शीमेल का लण्ड और मेरी गाण्ड - Gay Sex Stories
- Kamvasna
- Mar 18
- 12 min read
मेरा नाम आशीष जोशी है, मैं 29 साल का हूँ, पुणे में एक बहुमंजिला बिल्डिंग में अपने अपार्टमेन्ट में अकेला रहता हूँ, मेरी शादी नहीं हुई है।
मुझे अपने आस पास की महिलाओं को खुद को नंगा दिखाने में आनन्द मिलता है।
पिछले 2 सालों में मैं यही करता आया हूँ.. गौर करने की बात ये है कि इन 2 सालों में मैंने अनुभव करके अपना जिस्म भी कुछ अच्छा ख़ासा बना लिया है। मैं रोज़ तिल की तेल से मेरे लंड (नुन्नू) की मालिश करता हूँ.. इससे उसका मोटापा थोड़ा बढ़ गया है। वर्ज़िश का परिणाम देखो कि मेरे नितंब (गाण्ड) अब औरतों जैसे गोल-गोल और भरे हुए हो गए हैं। इसलिए मैं ज़्यादातर उन्हें चिकना ही बनाए रखता हूँ।
अब चलिए घटना-क्रम शुरू करते हैं…
बात पिछले हफ्ते की है.. जब मुझे ऑफिस में ज़्यादा काम नहीं था.. तो मैं दोपहर में घर आ गया और रोज़ की तरह घर आते ही पूरे कपड़े उतार कर टाइम पास करने लगा।
टाइम पास.. यानि मैं अपनी खिड़की से देखता हूँ कि बगल वाली छत या बाल्कनी में कोई लड़की या औरत है कि नहीं.. ताकि मैं उन्हें मेरा नंगा बदन दिखा सकूँ।
थोड़ी देर बाद जब मैं पानी लेने रसोई में गया तो मुझे सामने वाली छत पर जहाँ 2 साल पहले 4 लड़कियाँ खड़ी थीं.. वहाँ एक औरत साड़ी के साथ स्लीवलैस और बैकलैस ब्लाउस पहने मेरी विंडो की तरफ पीठ किए हुए खड़ी दिखी।
।मैंने तुरंत मन बना लिया कि आज इसे कुछ दिखाना ही है। मैं मुंडेर की वजह से सिर्फ़ उसका पिछला उपरी हिस्सा ही देख पा रहा था.. पर क्या बताऊँ.. उसकी पीठ धूप में ऐसी चमक रही थी कि पूछो मत..
तभी उसके हाथ उठाते ही मुझे उसके बगलें दिखीं.. जो पूरी तरह से हेयरलैस थीं।
मेरी नुन्नू में हरकत होना शुरू हुई और उसका रूपांतर होके वो लंड हो गया।
मैं मौका गंवाना नहीं चाहता था.. इसलिए ऊपर जाने के लिए सीधा मैं दरवाजे की तरफ भागा.. जैसा कि आप जानते हैं मैं सबसे ऊपर वाली मंज़िल पर रहता हूँ.. तो मेरे फ्लैट के ऊपर छत ही है।
मैंने सोचा अब कपड़े पहन कर जाऊँगा और तब तक वो चली गई तो मेरा चान्स समझो गया… इसलिए मैंने सीधा घर की चाभी उठाई और गले में डाल कर दरवाजा में ताला लगा कर घर के बाहर आ गया।
हालांकि मुझे डर लग रहा था कि कोई देख न ले.. पर ये भी पता था कि दोपहर का वक़्त और वर्किंग डे होने के कारण मेरे पड़ोसी अपने-अपने काम पर होंगे.. सो मैं नंगा ही सीढ़ियाँ चढ़कर छत पर पहुँच गया।
मेरी धड़कनें तेज़ हो गई थीं कि उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी…
मैं ठीक उसके पीछे.. अपनी बिल्डिंग की छत पर जाकर खड़ा हो गया.. ये सोचकर कि जैसे ही वो मुड़ेगी तो मुझे नंगा देखेगी।
करीब 2-3 मिनट तक उसने मुड़ने की राह देखने के बाद मुझे लगा कि उसका ध्यान पीछे की तरफ खींचना चाहिए तब ही वो मुड़ेगी.. इस वक्त मेरे पास मोबाइल नहीं था.. तो बात करने की एक्टिंग भी नहीं हो सकती थी.. फिर मुझे लगा ज़ोर-ज़ोर से ताली बजाई जाए और खांसा जाए..
दोनों छतों में ज़्यादा अंतर ना होने के कारण (लगभग 20-25 फीट) मेरी ताली की गूँज उसके कानों में पड़ी और उसने पीछे मुड़कर देखा..
आअहह.. दोस्तों उसके एक्सप्रेशन्स.. वो पूरी तरह से चौंक गई थी शायद… होंठ खुले रह गए थे.. नज़र मेरे क्लीन शेव्ड लंड से हट ही नहीं रही थी.. मैं जानबूझ कर अपने हाथ कमर पर टिकाए खड़ा था।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि इसे अपनी गाण्ड के दर्शन भी दे दूँ.. कहीं वो चली ना जाए.. इसलिए मैं मुड़ गया।
जैसे ही उसने मेरी गाण्ड देखी. उसके मुँह से ‘वाउ’ शब्द निकला.. जो मुझे हल्के से सुनने में आया।
‘वाउ’ सुनते ही मैंने पीछे देखा.. तो उसने मेरी गाण्ड बहुत मस्त है.. ऐसा इशारे से कह दिया..
मुझे अच्छा लगा और मैं वैसे ही खड़ा रहा.. पर शायद अब मेरी बारी थी चौंक जाने की.. जैसे ही उसने एक ताली बजाई.. दो साल पुराना वक़्त मेरे सामने खड़ा हो गया..
वो ही 4 लड़कियाँ उनकी मम्मियाँ के साथ मुंडेर के नीचे से उठकर खड़ी हो गईं.. और मैं अभी कुछ संभल पाता.. तब तक उन्होंने मुझे कैमरे में क़ैद कर लिया।
मेरे पास कुछ ढकने के लिए नहीं था.. तो जाहिर था मैं अपने हाथों से लंड को छुपाने की कोशिश कर रहा था.. पर उससे मेरा नंगापन थोड़े ही ढकने वाला था।
मेरा चेहरा सफेद हो गया और मैं उनसे ‘सॉरी’ कहकर मिन्नतें करने लगा- प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. पर ये पिक्स किसी को मत दिखाना..
इस अचानक से हुए हमले की वजह से मेरा लंड फिर से नुन्नू बन गया था और भी सब लोग मेरी तरफ देखकर हँस रही थीं।
वे कह रही थीं- अब क्या करेगा.. 2 साल पहले तो तू बच निकला था.. पर अब क्या होगा तेरा?
मैंने कहा- आप जो कहेंगी.. वो मैं करूँगा पर मेरी कहीं कंप्लेंट मत कीजिए.. मेरे घर पता चला.. तो मुझे घर से निकाल दिया जाएगा..
जो मम्मी 2 साल पहले मेरी कंप्लेंट लेकर गई थीं.. वो बोली- भुगतना तो तुझे पड़ेगा ही.. ऐसे नहीं तो वैसे.. तूने सबके सामने मुझे झूठा ठहराया था… अब अगर अपनी सलामती चाहता है तो.. चुपचाप फ्लैट नंबर 502 में आ जा…
मैं तुरन्त मान गया.. पर एक बात मैंने नोटिस की.. कि इन सबके बीच वो जो नई औरत थी.. वो बिल्कुल चुपचाप खड़ी थी.. शायद उसे सिर्फ़ मुझे फंसाने के लिए ही लाया गया था और उस चाल में मैं पूरी तरह से फंस गया था।
इस बीच एक सवाल मेरे मन में खड़ा था कि आख़िर वो है कौन..?
मैं मुंडी नीचे डाल कर सीढ़ियों की तरफ बढ़ा और सीढ़ियाँ उतरने लगा..
मैंने जल्दी से जीन्स और टी-शर्ट पहन कर दरवाजे को लॉक लगाया और सामने वाली बिल्डिंग के फ्लैट नंबर 502 में पहुँच गया।
दरवाजे की घन्टी बजाई.. जो औरत मुझे चूतिया बनाने आई थी.. उसी ने दरवाजा खोला.. उसने हल्की सी स्माइल देकर मुझे अन्दर आने को कहा।
चप्पलें उतार कर मैं अन्दर की तरफ गया जहाँ पर वो 4 लड़कियाँ और उनकी मम्मियां एक गोल घेरा बना कर बैठी हुई थीं। चारों लड़कियाँ कॉलेज यूनिफॉर्म में थीं.. स्किन टाइट सफ़ेद शर्ट और स्किन टाइट ब्लू जीन्स पहने हुई थीं.. सफेद शर्ट होने के कारण उनकी ब्रा ऊपर से ही दिखाई दे रही थी। मैं नज़र चुरा कर उन्हें देख रहा था। पिछले 2 सालों में उनके जिस्मों में काफ़ी बदलाव हुआ था।
जाहिर है उनके मम्मों के नाप बढ़ गए थे.. उसके साथ ही जाँघों की स्थूलता और गाण्ड का उठाव भी उभर चुका था। अब उनकी पूरी जवानी दिख रही थी..
इतने में मेरे कान के ऊपर एक आवाज़ पड़ी- अपने कपड़े उतारो और यहाँ बीच में आकर खड़े हो जाओ..
अब वे जो कहेंगी.. वो करना तो जाहिर था.. मेरी नंगी पिक्स जो उनके पास थीं। मैंने जीन्स और टी-शर्ट उतार दी और सर्कल के बीच में जाकर खड़ा हो गया।
वे सब हँसने लगीं और कहने लगीं- छत पर देखो.. कैसे सीना तान कर खड़ा था.. ये और इसका लंड दोनों.. और अब देखो दोनों का सिर झुका हुआ है..
एक मम्मी जी बोलीं- अरे इसकी नुन्नू तो मेरे छोटे बेटे से भी छोटी है… इसे तो ना के बराबर ही कहना होगा..
और सब ज़ोर से हँस पड़ीं..
फिर जो दरवाजा खोलने आई थी वो वाली औरत को तानिया कह कर बुलाया गया। वो आई.. तराशा हुआ बदन.. टाइट मम्मे और संगमरमर जैसी त्वचा.. मैं तो दंग रह गया।
फिर एक मम्मी जी ने कहा- आज तुझे तेरी जिंदगी की 2 साल पहले की गई भूल की सज़ा मिलेगी.. तूने 2 साल पहले मेरा सर नीचे झुकाया था.. आज तेरी वो हालत होगी कि तू हमारे सामने कभी भी अपना सर उठा ना पाएगा..
मैं सोच में पड़ गया कि ये लोग मेरे साथ क्या करने वाली हैं.. तभी वो आंटी फिर से बोली- तानिया.. आज इसे हम सबके सामने ऐसे चोदो.. कि इसके बाद ये किसी भी फीमेल या लड़की के सामने नंगा जाने से पहले हज़ार बार सोचे और इसे आज का दिन याद आए..
मैं चौंक गया था कि कैसे कोई खूबसूरत भाभी मुझे चोद सकती है.. क्या डिल्डो से ??
तभी वो आंटी बोली- हम जानते हैं तू सोचता होगा कि ये औरत तुझे कैसे चोदेगी..?? पर तेरी जानकारी के लिए बता देती हूँ.. अब की ये औरत नहीं हिजड़ा है..
जिसे में एक खूबसूरत औरत समझ रहा था.. वो असल में एक हिजड़ा निकला.. अर्थात लंड वाली औरत..
मैं गहरे सोच में डूबा था.. तभी तानिया मेरे करीब आई या आया क्या कहूँ.. मादरचोद को.. वो मेरे होंठ चूमने लगी… उसके इस सीधे हमले से मैं हड़बड़ा उठा.. मेरे अन्दर ही अन्दर एक घिन सी आने लगी कि मैं एक हिजड़ा के होंठों को चूम रहा हूँ।
उसकी पकड़ बहुत मजबूत थी.. मैं अपने आप को छुड़ा नहीं पाया। उसका एक हाथ मेरे नंगे बदन पर घूमने लगा.. छाती.. पीठ.. चूतड़ और लंड (नुन्नू).. तानिया मेरे नुन्नू को ज़ोर-ज़ोर से खींच रही थी.. साथ ही मेरी गोटियों को भी मसल रही थी… मैं दर्द से तड़प रहा था..।
एक आंटी बोली- तानिया वो बड़ा नहीं होगा.. नामर्द का लंड है वो..
इतना सुनते ही तानिया मेरी नुन्नू को ज़ोर-ज़ोर से मारने लगी.. मैं दर्द से तड़प उठा। लगभग 5 मिनट तक मेरे होंठों को चूमने के बाद उसने मुझे अलग किया।
मैं शरम और घिन में डूबा नीचे देख कर खड़ा था।
तानिया ने कहा- अब आ.. और मेरे कपड़े उतार..
मैं अपनी जगह से नहीं हिला.. तब मेरे चूतड़ पर एक मेरी ही बेल्ट की फटकार पड़ी- जल्दी से बात को मानो.. हमारे पास ज़्यादा वक़्त नहीं है.. जितना ‘ना’ बोलोगे उतनी फटकार पड़ेगी..
मैंने साड़ी में हाथ डाला और तानिया की साड़ी उतार दी।
दोस्तो, उसे देखकर बिल्कुल नहीं लग रहा था कि वो कोई हिजड़ा होगी.. उसका जिस्म किसी माल लगने वाली महिला के जैसा ही था।
फिर उसने मुझे अपना ब्लाउज उतारने को कहा और फिर ब्रा.. जैसे ही मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला.. उसके दोनों कबूतर (मम्मे) जो एकदम टाइट थे.. मेरे सामने खुले हो गए।
उसने मुझे अपने मम्मे चूसने का आदेश दिया.. और मैं भी इतने अच्छे मम्मों को देखकर खुद को रोक भी ना पाया.. मैं जान लगाकर.. मन लगाकर उन्हें चूसने लगा.. तब तक तानिया ने अपने पेटीकोट को खोल दिया था और मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा।
एक बिजली जैसी मेरे अन्दर दौड़ उठी.. इतना सख़्त और बड़ा लंड.. वो भी किसी हिजड़ा का..
मैंने मम्मे चूसना छोड़कर नीचे देखा और दंग रह गया.. तानिया का लंड लगभग 8 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा होगा.. गुलाबी सुपारा चमड़ी पीछे करते ही सामने आया.. मैंने पहली बार किसी का लंड अपने हाथ में लिया था।
तानिया ने मुझे लौड़ा चूसने को कहा और मैंने मना कर दिया.. मुझे घिन आ रही थी और तभी मेरे चूतड़ पर ‘फाट… फाट..’ दो फटकारें पड़ीं..
तानिया ने मेरा सिर पकड़ कर मेरे होंठों को उसके लंड पर टिकाया.. मुझे अजीब सा लग रहा था.. पर उनका आदेश मानने के सिवा कोई चारा भी तो नहीं था..
मैंने धीरे-धीरे मेरे होंठ खोल दिए और मैं तानिया लंड चूसने लगा.. आज पहली बार महसूस हो रहा था कि किसी औरत को हम जब लंड चूसने के लिए ज़बरदस्ती करते हैं तो उसे कैसा लगता होगा..
इतना बड़ा लंड मेरे गले तक जा रहा था.. तानिया का लण्ड जैसे मेरे मुँह को चोद रहा था.. वो हिजड़न आगे-पीछे हो रही थी.. मेरे हाथ कभी उसकी गोटियों पर थे तो कभी गाण्ड पर घूम रहे थे।
करीब 15 मिनट तक लौड़ा चूसने के बाद उसने मेरा सिर पूरी ताक़त से अपने लंड के ऊपर दबा दिया.. उसका सुपारा मेरे गले के द्वार पर था.. और यह क्या.. !!??
तानिया ने एक ज़ोर का झटका दे कर अपना वीर्य मेरे गले में छोड़ दिया.. उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं हिल भी नहीं पाया.. गले के द्वार पर से उसका गरम वीर्यरस मेरे पेट में एक झटके में उतर गया।
पूरा लंड मेरे मुँह में खाली करने के बाद तानिया ने मुझे अलग किया।
यह नजारा देख कर वे सब लड़कियाँ और मम्मियाँ ज़ोर-ज़ोर से हँस रही थीं.. तानिया को बधाई दे रही थीं कि एक लड़ाई उन लोगों ने जीत ली है।
वे लगभग एक साथ कह रही थीं- ऐसा ही या इससे भी बुरा हाल इसकी गाण्ड के छेद का करना..
अब मैं गिड़गिड़ाने लगा.. मना करने लगा.. पर वे सब मानने वाली नहीं थीं.. उन्होंने पूरी तरह से मन बना लिया था।
एक आंटी ने तानिया के लंड को हिला कर फिर से उतना ही बड़ा बना दिया और वो भी एक औरत के हाथों के स्पर्श से 5 मिनट में ही बड़ा हो गया।
अब 2 आंटियाँ उठीं और उन्होंने मुझे सीधा लिटाकर मेरे पैर ऊपर उठा दिए और एक साड़ी से मेरे हाथों के साथ बाँध दिए.. जिससे मेरी गाण्ड का छेद छत की तरफ ऊपर उठ चुका था और पूरा खुला हो गया था।
इतने डर और बेइज्जती के बाद मेरे लंड का उठना तो बिल्कुल ना मुमकिन था।
चारों आंटियाँ मेरे पास आकर मेरे मुँह पर और गाण्ड पर चाटें मारने लगीं.. मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. एक-दो चाटें मेरी गोटियों पर पड़े.. तो मैं बिलबिला उठा।
तानिया अन्दर से एक जलती हुई मोमबत्ती लाई और एक लड़की के हाथ में देकर कहा- जब मैं इसकी गाण्ड मारूँगी.. तब इसके नंगे बदन पर गरम-गरम पिघला हुआ मोम डालना…
तानिया ने एक जैल जैसा कुछ लिया और उसे अपने लंड पर लगा कर.. वो अपना बड़ा सा हथियार हिलाते हुए मेरे गाण्ड के होल पर रगड़ने लगी.. मेरी रूह काँप रही थी… एक तरफ पिघलता मोम और दूसरी तरफ 8 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा लंड मेरी गाण्ड के छेद पर रगड़ मार रहा था।
तभी तानिया ने रगड़ना बंद किया और मेरी गाण्ड पर लंड टिकाकर एक ज़ोर का झटका लगा दिया…
गाण्ड पर चिकनाई ज़्यादा ना होने के कारण सुपारा तो अन्दर चला गया.. पर पूरा लंड नहीं गया.. मेरी चीख निकल पड़ी तो एक आंटी ने अपने हाथ से चीख दबा दी।
तानिया ने मेरी जाँघों की पकड़ मजबूत करके और ज़ोर से धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड मेरी छोटी सी गाण्ड को चीरता हुआ अन्दर चला गया।
मैं दर्द से तड़प उठा.. पर करता भी तो क्या..? मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे.. मेरी गाण्ड लगभग फट ही गई होगी.. ऐसा मुझे लग रहा था।
तब मुझे इस बात का अहसास हुआ कि जब हम मर्द लोग औरतों की गाण्ड मारते हैं.. तो उन्हें कैसा महसूस होता होगा।
दो मिनट उसी अवस्था में रखने के बाद तानिया हलके से धक्के मारने लगी और मेरा दर्द धीरे-धीरे बढ़ता ही गया। मैं रो रहा था.. ‘मुझे जाने दो’ की भीख माँग रहा था और वे सब लोग ज़ोर-ज़ोर से हँस रही थीं।
जैसे-जैसे धक्के बढ़ते गए और तानिया के लण्ड पर लगाया हुआ जैल पूरी तरह से मेरी गाण्ड में फैल गया.. मेरा दर्द कम होता गया।
तानिया मुझे बोलने लगी- रोना बंद कर और बोल.. ‘फक मी हार्ड मी मिस्ट्रेस.. फक मी हार्ड..’
मैंने अपना मुँह हिलाकर ‘ना’ का इशारा किया तो 2 चाटें मेरे गालों पर पड़े और दो मेरी गोटियों पर.. उसी के साथ पिघला हुआ मोम भी मेरे जिस्म पर टपकना शुरु हो गया।
मैं आँख बंद करके बोलने लगा- फक मी हार्ड.. फक मी हार्ड।
उन सब लोगों ने मुझे आँखें खोलने को कहा.. वे सब मेरी आँखों में मेरी घिन.. शर्म देखना चाहती थीं।
उस पीड़ा से बचने की वजह से मुझे आँखें भी खोलनी पड़ीं और मैं छत की तरफ देखता रह गया।
मेरी कानों में उन सबके ज़ोर-ज़ोर से हँसने की और ‘कम ऑन तानिया.. फक हिम हार्डर.. फक हिम हार्डर..’ ऐसी आवाजें पड़ रही थीं।
मैं चिल्ला रहा था-आह.. आआआह..उऊहह… आअहह.. मर गया रे..
मैं ऐसे ही चिल्लाता रहा.. पर मेरी आवाज़ उन सबके कहकहों की आवाज़ में दब गई।
लगभग 20 से 30 मिनट तक ज़ोर-ज़ोर से चोदने के बाद तानिया ने फिर से मेरी गाण्ड में अपने गरम वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया। वीर्य छूटने के बाद भी उसका लंड मेरी गाण्ड में 5 मिनट तक अन्दर-बाहर होता रहा था। एक हिजड़े की इतना क्षमता देख कर मैं हैरान था।
मेरा जिस्म ढीला पड़ गया था.. जगह-जगह पर मोम के लाल निशान बन गए थे।
फिर तानिया ने लंड बाहर निकाला और आंटियों ने मेरे हाथ खोल दिए.. मेरी गाण्ड का छेद पूरी तरह से फट गया था.. मैं उठ ही नहीं पा रहा था.. पर उन्होंने मुझसे कहा- जल्दी से उठ.. और हम सबके पैर छूकर माफी माँग..
मैं किसी तरह उठा… दर्द के मारे मैं चल नहीं पा रहा था.. पर फिर भी मुझे माफी मांगने का आदेश पूरा करना था.. तब ही मेरी यहाँ से छुट्टी होने वाली थी।
मैं पहले हर मम्मी के सामने गया.. उनके पैर पर माथा रख कर कहा- ग़लती मेरी थी.. मुझे माफ़ कर दीजिए.. आगे से मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा..
यही चीज़ मैंने चारों लड़कियों के पैर छूकर भी की.. जिंदगी में पहली बार मेरे से कम उम्र की लड़कियों के मैंने पैर छुए.. सबसे माफ़ी मांगने के बाद मुझे तानिया के पैर छूकर उससे भी माफी मांगने को कहा गया और मैंने वैसा ही किया।
मुझे खुद पर शरम आ रही थी.. 8 महिलाओं के सामने मुझे एक हिजड़े ने चोदा था..
फिर उन्होंने मेरे सामने मेरी सारी पिक्स डिलीट कर दीं.. और कहा- हम लोग ये पिक्स रखकर तुम्हें और भी सबक सिखा सकते हैं लेकिन शायद ये सबक तुम्हारी जिंदगी का सबसे बड़ा सबक होगा और तुम आगे से ऐसी हरकत करने से पहले 1000 बार सोचोगे.. जाओ यहाँ से.. अब अपना मुँह काला करो..
एक लड़की मुझे चिढ़ाने के लिए बोली- अरे इसका छेद तो अब बड़ा हो गया होगा ना.. इससे अब सुबह टॉयलेट में जब पेट खाली करने जाएगा तो ज़्यादा तकलीफ़ भी नहीं होगी..
सब हँस पड़ीं।
वे सब बोलीं-.. आज खिड़की से जैसे ही तुझे दोपहर में घर आते देखा था.. तभी हमने तानिया को फोन करके बुला लिया था और ये सब प्लान बनाया था।
मैंने कपड़े उठाकर जैसे-तैसे पहन लिए और मैं वापस अपने फ्लैट पर आ गया।
मेरी गाण्ड जैसे सूज गई थी.. मैं ठीक से बैठ भी नहीं पा रहा था.. अगले 2 दिन तबियत का हवाला देकर मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली।
लेकिन कहते हैं ना.. कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती.. वैसे ही मेरी आदत अब भी वैसे ही है।
दोस्तो, यह मेरी असली Gay Sex Stories कैसी लगी जरूर बताना।
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