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सुहागरात में भाई ने भाभी को चोद के चूत का सिल तोड़ा

हाय, मेरा नाम रवि है. मेरी उम्र 19 साल की है.


यह फर्स्ट सेक्स कहानी आज से 5 महीने पहले की है.


मेरे भैया की उम्र 22 साल है. उनकी अभी नयी नयी शादी हुई थी. भाभी का नाम सुमन है.

मैंने सुमन भाभी को जब पहली बार देखा, तभी से उनका दीवाना हो गया था.


सुमन भाभी का फिगर 32-28-34 का था. उनके दूध एकदम संतरे जैसे दिखते हैं.

भाभी जब हंसती हैं तो उनके गालों में गड्डे पड़ते हैं, उस समय उन्हें देख कर मेरा दिल एकदम से पगला जाता है और मेरा मन भाभी को चूमने का करने लगता है.


इधर मैं भी देखने में ठीक-ठाक हूँ. अपने भैया से कुछ ज्यादा स्मार्ट हूँ.


भाभी से मेरी अभी ज्यादा बात तो नहीं बनी है, पर वो मुझसे काफी अच्छे से बात कर रही थीं.


जब भैया की शादी हुई तो मैंने सोचा क्यों ना भैया की सुहागरात देखी जाए.

लेकिन ये हो कैसे, तो मैंने दिमाग़ लगाया और एक जुगाड़ किया.


भैया के रूम में एक रोशनदान था, जो पीछे की गैलरी की ओर खुलता था और उधर कोई आता-जाता भी नहीं था.


मैंने सुहागरात वाली शाम में ही वहां पर एक स्टूल रख दिया और एक बार चढ़ कर अन्दर का नजारा भी देख लिया कि इधर से सब कुछ ठीक दिखेगा या नहीं.


स्टूल एकदम सही जगह पर लगा हुआ था, मैं रात को लाइव ब्लूफिल्म देखने के लिए काफी उत्सुक हो गया था.

मैंने इस बात का खास ख्याल रखा कि किसी की नज़र वहां ना पहुंचे.


फिर मैंने सभी के साथ आकर खाना खाया.

उसके बाद जब रात हुई तो सब सोने के लिए अपने कमरे में चले गए. मॉम डैड अपने कमरे में और रिश्तेदार भी एक अलग कमरे में चले गए.


सुमन भाभी तो पहले से ही सुहागरात वाले कमरे में थीं.

सबको जताता हुआ मैं भी अपने कमरे में कुछ पहले ही आ गया ताकि सबको लगे मैं थका हुआ था इसलिए जल्दी सो गया हूँ.


उसके बाद जब भैया अपने कमरे में गए, तब लगभग 15 मिनट के बाद मैं चुपके से रसोई से होता हुआ पानी पीने का बहाना करते हुए पीछे की गैलरी में पहुंच गया.


मैंने केवल हाफ पैंट और टी-शर्ट पहनी थी, अन्दर कुछ नहीं पहना था.

मैं धीरे से स्टूल पर खड़ा हुआ और रोशनदान से कमरे के अन्दर देखने की कोशिश की.


मेरी भी किस्मत बहुत अच्छी थी क्योंकि वहां रोशनी थी और सब कुछ एकदम साफ नज़र आ रहा था.


भैया ने भाभी की ठोड़ी को पकड़ा हुआ था और वो दोनों एक दूसरे की आंखों में झांक कर हल्के हल्के से मुस्कुरा रहे थे.


तब भैया ने कहा- जान तुम कितनी सुंदर हो … आई लव यू.

भाभी ने भी मुस्कान देते हुए अपनी नजरें झुका लीं और धीमे से बोलीं- मी टू.


भैया ने कहा- ये क्या हुआ यार … तुमने तो बस मी टू में निपटा दिया. पूरा बोलो न … कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो.


भाभी ने चेहरा ऊपर उठाया और शर्मा कर फिर से नजरें झुका लीं.

भैया ने उनकी ठोड़ी को फिर से उठाया और कहा- बोलो न जान.


भाभी ने अबकी बार भैया की आंखों में देख कर कहा- आई लव यू टू!

इतना कह कर भाभी ने अपने आपको भैया की बांहों में छोड़ दिया.


भैया ने भी भाभी को अपने आलिंगन में भर लिया और उन्हें चूमने लगे.


चूमाचाटी का दौर शुरू हुआ तो भैया ने भाभी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और वो दोनों प्यासे प्रेमियों की तरह चुम्बन का रस लेने लगे.

भाभी भी शर्माती हुई उनका साथ दे रही थीं.


कुछ समय बाद भैया ने अपने कपड़े उतार दिए थे और वो अंडरवियर में थे.

कपड़े उतार कर भैया बिस्तर पर बैठ गए और फिर से भाभी के गुलाबी होंठों का रसपान करने लगे थे.


फिर धीरे धीरे भैया ने भाभी का ब्लाउज खोला और भाभी के बड़े बड़े संतरे जैसे मम्मे ब्रा में कैद दिखने लगे.

भाभी के दूध उनकी छोटी सी पिंक ब्रा में एकदम टाईट दिख रहे थे.


ये नजारा देख कर मैंने अपनी हाफ पैंट नीचे की और अपने मूसल जैसे लंड को बाहर निकाल लिया.

मेरा लंड फूलने लगा था, मैं उसे हाथ से हिलाने लगा.


भैया भी अब सब्र नहीं कर पा रहे थे.

उन्होंने एक बार भाभी के मम्मों को ब्रा के ऊपर से चूमा और फटाफट ब्रा को भी खोल दिया.


अब भैया भाभी जी की एक चूची को एक हाथ से मसलने लगे और दूसरी को मुँह से चूसने लगे.


भैया भाभी की चूची का निप्पल मुँह में दबा कर चूची का रस पी रहे थे.

भाभी भी कामुक हो चली थीं. उनकी शर्म कुछ कम हो गई थी और वो भैया के सर को अपने मम्मों में दबाने लगी थीं.

उनकी हल्की हल्की सीत्कार निकलने लगी थी.


भैया ने दस मिनट तक मम्मों की चुसाई की और इसके बाद भैया ने भाभी की आंखों में आंखें डाल दीं.

उन दोनों की नजरों में वासना का नशा साफ़ दिखाई देने लगा था.


भैया ने भाभी की साड़ी उतारना शुरू की, फिर पेटीकोट भी उतार दिया.


अब भाभी की मोटी मोटी गोरी गोरी जांघें अनावृत हो गई थीं.

भाभी के जिस्म पर सिर्फ एक गुलाबी रंग की पैंटी ही बची थी.


मैं भाभी की खूबसूरत जवानी को यूं नंगी देख कर एकदम से पागल होने लगा था.


उधर भाभी की कामुकता उनकी आंखों में दिखने लगी थी और भैया का भी यही हाल था.


भैया भाभी की जांघों को चूसने और चाटने लगे.

फिर भाभी भी अपने आपको रोक ना पाईं और जोर जोर से सिसकारी लेने लगीं.


कुछ देर के बाद भैया ने भाभी की पैंटी उतार दी और उनकी सुर्ख लाल चूत मेरे एकदम सामने नंगी दिखने लगी थी.


मैं तो उन्हें नंगी देख कर एकदम से बौरा गया और जोर जोर से अपने लंड को हिलाने लगा.


भैया भी चूत देख कर ललचाने लगे और अपनी लार टपकाते हुए अपनी जीभ चूत पर ले गए.

वो अपनी चूत से भाभी की कमसिन बुर को चाटने लगे.


भाभी भी आ आ करने लगीं और अपनी बुर से पानी बहाने लगीं.


लगभग दस मिनट के बाद भाभी का शरीर ऐंठने लगा और वो भैया के मुँह में झड़ गईं.

ये देख कर मेरा भी लंड फव्वारे बहाने लगा.


फिर भैया ने अपने लंड अपने अंडरवियर से निकाला.

भैया का लंड भी कम नहीं था.

पूरे 5 इंच का तो होगा ही और मोटा भी काफी था.


भैया ने भाभी से कहा- सुमन मेरी रानी … इसको मुँह में लो.

लेकिन वो शर्माने लगीं और ना में सिर हिलाने लगीं.


भैया समझ गए कि अभी गुलाब की नयी नयी कली है, ये ऐसे नहीं करेगी.

तो भैया ने कहा- कोई बात नहीं.


उन्होंने भाभी को लिटा दिया और अपने लंड को चुदाई की पोजीशन में सैट कर दिया.


भैया भाभी की बुर पर लंड रगड़ने लगे.

एक बार स्खलित ही चुकी भाभी, फिर से गर्म हो गईं और सीत्कार करने लगीं- आ अया ऊंह उम्म … आआआह!


तभी भैया ने एकदम से धक्का दिया तो लंड का सुपारा चूत की फांकों को एक चांटा सा मारता हुआ नीचे को फिसल गया.

लंड के सुपारे ने भैया की ताकत का सहारा लेकर कुछ तेज चोट की थी.


इस चोट से भाभी की नाजुक बुर डर गई और भाभी को शायद कुछ दर्द भी हुआ, जिस वजह से वो जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आ अया … मर गई … लग गई … आह.


पहले तो मुझे लगा कि लंड चूत में घुस गया है.


मगर भैया कुछ उठे तो समझ मैंने देखा कि भैया का लंड भाभी की चूत के अन्दर नहीं गया था, वो बुर को चोट देता हुआ फिसल कर साइड में हो गया था.

शायद भैया की भी आज पहली चुदाई थी.


फिर भैया ने एक दो बार ट्राई किया लेकिन लंड अन्दर नहीं जा सका.


भैया ने पास में लगी ड्रेसिंग टेबल पर रखी सरसों के तेल की शीशी को उठाया और ढेर सारा तेल अपने लंड पर लगा लिया.

फिर भैया ने भाभी की बुर में भी तेल लगाया और उंगली से चूत के अन्दर तक तेल लगा कर भाभी की चूत को ढीला करने की कोशिश की.


भाभी की कराहें तो भैया की उंगली से निकलने लगी थीं.

वो भैया के हाथ को बार बार पकड़ रही थीं मगर भैया ने चूत में तेल लगाना नहीं छोड़ा.


भाभी की चूत से कुछ लिसलिसा सा पानी बहने लगा था जो कि तार बन कर भैया की उंगलियों में लग कर साफ़ दिखाई दे रहा था.


अब भैया भाभी की दुबारा से चुदाई की पोजीशन बनी.

भैया ने भाभी की टांगों को फैलाया और उनके ऊपर चढ़ गए.


उन्होंने फिर से भाभी की चूत पर लंड का निशाना लगाया.

लंड का सुपारा चूत की फांकों में घिसा तो भाभी कुनमुनाने लगीं.


उनके मुँह से आह आह की आवाज निकलने लगी और कमर उठ कर लंड लीलने की कोशिश सी होती दिखने लगी.


इस बार भैया ने लंड के सुपारे को भाभी जी की बुर की फांकों में सैट किया और एक हाथ से लंड पकड़ कर शॉट मार दिया.


भैया ने लंड एक ही झटके में चूत पेल दिया.

तभी फॅक की आवाज़ हुई और पूरा लंड चूत में समा गया.


भाभी जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आह हाए मम्मी … हाए मम्मी मर गई आ अया … आज मर गई आह बचा लो … मम्मी!

भैया का भी लंड छिल गया था तो वो भी रुक गए और दोनों थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे.


भाभी की आंखों से आंसू बहे जा रहे थे.

थोड़ी देर बाद भैया ने फिर से झटके लगाना शुरू कर दिए और भाभी की बुर से खून की धार बहने लगी.


भाभी रोती रहीं और भैया उन पर ध्यान ना देते हुए बस लंड पेलते रहे.


दस मिनट चोदने के बाद भैया भाभी की बुर में झड़ गए और अपना सारा वीर्य उनकी बुर में निकाल दिया.

फिर भैया साइड में लेट गए.


भाभी तो बस रोए जा रही थीं.


लगभग दस मिनट के बाद जब भाभी को लगा कि भैया अब नहीं उठेंगे.

क्योंकि वो सो चुके थे.


भाभी बहुत मुश्किल से उठीं और उन्होंने पास रखा एक रुमाल उठाया और बेड पर लगे हुए खून को साफ किया, अपनी बुर को साफ किया … और फिर ऐसी ही नंगी अपने बाथरूम में लंगड़ाती हुई चली गईं.


लगभग 5 मिनट बाद भाभी वापस निकलीं और उन्होंने अपने कपड़े पहने.


वो भैया को देखने लगीं … शायद उन्हें बहुत दुख हो रहा था क्योंकि भैया ने अपना माल निकालने के बाद भाभी की खून वाली बुर भी साफ नहीं की.


फर्स्ट सेक्स अनुभव के बाद भाभी आंसुओं से भरी आंखों से भैया को देखती रहीं.

फिर धीरे से साइड में लेट गई कर सो गईं.


मैं भी जल्दी से स्टूल से नीचे उतरा और चुपके से अपने रूम में आ गया. मैंने भाभी को याद करके अपने लंड का पानी निकाला और मैं भी सो गया.

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