्रा-पैंटी उतारती हूँ, ये कहते हैं कि इन्हें नंगी लड़कियों से डर लगता है। फिर भाग जाते हैं।”
अगले दिन जेठ जी राहुल को डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने बताया कि राहुल को जेनोफोबिया है, यानी सेक्स का डर। बचपन में अगर राहुल ने किसी लड़की के साथ चुदाई की होती, तो शायद ये डर ना होता। लेकिन 34 साल तक कुंवारा रहने की वजह से उनका दिमाग सेक्स से डरने लगा। डॉक्टर ने सुझाव दिया कि राहुल को तीन महीने के लिए एक सेंटर में भर्ती करना होगा, ताकि उनका डर दूर हो। मैं सुनकर टूट गई। अब मेरी चूत की आग कौन बुझाएगा? कौन मेरी गुलाबी फुद्दी में लंड डालेगा? राहुल को सेंटर में भर्ती कर दिया गया, और मैं घर में अकेली रह गई।
चार महीने बीत चुके थे, और मेरी जवानी अब भी अनचुदी थी। एक रात, गर्मी की वजह से मैं नहाने चली गई। मैंने बाथरूम की खिड़की खुली छोड़ दी थी, क्योंकि गर्मी असहनीय थी। मैं पूरी नंगी थी, शावर के नीचे खड़ी, ठंडा पानी मेरे गोरे जिस्म पर बह रहा था। मेरे लंबे बाल मेरी कमर तक चिपक रहे थे, मेरी चिकनी चूत और टाइट मम्मे साबुन की झाग से ढके थे। मैं अपनी चूत को साबुन से रगड़ रही थी, मेरी उंगलियाँ मेरी फुद्दी की दरारों में घूम रही थीं। मुझे नहीं पता था कि जेठ जी मेरे कमरे में आ चुके थे।
“रौनक, कहाँ हो?” उनकी आवाज गूँजी, लेकिन मैं शावर की आवाज में सुन नहीं पाई। वो धीरे-धीरे बाथरूम की ओर बढ़े। खिड़की से वो मुझे नहाते हुए देख रहे थे। मेरी गोरी जांघें, मेरी चमकती चूत, और मेरे भरे हुए मम्मे उनके सामने थे। वो चुपके से मुझे ताड़ रहे थे, उनकी आँखों में वासना की चमक थी। मैंने साबुन से अपनी चूत को अच्छे से रगड़ा, फिर तौलिए से अपने जिस्म को पोंछा। मेरी चूत अब साफ और चमकदार थी, जैसे कोई कोहिनूर हीरा। मैं बाथरूम से बाहर निकली, बिना कपड़ों के, और अचानक जेठ जी से टकरा गई।
मेरा पैर गीला था, मैं फिसलने लगी। जेठ जी ने तुरंत मुझे अपनी मजबूत बाहों में थाम लिया। मेरे नंगे जिस्म से साबुन की मादक खुशबू आ रही थी। कुछ पल हम दोनों यूँ ही खड़े रहे, मेरे मम्मे उनकी छाती से चिपके थे। अचानक जेठ जी ने मुझे कसकर बाहों में भर लिया और मेरे गालों, गर्दन, और कंधों पर चूमने लगे। मुझे अजीब सा सुकून मिला, मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी। मैंने उन्हें नहीं रोका।
जेठ जी ने मेरे मम्मों को धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पलों पर गोल-गोल घूम रही थीं। “आह… जेठ जी…” मैं सिसकारी। वो मेरे मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगे, जैसे कोई पके आम निचोड़ रहा हो। “उई माँ… आह… जेठ जी, धीरे…” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में मस्ती थी। जेठ जी के हाथ अब मेरी चिकनी कमर पर फिसलने लगे, फिर मेरी जांघों पर। वो मेरी चूत को हल्के-हल्के सहला रहे थे, मेरी फुद्दी गीली होने लगी।
“जेठ जी, आपकी बहू कब से अनचुदी है। आज मेरी चूत की प्यास बुझा दो, मुझे चोद दो!” मैंने उनसे कहा, मेरी आवाज में वासना और बेकरारी थी। जेठ जी ने मुझे गोद में उठाया और बेडरूम में ले गए। उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और अपने कपड़े उतार फेंके। उनका 10 इंच का मोटा लंड मेरे सामने था, जैसे कोई लोहे का डंडा। मैं उसे देखकर डर गई, लेकिन मेरी चूत में आग लगी थी।
जेठ जी मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरे मम्मों को चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे निप्पलों पर गोल-गोल घूम रही थी। “आह… उई माँ… जेठ जी, कितना अच्छा लग रहा है…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। वो मेरे एक मम्मे को चूस रहे थे, और दूसरे को जोर-जोर से दबा रहे थे। फिर उन्होंने अपना लंड मेरे मम्मों के बीच रखा और मेरे मम्मों को चोदने लगे। “आह… आह… जेठ जी, और जोर से…” मैं चिल्लाई। उनका लंड मेरे मम्मों के बीच फिसल रहा था, और मेरी चूत गीली होकर टपक रही थी।
कुछ देर बाद जेठ जी ने मेरे मम्मों को छोड़ा और मेरे होंठों को चूमने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं भी उनके होंठों को चूस रही थी। फिर वो नीचे आए और मेरी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगे। मेरी चूत अभी भी साबुन की खुशबू से महक रही थी। “आह… जेठ जी, मेरी चूत को चाट लो… आह…” मैं चिल्लाई। उनकी जीभ मेरी चूत की दरारों में घूम रही थी, जैसे कोई पेंटर ब्रश चला रहा हो। मेरी चूत का रस उनके मुँह में जा रहा था, और वो उसे चटकारे लेकर पी रहे थे।
“जेठ जी, अब बर्दाश्त नहीं होता, अपना लंड डाल दो मेरी चूत में!” मैंने चिल्लाकर कहा। जेठ जी ने मेरी चूत को अपने अंगूठों से खोला और देखा, “रौनक, तुम तो कुंवारी हो! क्या शादी से पहले किसी ने तुम्हारी चूत नहीं मारी?” मैंने शरमाते हुए कहा, “जेठ जी, मेरी किस्मत में शायद आपका लंड ही लिखा था। अब मेरी चूत की सील तोड़ दो!”
जेठ जी ने अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह… माँ… दर्द हो रहा है!” मैं चिल्लाई। उनका लंड मेरी कुंवारी चूत की सील तोड़ता हुआ अंदर घुस गया। खून की कुछ बूँदें बिस्तर पर गिरीं। जेठ जी ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “आह… उई… जेठ जी, धीरे… आह…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। लेकिन दर्द धीरे-धीरे मजे में बदलने लगा। जेठ जी ने अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू किया, उनका लंड मेरी चूत की गहराइयों को नाप रहा था। “हच्च… हच्च… चोद डालो अपनी रंडी को!” मैं चिल्लाई।
जेठ जी ने मुझे कसकर पकड़ लिया और मुझे कुत्तिया की तरह घुमा दिया। अब मैं घोड़ी बन गई थी, मेरी गांड ऊपर थी, और जेठ जी ने पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया। “आह… आह… जेठ जी, और जोर से चोदो!” मैं चिल्ला रही थी। उनका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और बिस्तर चूं-चूं की आवाज कर रहा था। मेरी चूत का रस टपक रहा था, और जेठ जी के धक्कों से मेरा पूरा जिस्म हिल रहा था।
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे सीधा किया और मेरी टांगें अपने कंधों पर रखीं। अब वो मुझे मिशनरी स्टाइल में चोद रहे थे। उनका लंड मेरी चूत की गहराइयों में जा रहा था, और मैं “आह… उई… माँ… चोद डालो!” चिल्ला रही थी। जेठ जी के हर धक्के के साथ मेरे मम्मे उछल रहे थे। वो मेरे निप्पलों को चूसते हुए मुझे पेल रहे थे।
आधे घंटे की चुदाई के बाद जेठ जी ने अपनी पिचकारी मेरी चूत में छोड़ दी। “आह… जेठ जी, कितना गर्म है आपका माल!” मैंने सिसकारी। हम दोनों पसीने से तर-बतर थे। मैंने जेठ जी को कसकर गले लगाया और उनके होंठ चूसने लगी। उस रात उन्होंने मुझे सुबह 6 बजे तक छह बार चोदा। हर बार एक नई पोजीशन में – कभी घोड़ी बनाकर, कभी मेरी टांगें उठाकर, कभी मेरे मम्मों को चोदकर।
अब राहुल का इलाज पूरा हो चुका है। वो अब मुझे रात में चोदते हैं, लेकिन मेरी चूत को जेठ जी के लंड की आदत पड़ चुकी है। मैं छुप-छुपकर जेठ जी से चुदवाती हूँ। दोस्तों, आपको मेरी ये Free Sex Kahani कैसी लगी? अपनी राय जरूर बताएँ।

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