मैं कोमल आपकी सेवा में हाजिर हूँ.
मैंने इस साईट पट बहुत सारी सेक्स कहानी पढ़ीं, जिससे मेरा हौसला बढ़ा कि मैं भी अपनी सेक्स कहानी लिख कर आप सबको बताऊं।
तो चलिए भाभी फक कहानी शुरू करती हूँ.
लड़के अपने लंड को हाथ में ले लें और लड़कियां अपनी चुत में उंगली डाल लें … क्योंकि मैंने भी डाली हुई हैं.
मेरी उम्र 39 साल की है और मैं एक हाउसवाइफ हूँ।
मेरी फिगर 32-28-30 की थी पहले.
मैं लखनऊ से हूँ.
मेरी शादी कानपुर में हुई.
मुझे टीवी सीरियल देखने का बहुत चस्का था.
मैं हमेशा टीवी के सामने ही बैठी रहती थी. मेरे ज़्यादा टीवी देखने से मेरे हब्बी भी बहुत गुस्सा रहते थे.
सॉरी मैं अपने अलावा अपने परिवार के बारे में कुछ नहीं बता पाई.
मेरे पति का नाम रमेश है। उनकी उम्र 43 साल है और हमारे 2 बच्चे हैं.
मैं शुरू से ही साड़ी पहनती आई हूँ और मैं उसमें बहुत सुंदर भी लगती हूँ.
मैं अपने पति के साथ सामान्य तरीके से ही सेक्स करती थी.
उस वक्त तक अपनी जिंदगी में किसी से कोई ज़्यादा नहीं घुली मिली थी.
फिर कुछ ऐसा हुआ कि पड़ोस की एक महिला मेरी सहेली बन गई।
अब मैं और मेरी ये सहेली शाम के वक्त टहलने जाने लगे.
एक दिन जब हम वॉक पर गए थे, तो रास्ते में एक कुतिया आगे आगे जा रही थी और 6-7 कुत्ते उसके पीछे पीछे चल रहे थे.
कुछ देर बाद एक कुत्ते ने कुतिया की चुत में अपना लंड फिट कर दिया और वह उसे चोदने लगा.
हम दोनों उस कुत्ते कुतिया के जोड़े को देखने लगे और हंसने लगे.
कुछ ही देर में जिस कुत्ते ने कुतिया की चुत के अन्दर अपना लंड डाला हुआ था, वह अब शायद फंस गया था और दूसरी तरफ घूम कर कुत्ता कुतिया अपना सेक्स सुख लेने लगे थे.
बाकी के कुत्ते उन दोनों के आस पास ही घूम रहे थे.
मेरे साथ वाली दीदी उन्हें देख कर बोलीं- कोमल, इनको देख कर मुझे अपनी याद आ गई!
सॉरी मैं आपको अपनी सहेली का नाम बताना भूल गई.
उनका नाम मंजू था, उम्र 40 की, रंग फेयर, 36-30-38 का बहुत जबरदस्त फिगर था.
मैं बोली- क्या हुआ दीदी, आपको क्या घटना याद आ गई!
मंजू- कभी मुझे भी 5-6 लंड एक साथ चोदा करते थे, जबसे हज़्बेंड रिटायर हुए हैं, तब से मैं खुल कर चुद ही नहीं पा रही हूँ.
मैं- ऊओ दीदी, यह क्या बोल रही हो आप? पाँच छह एक साथ?
मंजू- तो और क्या … तुझे क्या लगता है कि मेरी यह फिगर तेरे जीजू ने बनाई है! नहीं यार ये सब बाहर वालों की मेहरबानी है … जिन्होंने मुझे रगड़ कर चोदा वरना मैं भी तेरी तरह ही दुबली पतली रह जाती!
मैं- ना बाबा … मैं तो ऐसी ही ठीक हूँ, मैं तो बाहर किसी को देख भी नहीं सकती और यह काम तो कभी नहीं कर सकती!
मंजू- अगर तू एक बार ग्रुप में चुद लेगी तो तू हज़्बेंड का लेना भूल जाएगी. असली जिंदगी का मजा ही ग्रुप में चुदने में है. तुझे एक बार तो जरूर ही ट्राइ करना चाहिए.
मैं- नहीं नहीं, मैं तो अपने हब्बी का ही बहुत मुश्किल से ले पाती हूँ, ग्रुप का कहां से ले पाऊंगी!
मंजू- चल आ मेरे घर, तुझे कुछ दिखाती हूँ.
मैं उनके साथ उनके घर चली गई.
वे मुझे हाथ पकड़ कर सीधे अपने कमरे में ले आईं और दरवाजा लॉक कर दिया.
मैं कुछ समझ पाती कि मंजू दीदी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और वे मेरे सामने पूरी नंगी हो गईं.
मैंने अपने सामने में पहली बार किसी औरत को नंगी देखा था.
मैं अचकचा कर बोली- मंजू दीदी आप यह क्या कर रही हो?
वे बोलीं- मेरी चुत को देख … और मेरी गांड में उंगली कर!
यह कहती हुई दीदी ने मेरी तरफ अपनी गांड कर दी.
मैंने शर्माते शर्माते उनकी गांड को टच किया और उंगली छेद में डाल दी.
सच में उनकी गांड एकदम खुली हुई थी.
दीदी घमंड से बोलीं- इस गांड में 9-9 इंच के लंड बड़े आराम से सरकते चले गए हैं … और आगे देख, मेरी इस चुत में तो पता ही नहीं कि कितने चले गए हैं!
मैं बोली- लेकिन आप यह सब मुझे क्यों बता रही हो?
तो मंजू दीदी बोलीं- जो मजे मैंने लिए है, मैं चाहती हूँ कि तू भी एक बार ले!
मैं मना करने लगी.
तो वे मुझसे बोलीं- ठीक है, मैं तुझे फोर्स नहीं करूंगी. मैंने तुझे कुछ भेजा है, घर में जाकर तुम एक बार अकेले में बैठ कर पढ़ना और यदि तुझे वह सब अच्छा लगे तो मुझे बताना.
फिर बाद में जब तुम कहोगी, तब मैं तुझे इन्वाइट करूंगी.
उनकी बात सुनकर मुझे चुल्ल होने लगी कि ऐसा क्या भेजा है.
मैं वही सब जानने की इच्छा करती हुई अपने घर वापस आ गई.
घर आकर मैंने अपना कुछ काम किया और जैसे ही मैं फ्री हुई, तो मुझे याद आया … तो मैंने अपना फोन उठाया और देखा.
मंजू दीदी ने मुझे कोई कामवासना की सेक्स कहानी भेजी थी.
मैंने इधर उधर देखा तो बच्चे नहीं थे।
मैं भी अपने काम से एकदम फ्री थी इसलिए बैठ कर अपने मोबाईल में उस कहानी की लिंक को खोल कर एक कहानी को पढ़ने लगी.
उसमें और भी सेक्स कहानियां थीं, मैं एक एक करके देखने लगी तो पाया कि वे सभी ग्रुप सेक्स की कहानियां थीं।
मैं एक स्टोरी को ध्यान से पढ़ने लगी. उस सेक्स कहानी में एक लेडी ने 12 लंड एक साथ लिए थे.
उस कहानी को पढ़ कर ऐसा लग रहा था मानो उस महिला की जगह में चुद रही हूँ.
मैं कामवासना से भर गई और मेरी चुत ने गर्म होकर मुझे मजबूर कर दिया कि मैं उंगली से अपनी चुत को रगड़ कर शांत करूं.
सच कह रही हूँ कि उस सारी रात मैं सो नहीं पाई थी, बस लंड से चुदवाने की ही सोचती रही.
अगले दिन सुबह से ही मैं पहली फुरसत पाते ही उसी लिंक को खोल कर सेक्स कहानी सर्च करने लगी.
यही सब करते करते मुझे एक ईमेल आईडी सिम्मी (सिमरन) के नाम से मिली, तो मैंने उस गर्ल की मेल आईडी पर मैसेज किया.
तो मुझे तुरंत ही उधर से जवाब मिला और शायद यह एक अच्छा जवाब मिला था.
मैंने उससे आगे बात की और उसे अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बताया.
तो उसने मुझसे खुल कर बात की और अपना नंबर देते हुए मुझसे मेरा नंबर मांगा.
मैंने उसे अपना नंबर दे दिया.
फिर बातों बातों में मैंने अपने बारे में बताया कि मैं 39 साल की हूँ और उसे अपने फिगर की बात की.
उसने मुझसे पूछा कि मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ?
मैं बोली- मुझे अपनी फिगर अच्छी करनी है, उसके लिए चाहे कुछ भी करना हो … मैं करूंगी!
वह बोली- उसके लिए तो एक ही रास्ता है और वह है ग्रुप सेक्स … क्या तुम कर सकोगी?
मैं बोली- हां मैं ग्रुप में चुदना चाहती हूँ.
तो वह बोली- ठीक है, परसों तुम फ्री रहना … तुझे लेने दो लड़के आएंगे, तू उनके साथ खुल कर चुद लेना.
मैं भी खुश हो गई कि मैं कौन सा उनको जानती हूँ और ना ही वे मुझे जानते हैं.
उससे ओके कह कर मैं सोचने लगी और चुदाई की कल्पना में मस्त होने लगी.
फिर जब अगले दिन मैं वॉक पर गई, तो मंजू मुझे बताने लगी कि कैसे कैसे चुद कर उसने पैसा बनाया. प्लॉट्स, बैंक बॅलेन्स बढ़ाया है.
तो उसकी बातें सुनकर तो मेरा दिल करने लगा था कि बस कोई जल्दी से आए और मुझे एक बार चोद दे. फिर वह मुझे मंजू से ज़्यादा पैसे दे जाए.
लेकिन ऐसा संभव नहीं था.
उसी रात को में हब्बी से चुद रही थी.
मेरी चुत में वासना भरी हुई थी और मैं आज देर तक चुदवाना चाहती थी.
पर अफसोस यह हुआ कि पति महोदय ने मुझे बस 3-4 मिनट चोदा और अपने लंड का पानी निकाल कर सो गए.
मैं प्यासी रह गई.
पति के सो जाने के बाद मैंने अपनी चुत की मुठ मारी और मैं भी सो गई.
सुबह मैंने नहाने से पहले अपनी चुत को अच्छे से साफ किया और उन दो लड़कों के आने का इंतजार करने लगी.
तभी मेरे पास एक फोन आया. उसमें मुझे बताया गया कि मुझे एक लॉज में आना है.
यह जगह मेरे घर से करीब दस मिनट की दूरी पर ही थी.
मैं तुरंत अपने घर से ऑटो लेकर निकली और जैसे ही वहां पहुँची, तो रिसेप्शन पर दो लड़के खड़े थे जो देखने में काफ़ी आकर्षक थे.
वे मुझे देख कर मुस्कुराए तो मैं समझ गई कि यही वे दोनों हैं.
मैंने भी स्माइल दे दी.
उनमें से एक मेरे पास आया और मेरा नाम पूछने लगा.
मैंने अपना नाम बताया, तो उसने बताया कि हां आपके बारे में ही बात हुई थी.
मैंने हामी भर दी. वह बोला- कमरे में चलकर बात करते हैं!
मैंने ओके कहा और उनके साथ कमरे की तरफ चल दी.
यह कमरा फर्स्ट फ्लोर पर था.
कमरे में अन्दर जाकर देखा तो यह बहुत ही शानदार कमरा था.
मैंने अपनी ज़िंदगी में पहली बार इतना आलीशान कमरा देखा था.
उसने कमरे में लगी हुई फ्रिज में से कोल्डड्रिंक निकाल कर मुझे पिलाई.
मैं ड्रिंक पीने लगी और वे दोनों मेरे आजू-बाजू बैठ गए.
हमारी बातें होने लगीं।
उनमें से एक का नाम हर्ष था और दूसरा लोकेश.
तो लोकेश ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड तक ले गया.
यह सब पहली बार हो रहा था तो मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन जब मैं आई ही चुदने थी तो अजीब लगने का क्या मतलब था.
मैंने उसके लंड को पकड़ कर मसलना चालू कर दिया. यह देख कर हर्ष मेरे बूब्स दबाने लगा.
वह बोला- बहुत मस्त बूब्स हैं आपके!
मैं चुप रही.
अब तक मेरी ड्रिंक खत्म हो चुकी थी तो उसने मुझे उठाया और बेड पर ले आया.
उन दोनों ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और जल्दी ही मुझे पूरी नंगी कर दिया.
मैं पहली बार किसी अंजान मर्द के सामने नंगी हुई थी इसलिए मैं बहुत शर्मा रही थी.
तभी लोकेश ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और वह सिर्फ एक बॉक्सर में मेरे सामने आकर खड़ा हो गया.
मैंने जैसे ही आंख उठा कर उसके फूले हुए बॉक्सर की तरफ देखा तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.
उसका लंड 8 इंच लंबा और 3-4 इंच मोटा था. चूंकि उसने बॉक्सर से अपना लंड बाहर निकाल दिया था तो मैं साफ साफ उसके लौड़े को देख रही थी.
मैं जिंदगी में सोचती थी कि कब मैं इतने मोटे लंड से चुदूँगी!
आज मेरा वह सपना पूरा होने जा रहा था. फिर मैंने अपने बूब्स हिला कर उन दोनों को अपनी तरफ आने का इशारा किया, तो वे दोनों मेरे एक एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे.
मैं मजे से अपने दोनों दूध एक साथ चुसवाती रही.
थोड़ी देर बाद लोकेश ने बोला कि चल अब इसको चूस!
उसने मुझे बेड से नीचे उतारा और अपना लंड बाहर निकाल कर मेरे मुँह के पास कर दिया.
उसके लौड़े को देख कर मैं डर गई कि इतना बड़ा लंड!
उसने बोला- चल चूस इसको!
मैं आज पहली बार किसी के लंड को चूसने जा रही थी.
मैंने आज तक अपने पति का लंड भी नहीं चूसा था.
मैंने उसके लौड़े को अपने मुँह में लिया और घिन आने से मैं लंड को अच्छे से नहीं चूस पा रही थी.
तो वह समझ गया कि यह घरेलू माल है.
वह मेरे एक दूध को दबाता हुआ बोला- चल बहुत हुआ, तुझसे अभी लॉलीपॉप नहीं चूसी जाएगी … तू बेड पर आ जा. तुझे चुदना तो आता ही होगा!
यह कह कर उसने मुझे बेड पर चित लिटा दिया और हर्ष मेरे सामने अपना लंड हिलाता हुआ आ गया.
उसका लंड भी सेम ही था बस लोकेश से थोड़ा सा छोटा था.
वह लोकेश से बोला- अब तू इसकी चुत को चूस कर रेडी कर.
लोकेश ने मेरी चुत चूसनी शुरू की और दस मिनट तक चूसता रहा.
उस चुत चुसाई के दौरान मैं एक बार झड़ गई और झड़ी भी बहुत अच्छे तरीके से.
लोकेश ने मेरा सारा पानी पी लिया था.
दूसरी तरफ हर्ष मुझसे अपना लंड चुसवा रहा था, जिसकी वजह से मेरा मुँह दर्द होने लगा था.
अब लोकेश ने मेरी गांड उठाई और लंड मेरी चुत के पास ले जाकर चुत पर फेरने लगा.
मैं उसके लौड़े की गर्मी से मस्त होने लगी और जल्द से जल्द उसके लंड को अपनी चुत के अन्दर लेने की कामना करने लगी.
तभी लोकेश ने एक ही झटके में अपना लंड मेरी चुत के अन्दर डाल दिया.
मैं यह झटका सह ही पाई और मेरी चीख निकल गई ‘आआह हह मर गई आहह!’
तभी हर्ष ने मेरे मुँह में अपना पूरा लंड डाल दिया, जिसकी वजह से मैं चिल्ला ही नहीं पाई और ना चुत से लंड को हटा पाई.
उन दोनों की इस बेदर्दी से मैं पस्त हो गई थी. लोकेश का लंड मेरी चुत को फाड़ता सा महसूस हो रहा था.
मैं कराह उठी और तभी आगे से हर्ष ने मुँह में एक और झटका दे दिया.
उन दोनों के इन झटकों से मैं बस कराह रही थी.
वे दोनों मेरे शरीर की हालत बद से बदतर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे.
तभी लोकेश ने पुनः एक झटका दे दिया था, इससे उसका पूरा लंड मेरी चुत की जड़ तक अन्दर चला गया.
मैं फिर से चिल्लाई और हर्ष ने झट से मेरे मुँह को अपने पूरे लंड से बंद कर दिया.
मेरी आवाज़ जरा सी भी नहीं निकल रही थी, हर्ष ने अपना पूरा लंड मेरे गले तक ठांस दिया था और इस बार मेरे दो दाँत हर्ष के लंड पर लग गए थे.
उसको अपने लंड पर बहुत दर्द हुआ था, जिसकी वजह से उसने मेरे बाल पकड़ कर मुझे ऊपर उठाया और मेरे गाल पर एक झापड़ मार दिया- साली बहन की लौड़ी, लंड पर दांत लगा रही है कुतिया!
तभी लोकेश ने मेरी चुत में बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।
उसके झटकों से पूरा बेड हिल रहा था.
मैं अपने आपको संभाल ही नहीं पा रही थी.
तभी हर्ष बोला- चल अब मुझे इसकी चुत चोदने दे … बहन की लौड़ी ने दांत मार कर लंड को काट खाया है.
लोकेश ने अपना लंड मेरी चुत से निकाला और उसकी जगह अब हर्ष मुझे चोदने लगा.
हर्ष गुस्से में था तो उसकी स्पीड भी बहुत तेज थी.
हर्ष भी अपना पूरा लंड बाहर तक निकाल कर एक तेज झटके से पूरा अन्दर डाल देता.
उसके झटके इतने ज़ोर ज़ोर से लग रहे थे कि मेरे मुँह से लार टपकने लगी और उसके तेज झटकों के कारण में अपने आप पर काबू नहीं रख पा रही थी.
फिर दस मिनट बाद हर्ष ने अपने लंड का पानी मेरी चुत में निकाल दिया और मेरे ऊपर ही लेट गया.
मैं उसका पानी अपने अन्दर तक जाता हुआ महसूस कर रही थी.
सच में उसका माल बहुत गर्म था.
हर्ष अभी जवान था और जोश में था तो उसका जवान वीर्य मुझे अन्दर तक मजा दे रहा था.
हर्ष को हटे अभी कुछ ही सेकंड हुए थे कि तभी लोकेश आ गया और वह मेरे छेद में लंड पेल कर मुझे चोदने लगा.
पच पच की आवाज़ से पूरा कमरा गूंजने लगा.
मैं भी चिल्लाती रही.
उसने 20 मिनट तक मेरी चुदाई की और उसके बाद लोकेश ने भी अपना पानी मेरे अन्दर ही छोड़ दिया.
मैं थक कर लेट गई थी क्योंकि मैं आज पहली बार इतनी ज्यादा चुदी थी.
तभी हर्ष उठ गया और बोला- चलो कोमल जान, अब मैं तुम्हारी गांड की गर्मी देख लूँ!
उसने मुझे उठाया और सोफा पर ले जाकर पटक दिया.
कमरे में लगा सोफ़ा बहुत साफ्ट था तो मुझे बड़ा सुकून मिला.
उसने पहले मेरे बाल पकड़ कर मुझे अपना लंड चुसवाया.
फिर जब उसका लंड पूरा गीला हो गया तो वह मेरे पीछे आ गया और गांड के छेद पर लंड का सुपारा रगड़ने लगा.
मैं समझ चुकी थी कि अब मेरी गांड भी इन दोनों के बड़े बड़े लंड से चुदेगी.
मैं उसे गांड चोदने से मना करने लगी लेकिन रोक नहीं पाई.
फिर उसने अवसर देख कर मुझे कसके पकड़ा और अपना आधा लंड मेरी गांड में डाल दिया.
एकदम से लंड मेरी गांड के छेद को फाड़ता हुआ घुसा तो मैं इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि मेरी गर्दन की नसें फूल गई थीं.
मैं उस झटके को सह नहीं पाई थी- आआह मम्मी रे … आआआह मार गई रे … हट जा साले मादरचोद.
उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और उसी पल एक दूसरा झटका दे मारा.
मेरी आह के साथ उसका पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर चला गया था.
मैं चिल्लाना चाहती थी, लेकिन नहीं चिल्ला पाई.
मुझे उन दोनों ने बहुत कसके पकड़ा हुआ था.
मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे.
दो मिनट बाद मैं कुछ सामान्य हुई तो मेरी गांड एक अनजाने मजा से हिलने लगी.
यह देख कर उसने फिर झटके देना शुरू कर दिए.
मुझे दर्द अभी भी बहुत हो रहा था लेकिन इस बार मेरे दर्द में मजा आ रहा था.
शायद मैं भी अपनी गांड की चुदाई का मजा लेने लगी थी.
उसने पूरे 20 मिनट तक मेरी गांड मारी और अपना पानी मेरी गांड में ही छोड़ दिया.
हर्ष के बाद लोकेश ने भी मुझे आराम नहीं करने दिया.
उसने भी किसी सड़क छाप कुतिया की तरह पटक पटक कर मेरी गांड मारी.
करीब आधा घंटा तक गांड का बाजा बजाने के बाद लोकेश ने भी पानी छोड़ दिया.
अब हम तीनों ने थोड़ी देर आराम किया.
उन दोनों ने एनर्जी ड्रिंक लिया और मुझे भी पिलाया.
सच में यह एनर्जी ड्रिंक बड़ा मस्त था.
पीते ही सारी थकान मिट गई.
तभी मेरी नजर उन दोनों की तरफ गई तो उनके लंड एकदम खड़े ही थे.
कड़क लंड देख कर मैं हैरान थी कि इनमें इतना स्टॅमिना कैसे आ गया कि लंड छत की तरफ देख रहे थे.
लोकेश नीचे लेट गया और उसने मुझे अपने ऊपर लेकर मेरे लिप्स चूसने शुरू कर दिया.
मैं मजे लेने लगी और नीचे से अपनी चुत को उसके लौड़े पर रगड़ने लगी।
उसने भी मेरी चुत में अपना लंड डाल दिया.
मुझे उसके खड़े लौड़े पर अपनी चुत फंसा कर कूदने में मजा आने लगा.
मुझे अहसास ही नहीं था कि अभी मेरे साथ क्या होने वाला है.
अभी मैं उसके लौड़े पर कूद ही रही थी कि तभी हर्ष मेरे पीछे से आया और उसने मेरी गांड के छेद को थोड़ा सा खोला और एक ही बार में अपना लंड अन्दर डाल दिया.
इस बार डबल लंड मेरे आगे पीछे के छेद में एक साथ घुसे थे तो मेरे दर्द में दोगुना इजाफा हुआ.
मैं अभी चिल्लाना ही चाहती थी कि लेकिन तभी लोकेश ने मेरे मुँह को लिपलॉक कर लिया और वह मेरे मुँह को बंद करके धकापेल चोदने लगा.
उधर हर्ष मेरे दोनों दूध पकड़ कर मेरी गांड मार रहा था.
उन दोनों ने ऐसे ही 5 मिनट तक मुझे चोदा और मैं उनके हमलों से सहज होने लगी.
यह महसूस करते ही वे दोनों धीरे धीरे झटके देने लगे.
इससे मुझे भी अब मजा आने लगा.
करीब 40 मिनट तक अलग अलग पोजीशन में चोदने के बाद उन दोनों ने एक साथ ही मेरे अन्दर अपना अपना पानी छोड़ दिया.
अब तक मैं 3 बार झड़ चुकी थी.
हम तीनों अब बैठ गए थे. मेरी गांड नीचे सही नहीं लग रही थी, उसमें सूजन आ गई थी.
दोनों लंड के साथ सैंडविच सेक्स के बाद वे दोनों सिगरेट पीने लगे.
हर्ष ने मुझे भी सिगरेट दी तो मैंने भी एक कश लगाया.
फिर जब मैंने टाइम देखा तो दो बजने वाले थे.
मैंने कहा- अब मुझे जाना है, बहुत देर हो गई है.
वे भी थोड़ी ज़िद करने लगे थे कि नहीं अभी एक राउंड और करेंगे.
मेरे बहुत कहने पर वे दोनों भी मान गए.
उन्होंने मुझे कपड़े पहन लेने दिए और खुद भी पहनने लगे.
जब हम सब जाने के लिए रेडी हो गए तो हर्ष ने मुझे दस हजार रुपए दिए.
लोकेश ने कहा- अगली बार कब मिलोगी!
मैंने हंस कर कहा- जब बुलाओगे तो आ जाऊँगी!
उसने मुझसे मेरा नंबर माँगा तो मैं बोली- नहीं, सिमरन से बात कर लेना.
फिर जब मैं नीचे आ रही थी तो सब मुझे ही देख रहे थे क्योंकि मैं बहुत अजीब तरीके से चल रही थी.
दर्द के कारण धीरे धीरे चलते हुए मैं जैसे तैसे बाहर गेट तक आई और एक ऑटो बुला कर चल दी.
मेरे जाते ही वे दोनों भी निकल गए.
मैं कुछ देर बाद अपने घर आ गई और आते ही अपने बिस्तर पर गिर कर सो गई.
आज पहली बार मैं चुदाई में इतना ज्यादा थक गई थी कि क्या ही कहूँ!
बेरहम चुदाई का यह मीठा दर्द ऐसे ही 2 दिन तक रहा.
तीसरे दिन मंजू दीदी मेरे घर आईं और बोलीं- घूमने क्यों नहीं आ रही थी, क्या हुआ?
मैं दबी मुस्कान के साथ बोली- हालत ठीक नहीं थी!
वे बोलीं- अरे यार मुझे बताती तो … मैं तुझे चुटकियों में ठीक कर देती!
मैंने पूछा वह कैसे?
दीदी ने कहा- अरे यार उन दोनों से किसी और मर्द के ज्यादा मोटे लंड से चुदवा देती तो दर्द एक मिनट में भाग जाता! पैसे भी मिलते!
मैं बोली- नहीं नहीं, मुझसे एक का ही नहीं लिया जाता, दूसरा कहां से ले लूँगी!
तो मंजू दीदी बोलीं- तू मेरे साथ चला कर, तू भी बहुत मजा लेगी और खूब कमा भी सकती है. देख … मैंने इतना सब कुछ ऐसे ही बनाया है. अगर तेरे जैसी मुझे एक और मिल जाए तो दिक्कत ही कुछ ना रहे.
मैं चुप रही और मेरा जी फिर से ललचाने लगा।
दीदी ने मेरी आंखों की भाषा को पढ़ा और बोलीं- मैं आज रात के लिए जा रही हूँ। उधर 3 लंड मिलेंगे मुझे … आ जा, एक से तू भी मजा ले लेना. जो पैसे मिलेंगे उन्हें आधे आधे कर लेंगे!
मैंने ओके कह दिया.
उसके जाने के बाद मैं फिर से सिमरन को कॉल की और उससे बोली कि मैं ग्रुप में अच्छे से सेक्स करना चाहती हूँ.
तो उसने तीसरे दिन का फाइनल किया और मैंने अपनी लोकेशन भेजी.
मुझे पिक करने एक कार आई, जिसमें से एक लड़का उतरा, वह 27-28 साल का रहा होगा.
उसने मुझे अपने साथ चलने का बोला.
मैं जैसे ही गाड़ी में बैठी तो देखा कि उसमें 3 और मर्द बैठे थे।
वे भी उसी उम्र के लौंडे थे.
मैं पीछे की सीट पर बैठ गई और हम सब चल दिए.
अभी थोड़ी दूर ही गए थे कि पीछे जो लड़के बैठे थे, उनमें से एक ने मुझे दोनों के बीच में बैठने का कहा.
मैं बैठ गई.
अब एक मेरे बूब्स दबाने लगा और दूसरा मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगा.
मैं उनका साथ देने लगी.
उस दिन मैंने जींस टी-शर्ट पहनी थी तो उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतार दी और मेरे बूब्स दबाने लगे.
कुछ देर बाद उन्होंने मेरी जींस भी उतार कर मुझे ब्रा पैंटी में कर दिया.
वे दोनों मेरे जिस्म के साथ खेलने लगे और चुत में उंगली करने के साथ साथ मुझे भी गर्म करने लगे.
करीब 25-30 मिनट का रास्ता था, जिसमें उन्होंने मुझे खूब चूमा चाटा और अपना लंड भी चुसवाया.
सफर के बाद हम सब एक बड़े से फार्म हाउस में पहुँच गए.
उधर उन्होंने मुझे पूरी नंगी करके ही कार से नीचे उतारा और अन्दर ले गए.
इसके अगले भाग में आपको कोमल एकदम प्रोफेशनल रंडी के अवतार में दिखेगी।
तो आप अगले भाग को पढ़ना न भूलिए व अभी इस सेक्स कहानी पर अपने कमेंट्स जरूर करें.
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