दोस्तो, मेरा नाम सुमित है और मैं 19 वर्ष का हूं।मैं इंदौर के ही पास के गांव का रहने वाला हूं।मेरे घर में मेरी 40 वर्षीया मां है जिनका नाम सरोज है। मेरे पिताजी 44 वर्षीय हैं और खेती करते हैं।एक छोटी बहन है जो 12वीं कक्षा में प्रवेश कर चुकी है।
मैं इंदौर के एक कॉलेज में इंजीनियरिंग का पहले वर्ष का छात्र हूं।
मैंने कामवासना पर कहानियां पढ़ना शुरू किया और इसका रिश्तों में चुदाई वाला शीर्षक मुझे शुरू से ही आकर्षित करने लगा था।उसमें भी खास तौर से जो मां बेटे की चुदाई कहानियां होती थी, वे मुझे भीतर तक झकझोर देती थी।
पहले तो मुझे ये सब कल्पना की उपज भर लगता था।परंतु जब मैंने कहानी पढ़ते हुए अपनी मां को याद करते हुए हिलाया तो लंड का पानी बहने से पहले मुझे जो सुख मिला, उसको मैं शब्दों में नहीं बता सकता।
वहीं दूसरी ओर जैसे ही पानी की आखिरी बूंद ने लंड को छोड़ा, मैं खुद को बहुत बुरा मानने लगा और आगे से कभी अपनी मां की याद में मुठ न मारने का प्रण करते हुए सो गया।
अगला दिन कॉलेज की भागदौड़ में रोज की तरह बीता और रात का खाना खाने के बाद जब बिस्तर पर सोने आया तो मेरे हाथ में फोन था और दिमाग में मां बेटे की चुदाई कहानी।
ना चाहते हुए भी मैंने कहानी खोली और पढ़नी शुरू की।कहानी के शुरू से ही मेरा हाथ लंड पर था और दिमाग में मां का साड़ी में ढका अधनंगा छरहरा गदराया बदन!मैं आधी भी कहानी नहीं पढ़ पाया था कि अपनी मां को चोदने के ख्याल बुनते बुनते मैं कहीं खो गया और अपनी ही मां चोदने के तरीके खोजते खोजते मैं बह गया।
बुरा मुझे आज भी लग रहा था पर कल जितना नहीं।आज भी मैं यही सोच कर सो गया कि कल से ऐसा कुछ नहीं करूंगा।
अगले दिन मां चुदाई के बारे में जब मैंने सोशल साइट पर खोजबीन की तो मुझे कई आईडी मिल गई।
मैंने अपनी एक फेक आईडी बनाई और उन सब आईडी से जुड़ने लगा।
कॉलेज में शनिवार और रविवार की छुट्टी होती थी।शनिवार का पूरा दिन एक एक कर सबसे बात करने में निकल गया।कोई अपनी बहन चोदने का दावा कर रहा था तो कोई अपनी मां चोदने का!
और कोई मौसी चोद बना हुआ था तो कोई अपनी बहन की बुर में लंड पेलने वाला।पर सच कहूं तो इनमें से सच्चा मुझे कोई नहीं लग रहा था।
भले ही वे सब मनगढ़ंत कहानियां सुना रहे थे कि कैसे उन्होंने अपनी बहन, मां, मौसी को चोदने के लिए पटाया.पर उनकी इन कहानियों से मेरे मन में कहीं न कहीं यह चल रहा था कि ऐसा करके मैं भी अपनी मां को पटा लूंगा।
पूरे दिन मां बहन की चुदाई की बातें करते करते मैं तीन बार झड़ा.पर यकीन मानिए अब मुझे मां की याद में झड़ने में बुरा नहीं लग रहा था बल्कि जो मजा अब झड़ने में आ रहा था, वो पहले नहीं आता था।
शायद इसका कारण यह था कि बहुतों ने बात करते हुए कहा- चूत का काम है चुदना और लंड का काम है चोदना।
जब चुदने को भोसड़ा राजी।तो क्या मम्मी क्या चाची।
रात को ऐसे ही जब मैं एक लड़के से बात कर रहा था तो उसने मुझे कहा- अगर मेरी मां की चुदाई देखनी है तो जल्दी वीडियो कॉल करो. और आवाज मत करना।
मैंने तुरंत अंधेरे में पीछे का कैमरा ऑन करके वीडियो कॉल किया और जो पहला नजारा मैंने देखा मैं दंग रह गया।
एक अधेड़ उम्र की औरत जिसकी गांड की साइज 40/42 से कम नहीं थी, घोड़ी बनी हुई थी उसके पीछे से एक दुबला पतला सा लड़का झटके मारे जा रहा था।लाइव वीडियो सेक्स ऑनलाइन में आवाज दोनों तरफ से बंद थी तो कोई आवाज नहीं सुनाई दे रही थी।
करीब 5 मिनट तक वो लड़का ऐसे ही हाथ में फोन लिए धक्के मारता रहा और अंत में झड़कर चूत में गिरा पानी दिखाकर लाइव वीडियो काल कट कर दिया।
इस पूरे लाइव वीडियो सेक्स ऑनलाइन में सिर्फ औरत की झटके खाती मोटी गांड और लड़के की पतली सी कमर के नीचे का हिस्सा दिखाई दे रहा था।उनकी चुदाई देखकर इधर मैं भी झड़ गया था।
थोड़ी देर बाद लड़के ने मुझे सोशल मीडिया पर ही ऑडियो कॉल किया।
उसने अपनी चुदाई के बारे में पूछा तो मैं निःशब्द रहा और मेरे मुंह से सिर्फ इतना निकला- किसे चोद रहा था भाई?वह बोला- अपनी मां चोद रहा था।
मुझे यकीन नहीं हुआ पर उन दोनों के बॉडी शेप देख कर साफ लग रहा कि वो औरत या तो उसकी मां थी या कोई मां की हमउम्र औरत!खैर मैंने उसकी बात मानते हुए आगे बात की तो पता चला कि वो 21 साल का है और 2 साल से अपनी मां चोद रहा है।
मैं ये सब बस उसका मन रखने के लिए मानता गया.पर सच कहूं तो मुझे एक प्रतिशत भी भरोसा नहीं था कि वो उसकी मां है।
जब मैंने उसे उसकी मां से बात करवाने को कहा तो यह बहाना बना कर उसने टाल दिया कि वो जाकर वापस पापा के साथ सो गई।
उसका इतना कहना काफी था जिससे मुझे पूरी तरह यकीन हो गया कि यह मुझे चूतिया बना रहा है।
दिनभर मैं चार बार लंड झाड़ने के बाद मैं थक भी गया था तो उसकी बात आधे में ही काट के मैं फोन का डाटा बंद करके सो गया।
सुबह के करीब 5:30 बजे जब मैं मूतने के लिए उठा तो एक बार फोन चेक करने के लिए मैंने डाटा ऑन किया और सोशल मीडिया खोला.तो उसी लड़के के मेसेज थे- तुम्हें यकीन नहीं हो रहा तो कल मैं अपनी मम्मी से बात करवाऊंगा तुम्हारी!
मैं मेसेज देख ही रहा था इतने में उसी आईडी से वीडियो कॉल आ गया.मैंने बैक कैमरा ऑन करके फोन उठाया और अपने इयरफोन लगा लिए।
वैसे तो हॉस्टल के कमरे में अकेला मैं ही रहता था पर सुबह के सन्नाटे में बाहर आवाज जाने के डर से इयरफोन लगा लेना ही मैंने उचित समझा।
वीडियो कॉल पर एक गदराई सी भरी पूरी औरत पार्क में टहल रही थी जिसके लगभग 36/38 के बूब्स ब्लाउज में और साड़ी से झांकता गदराया चिकना पेट दिख रहा था।साथ ही बगल में एक दुबला पतला सा लड़का साथ टहलता दिख रहा था।
“हैलो! कैसे हो बेटा?” उधर से एक अधेड़ औरत की आवाज आई।जवाब में मुझसे सिर्फ इतना निकला- ठीक हूं आंटी!
“रात को तुम ही देख रहे थे मुझे?” आंटी का अगला सवाल था।मैंने हां में जवाब देते हुए अपना सवाल दाग दिया- आंटी, ये सच में आपका रियल बेटा है?
वो पहले थोड़ी हंसी फिर थोड़ी फनी होकर बगल में चल रहे लड़के के कंधे पर हाथ रखते हुए धीरे से बोली- हां ये मेरा असली बेटा है, मादरचोद साला!जवाब देकर दोनों हंसने लगे।
इधर इतना सुनते ही मेरा पजामा तम्बू बन गया।दोनों के मुंह नहीं दिख रहे थे पर आंटी के बूब्स चलने के साथ बहुत हिल रहे थे।
फिर लाइव वीडियो कट हो गया और तुरंत ऑडियो कॉल आया।
शायद पार्क में घूमने वालों के कारण उन्होंने ऐसा किया था.इसलिए मैंने इस पर कोई सवाल नहीं किया।
उन्होंने मेरे बारे में पूछा तो मैंने सब सच बता दिया।कद 5 फीट 8 इंच, वजन 65 किलो, उम्र 19 वर्ष।बस मैंने उनको एक झूठ बताया कि मैं भोपाल से हूं।
उधर से आंटी ने अपने परिचय में बताया कि वे इंदौर के रहने वाले है।आंटी ने अपनी उम्र 45 वर्ष बताई और बेटे की 21 वर्ष बताई।
मुझे तो अभी तक इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि कोई मां अपने बेटे से चुदवा रही है और खुशी खुशी एक अनजान को सबकुछ बता रही है।
मेरे दिमाग में कोई सवाल नहीं आ रहा था, बस उनका रात का पल जिसमें उनका अपना बेटा उनको पीछे से धक्के मार रहा था, वही घूम रहा था।मैंने पूछा- आप अपने बेटे से कैसे चुद लेती हो?
पूछने को तो मैंने पूछ लिया … पर मुझे बाद में एहसास हुआ कि मेरा यह सवाल उनको गुस्सा दिलाएगा।
पर इसका बिल्कुल उलट हुआ.वो हंसते हुए बोली- जब मेरी चूत को बेटे के लंड से चुदने में ऐतराज नहीं है तो उसे भला मैं कौन होती हूँ रोकने वाली!
अगला सवाल मेरा था- आपको मुझे दिखाकर क्या मिला?तो उनका जवाब था- हमें अच्छा लगता है जब कोई हम मां बेटे की चुदाई देखता है।
ऐसे ही बात करते करते वो दोनों घर चले गए और उसके बाद फोन कट हुआ.फिर उनके बेटे की मेरे साथ चैटिंग पर बातचीत चलने लगी।अब मैं धीरे धीरे सब पूछने लगा।
उसने बताया कि घर में पापा है जो प्राइवेट कम्पनी में जॉब करते हैं. एक बड़ी बहन है जिसकी शादी हो गई, दादा दादी भी उन्हीं के साथ रहते हैं।वैसे तो दिन में वो दादा दादी के डर से चुदाई नहीं करते … पर कभी मौका मिल जाता है तो वह लड़का अपनी मम्मी का घाघरा उठा कर एक झटपट का दौर कर लेता है।
अकसर उनकी चुदाई रात में ही होती है जब दादा दादी और पापा तीनों सोए होते हैं।
मैंने जब उससे पूछा- मुझे अपनी चुदाई दिखाने का क्या मतलब था?तो विजय बोला- मुझे अपनी मां की चुदाई दिखाना पसंद है और अपनी मां को दूसरों से चुदते देखना पसंद है।
उसने मुझे यह भी बताया कि उसने कैसे अपनी मां को चोदने के लिए पटाया.पर मैं ये आपको अगली कहानी में बताऊंगा क्योंकि कहानी लंबी हो जायेगी।
साथ ही उसने अपने और अपनी मां के कई हैरतअंगेज किस्से सुनाए जिसमें उसने अपनी मां चुदवाई.वो भी मैं आपको आगे कभी बताऊंगा, फिलहाल इस कहानी पर आते हैं।
विजय से बात करते करते कब रात हो गई पता ही नहीं चला।मुझे अपना नाम उसने विजय ही बताया था और अपनी मां का नाम रितु।
रात के करीब 11:30 बजे विजय के कहे अनुसार उसकी मम्मी आई और उसने मुझे फिर से वीडियो कॉल किया।
आज उसने अपनी मम्मी को सीधा लेटाकर उसका घाघरा कमर तक उठा दिया और ब्लाउज के बटन खोल कर ब्रा हटा दी।उसकी मां का गोरा चिकना और गदराया बदन देखकर मैं दंग रह गया.
विजय बिना देरी के अपनी मां की चूत में लंड डाल कर धकियाने लगा।हर धक्के में उसकी मां के बूब्स लहरा रहे थे।
चुदाई पूरी होते ही उसने आज भी अपनी मां की चूत में अपने लंड से भरी मलाई दिखाई।उसके बाद वीडियो कॉल कट हो गया।
आज मैंने उसकी मां का चेहरा छोड़ कर पूरा बदन देखा।बहुत ही गदराया हुआ और एकदम चिकना।
अब हम दोनों में रोज बात होने लगी और उसकी मां से भी मेरी बात होने लगी।
15 दिन लगातार बात होने के बाद एक दिन विजय ने मुझसे मिलने का कहा।
इस बीच में मैं भी अपना चेहरा दिखाए बिना आंटी को कई बार अपना लंड हिला के दिखा चुका था।मैंने भी उन दोनों का चेहरा छोड़कर बाकी सब कुछ देख चुका था।
मिलने का सुनते ही मैं खुश हो गया, साथ ही थोड़ा डरा भी कि कहीं कुछ गड़बड़ निकला तो?
उनके हिसाब से तो मैं भोपाल में था।तो उन्होंने मुझे इंदौर बुलाया।
मैंने भी शुक्रवार शाम तक पहुंचने का बोल दिया।3 दिन बाद ही शुक्रवार था।
तय समय के अनुसार में तय जगह पर पहुंच गया और अपने साथ एक बैग भी ले लिया ताकि उनको लगे कि मैं बाहर से आया हूं।
यह एक रेस्टोरेंट था जहां हमें मिलना था।
मैंने चेहरे पर रूमाल बांधा हुआ था।
विजय ने जो लोकेशन शेयर की थी वहां पहुंचने के बाद मैंने उसको कॉल किया ताकि यह पता चल सके कि वो कौन सी टेबल पर है।
एक दुबला पतला सा लड़का जो करीब 55 किलो का होगा, हाथ हिलाता हुआ एक टेबल से बोला- सुमित, इधर आ जा!उसने आधी बाहों की टीशर्ट और जींस पहनी थी।उसके साथ एक औरत बैठी थी जिसका बदन वही था जिसे मैं 15/16 दिनों से वीडियो कॉल में चुदती देख रहा था।
मेरे पैर कांप रहे थे।विजय ने चेहरे पर कुछ नहीं लगाया हुआ था।
मैं धीरे धीरे टेबल की तरफ बढ़ा और उन दोनों के बीच रखी कुर्सी पर बैठ गया।
भले ही फोन पर हम तीनों कैसी भी बातें कर चुके थे पर हकीकत में मैं उनसे नजर भी नहीं मिला पा रहा था।
तभी आंटी ने मेरी जांघ पर हाथ रख कर कहा- कैसे हो बेटा?मैंने जवाब देते हुए कहा- ठीक हूँ आंटी!
उसके बाद बातें करते करते हम थोड़े खुल गए।
उन दोनों को बेनकाब देख कर मैंने भी रुमाल हटा लिया।मैंने कहा- धूप बहुत है, इसलिए लगाया था।
अब हम तीनों हंसी मजाक करने लगे साथ ही अपना ऑर्डर किया हुआ खाना खाने लगे।“तुम नहीं मान रहे थे ना कि हम मां बेटे हैं!” इतना कहते हुए आंटी मुझे विजय और अपनी बाकी फैमिली की फोटो दिखाने लगी।
वो इतना शायद इसलिए खुल गई थी कि वो जान चुकी थी कि मैं ऐसी वैसी कोई हरकत नहीं करने वाला जिससे उनकी प्राइवेसी में कोई दिक्कत हो।
यह हमारे पिछले 15/16 दिनों में हुई बातचीत का परिणाम था।
फिर आंटी ने अपने पर्स से अपना एक आईडी कार्ड निकाला जिसमें उनका परिचय वाइफ ऑफ अनिल लिखा था.साथ ही विजय के आईडी में लिखा था सन ऑफ अनिल।
मैं फोटो वगेरह देख कर कन्फर्म हो गया था कि ये असल में मां बेटे ही हैं।
उसके बाद आंटी बोली- आज रात तुम होटल में रुक जाना, कल सुबह जब इसके पापा काम पर जायेंगे तब हम दोनों आ जायेंगे।
फिर उन्होंने आगे का प्लान बताया- कल हम दोनों होटल आ जायेंगे क्योंकि इसके दादा दादी घर पर ही रहते हैं तो वहाँ मिलना बहुत ही मुश्किल है।
बीच में विजय बोल पड़ा- मम्मी अभी तो 5 ही बजे है। एक मूवी तो देख ही सकते हैं।
उसकी मां ने हां में हां मिलाते हुए कहा- चलो फिर जल्दी … देर किस बात की। इसी बहाने थोड़ी जान पहचान और बढ़ जाएगी।
आंटी ने रेस्टोरेंट का बिल चुकाया और हम निकल गए।
वे दोनों स्कूटी से आए थे।
क्योंकि आंटी ने साड़ी पहनी थी तो वे पीछे नहीं बैठ सकती थी, आंटी ने मेरा बैग आगे रखा और स्कूटी चलाने बैठ गई।विजय ने मुझे उनके पीछे बैठने को कहा तो मैंने विजय को ही उनके पीछे बैठने को कहा।तब आंटी ने कहा- यह तो कभी भी मेरे पीछे बैठ जाता है. बेटा आज तू बैठ जा!
उन्होंने आंख मार कर जब ये कहा तो मैं एक क्षण नहीं रुका और स्कूटी पर बिखरी उनकी मोटी गांड में अपना लंड धंसाते हुए बैठ गया।
मेरे पीछे विजय बैठ गया।विजय ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी मां की नंगी कमर पर रख दिया जिसका आंटी ने कोई विरोध नहीं किया।
देखने वालों को यही लग रहा था कि हम दोनों भाई है और रितु हमारी मां।क्योंकि मैं भी विजय का ही लगभग हमउम्र था, बस वजन उससे थोड़ा सा ज्यादा था।
पूरे रास्ते भर में आंटी का मोटा मखमली पेट अपने हाथों से मसलते आया और उनकी गहरी नाभि को अपनी उंगलियों से चोदता आया।पर अभी भी मेरे हाथ उनके पहाड़ पर नहीं लगे थे क्योंकि मैंने पहाड़ चढ़ने की कोशिश भी नहीं की थी।
उनकी गांड में धंसा मेरा लंड पहले मिनट में ही सांप की तरह फुंफकारने लगा था। जिसका अहसास उनको भी अपनी गांड पर अच्छी तरह से हो रहा था और वो भी अपनी गांड हिला डुला कर पूरा जवाब दे रही थी।
विजय मेरे पीछे शांत बैठा सब देख रहा था।
खैर 10 मिनट में हम थिएटर पहुंच गए।
जब पार्किंग में हम स्कूटी से उतरे तो मेरा लंड पैन्ट फाड़ने को उतारू था।
आंटी ने नजर भर देखा और हंस दी।मैंने जैसे तैसे काबू पाया और हम टिकट विंडो पर चले गए।
आंटी टिकट कटाने के लिए आगे बढ़ी तो मैंने उनको मना कर दिया और अपने पैसों से टिकट कटवाया।
टिकट लेकर हम तीनों अंदर घुस गए।
रितु आंटी अपने बेटे विजय और मेरे बीच में बैठ गई।अभी विज्ञापन ही चल रहे थे कि विजय ने अपनी मां के कंधे पर हाथ ऐसे रखा जैसे गर्लफ्रेंड के ऊपर रखते हैं।
उसके बाद मूवी शुरू हुई और थिएटर में अंधेरा हो गया।
अंधेरा होते ही आंटी का हाथ मेरी जांघ पर तैरने लगा।जांघ से उनके हाथ को मेरे खड़े लंड पर आने में 1 मिनट भी नहीं लगा।
उधर विजय अपनी मां के गले में हाथ डाल कर ब्लाउज के अंदर हाथ डालने लगा।मैंने भी हिम्मत करके अपना हाथ आंटी के गले में डाला।
मेरा हाथ विजय के हाथ के ऊपर से जाकर आंटी के उस बोबे को टटोलने लगा जो विजय की तरफ था।विजय के हाथ में आंटी का मेरी तरफ वाला बोबा था और मेरे हाथ में विजय की तरफ वाला बोबा था।
मैं ब्लाउज के ऊपर से ही बोबे को मसल रहा था और मुझे यह अहसास हो गया था कि ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं है।
आंटी का दायां हाथ अपने बेटे का लंड सहला रहा था और बायां हाथ मेरा लंड सहला रहा था।
पैन्ट का बटन खोल कर उन्होंने हाथ सीधे मेरी चड्डी में घुसाकर नंगा लंड अपनी मुट्ठी में भर लिया।मेरे बदन में सनसनी दौड़ गई।
मैंने अपने बैग को अपने ऊपर इस तरह रख लिया कि बगल वाले को कुछ दिखे नहीं।
थोड़ी देर मसलने के बाद आंटी ने हाथ बाहर निकाला और अपने ब्लाउज के सारे हुक खोल कर दोनों बोबे आजाद कर दिए और अपनी साड़ी से ढक लिए।उनका नंगा बोबा मेरे हाथ में था और मेरा नंगा लंड उनके हाथ में!
और यही काम वो अपने बेटे के साथ भी कर रही थी।
कभी मैं बायां बोबा, कभी कभी दायां बोबा, बारी बारी से दोनों बोबे मसल रहा था।हालांकि मेरे हाथ में दोनों में से कोई भी पूरा नहीं आ रहा था क्योंकि वो बड़े ही इतने थे।
दोनों बोबों से मुझे खेलता देख विजय ने अपना हाथ उसकी मां की साड़ी से होते हुए पेटीकोट के अंदर घुसा दिया।मैंने तो मखमली गद्देदार बोबों से खेलना जारी रखा।
आंटी ने टाँगें फैलाकर अपने बेटे का हाथ अंदर ले रखा था और दोनों पके आम मसलने के लिए मुझे सौंप रखे थे।
यह सारा खेल उनकी साड़ी की आड़ में हो रहा था शायद इसलिए किसी को पता नहीं था और पता भी था तो कोई हमें देख नहीं रहा था।
थोड़ी देर में विजय ने हाथ निकाला और अपनी मां के बोबों पर तैर रहे मेरे हाथ को इशारे से नीचे की ओर कर दिया।अब मैंने साड़ी से हाथ घुसाकर घाघरे में दे दिया।
घाघरे के अंदर बिना चड्डी के सीधा दोनों जाँघों की दरार में मेरा हाथ पहुंच गया जो एकदम गीली हो गई थी।
एक एक करके मैंने 4 उंगलियां उनकी चूत में ठूंस दी या यूं कहूं कि उनके भोसड़े में घुसेड़ दी … वो भी बिना किसी दिक्कत के!मैं उंगलियां आगे पीछे करने लगा और अंगूठे से दाना मसलने लगा।
इधर उनका भी हाथ लंड पर दबकर चलने लगा।कुछ ही देर में मेरा पूरा हाथ उनकी चूत के पानी में तर हो गया था और इधर मेरा बैग मेरे ही पानी से भीग गया था।
आंटी ने अपनी साड़ी के पल्लू से बड़ी ही होशियारी से मेरा लंड साफ किया और अपने ब्लाउज के हुक बंद कर लिए।विजय मुझसे पहले ही निढाल होकर बैठा बैठा चूचियां मसल रहा था।
आंटी ने घड़ी देखी और बीच मूवी में ही चलने का इशारा करते हुए हम दोनों को बाहर ले आई।
वापसी में मुझे थिएटर के पास ही के होटल में छोड़ते हुए वो दोनों कल मिलने के वादे के साथ चले गए।
हॉस्टल जाने के बजाए मैंने भी होटल में ही रुकना बेहतर समझा।
रात में मेरी विजय से कॉल पर बात होने लगी।जाते जाते विजय अपने नंबर मुझे देकर गया था।
मैंने उससे पहला ही सवाल ये पूछा- मेरा नंबर कौन सा है तुम्हारी मम्मी के साथ?तो उसने बताया कि इससे पहले भी उन्होंने मिलने की कोशिश की पर किसी ने उन पर यकीन नहीं किया कि हम असल मां बेटे है या फिर कोई उम्र में बहुत बड़ा था।
उसने यह भी बताया कि उसे अपनी मां चोदना और चुदवाना दोनों अच्छा लगता है।साथ ही उसकी मां को भी अपने बेटे से चुदना और उसके सामने दूसरों से चुदना अच्छा लगता है।
मैंने फिर उससे खुलकर वापस यही सवाल पूछा- तुम्हारी मां की चूत में जाने वाला मेरा कौन से नंबर का लंड होगा।तब विजय ने जवाब दिया- भाई तेरा लंड पांचवां लंड होगा जो मेरे सामने मेरी मां चोदेगा. वैसे मेरी मां चोदने वाला तेरा 8वां लंड होगा।
जिस तरह आज थिएटर में सब कुछ हुआ, उसके बाद ये सब सुनकर मैं ज्यादा हैरान नहीं हुआ।
अब उसकी मां की चुदाई के किस्से बाकी कहानियों में बताऊंगा।
उस रात भी विजय ने अपनी मां मुझे वीडियो कॉल पर दिखाकर चोदी।
आज उनकी चुदाई देखकर मुझे लग रहा था कि मैं असल मां बेटे की चुदाई देख रहा हूं।
खैर उस रात भी आंटी अपने बेटे के लंड का पानी अपनी चूत में लेकर चली गई।
अगली सुबह में 8 बजे उठा।
थोड़ी देर में विजय का फोन आया- हम आ रहे हैं।मैं बहुत उत्तेजित हुआ जा रहा था।
उनके आने से पहले ही मैं एक बार मुठ मार चुका था ताकि उनके सामने जल्दी न झड़ जाऊं।9 बजे तक वो दोनों होटल पहुंच गए और मुझे कमरा खाली करके आने को कहा।
उनके कहे अनुसार में कमरा खाली करके उनके पीछे स्कूटी पर बैठ गया।करीब आधे घंटे स्कूटी से चलने के बाद आंटी ने एक होटल के सामने स्कूटी रोकी।
स्कूटी रुकते ही मैंने भी अपनी उंगलियों से चल रही आंटी की नाभि की चुदाई रोक दी।
हम अंदर गए और दोनों मां बेटों ने आईडी देकर कमरा ले लिया।चूंकि मेरे पास आईडी थी नहीं तो उन्होंने मुझे अपना छोटा बेटा बताया।
कमरे में जाकर हम तीनों बिस्तर पर बैठ गए और विजय की मां को बीच में लेकर हम उसके गदराए बदन से खेलने लगे।
मैं आंटी के होठ चूमने लगा और विजय ने ब्लाउज खोलकर आंटी के बड़े बड़े थन आजाद कर दिए।विजय अपनी मां के थन चूसने लगा पर दूध पीने के लिए नहीं बल्कि अपनी मां की चूत पीने के लिए।
एक बोबा विजय चूस रहा था दूसरा मैं अपने हाथ से दबा रहा था; साथ ही मैं आंटी के होंठ चूम रहा था।
पहाड़ जैसी आंटी के ऊपर हम दो चींटियों जैसे रेंग रहे थे।आंटी का ब्लाउज और साड़ी पूरी तरह बदन छोड़ चुके थे, सिर्फ घाघरा लिपटे हुए उनकी गांड और भोसड़े को बचाए हुए था।
अब आंटी ने अपने बेटे और मुझे दोनों को पूरी तरह नंगा कर दिया।
एक हाथ में अपने बेटे विजय का लंड लिया और अपने मुंह से मेरा लंड लेकर चूसने लगी।विजय का लंड मेरे लंड से थोड़ा छोटा था।
कुछ देर मेरा लंड चूसने के बाद आंटी अपने बेटे का लंड चूसने लगी और मेरा मसलने लगी।इसी बीच विजय और मेरा हाथ उनके एक एक बोबे को पूरी तरह मसल रहा था।
दोनों को चूसने के बाद विजय ने अपनी मां को सीधा लेटाया और उनकी टाँगें फैला कर चूत में मुंह दे दिया।
बेटे से चूत चटाई करवाकर उसकी मां की सिसकारियां निकल रही थी।
मैंने उनकी छाती पर चढ़कर अपना लंड उनके मुंह में दे दिया।अब वो अपना भोसड़ा बेटे से चटवा रही थी और अपने मुंह से मेरा लंड चूस रही थी।
थोड़ी देर बाद विजय और मैंने स्थिति बदली।अब मेरे मुंह में विजय की मां की भोसड़ी थी जिस पर विजय के मुंह के पानी के साथ साथ उसकी मां की भोसड़ी से रिस रहा मादक पानी भी था।
उधर विजय की मां के मुंह को उसी के बेटे का लंड चोद रहा था।
चूसम-चुसाई से संतुष्ट होकर आंटी ने अब खेल दिखाने का इशारा किया।
विजय जाकर कुर्सी पर बैठ गया और उसकी मां उसके सामने टाँगें फैलाकर बिस्तर पर पसर गई।
आंटी ने विजय को देखते हुए मुझे अपनी चढ़ाई करने का इशारा किया।मैं अपना खड़ा लंड लिए उनकी चूत पर निशाना साधता हुआ उनके ऊपर चढ़ गया।
मेरे हाथ में उनके बोबे थे और मुंह में उनका मुंह … पर चूत में लंड का निशाना नहीं साध पाया था।
आंटी ने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को अपनी भोसड़ी के दरवाजे पर लगाते हुए उसके स्वागत में अपने कूल्हे उठाए और लंड का टोपा चूत में उतर गया।मैंने अपने कूल्हे झटकाते हुए एक ही झटके में आंड तक अपना लंड भोसड़े में उतार दिया।
आंटी सिसकारने लगी, दर्द से नहीं बल्कि मजे से!जिस चूत में लंड एक ही झटके में उतर जाए … उसमें भला कैसा दर्द!
फिर मैंने झटके लगाना शुरू किया।शुरू में आधा लंड बाहर खीच के झटके मारे … और जब भोसड़ा फैल के चौबारा हो गया तब लंड को टोपे तक बाहर निकाल कर पूरे लंबे लंबे झटके मारने लगा।
आंटी की सिसकारियां और लंड के धक्कों की थप थप पूरे कमरे में गूंज रही थी।
पीछे से विजय कुर्सी पर बैठा बैठा लंड मसलते हुए बोल रहा था- मेरी मां चोद दो … फाड़ दो इसका भोसड़ा … बहुत खुजाल है इसके भोसड़े में … पूरा फाड़ दो!
उसके ये शब्द मेरे अंदर ऊर्जा बढ़ा रहे थे और मेरे धक्कों की गति बढ़ती जा रही थी।
आखिरी धक्के में आंटी ने अपने दोनों हाथों से मुझे अपने ऊपर भींच लिया और जब तक मेरे लंड से आखिरी बूंद उनकी चूत में नहीं उतर गई, वे मुझे भींचे रही।
उसके बाद में हटकर उन्ही के बगल में लेट गया।
मैं हटा ही था और अभी आंटी की चूत से मेरा माल बाहर निकलना शुरू ही हुआ था कि विजय खड़ा लंड लेकर अपनी मां पर चढ़ गया और मेरे मुठ समेत अपना पूरा लंड अपनी मां की चूत में उतार दिया।
जिस बेटे को मैंने अब तक वीडियो कॉल में ही अपनी मां चोदते देखा था, उसे अपनी आंखों के सामने अपनी मां चोदते देखकर मुझे वापस खड़ा होने में देर न लगी।विजय ने अपनी मां की भोसड़ी में 8/10 धक्के ही मारे थे कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया; जिस पर आंटी के भोसड़े का पानी भी लगा हुआ था।
नीचे से उनका बेटा उनकी भोसड़ी ले रहा था मैंने उनके ऊपर चढ़कर उनके मुंह में लंड दे दिया।
अब विजय और मैं हाथ मिलाकर उसकी मां की भोसड़ी और मुंह दोनों चोदने लगे।
कुछ देर की चुदाई के बाद न तो विजय का लंड झड़ा … न ही मेरा … बस आंटी का भोसड़ा निरंतर बहता रहा।
अब विजय ने अपनी मां को बेड के किनारे पर लेकर घोड़ी बना दिया और खुद बेड के नीचे खडा हो गया।उसके बाद उसने अपनी मां की गांड के छेद पर थूक कर अपने लंड का टोपा उस पर टिका दिया।
विजय की मां समझ गई थी कि अब क्या होने वाला था।मैंने भी इसे अब तक चूत मारते ही देखा था।मैं भी खड़ा खड़ा उत्सुकता से देख रहा था।
इतने में विजय ने झटका मारा और लंड का टोपा गांड में उतार दिया।आंटी की थोड़ी दर्द भरी सिसकारी निकली।
उनकी सिसकारी पूरी भी नहीं हुई थी कि विजय ने पीछे लेकर लंड को और तेज अंदर घोंपा.अब आधे से ज्यादा लंड गांड के अंदर था।
आंटी की सिसकियां इस बार और तेज थी।
एक और झटके में पूरा लंड विजय ने अपनी मां की गांड में उतार दिया।
गांड में लंड देकर विजय अपनी मां को धकियाने लगा।
उसकी मां की सिसकारियां निकल रही थी और मैं खड़ा होकर एक बेटे को अपनी ही मां की गांड मारते देख रहा था।थोड़ी देर गांड मराने के बाद आंटी ने खुद को आगे खींच लिया और अपने बेटे का लंड गांड से निकाल दिया।
अब उन्होंने मुझे सीधा लेटने को कहा।
मैं लंड खड़ा किए सीधा लेट गया, वे अपनी चूत में मेरा लंड फंसाकर मेरे ऊपर चढ़ गई।उन्होंने अपना वजन अपने दोनों घुटनों पर दे रखा था जो मेरे दोनों ओर निकले हुए थे।साथ ही थोड़ा वजन अपने दोनों हाथों पर दे रखा था जो मेरे मुंह के दोनों तरफ टिकाए हुए थे।उनके झूलते बोबे मेरे मुंह पर लटक रहे थे।
विजय पीछे से आया और अपनी मां की गांड में लंड देकर झटकाने लगा।इधर आंटी विजय का झटका लेकर मेरे लंड को देती जिससे मेरा भी पूरा लंड उनकी चूत में घुस जाता और इन झटकों से मेरे मुंह पर लटके आम मेरे मुंह में आ जाते।
हर झटके में यही हो रहा था।विजय और मेरे लंड के बीच एक पतली सी दीवार महसूस हो रही थी, बाकी विजय का पूरा लंड मुझे अपने लंड से सटा हुआ महसूस हो रहा था।
बहुत देर तक ऐसे चोदने के बाद विजय अपनी मां की गांड में झड़ गया।झड़ने के बाद वो लंड निकाल के हट गया।
इधर मैं अभी भी आंटी को धक्के मार रहा था।उसकी मां की गांड से विजय का रस टपकता हुआ चूत में आता हुआ मुझे महसूस हो रहा था और मेरे लंड से लगकर विजय का रस उसकी मां की चूत में जा रहा था।
चूत से लंड निकाल कर मैंने भी आंटी की गांड में डाला।थोड़ा टाइट गया पर इतनी भी तकलीफ नहीं हुई क्योंकि चूत के साथ साथ उनकी गांड भी लगभग फटी ही हुई थी।
अंत में दूसरी बार की फुहार मैंने भी उनकी गांड में ही चलाई।
अब हम थोड़े थक गए थे.आंटी ने अपना पर्स खोला और वो जो घर से कुछ खाने का लाई थी वो हम तीनों खाने लगे और बातें करने लगे।
खाने के बाद हमने फिर से आंटी की लेनी शुरू कर दी.शाम के 6 बजे तक हम दोनों के लंड कभी उनकी गांड में, कभी चूत में तो कभी मुंह में जा रहे थे।
पोर्न मदर सेक्स में मैं 5 बार झड़ा और विजय 4 बार।6 बजे विजय अपनी मां चुदवाकर हंसता हुआ मुझसे विदा ले गया इस वादे के साथ कि आगे जरूर मिलेंगे।
पिछले 15/20 दिनों में मेरे साथ जो हुआ उस पर मुझे यकीन नहीं हो रहा था।एक बेटे को अपनी मां चोदते देखा, उसी के साथ मिलकर उसकी मां चोद दी।
होटल से निकल कर मैं अपने होस्टल आ गया।विजय और मैं अब अच्छे दोस्त बन गए।
मैं उसे अपनी मां के बारे में बताता और उससे अपनी मां चोदने के तरीके पूछता। आप मुजे कोई उपाय बताए जिससे में मेरी माँ भी छोड़ सकू। sureshsoniyaa@gmail.com
Desi Sex Story
jordar story bro