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लेडी डॉक्टर के घर में बिताये दो दिन - Hindi Sex Stories

कामवासना के सभी दोस्तों को हर्षद का प्यार भरा नमस्कार।

मैं फिर से आप लोगों के लिए एक नयी कहानी लेकर आया हूं; आशा है इससे आपका मनोरंजन खूब होगा।


मैं डॉ. रेखा के साथ अपनी कहानी आपको सुनाने जा रहा हूं।

मेरी मुलाकात सेक्सी डॉक्टर रेखा से तब हुई थी जब मैं अपने बेटे के इलाज के लिए उनके पास गया था।


उनके पति भी एक डॉक्टर हैं और पुणे के एक बड़े हॉस्पिटल के डीन हैं।


उनके पति हॉस्पिटल में ही रहते थे। रेखा के पास वो हफ्ते में एक दिन आते थे और वापस चले जाते थे।

डॉ. रेखा की चुदाई का मजा मैं ले चुका था, जो मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में बताया था।


अब हमें मिले हुए 6 महीने के लगभग का समय हो गया था; सिर्फ फोन पर ही बातें हो रही थीं।


एक दिन मैं अपने ऑफिस में था तो डॉ. रेखा का कॉल मेरे पास आया।


मैंने फोन उठाया तो वो बोली- कैसे हो हर्षद? लंच किया?

मैं बोला- ठीक हूं, तुम कैसी हो?

वो बोली- मैं भी ठीक हूं, लेकिन … फोन पर बात करने से मन नहीं भरता, तुमसे बात करती हूं तो आग और सुलग जाती है।


तो मैंने कहा- हां, ये बात तो तुम सही कह रही हो।

वो बोली- एक खुशखबरी है।

मैंने पूछा- क्या?

वो बोली- मेरे पति 3 दिन के लिए मुंबई जा रहे हैं सेमिनार में। तुम चाहो तो 2 दिन मेरे साथ रुक सकते हो।


ये सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे।

मैंने पूछा- कब जा रहे हैं?

रेखा- कल सुबह ही निकल जाएंगे, अपने घरवालों को क्या बोलना है ये तुम देख लेना!


मैं बोला- हां, वो तुम मुझ पर छोड़ दो। मैं कल दोपहर तक तुम्हारे वहां पहुंच जाऊंगा।

फिर मैंने फोन रख दिया और बॉस को 2 दिन की छुट्टी देने के लिए रिक्वेस्ट भेज दी।


किस्मत से मुझे छुट्टी मिल गई और मेरी खुशी का ठिकाना न रहा।


फिर मैं घर पहुंचा और मम्मी पापा के साथ बैठकर चाय पी।

चाय पीते हुए मैंने उनसे भी कह दिया कि मैं 2-3 दिन के लिए मुंबई में एक सेमिनार में जा रहा हूं।

उन्होंने भी जाने के लिए हां कर दी।


अगली सुबह मम्मी ने मुझे 7 बजे उठा दिया।

मैं जल्दी से नहाया और नाश्ता किया।


फिर अपने बैग में रोज की जरूरत का सारा सामान भर लिया और जाने के लिए तैयार हो गया।

मैं बाइक से निकला और 10 बजे डॉक्टर रेखा के घर पहुंच गया।


प्लान के मुताबिक गेट पहले से खुला हुआ था।

मैंने बाइक को अंदर लगा दिया और गेट को अंदर से लॉक कर दिया।


मैं ऊपर गया तो रेखा मेरा इंतजार कर रही थी। मैं उसे देखता रह गया।

उसने ऊपर सफेद ब्लाउज और नीचे सफेद रंग का ही शॉर्ट स्कर्ट डाला हुआ था।


उसके गोरे स्तन बाहर निकले हुए दिख रहे थे।

स्तनों की गहरी दरार बहुत उत्तेजित कर रही थी।

ब्लाउज में उसके भूरे रंग के निप्पल भी अलग से चमक रहे थे।


स्कर्ट में उसकी मांसल जांघें, उठी हुई भारी गांड देखकर मैं तो उसे चोदने के लिए जैसे तड़प सा गया।


कब वो मेरे पास आयी मुझे तो पता ही न चला।

मेरे हाथ से बैग लेते हुए उसने कहा- क्या हुआ, क्या देख रहे हो ऐसे?

मैं बोला- कुछ नहीं, तुम्हें बहुत दिनों के बाद देख रहा हूं, इसलिए नजर नहीं हटी।


वो मुस्कराकर बोली- तुम हाथ-मुंह धो लो, मैं बैग रखकर आती हूं।

रेखा गांड मटकाती हुई चली गई; फिर बैग रखकर लौटी।


आते ही वो सेक्सी डॉक्टर मेरे गले से लग गई और फिर मेरे होंठों और गालों को चूमने लगी।

उसके होंठ मेरी गर्दन पर चूमने लगे तो मैंने भी उसको कस कर अपनी बांहों में भींच लिया।

मैं भी उसे जहां-तहां चूमने लगा।


पांच-सात मिनट तक ये चूमा-चाटी चली; फिर हम अलग हो गए।

उसने पूछा- चाय लोगे या ठंडा?

मैंने कहा- कुछ ठंडा ही लेते हैं लेकिन एक शर्त पर …


वो बोली- कैसी शर्त?

मैंने कहा- हम दोनों दो दिन बिना कपड़ों के ही रहेंगे।

वो मेरी तरफ मुस्कराते हुए बोली- तुमने तो मेरे मुंह की बात छीन ली।


हम जल्दी से नंगे हुए और दोनों एक दूसरे की गांड सहलाते हुए रूम में आ गए।

मैं सोफे पर बैठ गया और रेखा ठंडा लेकर आ गई।


हम दोनों बैठकर ठंडा पीने लगे।


उसने मेरी जांघ पर हाथ रखा और बोली- कितने दिनों के बाद मिले हैं हम दोनों! रात को जब मैं बेड पर अकेली होती थी तो तुम्हारी बहुत याद आती थी। तुम्हें अपने अंदर महसूस करते हुए मेरी चूत हमेशा गीली हो जाती थी।


ये सुनकर मैंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उसके चूचों तक ले गया।

इससे उसकी हल्की सिसकारी निकली और बोली- तुम्हारे छूने से पूरे बदन में बिजली सी दौड़ जाती है।

मैं चुपचाप उसके स्तनों को सहलाने लगा।


वो हल्की मदहोशी में जाने लगी।

फिर जल्दी से हमने ठंडा पीकर खत्म किया और वो किचन में गिलास रखकर फिर से मुझसे चिपक कर आ बैठी।


वो बोली- नाश्ता करना है क्या तुम्हें अभी?

मैंने पूछा- तुमने किया है?

वो बोली- हां।


मैंने ना में गर्दन हिला दी तो रेखा ने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया और एक हाथ मेरी जांघ पर।


वो मेरी जांघ को सहलाते हुए बोली- मैं तुम्हें बहुत चाहती हूं। अभी दो दिन अकेली हूं और तुम्हें बिल्कुल अकेला नहीं छोड़ूंगी। एक पल के लिए भी तुमसे दूर नहीं रहूंगी।

मैं बोला- तुम्हारे बिना मेरा भी यही हाल हो गया था।

कितनी ही बार मेरा लंड तुम्हारी मुलायम चूत के बारे में सोचकर झड़ा है रातों को।


उसने अपना हाथ अब मेरे लंड पर रख दिया और सहलाने लगी, जो पहले से ही तना हुआ था।

मैं बोला- मेरा ये लंड तुम्हारी गुलाबी और उभरी हुई चिकनी चूत का दीवाना हो गया है।


ऐसा कहते हुए मैंने रेखा की चूत पर हाथ रखकर उसे सहलाना शुरू कर दिया।

मेरा हाथ उसकी चूत पर गया तो उसने जांघें फैला दीं।


जैसे-जैसे मेरा हाथ उसकी चूत पर चलने लगा, उसके मुंह से सीत्कार निकलने लगे- आह्ह हर्षद … बहुत दिनों के बाद तुम्हारे हाथ का स्पर्श पाकर मेरी चूत मचलने लगी है … ऐसे ही सहलाते रहो … बहुत मजा आ रहा है।


रेखा ने मेरे लंड पर हाथ को कस दिया और उसको मसलने लगी।

मेरा लंड फड़फड़ाने लगा; वो विकराल रूप में आ चुका था।


अब मैंने अपने हाथ की बीच वाली उंगली उसकी चूत में अंदर सरका दी।

उसकी चूत अंदर से पूरी गीली हो चुकी थी।


उंगली जाते ही रेखा सिहर गई।

वो सिसकारते हुए बोली- आह्ह … हर्षद … तुम मेरी चूत की आग को और ज्यादा भड़का रहे हो।


उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ भी रख लिया और चूत पर दबाने लगी।

मैं दूसरे हाथ से उसके चूचों को रगड़ने लगा।


थोड़ा दर्द में सिसकारते हुए वो बोली- आह्ह … आराम से दबाओ हर्षद, इनमें दर्द हो रहा है, लाल हो गए हैं।

मैं बोला- इतने गोरे, गोल-मटोल, सेक्सी चूचे देखकर मैं रुक नहीं पाता हूं रेखा, और वैसे भी … कितने दिनों के बाद मिले हैं … कंट्रोल नहीं हो रहा है।


फिर उसने मेरे लंड को अपने दोनों हाथों में थाम लिया और सहलाते हुए बोली- आह्ह … ये पहले से और मोटा हो गया लगता है। अब ये तुम्हारा मूसल मेरी चूत में गया तो फाड़ कर रख देगा।


मैं सोफे के किनारे आकर पीछे कमर लगाकर बैठ गया ताकि लंड ऊपर आ जाए।

रेखा भी वैसे ही बैठ गई।


मैं तेजी से उसकी चूत में उंगली चलाने लगा।


वो बोली- आराम से करो हर्षद … ऐसे ही मजा आ रहा है।

फिर उसने मेरे लंड की गोटियों को भी सहलाना शुरू कर दिया।

मैं उसकी चूचियों में मुंह लगाकर पीने लगा और बारी-बारी से उसके दोनों मम्मों को चूसने लगा।


चूचियां पीते हुए मैं दो उंगलियां उसकी चूत में चलाने लगा।

इससे वो एकदम से उचकने लगी।


मैं बोला- पहले से टाइट लग रही है चूत, मेरी दो उंगलियां इसमें अब फिट आ रही हैं। आज शायद मेरा लंड तुम्हारी चूत का ऑपरेशन कर ही देगा।

रेखा मेरा लंड जोर से रगड़ते हुए बोली- हां, मुझे भी यही लगता है।


मैं तेजी से उसकी चूत में उंगली करने लगा तो वो मेरा हाथ अपनी चूत पर दबाकर जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी- आह्ह … आईई … अम्म … ऊईई … ऊऊऊ … आराम से … आहाह।


जब तक मैं कुछ और करता उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मैंने जल्दी से अपने होंठ उसकी चूत पर लगा दिए।

मैं सेक्सी डॉक्टर की चूत का खट्टा-मीठा रस मैं पीने लगा।


रेखा लगातार कसमसा रही थी और उसका बदन हल्का हल्का कांप रहा था।

उसने एक हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रखा था।


मैंने उसकी चूत का सारा रस चाट लिया।

उसकी चूत बहुत गोरी और चिकनी लग रही थी, शायद आज सुबह ही बाल साफ किए थे उसने!


फिर हम दोनों खड़े हो गए।

उसने मुझे एक गोली दी और एक खुद खा ली।

वो बोली- विटामिन की गोली है, इसे चूसते रहना।


फिर वो मेरे गले में बांहें डालकर चूमने लगी और मैं भी उसका साथ देने लगा।


अब हम दोनों की जीभ आपस में लड़ने लगीं।

गोली की वजह से मुंह से बहुत मादक खुशबू आ रही थी।


मेरा लंड रेखा की चूत पर बार-बार ठोकर खा रहा था।

वो भी अपनी दोनों टांगें थोड़ी सी फैलाकर लंड को चूत पर अच्छे से रगड़वाने लगी।


मैंने दोनों हाथों से उसकी गोरी, मांसल और बाहर निकली गांड को भींचना शुरू कर दिया और लंड को उसकी चूत पर जोर से रगड़ने लगा।

बीच-बीच में मैं उसकी गांड के छेद पर उंगली से सहला भी रहा था।


वो बोली- बहुत गुदगुदी हो रही है हर्षद … लेकिन मजा भी आ रहा है।

फिर वो दोनों हाथों को मेरी गांड पर रखकर सहलाने लगी।

वो भी मेरी गांड की दरार में उंगली फिरा रही थी।


हम दोनों मदहोश हो रहे थे।

वो बोली- अब और नहीं रुका जा रहा … चलो बेडरूम में … तुम्हारा ये लंड अब चूत में लेने की इच्छा हो रही है।

मैं- हां, मैं भी तुम्हें चोदने के लिए तड़प गया हूं रेखा!


वो बोली- चलो फिर, इंतजार किस बात का कर रहे हो?

मैंने कहा- इतने दिनों के बाद मिले हैं, थोड़ा चूस दो ना इसे जान … बहुत मन कर रहा है, फिर बेडरूम में जाकर चुदाई का पूरा मजा लेते हैं।


रेखा भी जैसे बस कहने भर का इंतजार कर रही थी।

वो फटाक से अपने घुटनों पर बैठी और मेरे मूसल लंड को अपने मुंह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी।


रेखा ऐसे चूस रही थी जैसे ये कोई लॉलीपोप है जिसमें से मीठा पानी निकलता हो।

मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … रेखा … ओह्ह रेखा … आह्स्स … स्स्स … आईई … उफ्फ मेरी जान … चूस चूस कर खा लो इसे … बहुत तड़पा है तुम्हारी चूत की याद में!


मेरे हाथ रेखा के सिर पर चले गए और मैं गांड आगे पीछे चलाते हुए उसके मुंह को चोदने लगा।

वो भी मेरे लंड को गले तक ले जाती थी लेकिन एक पल बाद फिर से निकाल देती थी।


कुछ ही देर में उसका चेहरा लाल होने लगा और उसकी सांस फूलने लगी।


फिर उसने मुंह से लंड को निकाला तो वो पूरा उसकी लार में गीला हो चुका था।

हांफते हुए वो बोली- चलो हर्षद … अब रूम में चलो। वहीं करना जो कुछ करना है।


मैंने उसकी बात मान ली और हम दोनों एक दूसरे की गांड सहलाते हुए बेडरूम में चले गए।

रेखा ने दरवाजा लॉक किया और ए.सी. चालू कर दिया।

मैंने रेखा को बेड के किनारे बैठा दिया और वहीं खड़े हुए मैं उसके चूचों को रगड़ने लगा।


वो मेरे लंड को दोनों हाथों में भरकर मसलने लगी। वो बोली- मुझे तो आज डर लग रहा है हर्षद, मेरी चूत इसे ले भी पाएगी या नहीं?


मैंने कहा- चिंता मत करो, एक बार ही दर्द होगा।

फिर मैं उसकी चूत को सहलाने लगा और रेखा सिहर उठी।

उसकी चूत फिर से गीली होने लगी थी।


मेरा लंड भी पूरे जोश में फड़फड़ा रहा था।

मैंने रेखा को ऐसे ही लिटा लिया और उसके सिर के नीचे दो तकिए रखवा दिए ताकि वो मेरे लंड को अपनी चूत में जाते हुए देख सके।

फिर मैंने उसकी जांघों को फैलाकर घुटनों को मोड़ दिया और बेड पर पंजों को टिका दिया।

रेखा की चूत अब ठीक मेरे लंड के निशाने पर थी।


मैंने एक हाथ में लंड पकड़ा और रेखा की चूत की दरार में रगड़ने लगा।

उसने अपने दोनों हाथों से चूत की दरार को फैला लिया और मैंने सुपारे को चूत पर रखा और कमर पकड़ कर उसकी चूत पर दबाने लगा।


मैंने पूछा- तैयार हो?

वो बोली- हां, डाल दो, जो होगा अब देखा जाएगा।


फिर मैंने एक जोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी चूत की दरार को चीरता हुआ अंदर जा घुसा।

वो जोर से चीखी और मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया।


रेखा छटपटाते हुए लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उसको उठने नहीं दिया।

वो बोली- बाहर निकालो!

मैंने कहा- बस थोड़ी ही देर का दर्द है, चुप रहो।


मैंने उसकी कमर को छोड़ दिया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा।

मैंने 5 मिनट तक उसके बदन को सहलाया और वो पूरी तरह से नॉर्मल हो गई।

फिर वो आहिस्ता से अपनी गांड उठाकर लंड को लेने की कोशिश करने लगी।


लंड को चूत में फंसा देखकर वो बोली- तुम्हारा ये मूसल मेरी चूत में कैसे फिट बैठ गया है, हिल भी नहीं रहा है। जैसे कोई डंडा ठोक दिया हो मेरी चूत में!

मैं बोला- तुम्हारी चूत के हिसाब से मेरा लंड बड़ा है, लेकिन लोगी तो चूत भी बड़ी हो जाएगी, फिर मजा ही मजा है।


कहते हुए मैंने लंड को खींचकर थोड़ा सा बाहर निकाला, फिर ढेर सारा थूक उस पर लगा दिया।

फिर मैंने चूत में लंड को अंदर दबाया और सरकाने लगा।


धीरे-धीरे लंड चूत में अंदर बाहर जाने लगा।


5-7 मिनट के बाद लंड चूत में आराम से समाने लगा और रेखा गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी।

वो मेरे लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर होते हुए देख रही थी और चूत के दाने को सहला रही थी।

उसकी गांड लगातार मेरे लंड की तरफ चल रही थी।


बीच-बीच में वो मुझे नीचे की ओर खींचकर मेरे होंठों को चूसने लगती थी।


कुछ ही देर की चुदाई में रेखा की चूत ने फिर से पानी फेंक दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत के रस में सराबोर हो गया।

उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया।


मैं उसके स्तनों को मुंह में लेकर लेटा रहा।

दस मिनट तक हम चिपके रहे।


फिर वो दोबारा से गांड हिलाने लगी।

अब मैंने फिर से उसकी चूत से लंड को आधा बाहर निकाला तो देखा कि पूरा लंड चूतरस में नहाया हुआ था।

मैंने फिर से उसे चोदना शुरू किया।

रेखा भी साथ देने लगी।


मैं हर बार आधा लंड बाहर करता और फिर से ठोक देता।

इस जबरदस्त घर्षण से उसकी चूत फिर से गर्म होने लगी।

अब मैं तेजी से चोदने लगा तो पच-पच … पच-पच की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा।


अब हम दोनों पूरी मदहोशी में चुदाई कर रहे थे।

मेरे धक्के पूरे जोश में लग रहे थे और रेखा का बदन हर धक्के के साथ हिल रहा था।


फिर दस-पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद दोनों चरम सीमा पर पहुंच गए और आह्ह … आह्ह … की सिसकारियां लेते हुए हम दोनों झड़ गए।


रेखा ने मेरी गांड को अपने पैरों के बीच में कसकर जकड़ लिया था और वो लंड के आखिरी धक्के को चूत में पूरा फील कर रही थी।

उसने मेरे जिस्म को पूरा अपने जिस्म पर ओढ़ लिया था।


हम दोनों की सांसें बहुत तेजी से चल रही थीं।

10-15 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे।


जब अलग हुए तो बोली- बहुत मजा आया हर्षद … लेकिन चूत में दर्द हो रहा है।

मैंने उसके स्तनों को सहलाते हुए कहा- दर्द तो होगा ही … कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी तो पड़ता है।


वो बोली- हां सही कहते हो। तुम्हारा मोटा लंड चूत में जाता है तो मन करता है कि ये ऐसे ही हमेशा मेरी चूत में रहे।

फिर वो बेड से उठकर नीचे चलने लगी तो कराहने लगी।

मैंने पूछा- क्या हुआ?


रेखा- चूत में सूजन आ गई है, पेन किलर लेनी पड़ेगी शायद!

फिर वो अलमारी की ओर गई और एक कपड़ा लेकर चूत साफ करने लगी।


फिर उसने मेरे लंड को भी साफ करना शुरू किया।

लंड पर लगा वीर्य सूखकर सफेद हो चुका था।


वो बोली- हर्षद, मुझे तुम्हारे लंड से निकला अमृत पीना है।

मैं बोला- जो जी में आए पी लो, सब तुम्हारा ही है।


नीचे बैठते हुए रेखा ने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर जमा दिए।

वो मेरा आधा मुरझाया लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।

मेरे हाथ स्वत: ही उसके सिर पर चले गए और मैं उसके मुंह को लंड पर आगे पीछे करने लगा।


रेखा मेरी गांड को कसकर दबा रही थी और लंड चूसने का पूरा लुत्फ ले रही थी।

कुछ ही देर में उसने मेरे लंड को चूस चूसकर पूरा कड़क कर दिया और थूक में चिकना कर दिया।


फिर बोली- चलो मूतकर आते हैं, और फिर फ्रेश हो लेंगे।


हम दोनों एक दूसरे की कमर में हाथ डालकर बाथरूम में चले गए।

वो बोली- पहले तुम मूतो!

मैंने कहा- नहीं, पहले तुम … मुझे देखना है कि तुम कैसे मूतती हो।


रेखा कमोड पर टांग रखकर मूतने लगी और मैं खड़ा होकर देखने लगा।

उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी।

मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।


धीरे-धीरे उसकी चूत से मूत आना बंद हो गया।

वो बोली- अब तुम आओ।

मैं- तुम वहां से हटोगी, तब तो आऊंगा!


वो बोली- तुम ऐसे मूतो की मेरे चूचे भी तुम्हारे गर्म मूत में नहाकर तृप्त हो जाएं।

मैंने कहा- ठीक है, जैसे तुम कहो।


सुबह से मैंने भी मूता नहीं था तो प्रेशर बहुत था।

मेरे लंड से गर्म-गर्म मूत निकल कर रेखा के स्तनों पर गिरने लगा।


मूत की धार को वो बारी-बारी से दोनों निप्पल पर लेने लगी।

साथ में उसकी सिसकारियां भी निकलने लगीं- आह्ह … हर्षद बहुत मजा आ रहा है … इस्स … ओह्ह … गर्म गर्म मूत है … सिकाई हो रही है चूचियों की!


उसके चूचे और निप्पल तनकर कड़क हो गए।

अब तक मेरा मूत खत्म हो गया था।


रेखा उठी और मुझसे सटकर खड़ी हो गई।

फिर वो अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी।


मैं लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा और उसकी सिसकारियां निकलने लगीं।


उसने टांगें फैलाकर चूत और गांड को बारी-बारी से मेरे लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया।

कुछ ही देर में हम दोनों मदहोश होने लगे।

फिर दोनों के ही हाथ एक दूसरे की गांड की दरार में जाने लगे।


मेरी गांड की दरार में वो उंगली चला रही थी और मैं उसकी गांड की दरार में उंगली फिराते हुए उसके छेद तक सहला रहा था।

वो बोली- तुम्हारे मूसल ने फिर से मेरी चूत में आग लगा दी है।

मैंने उसके मन की बात पढ़ ली कि वो एक बार फिर से लंड लेना चाहती है।


मैंने उसकी एक टांग उठाकर ऊपर रखी और उसकी सूजी हुई चूत की दरार में लंड का सुपारा फंसा दिया।

फिर मैंने एक जोर का धक्का मारा और रेखा की चूत में आधा लंड घुस गया।

रेखा दर्द में चीखी लेकिन ये उसकी ही मर्जी थी तो मैं कुछ नहीं कर सकता था।


फिर मैंने लंड को चूत में घुसाए रखा और गांड में एक उंगली दे दी।

वो एकदम से सिहर गई और बोली- आह्ह … मजा आ रहा है ऐसे तो।


मैं धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को चलाने लगा और गांड में भी उंगली से चोदने लगा।


उसने मेरी कमर के पीछ हाथ लाकर मेरी गांड में भी उंगली दे दी।

वो हॉट डॉक्टर सेक्स का मजा लेती हुई अपनी उंगली को मेरी गांड में अंदर बाहर करने लगी।


हम दोनों को ही इस गंदे खेल में पूरा मजा आ रहा था। हम दोनों ही बहुत कामुक हो गए थे।


फिर उसने अपनी गांड को मेरे लंड पर चक्की की तरह चलाना शुरू कर दिया।

उसका जोश बढ़ता जा रहा था।


अचानक से वो बोली- मैं झड़ने वाली हूं हर्षद!

मैंने भी जोर से चोदते हुए कहा- मैं भी!

फिर हम दोनों के मुंह से ही हर धक्के के साथ- आह्ह … आह्ह … ओह्ह … आह्ह … जैसे सीत्कार निकलने लगे।


कुछ धक्कों के बाद रेखा की चूत ने पानी छोड़ दिया और उससे उठी पच-पच की आवाज से मेरा लंड भी चरम उत्तेजना पर जाकर वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ने लगा।

हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और एक दूसरे को बांहों में कस लिया।


कुछ पल हम वहीं एक दूसरे को सहलाते रहे।

वो बोली- कितना मस्त ठोकते हो तुम हर्षद … मजा आ गया। मैं बहुत खुश हूं।

मैं बोला- मैं भी बहुत खुश हूं।


मैंने आहिस्ता से उसकी चूत से लंड को बाहर खींचा तो कामरस उसकी जांघों से बहता हुआ नीचे गिरने लगा।

वो बहते रस को देखती रह गई और बोली- इतना रस कहां से आता है तुम्हारे लंड में!


मैंने कहा- जब तक तुम्हारी चूत की आग ठंडी नहीं हो जाती, यह ऐसे ही निकलता रहेगा। तुम्हारी चूत बहुत प्यासी है।

वो बोली- हां, सही कहते हो। चला अब नहा लेते हैं।


उसने शावर चालू किया और हम नहाने लगे।

फिर बदन पौंछकर बेड पर आ गए।


समय 12.30 का हो गया था और खाने का वक्त हो गया था; दोनों को ही भूख लग आई थी।

वो बोली- चलो खाना खाते हैं।


हम नंगे ही गए और डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाने लगे।

हमने जल्दी ही खाना खत्म कर लिया।


रेखा किचन में जाकर बर्तन धोने लगी और मैं आराम से सोफे पर बैठकर रेखा को देखने लगा।


काम करते समय उसके गोल मटोल स्तन आगे-पीछे और ऊपर-नीचे झूल रहे थे।


ये देख मेरा हाथ भी मेरे लंड पर जाकर सहलाने लगा।


उसने मुझे देखा तो पूछने लगी- क्या हो रहा है हर्षद?

मैंने कहा- इसे मना रहा हूं।

वो हँसकर बोली- मना रहे हो या उकसा रहे हो?

मैं- तुम जो चाहे समझ लो।


कुछ देर में रेखा अपना काम खत्म करके आ गई।


मेरे पास आकर वो मुझसे सटकर बैठ गई।

उसने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा- हर्षद … मैं हमेशा ऐसे ही तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं। काश तुम पहले मिले होते तो कितना अच्छा होता।

मैंने उसे चूमते हुए कहा- जो भी होता है किस्मत की बात है, सही वक्त पर ही कुछ होता है। अब हमारी मुलाकात को ही ले लो, कि कैसे हुई।


रेखा बोली- हां, तुम सही कहते हो।

उसने मेरी जांघों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया और मुझे चूमने लगी।

मैं उसके स्तनों को सहलाने लगा।


ऐसे ही हम दोनों आधा घंटा एक दूसरे को सहलाते रहे और चूमा चाटी करते रहे।

रेखा बोली- 1.30 बज गया है, मुझे नींद आ रही है। बहुत थक गए हैं आज। चलो, 2-3 घंटे सो लेते हैं।


मैं बोला- हां … लेकिन पहले पेन किलर ले लो और वो क्रीम मुझे दे दो, चूत की मालिश कर देता हूं। मुझे लंड पर भी लगानी है।

रेखा उठी और अलमारी से पेनकिलर और मसाज क्रीम ले आई।

उसने क्रीम मेरे हाथ में थमा दी और पेन किलर लेकर पानी पीने चली गई।


फिर उसने बेडरूम में चलने के लिए कहा।

हम दोनों बेडरूम में गए और वो बेड पर अपनी दोनों टांगे फैलाते हुए पेट के बल लेट गई।


मैंने क्रीम निकाल कर उसकी चूत पर मसलना शुरू किया।


मैंने उंगली अंदर ले जाते हुए गहराई तक उसकी चूत में क्रीम मल दी।

वो बोली- अब मैं तुम्हारे मूसल पर क्रीम लगा देती हूं, लेट जाओ।


मैं लेटा तो वो अपने नाजुक हाथों से मेरे लंड पर क्रीम लगाने लगी।


फिर उसने सिर के नीचे तकिया लिया और अपनी गांड मेरी ओर करके लेटते हुए बोली- अब मुझसे चिपक कर सो जाओ।

वो ऐसे लेटी थी कि उसकी फूली हुई गुलाबी चूत ऊपर उभर आई थी और उसकी गांड का छेद भी नजर आ रहा था।


मैं भी उसके पीछे लेट गया और हाथ को गर्दन के नीचे से ले गया और दूसरे हाथ को ऊपर से उसके स्तनों पर रख कर सहलाने लगा।


उसने अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ को अपने स्तनों पर दबा लिया।

वो बोली- अब चिपक कर लेट जाओ, पैरों में पैर फंसाकर!

मैंने आगे की ओर सरकते हुए उसके पैरों में पैर फंसा लिए और मेरा लंड उसकी चूत की हल्की खुली दरार में जाकर सट गया।


फिर हम दोनों को कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला।


दोस्तो, आपको ये Hindi Sex Stories कैसी लगी मुझे जरूर बताना। आप कमेंट्स में अपनी राय लिख सकते हैं।

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