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चाची ने ब्लैकमेल कर चूत चटवाई, पेशाब से नहलाया - Hindi Sex Stories

मैं सिर्फ 18 साल का था जब यह सब शुरू हुआ, घर में कामवाली अनीता आती थी, उससे मुझे प्यार हो गया था, प्यार कहो या सेक्स का भूखा खेल, सब एक ही लगता था, मैं उसे हर शॉट के 100 रुपये देता, बदले में वो मेरा लंड मुंह में लेकर चूसती, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गों.. गों.. जैसे आवाजें निकालती हुई गले तक लेती, और पिचकारी अंदर न मारने की शर्त पर अपनी चूत में डालने देती, लेकिन कहते हैं ना प्यार को नजर लग ही जाती है, ऐसा ही हुआ मेरे किचन में जन्मे इस गंदे रिश्ते के साथ, एक दिन मैं किचन में अनीता को बटवे से पैसे दे रहा था, तभी पता नहीं कहां से कंचन चाची वहां आ गई, उसने पूछा, किस चीज के पैसे दे रहे हो, मैंने कहा छुट्टे दे रहा था, बात टालकर वहां से खिसक लिया.


लेकिन मेरी चालाक चाची ने अनीता को डांटकर सब उगलवा लिया, अनीता ने बता दिया कि मैं उसे चोदता हूं, वो मुझे ओरल देती है, मैं किचन के सामने वाले कमरे के दरवाजे पीछे छिपकर देख रहा था, चाची ने अनीता को पकड़ रखा था, बातें उगलवा रही थी, मुझे मां-बाप का इतना डर नहीं था, लेकिन चाचा बहुत खराब हैं, चाची को भी लकड़ी से मारते हैं, हमें तो बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे, मैं मन ही मन प्रार्थना करने लगा कि चाची चाचा को न बता दे, कंचन चाची चाचा से ज्यादा पढ़ी-लिखी और खूबसूरत थीं, सच कहूं तो अभी तक मेरे दिल में चाची के लिए कोई गंदा ख्याल नहीं था.


चाची किचन से बाहर आईं, मां के कमरे में गईं, मुझे लगा अब सब गया, चाची मां को बता देंगी, चूत में लंड नहीं अब गांड में डंडे पड़ेंगे, लेकिन 5 मिनट बाद चाची बाहर आईं, आवाज लगाई, कुनाल, कहां हो तुम, बाहर आओ मुझे कुछ काम है, मैं सहमी निगाहों से बाहर आया, चाची हंसकर बोलीं, आओ मेरे कमरे में, मैंने तुम्हारी मां को बता दिया है कि तुम्हारा कुछ काम है, इसलिए आधा घंटा ऊपर रहोगे.


मैं डरते-डरते चाची के पीछे चल पड़ा, चाचा सुबह ही दुकान चले गए थे बाबूजी के साथ, घर में अब मेरे अलावा कोई मर्द नहीं था, चाची ने कमरे में घुसते ही दरवाजा बंद किया, सक्कल लगा दी, फिर मेरी तरफ देखकर कहा, तो तुझे चूत में डालने का बड़ा शौक है कुनाल, अनीता ने सब बता दिया कि तू पॉकेट मनी का सही इस्तेमाल कर रहा है, अब बता चाचा को बताऊं या तेरे बाबूजी को, मां तो तेरी कुछ नहीं करेगी.


मैंने चाची के सामने हाथ जोड़े, नहीं चाची जी, आप जो कहेंगी वो करूंगा, लेकिन किसी को मत बताना, चाची बोलीं, सोच ले, जो कहूंगी वही करना पड़ेगा, बिना सवाल के, मैंने कहा जरूर चाची जी, बिना सवाल के, पक्का, एकदम पक्का, फिर चाची ने कहा, अपनी पतलून उतार और अपनी लुल्ली दिखा मुझे.


बाप रे, यह क्या कह रही थीं, मैं सहम गया, कहीं परीक्षा तो नहीं ले रहीं, मैंने पैंट नहीं उतारी, चाची बोलीं, क्यों रे, अभी तो कह रहा था सब करूंगा, इतने में ही गांड फट गई, चल पैंट खोल वरना चाचा को फोन लगाती हूं, मैं समझ गया चाची सच में चाहती थीं, क्या वो भी अपनी चूत में मेरा लंड लेना चाहती थीं, मैंने पतलून उतारकर नीचे फेंकी, चाची मेरे लंड के चड्डी पर बने आकार को देख चौंक पड़ीं.


मैं तो समझती थी तेरी लुल्ली होगी, लेकिन तेरा तो पूरा लंड है, कितनी बार अनीता की चूत में डाला है तूने, मैंने कहा एक-दो बार ही चाची जी, सट्टाक, चाची का थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ा, झूठा बेंचोद, अनीता ने कहा डेढ़ महीने से हर चौथे दिन चोद रहा है, तेरी गणित अलग कहती है, नहीं चाची जी, पहले सिर्फ टच करता था, फिर सब करने लगा, अच्छा तो कितनी बार डाला उसकी चूत में, 10-11 बार से ज्यादा नहीं, ठीक है, मुझे मजे देगा आज.


क्या, मैं समझा नहीं चाची जी, सट्टाक, फिर थप्पड़ पड़ा, चाची ने ब्लाउज साइड किया, ब्रा मेरे सामने खोलने लगीं, ये ले चूस इसे मादरचोद, मैं चाची के पास गया, उनके चुंचे चूसने लगा, आह इह्ह ओह्ह चाची, चाची ने मेरी अंडरवियर नीचे सरका दी, मेरा लंड उनके सामने था, वो पकड़कर चेक कर रही थीं, मैंने ब्रा हटाई जो बीच में अड़चन दे रही थी, चाची के बूब्स को जोर से चूसने लगा, ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. जैसे मैं चूस रहा था, चाची ने मेरे कान पकड़े, निर्दय तरीके से खींचने लगीं, दर्द हो रहा था लेकिन उन्हें परवाह नहीं, फिर बोलीं, चल चुंचे बहुत चुसे, अब चूत में मुंह डाल अपना, चूत में मुंह डाल मादरचोद.


चाची ने पेटीकोट हटाया, अंदर की पेंटी मुझे हटाने को कही, बाप रे चाची की चूत तो चिड़िया का घोंसला थी, चारों तरफ घने बाल, मुझे उल्टी जैसी फीलिंग हुई, लेकिन चाची ने धक्का देकर मेरा मुंह चूत पर धर दिया, फिर बेड पर टांगें चौड़ी कर बैठ गईं, कहा, चाट मेरी चूत को, मुंह निकाला तो चाचा को बता दूंगी, मैंने जीभ चूत में डालकर जोर-जोर से चाटना शुरू किया, आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह चाची, चाची कंधों पर जोर से मार रही थीं, और जोर से चाट कह रही थीं, मैंने जीभ छेद में गहराई तक डाली, सटीक तरीके से घुमा रहा था, चाची की चूत से अलग सी स्मेल आ रही थी, लेकिन नाक बंद कर मैं चूसता रहा, चाची ने एक हाथ से चूत फाड़ी, अंदर की गुलाबी चमड़ी बाहर निकाली, बोलीं, इसे जीभ से खींच, ऊपर के दाने को दांतों से दबा जोर से.


मैंने वैसा ही किया, अब चाची मार नहीं रही थीं, चूत चटाई से उनकी सांस फूल रही थी, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ कुनाल और गहराई तक, वो खुद बूब्स दबा रही थीं, मुझे और अंदर जीभ डालने को कह रही थीं, उनका बदन हिलने लगा, चूत मेरे मुंह पर रगड़ने लगीं, झटके आने लगे, ओह्ह ओह ! आह.. ह्ह्ह.. इह्ह.. और फिर चूत से पानी की फव्वारा निकला, चाची मेरे मुंह पर झड़ गईं, बाल पकड़कर बोलीं, एक-एक बूंद पी ले, मैंने मुंह खोलकर खारा पानी गटक लिया, दो मिनट में चाची शांत हुईं, मुझे धक्का दे दिया.


मुझे लगा अब चूत में डालने को कहेंगी, लेकिन नहीं, चाची बोलीं, तू मुठ मार ले, चूत में लेना पसंद नहीं, मैं लेस्बियन हूं, समाज के दबाव में तेरे चाचा से शादी की, वो हरामी मेरी चूत बहुत मारता है, मुझे रेप जैसा लगता है, लेकिन वो निर्दयी है, चूत देनी पड़ती है, तू मुठ मारकर निकल ले, जब कहूं चूत में जीभ डालने आ जाया कर, मैं वहीं बैठकर लंड हिलाने लगा, दो मिनिट में माल बाहर आया, चाची देखती रह गईं, फिर उठीं, एक टांग उठाई, चूत से पेशाब की धार निकली, मेरे बदन पर गिरने लगी, मैं उठ भी नहीं सका, पेशाब खत्म कर बोलीं, क्यों तुम लोग ऐसे ही पेशाब करते हो ना, ही ही ही, चाची का यह रूप देख मैं दंग रह गया, उनका एक और रूप है जो अगली कहानी में बताऊंगा, जब चाची ने मेरी गांड डिल्डो से मारी थी.


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