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साहूकार का मोटा लंड मेरी चूत चोद गया - Hindi Sex Stories

मेरा नाम सोनल रावत है. मैं उत्तराखण्ड में जन्मी और मेरी शादी 2018 में यू पी के बरेली में एक अच्छे व्यापारी से हुई.

अभी मेरी उम्र 27 साल है.


मैं अपनी चूत चुदवाने को हमेशा तैयार रहती हूँ.


मगर शादी से पहले तक मेरे किसी से संबंध नहीं थे क्योंकि मैं बहुत शरीफ लड़की थी.


लेकिन कुछ साल पहले मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरी चूत और सोच दोनों को चुदाई के लिए पूरी तरह से खोल दिया.


यह मेरी कामुकता की कहानी लॉकडाउन के कुछ समय बाद की है.


लॉकडाउन से पहले मेरे पति का व्यापार बहुत अच्छा चल रहा था.

लेकिन लॉकडाउन के बाद उनका व्यापार मंदा हो गया और उनकी कंपनी घाटे में चलने लगी, जिसको जिंदा रखने के लिए हम लोगों पर बहुत कर्ज चढ़ गया था.


एक दिन की बात है जब मैं कुछ जरूरत की चीजें खरीद कर घर वापस लौटी.

तो मैंने देखा कि मेरे घर में मेरे पति के अलावा पांच छह लोग और थे.

इन्हें मैंने पहले कभी नहीं देखा था.


मुझे लगा कि ये मेरे पति के दोस्त होंगे तो मैंने सबके लिए चाय बना दी.

कुछ देर बाद मैं चाय लेकर हॉल में उन लोगों के पास गयी और सबको चाय दी.


वहां वे लोग मेरे पति को धमकी दे रहे थे- हमारे पैसे लौटाओ, वरना हम तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे.

यह सब सुनकर मैं घबरा गई.


मेरे पति उनसे बार बार विनती कर रहे थे- दस लाख मैं दे चुका हूँ और बाकी के पैसे भी बहुत जल्दी लौटा दूंगा.

मगर वे लोग नहीं ही मान रहे थे और मेरे पति के साथ बदसलूकी कर रहे थे.


मुझसे यह सब देखा नहीं गया और मैंने पूछा- आपके कितने पैसे लिए हैं इन्होंने?

यह सुनकर उनमें से एक ने कहा- साठ लाख लिए थे और अभी बस दस लाख ही लौटाए हैं. समय छह महीने का मांगा था और वह भी पूरा हो गया है.


मैंने कहा- देखिए भाई साहब, हमारा व्यापार थोड़ा कमजोर चल रहा है. जैसे ही पैसे आएंगे, मेरे पति आपको दे देंगे.

उनमें से उनका सरदार बोला- देखिए भाभी जी, इनको बहुत समय दे चुका हूं और आज कम से कम दस लाख तो लेकर ही जाएंगे.


वे लोग एकदम जिद पर अड़ गए और हंगामा करने लगे.

स्थिति बदतर होने लगी थी.


यह देखकर मेरे पति बोले- देखिए, कुछ दिन का समय और दे दीजिए मैं पैसे दे दूंगा.

मगर वे लोग नहीं मान रहे थे.


इतने में उनका सरदार बोला- देखो अब आया हूँ तो कुछ न कुछ तो लेकर ही जाऊंगा.


“मेरे पास अभी आपको देने के लिए कुछ नहीं है. जैसे ही पैसे आते हैं, मैं खुद आपके पास लेकर आऊंगा!”

इस पर उनका सरदार बोला- मुझे तुम्हारी पत्नी चाहिए.


यह सुनकर हम दोनों के होश उड़ गए.


मेरे पति ने कहा- ऐसा नहीं हो सकता!

वह बोला- अगर नहीं हो सकता तो एक घंटे का समय देता हूँ. तू दस लाख का इंतजाम कर या फिर मुझे अपनी पत्नी दे!


यह सुनकर मैंने अपने पति को एक साईड में बुलाया और बोली- यह क्या बात कर रहा है?


इस पर मेरे पति परेशान होकर बोले- यह बहुत बड़ा बदमाश है. यहां इसका रुतबा चलता है. मैंने गलती कि जो इनसे पैसे लिए. अगर पैसों का इंतजाम नहीं हुआ, तो ये लोग जो कहेंगे, वह हमें करना होगा. वरना ये लोग कुछ भी कर सकते हैं.


इतना कह कर वह पैसे के जुगाड़ में इधर उधर फोन घुमाने लगे.


समय तेजी से बीत रहा था और जब एक घंटा पूरा हुआ तब तक बस दो लाख का ही इंतजाम हो पाया था.

हमनें उन्हें दो लाख के लिए काफी मनाने की कोशिश की मगर वह नहीं माना.


अब उनका सरदार मेरे पास आया.

वह दिखने में कुछ खास नहीं था मगर शरीर से हट्टा-कट्टा था.


मेरे कंधे पर हाथ रखकर वह बोला- भाभी जी, अब आप ही अपने पति को बचा सकती हो.

मैंने कहा- वह कैसे?


इस पर वह बोला- बस जैसा मैं बोलता हूँ, वैसा करती जाओ.

मैंने अपने पति की तरफ देखा.

मगर वे चुप थे.


वे बोले- तुम इनके साथ जाओ और जैसा बोलते हैं, वैसा करो!

यह सुनकर बाकी के लोग जोर जोर से हंसने लगे.


मेरे पास अब कोई दूसरा उपाय नहीं था.

मैं चुपचाप बिना किसी सवाल के उसके साथ बेडरूम में आ गई.


अगले कुछ पलों में मेरी जिंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली थी.


जैसे ही हम दोनों बेडरूम में आए, उसका एक बंदा मेरे पति को अन्दर लेकर आया. उसने मेरे पति को कुर्सी पर बैठाकर उन्हें बांध दिया और दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया.


अब बस हम तीन लोग उस कमरे में थ गए थे.


वह मेरे पति के पास गया और बोला- आज तुम देखोगे कि मैं अपने पैसे कैसे वसूलता हूँ.


अब मेरे साथ जो होने वाला था, उसकी मैंने कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी.

लेकिन मैं मानसिक रूप से इसके लिए तैयार थी.


वह मेरे पास आया और बोला- माफ करना भाभी, पर मुझे आपके पति को सबक सिखाने के लिए ऐसा करना ही पड़ेगा.

यह कह कर वह मेरे बिल्कुल करीब आ गया और मेरी गर्दन पर उंगली फेर कर मेरी गर्दन से बालों को पीछे हटाकर किस किया.


इस किस से मेरे अन्दर अलग किस्म की एक झनझनी देने वाली अद्भुत सी तरंग उठी.

उस वक्त मुझे डर से सहम जाना चाहिए था पर न जाने क्यों मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा.


मैं भूल गई थी कि मेरे पति से बदला लेने की नीयत से मुझे शारीरिक रूप से रौंदा जाने वाला है.

बस न जाने क्यों मुझे बड़ा ही मीठा अहसास होने लगा था.


मैं एक ऐसी शर्म से भर गई थी मानो मेरे साथ कामदेव ने कुछ गुदगुदी की हो.


मैं अपनी अधखुली आंखों से अपने पति की ओर देखने लगी.

वह चुपचाप यह सब देख रहे थे और कुछ नहीं बोले.


यह देख कर मुझे अब लगा कि यह गलत हो रहा है, तो मैंने खुद को उससे दूर किया और अपने पति के पास जाकर बैठ गई.

मैंने गुस्से में उनसे पूछा- क्या यह सही हो रहा है?


वे धीमी आवाज में बोले- जो हो रहा है, होने दो. हम कुछ नहीं कर सकते. यह आदमी बहुत बुरा है. इसने अपनी भाभी तक को नहीं छोड़ा था.


यह सुनकर अब मेरे पास अपने पति की बात मान लेने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं बचा था.


मैंने भी उसके साथ इन्जॉय करने का मन बना लिया था.

जब चुदना ही है तो क्यों न मजा ले लेकर चुदा जाए.


अब वह मेरे पास आया और उसने मेरी साड़ी धीरे से खींच कर उतार दी.

मेरे जिस्म से उतरता हर कपड़ा मेरे पति की इज्जत थी.


वह बोला- तुम्हारी पत्नी इतनी मस्त रसमलाई है, इसे चखे बिना कैसे छोड़ दूं.


उसने मुझे अपनी ओर खींच कर एक ही झटके में मेरे ब्लाउज और ब्रा को फाड़ कर उतार दिए.

अब मैं उसके सामने अर्धनग्न अवस्था में थी.


वह मेरे दोनों स्तनों को चूसने लगा जिससे मैं उत्तेजित होने लगी थी.


अब वह मुझे होंठों पर किस करने लगा और मैं भी उसका साथ देने लगी.


यह देख कर वह मुस्कुरा दिया और मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मेरे मुँह के रस को पीने लगा.


फिर मुझे किस करते करते उसका एक हाथ मेरे पेट के पास कुछ टटोलने लगा.


उसने मेरे पेटीकोट के नाड़े को पकड़ कर खींच दिया जिससे पेटीकोट एक झटके में जमीन पर गिर गया.


मैं पैंटी नहीं पहनती हूँ, इसलिए मैं पहली बार किसी गैरमर्द के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी.


अब वह जीभर कर मेरी चूत का दीदार करने लगा.

मेरी चूत को देखकर वह बोला- वाह कितनी खूबसूरत चूत है और चुदने के लिए एकदम तैयार भी है … आह साली चूत रस से भरी हो गई है.


वह सच कह रहा था.

मेरी चूत चुदने की लालसा में पानी छोड़ रही थी.


वह मेरी चूत पर हाथ फेर कर कह रहा था- आज तेरी चूत को चोद चोद कर पूरा फाड़ दूंगा.


यह सुनकर मैं शर्म से पानी पानी हो गई और मैंने अपने दोनों हाथों से उसके हाथ को हटा कर अपनी चूत को ढक लिया.


उसने झटपट से अपने सारे कपड़े उतार दिए.


जैसे ही मेरी नज़र उसके लंड पर पड़ी, मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए.

बाप रे … इतना बड़ा और मोटा लंड … मैंने तो अभी तक सामने से देखा ही नहीं था.


आज पहली बार मैं किसी अंजान मर्द को अपने सामने ऐसे नंगा देख रही थी.


मैं एकटक उसके काले नाग जैसे फनफनाते लंड को देख रही थी.

मेरे पति से बहुत ज्यादा लंबा और मोटा लंड था उसका!


उसने मुझे अपने हाथ हटाने को कहा.

मगर मुझे बहुत शर्म आ रही थी.


उसने धीरे से मुझे धक्का देते हुए बेड पर गिरा दिया और मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर चूत से अलग कर दिया.

उसने एक पल की भी देर किए बिना अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के होंठों पर रख दिया और रगड़ने लगा.


मेरी चूत बिल्कुल गीली थी और उसके लंड को चखने को बेताब थी.

इसी लिए मेरी टांगें खुद ब खुद फैल गई थीं.


यह देख कर उसने एक ही झटके में अपना पूरा लंड मेरे अन्दर पेल दिया.

एक झटके से उसका मोटा लंड चूत में घुसा तो मुझे बहुत तेज दर्द हुआ.


मगर मैंने उसे बर्दाश्त कर लिया था.

मैं नीचे देखने लगी.


मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिस इंसान को मैं तीन घंटे पहले तक जानती भी नहीं थी, उसका लंड मेरी चूत में था.


अब वह मुझे चोदने लगा और साथ साथ मेरे बोबे मसल रहा था.


यह मुझे बेहद सुख देने वाला काम हो रहा था.


नीचे मेरी चूत में उसका लंबा लंड मेरी चूत पर कोई रहम नहीं खा रहा था.


मेरी चूत ने रस छोड़ दिया था.

अब पूरे कमरे में फच्च … फच्च की बहुत तेज आवाज गूंजने लगी थी.


आवाज से ही कोई अंदाजा लगा सकता था कि मेरी कितनी बेरहमी से चुदाई हो रही थी.

इतना मस्त मुझे अभी तक किसी ने नहीं चोदा था.


ऐसा लग रहा था कि वह मेरी चूत की चटनी बना कर ही मानेगा.


मैं भी मजे लेकर बोलने लगी- आह ऐसे ही चोदते रहो … रुकना मत आह!

उसे भी मुझे चोदने में बेहद मजा आ रहा था.


वह मुझे चोदता रहा और मैं अपने पति की तरफ देख रही थी.

वह मुझे दनादन चोदे जा रहा था और बोल रहा था- आह भाभी … मस्त माल हो यार तुम … ऐसी मस्त चूत मैंने आज तक नहीं चोदी.


हम दोनों चुदाई में इतना मगन हो गए थे कि किसी चीज का होश-हवास ही नहीं रह गया था.


बहुत देर तक मुझे चोदने के बाद उसने मुझे कुतिया बनाया और मेरा चेहरा पति के सामने कर दिया.


अब वह तेज झटके के साथ मेरी चूत को पीछे से लंड पेल कर बजाने लगा था.

उसके दोनों हाथ मेरे दोनों दूध मसल रहे थे.


सच में ऐसी चुदाई मेरी आज तक नहीं हुई थी.

उसका लंबा मोटा लंड मेरे गर्भाशय तक चोट कर रहा था.


अब मुझे अपने पति की झांट परवाह नहीं रह गई थी.

कामुकता से भरी मेरी चूत ने भी दुबारा से पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.


बहुत देर तक ऐसे ही चोदने के बाद उसने मुझे दुबारा लेटा दिया और मैंने खुशी खुशी अपनी टांगें खोल दीं.


वह मुझसे बोला- भाभी जी, सच में यार आप चोदने के लिए ही बनी हो. यहां ऐसी गुलाबी चूत मिलना बेहद मुश्किल है.


मैं यह सुनकर मुस्कुरा दी और मन में सोचने लगी कि काश मेरे पति भी मुझे ऐसे ही चोदते.


अब उसने अपना लंड दुबारा मेरी चूत पर सैट किया और फच्च से अन्दर डाल दिया.


उसका लंबा मोटा लंड मेरी गीली रसीली चूत में बेहद आसानी से घुसता चला गया था.

बिना किसी देर के वह मुझे फिर से धक्कापेल चोदने लगा.


उसकी चुदाई से गूंजने वाली फच्च फच्च की आवाज मेरे कानों को बहुत सुकून दे रही थी.

कुछ देर तक ऐसे ही चोदने के बाद उसने अपना सारा माल मेरी चूत की गहराई में डाल दिया.


वह मुझसे चिपक कर लेट गया.


उसने आवाज लगा कर दरवाजा खुलवाया.


दरवाजा जैसे ही खुला, मैंने देखा कि बाकी सारे मर्द बाहर खड़े थे और मुझे नंगी देख कर हंस रहे थे.

मुझे बेहद शर्म आ रही थी.


उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और उस पर लगी मलाई को मेरी झांटों में रगड़ कर पौंछ दी.


अब वह कपड़े पहन कर मेरे पति से बोलने लगा- तेरी पत्नी मस्त माल है, चोदने में मजा आ गया. एक लाख अपने हिसाब में से माफ करता हूँ तेरे और एक महीने का समय भी देता हूँ. मुझे कम से कम बीस लाख चाहिए. अगर पैसे का इंतजाम नहीं हुआ, तो इस बार तेरी पत्नी को रात भर चोदूंगा.

यह कहकर उसने मेरे पति को खोल दिया और वे लोग चले गए.


लेकिन मैं वैसी ही चुदी पिटी सी लेटी रही.


थोड़ी देर में मेरे पति मेरे बगल में आए और बोले- मुझे माफ करना सोनल, मेरी वजह से तुम्हें इतना दर्द सहना पड़ा.

मगर उन्हें क्या पता था कि इस अनचाही चुदाई से मेरी चूत तृप्त हो गई थी.


मुझे शुरूआत में उन पर जितना गुस्सा आ रहा था, उतनी ही मैं अब खुश थी. मगर यह चीज मैं जाहिर नहीं कर सकती थी.


पर मैं रोने का नाटक करती हुई बोली- देखो, आपकी वजह से मेरी चूत का क्या हाल कर दिया उस जालिम ने. अगर बच्चा बैठ गया, तो मैं किसी को क्या मुँह दिखाऊंगी?


मेरे पति बोले- पत्नी का अपने पति के हर सुख दुःख में साथ देना फर्ज होता है. उम्मीद है वह दुबारा परेशान नहीं करेगा. जैसे दाने दाने पर लिखा होता है, खाने वाले का नाम, वैसे ही हर चूत पर लिखा होता है, उसे बजाने वाले का नाम. अगर बच्चा हो भी गया, तो उसे मैं अपनाऊंगा. इस कमरे में क्या हुआ, ये सिर्फ हम दोनों को पता है.


एक महीने का समय पूरा होने लगा था और मेरे पति पैसे का जुगाड़ नहीं कर पाए थे.


वे केवल छह लाख का ही इंतजाम कर पाए थे.

इसलिए वे बहुत टेंशन में आ गए और मेरे पास आकर मायूस होकर बैठ गए.


मैंने कहा- आप एक बार बात करो, शायद वह मान जाए.

मगर बात करने पर भी वह नहीं माना.


कुछ देर के बाद उसका कॉल दुबारा आया और वह मान गया था.

मेरे पति बोले- वह फिलहाल छह लाख के लिए ही मान गया है और कुछ समय का टाईम और देने को तैयार है. मगर वह कल पैसे लेकर तुम्हें भेजने को बोल रहा है.


यह सुनकर मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या बोलूं!


एक तरफ मुझे मेरे पति की इज्जत बचानी थी और दूसरी तरफ जिस्म की प्यास कह रही थी कि उसके पास ही जाना है.


पहले तो मैंने मना कर दिया.

मगर मेरे पति नहीं मान रहे थे.

वे बोले- बहुत मुश्किल से पैसों का जुगाड़ हुआ है, अगर नहीं पहुंचाएंगे तो बहुत दिक्कत हो जाएगी.


हार कर मुझे अगले दिन शहर से बाहर एक गाँव में पैसे लेकर जाना था.

मेरे पति भी मेरे साथ गए थे.


करीब दो घंटे की ड्राइव के बाद हम लोग सही जगह पर पहुंच गए.


मेरे पति पैसे लेकर उसे देने गए, तब तक मैं कार में ही बैठी थी.


काफी देर तक उन लोगों की बातचीत चली.

करीब एक घंटा बाद मेरे पति वापस आए.


मेरे पति कार में आकर बोले- वह छह लाख लेने से मना कर रहा था. वह अब थोड़े थोड़े पैसे लेने से मान तो गया है लेकिन उसकी एक शर्त है!

मैं बोली- कैसी शर्त?


मेरे पति चुप हो गए.

लेकिन मैंने उनसे उगलवा लिया.


उसकी शर्त ये थी कि जब तक हम उसके सारे पैसे नहीं लौटा देते, तब तक हर महीने में एक दिन रात मुझे उसके साथ गुजारनी होगी.

मैंने झट से मना कर दिया.


मेरे पति इस बात से मुझ पर खफा हो गए और बोलने लगे कि महीने में एक ही दिन की तो बात है. मैं कोशिश करूँगा कि जल्द से जल्द उसके पैसे लौटा दूं.


मैंने गुस्से में अपने पति से कहा- वह मुझे बुलाकर मेरी पूजा तो करेगा नहीं!


वे मुस्कुराते हुए बोले- हां मैं जानता हूँ कि वह तुम्हारे साथ क्या करेगा. बस कुछ दिनों की बात है और वैसे भी तुम उसके साथ एक बार सेक्स कर चुकी हो, तो कुछ बार और करने में क्या हर्ज है?

मैं बोली- एक बार आपके कहने पर कर लिया था!


वे बोले- अभी भी तो मैं ही कह रहा हूँ न … मान जाओ मेरी जान!

मैंने कहा- ठीक है, आप कहते हो, तो मैं कर लूंगी.


मेरी रजामंदी जानकर वे खुश हो गए और बोले- आज तुम्हें यहीं रुकना होगा. कल मैं तुम्हें लेने आउंगा!


यह कहकर उन्होंने मुझे वहीं उतार दिया और कुछ पैसे दे दिए ताकि जरूरत पड़ने पर मेरे काम आ सकें.


मैं कुछ देर एक पेड़ के नीचे रुकी रही.

तभी वह लोग गाड़ी में बैठकर आए और मेरे पास आकर रूक गए.


उस गाड़ी में कुछ लड़के और एक लड़की भी थी जिसकी हालत कुछ ठीक नहीं लग रही थी.

उन्होंने मुझे गाड़ी में बैठने का इशारा किया और मैं उनके साथ बैठ गई.


कुछ दूर चलने के बाद ही हम लोग एक घर में आ गए.

वहां उन लोगों ने मुझे और उस लड़की को उतार दिया और बोले- यह लड़की आपका ध्यान रखेगी. कुछ भी जरूरत हो, तो इनसे बोलिएगा.

इतना कहकर सारे चले गए.


उस वक्त शाम के पांच बज रहे थे.

हम दोनों घर के अन्दर आ गए.


मैंने उस लड़की से उसका नाम पूछा, तो उसने अपना नाम तान्या बताया.

वह चाय चढ़ा कर सीढ़ी पर चढ़कर बैठ गई.


उसने एक झीने से कपड़े का घाघरा पहन रखा था.

उसके अन्दर उसकी चूत साफ साफ दिख रही थी.


उसकी चूत और झांटों पर मर्द का प्रेमरस लगा हुआ था.

मैं समझ गई कि यह चुदवाकर आई है.


मैंने पूछा- किसने किया तुम्हारा ये हाल?

वह मुस्कुरा कर बोली- यही सारे, जो गाड़ी में थे. साले सुबह से चोद रहे हैं.


मैंने कहा- ठंडी का मजा तो तुम ही उठा रही हो.

वह बोली- घबराओ मत, तुम्हारा भी यही हाल होने वाला है.


यह बोल कर वह चाय छानने लगी.


चाय पीते पीते मैंने उससे पूछा- तान्या मुझे भी ये सभी चोदेंगे क्या?

उस पर वह मुस्कुरा कर बोली- नहीं, बस मेरा देवर चोदेगा तुमको … बाकियों का कोटा मैंने दिन में ही पूरा कर दिया है.


कुछ देर में तान्या का बेटा बाजार से मटन लेकर आ गया.

वह खाना बनाने लगी और मैं टीवी देखने लगी.


रात के करीब आठ बजे तान्या ने मुझे खाने के लिए बुलाया.


मैं और तान्या साथ खाने बैठे. उसने ढेर सारा मीट मुझे परोस दिया.

मैंने कहा- कम डालो.

वह हंसकर बोलने लगी- अरे अच्छे से खाओ, रात भर कच्चा मीट भी तो खाना है.


यह सुनकर मैं शर्मा कर चुपचाप खाने लगी.


करीब साढ़े आठ बजे गांव में पूरा सन्नाटा पसर गया था.


ठंडी का मौसम था तो सब अपने अपने घरों में बंद हो गए थे.


तान्या सारा काम निपटाकर मेरे पास आई और बोली- चलो.

मैंने पूछा- कहां चलना है?

वह बोली- बस तुम मेरे साथ चलो.


मैं उसके साथ घने कोहरे के बीच खेतों की पगडंडियों के रास्ते एक तालाब के पास पहुंची.

वहां तालाब के बगल में एक मिट्टी का घर बना हुआ था. तान्या मुझे उसके अन्दर ले गई.


वह कमरा अन्दर से काफी बड़ा था और उसमें एक बेड लगा हुआ था, जिस पर कंबल वगैरह सब था.

तान्या ने मुझे बताया कि वह थोड़ी देर में आ रहा है.


मैंने बोला- तुम्हारा देवर यह सब काम कब से कर रहा है?

तान्या- पहले मेरे पति और ये साथ काम करते थे. कुछ साल पहले मेरे पति की मौत हो गई, तब से इसकी मनमानी और बढ़ गई है. उनका हिसाब का पैसा वसूलने के लिए इसने मुझे कई बार चोदा है. जब उसने मुझे नहीं छोड़ा, तो तुम्हें क्या छोड़ेगा. पैसे और दूसरों की पत्नी के अलावा उसे कुछ नहीं सूझता है.


अगले कुछ मिनट बाद वह कमरे में आ गया और उसने दरवाजे में कुंडी लगा दी.


वह तान्या के पास आया और बोला- भाभी, आज बहुत ठंड है और रात भी लंबी है.

इस पर तान्या बोली- ये नयी है, थोड़ा प्यार से सर्दी दूर करना.


वह हंसते हुए बोला- कोई नई नहीं हैं भाभी … इसको मैं पहले भी चोद चुका हूँ.

तान्या ने मेरी तरफ देखा, तो मैंने हां में सर हिला दिया.


तब तान्या ने उसे एक गोली दी और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराती हुई बोली- फिर तो तुम दोनों अच्छे से खेलो.


वह मेरे पास आया और बोला- मुझे पता था कि तुम जरूर आओगी!

यह बोल कर वह मेरे पास आ गया और सैंडल उतार कर मुझे बेड पर लेटने को बोला.


मैंने वैसा ही किया.


वह बोला- जब से तुम्हें चोदा है, तब से तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूँ.

यह कहकर उसने तान्या के द्वारा दी गई गोली को खा लिया.


मैं समझ गई कि इसने चुदाई की पावर बढ़ाने वाली दवा खाई है.


अब वह मेरे पास आ गया और बोला- तुम बहुत खूबसूरत हो!

मैंने शर्माकर एक मुस्कान दे दी.


उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और कुछ पल में वह पूरा नंगा हो गया.

उसका लंड किसी हथियार की तरह लटक रहा था.


उसने मुझसे उठने का कहा और अपने लंड पर मेरा हाथ रखकर बोला- इसे खड़ा करो मेरी जान!

मैंने पूछा- कैसे?

वह बोला-इसे अपने मुँह में लो … और चूसो.


मगर मैंने पहले कभी ऐसा नहीं किया था तो मुझे झिझक हो रही थी.


इतने में तान्या मेरे पास आयी और बोली- चूसो इसे!

मैंने उसकी तरफ देखा और बोली- मुझसे नहीं होगा!


इस पर वह बोला- भाभी, आप इसे चूसना सिखा दो.

तान्या ने उसका लंड पकड़ा और उस पर किस कर दिया.


उसने मुझे भी किस करने को बोला.

मैंने भी आंखें बंद करके किस कर लिया.


पहली बार किसी लंड को मैंने मुँह लगाया था.

तान्या ने उस लंड को पकड़ कर चमड़ी नीचे की ओर की और धीरे धीरे उसके लंड के सुपारे को अपने मुँह में भर लिया.


अब वह उसके लंड को मजे से चूसने लगी.

वह किसी लॉलीपॉप की तरह लंड को चूसने में लगी रही.


यह देखकर मुझे भी बहुत रोमांच आने लगा.

धीरे धीरे उसका लंड सख्त होने लगा.


कुछ देर बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कहा- मुझे भी चूसना है.

मेरी यह बात सुनकर वह दोनों खुश हो गए.


तान्या ने मुँह से लंड निकाल कर कहा- ये हुई न बात.


अब मैंने उसके लंड को जैसे ही होंठों पर लगाया, तान्या ने फट से उसका मेरा सिर ठेल दिया, जिससे उसका पूरा लंड मेरे मुँह में भर गया.

यह मेरे लिए पहला अनुभव था.


मैं धीरे धीरे उसका लंड चूसने लगी.

मुझे बहुत अच्छा लगने लगा.


लंड चूसने में मैं इतनी मगन हो गई कि तान्या के जाने का मुझे अहसास ही नहीं हुआ.


थोड़ी देर बाद उसने मेरे मुँह से लंड निकाल दिया और बोला- अब इसे तुम्हारी चूत चखने दो.

यह कहकर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और वह मेरे पास आ गया.


उसने मेरे कंधे पर से मेरी साड़ी उतार दी.

अब मैं ब्लाउज और पेटीकोट में थी.


उसने नीचे हाथ लगाया और मेरी पेटीकोट को खींचकर ऊपर कर दिया.


जैसे ही पेटीकोट ऊपर उठा, मेरी नंगी चूत उसके सामने थी.

मैंने अपनी टांगें फैलाकर उसके लंड को मेरे अन्दर आने की अनुमति दे दी.


वह खुश होकर बोला- अरे वाह, आज तो तुम पूरे मूड में हो!

मैंने कहा- हां, आज मैं तुमसे चुदवाने ही तो आई हूँ.


उसने बिना देर किए अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया और जोर जोर से मुझे चोदना शुरू कर दिया.

धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा.


वह इतनी बेरहमी से चोद रहा था कि पूरा कमरा फच्च फच्च की आवाजों से मचल उठा.


मेरे मुँह से ‘आह ओह चोदो ऐसे ही … फाड़ डालो मेरी चूत …’ यह सब निकलने लगा.


वह अन्धाधुन्ध धक्के मारता रहा और मैं मजे में सहती रही.

इस बार पिछली बार से ज्यादा मजा आ रहा था.


कमरे में कोई नहीं था इसलिए मैं भी खुलकर चुदवा रही थी.


चोदते चोदते वह बोला- घोड़ी बनो.

मैंने उसकी बात खुशी खुशी मानी और घोड़ी बन गई.


घोड़ी बना कर वह मुझे चोदने लगा और उसी पोजीशन में उसने मेरे ब्लाउज और ब्रा दोनों को उतार कर फेंक दिया.

अब मैंने अपने खुद से अपने पेटीकोट का नाड़ा ढीला किया और सर के रास्ते उसे उतार फेंका.


कुछ देर चोदने के बाद उसने अपना लंड निकाला और सारा माल मेरी पीठ पर डाल दिया.

वह बेड पर लेट गया और तेज तेज हांफने लगा.


मैं कुछ देर छाती के बल लेटी रही.

थोड़ी देर बाद हम दोनों को ठंडी लगने लगी तो उसने कंबल खींचकर मुझेओढ़ा दिया और वह खुद भी उसमें आ गया.


हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे.

करीब एक घंटे तक हम दोनों ऐसे ही लेटे हुए थे.


फिर उसने मुझे कमर पर हाथ रखकर चित किया.

वह मेरे बोबे पर हाथ फेर रहा था.

काश ऐसा प्यार मेरे पति करते.


उसने पूछा- क्यों मेरी जान, तैयार हो?

मैंने कहा- किसलिए?

वह बोला- दुबारा चुदने के लिए!

मैं मुस्कुरा कर बोली- ये भी कोई पूछने की बात है यार.


यह सुनकर वह मेरे ऊपर चढ़ गया और लंड मेरी चूत के मुहाने पर सैट कर दिया.


उसने बिल्कुल आराम से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया और बोला- मेरी हुस्न परी आज तो तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना दूंगा.

मैं बोली- तुम्हें जो करना है, करो.


अब वह मुझे फिर से रौंदने लगा.

फिर से कमरे का माहौल चुदनुमा हो चला.


वह मुझे जगह जगह चूमने और चाटने लगा.

अब हम दोनों ने कंबल हटा दिया और अब मैं भी गांड उठा उठाकर चुदवाने लगी.


मैं तो मानो जन्नत की सैर कर रही थी.

कुछ ही देर की चुदाई ने मेरी चूत का रस निकाल दिया और मैं पहली बार झड़ गई.


वह मुझे अभी भी दनादन चोदे जा रहा था.

मैं उसे किस करने लगी और उसका लंड मेरी चूत को फाड़ रहा था.


चुदाई की वजह से मेरे बोबे जोर जोर से हिल रहे थे.


करीब बीस मिनट और चुदवाने के बाद मेरी चूत ने दोबारा पानी छोड़ दिया मगर वह मादरचोद मुझे चोदे ही जा रहा था.


साले का लंड था या दानव का लंड था.

वह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.


थोड़ी देर और चुदवाने के बाद मैं तीसरी बार झड़ने वाली थी.

मेरी चूत और उसके लंड ने एक साथ पानी छोड़ दिया.


वह मुझसे लिपट गया और कसके मुझे खुद से चिपका लिया.


उसका गर्म माल मेरी चूत को सुकून दे रहा था.


हम दोनों थक गए थे और कुछ पल वैसे ही लेटे रहे.


उसका लंड अब भी मेरे अन्दर था.


कुछ देर बाद मैंने समय देखा तो लगभग एक बजने वाला था.


उसने बगल में पड़ी थैली में से दो सेब फल निकाल कर मुझे दिए और एक खुद भी खाने लगा.

वह बोला- खा लो, अभी तो आधी रात बाकी है.

मैंने वैसा ही किया.


कुछ देर बाद हमारी तीसरी पारी शुरू हुई. वह लंड को अन्दर बाहर करने लगा.


उसके माल की वजह से मेरी चूत चिपचिपी हो गई थी और लंड सटासट अन्दर बाहर हो रहा था.

अब वह फिर से पूरी रफ्तार से मुझे चोदने लगा था. वह मेरे बोबों को जोर जोर से मसल रहा था.


मुझे दर्द भी हो रहा था लेकिन उतना ही मजा भी आ रहा था.


वह मुझे धकापेल चोदे जा रहा था मानो मैं कोई सेक्स की गुड़िया हूं.

उसके हर धक्के से मेरी चूत में जलन हो रही थी.


अब मेरी चूत ने चौथी बार अपना पानी छोड़ दिया.

उसका लंड किसी मशीन की तरह मेरी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.


इससे सुखदायक पल मेरे जीवन में पहले कभी नहीं आया था.

मैंने भी खुद को उसके लंड के आगे समर्पण कर दिया था.


करीब दस मिनट मुझे और चोदने के बाद वह मेरी चूत में ही झड़ गया.

इतना पहले किसी ने मुझे नहीं चोदा था.


कुछ देर बाद सब शांत हो गया.

हम दोनों कंबल में लिपट कर सो गए.

मेरी तो हालत खराब हो गई थी.


जब मेरी नींद खुली तो वह मेरी चूचियां चूस रहा था.

उसने कहा- मुझे तुम्हारी चूत को और चोदना है.


मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया कि साला इंसान है या हैवान!

वह बोला- क्या हुआ, तुम्हें मेरा लंड पसंद नहीं आया क्या?


मैं बोली- अगर पसंद नहीं आता, तो चुदवाने थोड़ी आती!

वह बोला- फिर क्या बात है?

मैं बोली- मुझसे नहीं होगा. तुमने चोद चोद कर मेरी हालत खराब कर दी है.


मैंने घड़ी की तरफ देखा तो सुबह के चार बजने वाले थे.

रात कितनी जल्दी बीत रही थी, पता ही नहीं चल रहा था.


वह मुस्कुराकर बोला- बस इतने में फट गई तुम्हारी. तुमसे बढ़िया तो मेरी तान्या भाभी है, जो पूरी रात मेरा साथ देती है.

यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया.


आखिर मैं थी तो एक लड़की ही, खुद के सामने दूसरी औरत की तारीफ कैसे सुन सकती थी!

मैंने कहा- मैं उससे बेहतर हूँ.


यह कहकर मैंने खुद उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत में डाल लिया.

मैंने कहा- चोदो मुझे, जितना चोदना है … रगड़ दो इस चूत को!


उसने फिर से रफ्तार बनाई और घचाघच मुझे पेलने लगा.

वह बड़े चाव से मुझे चोदने लगा था और मैं भी खुशी खुशी चुदवाने लगी थी.


मेरे बोबों को मसल मसल कर उसने लाल कर दिया था मगर अब मुझे इन सब चीजों की फिक्र भी नहीं थी.


कुछ देर बाद मैं एक बार फिर से झड़ गई और मेरे अन्दर अब और सहने की ताकत नहीं बची थी.

उसकी भी रफ्तार पहले जैसी नहीं थी. वह भी थक चुका था.


कुछ देर बाद उसके झटके काफी तेज हो गए. मैं समझ गई कि यह फिर से झड़ेगा.

मैंने बोला- अन्दर ही झाड़ो.


मगर उसने अपने लंड को निकाल कर सारा माल मेरी चूत के बाहर झांटों पर ही गिरा दिया.

मैंने हाथ से सारा माल वहीं पौंछ लिया.


मैंने उसे किस किया और बोली- और चोदोगे क्या मुझे?

इस पर वह कुछ नहीं बोला.


हम दोनों के जिस्म की आग शांत हो चुकी थी.

इस इंडियन सेक्स के बाद हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए.


सुबह जब मेरी नींद खुली, तो कमरे में मैं अकेली थी.

घड़ी की तरफ देखा, तो सुबह के दस बजने वाले थे.


कुछ देर बाद तान्या मेरे पास आई और मुस्कुरा कर उसने मुझे चाय पकड़ा दी.


मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी थी और मेरे बाल बिखरे हुए थे.


उसने पूछा- कैसी बीती रात मोहित के साथ?

मैंने कहा- वह एक दरिंदा है.


वह मुस्कुराती हुई बोली- जैसा भी है, मजा बहुत देता है.

मैं भी मुस्कुराकर बोली- हां वह तो है. आपके मोहित ने मेरी चूत को मोहित कर लिया है.


वह बोली- तुम भी कम नहीं हो, अभी तक जितनी भी यहां आई हैं. उनमें सबसे गोरी और सुन्दर हो. तुम्हें चोदने में उसको बहुत मजा आया होगा!


उसके बाद मैंने कपड़े पहने और तान्या ने मुझे अपनी स्कूटी पर ले जाकर बरेली छोड़ दिया.

क्योंकि उसे भी वहां से कुछ सामान लेना था.


इस चुदाई के बाद तो मुझे अपने पति का लंड लेने का मन ही नहीं करता.

अब मैं अक्सर नए लंड की तलाश में रहती हूं.


एक बार अगर आपको किसी गैरमर्द ने चोद दिया, तो फिर पति को वह प्यार दे पाना मुश्किल होता है.


इस Hindi Sex Stories पर आपके विचार आमंत्रित हैं.

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