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मेरी भाभी का यार मेरा चोदू निकला

दोस्तो, मैं आपकी अपनी मस्त शबनम एक बार फिर हाजिर हूँ अपनी कहानी का अगला भाग लेकर.

में तो आपने जान ही लिया होगा कि कैसे मैंने और मेरी खाला ने अपना खतरनाक वाला गैंग बैंग करवाया.

हम लोगों कि इतनी बुरी हालत हो गई थी कि मेरी तो उसके बाद छह महीने तक चुदवाने की हिम्मत ही नहीं पड़ी.


खैर, बदन को छह महीने का आराम मिला तो मेरी चूत में फिर से कसावट आने लगी थी और दूध भी लटकने बंद हो गए थे.


ऐसे ही बिना चुदे और बिना लंड चूसे जिंदगी आराम से चल रही थी.


लेकिन यह सेक्स कहानी बनाने को तैयार थी.


एक दिन अम्मी के पास एक फ़ोन आया.

फ़ोन सुनकर अम्मी की तो गांड ही फट गई थी.


मैंने पूछा तो अम्मी बोली- जौनपुर वाली भाभी का एक्सीडेंट हो गया है और एक टांग टूट गई है.


अम्मी मुझको बोली- भाभी को देखने वाला कोई नहीं है और भाईजान अकेले पड़ गए हैं तो तू ही भाभी की खिदमत के लिए चली जा!

मैं भी घर पर बोर हो रही थी तो मैं जाने के लिए तैयार हो गई.


अगले ही दिन मैंने अपना सामान बांधा और जौनपुर पहुँच गई.


भाभी के पास पहुंची तो देखा कि भाभी के पैर पर प्लास्टर बंधा हुआ है और भाभी व्हील चेयर पर बैठी है.

मुझे देख कर भाभी बहुत खुश हुई और मुझे अपने गले से लगा लिया.


मेरी भाभी दो साल पहले ही निकाह हो कर आई है इसलिए अभी भी एकदम कमसिन कली लगती है.

तीखे नाक नक्श, पतली कमर और बड़ी बड़ी छातियां देखकर भाईजान ने तो पहली ही नजर में निकाह के लिए हाँ बोल दिया था.


भाभी बोली- अच्छा हुआ आप आप आ गईं. आपके भाईजान तो पिछले तीन दिन से ब्रैड आमलेट खा कर ही काम चला रहे हैं.


मैंने मुस्कुराते हुए कहा- ओहो, आपकी बस टांग ही टूटी है, वो नहीं. वो खिलाकर क्यों नहीं भाईजान का पेट भर देतीं?

भाभी शरमाती हुई बोली- हट कमीनी, आते ही छिछोरपन चालू कर दिया, एक दिन तो शांत रह लेती!


मैंने हँसते हुए भाभी का एक मम्मा दबा दिया और रसोई में भाग गई.

शाम को भाईजान घर आये तो उनको पता नहीं था कि मैं घर पर हूँ.


भाईजान आते ही भाभी से बोले- आज खाना बनाया है या नहीं? या फिर आज भी ब्रेड और अंडा ही खाना पड़ेगा?

भाभी बोली- नहीं, आज भी मैंने खाना नहीं बनाया. आज तो आपकी …

इससे पहले कि भाभी कह पाती कि आज आपकी बहन ने खाना बनाया है, जोरदार थप्पड़ की आवाज से कमरा गूँज गया- साली हरामजादी छिनाल, पैर ही टूटा है. हाथ तो सलामत हैं ना तेरे मादरचोद!


मैं दौड़ कर कमरे में गई तो देखा कि भाभी व्हीलचेयर समेत जमीन पर पड़ी रो रही है.

भाभी के मुंह से खून निकल रहा था और भाईजान गुस्से में उनको घूर रहे थे.


मुझे देखकर भाईजान सकपका गए और बोले- अरे छुटकी, तू कब आई? आने की इत्तला भी नहीं की तूने?

मैंने गुस्से में कहा- इत्तला कर देती तो कैसे पता चलता कि मेरा भाई हैवान है.


रात में घर का माहौल अजनबी सा था, कोई किसी से बात नहीं कर रहा था.

भाईजान ने मेरा बनाया हुआ खाना खाया और सोने चले गए.


मैंने और भाभी ने कुछ नहीं खाया, हम दोनों को ही भाईजान पर बहुत गुस्सा आ रहा था.


अगले दिन भाईजान ऑफिस गए तो मैंने भाभी से पूछा- भाईजान तो बहुत अच्छे थे, फिर आपके साथ ऐसा बर्ताव क्यों करने लगे?

भाभी बोली- क्यूंकि मुझे निकाह के कुछ ही दिन बाद मुझे यह राज पता चल गया था कि तुम्हारे भाईजान मीठे हैं.


मैंने मुंह पर हाथ रखते हुए कहा- याल्ला, ये क्या कह रहो हो भाभी?

भाभी बोली- ज्यादा सीधी मत बनो. तुम्हारे घरवालों ने धोखे से अपने गांडू बेटे का निकाह मुझसे करवा दिया और मेरी जिंदगी खराब कर दी.


मैं बोली- हल्ला कसम भाभी, मुझे तो लगता था कि भाईजान औरतों के साथ साथ लौंडों का शौक भी रखते होंगे. लेकिन ये नहीं सोचा था कि भाईजान मीठे होंगे!


भाभी बोली- सच कह रही हूँ. निकाह के कुछ दिन बाद तक इन्होंने मुझे चोदा नहीं तो मुझे शक हो गया था. फिर एक दिन मैंने इनको मोहल्ले के एक लड़के का लंड चूसते हुए देख लिया तो मुझे यकीन ही गया. तभी से ये मेरे साथ मारपीट करते रहते हैं.


मैंने पूछा- तो तुम अपना काम कैसे चलाती हो?

भाभी बोली- मेरा निकाह से पहले एक बॉयफ्रेंड था, मैंने एक दिन उसको फ़ोन किया और फिर से उसके साथ जिस्मानी तालुकात बना लिए. वही मेरा ख़्याल रखता है. बीच बीच में आता रहता है मेरे साथ सेक्स करने के लिए.


मैंने पूछा- तो आखरी बार कब आया था?

भाभी बोली- अरे पिछले महीने रोजे चल रहे थे तो इसलिए एक महीने तक मैंने ही उसको आने को मना किया था वरना तो वो हर दूसरे दिन आ जाता है.


मैंने पूछा- तो तुम रोजे में चुदाई नहीं करवाती?

भाभी बोली- नहीं, रोजे में पराया लंड लेना मुझे पसंद नहीं है.

मेरी जोर से हंसी छूट गई.


मैंने कहा- कभी हमको भी मिलवाओ ना अपने बॉयफ्रेंड से!

भाभी बोली- कभी क्यों? आज ही मिलवाती हूँ.


यह कहकर भाभी ने अपने बॉयफ्रेंड को फ़ोन लगाया और घर आने को बोल दिया.


लगभग एक घंटे बाद दरवाजे पर दस्तक हुई तो भाभी बोली- लगता है मेरा बॉयफ्रेंड आ गया है.

मैंने दरवाजा खोला तो मेरे क़दमों के नीचे से तो जमीन ही खिसक गई.

यह तो शेखर है.


अरे वही शेखर जिसने कहानी के पहले भाग में मेरी अनछुई कुंवारी बुर फाड़ कर मेरी सील तोड़ दी थी और मुझे कली से फूल बना दिया था.


मुझे देखते ही शेखर ने भी तुरंत पहचान लिया और चीखने लगा- साली हरामजादी छिनाल, मुझे जंगल में छोड़ कर भाग गई थी रंडी?


भाभी ने शेखर को रोकते हुए कहा- अरे क्या हुआ कोई मुझे भी तो कुछ बताओ.

शेखर गुस्से में बोला- बेबी, यही है वो लड़की जिसने गोवा जाते समय मेरा कुंवारापन लूट लिया था और फिर मुझे छोड़ कर ड्राइवर के साथ भाग गई थी.


मैं बोली- तो तूने भी तो मेरा कुंवारापन लूटा था. भाभी पहली बार इसी लड़के ने मेरी सील तोड़ी थी.

भाभी हँसते हुए बोली- अरे तो फिर हिसाब बराबर हो गया ना, अब क्यों लड़ते हो?


तब भाभी ने शेखर को बैठाते हुए बोला- आज तुम चाहो तो शबनम को फिर से चोद कर अभी तक का सारा हिसाब बराबर कर लेना. मेरा क्या है, मैं तो कल भी चुदवा सकती हूँ.

शेखर बोला- नहीं बेबी, मेरे लंड पर इसका कोई हक़ नहीं है. इसकी सजा यही है कि आज हम लोग इसके सामने ही चुदाई करेंगे और इसको लंड छूने तक नहीं मिलेगा.


भाभी बोली- चलो अब जल्दी करो, बातों में टाइम खराब मत करो!


शेखर बोला- आज तुम्हारा गांडू मर्द नहीं है घर में?

भाभी बोली- नहीं कुछ देर पहले ही निकला है तो लौटने में टाइम लगेगा.

शेखर बोला- कई दिन से उसकी गांड नहीं मारी. मैं तो सोच कर आया था कि तुमको चोदने के बाद उसकी गांड भी मारूंगा.


मैंने यह सुना तो हैरान रह गई; मैंने पूछा- भाभी, क्या भाईजान शेखर से अपनी गांड मरवाते हैं?

भाभी बोली- हाँ, एक बार शेखर मेरी गांड मार रहा था कि तभी तुम्हारे भाईजान घर आ गए थे.


मैंने पूछा- फिर क्या हुआ?

भाभी बोली- उस समय मैं एकदम मादरजात नंगी थी और कुतिया बनी हुई थी. शेखर पीछे से मेरी गांड में अपना लंड पेल रहा था. तुम्हारे भाईजान आ गए तो मेरी तो गांड ही फट गई थी, मुझे लगा कि अब मेरी कुटाई होगी. लेकिन तुम्हारे भाई जान ने कुछ नहीं कहा. बल्कि तुम्हारे भाईजान ने मुझे एक तरफ धक्का दिया और शेखर के सामने बैठ गए. मेरी गांड से निकले शेखर के लंड पर मेरी टट्टी लगी हुई थी. तुम्हारे भाईजान इतने उतावले थे कि उन्होंने मेरी टट्टी से भरा हुआ शेखर का लंड साफ़ भी नहीं किया और चूसना शुरू कर दिया.


उन्होंने आगे बताया- बस फिर क्या था, अब तो जब भी शेखर घर आता है तो कभी मुझे और कभी तुम्हारे भाईजान को पेलता है. मुझे भी अब तुम्हारे भाईजान से छुप कर नहीं चुदवाना पड़ता और अब तो खुल कर मेरा चुदाई का खेल चलता है.


इंडियन पोर्न सेक्स का यह रूप मेरे लिए थोड़ा अजीब था.


फिर भाभी शेखर से बोली- आओ शेखर, इस शब्बो को दिखाओ कि हम लोग कैसे मजे करते हैं.


यह सुनकर शेखर भाभी के पास आया और उनके होंठों पर मेरे सामने ही किस करने लगा.

भाभी ने व्हीलचेयर पर बैठे बैठे ही शेखर के होठों का रस पीना शुरू कर दिया.


दोनों एक दूसरे के मुंह में अपनी अपनी जीभ घुसा कर मजे से एक दूसरे का थूक पी रहे थे और उन दोनों को देख कर मेरे अंदर कसमसाहट होने लगी थी.


अब शेखर ने भाभी का कुरता खोल दिया और उनकी सलवार का नाड़ा खोल कर नीचे खसका दिया.

शेखर भाभी के गोरे गोरे और भरे हुए मम्मे मसलने लगा और व्हीलचेयर पर बैठी भाभी सिसकारियां भरने लगी.

अब शेखर ने भाभी कि चड्डी हटाई और उनकी गीली चूत चाटने लगा.

उन दोनों को देखकर मुझे बहुत जलन हो रही थी.


मेरे बदन में भी चींटियाँ दौड़ने लगी थीं और मेरी फुदी फड़फड़ाने लगी थी.

मैंने देखा कि कैसे शेखर अपनी लम्बी सी जीभ निकालकर भाभी की चूत को अपने मुंह से गहराई तक चोद रहा था.


भाभी भी सिसकारियां भरते हुए शेखर का सर अपनी चूत में दबा रही थी और चिल्ला रही थी- आह शेखर, मेरी जान. चूस डालो मेरी चूत को, चोद चोद कर लाल कर दो अपनी रंडी जान को!


मेरा जी कर रहा था कि दौड़ कर शेखर का लंड पकड़ कर अपने मुंह में भर लूँ.


अचानक भाभी का पानी छूटने लगा.

भाभी का बदन अकड़ने लगा और भाभी की सांसें उखाड़ने लगीं.


तेज तेज सिसकारियां भरते भाभी बोलीं- ओह शेखर, तुम्हारी जीभ में तो जादू है, मेरा पानी छूटने वाला है. फ़क मी हार्ड यू बास्टर्ड. टियर माय पूसी. मेक मी योर बिच, मादरचोद!

इतना कहते हुए भाभी की चूत ने फव्वारे छोड दिए और भाभी निढाल होकर व्हीलचेयर पर ही लेट गई.


भाभी मुस्कुराते हुए बोली- ओह शेखर, तुम्हारी जीभ तो कमाल है, लग रहा था कि तुम्हारे लंड से ही चुद रही हूँ.


मुस्कुराते हुए शेखर ने अपनी पैन्ट नीचे करी और अपना लंड निकाल कर हिलाने लगा.


मैंने देखा कि मेरी जिंदगी का पहला लंड आज भी कितना सुन्दर और बड़ा लग रहा है.


मेरे मुंह में पानी आ गया तो देख कर शेखर बोला- हट छिनाल, तुझे नहीं मिलने वाला मेरा लंड!


यह कह कर शेखर मेरी भाभी के मुंह के पास मुठ मारने लगा, मेरी भाभी ने भी छिनालों की तरह बड़ा सा मुंह खोल लिया.


मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो दौड़ कर मैंने शेखर का लंड पकड़ा और मुंह में डाल कर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.


शेखर मेरे मुंह से लंड खींचने लगा तो भाभी ने मना कर दिया- रहने दो शेखर, भड़कती हुई चूत को ठंडा करने से जो मर्द मना करता है उसको खुदा भी माफ़ नहीं करता. चूस लेने दो बेचारी रांड को!

यह सुनकर शेखर शांत खड़ा हो गया.


मैं काफी देर तक शेखर का लंड चूसती रही और तब तक चूसती रही जब तक कि शेखर का लंड ठुमके नहीं मारने लगा.


शेखर ने मेरा सर दोनों हाथों से पकड़ा और जोर जोर से मेरे मुंह में धक्के मारने लगा.

अचानक शेखर का लंड फूलने लगा और कोयले सा तपने लगा.


तभी शेखर गुर्राया और उसके लंड ने फचाक से मेरे मुंह में एक पिचकारी मार दी.


वाह … वही पुराना स्वाद याद आ गया जब गोवा जाते समय पहली बार मेरे कुंवारे मुंह को शेखर ने चोदा था और मेरे मुंह में पिचकारियां मारी थीं.


शेखर मेरे मुंह में पिचकारी मारता रहा और मैं मजे से स्वाद ले लेकर उसका वीर्य निगलती रही.


जब शेखर के गोटे खाली हो गए तो उसने अपना लंड बाहर निकाला और जाने लगा.


भाभी ने पूछा- अब कब आओगे?

मेरी तरफ देख कर शेखर मुस्कुराते हुए बोला- जब मेरी शब्बो बुलाएगी तो आ जाऊँगा.


शेखर की प्यार भरी बातें सुनकर मेरा दिल भर आया और मैं दौड़ कर शेखर से लिपट गई.

वह मुंह बनाते हुए बोला- बस बस, ज्यादा चिपटने की जरूरत नहीं है. अभी जाने दो!

यह कहते हुए शेखर चला गया.


लेकिन मेरी कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई है.

आगे मैं आपको बताउंगी कि कैसे मेरे मीठे भाईजान एक दिन अपने बॉयफ्रेंड को घर ले आये और उनके बॉयफ्रेंड ने मुझे पेल दिया.


तब तक के लिए मुझे इजाजत दीजिये.

इस कहानी पर अपने विचार मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.

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