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एक रात लौंडे के साथ - Hindi Sex Kahani

मेरा नाम सीमा सिंह है, मैं 27 साल की शादीशुदा लड़की हूँ। अब तो खैर औरत बन गई हूँ। तीन साल से चोद चोद कर मेरे पति ने मेरी फुद्दी का भोंसड़ा बना दिया है। वैसे भोंसड़ा तो पहले से ही बना हुआ था, क्योंकि माँ बाप की एकलौती और लाड़ली बेटी होने के कारण मैं जल्दी ही बिगड़ गई, और स्कूल टाइम में ही मैंने अपने बॉय फ्रेंड से चुदवाना शुरू कर दिया था।


बचपन में ही मेरी इच्छा थी कि बड़ी होकर नौकरी करूंगी। 24 साल तक मुझे कोई नौकरी नहीं मिली और मेरी पढ़ाई भी पूरी हो चुकी थी, तो घर वालों ने मेरी शादी कर दी।

शादी के बाद भी मैंने अपने पति को मना लिया के मैं नौकरी करूंगी.


मैंने बहुत जगह अप्लाई किया, बहुत से इंटरव्यू भी दिये। ऐसे ही एक बार मैंने बैंक जॉब के लिए अप्लाई किया था, तो मेरा टेस्ट आ गया। टेस्ट भी दिल्ली में था तो पति की इजाज़त ले कर मैं अपना टेस्ट देने दिल्ली चली गई।


वैसे तो दिल्ली में हमारे एक दूर के रिश्तेदार रहते थे तो मैंने उनके घर जाने का प्रोग्राम पहले से ही बना रखा था।


मैं दोपहर को ही उनके घर पहुँच गई। वैसे तो वो मेरी मम्मी के कजन है, और मैं एक दो बार उनसे किसी शादी ब्याह में मिली थी, तो उन्हें मामाजी ही कहती थी। उनका एक बेटा भी था, छोटा सा, सुशांत। मगर हम सब उसे सुशी कहते थे।


बेशक थोड़ी बहुत जान पहचान थी, मगर मेरे पास दिल्ली में रात रुकने का और कोई इंतजाम नहीं था, तो मेरे पास उनके घर जाने के सिवा और कोई चारा भी नहीं था।


घर पहुंची, तो देखा घर में सुशी था और उसके बूढ़े दादाजी थे। पूछने पर पता चला कि मामीजी की रिश्तेदारी में किसी की मौत हो गई है और मामाजी और मामीजी वहाँ गए हैं।


सुशी मुझे दीदी कहता था, अब घर में कोई और नहीं था, तो मैंने ही उन लोगों के लिए खाना बनाया, खुद भी खाया, उनको भी खिलाया।


मगर एक बात जो मुझे खटक रही थी. वो यह थी कि सुशी के हाव भाव मुझे बहुत बदले बदले से लगे। एक बार भी उस लड़के ने मेरी टाइट जीन्स या टी शर्ट को नहीं देखा.


हालांकि मुझे इस बात का बहुत गुमान है कि लोग मेरी शानदार फिगर को बहुत ध्यान से देखते हैं, मगर सुशी तो देख ही नहीं रहा था और बस दीदी दीदी करके आँखें झुका कर ही बात कर रहा था।


पहले तो मुझे लगा कि शायद इतने साल बाद मिली हूँ और रिश्ते में इसकी बड़ी बहन भी लगती हूँ तो थोड़ा शर्मा रहा है, या मेरी बहुत इज्ज़त करता है; इसलिए।


मगर शाम होते होते, उस से बात करते करते मुझे एहसास हुआ कि ‘नहीं ये बात नहीं है, ये लड़का होकर भी लड़कियों जैसा है।’

मुझे बड़ी हैरानी हुई कि यार ऐसा कैसा लड़का हो सकता है, जो लड़का हो कर भी साला चूतिया हो, मतलब उसे मेरे में कोई इंटरेस्ट नहीं था.


हालांकि वो मेरे साथ ही था और मुझसे लगातार बातें कर रहा था मगर मैंने देखा कि उसे मेरे में नहीं मेरे मेकअप में, मेरे बालों के स्टाइल में, मेरे कपड़ों के स्टाइल में ज़्यादा रूचि थी।

वो उन बातों से ज़्यादा खुश हो रहा था, जिन में मैं उसे लड़कियों के स्टाइल की, लड़कियों के स्वैग की बातें बता रही थी।


जब मुझ से रहा ही नहीं गया तो मैंने उससे घुमा कर पूछ ही लिया- एक बात बता सुशी … तुझे लड़कियों के कपड़े पहनना अच्छा लगता है क्या?

वो तो जैसे चहक उठा- अरे दीदी पूछो मत, मुझे हमेशा से ही लड़की बनना पसंद था, मैं तो चाहता भी यही था कि मैं लड़की बनूँ … मगर पता नहीं भगवान ने क्यों लड़का बना दिया।


मैंने कहा- पर तुम तो घर में अकेले हो और तुम्हारी कोई बहन भी नहीं है, तो तुम लड़कियों के कपड़े कैसे पहनते हो?

वो बोला- दीदी सच बताऊँ, आप किसी को बताना नहीं।

मैंने उसे आश्वासन दिया- अरे नहीं यार, मुझे अपनी बेस्ट फ्रेंड समझो, किसी को नहीं बताऊँगी।

वो बोला- दरअसल, मैं न … जब घर में अकेला होता हूँ ना … तो मम्मी के कपड़े पहन कर देखता हूँ।


मैंने बड़ी हैरानी से पूछा- पर मम्मी के ब्रा और पेंटी तो बड़े होंगे तो कैसे पहनता होगा?

वो बोला- बस उन में और कपड़े ठूंस लेता हूँ. फिर ऊपर से मम्मी का कोई सूट या ब्लाउज़ पहन लेता हूँ।


मैंने सोचा कि थोड़ा और इस लड़के को खोल कर पूछा जाए क्योंकि उसकी बातें सुन सुन कर मैं भी मस्ती से भर रही थी। जीवन में पहले बार किसी ऐसे लड़के सी मिली थी जो लड़का होकर भी लड़का नहीं था।


हाँ, ये बात अभी मुझे पता करनी थी कि बेशक वो लड़की बनना पसंद करता है, मगर है तो वो एक मर्द; और क्या मर्द भी है या नहीं।

तो मैंने सोचा क्यों न इसकी भावनाओं को और भड़काऊँ; इसे उस हद तक ले जाऊँ, जहां ये खुल कर मेरे सामने अपने दिल की हर बात, अपना हर राज़ खोल कर रख दे।


मैंने कहा- सुशी, एक बात कहूँ?

वो बड़ा लड़कियों की तरह मचल कर बोला- हाँ दी?

मैंने कहा- मेरे बैग में मेरे कुछ कपड़े हैं, और हम दोनों के कद काठी में ज़्यादा फर्क भी नहीं है, क्या तुम मेरे कपड़े पहन कर देखना चाहोगे?


वो एकदम से उठ कर बैठ गया- क्या सच दीदी, आप मुझे अपने कपड़े दोगी, पहनने के लिए?

मैंने कहा- हाँ, ज़रूर दूँगी, और अगर मेरा दिल किया तो हमेशा के लिए तुम्हें ही दे जाऊँगी, ताकि जब भी तुम्हारा दिल करे, तुम पहन कर देख लिया करो।


उसने बड़े प्यार से मेरा हाथ पकड़ कर कहा- ओह थैंक यू दीदी, आप कितनी अच्छी हैं।

मैंने कहा- मगर मेरी एक छोटी से शर्त है।

वो बोला- क्या दीदी?

मैंने कहा- मैं चाहती हूँ कि मैंने अपनी छोटी बहन को खुद अपने हाथों से तैयार करूँ।

वो बोला- जैसा आप कहो दीदी, आपकी छोटी बहन आपकी हर बात मानेगी।

मैंने कहा- तो जाओ और मेरा सूटकेस उठा कर लाओ।


वो दौड़ कर गया और मेरा सूटकेस उठा लाया और उसे मेरे सामने बेड पर रखा।


मैंने अपने सूटकेस खोला और उसमें से अपनी मेकअप किट निकाली, अपनी एक और जीन्स और टी शर्ट निकाली, अपना एक ब्रा और पेंटी भी निकाली और सब सामान उसके सामने बेड पर रखा। वो बड़ी हसरत से उन सब चीजों को देख रहा था।


मैंने उससे कहा- देखो, मैं चाहती हूँ कि ये सब कपड़े तुम पहनो, और ये सारा मेकअप भी करो। मैं सब कुछ करूंगी। अपनी छोटी बहन को एक पूरी लड़की की तरह तैयार करूंगी, मगर अभी देखो शाम हो रही है और मुझे तुम्हारा और दादाजी का खाना बनाना है। पहले हम सब काम निपटा लें और फिर बाद रात को फ्री होकर मस्ती करेंगे।


उसने मेरी ब्रा पेंटी को अपने हाथों से छूकर देखा तो मुझे लगा जैसे वो मेरे ही जिस्म पर हाथ फेर रहा हो।


मैंने उससे पूछा- एक सीक्रेट और बता, जब तू मम्मा के कपड़े पहन कर लड़की बन जाता है तो फिर क्या करता है?

वो बोला- क्या करना है, मैं खुद को आईने में देख कर खुश होता हूँ।


मैंने पूछा- फिर तू हाथ से नहीं करता?

वो बोला- कभी कभी करता हूँ,। मगर मुझे ये पसंद नहीं है। मुझे तो लड़की होना चाहिए था, मेरा बड़ा दिल करता है, मुझे डेट आए, मैं दुकान से अपने लिए स्टेफ्री पैड खरीद कर लाऊं, मेरे बड़े बड़े बूब्स हों जिन्हें मेरी क्लास के लड़के देखें, जैसे वो दूसरी लड़कियों के देखते हैं।


मैंने पूछा- तो फिर तू हाथ से कैसे करता है?

वो बोला- अब लड़के जैसा हूँ, तो लड़के की तरह ही करना पड़ता है. हाँ अगर लड़की होता, तो लड़की की तरह करता।


मैंने पूछा- तो क्या पीछे कुछ लेता है?

वो थोड़ा सा शरमाया और बोला- हाँ, अब आगे नहीं ले सकता तो पीछे तो लेता ही हूँ।

मैंने उसे आँख मार कर पूछा- मज़ा आता है?

वो बोला- हाँ!

और झेंप गया।


मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया- अरे शर्माती क्यों है अपनी बड़ी बहन से। हम दोनों तो एक सी हैं न।

वो बोला- दीदी आप कितनी अच्छी हो, सच में मुझे आप जैसे ही दीदी चाहिए थी। और मैं भी आप जैसी होती तो कितना अच्छा होता। मेरे बूबू भी आप जैसे होते।


मैंने सोचा कि ये अच्छा मौका है, मैंने कहा- दीदी के बूबू अच्छे लगे?

वो बोला- हाँ।

मैंने कहा- छू के देख।


वो थोड़ा सा सकपकाया।

मैंने कहा- अरे छोटी बहन बड़ी बहन के बूबू छू सकती है, कोई बात नहीं।


उसने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरे एक बूब को पकड़ कर हल्का सा दबाया और फिर एक झटके से अपना हाथ पीछे खींच लिया।

मैंने कहा- क्या हुआ?

वो बोला- कुछ नहीं।


मैं उठ कर उसके सामने जा खड़ी हुई और उसका सर अपने सीने से लगा कर भींच लिया- ओ मेरी गुड़िया, अपनी बड़ी दीदी से शर्माती है? हैं … पगली कहीं की। क्या हुआ अगर हम तन से एक जैसे नहीं हैं? पर मन से तो एक जैसे हैं। अब ऐसा कर मैं जो कहती हूँ, पहले बाज़ार जा, शाम के खाने के लिए सामान ला। खाना खाकर हम दोनों बहनें बहुत सी बातें करेंगी। ठीक है?


फिर मैंने उसे छोड़ा, वो फिर बाज़ार जा कर सामान लाया. मैंने खाना बनाया और सबने खाया।


खाना खाने के बाद कुछ देर टीवी देखा, उसके बाद सुशी जाकर अपने दादाजी को दवाई देकर आया।

जब उसके दादाजी सो गए तो मैंने सुशी से पूछा- क्या तुम्हारे दादाजी रात को बार बार उठते हैं?

वो बोला- नहीं, अब सो गए हैं तो सुबह उठेंगे 4 बजे।


मैंने कहा- तो हम अपना मजे कर सकते हैं।

दरअसल मेरे दिल में तो चुदने की इच्छा हो रही थी, मगर मेरे पास जो था, वो एक लौंडा था, जिसे लड़की की फुद्दी मारने में नहीं, बल्कि अपनी गांड मरवाने में ज़्यादा मज़ा आता था।

हालांकि ऐसा मेरा अनुमान था, क्योंकि मैंने उस से पूछा नहीं था कि क्या वो अपनी गांड मरवाता है या नहीं।


तो मैंने उस से बात शुरू की- सुशी, तुम्हारे दोस्त लड़के ज़्यादा हैं या लड़कियां?

वो बोला- दोनों हैं, मगर मुझे लड़कियों की कंपनी ज़्यादा पसंद है, अब तो मेरी क्लास की दो तीन लड़कियां भी मेरे साथ खूब खुल कर बात करती हैं, जैसे मैं उन सब में से ही एक हूँ। हाँ, लड़के मुझसे जलते हैं कि लड़कियां मुझसे ज़्यादा क्यों मिक्सअप होती हैं। एक दो लड़के हैं जो कभी कभी मेरे साथ भी छेड़खानी करते हैं, पर मैं उनकी हरकतों का बुरा नहीं मानती, बल्कि जब वो मुझे छेड़ते हैं तो मुझे मज़ा आता है।


मैंने पूछा- क्या करते हैं वो लड़के?

सुशी ने बताया- जैसे आते जाते कभी कभी पीछे हिप पर मार देना, या कभी सामने से आकर भिड़ जाना और मेरी ब्रेस्ट को दबा देना, एक बार तो एक लड़के ने मुझे अपना वो भी निकाल कर दिखाया था।

मैंने पूछा- तो फिर तुमने क्या कहा?

सुशी बोला- मैंने क्या करना था। मगर उस लड़के ने अपना लंड हिलाते हुये मुझसे पूछा था, ओए चूसेगा इसे?

मैंने सुशी को आँख मार कर पूछा- तो फिर, चूसा तूने?

वो बोला- अरे नहीं दीदी, क्लास में कैसे, हाँ पर मेरी इच्छा थी कि अगर कहीं और जगह मिलता तो शायद मैं चूस लेती।


फिर एकदम से मुझसे पूछा- पर दीदी आप तो शादीशुदा हो, क्या आप जीजाजी का चूसती हो?

मैंने कहा- हाँ, मैं तो बहुत चूसती हूँ।

वो बोला- कैसा लगता है?

मैंने कहा- शुरू शुरू में थोड़ा अजीब सा लगा था, मगर अब तो बहुत अच्छा लगता है। और जब तुम्हारे जीजाजी अपनी जीभ से मेरी फुद्दी चाटते हैं, तो ऐसा नशा सा छा जाता है कि पता ही नहीं चलता कब मैं उनका लंड अपने हाथ में पकड़ती हूँ, और मुँह में लेकर चूसने लगती हूँ।


वो बड़े आश्चर्य से मुझे देख कर बोला- ओ तेरे दी, आप तो दीदी बहुत मज़े करती हो; और सेक्स करते हुये?

मैंने कहा- सेक्स करते हुये भी हम दोनों खूब मज़े करते हैं, कभी वो ऊपर तो कभी मैं ऊपर।

वो चहक कर बोला- और बाकी सब पोज भी करती हो डोग्गी स्टाइल, काओ गर्ल, रिवर्स काऊ गर्ल, वो सब भी?

मैंने हंस कर कहा- हाँ … सब कुछ जो भी दिल करता है, जैसे भी दिल करता है. पर तू तो बता, तूने आज तक क्या किया है?

वो थोड़ा मायूस सा होकर बोला- क्या दीदी अपनी किस्मत इतनी अच्छी नहीं, लड़की से मैं करना नहीं चाहता, और किसी लड़के से करवाने में डर लगता है।

मैंने पूछा- कैसे डर?

वो बोला- सुना है पहली बार में बहुत दर्द होता है?

मैंने कहा- हाँ, दर्द तो होता है, पर बाद में इतना मज़ा आता है कि दर्द वर्द सब भूल जाते हैं।


वो बोला- तो आप क्या कहती हो, मुझे क्या करना चाहिए?

मैंने कहा- ऐसा है कि पहले तुम अपने आप को पहचानो कि तुम क्या बनना चाहते हो क्या करना चाहते हो। उसके बाद पक्का फैसला करके अपनी कोई गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड बनाओ। और फिर मज़े करो।

सुशी बोला- यही तो दिक्कत है दीदी, मैं फैसला नहीं कर पा रही हूँ कि मैं क्या बनूँ।


मैंने कहा- ऐसा है, एक तजुरबा करके देखते हैं।

वो बोला- कैसा तजुरबा?

मैंने कहा- मैं तुम्हें तैयार करूंगी, और तुम मुझे तैयार करोगी, और इस दौरान हम दोनों में जो भी होगा, सब कुछ खुल्लम खुल्ला होगा, देखो असल में हो तो तुम एक लड़के ही न, एक मर्द और मैं हूँ एक औरत, अगर तुम्हारी मर्दानगी जाग गई तो तुम एक गर्लफ्रेंड बनाना, और अगर तुम्हारा नारीत्व जागा तो तुम एकबॉय फ्रेंड बनाना।

वो मान गया।


मैंने कहा- पहले मैं तुम्हें तैयार करूँगी; ठीक है?

उसने सर हिलाया तो मैंने अपना मेक अप बॉक्स निकाला और सुशी के चेहरे का मेक अप किया, उसके आई लाइनर लगाया, उसके लिपस्टिक लगायी, चेहरे पर फाउंडेशन, ब्लशर, पाउडर क्रीम सब लगाया।


फिर उसे कहा- चलो अब अपने कपड़े उतारो और ये पहनो।

मैंने उसे अपनी एक ब्रा और अपनी एक पेंटी दी।


वो थोड़ा शर्मा रहा था तो मैंने उसकी हेल्प की, और उसकी शर्ट और बनियान उतार कर खुद अपना ब्रा उसको पहना दिया।

उसके सीने पर हल्के हल्के बाल थे, मैंने उसे कहा- अरे ये बाल क्या कर रहे हैं, निकाल दिया करो इन्हें।

वो बोला- अरे दीदी, बाल तो बहुत हैं मेरे, पर डर लगता है, कभी पापा मम्मी ने लेग्स आर्म्स पर वेक्सिंग की हुई देख ली, तो जूते न पड़ जाएँ।

मैंने कहा- तो जो जगह पापा मम्मी नहीं देख सकते, वहाँ से तो बाल उठा दो, जैसे सीने से, अंडर आर्म्स से, झांट के।


वो बोला- आप सब बाल साफ रखती हो?

मैंने कहा- हाँ बिल्कुल, मैं तो अपने बदन पर एक भी बाल नहीं रखती।


फिर उसकी ब्रा में मैंने कुछ कपड़े ठूंस दिये ताकि उसकी ब्रेस्ट उठी हुई, भरी हुई लगे। उसके बाद मैंने उसे पेंटी पहनने को कहा, तो वो थोड़ा शरमाया।

मैंने कहा- अरे पगली अपनी बड़ी बहन से शर्माती हो, चलो मैं उतार देती हूँ।


उसके सामने बैठ कर मैंने पहले उसका लोअर उतारा और फिर उसकी चड्डी भी नीचे खींच दी। चड्डी के अंदर घनी भरी हुई झांटों में एक ढाई इंच का ढीला सा लंड लटक रहा था.

मैंने सोचा ‘अरे वाह … कुँवारा लंड! इसे तो मैं चूस चूस कर 6 इंच कर बना दूँगी।

मगर अभी उसके लिए सही समय नहीं था।


मैंने उसे अपनी पेंटी पहनाई और बोली- यार कितनी झांट उगा रखी है, इसे क्या आम लगने हैं, साफ करो इसे।

वो बोला- दीदी, कल को साफ कर दूँगी। मैंने उसको चड्डी पहना कर देखा, पहली बार किसी लड़के को अपने सामने लड़कियों की तरह मेकअप किए और ब्रा पेंटी पहने खड़ा देख रही थी।


बेशक वो एक लड़का था और लड़की की तरह तैयार हो कर खड़ा था, मगर उस लड़के को आधी नंगी हालत में देख कर मेरे मन में सेक्स की आग जल रही थी। मेरी पेंटी जो उसने पहन रखी थी, उसमे मुझे छोटा सा लंड उभरा हुआ दिख रहा था,और वही लंड आगे जाकर मेरी काम ज्वाला को ठंडा करने वाला था।


फिर मैंने उसे कहा- चल छोटी, अब तू मुझे तैयार कर।

तो उसने भी मेरे चेहरे का मेकअप किया, जिसमें ज़्यादा तो मैंने खुद ही किया, क्योंकि उसे कौन सा मेकअप करना आता था।


जब चेहरे का हो गया तो मैंने उसे कहा- अब मैं कपड़े कौन से पहनूँ?

तो उसने मुझे जीन्स और टी शर्ट पहनने को कहा।

मैंने कहा- मैं क्यों पहनू, मैंने तुम्हें पहनाया था, तुम मुझे पहनाओ।


वो खुश हो गया, उसने मेरे बैग से मेरे लिए अपनी पसंद की, जीन्स टी शर्ट ब्रा पेंटी सब निकाले।

फिर मेरे पास आ कर बोला- दीदी आपकी ये टी शर्ट उतारनी होगी।

मैंने कहा- तो उतार दो, मैंने भी तो तुम्हारी उतारी थी।


उसने मेरी टी शर्ट को नीचे से पकड़ा तो मैंने अपने दोनों हाथ ऊपर उठा लिए, और जब उसने मेरी टी शर्ट उतारी तो मेरे गोरे बदन पर काले प्रिंटेड ब्रा में बड़े संभाल कर रखे गए मेरे मम्मों को देख उसका मुँह खुला का खुला रह गया- वाउ … दीदी क्या खूबसूरत ब्रेस्ट है आपकी!

मैंने उसे कहा- तुम्हें अच्छी लगी?

वो बोला- हाँ बहुत, बहुत अच्छी लगी। काश मेरे भी इतने सुंदर मम्मे होते, तो मुझे ब्रा में इस तरह से कपड़े नहीं ठूँसने पड़ते।


मैंने कहा- और इसके बारे में क्या ख्याल है?

और मैंने अपना नाइट पाजामा खुद ही उतार दिया, जिसके नीचे मैंने कोई पेंटी नहीं पहनी थी।


मेरी गोरी, चिकनी जांघों और साफ चिकनी फुद्दी को देख कर तो वो और भी आश्चर्यचकित हो गया।


मैंने अपनी पीठ उसकी तरफ घुमाई और बोली- अरे छोटी, मेरी ब्रा की हुक तो खोलना।

उसने बड़े काँपते हुये हाथों से मेरी ब्रा की हुक खोली, और ब्रा उतारने के साथ ही मैं उसके सामने बिलकुल नंगी हो गई, मगर मुझे इसमें कोई शर्म नहीं आ रही थी क्योंकि मैं तो सिर्फ औरत होकर ही नंगी हुई थी, मगर वो तो एक मर्द हो कर लड़की का वेश धारण कर मेरे सामने मेरी ही ब्रा पेंटी पहन कर खड़ा था और वो भी काजल, लिपस्टिक लगाए।


उसकी आँखों में मेरे नंगे जिस्म को देख कर जो चमक आई थी, वो साथ बता रही थी कि उसने आज तक किसी लड़की को नंगी देखा ही नहीं था. और मेरे नंगे जिस्म को देख उसकी मर्दानगी जाग रही थी।

यह बात उसके पेंटी में से उभर रहे उसके लंड सी भी ज़ाहिर हो रही थी।


मैं उसके सामने जा कर बेड पर लेट गई और उसे अपने पास बुलाया, और अपनी दोनों टाँगें खोल कर उसे अपनी फुद्दी का पूरा नज़ारा दिखाया और पूछा- क्या मेरी छोटी बहन मेरी फुद्दी को चाटेगी? उसने बिना कोई समय गँवाए कहा- हाँ ज़रूर दीदी, ज़रूर चाटेगी।


मैंने उसका सर पकड़ा और उसका चेहरा अपनी फुद्दी से लगा दिया।


उसने पहले दो चार बार मेरी फुद्दी को चूमा और फिर धीरे धीरे से अपनी जीभ से मेरी फुद्दी को चाटने लगा। मुझे तो आनंद के हिलौरें आने लगे.


पहले तो मैं उसका सर सहला रही थी, फिर मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपने मम्मों पर रखे और उसे कहा- इन्हें भी दबा मेरी जान, निचोड़ इन्हें, मसल अपने हाथों से।

वो मेरे मम्मे दबाने लगा, मेरे निपल्स को मसलने लगा।


मैं तो सेक्स की नदी में बह गई कि अब या तो डूबी जाऊँगी, या पार उतरूँगी।


बहुत जल्दी ही उसने अपना पूरा मुँह मेरी फुद्दी में घुसा दिया, शायद उसको भी इस सब का मज़ा आने लगा. वो पूरे मनोयोग से मेरी फुद्दी को चाट रहा था और कोशिश कर रहा था कि जहां तक हो सके वो अपनी जीभ मेरी फुद्दी के अंदर डाल दे।

मैंने उसको कहा- मेरी जान, इधर को घूम जा, मैं भी कुछ चूस कर देखूँ।


उसने उठ कर अपनी पेंटी उतारी. पेंटी उतारते ही उसका 6 इंच का कड़क लंड मेरे सामने आया।

मैं खुश हो गई- अरे वाह … तुम तो पूरे मर्द निकले! मैं तो सोच रही थी कि तुम लड़की हो।

मैं बेड के मध्य में सीधी लेट गई और वो मेरे ऊपर आकर उल्टा लेट गया।


उसने मेरी फुद्दी से मुँह लगाया तो मैंने भी उसका लंड पकड़ कर अपने होंठों से लगया, और फिर उसके लंड को किसी मीठे लोलीपोप कर तरह चूसने लगी।

एक शानदार कड़क लंड जिसने आज तक किसी फुद्दी का मुँह नहीं देखा था, मेरे मुँह में था।


सुशी भी अपनी कमर हिला हिला कर अपने लंड से मेरे मुँह को चोदने का मज़ा ले रहा था।


कुछ देर की 69 की पोजीशन के बाद मैंने सुशी से कहा- सुशी, मेरे ऊपर आ और अपना लंड मेरी फुद्दी में डाल!

उसने सीधा होकर अपना लंड मेरी फुद्दी पर रखा और धीरे से अंदर घुसा दिया। अब वो एक कुँवारा लड़का था, मगर मैं तो शादीशुदी औरत थी, तो मेरी फुद्दी में उसका लंड बड़े आराम से घुस गया।

मैंने उसे कहा- चोद सुशी, अपनी बड़ी दीदी को चोद। प्यार से चोद चाहे ज़ोर से रगड़, जैसे तेरा दिल करे। पेल दे अपनी बहन को।

वो बोला- दीदी सच में इतना मज़ा आ रहा है, इतनी एक्साइटमेंट हो रही है कि बता नहीं सकता, सच में सेक्स में इतना मज़ा आता है, मुझे मालूम नहीं था।


मैंने उसे कहा- जल्दी मत करना, आराम से कर, अगर लगे कि तेरा माल गिरने वाला है तो रुक जाना और मुझे बता देना, हम अपनी पोजीशन चेंज कर लेंगे।

वो बोला- हाँ दीदी, मैं भी तुम्हें हर पोज में चोदना चाहता हूँ।


उसके बाद हमने डोग्गी स्टाइल, काऊ गर्ल स्टाइल, रिवर्स काऊ गर्ल स्टाइल, बैठ कर खड़े होकर, उल्टा लेटकर, साइड से लेटकर, हर तरह से सेक्स किया। बेशक लड़के में जोश बहुत था, मगर फिर भी वो मेरे कहने के मुताबिक बड़े धीरज से सेक्स कर रहा था।


हम दोनों करीब 20-25 मिनट एक दूसरे के जिस्म से खेलते हुये सेक्स करते रहे, इसी दौरान मैंने उसे अपने मम्मे दबाने, और चूसने के बहुत से मौके दिये।

मैंने उसे होंठ चूसने सिखाये, जीभ से होंठों को चाटा, एक दूसरे की जीभ चूसी। उसे वो सब कुछ बताया, जो एक मर्द को जानना चाहिए।


फिर मैंने उसे कहा- अगर तुम चाहो तो तेज़ सेक्स करके अपना माल गिरा सकते हो।

उसने पूछा- अगर आप बुरा न मानो तो आपके मुँह में गिरा दूँ?

मैंने कहा- ओ के, मुझे कोई दिक्कत नहीं।


फिर उसने मुझे 1-2 मिनट जम कर पेला, खूब ज़ोर ज़ोर से घस्से मारे. और फिर एकदम से अपना लंड मेरी फुद्दी से निकाला और अपने हाथ से हिलाता मेरे मुँह के पास लाया.

मैंने झट से उसका लंड पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया.


गर्म वीर्य से मेरा मुँह भर गया। मेरे छोटे भाई का पहला गाढ़ा वीर्य जो पहली बार किसी लड़की के जिस्म के अंदर गिरा।

मैंने घूंट भर ली।

वो हाँफता हुआ बोला- अरे दीदी, आप तो पी गई?

मैंने कहा- हाँ अपने भाई का कीमती वीर्य क्या वेस्ट कर देती?


कुछ देर हम दोनों एक साथ लेटे एक दूसरे को देखते रहे। फिर मैंने उसे कहा- सुशी एक बात बोलूँ?

वो बोला- हाँ दीदी बोलो?


मैंने कहा- देख हम दोनों के बीच जो कुछ भी अभी हुआ, उससे मैं इस नतीजे पर पहुंची हूँ कि तू एक शानदार मर्द है, कड़क और दमदार। तू कहाँ ये लड़की वड़की बनने के चक्कर में पड़ा है। इस से पहले मैंने तुझे एक तजुर्बे की बात करी थी न। तो तजुरबा ये था कि अगर तू मर्द की तरह चोद कर मुझे संतुष्ट न कर पाता तो मैंने यही कहना था कि तू एक लड़की बन। मगर तुम में एक अच्छे मर्द के सारे गुण हैं, तो तू आज के बाद सिर्फ एक मर्द बनेगा, ये लड़की वाला आइडिया छोड़ देगा।


वो मुस्कुरा दिया- ओके दीदी, मुझे भी आज लगा कि मैं एक कंप्लीट मर्द हूँ, आपसे सेक्स करते वक्त मुझे भी एक मर्द की ही फीलिंग आ रही थी और ये ब्रा और मेकअप मुझे बुरे लग रहे थे।

मैंने कहा- तो ठीक है, आज से तू मेरा भाई ही बन के रहना, बहन मत बनना, ओ के?

और मैंने सुशी के होंठों पर एक छोटा सा किस किया.


मगर उसने मेरा चेहरे पकड़ कर मुझे एक जोरदार चुम्बन दिया और बोला- आप बस इसी तरह मुझे मिलने आती रहना, अब मैं भी किसी दिन आपके घर आऊँगा और हम दोनों फिर से सेक्स करेंगे। मगर मैं चाहता हूँ, हम दोनों आज की रात सोएँ नहीं, और सारी रात ऐसे ही मज़े करें।

मैंने कहा- पगले सुबह मेरा पेपर है, अब सो जाओ.


वो बोला- तो ऐसा करना न- सुबह जल्दी उठ कर जाने से पहले एक बार और करके जाना।

मैंने उसको आश्वासन दिया और हम सो गए।


सुबह 6 बजे जब मैं उठी तो सुशी भी उठ गया, उसका लंड भी पूरा तना हुआ था। उठते ही उसने मुझे पकड़ लिया और हम दोनों ने फिर बहुत बढ़िया सेक्स किया।


उसके बाद मैं तैयार हो कर पेपर देने गई। पेपर तो क्या घंटा होना था, पेपर देख कर ही मैं समझ गई कि मैं इस पेपर में फेल हूँ। मगर मुझे खुशी इस बात की थी कि अपने पति से चोरी मैंने एक शानदार मर्द के साथ रात गुजारी।

जिसे मैं एक लौंडा समझ रही थी, जो लड़का होने से ज़्यादा एक लड़की बनके खुश था, वो अब एक पूर्ण मर्द बन चुका है।


पेपर के बाद मैं वापिस मामा जी के घर गई।

तब तक मामा जी और मामी जी दोनों आ चुके थे।


शाम की बस से मैं वापिस अपने घर आ गई। आज दो साल हो गए, सुशी से फोन पर तो बात होती रहती है, पर कभी मिलने का मौका नहीं मिला।

हाँ इतना ज़रूर पता है कि इन दो सालों में वो अपनी 3-4 गर्लफ़्रेंड्स बदल चुका और मेरे दिये तजुर्बे से वो अब अपनी सहेलियों को खूब जम कर चोदता है

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