चूत के उद्घाटन बाद में तो रंडी बन गई - Desi Sex Stories
- Kamvasna
- 6 days ago
- 23 min read
सभी पाठकों को नमस्कार, मेरा नाम अंकिता है और मैं मध्य प्रदेश से हूँ.
दोस्तो, इस वेबसाइट की कहानियां मैं 10 साल से पढ़ती आ रही हूँ पर आज पहली बार अपनी सेक्स कहानी लिख रही हूँ.
तब से लेकर आज तक बहुत सी चीजें बदली हैं पर एक चीज नहीं बदली और वो है कामवासना!
जब कहानियां पढ़ती तो मेरी चूत गीली हो जाती यानि मेरे मन में सेक्स की चाहत होने लगी और मुझे चुदने का मन करने लगा।
पर यह आसान नहीं है किसी लड़की का तुरंत किसी लड़के के साथ सेक्स सम्बन्ध बनाना।
मैं अपने मन में कुछ भी नहीं रखती हूँ पर कुछ बातें सब को नहीं बताई जाती.
इसलिए मैं आज आपको अपनी चुदाई की दास्तान सुना रही हूँ.
मेरी वर्जिन चूत की चुदाई की कहानी का मजा लीजिये.
मेरे घर पर हम तीन लोग मैं और मम्मी पापा रहते ही रहते हैं.
पापा सरकारी जॉब में हैं और माँ हाउसवाइफ हैं.
मैं अपने बारे में बता दूं कि मैं एक सामान्य सी दिखने वाली लड़की हूँ.
यह कहानी मेरी पहली चुदाई की है जब मेरी सील टूटी थी.
मैं उस समय सिर्फ 19 साल की थी तब मेरा साइज 32B-29-33 था.
हर एक लड़की का सेक्सी होने का मन होता है, वह मन ही मन चाहती है कि किसी को वह अपनी तरफ अपना सेक्सी बदन दिखाकर आकर्षित कर ले और उसको अपना बना ले!
ठीक वैसा ही मेरा भी मन था, मैं अपनी कॉलेज की सहेलियों के साथ रहकर सेक्स के बारे में बहुत सारी बातें समझ गई थी.
लेकिन मुझे ऐसा कोई मिला नहीं मिला जिसके साथ मैं सेक्स करूं.
एक दिन की बात है घर पर नानी की तबियत खराब थी तो अचानक पापा और मम्मी दोनों कुछ दिन के लिए उन्हें देखने के लिए गये.
और मैं घर में अकेली रह गयी थी.
शाम को मैं घर से मार्केट के लिए निकली.
मम्मी ने ब्लाउज सिलवाने के लिए दिया हुआ था, उनका और मेरा दोनों का, बस वही लेने के लिए मैं निकली.
आते हुए चेतन मिल गया और कहा- अरे अंकिता, कैसी हो?
मैंने कहा- बढ़िया … तुम यहाँ कैसे?
चेतन मेरे कॉलेज में ही पढ़ता है और मेरे ही ग्रुप का लड़का है. देखने में हैंडसम है, 5’9″ हाइट है और बढ़िया बॉडी थी.
उसकी और मेरी बातचीत होती रहती थी.
उसने कहा- बस ऐसे ही एक दोस्त से कुछ काम था तो मिलने के लिए आया था. और तुम?
मैंने कहा- मेरा घर यही पास में है. बस कुछ समान लेना था, तो आई थी.
तो चेतन बोला- चलो तुम्हें घर छोड़ देता हूँ.
मैंने कहा- नहीं, मैं चली जाऊंगी.
उसने कहा- कोई नहीं, मैं छोड़ देता हूँ.
फिर उसने मुझे राज़ी कर लिया कि वही छोड़ेगा.
तो मैं उसकी स्कूटी पर बैठ गयी और उसने मुझे घर छोड़ा।
तो मैंने चेतन से कहा- घर के अंदर तक तो आओ.
वह बोला- नहीं फिर कभी!
मैंने कहा डरो नहीं, घर पर कोई नहीं है, मैं अकेली हूँ।
वह अंदर आया.
मैंने कहा- क्या खाओगे?
उसने कहा- कुछ नहीं!
मैंने उससे कहा- मैं चाय बना रही हूँ.
उसने कहा कि उसे बाथरूम जाना है.
मैंने उसे इशारे से जगह बता दी।
वह गया.
तब तक चाय बन चुकी थी पर वह अभी तक नहीं आया.
मैं बाथरूम की ओर गयी.
मैंने दरवाजा खटखटाने की कोशिश की तो दरवाजा खुला हुआ था.
तब मैंने देखा कि मेरी ब्रा पैंटी उसके हाथ में थी और वह उन्हें सूंघ रहा था.
मैं चौंक गयी, बाहर आ गयी.
उसने मुझे देखा और वह सकपका गया.
फिर वह बाहर आया और उसने कहा- सॉरी अंकिता, मुझे माफ़ कर दो.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा- यह बात तुम किसी को मत बताना!
मैंने कहा- तुम्हें शर्म आनी चाहिए.
वह बोला- अंकिता, मैं तुम्हें पसंद करता हूँ. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो।
मैंने कहा- ठीक है, कोई नहीं, तुम चाय पियो.
चाय पीकर चेतन मुझसे बोला- अंकिता एक सवाल है!
मैंने कहा- बोलो?
वह बोला- अंकिता, मैं तुम्हें पसंद करता हूँ.
मैंने कहा- क्या?
चेतन ने मुझे सीधे किस कर लिया.
मैंने उसे धक्का देकर कहा- ये सब क्या है?
अचानक से बदले उसके इस प्रकार के व्यहवार से मैं सहम सी गयी, एकदम से घबरा गई और उसी समय मैंने कहा- यह क्या कर रहे हो?
उसने कहा- देखो अंकिता, मैंने जब से तुमको पहली बार देखा है, तभी से मेरा मन तुमसे सेक्स करने के लिए बहुत बेचैन रहता था. मैंने तुम्हारी सहेलियों से भी पता किया कि तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है. सेक्स के लिए तुम भी उतावली रहती हो!
और उसने कहा- मुझे तुम्हारी सहेली वर्षा ने बताया कि तुम सब पॉर्न मूवी देखती हो और तुम सेक्स भी करना चाहती हो!
मैंने कहा- ये सब झूठ है.
उसने कहा- 2-3 लड़कियों को छोड़कर सभी के बॉयफ्रेंड हैं. अंकिता, मैं तुम्हें पसंद करता हूँ. तुम चाहो तो वर्षा से अभी फोन कर पूछ लो.
मैंने तुरंत गुस्से में वर्षा को फोन लगाया और इधर उधर की बात करते हुए कन्फर्म किया कि चेतन कॉलेज में किसे पसंद करता है.
तो उसने बताया- वह तुम्हारे पीछे है, ऐसी खबर है.
फिर मैंने फोन रख दिया।
मैं समझ गई कि चेतन की बात सही है.
वह मेरे पास आया और फिर चेतन ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे किस करने लगा।
तभी कुछ देर के बाद मेरी ना ना करने पर भी वह नहीं माना.
मैंने भी कोई विरोध नहीं किया.
वह समझ गया कि ऊपरी मन से ना और अंदर से हाँ ही है. नहीं तो अब तक मैं विरोध कर उसे मना कर देती.
फिर उसने मेरा गाल चूमा.
और उसने मेरी चूचियों को जैसे ही दबाया, मैं पागल हो गयी और मेरे तन बदन में आग लग गयी थी।
मैं किसी मर्द के बाहों में पहली बार थी और वो भी जवानी की शुरूआत में!
फिर उसने मेरे बालों को खोल दिया और उन्हें सहलाने लगा.
मैं भी शर्माती हुई हौले हौले ही सही पर साथ दे रही थी।
मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ रहा था।
मैं सिसकारियां और अंगड़ाइयाँ लेने लगी. मैं सलवार कमीज़ पहनी हुई थी.
उसने मेरे दुपट्टे को अलग कर उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और बैठकर मेरी जाँघों को अपने हाथों से दबाते हुए चूमने लगा.
सही कहूँ तो मुझे अच्छा लग रहा था लेकिन घबराहट से पैर कांप रहे थे.
फिर उसने कहा- अंदर चलते हैं.
मैंने इशारे में हाँ कहा.
तुरंत ही दरवाजा लगाकर उसने मुझे गोदी में उठा लिया और अंदर पलंग पर लेटा दिया.
मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या हो रहा है.
फिर वह अपने सारे कपड़े तुरंत उतारकर अंडरवीयर में आ गया और उसमें उसका लंड फुन्कारें मार रहा था.
मुझे चूमते हुए मेरी कमीज़ को ऊपर करते हुए नाभि और पेट को चूमते हुए वह मेरे बूब्स को दबाने लगा.
उसने मुझे इशारे से कहा- इसे उतार दो.
मैंने कमीज़ उतार दी.
अब मैं सिर्फ़ लाल ब्रा और लाल पैंटी में थी.
वह ब्रा के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा और मसलने लगा और एक हाथ से मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही मसलने लगा.
उसने ब्रा को खोलने के लिए मेरी पीठ को थोड़ा ऊपर उठाने के लिए कहा.
तब मैंने अपनी पीठ को ऊपर उठा लिया, ब्रा के हुक को खोलकर बदन से अलग कर दिया.
और जैसे ही उसकी नज़र मेरे नंगे बूब्स के ऊपर पड़ी तो उसके मुख से निकला- ओह माय गॉड … क्या चीज है. आज मजा आ जायेगा।
फिर जब मेरे निप्पल को दांतों से दबाता, करंट पूरे शरीर में दौड़ जाता।
मैं आआह आआह आआह करने लगी।
वह मेरी चूचियों के ऊपर टूट पड़ा. वह ऐसे चूम रहा था जैसे फिर कभी उसे चूचियां नहीं मिलेंगी.
फिर वह मेरे होंठों से लेकर बूब्स और नाभि होता हुआ मेरी चूत तक अपनी जीभ को फेरते हुए नीचे गया।
मैंने उसकी इच्छा को समझा और अपनी पैंटी अपने हाथों से उतारने लगी.
तो उसने खुद मेरी चड्डी एक झटके में उतार दी.
आज सुबह ही मैंने अपनी चूत और बगल के बाल साफ किए थे तो मेरे शरीर में एक भी बाल नहीं था.
फिर उसने मेरे पास आकर कहा- अंकिता, तुम कयामत लग रही हो!
मैं शर्म के मारे कुछ नहीं बोली.
फिर चेतन पूरा नंगा हो गया और अपना लंड मेरे मुंह के सामने रखकर इशारे से चूसने के लिये कहा.
मैंने पॉर्न मूवी में देखा हुआ था सब कुछ!
पर मैं उसके 7 इंच लंड को मुंह में नहीं ले पा रही थी.
तो उसने कहा- सिर्फ़ तुम आगे वाले हिस्से को ही अच्छे से चूसो और चिकना कर दो.
2 मिनट चूसने के बाद वह बोला- ठीक है. अब यह बताओ कि पहले चुदी हो कभी?
मैंने कहा- नहीं!
उसने मेरी टांगों को फैला कर मेरी चूत को निहारते हुए दोनों उँगलियों से फाड़ कर देखा और कहा- पहली बार में दर्द होगा!
मैंने कहा- हाँ!
उसने मेरी चूत को उंगलियों से फैलाया और मेरी चूत में अपनी जीभ डाल कर जीभ की नोक से चोदने लगा.
मैं मानो जन्नत की सैर पर निकल पड़ी थी.
वह बोला- घबराना मत, फिर मज़ा आने लगेगा.
उसने पूछा- तेल है?
मैं नंगी उठकर तेल लाने गयी और उसे तेल दिया.
उसने तेल अपने लंड पर लगा लिया और मेरी चूत के छेद के अंदर भी डाल दिया और बोला- तैयार हो जाओ!
उसके बाद उसने मेरी दोनों टांगों को फैला कर अपने कंधे पर रखा और अपना लंड मेरी चूत की फांकों में रगड़ने लगा.
मैं भी नीचे से गांड उठा कर उसके लंड को खा लेने का प्रयास करने लगी.
मुझे अपनी चिकनी चूत में चिकना लंड बड़ा मस्त अहसास दे रहा था क्योंकि आज तक मैं अपनी उंगली से ही काम चलाती थी.
फिर वह मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगा.
मैं उसके चुम्बन में मस्त होने लगी.
अचानक से ही उसने एक ज़ोरदार धक्का दे मारा और अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया.
अभी उसका थोड़ा सा ही लंड चूत के अन्दर गया था कि मुझे बहुत तेज दर्द होने लगा.
लेकिन मेरे मुँह से चीख बाहर नहीं निकल सकी क्योंकि उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से बंद कर रखा था.
मैं कराह उठी और अपने नाखून उसकी पीठ पर तेज़ चुभा दिए.
मैंने ऐसा कई बार किया और उसकी पूरी पीठ पर निशान बना दिए.
थोड़ी देर वह मेरी चूचियों को सहलाता रहा और मेरे होंठों को चूसता रहा जिससे मेरा दर्द कम हुआ और मुझे सही लगने लगा.
उसने मेरी कमर को थोड़ा सा ऊपर उठाया और कमर को दोनों हाथों से पकड़कर ज़ोर से एक झटका मार दिया.
और इस झटके से मैं ज़ोर से आईई ईईई आआहह प्लीज उफ निकाल लो … नहीं ऊऊईई ईईईई करके चिल्ला पड़ी.
इस धक्के से उसका आधा लंड चूत में घुस गया और खून उसके लंड में दिख गया मुझे!
मेरी सील टूट गयी थी और मेरी आखों से आँसू आने लगे.
मुझे चूमते हुए उसने और एक और झटका तेज़ी से दिया और पूरा लंड मेरे अंदर घुसा दिया.
फिर बिना देर किए वह अपना लंड मेरी फटी बुर में अंदर बाहर करने लगा.
बिना मेरी परवाह किए वह मेरी चूचियों को सहलाते हुए मेरे होंठों को चूस रहा था, साथ ही धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे कर रहा था.
मैं उसी बीच में झड़ गयी.
कुछ देर वह ऐसे ही करता रहा और धीरे धीरे मुझे भी अच्छा लगने लगा.
थोड़ी देर में मेरा दर्द ख़त्म हो गया और वह मुझे आराम से चोदने लगा.
मैं भी उनको साथ देने लगी। मैं ओह्ह आअह्ह ह्ह्ह ओह्ह ह्हह उफ्फ औच की आवाज निकाल निकाल कर चुदवाने लगी।
फिर उसने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा.
घोड़ी बनाकर उसने अपना लंड मेरे चूतडों के बीच घुसाया और तेज तेज झटके लगाने शुरू कर दिए.
अब तो मैं भी झटकों के साथ ताल मिलाती हुई अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी।
हम दोनों अपनी चुदाई में मस्त होने लगे।
मैं अब तक इस दौरान एक और बार झड़ चुकी थी.
करीब 10 मिनट तक चोदने के बाद उसने फिर से मुझे सीधा लिटा दिया और अब मेरे दोनों पैर अपने कंधे पे रखा और फिर से लंड को मेरी चूत पे रखा और चोदने लगा.
अब हम दोनों फुल स्पीड से एक दूसरे का साथ दे रहे थे.
मैं आआ आआह आआऊ आह्ह की आवाजें निकाल रही थी.
मेरा साथ पाकर वह और जोश में आ गया और तेज़ तेज़ मेरी चुदाई करने लगा.
पूरे रूम में मेरी चुदाई की फ़चफ़च की आवाज़ गूँज रही थी.
फिर उसने अपना लंड निकल कर मेरे मुंह के सामने रख दिया और मुझे चूसने के लिए कहा.
मैंने लंड चूसना शुरू किया.
मुझे अपनी चूत का स्वाद आ रहा था और तेल का भी!
कुछ देर में ही वह मेरे मुंह में ही झड़ गया.
मैं बाथरूम में गयी और मुंह साफ किया.
और मैं वापस आई तो उसने मुझे खींच लिया और अपनी बाहों में लेकर कहा- कैसा लगा अंकिता?
मैं मुस्कुरा दी और कहा- कोई आ ना जाए?
मेरी सलवार हॉल में ही थी.
मैंने बिना ब्रा के ही तुरंत कमीज़ पहन ली और हाल में आकर बिना पैंटी के ही सलवार पहन ली.
इस तरह से मेरी वर्जिन चूत की चुदाई पूरी हुई.
पहली चुदाई का आनंद ही अलग होता है दोस्तो!
चेतन ने कहा- मैंने कभी सील पैक चूत नहीं मारी थी.
मैंने पूछा- तुम्हें अनुभव है सेक्स का?
चेतन बोला- मैं पहले 2 लड़कियों के साथ सेक्स कर चुका हूँ.
मैंने कहा- कौन कौन थी वे?
उसने बोला- एक तो उसके मामा के यहाँ की लड़की थी और दूसरी प्रॉस्टिट्यूट थी.
फिर वो जाने लगा और कहा- अंकिता, मैं तुम्हें पसंद करता हूँ.
मैंने कहा- मैं भी!
और मुस्कुरा दी.
उसके जाने के बाद अभी भी मेरी चूत में दर्द हल्का सा हो रहा था और जलन भी!
मैंने अपनी चूत को देखा तो वो फूली हुई दिख रही थी.
तो मैंने गर्म पानी से उसे साफ करके सिकाई की.
फिर मैंने दोपहर का खाना खाया.
और तभी उसने कॉल किया और हमारी बात शुरू हुई.
उसने कहा- आज रात मैंने तेरे साथ रहना चाहता हूँ.
मैं भी उसे मना नहीं कर पाई और रात का सेटअप जमाने में लग गयी.
शाम को उससे बात हुई तो मैंने उसे बताया कि मैं अकेली हूँ।
उसने कहा कि उसने मुझे अपने दोस्त मोंटी के रूम पर ले जाने का मूड बनाया था.
पर मैंने मना कर दिया क्योंकि इसमें जोखिम था।
तब उसने कहा- तो आज रात मैं तुम्हारे घट आ जाता हूँ।
मैंने कहा, “अगर किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी।”
उसने कहा, “मैं लेट आऊंगा, गली में कोई नहीं होगा तो कोई परेशानी नहीं होगी।”
मैंने सोचा ठीक है, शायद फिर कभी ऐसा मौका न ही मिले।
रात को खा-पीकर मैं बस अपने चोदु का इंतज़ार करने लगी।
11 बजे उसका कॉल आ गया।
उसने कहा, “मैं तेरे घर के बाहर हूँ, तू बाहर आ।”
मैंने कहा, “मैं घर से बाहर नहीं आ सकती, तू मेरे ही घर आ जा।”
रात को मॉन्टी ने उसे मेरे घर के पास छोड़ दिया।
उसने मुझसे फोन पर पहले ही बोल दिया था कि दरवाज़ा खोलकर रखना।
रात के 12 बज रहे थे।
चेतन का फोन आया, “मैं दरवाज़े पर हूँ, मिल।”
सभी लोग सो चुके थे, वो अंदर आ गया।
मैंने आसपास देखा कि कहीं किसी ने कुछ देखा तो नहीं, फिर तसल्ली करके दरवाज़ा लॉक किया।
अंदर आते ही उसने मुझे वहीं दीवार के सहारे टेक कर जोरदार किस करना शुरू कर दिया।
मैंने कहा, “रुको थोड़ा, सब्र रखो।”
मैंने पूछा, “घर पर क्या बताया तुमने?”
चेतन बोला, “मॉन्टी के यहाँ पढ़ाई के लिए जा रहा हूँ।”
चेतन देखने में हैंडसम है, 5’9” की हाइट है।
वो बैग में मेरे लिए कुछ चॉकलेट्स और आइसक्रीम लाया था, मैंने उसे फ्रिज में रख दिया।
फिर हम दोनों मेरे कमरे में आ गए।
उसने मुझसे पूछा, “आज सेक्स में मज़ा आया कि नहीं?”
मैं मुस्कुराकर बोली, “हम्म।”
उसने कहा, “अभी सेक्स थोड़ा अलग तरीके से करेंगे।”
मैंने कहा, “मतलब?”
वो बोला, “कुछ नया ट्राई करेंगे।”
उसने कहा, “अंकिता, पहले तुम लेट जाओ और जैसा मैं बोलूँ वैसा ही करना।”
मैंने हामी भर दी लेकिन मन थोड़ा घबरा रहा था, धड़कनें तेज़ हो गयी थीं।
मैं लेट गयी।
उसने कहा, “तुम अपने हाथ ऊपर करो।”
मैंने किये तो उसने मेरे हाथ खिड़की से बाँध दिये।
तब मैंने कहा, “ये क्या कर रहे हो?”
वो बोला, “घबराओ नहीं, बस मज़े लो।”
फिर उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिये और नंगा हो गया।
मैं घर में लोअर और टी-शर्ट पहने थी।
उसने मेरे लोअर को धीरे से नीचे खिसकाया।
पैंटी के साथ लोअर को मेरी चूत के ठीक ऊपर रखा, मतलब 1 सेमी और खिसकता तो मेरी चूत दिख जाती।
फिर उसने मेरी नाभि से लेकर मेरी चूत के ठीक ऊपर तक किस करना शुरू कर दिया।
मुझे गुदगुदी हो रही थी और मैं गर्म भी हो चुकी थी।
5 मिनट ऐसे ही चाटने के बाद उसने मेरी टी-शर्ट को पूरा मेरी हथेली तक खिसका दिया।
अब मैं सिर्फ ब्रा में थी।
उसने ब्रा खोल दी और उसे भी खिसका दिया।
मेरी चूत से पानी निकलने लग गया था, मैं गीली हो चुकी थी।
अब वो मेरे बूब्स और मेरे होंठों से लेकर मेरे पेट तक किस कर रहा था।
उसने मेरे निप्पल को तुरंत अपने मुँह में ले लिया, मेरे होंठों को छूते हुए, मेरे गाल को छूते हुए, मेरी चूचियों को मसलते हुए, निप्पल को अपने दाँतों से दबाने लगा।
फिर मेरे हाथों के बगल में भी किस करने लगा।
मैं तो पागल होने लगी थी दोस्तो।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पूरे शरीर में आग धधक रही हो।
मेरी चूत बहुत ज़्यादा गीली हो गयी थी।
फिर उसने मेरी चूत को मेरे लोअर के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया।
10 मिनट बाद उसने मेरे लोअर को पैंटी के साथ उतार दिया।
हम दोनों पूरी तरह नंगे एक-दूसरे से चिपके थे।
मैंने अपनी दोनों टाँगें चौड़ी कर दीं।
वो समझ गया कि मैं चुदने के लिए तैयार हूँ।
वो मेरी चूत को चाटने लगा, जीभ घुमाने लगा।
मैं उचक-उचक कर उसके मुँह से अपनी चूत चटवाने लगी।
वो मेरी चूत में उंगली और जीभ दोनों बारी-बारी से घुमाता, कभी मेरे बूब्स को दबाता।
इसी बीच मैंने अपना पानी निकाल दिया।
वो बोला, “कैसा लगा, मज़ा आया?”
मैंने कहा, “हाँ, बहुत।”
तब उसने मेरे हाथ खोल दिये।
फिर उसने कहा, “मुझे भी मज़ा दो अब, मेरे लंड को चूसो।”
मैं चाहती तो नहीं थी, पर चूसना पड़ा।
मैं लंड को चूसते-चूसते भूल गयी कि मैं लंड चूस रही हूँ।
मैंने लंड को हर तरीके से चूसा, जैसा मैंने पॉर्न मूवी में देखा था।
कुछ देर में वो भी झड़ गया, मेरे ऊपर सारा वीर्य निकाल दिया।
मैं बाथरूम गयी और अपने आप को साफ किया।
मैं आयी और बदन पोंछ रही थी तो चेतन बोला, “गीली ही आओ।”
मैं गीली ही आयी।
मुझे दीवार के सहारे खड़ा करके उसने मेरे दोनों हाथों को एक हाथ से पकड़ लिया और दूसरे हाथ को मेरी चूत में डाल दिया।
ऐसे चूमने लगा, मेरे गले को कुत्ते की तरह चाट रहा था, जैसे कभी लड़की ही न देखी हो।
करीब 10 मिनट तक हम खड़े खड़े करते रहे।
फिर उसने मुझे घुमा दिया, थोड़ा झुकाकर अपने लंड को मेरी चूत में रगड़ने लगा।
मैंने कहा, “मैं बिना कॉन्डम नहीं करूँगी, प्लीज़।”
वो बोला, “मैं हमेशा कॉन्डम रखता ही हूँ, कब काम पड़ जाए।”
उसने स्पर्मीसाइड कॉन्डम निकाला, जो पतला दिख रहा था, उसे पहना और फिर उसी पोज़िशन में मेरी चूत में लंड डाल दिया।
उसने मेरे बूब्स को अपने दोनों हाथों में लेकर खेलते हुए दबाने लगा।
मैं जोर-जोर से “सी सी सी सी… हा हा हा… ऊऊऊ… ऊँ ऊँ ऊँ… उहूँ उहूँ” की चीखें निकालने लगी।
वो जोर का धक्का मारकर पूरा लंड मेरी चूत में घुसा देता।
वो धक्का पेलकर अपना लंड पेल रहा था।
मैं उसके ऊपर घच-घच कूदकर चुदाई कर रही थी।
मुझे मेरे सेकंड सेक्स में बहुत मज़ा आने लगा।
फिर उसने मुझे पलंग के सहारे डॉगी बनाया और घपा-घप चोदने लगा।
फिर पलंग पर लिटाया, मुझे उल्टा करके मेरे ऊपर लेट गया और धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
मुझे इस चुदाई से बहुत आनंद मिल रहा था।
फिर उसने मुझे गोद में बैठाया, मैं उसके गले से लिपट गयी।
मेरे बूब्स उसकी छाती में दब रहे थे।
चुदाई के बीच में मैं झड़ गयी।
इसी तरह 5 मिनट चुदने के बाद उसने मुझे लिटाया, पैर चौड़े किये और सीधा लंड मेरी चूत में डाल दिया।
मैंने अपने दोनों पैरों से चेतन को कस लिया और चेतन मेरी जबरदस्त चुदाई करने लगा।
थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए।
मेरी चूत का पानी मेरी गांड तक आ गया था।
हम दोनों चिपचिपे हो गए थे।
हम दोनों थक गए थे, एक-दूसरे से चिपक कर लेट गए।
थोड़ी देर बाद हम दोनों बाथरूम में साथ गए।
मैंने उसके लंड को पानी से साफ किया और उसने मेरी चूत को साफ किया।
फिर बाहर आये।
फिर हमने एक-दूसरे को किस किया और आइसक्रीम खाने लगे।
उसने कहा, “अंकिता, मज़ा आ रहा है न चुदाई में?”
मैंने कहा, “हाँ, बहुत मज़ा आ रहा है।”
दोनों ने टीवी चलाया हॉल में और मूवी देखने लगे।
हम नंगे ही थे।
फिर उसने कहा, “टीवी बंद करो, मैं अपने पास से हॉलीवुड की सेक्स मूवी दिखाता हूँ।”
हम दोनों देखने लगे।
जबरदस्त सेक्स मूवी देखने के बाद हमारा मूड बन गया।
वो बोला, “ऐसे नहीं, तुम अच्छे से तैयार हो, साड़ी पहनो और सारे कपड़े पहनकर आओ।”
मैं कपड़े पहनने गयी।
वो नंगा ही मेरा इंतज़ार कर रहा था वही हॉल में।
मैं साड़ी पहनकर आयी।
वो बोला, “एकदम माल लग रही हो।”
उसने मुझे अपनी ओर खींचा और चूचियाँ भींच दी।
मुझे वही बैठाया और मेरी साड़ी के पल्लू को बिना हटाए ही मेरे बूब्स को दबाने लगा।
फिर मेरी नाभि को चूमने लगा, धीरे-धीरे खड़े रहते हुए।
उसने फिर मेरा पल्लू हटाया, मेरे ब्लाउज़ को कंधे से सरकाया, ब्रा के साथ मेरे बूब्स में ब्लाउज़ को फँसा दिया और मेरे कानों को चूमा, फिर मेरी गर्दन को चूमने लगा।
मैं आँखें बंद करके आनंद की अनुभूति ले रही थी।
उसने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोले और ब्लाउज़ उतार दिया, मेरी ब्रा को कंधे से फ्री कर दिया।
फिर मेरी साड़ी को खोल दिया।
मैं अब पेटीकोट में थी।
तब तक चेतन का लंड सलामी दे रहा था।
उसने मुझे टेबल पर बैठा दिया, मेरा पेटीकोट को धीरे-धीरे मेरी जाँघों तक उठा दिया और मुझे नीचे से जाँघों तक चूमने लगा।
मैं गर्म हो चुकी थी, चूत गीली हो गयी थी।
कुछ देर चूमने के बाद उसने मेरी पैंटी को खींचकर पूरा उतार दिया।
अब मैं ब्रा और पेटीकोट में थी।
उसने मुझे सोफे के सहारे खड़ा किया और पीछे से मेरी कमर को चूमने लगा, पेटीकोट के ऊपर से ही लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगा।
फिर उसने मेरी ब्रा को भी अलग कर दिया, मेरी पीठ को चूमा।
मेरे पूरे शरीर को उसने चूमा।
मैं सिर्फ पेटीकोट में थी।
उसने टेबल पर मुझे लिटाकर पेटीकोट को पूरा उठाकर मेरी चूत में उंगली डाली।
मेरी चूत गीली हो चुकी थी।
उसने वो उंगली मुझे चटायी, चूत का स्वाद मिला।
फिर वो टेबल पर बैठा और मुझे लंड चूसने का इशारा किया।
मैंने लंड चूसना शुरू किया, चूसकर गीला कर दिया था।
मैंने चेतन का सर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूत पर रगड़ना शुरू किया।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
उसने मुझे झुकाया और पेटीकोट को उठाकर पीछे से मुझे घुमाकर मेरी चूत में अपना लंड रगड़ते हुए धक्का दिया।
मेरी चूत में लंड घुसाते ही कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर के धक्के देते हुए चोदने लगा।
मुझे स्वर्ग का आनंद मिल रहा था।
हम दोनों ने कामवासना की सारी हदों का आनंद लेना शुरू कर दिया।
चेतन मेरी जबरदस्त चुदाई कर रहा था और मेरी चूची को साथ में पी रहा था, साथ में उसे चूम रहा था।
फिर मुझे टेबल पर बैठाकर अपना लंड सेट किया और धीरे-धीरे मुझे फिर दीवार के सहारे टिकाया।
चेतन के टट्टे मेरी गीली गांड से लग रहे थे और थप-थप की आवाज़ आ रही थी।
उसी बीच मैं झड़ चुकी थी।
चूत गीली हो चुकी थी और वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
उसका लंड मेरी चूत में गपा-गप अंदर-बाहर हो रहा था।
मैं अपनी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चुदवा रही थी।
मैं “आआ आआह्ह ह्ह” की आवाज़ें निकाल रही थी।
मैंने चेतन से कहा, “अब थक चुकी हूँ।”
उसने कहा, “कुछ देर और।”
उसने मेरे बाल खोल दिये, फिर मुझे डॉगी बनने को कहा और लंड सेट कर मेरी सवारी करने लगा।
मेरे बालों को अपने हाथों से पकड़कर खींचता, जैसे मेरी सवारी कर रहा हो।
कुछ देर मेरी सवारी करते हुए हम दोनों का पानी निकल गया।
मेरी चुदाई पेटीकोट पहने ही हुई।
और हम एक-दूसरे के साथ ऐसे ही पड़े रहे।
मैंने चेतन से कहा, “मुझे आज मज़ा ही दे दिया। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं हवा में उड़ रही हूँ।”
कुछ देर बाद हम दोनों बाथरूम में गए और नहाये।
मैंने कपड़े धोने के लिए रख दिये।
हम सो गए।
हम दोनों एक-दूसरे से चिपके नंगे सो रहे थे।
सुबह सभी के उठने से पहले उसे निकालना भी था, कहीं कोई देख न ले।
हम उठे और हमने एक बार फिर एक-दूसरे को अच्छे से चूमा-चाटा और उसे बाहर तक छोड़ दिया।
मैं सो गयी, उस दिन कॉलेज नहीं गयी।
शुरू-शुरू में हम दोनों अक्सर घर के बाहर ही सेक्स करते थे, मतलब कभी होटल में, तो कभी किसी दोस्त के रूम पर चुदाई करते थे।
सिनेमा हॉल के अंधेरे में मेरे मम्मे दबाना चेतन का पसंदीदा खेल था।
शुरुआत में मुझे बाहर या होटल में डर लगता था और मैं बहुत शर्माती थी, पर सेक्स के दौरान खूब मज़े करती थी।
पूरी तरह से खुलने में मुझे एक साल लग गया।
फिर हम दोनों काफी खुल चुके थे।
जब पापा-मम्मी घर पर नहीं होते, तो हम मेरे घर में भी चुदाई कर लेते थे।
हालाँकि, ऐसा सुनहरा मौका महीनों में कभी-कभार ही मिलता था।
हम एक-दूसरे के साथ बहुत खुल गए थे।
देसी यंग गर्ल सेक्स कहानी में एक दिन फाइनल ईयर के एक सीनियर ने हमें देख लिया और हमारी एक फोटो खींच ली।
वो हमारे पास आया और उसने सीधे मेरे बूब्स दबा दिए।
हम दोनों चौंक गए।
उसने कहा, “ये सब यहाँ क्या कर रहे हो?”
फिर उसने मेरी कुर्ती के अंदर हाथ डालकर मेरे बूब्स को दोबारा दबाया।
मैंने उसका हाथ हटाया और चेतन ने उसे धक्का दे दिया।
वो बोला, “ज़्यादा होशियारी मत दिखाओ, मेरे पास तुम्हारा फोटो है। हम प्रिंसिपल के पास चल सकते हैं।”
उसने फोटो भी दिखाया।
हम घबरा गए कि कहीं बात घर तक न पहुँच जाए।
हमने उससे कहा कि वो प्लीज़ फोटो डिलीट कर दे।
उसने कहा, “हाँ, बिल्कुल डिलीट कर दूँगा, पर एक बार मुझे भी करना है। जल्दी बोलो कि प्रिंसिपल के पास चलें या अभी सेक्स करें?”
मेरे पास कोई चारा नहीं था।
चेतन भी कुछ नहीं कर सकता था।
मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे।
सीनियर ने मुझे गले लगाकर कहा, “देखो, इसे अपने बॉयफ्रेंड का लंड ही समझो।”
उसने कहा, “ज़्यादा टाइम नहीं है, जल्दी बोलो।”
मैंने कहा, “ठीक है।”
उसने चेतन को इशारा किया कि वो दरवाजे पर खड़े होकर देखे कि कोई आ रहा है या नहीं।
फिर वो मुझे पीछे ले गया और किस करने लगा।
मैं उसका साथ बिल्कुल नहीं दे रही थी।
उसने मेरी कुर्ती उतारने की कोशिश की तो मैंने कहा, “कोई आ गया तो?”
उसने कहा, “ठीक है.”
और मेरी ब्रा खोल दी।
वो मेरे बूब्स चूसने लगा।
फिर उसने मेरी जीन्स खोली और पैंटी समेत उसे घुटनों तक खिसका दिया।
मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया।
मेरी ब्रा मेरे कंधों से लटक रही थी।
उसने बिना कॉन्डम के अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया।
मेरी चूत में दर्द हुआ क्योंकि पहली बार सूखा लंड मेरे अंदर गया था।
वो दोनों हाथों से मेरे बूब्स दबाते हुए मुझे चोद रहा था।
चेतन गुस्से में देख रहा था पर वह कुछ कर नहीं सकता था।
5 मिनट की चुदाई के बाद उसने अपना पानी वहीं निकाल दिया और लंड को सहलाने लगा।
इतने में चेतन हमारे पास आया।
मैं कपड़े पहन रही थी कि तभी मॉन्टी हमें बुलाने अंदर आ गया।
उसने मुझे और सीनियर को नंगे देख लिया।
वो हक्का-बक्का रह गया, उसे कुछ समझ नहीं आया।
मैंने कपड़े पहने और सीनियर से कहा कि वो फोटो डिलीट कर दे।
उसने कहा, “अभी नहीं, ठीक से नहीं कर पाया, कोई मज़ा भी नहीं आया।”
चेतन ने गुस्से में उसकी कॉलर पकड़ ली।
मॉन्टी ने दोनों को अलग किया।
मैंने मॉन्टी को पूरी कहानी बताई।
सीनियर बोला, “मैं एक बार और करूँगा।”
चेतन और मॉन्टी, दोनों ने कहा, “ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा, तू प्रिंसिपल के पास चल।”
फिर वो थोड़ा शांत हुआ और बोला, “प्लीज़, एक बार अच्छे से करना है।”
चेतन ने कहा, “हम कैसे मान लें कि तू फिर अगली बार ये नहीं कहेगा कि और करना है?”
उसने कहा, “ये मेरा मोबाइल रख लो। बस एक बार करने के बाद मैं फोटो डिलीट कर दूँगा, नहीं तो मोबाइल तुम्हारे पास ही रहेगा।”
मैंने गुस्से से कहा, “ये किस्सा यहीं खत्म करते हैं। बात ज़्यादा बढ़ने से कोई मतलब नहीं। ठीक है, चलो कर लो।”
उसने कहा, “यहाँ पर मुमकिन नहीं है, कहीं चलते हैं।”
मॉन्टी ने कहा, “मेरा रूम सेफ रहेगा।”
हम तैयार हो गए।
चेतन ने कहा, “अंकिता, तू चिंता मत कर। आज ये कहानी यहीं खत्म कर देंगे।”
वो मॉन्टी के साथ बाइक पर था।
चेतन के साथ रास्ते में उसने कहा कि उसे सिरदर्द की गोली चाहिए।
वो मेडिकल से गोली लेकर आया।
हम सीधे मॉन्टी के रूम पर गए। उसका रूम एक कमरे का था, जिसमें उसका दोस्त भी रहता था।
अंदर ही किचन और बाथरूम था।
उसने दरवाजा बंद किया।
अब हम चार लोग थे।
मॉन्टी बोला, “जल्दी करो, ज़्यादा समय नहीं है। दोपहर से शाम हो रही है। शाम को मेरा रूम पार्टनर आ जाएगा।”
मैंने चेतन से कहा, “कुछ खाने को भी चाहिए। दोपहर का खाना नहीं खाया था, भूख लग रही है।”
उसने मॉन्टी को पैसे देकर कहा कि कुछ खाने को ले आए।
चेतन मुझे अकेला नहीं छोड़ना चाहता था और रूम मॉन्टी का था।
अगर उस बीच कोई आ जाता, तो गड़बड़ हो जाती।
इसलिए उसने मॉन्टी से कहा कि वो दरवाजा बाहर से लॉक करके चले जाए।
मॉन्टी गया।
सीनियर अब पूरी तरह तैयार था।
पहले वो पानी पीने गया और गोली खाई।
चेतन ने कहा, “जल्दी सब खत्म कर!”
उसने कहा, “ठीक है।”
मैंने कहा, “बिना कॉन्डम के मैं नहीं करूँगी।”
उसने कहा, “कुछ नहीं होगा, मुझे बिना कॉन्डम ही करना है।”
सीनियर बोला, “जैसा मैं कहूँ, वैसा ही करना।”
मैंने गुस्से में कहा, “ठीक है।”
उसने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी तरफ खींच लिया।
मैं पूरी तरह सरेंडर कर चुकी थी।
उसने अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए और मेरे रसीले होंठ चूसने लगा।
मुझे अच्छा नहीं लग रहा था।
वो मेरी सॉफ्ट गांड दबाने लगा।
मेरी साँसें तेज़ होने लगीं और मैं गर्म होने लगी।
मेरा दिल भी तेज़ी से धड़कने लगा।
उसने अपना लंड उभारकर मेरी चूत से चिपका दिया।
मेरे दिल के तार झनझना गए, जैसे बाग में बहार आ गई।
मेरा मन डोल उठा।
मेरी चूत भी उभरकर उसके लंड के उभार को छूने लगी।
10 मिनट तक वो लगातार मुझे किस करता रहा।
अब मैं भी रेस्पॉन्स देने लगी थी।
फिर उसने मेरी कुर्ती पूरी तरह उतार दी और मेरे बूब्स को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा।
मैं भी गर्म होने लगी थी।
मैं भूलने लगी थी कि कोई अनजान लंड से मैं चुदने वाली हूँ।
तब मैं अपने आप को रोक नहीं पाई … मैंने उसके सिर को अपने बूब्स में दबाना शुरू कर दिया।
धीरे से उसने मेरी जीन्स को पैंटी समेत निकाल दिया और ब्रा भी उतार दी।
मैं नंगी खड़ी थी।
फिर उसने अपने कपड़े एक झटके में उतार दिए।
उसका लंड सलामी दे रहा था।
वो करीब 7 इंच का था, चेतन के बराबर, पर चेतन से मोटा था।
उसने मुझे चूसने के लिए कहा।
मैं लंड चूसने लगी लेकिन वो मेरे मुँह को चोदने लगा।
मेरा मुँह दुखने लगा।
वो रुका नहीं, अपना काम करता रहा।
पहली बार कोई दूसरा मर्द मेरे मम्मे दबा रहा था।
अब मुझे उसके साथ मज़ा भी आने लगा था।
इसके बाद उसने मुझे लेटने को कहा और मेरी कमर के नीचे दो तकिए रखे।
इस पोज़िशन में मेरी चूत ऊपर आ गई थी।
उसने चूत पर मुँह लगाया और उसे चाटने-चूसने लगा।
मैं मदहोश होने लगी।
मस्ती में अपनी चूत चटवाने का मज़ा लेने लगी।
क्या बताऊँ दोस्तों, जैसे वो मेरी चूत चाट रहा था, मज़ा आ गया था।
वो पूरी जीभ अंदर तक डाल देता था, फिर उंगली डालता था।
जैसे ही उंगली डालता, मैं पानी-पानी हो जाती थी।
मेरी चूत बिल्कुल गीली हो गई थी।
उसने दोबारा उठकर लंड मेरे मुँह में दे दिया।
मैं चूसने लगी।
लंड ने कामरस छोड़ना शुरू कर दिया।
मैंने उसके लंड को चूस-चूसकर गीला कर दिया था।
उसने कहा, “अब झुक जाओ।”
मैंने अपनी गांड उसकी तरफ करते हुए पीठ झुका ली।
मैं डॉगी पोज़िशन में आ गई थी।
उसने पीछे से मेरी चूत को सहलाया और गीली चूत को एक-दो बार रगड़ा।
फिर चूत पर लंड लगाया और एक धक्के में अंदर घुसा दिया।
इतने में मॉन्टी खाने का सामान लेकर आ गया।
इधर हमारी चुदाई चल रही थी।
उसने जल्दी से दरवाजा लॉक किया।
मैं भूल गई थी कि मॉन्टी मेरी चुदाई देख रहा है, चेतन के साथ।
लंड अंदर घुस रहा था और धीरे-धीरे बाहर निकल रहा था।
एक झटके में फिर अंदर, फिर दोबारा धीरे-धीरे बाहर।
जब वो झटका देता, तो मुझे हल्का दर्द होता और दर्द भरी “उम्म्… अहह… हाय… अयाह…” निकल जाती थी।
ये कामुक आहें उसके जोश को और बढ़ा रही थीं।
देसी यंग गर्ल सेक्स का मजा लेकर “आआआ… ऊऊऊ… ईईई…” करने लगी।
अभी उसका लंड थोड़ा ही अंदर गया था कि उसने एक ज़ोर का झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया।
फिर वो थोड़ी देर बाद तेज़ झटके मारने लगा।
कुछ देर बाद मुझे अपनी चुदाई का मज़ा आने लगा और मैं झड़ गई।
इसी बीच उसने मेरी गीली गांड में उंगली डाली.
तो मैं उछल पड़ी और बोली, “मेरी गांड अभी वर्जिन है।”
उसने कहा, “ठीक है, जैसा तुम बोलो।”
उसने फिर मेरी चूत में लंड डाला।
अब मैं अपनी गांड पीछे करके उसका साथ देने लगी।
उसने मुझे उल्टा किया और मेरे पेट के नीचे एक गोल तकिया रख दिया।
इस पोज़िशन में वो मुझे चोदता रहा और मुझसे बोला, “डार्लिंग, मज़ा आ रहा है न?”
मैं कुछ नहीं बोली।
उसने कहा, “गोली का असर पता नहीं कब तक रहेगा। मैं थक गया हूँ, तुम मेरे ऊपर आ जाओ।”
मैं समझ गई कि उसने मेडिकल से सिरदर्द की नहीं, सेक्स की गोली ली थी।
अब मैं उसके ऊपर आकर उठक-बैठक करके चुद रही थी।
वो मेरे बूब्स से खेल रहा था।
फिर उसने मुझे घुमा दिया।
उसकी छाती की तरफ मेरी पीठ थी।
अब मैं फिर उछल-उछलकर चुद रही थी।
इसी बीच उसने पीछे से मेरे सारे बाल खोल दिए और उन्हें पकड़कर मुझे खींचता रहा।
मैं भी थक चुकी थी।
कुछ और देर चुदाई के बाद वो तेज़-तेज़ मुझे चोदने लगा।
मुझे पता चल गया कि अब उसका माल निकलने वाला है।
मैं भी उसका साथ देने लगी क्योंकि मैं भी झड़ने वाली थी।
मैंने उससे कहा, “बाहर निकालना!”
उसने कहा, “क्यों नहीं, डार्लिंग!”
वैसे तो मैं एक बार झड़ चुकी थी।
अब वो जोर-जोर से करता जा रहा था।
फिर उसने ऊपर ही सारा माल निकाल दिया और साथ ही मैं भी झड़ गई।
तभी चेतन आया और उससे कहा, “अब पासवर्ड बता।”
उसने बताया और चेतन ने फोटो डिलीट कर दी।
तब मुझे और अच्छा लगा, लेकिन चुदाई में मुझे बहुत मज़ा आया था।
मैं बाथरूम गई, अपने आप को साफ किया।
इतने में वो सीनियर बोला, “मैं चलता हूँ, लेकिन तेरी गर्लफ्रेंड एकदम माल है।”
वो चला गया।
अब मैं बहुत थक चुकी थी और भूख भी लग रही थी।
मैं नंगी ही थी।
मॉन्टी मेरी चुदाई देखकर खुश हो गया था, उसका चेहरा बता रहा था।
हमने साथ में वहीं खाया और थोड़ी देर वही लेट गई।
मैं नंगी ही थी।
तभी चेतन मेरे पास आया और बोला, “अंकिता, आज जो कुछ भी हुआ, उसके लिए सॉरी।”
मैंने कहा, “कोई बात नहीं, सब भूल जाओ।” उसने मुझे किस किया।
चेतन का मूड भी बन गया था, शायद मेरी चुदाई देखकर।
चेतन ने मुस्कुराकर इशारा किया।
मैंने हाँ में सिर हिलाया।
वो समझ गया कि मेरी सहमति है।
फिर हम दोनों ने मॉन्टी को देखा।
वो बोला, “मैं चुदाई देख चुका हूँ। प्लीज़ मुझे बाहर जाने को मत बोलो।”
हम दोनों मुस्कुरा दिए।
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