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२ दिन में ३ लंड कुलबुलाती गांड़ में लिए

Kamvasna

सेक्स कहानी में पढ़ें कि मुझको गांड मराने की हवस सी हो गई थी. जब मेरी गांड में लोला जाता तो गांड में मीठी मिर्ची सी लगती. एक अनजान लड़के से मैं कैसे चुदा?

दोस्तो, मेरा नाम साजिद अली खान है. मैं मेरठ के एक गांव से हूँ.

मेरी पिछली कहानी अनकटे लंड से गांड मरवाने का मजा लिया आप सभी ने पढ़ी होगी. अब मैं आपको अपनी एक सेक्स कहानी बताता हूँ.

सन्नी और उसके दोस्त से चुदाई के बाद मुझको गांड मराने की हवस सी हो गई थी.जब मेरी गांड में लोला जाता और बाहर निकल कर फिर से अन्दर जाता … तो कसम से उसकी रगड़ मुझे जन्नत में पहुंचा देता.मेरी गांड में मीठी मिर्ची सी लगती. बस पूछो मत कि कितना मज़ा आता है.

सन्नी ने मुझको अपने एक दोस्त का नम्बर दिया जो लखनऊ का था लेकिन मोदीनगर में रह कर पढ़ाई कर रहा था.उससे मेरी फोन पर बात हुई.उसने बताया कि मेरे पास रूम है और मैं एक छोटी सी दुकान भी चलाता हूँ, इसलिए देर रात में आना.

एक दिन मैं मेरठ गया हुआ था. मेरा फोन खराब हो गया था, मैंने उसको ठीक करने के लिए दुकान पर दे दिया था.दुकान वाले ने बोला कि दो घंटे लगेंगे.

मैं टाइम पास के लिए पास में सिनेमा हॉल में चला गया.वहां देसी सेक्सी मूवी लगती थीं.मैं उसमें चला गया.

मैंने अंधेरे में देखा कि ये तो बड़ी बढ़िया जगह थी. सिनेमा हॉल में कोई किसी का लंड चूस रहा है, तो कोई किसी के लौड़े के ऊपर बैठ कर कूद रहा है.

पहले तो मेरी हिम्मत नहीं हुई कि किसी से कुछ कहूँ.

फिर एक आदमी मेरे पास आकर बैठ गया.मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्कुरा दिया. फिर धीरे धीरे उसने मेरा हाथ में हाथ डाल लिया और उंगली चलाने लगा.

मैं कुछ नहीं बोला, तो उसकी हिम्मत बढ़ती गई.उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. मैंने महसूस किया उसका लंड पैंट से बाहर निकला हुआ था.

एकदम लोहे की तरह सख्त था. गर्म गर्म लंड था मेरा मन मचल गया.मैं सीट से नीचे बैठ गया और उसके लंड को चूसने लगा.

थोड़ी देर में उसने अपना माल मेरे मुँह में भर दिया … मैंने थूक दिया.

वो बाथरूम में चला गया और मैं भी बाहर आ गया.

अब तक काफी समय हो गया था.मैं उस मोदीनगर वाले लड़के के बारे में सोचने लगा.

मेरा मूड बन गया था. मैंने उसे फोन लगाया तो उसने हां कर दी.मैं अपना फोन लेकर मोदीनगर के लिए बस में बैठ गया.

मोदीनगर पहुंच कर मैंने उसको फोन किया.उसने बताया कि वह कॉलेज के सामने खड़ा है.

मैं वहां पहुंचा.उसने कुछ सामान खरीदा और मेरी तरफ देखने लगा.शायद उसने कंडोम खरीदा था.

फिर हम दोनों उसके कमरे पर पहुंचे.वो एक नई कालोनी थी, ज्यादा लोग नहीं थे. उधर एक या दो घर ही बने थे.उस समय अंधेरा हो गया था.

वो और मैं उस कालोनी में आ गए.

उसने मुझको बांहों में भर लिया और चूमने लगा. वो अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को भींच रहा था. मेरी गांड को अपने हाथों में लेकर ऐसे ऊपर को खींचता मानो मुझे अपने अन्दर समाना चाहता हो.

मुझको उसका जोश देख कर बहुत खुशी हुई. वो जोश जोश में मुझको एक फुट ऊपर तक उठा रहा था.

फिर उसने मुझको उल्टा किया और मेरी पैंट खोल दी. मैंने नीचे कुछ नहीं पहना था.उसने मुझको आगे की ओर झुका दिया और मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए मेरी गांड में उंगली घुसेड़ दी.

वो मुझ पर किसी जंगली शेर की तरह टूट पड़ा. मेरी गांड में उंगली घुसेड़ता थप्पड़ मारता, मेरी गांड को दांत से काट लेता.मुझे भी न जाने कितना सुख मिल रहा था.

फिर मैंने उसकी पैंट खोली, उसमें से उसका कड़क लंड बिना कटा हुआ निकला.मैंने झट से उसके लंड को अपने मुँह में भर लिया.

तभी उसने मेरा सिर पकड़ा और पूरा लौड़ा मेरे गले में उतार दिया.

मुझको सांस लेते भी नहीं बन रहा था. लंड एकदम गले में जाकर अड़ गया था.उसी समय मुझको उल्टी होने को हुई मगर वो नहीं माना.

वो लौड़ा मेरे मुँह में धंसाता रहा.

फिर थोड़ी देर में हम दोनों ने कपड़े सही किए और हम रूम के अन्दर चले गए.

उधर एक छोटा लड़का भी आ गया था. उसने रोटी बनाई. हम दोनों ने रोटी खाई.फिर वो छोटा लड़का बाहर सोने चला गया.

कमरे की कुण्डी बंद करने के बाद वो मेरे पास आया और बोला- जानू गांड यहीं नीचे मरवाएगा या ऊपर?मैंने कहा- ऊपर कहां?

उसने टॉयलेट के ऊपर ही एक सामान रखने की जगह होती है, उसने उसको ही चुदाई का अड्डा बनाया हुआ था. उसमें रज़ाई गद्दे डाले हुए थे.

मुझको वो जगह मस्त लगी, मैंने कहा- ऊपर ही चलो.

नीचे रूम में ही हम नंगे हो गए. मेरा गोरा चिकना बदन उसके सामने आ गया.

मैंने उसी दिन अपने पूरी बॉडी के बाल साफ किए थे. उसका काला कड़क लौड़ा ऐसे खड़ा था मानो मुझको अपनी ओर बुला रहा हो.

फिर उसने एक सीढ़ी लगाई.मैं पहले ऊपर चढ़ने लगा, वो मेरे पीछे मेरी गांड पर थप्पड़ मारता हुआ चढ़ने लगा.

ऐसा लग रहा था मानो वो मुझको आगे बढ़ा रहा हो. मुझको ये अहसास सुखद लग रहा था.

हम दोनों उस चुदाई घर में आ पहुंचे.

वो मुझ पर टूट पड़ा. मेरे पूरे बदन को चाटने लगा.

उसके चाटने से में मछली की तरह तड़प रहा था, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.कभी मेरी कमर, कभी जांघ, तो कभी मेरी चूची, नाभि हर तरफ उसकी जीभ चल रही थी.मैं गुदगुदी से छटपटा रहा था.

उसने मुझको 4-5 जोरदार थप्पड़ लगाए और गालियां भी भी देना शुरू कर दीं- साले बहन के लंड गांडू भोसड़ी के भड़वे साले … सही से लेता रह भैन के लंड भोसड़ी के गंडमरे भड़वे आज तेरी गांड बहुत रगड़ कर मारूंगा.

इस तरह से वो मुझको गाली देता और थप्पड़ मारता हुआ मेरी गांड को नौच रहा था.मुझे बहुत दर्द हो रहा था … पर मज़ा भी आ रहा था.

फिर वो सीधा लेट गया और उसने अपना काम कर दिया था.

अब मेरी बारी उसके लंड को चूसने की थी.मैं उसका लंड चूसने लगा. कभी मैं आंडों को चाटता, तो कभी लंड को चूसता.वो मेरा सिर पकड़ कर पूरा लौड़ा मेरे मुँह में डाल रहा था.

कुछ देर बाद हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए. मैं उसके लंड को … और वो मेरे लंड को चूस रहा था.

वो मेरी गांड में उंगली भी कर रहा था. वो मेरी गांड पर थप्पड़ मारता और गालियां भी देता रहा.

फिर थोड़ी देर बाद उसने मुझको अपनी टांगों के बीच में आने को कहा और अपनी दोनों टांग उठाकर मुझको सैट का लिया.

वो बोला- चल भोसड़ी के गांडू मेरी गांड चाट.

अब मैं उसकी गांड को, उसके लंड को और टट्टों को चाट रहा था.

फिर उसने मुझको पीछे को धक्का दिया मेरी टांग उठा कर मेरी गांड चाटने लगा. मैं एकदम पागल हुआ जा रहा था.आह कितना मज़ा आ रहा था. ऐसा मेरी गांड की साथ पहली बार हो रहा था.

फिर उसने कंडोम निकाला और बोला- चल भोसड़ी वाली गांडू साली गंडमरी … मेरे लंड पर छतरी चढ़ा.मैंने उसके लंड पर कंडोम चढ़ा दिया.

उस कंडोम में दाने भी थे. फिर उसने एक क्रीम लेकर अपने लंड पर लगाई और मेरी गांड में उंगली डालकर लगा दी.

अब उसने मेरी टांग पूरी ऊपर उठा कर पीछे कर दी. मेरी गांड पूरी तरह से ऊपर हो गई थी.

उसने मुझको बांहों में जकड़ ली और अपना लौड़ा मेरी गांड पर सैट कर दिया.मैं अभी कुछ समझ पाता कि उसने एक ही धक्के में अपना लौड़ा मेरी गांड में उतार दिया.

मैं चिल्लाने लगा- उईई अम्मी मर गया … आह अम्मी बचा ले … मर गया … आह मेरी फट गई आह!

उसने एक हाथ से मेरा मुँह भींच लिया.अब मेरे मुँह से ‘उउंग उंगह …’ की आवाज़ आ रही थी.

वो बड़बड़ा रहा था- ले भोसड़ी के गंडवे भड़वे साले गांडू और ले!

उसने एक और तेज धक्के में मेरी गांड के अन्दर तक लौड़ा घुसा दिया और धक्के देने लगा.

अब मुझको दर्द कम और मज़ा बहुत आ रहा था.पूरे कमरे में मेरी मादक आवाजें गूँजने लगी थीं- आआह … भोसड़ी के फाड़ दे मेरी गांड को … आह ओह और ज़ोर से मारो मेरी गांड को!

मेरी गांड में से पचपच की आवाजें आ रही थीं.वहां हम दोनों के अलावा और कोई नहीं था इसलिए किसी का डर नहीं था.

वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारे जा रहा था. थपथाप की पचपच की आवाजें बहुत तेज तेज आ रही थीं.

मैं भी मदहोशी में चिल्ला रहा था और वो भी मुझे गाली देता हुआ मेरी गांड का गड्डा बनाने में लगा हुआ था.

वो कभी कभी मेरी छाती में काट लेता, मेरे मुँह पर थप्पड़ मारता … और मेरे मुँह से मुँह लगा कर होंठों को काट लेता. अपना थूक मेरे मुँह में डाल देता, जिसको मैं पिए जा रहा था.

कुछ देर बाद उसने मुझको कुतिया बनाया और मेरी गांड में लौड़ा पेल कर धक्के देने शुरू कर दिए.

मुझको जन्नत में पहुंचा दिया. मेरे बदन को जीभ से चाट कर थूक लगाता रहा.

फिर थोड़ी देर कुतिया बनाकर चोदने के बाद वो सीधा लेट गया.

मैं उसके लंड के ऊपर बैठ गया. मैंने लंड को अपनी गांड में डाल लिया और उछल उछल कर लौड़ा अन्दर तक लेने लगा.

नीचे से वो भी धक्के मारे जा रहा था.मुझे ऐसा लग रहा था कि उसका लंड मेरी नाभि तक जा रहा था.

उसका तना हुआ लौड़ा मुझको मज़ा दे रहा था. इतना मजा आ रहा था कि उसके थप्पड़ लगवाने से भी मुझको दर्द नहीं हो रहा था.

अब उसने मुझको उल्टा लिटा दिया और गांड में क्रीम लगा कर अपना लौड़ा एक ही झटके में मेरी गांड में उतार दिया.

मेरे मुँह से ‘आह मरी …’ की आवाज़ निकली और वो बिना कुछ सुने धक्के देने लगा.

अब मुझको मेरी गांड में उसके लंड के मजबूत धक्के महसूस हो रहे थे.नीचे मेरी लुल्ली रगड़ रही थी, दुगना मज़ा आ रहा था.

तभी थोड़ी देर में मेरी लुल्ली की पिचकारी निकल गई लेकिन वो रुकने का नाम नहीं ले रहा था.

करीब बीस मिनट तक मेरी गांड की रेल बनाने के बाद फिर से उसने मुझको सीधा लिटा दिया, लंड से कंडोम निकाल कर उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह में दे दिया.

मैं लंड चूसने लगा.उसने अपने लंड का गर्म लावा मेरे मुँह में डाल दिया.

मैं पी नहीं रहा था, उसने मेरे दोनों पकड़ कर मेरे लंड को उमेठ दिया तो मैं माल गटक गया.

फिर उसने मुझको थप्पड़ मार मार कर लंड चुसवा कर साफ़ करवा दिया.उसके बाद उसने अपना लंड मेरी चुचियों पर रगड़ा.

उस दिन मुझे उससे चुदवा कर बहुत मज़ा आया.

एक घंटे बाद उसने फिर से एक बार और मेरी गांड मारी.अब हम दोनों थक कर सो गए.

शाम को में घर आ गया। दूसरे दिन मैंने फेसबुक चालू किया।

मैं फेसबुक पर अक्सर गे आदमी को ढूँढता रहता था.

इसी बीच मेरी एक बागपत में रहने वाले एक व्यक्ति से बात हुई. वो बता रहा था कि वह किसी सरकारी ऑफिस में काम करता था.

कई दिन तक उससे मेरी उसकी बात होती रही. हम दोनों ही मिलने की बात करने लगे थे.

एक दिन मेरा बागपत जाना हुआ तो मैंने उसको फोन किया कि मैं बागपत आया हूँ.

वो ये सुनकर बड़ा खुश हुआ और बोला- मैं अभी आ रहा हूँ.उसने मुझसे मेरी लोकेशन के बारे में पूछा और थोड़ी देर में वो मोटरसाइकिल लेकर मुझको उसी चौराहे पर मिल गया जिधर का मैंने उसे बताया था.

हम दोनों ने मिलकर एक दूसरे से हाय हैलो की और वो मुझको अपने पीछे वाली सीट पर बिठाकर चल दिया.

उसने रास्ते में मुझसे पूछा कि मैं कौन सा कंडोम पसंद करता हूँ.मैंने उससे कहा कि कोई भी ले लो.

उसने मेडिकल स्टोर से एक मैनफ़ोर्स का एक कंडोम ले लिया.हम आगे चल दिए.

वह मुझको एक प्राइमरी स्कूल में लेकर गया.वो स्कूल बंद था, उसकी चाभी उसके पास थी.

उसने एक कमरे का दरवाजा खोला, जिसमें कुछ कुर्सी और टेबल आदि रखी हुई थीं.उसने कमरे में अन्दर आकर दरवाजे की कुंडी लगा दी. फिर उसने मुझको अपने बांहों में लिया और मुझको चूमने लगा.

मैं भी उत्तेजित होकर उसकी बांहों में समा गया और उसे चूमने लगा.

वह मुझको चूमने के साथ साथ मेरी फूली हुई चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही मसल रहा था.मैं भी उससे लिपट रहा था.

मैंने महसूस किया कि मुझे कुछ पेट पर चुभ रहा है. मैंने अपना हाथ उधर ले जाकर चैक किया. वो उसका लंड था.

पैंट के ऊपर से ही मैंने उसका लौड़ा पकड़ लिया. उसका लौड़ा सख्त हो गया था और पैंट से बाहर निकलना चाह रहा था.

धीरे धीरे हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए.अब मैं और वो अंडरवियर में थे.

उसका लौड़ा खड़ा हुआ था, जिसकी वजह से अंडरवियर में तंबू बना हुआ था.वह मेरे कच्छे में हाथ डाले हुए मेरी गांड को मसल रहा था.

थोड़ी देर में मैंने उसका अंडरवियर नीचे करके उतार दिया और उसने मेरा कच्छा नीचे उतार दिया.

मैंने देखा उसका काला मोटा लंबा लौड़ा ऐसे उछाल मार रहा था, जैसे वो मुझको अपनी तरफ बुला रहा हो और कह रहा हो कि मैं उसको अपने मुँह में भर लूं.

मैं नीचे बैठ गया और उसके लौड़े को देखने लगा.तभी उसने मेरा सिर पकड़ा और अपना सख्त लौड़ा मेरे मुँह में दे दिया.

मैं उसके लंड को चूसने लगा. कभी मैं उसके आंड चूसता, कभी उसके लौड़े का टोपा चूसता.

वह मेरा सिर पकड़े अपने लंड की तरफ खींच रहा था शायद वह अपना पूरा लौड़ा मेरे मुँह में अन्दर तक पेल देना चाहता था.उसने लंड मेरे गले तक ठूँसा, तो मुझको सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी.

मैं छटपटाने लगा लेकिन वह नहीं रुक रहा था.

फिर थोड़ी देर में उसने मुझको उठा कर खड़ा कर दिया और उल्टा कर दिया.

वो अब मेरी गांड पर हाथ फेरने लगा.उसका ऐसे गांड को सहलाना मुझको अच्छा लग रहा था.

तभी उसने 2-3 चमाट मेरी गांड पर मार दीं जिससे मेरे मुँह से ‘आह … आह …’ की आवाजें निकलने लगीं.

वो बोला- और गांडू … साले कैसा लग रहा है?मैंने गांड हिलाते हुए कहा- अच्छा लग रहा है.

तभी उसने मुझको पास में रखी टेबल पर लेटा दिया और मेरी दोनों टांगें हवा में उठा दीं.अब वह मेरे दोनों पैरों के बीच में खड़ा था और उसका लौड़ा मेरी गांड को घूर रहा था.

तभी उसने कंडोम निकाला और अपने लौड़े पर चढ़ा दिया.फिर उसने थोड़ा सा थूक मेरी गांड पर लगाया और अपने लौड़े पर भी लगा लिया.

मैं लंड घुसने का इन्तजार कर रहा था.

उसने अपने लौड़े का टोपा मेरी गांड पर एक दो बार घिसा और छेद पर सैट कर दिया.मैं गांड मराने को रेडी हो गया था.

उसी वक्त उसने एक जोरदार झटका दे मारा; उसके लंड का टोपा मेरी गांड के अन्दर घुस गया.

मेरी जान निकल गई; इतना ज्यादा दर्द हुआ, जैसे उसके लंड ने मेरी गांड ही फाड़ दी हो.

मेरे मुँह से जोरदार आवाज़ भी निकल गई- उई अम्मी मर गया.तभी उसने कहा- साले गांडू … अभी कहां से मर गया, भैन के लंड अभी तो सारा लौड़ा बाहर है.

इतना कहते ही उसने फिर से एक जोरदार झटका लगाया और उसका करीब 8 इंच का लौड़ा मेरी गांड फाड़ते हुए अन्दर तक चला गया.

मुझे ऐसा लगने लगा, जैसे उसका लंड मेरी नाभि में टक्कर देने लगा हो. मेरे पेट में दर्द होने लगा.मैंने कराहते हुए उससे कहा- आंह भाई … बड़ा दर्द हो रहा है … प्लीज़ लौड़ा बाहर निकाल लो प्लीज़.

लेकिन उसने मेरी एक ना सुनी और उसने जोरदार धक्के देने शुरू कर दिए.मैं जोर जोर से चिल्लाता रहा.

उसके धक्के इतनी तेज थे कि कमरे में टेबल की पटर पटर और मेरी गांड में से फछ फछ की आवाज आने लगी.

साथ ही मेरे मुँह से आह … उहउ … ऊउऊम्म … उहाहह की आवाज़ सुनाई दे रही थी.

वह कामान्ध होकर जोरदार धक्के मारते जा रहा था.

कुछ ही देर में मेरी गांड ढीली हो गई और मेरा दर्द कम हो गया था.अब मैं जन्नत में था. मुझको इतना मजा आ रहा था कि अगर उस वक्त कोई मेरी गांड में हाथ भी डाल देता तो शायद दर्द नहीं होता.

बहुत देर तक उसने मेरी गांड में लगातार ताबड़तोड़ धक्के मारे, जिससे मेरी गांड पूरी खुल गई थी.

थोड़ी देर में वह हांफने लगा और उसका एक एक धक्का मेरे पूरे बदन को तोड़ रहा था.

कुछ देर में उसने अपने लौड़े का पानी छोड़ दिया.उसके लंड का गर्म वीर्य मेरी गांड में मुझे मस्त गर्माहट देने लगा.

कुछ पल बाद उसने अपने अपना लौड़ा गांड से बाहर निकाल लिया.

मेरी गांड थोड़ी देर के लिए यूं ही खुली की खुली रह गई. उसका लौड़ा अब निढाल हो रहा था.

उसने मुझसे कहा- भोसड़ी के ऐसे ही पड़ा रहेगा क्या … चल खड़ा हो और इस कंडोम को उतार!मैं खड़ा हुआ और उसका कंडोम हटा दिया.उसका लौड़ा उसके माल से भीगा हुआ था.

उसने मुझसे कहा- चल भोसड़ी के गांडू लंड को चाट कर साफ कर!उसके लंड की सारी नसें फूली हुई थीं, उसका लौड़ा मस्त लग रहा था.

मैंने लंड को चाट कर साफ कर दिया.

मैं उसके लंड को करीब 10 मिनट तक ऐसे ही चाट चाट कर साफ करता रहा.इससे धीरे धीरे उसके लंड में तनाव आता गया.

अब लंड फिर से खड़ा होने लगा.थोड़ी देर में लंड फिर से सख्त हो गया.

उसने कहा- अबकी बार मैं बिना कंडोम के तेरी गांड मारूंगा.मैंने उसे मना किया लेकिन वह नहीं माना.

इस बार उसने मुझे एक कुर्सी पर उल्टा बिठाया दिया और मेरे खांचे में थूक लगा दियाफिर अपने लौड़े पर थूक लगाया और पूरी ताक़त से झटका मार कर अपना आधा लौड़ा मेरी गांड में दे दिया.

मेरे मुँह से एक जोरदार कर चीख निकली.तभी उसने मुझको एक थप्पड़ मारा और बोला- हराम के लौड़े गांडू भोसड़ी के … चिल्ला क्यों रहा है मादरचोद … लंड का मजा ले.

वो जोर जोर से धक्का देने लगा. कुर्सी भी जबरदस्त चूं चूं करके हिल रही थी.

मैं खुद ही आगे पीछे हो रहा था जिससे उसका लौड़ा मेरी गांड में पूरा अन्दर तक जा रहा था.

मुझको बेहद मजा आ रहा था.इस बार लंड की सीधी रगड़ मुझे मस्त मजा दे रही थी.ये मौसम गर्मी का था तो हम दोनों गर्मी में पसीना पसीना हो रहे थे.

कभी वो मुझको कुर्सी पर उल्टा करके मेरी गांड मारने लगता तो कभी मुझको खड़ा करके पीछे मेरी गांड में लंड ठोक देता तो कभी नीचे झुका कर मेरी गांड मारता.

मुझको बड़ा मजा आ रहा था.अब तक हम दोनों काफी देर हो गई थी लेकिन पता नहीं उसका लंड झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.

अब वह भी थक चुका था और मैं भी हांफ रहा था.

तभी हमें किसी के आने की आहट सुनाई दी.उसने लौड़ा जल्दी से बाहर निकाला और शांत हो गए.हम दोनों डर गए थे.

थोड़ी देर हम ऐसे ही चुप बैठे रहे. फिर उसने खिड़की से झाँक कर देखा, तो उसे कोई नहीं दिखा.

हम दोनों ने जल्दी जल्दी कपड़े पहने और जाने को रेडी हो गए.

उसने धीरे से कुंडी खोली और देखा, बाहर कोई नहीं था.उसने मुझको बाहर आने का इशारा किया.अब हम दोनों बाहर आ गए थे.

मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था.कुछ देर बाद हम दोनों सामान्य हुए और बाहर आ गए.मैं उसकी बाइक पर बैठ गया और हम चल दिए.

उसने मुझको बागपत चौराहे पर छोड़ दिया और चला गया.उसके बाद मैं मेरठ पहुंच गया.

उधर संजय गत्ता फैक्ट्री में काम करता था.मैंने उसको फोन किया और उससे कहा कि मैं बाहर खड़ा हूँ.उसने कहा कि मैं चार बजे बाहर निकलूँगा, तब तक तू इन्तजार कर.

मैं वहीं घूमता रहा.कुछ देर बाद मैं फैक्ट्री के बगल में एक खेत में पहुंचा.वह ज्वार का खेत था.मैं उसमें जाकर बैठ गया और संजय का इंतजार करने लगा.

चार बजे मैंने उसको फोन किया और पूछा- कहां पर है?उसने कहा- मैं बाहर निकल आया हूँ. तुम किधर हो?

मैंने उसे खेत का बताया कि इधर खेत की तरफ आ जाओ.वह मेरी तरफ आ गया.

संजय मेरा पुराना यार था. उसने मेरी गांड की बहुत बजाई.हम दोनों खेत के अन्दर थे.

मैंने देर ना करते हुए उसके पैंट को खोल दिया और उसके काले मोटे लौड़े को बाहर निकाल लिया.लंड बाहर आते ही मैंने उसे मुँह में ले लिया और मस्त होकर चूसने लगा.

वह बोला- क्या बात है मेरे गांडू … तू तो एकदम गर्म हो रहा है. कहां गांड मरवा कर आया है.मैंने कहा- ऐसी बात नहीं यार … इतनी देर से तेरी याद में कुछ मस्ती चढ़ गई थी और कुछ नहीं.

मैं उसका लौड़ा और आंड चूसता रहा.

थोड़ी देर में मैं कुतिया बन गया और वह लौड़ा हाथ से सहलाते हुए मेरे पीछे खड़ा हो गया.मैंने कहा- कंडोम चढ़ा लो.

उसने कहा- इस वक्त भोसड़ी के मेरे पास कंडोम कहां से आया. मैं ऐसे ही तेरी गांड मारूंगा.

उसने मेरी गांड पर थूका और अपने लौड़े पर थूक लगा कर मेरी गांड में जोरदार धक्का दे मारा.

उसका लौड़ा आधे से ज़्यादा अन्दर चला गया.मुझको ज़्यादा दर्द नहीं हुआ क्योंकि मैं पहले से ही गांड मरवा कर आ रहा था.

उसने मुझे कुतिया बनाकर करीब 20 मिनट तक मेरी गांड चुदाई की जिससे मेरी सारी खुजली मिट गई थी.

थोड़ी देर में उसने जोर जोर से धक्के मारे और अपने लंड का का गर्म माल मेरी गांड में छोड़ दिया.

मुझे उसके लौड़े का गर्म गर्म माल महसूस हुआ तो काफी अच्छा लगा.फिर मैं उसके लौड़े को को देखा.वो मेरी गांड में गंदा हो गया था. मैंने उसे रूमाल से पौंछ कर साफ़ कर दिया.

फिर पहले वो खेत से निकला, उसके बाद मैं बाहर आ गया.

मैं बहुत खुश था. आज मैंने अपनी गांड दो किस्म के लंड से मरवाई थी.

उसके बाद मैं घर आया, तब तक संजय के लौड़े का माल मेरी गांड से निकल कर बहने लगा था. उसका माल मेरी टांगों से होता हुआ बाहर निकल कर मेरे पैरों के नीचे तक बह गया था.

मैंने घर आकर नहाकर अपने आपको साफ किया.उस दिन मुझको बहुत तसल्ली मिली.

ये मेरी रियल और सच्ची गे सेक्स स्टोरी है. मैं बहुत बड़ा गांडू बनता जा रहा हूँ.आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी प्लीज़ कमेंट करके जरूर बताएं.धन्यवाद. ak112410823@gmail.com

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