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मैंने बहन की चुत मारी और अनजान बुड्ढे ने उसकी गांड - Desi Kahani

मैं आपके लिए अपनी कहानी लेकर आया हूं और सीधे उसी पर चलते हैं।


यह Desi Kahani मेरी दीदी और मेरे बीच हुई चुदाई के बारे में है।

मेरी दीदी शिखा की फिगर ऐसी है कि उन्हें देखकर किसी मुर्दे का भी लण्ड खड़ा हो सकता है।


उनके बड़े-बड़े गोल-गोल 38 के रसीले दूध, बड़ी सी गान्ड और कमर ऐसी लचकदार की देखने वाला आदमी भी साथ में बल खा जाए।

कुल मिलाकर मेरी दीदी खूबसूरती की मूरत है।


वैसे मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपनी ही बहन की गांड चुदाई के बारे में कभी लिखूंगा।

मगर दोस्तो, आज के समय में हम लोग ऐसे युग में हैं जहां रिश्तों से ऊपर प्यार और सेक्स हो गया है।


आज के समय में किसी से भी प्यार हो सकता है और किसी के साथ भी चुदाई हो सकती है इसलिए रिश्तों में चुदाई का चलन अब आम बात हो गई है।


जिस दीदी से मैं बचपन से राखी बंधवाता था उनी को मैं चोदने के लिए तैयार हो गया।


बात 2 साल पहले की है जब वह किसी महिला स्व-सहायता समूह में जुड़ी थी और उसी काम से उनका शहर आना-जाना बढ़ गया था।


उस समय उनके हाव भाव बदले बदले देखकर मुझे कुछ गड़बड़ लगने लगी इसलिए मैंने उनकी जासूसी करने की सोची।


मैंने सबसे पहले तो उनके जियो फोन का ऐप अपने फोन में इंस्टॉल कर लिया।

उसमें पता चला कि उसमें दो ऐसे नम्बर हैं जिससे वो बहुत बात करती हैं और वो नम्बर हमारे परिवार में से किसी के नहीं थे।


फिर मैंने एक रोज रात में मौका देखकर उनके रूम में अपना फोन रिकॉर्डिंग पर लगाकर छोड़ दिया।

सुबह उठकर मैंने अपने फोन की सारी रीकॉर्डिंग को देखा तो मेरे होश उड़ गए।


दीदी नंगी होकर रात में किसी से बातें कर रही थी वीडियो में!


मैंने वीडियो में देखा कि वो पूरे जोश में अपनी चूत को सहला रही थी और अपने दूधों को दबा रही थी।

मुझे देखकर बहुत बुरा लगा कि दीदी कितनी गंदी है।

मैंने सोचा कि उनसे इस बारे में बात करनी होगी।


किसी तरह से मैंने हिम्मत की और तीन दिन के बाद मैंने उनसे इस बारे में बात की।


दीदी ने साफ मना कर दिया कि वो ऐसा कुछ नहीं करती।

जब मैंने उनको वो वीडियो दिखाया तो उनके होश उड़ गए।


उनसे कुछ बोलते न बना; वो मेरे सामने रोने लगी।


मैंने उनको चुप करवाया। मैं उनको समझाने लगा कि ये गलत है।


तब दीदी ने जो कहा, उसको सुनकर तो मेरा दिमाग ही घूम गया।


वो कहने लगी कि उनका चुदने का बहुत मन करता है और चुदास के कारण वो रातभर सो नहीं पाती हैं। अगर उनको किसी मर्द का लंड नहीं मिला तो वो मर ही जायेंगी।


फिर वो बोली- अगर तू चाहता है कि मैं ये सब काम न करूं तो मेरे लिए कुछ रास्ता बता। मैं बाहर तो किसी के साथ नहीं कर सकती। अगर तू चाहता है कि मैं घर में ही रहूं तो तेरा लंड चाहिए होगा मुझे!


मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था कि दीदी ये सब सच में बोल रही हैं।

जब उन्होंने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाया तो मेरे होश ठिकाने आए।


मैंने कहा- ये आप क्या बोल रही हो, हम दोनों भाई बहन हैं।

वो बोली- तभी तो बोल रही हूं। तेरा लंड मेरा अपना ही तो हुआ। भाई बहन हैं तो कहीं जाने की जरूरत नहीं, मुझे किसी और के सामने नंगी होने की जरूरत नहीं। अपनी चूत में उंगली करने की जरूरत नहीं।


उनकी बातें सुनकर धीरे धीरे मेरा लंड भी खड़ा होने लगा।

मैंने सोचा कि अगर ये बाहर चुदवाती है तो घर की कितनी बदनामी होगी और अगर मैंने किया तो घर की बात घर में रह जायेगी।


मैं बोला- कुछ गलत तो नहीं होगा न ये?

इतना कहते ही उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया और मेरे पास आकर मेरे होंठों को चूमने लगी।

मुझे कुछ पल अजीब लगा लेकिन वो मेरे लंड को सहलाती रही और मुझे अच्छा लगने लगा।


देखते ही देखते मेरा लौड़ा उनके हाथ में पूरा तन गया और हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर किस करने लगे।

अब मेरे हाथ खुद ही मेरी दीदी के चूचों पर पहुंच गए।

मैं दीदी के बूब्स दबाने लगा।


फिर तो धीरे धीरे मैं भी भूल गया कि ये मेरी बहन है और मैं भी उनका पूरा साथ देने लगा।


धीरे धीरे हम लोग नंगे हो गए।

मैं उनके गदराए शरीर को देखकर पागल सा होने लगा और उनके मस्त रसीले दूधों को बेतहाशा पीने और दबाने लगा।


वो भी मस्त होने लगी। मुझे लड़कियों का दूध पीना बहुत पसन्द है इसलिए मैं जोर जोर से उनकी चूचियों को पीता रहा। उनकी चूचियों को पीने में गजब का मजा आ रहा था मुझे!


वो अब सिसकारियां लेने लगी थी।


धीरे से मेरा हाथ उनकी चूत को सहलाने लगा और वो मेरे लण्ड को मसलने लगी।

मेरा लौड़ा तो उनके हाथ में जाकर जैसे ऐंठ गया था।


उन्होंने कहा- 69 में हो जाते हैं, बहुत मजा आएगा।

हम दोनों 69 पोजिशन में हो गए। अब मेरे मुंह के सामने उनकी चूत थी और उनके मुंह के सामने मेरा लंड था।


उनकी चूत की खुशबू इतनी मादक थी कि क्या बताऊँ … दोस्तो, मैं तो एकदम मस्त होकर अब अपनी बहन की चूत चाट रहा था और उधर वो मेरा लौड़ा इतने प्यार से चूस रही थी मानो कोई आइसक्रीम चाट रही हो।


दीदी की चूत पानी छोड़ रही थी जिसे मैं मज़े से पी रहा था।

क्या मस्त स्वाद था, नमकीन सा … कुछ खारा सा लेकिन मजेदार।

फिर मैं बोला- मेरा अब निकलने वाला है दीदी।


फिर भी वो मेरे लंड को लगातार चूसती रही। इतने में ही मेरा वीर्य दीदी के मुंह में ही निकल गया।


दीदी को मानो आज सेक्स का भूत सवार हो गया था।

वो सारा वीर्य गटक गई।


मैं अभी भी उनकी चूत को चाट रहा था।


मेरा वीर्य निकल गया था तो मुझे उतना मजा नहीं आ रहा था अब!


मगर दीदी ने अब मेरे मुंह को अपनी चूत पर दबा लिया और अपनी टांगों के बीच में मेरे सिर को दबा लिया।

मेरा दम सा घुटने लगा लेकिन मैं लगातार दीदी की चूत में जीभ को अंदर बाहर करता रहा।


वो बहुत जोर जोर से सिसकारने लगी थी।

अब वो हाथों से बार बार मेरे सिर को अपनी चूत में धकेलने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे मुंह से अपनी चूत को चोदना चाह रही हो।


करते करते उन्होंने फिर पूरा जोर लगाकर मेरे सिर को अपनी चूत में दबा दिया और उनकी चूत का गर्म गर्म पानी मेरे मुंह पर निकलने लगा। मेरा पूरा मुंह उनकी चूत के रस में सन गया।


उन्होंने एकदम से मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे पूरे चेहरे को चाटने लगी, मेरे होंठों को चूसने लगी।

चाट चाटकर उन्होंने मेरे चेहरे को साफ कर दिया।


मैं हैरान था कि दीदी के अंदर चुदाई की इतनी प्यास कैसे बन गई है।


अब हम दोनों झड़ गए थे तो दोनों कुछ देर के लिए शांत हो गए।

थोड़ी देर के बाद उन्होंने फिर से मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको हिलाने सहलाने लगी।


इधर मैं भी दीदी की चूत को छेड़ने लगा। मैं दीदी की चूत में उंगली करने लगा। उनकी चूत अंदर से पूरी गीली थी।


दस मिनट के अंदर मेरा लंड एक बार फिर से तन गया था।

वो बोली- अब मेरी प्यास बुझाओ।

मैंने कहा- ठीक है दीदी, तैयार हो जाओ।


उनको मैंने बेड पर लिटा लिया और उनकी टांगें खोल दीं।

मैंने दीदी की चूत पर लंड को सेट किया और धक्का देने लगा।

एक बार में ही दीदी की चूत में लंड अंदर सरक गया।


उनकी चूत पहले से ही इतनी चिकनी थी और फिर उंगली कर करके मैंने दीदी की चूत को फुला दिया था। उनकी चूत ने पक्क से मेरे लंड को निगल लिया।


मैंने फिर थोड़ा और जोर लगाया और धीरे धीरे धकेलते हुए पूरा लंड दीदी की चूत में उतार दिया।

उनका मुंह खुल गया और वो हवस भरी नजरों से मुझे देखने लगी।


वो सिसकारते हुए बोली- आह्ह … रॉकी … यही तो चाहिए था मुझे … इतने दिनों से इसी के लिए तो तड़प रही थी मैं … इसी की प्यास लगी थी। चोदो मुझे भैया … आह्ह चोदो।


दीदी की चूत की प्यास वाकई बहुत भड़की हुई थी।

मुझे भी उनकी चूत में लंड डालकर इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊं।


मैंने दीदी की चूत में हल्के हल्के धक्के देना शुरू कर दिया।


उन्होंने मुझे अपने ऊपर झुका लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी।

मैं भी दीदी की चूत की चुदाई करने लगा। बीच बीच में उनकी चूचियों को भी पी रहा था, कभी निप्पलों को काट लेता था।


अब मेरी स्पीड बढ़ने लगी थी।

दीदी भी मस्त होकर चुदवा रही थी।


फिर मैंने दीदी को घोड़ी बना लिया, पीछे से उनकी चूत में लंड डाल दिया और चोदने लगा।


चोदते हुए मेरा ध्यान दीदी की गांड के छेद पर गया।

मेरा मन दीदी की गांड में भी चोदने के लिए हुआ।

मैं बोला- दीदी, आपकी गांड चुदाई करनी है।

वो बोली- नहीं, वहां पर बहुत दर्द होगा।


मगर मैंने दीदी की चूत से लंड बाहर निकाल लिया और बोला- मुझे आपकी गांड भी चोदनी है, एक बार चोदने दो।

वो बोली- तू चूत चोद ले पहले, बाद में कर लेना।


मैंने सोचा कि दीदी बाद में गांड नहीं चुदवायेगी इसलिए मैंने उनसे जिद की और वो फिर आखिर में मान गई।

अपने लौड़े पर तेल लगाया मैंने और थोड़ा उनकी गान्ड में भी लगाया।


फिर मैंने थोड़ा सा लंड घुसाया तो दीदी को दर्द हुआ।

मगर मुझे और मज़ा आया।

मैंने और थोड़ा अंदर डाला तो दीदी चिल्लाने लगी।


मैं रुक गया और वैसे ही पड़ा रहा उनके ऊपर!

एक मिनट रुकने के बाद फिर थोड़ा और अंदर किया।


ऐसे करके धीरे धीरे मैं पूरा लंड बहन की गांड में घुसाकर अंदर बाहर करने लगा।


दीदी का दर्द भी धीरे धीरे कम होने लगा था। वो अब हल्की सिसकारियां लेने लगी थी।

कुछ देर में गांड में लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा।


अब मैंने दीदी की गांड को पकड़ लिया और तेजी से उनकी गांड में अपने लौड़े को पेलने लगा।


मेरे झटके बहुत तेज हो गए थे और दीदी हर झटके साथ अब और मजा लेने लगी थी।

दीदी की चूत चुदाई से ज्यादा मुझे अब दीदी की गांड चुदाई में मजा आ रहा था।


दस मिनट बहन की गांड चुदाई के बाद अब मेरा माल निकलने को हो गया।

मैं चोदते हुए बोला- दीदी, मेरा गिरने वाला है।

वो बोली- तो मेरी चूत की प्यास कैसे शांत होगी?


मैं दीदी की बात समझ गया और मैंने गांड से लंड को बाहर खींच लिया।

दीदी की गांड का छेद फैल गया था और अंदर से गांड का लाल हिस्सा दिख रहा था।


फिर मैंने दीदी की चूत में पीछे से लंड घुसा दिया और उनके ऊपर झुककर उनको कुतिया की तरह चोदने लगा।

मैंने उनकी चूचियों को कसकर भींच लिया और तोबड़तोड़ चुदाई करने लगा।


दो मिनट के बाद मेरा स्खलन नजदीक आ गया और मैं दीदी की चूत में ही झड़ गया।

इस बीच दीदी भी झड़ गई थी।


हम दोनों हांफते हुए लेट गए और फिर नॉर्मल हो गए।


पहली बार में ही मैंने दीदी की चूत चुदाई और गांड चुदाई दोनों कर डाली।


मैं दीदी को चोदकर काफी खुशी महसूस कर रहा था। मैंने दीदी की प्यास बुझा दी थी और उनके होंठों पर अब एक मुस्कान आ गई थी।


उन्होंने मेरे लंड को हाथ में लिया और उसको प्यार से सहलाते हुए मेरे गालों को चूमकर बोली- थैंक्यू रॉकी, आज मैं बहुत खुश हूं। मैं बहुत दिनों से ऐसा मजा लेना चाहती थी।


मैं बोला- कोई बात नहीं दीदी, हम दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं और अब तो जिस्म का रिश्ता भी हो गया है। आपको अब किसी और के पास अपनी सेक्स की प्यास बुझाने के लिए नहीं जाना पड़ेगा।


वो बोली- मगर ये बात तेरे और मेरे बीच में ही रहनी चाहिए।

मैं बोला- बिल्कुल दीदी, आप ये कैसी बात कर रही हो, ये बात इस कमरे से बाहर कहीं नहीं जाएगी।


फिर हम दोनों ऐसे ही बातें करते हुए नंगे ही सो गए।

रात को एक बार फिर से दीदी ने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया।

जब मेरी आंख खुली तो मेरा लंड दीदी के मुंह में था।


मुझे भी जोश आ गया और मैंने दीदी को पटक कर फिर से उनकी चुदाई कर डाली और फिर हम सो गए।

मेरी बहन मेरे साथ मस्ती से चुत गांड में लंड लेने लगी थीं और हम दोनों एक दूसरे के लिए एकदम पति पत्नी की तरह पूरी ईमानदारी से सेक्स सम्बन्ध निभा रहे थे.


एक बार मुझे और दीदी को कपड़ों की खरीदारी करने जाना था.

हम दोनों सुबह फ्रेश होकर नाश्ता करके घर से निकलने को हुए.


उस दिन दीदी क्या तैयार हुई थीं, मेरा तो देखते ही लंड खड़ा हो गया.

दीदी ने मेरी आंखों में झांका और अश्लील भाव से अपने होंठों पर जीभ फिरा दी.

उनकी इस हरकत से मेरे लंड में एकदम से आग लग गई.


उस समय मम्मी थीं तो मैं कुछ कह नहीं पाया. पर मेरा मन तो कर रहा था कि मां चुदाए शॉपिंग, अभी के अभी दीदी को नीचे पटक कर चोद दूँ.

मैं बस कसमसा कर रह गया और मेरी दीदी मुझे देख कर मन ही मन मुस्कुरा रही थीं.


हम दोनों बाहर आ गए.

मैंने बाइक स्टार्ट की और उन्हें बैठने का इशारा कर दिया.


दीदी बाइक पर गांड उचका कर एक तरफ टांगें लटकाकर बैठ गईं.

वो मेरे पीछे बाइक पर मुझसे सट कर बैठी थीं.


हम कुछ दूर ही पहुंचे थे कि धीरे धीरे दीदी मेरी पीठ से एकदम चिपक गईं.

उनके बड़े बड़े दूध मेरे पीठ पर गड़ने लगे और मुझे मज़ा आने लगा.


मैंने भी आह भरी और मुँह जरा पीछे को किया.

दीदी मेरे कान में गर्म सांसें छोड़ने लगी थीं.


मेरी वासना बढ़ती जा रही थी; मैं भी अपनी बहन के मादक जिस्म की गर्मी से मस्त होता हुआ बाइक दौड़ाए जा रहा था.


दीदी का हाथ कब मेरे लंड को टटोलने लगा, मुझे पता ही नहीं चला.

सुनसान सड़क थी तो मुझे भी मजा आने लगा था.


कुछ ही देर में मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने शिखा दीदी से कहा कि मुझे अभी चोदना है.

पहले तो वो ‘रात में चोद लेना …’ बोलीं, फिर मेरे जिद करने पर मान गईं.


मैंने बाइक को रोड से नीचे उतारा और जंगल की तरफ बढ़ा दी और एक शांत सुनसान जगह में रोक कर बाइक से बिना चाभी निकाले छोड़ दिया.


उस वक्त मैंने यही सबसे बड़ी गलती कर दी थी.

इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और मेरी इसी गलती की वजह से इस सेक्स कहानी का जन्म हुआ.


दीदी ने जल्दी से मेरा पैंट खोला और लंड चूसने लगीं.

दरअसल वो चाहती थीं कि मेरा जल्दी से वीर्य निकल जाए और मेरा मन शांत हो जाए.


और हुआ भी ऐसा ही … उनके मस्त चूसने के कारण मैंने जल्द ही उनके मुँह में वीर्य गिरा दिया.

वो माल गटक गईं और मैंने वापस अपना पैंट पहन लिया.


वो मुस्कुरा दीं और बोलीं- आज तेरा बड़ी जल्दी निकल गया?

मैंने भी चैन लगाते हुए कहा- मेरा तो घर पर ही मन कर रहा था कि उधर ही तुमको लेटा कर चोद दूँ.

दीदी हंसने लगीं.


फिर हम लोग जैसे ही बाइक के पास पहुंचे, एक मादरचोद भैंस चराने वाला बुड्ढा आ गया और हम लोगों को धमकाने लगा कि यहां क्या कर रहे थे. मैंने सब देख लिया है और अभी मैं अपने गांव वालों को बुलाता हूँ.


उस भैन के लौड़े ने मेरी बाइक की चाभी को भी निकाल लिया था.


उसके ऐसा कहने से हम लोग डर गए कि बदनामी हो जाएगी.

हमने बूढ़े को पैसे ऑफर किए मगर बूढ़े ने मना कर दिया.

वो साला मारने की धमकी देने लगा.


डर से हम दोनों भाई बहन की गांड फट गई.

अब मैं और शिखा अपनी गलती पर पछता रहे थे, हम उससे माफी की भीख मांगने लगे.


बूढ़े ने सीधे और साफ तरीके से कहा कि मुझे भी इस लड़की को चोदना है.

शिखा दीदी ने पहले तो मना कर दिया.


बूढ़े ने अपना फोन निकाला और वो गांव वालों को फोन करने लगा.

मैंने उससे कहा- अंकल 5 मिनट रुको, मुझे उसे समझाने दो.


मैं शिखा दीदी को थोड़ा दूर ले जाकर बोला- कैसे करें, अगर इसकी बात नहीं माने, तो ये भोसड़ी का पूरी बदनामी करवा देगा.


दीदी- तेरी चुल्ल के चलते ऐसा हुआ है. अब ये साला मुझे छोड़ेगा नहीं!

मैंने उनसे सॉरी कहा और उन्हें चुदने की हां करने के लिए मनाया.


फाइनली कुछ देर में शिखा दीदी मुस्कुरा कर बोलीं- बस मैं एक बार ही इस ओल्ड मैन से सेक्स करूंगी, बोल दे … और उसके बाद ये हमें जाने देगा.

मैं समझ गया कि दीदी को भी कुछ नया और अलग अनुभव लेने का मन हो रहा है.


मैंने बुड्ढे के करीब जाकर कहा कि अंकल आप एक बार में फटाफट कर लो और हमें जाने दो.


वो मान गया लेकिन बोला कि अब मैं बुड्ढा हो गया हूं, इसलिए मेरा लंड जल्दी खड़ा नहीं होता और जल्दी निकलता भी नहीं है.

मैंने कहा- एक बार निकल जाएगा, फिर तो जाने दोगे न?

वो हां कहने लगा.


अब आगे की कहानी शिखा दीदी की जुबानी सुनिए.


हैलो फ्रेंड्स, मैं शिखा.


वो बुड्ढा धीरे से मेरे पास आया और मेरे गालों पर किस करने लगा.

विअसे तो मेरा मन था कि इस बुद्धे से चुदकर नया अनुभव लूँ पर उसके मुँह से तंबाकू की बदबू आ रही थी.


मुझे उससे घिन आ गयी.

एक तो साला बुड्ढा आदमी मेरे गाल पर चुम्मी ले रहा था, इस बात से मुझे तकलीफ हो रही थी और ऊपर से उसके मुँह से आने वाली बू से मुझे चिढ़ आ रही थी.


किस करते करते वो मेरे दूध दबाने लगा, मेरे ब्लाउज के बटन खोलकर उन्हें पीने लगा.


उसने जैसे ही मेरे दूध चूसना शुरू किए, मुझे एक अनजाना सा सुख मिलने लगा.

वो बड़े ही अनुभवी तरीके से मेरे दोनों चूचुकों को बारी बारी से अपने होंठों में दबा कर खींचता और अपनी जीभ से मेरे चूचुक को लिक-लिक करके टुनया रहा था.


उसकी इस हरकत से मेरे अन्दर वासना जागने लगी और मेरी चुत में चींटियां सी रेंगने लगीं.

उसके लगातार दूध मसलने और चूसने से मुझ पर धीरे धीरे सेक्स का सुरूर चढ़ने लगा.


अब बुड्ढे का एक हाथ मेरी चूत पर आ गया और वो मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चुत को सहलाने लगा.

धीरे से उसने मेरी साड़ी समेत पेटीकोट को ऊपर उठाया और मुझसे साड़ी पेटीकोट पकड़ कर रखने को कहा.


मैंने उसकी बात मान ली.

अब उसने मेरी पैंटी की बगलों में उंगलियां फंसाईं और उसे नीचे सरका दिया.


मेरी चूत नंगी हो गई, तो वो चुत में उंगली करते हुए मुझे होंठों पर किस करने लगा.

अब तक मैं पूरी गर्म हो चुकी थी.


कुछ देर बाद बुड्ढा मुझसे बैठने को बोला और मैं बैठ गई.

बूढ़े ने अपना लंड निकाला, मैं लंड को देखकर चौंक गई क्योंकि वो काफी मोटा था, लेकिन मुरझाया हुआ था. मैं सोचने लगी कि जब मुरझाया हुआ लंड ऐसा है, तो खड़ा होकर तो मूसल बन जाएगा.


उसके लंड में सफेद गन्दा पपड़ी जैसा लगा था, जो तेज गन्ध मार रहा था.

बूढ़े ने लंड चूसने को बोला, तो मैंने मना कर दिया, बोली- इसे साफ़ कर पहले!


भद्दे ने मेरी पैंटी से ही अपना लंड साफ़ किया और बोला- मुँह खोल, मां की लवड़ी!

मैंने मुँह खोल दिया.


उसने लंड मेरे मुँह में डाल दिया. मैंने उसका लंड चूसना चालू कर दिया.

कुछ देर बाद पता नहीं क्योंकि मुझे वो गन्ध और वो गन्दगी अच्छी लगने लगी. मुझे मज़ा आने लगा और पूरे मन से जोश में लंड चूसने लगी.


चूस चूसकर मैंने बुड्ढे के लौड़े को एकदम चिकना और गीला कर दिया.

लौड़ा खड़ा होकर एकदम खूंखार हो गया था.


बुड्ढा मस्ती में बोला- चल अब साड़ी उठा और घोड़ी बन जा!

मैं जल्दी से वैसी ही बन गई.


बूढ़े ने मेरे गांड के पास अपना लौड़ा लगाया और रगड़ने लगा.

मुझे भी ओल्ड मैन सेक्स में बहुत मज़ा आ रहा था.


उसने धीरे से लंड मेरी गांड में डालने का प्रयास किया.

मुझे दर्द हुआ तो मैं थोड़ा आगे को हो गई और सीधी होकर बोली- चूत चोद लो, तुम्हारा इतना बड़ा लंड मेरी गांड में नहीं जाएगा.


उसने गुस्से में बोला- साली, मुझे चोदना सिखाएगी. इस लंड के नीचे से दर्जनों चुत और गांड निकल गईं.

मैं उसकी बात से डर गई और चुपचाप साड़ी उठाकर झुक गई.


अब उसने अपने लौड़े पर थूक लगाया और मेरी गांड में भी थूक दिया.

फिर धीरे धीरे वो लंड को गांड में घुसाने लगा.


मेरा दर्द में बुरा हाल था लेकिन मार के डर से चुपचाप बर्दाश्त करती रही.

अन्ततः पूरा लंड मेरी गांड में घुस गया.

शायद मैंने अपने भाई के लंड से जो गांड मरवाई थी, ये उसी का कमाल था कि मेरी गांड उस मूसल लंड को झेल गई थी.


बुड्ढे ने धीरे धीरे धक्के धक्के मारना शुरू कर दिए.

अब मेरा भी दर्द बहुत कम हो गया था और मुझे भी मज़ा आना शुरू हो गया था.


बूढ़े के हर धक्के में मेरा पूरा शरीर हिल रहा था मगर चुदाई शानदार हो रही थी.

मेरी गांड की खुजली सही से मिट रही थी.


कुछ देर चोदने के बाद बुड्ढा हांफने लगा, मैं समझ गई कि अब बुड्ढे का वीर्य निकलने वाला है.


मैं बोली- गांड में मत निकालना.

वो बोला- क्यों आगे लेगी?


मैंने कहा- अभी आगे भी कर पाओगे क्या?

वो बोला- तेरा मन हो, तो आधा घंटा बाद चुत भी चोद दूँगा.


मैंने कहा- मन तो है, पर अभी जल्दी जाना है. बाद में आ जाऊंगी.

वो बोला- बाद में आ जाएगी तो ऐसे कह रही है, जैसे मेरा लंड तुझे पसंद आ गया हो?


मैंने हंस कर कहा- हां, पसंद आने वाला लंड तो पसंद आएगा ही न!

वो मुझे चूम कर बोला- क्या सच में?


मैंने हामी भर दी और कहा- अभी मेरी बात मान लो. पीछे गंदा हो जाएगा.

वो मान गया लेकिन बोला कि मुँह में निकालूंगा.

मैंने कहा- हां, मुँह में ही निकाल दो.


ये सुनकर उसने मेरी गांड से लौड़ा निकाल कर मेरे मुँह में घुसा दिया और उसका लंड का लावा फूट पड़ा.

पता नहीं मादरचोद ने कब से माल नहीं निकाला था, इतना वीर्य निकला कि मैं बता नहीं सकती.


मेरा पूरा मुँह भर गया. मैं सब गटक गयी.

बहुत ही टेस्टी था, गाढ़ा गाढ़ा बिल्कुल जैली जैसा, मज़ा आ गया.


अब बुड्ढा शांत होकर बोला- अब तुम जा सकती हो.

उसने मेरा धन्यवाद भी किया.


मुझे बूढ़े पर प्यार आ गया और मैंने एक बार फिर से उसके होंठों पर जोरदार किस दे दी.


इस बार मुझे उसके मुँह की दुर्गंध से कोई फ़र्क नहीं पड़ा.


उधर से जब मैं बाइक के पास आई तो देखा कि मेरा भाई भी लंड हाथ में लिए खड़ा हिला रहा था और वीर्य निकालने की कोशिश कर रहा था.


मैंने रॉकी से कहा- ला, तेरा भी निकाल देती हूं.

मैंने चूस कर उसका भी माल निकाल दिया.


अब हम लोग वहां से निकल गए और सड़क पर आ गए.

आज गांड चुदाई के बाद मैं थक गई थी तो मेरा शॉपिंग का मन नहीं हो रहा था.


मैं भाई से बोली- वापस घर चलो.

घर आकर भाई ने चुदाई के बारे में पूछा, तो मैंने बता दी कि उसने सिर्फ गांड में डाला, चूत में नहीं.


तो भाई खुशी से बोला कि चलो मेरी बहन की चूत बच गयी.

मैं हंस पड़ी. पर मैं अमन में सोचने लगी कि बुड्ढे का लंड मेरी चूत में जाता तो ज्यादा मजा आता.


आप मेरी ईमेल पर मुझे बता सकते हैं कि आपको इस Desi Kahani में कितना मजा आया.


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