घर में दौड़ा दौड़ा कर चोदा देवर ने - Hindi Sex Stories
- Kamvasna
- Sep 27
- 15 min read
मेरा नाम अनामिका है। रंग मेरा गोरा है, और बॉडी एकदम स्लिम, मानो हर किसी की नजरें मुझ पर ठहर जाएँ। मैं सूरत की रहने वाली हूँ। एक साल पहले, जब मैं 30 साल की थी, मेरी शादी रितेश से हुई थी। रितेश की उम्र उस वक्त 32 साल थी, और अब वो 33 साल के हैं। उनका रंग भी गोरा है, लेकिन वो दुबले-पतले हैं, मानो हवा का एक झोंका भी उन्हें हिला दे। वो एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते हैं, जहाँ वो दिन-रात मेहनत करते हैं। मेरे ससुराल में रितेश के अलावा मेरा एक देवर है, जिसका नाम रौनक है। रौनक उस वक्त 30 साल का था, और अब वो 32 का हो चुका है। रौनक का लुक एकदम हैंडसम है, ऐसा कि कोई भी लड़की उसे देखकर पलटकर देखे। उसकी बॉडी फिट है, और चेहरा ऐसा कि किसी का भी दिल धड़क जाए। मेरे सास-ससुर की शादी के दो साल पहले ही मृत्यु हो चुकी थी, तो घर में सिर्फ हम तीन लोग रहते थे।
रितेश और रौनक भाइयों से ज्यादा दोस्तों की तरह रहते हैं। दोनों के बीच कोई पर्दा नहीं, सब कुछ खुला-खुला। रौनक मुझसे भी खुलकर मजाक करता है, कभी मेरी टांग खींचता है, तो कभी कोई चटपटा जोक मार देता है। रितेश को हम दोनों का ये मजाक बहुत पसंद है, और वो बीच-बीच में हँसते हुए कमेंट्स भी करता रहता है, जैसे “अरे, रौनक, भाभी को ज्यादा तंग मत कर!” लेकिन उसकी आँखों में शरारत साफ दिखती थी। ये बात एक महीने पुरानी है। रितेश को उनकी कंपनी के काम से चार दिनों के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना था। उनकी फ्लाइट रात 10 बजे की थी। जाते वक्त रितेश ने रौनक से कहा, “अनामिका का हर तरह से ख्याल रखना, समझा?” रौनक ने हँसते हुए जवाब दिया, “भैया, आप टेंशन मत लो, मैं भाभी का पूरा ख्याल रखूँगा।” उसकी आवाज में एक शरारत थी, जो मुझे उस वक्त समझ नहीं आई।
अगले दिन सुबह, मैं नहाकर बाथरूम से बाहर निकली। मैंने अभी कपड़े नहीं पहने थे, बस एक टॉवल लपेट रखा था, जो मेरे बदन को मुश्किल से ढक रहा था। मेरे बाल गीले थे, और टॉवल मेरे स्तनों से लेकर जाँघों तक मुश्किल से पहुँच रहा था। मैंने सोचा कि रौनक शायद उठ गया होगा, लेकिन जब मैं उसके कमरे में झाँकने गई, तो देखा कि वो अभी भी बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहा था। उसका कंबल आधा हटा हुआ था, और मैंने जो देखा, उससे मेरी साँसें थम गईं। रौनक की चड्डी से उसका लंड बाहर निकला हुआ था, और वो पूरी तरह से खड़ा था। मैंने आज तक ऐसा लंड नहीं देखा था। वो करीब ८ इंच लंबा और इतना मोटा था कि मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। मेरे पति रितेश का लंड तो सिर्फ ५ इंच का था, और उसकी तुलना में रौनक का लंड किसी हथियार जैसा लग रहा था।
मैं शर्म से लाल हो गई, लेकिन मेरी नजरें उससे हट नहीं रही थीं। मेरे मन में एक अजीब सा तूफान उठने लगा। मैं सोचने लगी कि दो दोस्तों के लंड में इतना फर्क! रितेश का छोटा और पतला, और रौनक का इतना बड़ा और मोटा। मैं खुद को सेक्सी मानती हूँ, और इतना बड़ा लंड देखकर मेरे बदन में गर्मी सी दौड़ गई। मेरी चूत में एक सनसनाहट होने लगी, और मैं बस यही सोच रही थी कि काश मुझे इस लंड से चुदाई का मौका मिल जाए। मैंने अपने आप को समझाया कि रौनक मेरा देवर है, और उससे चुदवाने में कोई रिस्क नहीं है। वो मुझसे खुलकर मजाक करता था, कभी-कभी मेरे कंधे पर हाथ रख देता, तो कभी मेरी कमर को हल्का सा छू लेता। मैं भी उसे देवर होने की वजह से बहुत प्यार करती थी, और हम दोनों दोस्तों की तरह रहते थे।
मैं धीरे से उसके बिस्तर के पास गई और उसके बगल में बैठ गई। मेरी नजरें बार-बार उसके लंड पर जा रही थीं। मेरे हाथ अपने आप उसकी ओर बढ़े, और मैंने धीरे से उसका लंड पकड़ लिया। वो इतना गर्म और सख्त था कि मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। मैं धीरे-धीरे उसे सहलाने लगी। तभी रौनक की नींद खुल गई। उसने मुझे अपना लंड पकड़े हुए देखा और हैरानी से बोला, “अनामिका भाभी, ये… ये आप क्या कर रही हो?” उसकी आवाज में शर्म और घबराहट थी। मैंने बिना रुके, हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “रौनक, तेरा लंड तो बहुत बड़ा है। मैंने आज तक इतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा। बस, इसे देख रही थी।” मेरी आवाज में एक शरारत थी, लेकिन मेरे दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं।
रौनक ने शर्म से अपनी आँखें बंद कर लीं। मेरे हाथों के स्पर्श से उसका लंड और सख्त हो गया। थोड़ी देर बाद उसने आँखें खोलीं और बोला, “भाभी, अब छोड़ दो… प्लीज, रहने दो।” मैंने हँसते हुए कहा, “थोड़ा रुक, मुझे इसे ठीक से देखने दे।” वो चुप रहा, और मैं उसके लंड को और जोर से सहलाने लगी। उसका बदन अकड़ने लगा, और वो बोला, “भाभी, अब छोड़ दो, नहीं तो इसका पानी निकल जाएगा।” मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “रौनक, मैं इसका जूस अपने मुँह में लेना चाहती हूँ। तू इसे मेरे मुँह में निकाल दे।” मेरी बात सुनकर वो और जोश में आ गया। उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपने लंड के पास खींच लिया। मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। उसका लंड इतना बड़ा था कि मेरा मुँह पूरा भर गया। मैं अपनी जीभ से उसके टोपे को चाट रही थी, और वो सिसकारियाँ भर रहा था, “आह… भाभी… उफ्फ…”
थोड़ी ही देर में उसके लंड ने गरम-गरम जूस मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैंने उसका सारा जूस निगल लिया, और फिर उसके लंड को चाट-चाटकर साफ कर दिया। मेरे बदन में आग सी लग रही थी। मैंने उससे कहा, “चल, अब फ्रेश हो जा। 9 बज रहे हैं।” रौनक शर्म से मेरी आँखों में नहीं देख पा रहा था। वो चुपचाप उठा और बाथरूम चला गया। मैं किचन में चाय बनाने चली गई, अभी भी सिर्फ टॉवल लपेटे हुए।
रौनक फ्रेश होकर आया और सोफे पर बैठ गया। उसने भी सिर्फ टॉवल पहना हुआ था, जैसे वो हर रोज करता था। मैंने उसे चाय दी, और वो सर झुकाकर चुपचाप चाय पीने लगा। मैं भी उसके बगल में बैठकर चाय पीने लगी। चाय खत्म होने के बाद मैं उसके और करीब आ गई। मैंने अपना हाथ उसके टॉवल के ऊपर रखा, जहाँ उसका लंड था। वो चुप रहा। मैंने धीरे से उसका टॉवल ऊपर उठाया, और उसका लंड फिर से मेरे सामने था। मैंने उसे सहलाना शुरू किया, और दो मिनट में ही वो फिर से लोहे जैसा सख्त हो गया। रौनक ने धीमी आवाज में कहा, “भाभी, आप तो मेरा लंड देख चुकी हैं। अब प्लीज, रहने दो।”
मैंने उसकी बात अनसुनी करते हुए कहा, “रौनक, मैंने आज तक इतने बड़े लंड से चुदाई नहीं की। मैं इसका मजा लेना चाहती हूँ। तुम्हारे भैया का तो सिर्फ ५ इंच का है, उससे मुझे ज्यादा मजा नहीं आता।” वो चुप रहा, शायद मेरी बात से उसे झटका लगा था। मैंने उसका टॉवल खींचकर फेंक दिया। अब वो मेरे सामने पूरी तरह नंगा था। मैंने फिर से उसके लंड को सहलाना शुरू किया। उसका डर धीरे-धीरे कम हो रहा था। उसने हिम्मत करके अपना एक हाथ मेरे स्तन पर रख दिया। मैंने शरारत से कहा, “देवर जी, ऐसे नहीं। मेरा टॉवल तो खोल दो।”
रौनक ने धीरे से मेरा टॉवल खींच लिया, और अब मैं भी उसके सामने पूरी तरह नंगी थी। उसने मेरे स्तनों को सहलाना शुरू किया, और मेरे निप्पल्स सख्त होने लगे। मेरी चूत में फिर से सनसनाहट होने लगी। मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया। उसकी हिम्मत और बढ़ गई। उसने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। मैं बेकाबू हो रही थी, “आह… रौनक… उफ्फ… और कर…” मैंने उसकी उंगली को और गहराई तक दबाया। वो मेरी चूत को उंगली से चोद रहा था, और मैं सिसकारियाँ भर रही थी।
मैं और जोश में आ गई और उठकर उसके पैरों पर बैठ गई। उसने मेरी पीठ पर हाथ फेरना शुरू किया, और उसका स्पर्श मेरे बदन में आग लगा रहा था। मैंने उसके लंड का टोपा अपनी चूत पर रखा और हल्का सा दबाया। “स्स्स… आह…” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। उसका लंड इतना मोटा था कि मेरी चूत में दर्द होने लगा। रौनक ने चिंता से पूछा, “क्या हुआ, भाभी?” मैंने कराहते हुए कहा, “तेरा लंड बहुत मोटा है… दर्द हो रहा है।” मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगी। मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाई, ताकि उसका लंड मेरी चूत में थोड़ा और घुसे। दर्द के साथ-साथ मजा भी आने लगा। मैंने और जोर लगाया, और इस बार “आह्ह…” मेरे मुँह से चीख निकल गई। उसका लंड का टोपा मेरी चूत में घुस चुका था।
मैं थोड़ी देर रुकी, ताकि दर्द कम हो। फिर मैंने अपनी कमर को आगे-पीछे करना शुरू किया। उसका लंड अब मेरी चूत में थोड़ा और रास्ता बना रहा था। दो मिनट में ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, और वो एकदम गीली हो गई। रौनक का लंड भी भीग गया था, और अब उसे अंदर-बाहर करने में आसानी हो रही थी। मैंने फिर से जोर लगाया, और इस बार “आह्ह… उफ्फ…” मेरी चीख और तेज हो गई। उसका लंड मेरी चूत में 2 इंच तक घुस गया था। मैं दर्द से कराह रही थी, लेकिन रौनक भी अब जोश में था। उसने मेरी कमर पकड़ी और मुझे अपनी ओर खींच लिया। “आह्ह… रौनक… धीरे…” मेरी चीख निकल गई, और उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया। उसका लंड अब 3 इंच तक मेरी चूत में था। मेरी चूत से थोड़ा खून भी निकल रहा था, क्योंकि उसका लंड मेरी चूत को फाड़ रहा था।
रौनक ने मेरी कमर को पकड़कर धीरे-धीरे आगे-पीछे करना शुरू किया। उसके होंठ मेरे होंठों पर थे, और मैं उसकी जीभ को चूस रही थी। दो-तीन मिनट बाद मेरा दर्द कम हुआ, और मैंने उसका साथ देना शुरू किया। मैंने अपने हाथ उसकी पीठ पर लपेट लिए और उसके सीने से चिपक गई। मेरी साँसें तेज हो रही थीं, और मेरी चूत फिर से पानी छोड़ने लगी। “आह… रौनक… और तेज…” मैं सिसकार रही थी। उसका लंड अब 3 इंच तक मेरी चूत में आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। रौनक ने मेरी कमर को और जोर से पकड़ा और मुझे तेजी से आगे-पीछे करने लगा। मैंने जोश में अपनी आँखें बंद कर लीं। तभी रौनक ने मुझे फिर से अपनी ओर जोर से खींच लिया। “आह्ह… उफ्फ…” मैं फिर से चिल्लाई, और उसने मेरे होंठों को चूमकर मेरी आवाज दबा दी। उसका लंड अब 5 इंच तक मेरी चूत में घुस चुका था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरी चूत में चाकू घुसा रहा हो।
रौनक अब पूरी तरह जोश में था। उसने मुझे तेजी से चोदना शुरू कर दिया। मैं भी उसका साथ दे रही थी, “आह… रौनक… और जोर से… उफ्फ…” मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ा, और अब वो पूरी तरह गीली थी। रौनक का लंड मेरी चूत में फच-फच की आवाज के साथ अंदर-बाहर हो रहा था। पाँच मिनट बाद ही रौनक के लंड ने मेरी चूत में अपना जूस छोड़ना शुरू कर दिया। उसी वक्त मेरी चूत ने भी पानी छोड़ा, और हम दोनों एक-दूसरे से चिपक गए। मैंने उसके लंड को अपनी चूत में डाले रखा, जब तक वो पूरी तरह ढीला नहीं हो गया। फिर मैं उससे अलग हुई। मैंने देखा कि उसके लंड पर मेरी चूत का जूस और थोड़ा खून लगा हुआ था। वो गुलाबी रंग का लग रहा था।
मैंने रौनक का हाथ पकड़ा और उसे बाथरूम ले गई। मैंने उसका लंड और अपनी चूत को साबुन से धोकर साफ किया। फिर हम दोनों नंगे ही बेडरूम में जाकर बिस्तर पर लेट गए। मैं उससे चिपकी हुई थी, और वो मेरी पीठ सहला रहा था। मैंने कहा, “रौनक, तेरे लंड से चुदवाकर मुझे बहुत मजा आया। अभी तो मैंने तेरा पूरा लंड अपनी चूत में नहीं लिया, फिर भी इतना मजा आया। तूने पहले कभी किसी के साथ किया है?” उसने शर्माते हुए कहा, “नहीं, भाभी। ये मेरा पहला बार था। इसीलिए मेरा जूस जल्दी निकल गया। मुझे भी बहुत मजा आया।” मैंने हँसते हुए कहा, “मैं तुझसे खूब चुदवाऊँगी, और तुझे भी खूब मजा दूँगी।”
इतने में रौनक का लंड फिर से खड़ा होने लगा। उसने शर्माते हुए कहा, “भाभी, मुझे कहते हुए शर्म आ रही है। अगर आपको बुरा न लगे, तो क्या मैं फिर से आपको चोद सकता हूँ?” मैंने मुस्कुराकर कहा, “अब कैसी शरम, रौनक? तूने मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया, अब तू जब चाहे मुझे चोद सकता है। मैं तो अब तेरी हूँ।” वो बोला, “क्या मैं आपकी चूत चाट सकता हूँ?” मैंने कहा, “इजाजत की क्या जरूरत? जैसा चाहे, वैसा कर। मुझे तो अभी तेरा पूरा लंड अपनी चूत में लेना है।”
रौनक उठा और मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में आ गया। उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया, और उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिसल रही थी। “आह… रौनक… उफ्फ…” मैं सिसकार रही थी। मैंने भी उसका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। उसका लंड फिर से लोहे जैसा सख्त हो गया। वो मेरे ऊपर से हटा और मेरे पैरों के बीच बैठ गया। मैंने कहा, “रौनक, मेरी कमर के नीचे तकिया रख दे। इससे मेरी चूत ऊपर उठेगी, और तुझे चोदने में आसानी होगी।” उसने दो तकिए मेरी कमर के नीचे रख दिए। फिर उसने मेरी चूत के होंठ फैलाए और अपने लंड का टोपा बीच में टिका दिया। उसके टोपे का स्पर्श मेरी चूत पर होते ही मेरे बदन में करंट दौड़ गया।
मैंने कहा, “रौनक, मेरे पैरों को मेरे कंधों तक सटा दे।” उसने मेरे पैरों को मेरे कंधों तक दबाया, और मेरी चूत और ऊपर उठ गई। वो बोला, “भाभी, तुम्हारी चूत तो एकदम ऊपर उठ गई है।” मैंने कहा, “इससे तेरा लंड मेरी चूत में आसानी से जाएगा। और जब तू पूरा लंड डालेगा, तो मुझे बहुत दर्द होगा। लेकिन मैं अपनी चूत को इधर-उधर नहीं कर पाऊँगी, और तू आसानी से मुझे चोद सकेगा। एक बात और, रौनक।” उसने पूछा, “क्या, भाभी?” मैंने कहा, “जब तू पूरा लंड मेरी चूत में डालेगा, तो मुझे बहुत दर्द होगा। मैं चिल्लाऊँगी, तड़पूँगी, लेकिन तू रुकना मत। पूरा लंड मेरी चूत में डाल देना और जोर-जोर से धक्के लगाना।”
रौनक ने कहा, “ठीक है, भाभी।” मैंने उसके सिर को पकड़कर अपनी ओर खींचा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैंने कहा, “चल, अब शुरू हो जा।” उसने मेरे पैरों को मेरे कंधों पर दबाते हुए एक धक्का मारा, और उसका लंड 5 इंच तक मेरी चूत में चला गया। “आह… उफ्फ…” मुझे हल्का सा दर्द हुआ। मैंने उसके सिर को पकड़कर उसके होंठों को चूमना शुरू किया। उसने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। मेरी चूत फिर से गीली हो गई, और उसका लंड भी भीग गया। मैंने कहा, “रौनक, अब पूरी ताकत से अपना लंड मेरी चूत में घुसा दे। रुकना मत।” उसने मेरी टाँगों को जोर से दबाया और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… उफ्फ…” मेरी चीख निकल गई। उसका लंड मेरी चूत में और गहराई तक घुस गया।
मैंने कराहते हुए पूछा, “कितना घुसा है?” उसने कहा, “अभी 6 इंच ही घुसा है।” मैंने कहा, “रौनक, मुझे बहुत दर्द हो रहा है। जल्दी से पूरा लंड डाल दे।” उसने फिर एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… रौनक…” मैं तड़प उठी। उसका लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ और गहराई तक घुस गया। मेरी चूत की दीवारें उसकी मोटाई को महसूस कर रही थीं। मैंने चिल्लाते हुए कहा, “जल्दी कर, रौनक। पूरा लंड डाल दे।” उसने एक और जोरदार धक्का मारा। इस बार मैं दर्द से पागल हो गई। मेरे मुँह से चीख निकल गई, और मेरी आँखों में आँसू आ गए। मैं अपने बाल नोचने लगी। उसका लंड मेरी बच्चेदानी को ठोकर मार रहा था।
मैंने पूछा, “पूरा घुस गया?” उसने कहा, “नहीं, भाभी। अभी थोड़ा बाकी है।” मैंने कहा, “बाकी का भी डाल दे।” उसने पूरी ताकत से एक आखिरी धक्का मारा। “आह्ह… मर गई…” मैं दर्द से तड़प रही थी। मेरी चूत में उसका पूरा 9 इंच का लंड समा चुका था। मैं उसके दोनों बॉल्स को अपनी चूत पर महसूस कर रही थी। मैंने कहा, “रौनक, रुकना मत। अब जोर-जोर से धक्के लगा। मेरी चूत अभी टाइट है। जब तू जोर से चोदेगा, तो ये तेरे लंड के साइज की हो जाएगी।” उसने जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू किए। “फच… फच…” मेरी चूत से आवाजें आने लगीं। 20-25 धक्कों के बाद मेरा दर्द कम होने लगा। मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ा, और अब वो पूरी तरह गीली थी।
रौनक का लंड अब आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने कहा, “रौनक, मेरे पैर छोड़ दे और मेरे बूब्स को मसलते हुए चोद।” उसने मेरे पैर छोड़ दिए और मेरे दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया। वो उन्हें जोर-जोर से मसल रहा था, और मेरे निप्पल्स को अपनी उंगलियों से दबा रहा था। “आह… रौनक… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी। वो जोर-जोर से धक्के लगा रहा था, और मैं अपने चूतड़ उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी। मैंने उसका सिर पकड़कर अपनी ओर खींचा और उसके होंठों को चूमने लगी। जब वो धक्का मारता, तो मैं अपने चूतड़ ऊपर उठा देती, जिससे उसका लंड मेरी चूत में और गहराई तक घुस जाता। “फच… फच…” की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी।
10 मिनट बाद रौनक ने मेरी कमर को जोर से जकड़ लिया और बोला, “भाभी, मेरा जूस निकलने वाला है।” मैंने कहा, “अपना जूस मेरी चूत में ही निकाल दे।” उसकी स्पीड और तेज हो गई, और दो मिनट में ही उसके लंड ने मेरी चूत को अपने गरम जूस से भर दिया। मेरी चूत ने भी उसी वक्त पानी छोड़ा। हम दोनों एक-दूसरे से चिपक गए। उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थीं। थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मेरी चूत को देखने लगा। वो बोला, “भाभी, तुम्हारी चूत तो एकदम सुरंग की तरह हो गई है।” मैं हँस पड़ी और बोली, “हाँ, तेरे लंड ने मेरी चूत को चौड़ा कर दिया।”
उसने कहा, “भाभी, मैं तुम्हारी चूत में दूध भरकर पीना चाहता हूँ।” मैंने हँसते हुए कहा, “जा, किचन से दूध ले आ।” उसने कहा, “तुम अपने पैर ऐसे ही ऊपर रखो, ताकि ये सुरंग बंद न हो।” मैंने अपने पैर ऊपर रखे, और वो किचन से एक गिलास दूध ले आया। उसने मेरी चूत में दूध डालना शुरू किया, और पूरा गिलास मेरी चूत में समा गया। वो बोला, “भाभी, इस दूध में कई तरह का टॉनिक है। इसमें तुम्हारी चूत और मेरे लंड का टॉनिक भी मिला है।” मैं हँस पड़ी। उसने मेरी चूत पर मुँह लगाया और सारा दूध पी गया। मैंने कहा, “मुझे भी वो टॉनिक वाला दूध पिलाओ।” उसने फिर से मेरी चूत में दूध भरा और उसे गिलास में निकालकर मुझे दिया। मैंने भी वो दूध पी लिया और हँसते हुए कहा, “तेरे लंड ने मेरी चूत को इतना चौड़ा कर दिया कि इसमें एक गिलास दूध समा गया।”
मैं बाथरूम जाना चाहती थी, लेकिन ठीक से चल नहीं पा रही थी। रौनक ने मुझे गोद में उठाया और बाथरूम ले गया। बाथरूम के शीशे में मैंने अपनी चूत को देखा, जो एकदम सुरंग की तरह दिख रही थी। मैं हँस पड़ी। फिर हम दोनों बाथरूम से वापस आए। मैंने कहा, “मैं खाना बनाने जा रही हूँ। तू आराम कर।” रौनक ने कहा, “अब कैसी शरम? नंगी ही खाना बना ले।” मैं नंगी ही किचन में चली गई। रौनक भी नंगा ही टीवी देखने लगा।
खाना बनाकर जब मैं बाहर आई, तो मैंने रौनक से पूछा, “क्या तू फिर से तैयार है?” उसने कहा, “मैं तो कब से तैयार हूँ, बस तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ।” मैंने उसका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। दो मिनट में ही उसका लंड फिर से लोहे जैसा सख्त हो गया। मैंने उसे लेटने को कहा। वो लेट गया, और मैं उसके ऊपर चढ़ गई। मैंने उसके लंड का टोपा अपनी चूत पर रखा और हल्का सा दबाया। “आह…” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। उसका लंड 2 इंच तक मेरी चूत में घुस गया। रौनक ने पूछा, “क्या हुआ, भाभी?” मैंने कहा, “तेरा लंड अभी भी मेरी चूत के लिए बड़ा है। 8-10 बार चुदवाने के बाद ही ये मेरी चूत में आसानी से जाएगा।” मैंने और जोर लगाया, और उसका लंड 4 इंच तक घुस गया। “उफ्फ…” मैं कराह उठी। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए।
थोड़ी देर बाद मेरा दर्द कम हुआ, और मैंने और जोर लगाया। इस बार उसका लंड 6 इंच तक घुस गया। मैं फिर से तड़प उठी। मेरे चेहरे पर पसीना आ गया। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। जब दर्द कम हुआ, तो मैंने एक गहरी साँस ली और अपने पूरे बदन का वजन डालकर उसके लंड पर बैठ गई। “आह्ह… मर गई…” मैं दर्द से चिल्ला उठी। उसका पूरा 9 इंच का लंड मेरी चूत में समा गया था। मैं थोड़ी देर तक उसी तरह बैठी रही। फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। दर्द अभी भी था, लेकिन मजा भी आने लगा था। मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई, और अब मैं उसके लंड पर उछल रही थी। “आह… उफ्फ… रौनक… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी।
रौनक भी अपने चूतड़ उठाकर मेरा साथ दे रहा था। पाँच मिनट बाद मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया। मैं उसके ऊपर से हट गई और बोली, “अब मैं डॉगी स्टाइल में हो जाती हूँ। तू पीछे से आकर मुझे चोद।” मैं जमीन पर डॉगी स्टाइल में हो गई। रौनक मेरे पीछे आया और मेरी चूत के होंठ फैलाकर अपने लंड का टोपा बीच में रखा। मैंने कहा, “एक झटके में पूरा लंड डाल दे।” उसने मेरी कमर पकड़ी और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह…” उसका 9 इंच का लंड मेरी चूत में सनसनाता हुआ घुस गया। डॉगी स्टाइल में मेरी चूत टाइट थी, और मुझे फिर से दर्द हुआ। मैंने कहा, “रौनक, रुकना मत। जोर-जोर से धक्के लगा।” उसने मेरी कमर पकड़कर जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। “फच… फच…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी।
उसका लंड मेरी बच्चेदानी को ठोकर मार रहा था। तीन-चार मिनट में मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ा। रौनक का लंड भीग गया, और अब वो आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। उसने मेरी कमर छोड़कर मेरे बूब्स पकड़ लिए और उन्हें मसलते हुए मुझे चोदने लगा। “आह… रौनक… और जोर से…” मैं चिल्ला रही थी। उसका हर धक्का मुझे हिलाकर रख देता था। मैं हर धक्के के साथ आगे सरक रही थी। आखिरकार मेरा सिर ड्राइंग रूम की दीवार से टकरा गया। रौनक ने हँसते हुए कहा, “भाभी, अब कहाँ भागोगी?” उसने मुझे और तेजी से चोदना शुरू कर दिया। 15-20 मिनट बाद मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ा, और उसी वक्त रौनक के लंड ने भी मेरी चूत को अपने जूस से भर दिया।
उसने अपना लंड निकाला और मेरी चूत को चाटकर साफ कर दिया। फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह के पास किया, और मैंने उसे चाटकर साफ कर दिया। हम दोनों जमीन पर लिपटकर लेट गए। अगले तीन दिन तक रौनक ने मुझे अलग-अलग स्टाइल में चोदा। कभी मैं उसके ऊपर चढ़कर उछली, कभी वो मुझे डॉगी स्टाइल में चोदता, तो कभी हम 69 में एक-दूसरे को चाटते। अब मेरी चूत इतनी चौड़ी हो चुकी थी कि उसका 9 इंच का लंड आसानी से मेरी चूत में घुस जाता था, और मुझे जरा भी दर्द नहीं होता था। मुझे उससे चुदवाने में इतना मजा आया कि मैं हर बार और चाहने लगी।
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