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ज्योति भाभी ने हर छेद में लंड डलवाया - Hindi Sex Kahani

हैलो दोस्तों, मेरा नाम अमित है और मैं आज एक बार फिर से आप सभी के सामने अपनी एक और नई Hindi Sex Kahani लेकर आया हूँ। आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी और मेरी पड़ोसन ज्योति भाभी की है, जो कानपुर की रहने वाली हैं। ज्योति भाभी मेरे बिल्कुल पड़ोस में रहती हैं, वो दिखने में बहुत सुंदर और सेक्सी हैं। उनका रंग बहुत गोरा है, हाइट ५ फिट ३ इंच है, उम्र २९ साल की है और उनका एक बच्चा भी है, नाम दीपू है, जो अभी ४ साल का है। वो देखने में बिल्कुल मॉडल जैसी लगती हैं, लेकिन घरेलू टाइप की हैं, हमेशा साड़ी या सलवार सूट में रहती हैं। हमारे पड़ोस में उन्हें आए हुए ६ महीने हो गए हैं, क्योंकि उनके पति का ट्रांसफर हुआ था। वो इतनी आकर्षक हैं कि कोई भी उन्हें देखे तो बस देखता ही रह जाए, लेकिन वो थोड़ी शर्मीली हैं, ज्यादा बात नहीं करतीं। पहली बार मेरी नजर उन पर तब पड़ी जब वो बालकनी में कपड़े फैला रही थीं। उस वक्त वो काली साड़ी पहने हुई थीं, जो उनके गोरे बदन पर कमाल लग रही थी। साड़ी थोड़ी नीचे सरकी हुई थी, नाभि दिख रही थी, और वो बिल्कुल पटाखा लग रही थीं। मैं छत पर खड़ा सिगरेट पी रहा था, तभी नजर पड़ी।


मैं उन्हें देखता ही रह गया, मन में आया कि ऐसी भाभी को चोदने का मौका मिले तो मजा आ जाए। लेकिन फिर सोचा, पड़ोसी हैं, रिश्ता खराब हो सकता है। तभी भाभी ने मुझे देख लिया कि मैं उन्हें घूर रहा हूँ। वो थोड़ी झिझकीं, लेकिन फिर मेरी तरफ हल्की मुस्कान दी। मैंने भी हैलो कहा, हाथ हिलाया। वो कपड़े फैलाकर नीचे अपने फ्लैट में चली गईं। लेकिन मैं अभी भी छत पर खड़ा था, मन में सोच रहा था कि हमारी बिल्डिंग में इतना मस्त माल रहता है और मुझे पता ही नहीं चला। शाम को घर लौटा तो दिमाग में वही घूम रहा था। रात हुई तो भाभी को सोच-सोचकर मैंने तीन बार मुठ मारी, उनकी वो मुस्कान और गोरा बदन याद करके। फिर सो गया, लेकिन सुबह उठते ही फिर वही खयाल।


अब मैं हमेशा यही सोचता रहता था कि भाभी से बात कैसे बढ़ाऊँ, उन्हें कैसे पटाऊँ। लेकिन डर लगता था कि कहीं भाभी भैया से मेरी शिकायत न कर दें, क्योंकि उनके पति थोड़े सख्त टाइप के लगते थे, ऑफिस जाते थे सुबह और शाम को लौटते। फिर भी मैंने धीरे-धीरे हिम्मत करके उनके घर आना-जाना शुरू कर दिया। पहले तो बाहर से ही हैलो-हाय होती थी, फिर दीपू को खिलाने के बहाने उनके घर जाने लगा। दीपू छोटा था, मुझे देखकर खुश होता था, इसलिए बहाना अच्छा था। एक दिन मैं उनके घर पहुंचा, दरवाजा खटखटाया और दीपू-दीपू आवाज लगाई। ज्योति भाभी ने दरवाजा खोला, वो उस वक्त सलवार सूट में थीं, बाल गीले थे जैसे अभी नहाकर निकली हों। वो बोलीं, अरे अमित, आओ। दीपू अभी नहाया है, इसलिए रो रहा है। तुम इसे थोड़ा बाहर घुमा लाओ, मैं घर का काम निपटा लूँ। मैं बहुत खुश हुआ, क्योंकि ये पहला मौका था जब भाभी ने खुद मुझे अंदर बुलाया। मैंने दीपू को गोद में लिया, वो हंसने लगा। मैं उसे लेकर पास के गार्डन में ले गया, वहाँ झूले पर बिठाया, थोड़ी देर खेलाया। करीब आधा घंटा गुजरा, फिर वापस आया। दीपू अब शांत था, खुश था।


फिर मैंने देखा कि भाभी बाथरूम में हैं, क्योंकि दरवाजा बंद था और पानी की आवाज आ रही थी। मैंने सोचा, इंतजार कर लूँ, दीपू को सुला दूँ। लेकिन जानबूझकर आवाज दी, भाभी आप कहाँ हो? भाभी ने अंदर से जवाब दिया, मैं नहा रही हूँ अमित। तुम दीपू को सोफे पर बैठाकर जा सकते हो, मैं बस ५ मिनट में निकलती हूँ। मैंने कहा ठीक है भाभी, लेकिन मैं बाहर नहीं गया। दीपू को सोफे पर बिठाया, खुद उसके पास बैठ गया। मन में थोड़ा घबराहट थी, लेकिन उत्सुकता भी। कुछ देर बाद भाभी को लगा कि मैं चला गया हूँ, क्योंकि कोई आवाज नहीं की मैंने। १५ मिनट बाद भाभी बाथरूम से निकलीं, बदन पर सिर्फ टॉवल लिपटा हुआ था, जो मुश्किल से उनके घुटनों तक आ रहा था। बाल गीले, पानी टपक रहा था। जैसे ही उन्होंने मुझे सोफे पर देखा, वो चौंक गईं, आँखें बड़ी हो गईं। बोलीं, अरे अमित, तुम अभी तक हो? मैंने कहा, हाँ भाभी, दीपू को सुला रहा था। लेकिन उसी हड़बड़ाहट में उनके हाथ से टॉवल ढीला हो गया और छूटकर नीचे गिर गया। अब ज्योति भाभी मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थीं। उनका गोरा बदन, बड़े बूब्स, पतली कमर, गोल गांड, सब कुछ साफ दिख रहा था। चूत पर हल्के बाल थे, गीली लग रही थी। मैं उन्हें देखता रह गया, लंड खड़ा हो गया पैंट में। भाभी ने चीख मारकर टॉवल उठाया और तुरंत बाथरूम में भाग गईं।


मैं सोच रहा था, क्या मस्त चिकना बदन है भाभी का। इतना गोरा और मुलायम, जैसे अभी छू लूँ। मन कर रहा था कि अभी बाथरूम में जाकर पकड़कर चोद दूँ, लेकिन डर लगा कि कहीं चिल्ला दें। सोचा, भाभी खुद कहेंगी तभी करूंगा। क्योंकि कोई औरत ऐसे हर किसी को अपना नंगा बदन नहीं दिखाती, वो भी पड़ोसी को। थोड़ी देर बाद भाभी बाथरूम से शरमाती हुई गाउन पहनकर बाहर आईं। गाउन पतला था, अंदर कुछ नहीं पहना था, निप्पल्स उभरे हुए दिख रहे थे। वो नजरें झुकाकर बोलीं, अमित बैठो, चाय पीकर जाना। मैं अभी बनाकर लाती हूँ। मैंने कहा, ठीक है भाभी। वो किचन में चली गईं। मैं सोफे पर बैठ गया, पीछे से उनकी मटकती गांड देखता रहा, गाउन में वो और सेक्सी लग रही थीं। थोड़ी देर बाद बच्चा सो गया, मैंने उसे गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाकर सुला दिया। वापस आया तो भाभी चाय लेकर आईं।


हम चाय पीने लगे, लेकिन माहौल थोड़ा अजीब था। भाभी नजरें नहीं मिला रही थीं, शर्मा रही थीं। मुझे उनकी आँखों में हल्की शरारत दिखी, जैसे वो भी सोच रही हों। मैंने धीरे से हिम्मत करके कहा, भाभी आप बहुत सेक्सी और सुंदर हो। भाभी ने मेरी तरफ देखा, थोड़ी शरारती मुस्कान दी और पूछा, अमित, आज तुमने मुझे पूरा नंगा देखा, कैसा लगा? क्या सोचा तुमने? मैं थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन कहा, भाभी ऐसा लगा कि बस आपको पकड़कर अभी चोद डालूं। लेकिन डर लग रहा है, कहीं गुस्सा न हो जाएँ। भाभी ने मेरी बात सुनकर हल्का हँसी और बोलीं, अमित, मेरे पति शाम को आएंगे, अभी टाइम है। लेकिन ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए। मैं समझ गया कि भाभी चुदने को तैयार हैं, लेकिन थोड़ी हिचकिचाहट है। मैंने कहा, भाभी मेरी जांघों पर बैठो ना, बात करें। भाभी थोड़ा सोचीं, फिर आकर गोद में बैठ गईं। उनका बदन गर्म था, गाउन के नीचे कुछ नहीं, मैं महसूस कर रहा था।


भाभी का चिकना बदन मलाई जैसा लग रहा था। मैंने धीरे से उनके गले पर हाथ फेरा, वो थोड़ी सिहर गईं। फिर होंठों पर होंठ रखे, किस करने लगा। पहले हल्के से, फिर जीभ अंदर डाली, चूसने लगा। भाभी भी साथ दे रही थीं, लेकिन थोड़ी हिचकिचा रही थीं, बोलीं, अमित, दीपू सो रहा है, कहीं जाग न जाए। मैंने कहा, चुप रहो भाभी, मजा लो। उनकी सांसें तेज हो गईं। मैंने उन्हें उठाकर दूसरे रूम में ले गया, जो गेस्ट रूम था, दरवाजा बंद किया। बेड पर लिटा दिया। गाउन ऊपर सरकाया, फिर धीरे से उतारा। भाभी नंगी हो गईं, शर्मा रही थीं, हाथों से बूब्स ढक लिए। मैंने कहा, भाभी आप बहुत चिकनी मलाई हो। पहली बार देखा था तभी पता चल गया था कि आप मेरी तरफ आकर्षित हैं। आपकी वो कातिलाना स्माइल ने मुझे यहां खींचा है। आज मैं आपको ऐसे चाटूंगा कि मजा आ जाएगा। भाभी बोलीं, अमित, धीरे से करो, पहली बार है किसी और के साथ।


मैंने अपने कपड़े उतारे, शर्ट, पैंट, अंडरवियर। मेरा लंड मोटा लंबा तना हुआ था, ७ इंच का। भाभी ने देखा तो बोलीं, अमित, इतना बड़ा? मैंने कहा, हाँ भाभी, तुम्हारे लिए। मैं भाभी के पूरे बदन को जीभ से चाटने लगा। गले से शुरू किया, कान चूसे, गर्दन चाटी, वो सिसकारने लगीं, आह्ह्ह… अमित… क्या कर रहे हो…। नीचे आया, बूब्स पर हाथ फेरा, निप्पल्स को उंगलियों से मसला। फिर मुंह में लिया, चूसा, हल्के से काटा। भाभी की सिसकारियां बढ़ गईं, उह्ह्ह… माँ… इतना मजा… पति कभी ऐसे नहीं करते। मैंने एक हाथ नीचे चूत पर रखा, गीली हो चुकी थी। उंगली से रगड़ा, क्लिट को मसला। भाभी बोलीं, अमित… उंगली डालो ना…। मैंने एक उंगली अंदर डाली, अंदर-बाहर की, फिर दो उंगलियां। भाभी कमर उचका रही थीं, आह्ह्ह… आईईई… चोदो मुझे अमित… सहन नहीं होता। मैंने जीभ से चूत चाटी, जीभ अंदर डाली, चूसा। भाभी चिल्लाईं, आह्ह्ह… मर गई… क्या जीभ है तेरी… चाट साले…।


मेरा लंड अब फटने वाला था। भाभी उसे सहला रही थीं, बोलीं, अमित, मुंह में लूँ? मैंने कहा, बाद में भाभी। मैंने उनके पैर फैलाए, लंड चूत के मुंह पर रखा। धीरे से रगड़ा, भाभी बोलीं, अमित डालो ना… तड़पा मत। लेकिन मैंने धीरे से धक्का दिया, आधा लंड अंदर गया। भाभी चीखीं, आह्ह्ह… मर गई… इतना मोटा… धीरे साले…। मैं रुका, किस किया, फिर धीरे-धीरे पूरा डाला। अब धक्के मारने लगा, पहले स्लो, फिर स्पीड बढ़ाई। फच-फच… पच-पच की आवाज आने लगी। लंड पूरा अंदर-बाहर हो रहा था। भाभी मोन कर रही थीं, उह्ह्ह… आह्ह्ह… माँ… आईईई… चोद जोर से अमित… तेरी रंडी हूँ मैं…। चूत इतनी चिकनी थी जैसे मलाई, टाइट भी थी। मैंने बोला, भाभी तेरी चूत कितनी गर्म है, चोदने में मजा आ रहा है।


फिर मैंने चूतड़ों के नीचे तकिया रखा, पैर कंधों पर रखे, जोर-जोर से धक्के दिए। पच-पच… फच-फच… की आवाजें गूंज रही थीं। भाभी बोलीं, अमित… तेरी चुदाई… आह्ह्ह… क्या मजा दे रही है… चोद मुझे भोसड़ी के… और जोर से…। मैंने स्पीड बढ़ाई, बूब्स दबाए, निप्पल्स खींचे। १५ मिनट की चुदाई में भाभी झड़ गईं, उनकी चूत ने लंड को जकड़ लिया, पानी निकला। वो हांफ रही थीं, लेकिन मैं नहीं रुका, धक्के जारी रखे। फिर मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में किया। भाभी घुटनों पर हुईं, गांड ऊपर की। मैंने पीछे से लंड डाला, गांड पकड़ी, जोर-जोर से चोदा। फट-फट… पच-पच की आवाज। भाभी चिल्लाईं, आह्ह्ह… माँ… आईईई… गांड मार डाली साले… चोद कुत्ते की तरह… तेरी कुतिया हूँ…। मैंने बाल पकड़े, स्पीड बढ़ाई। दस मिनट बाद वो फिर झड़ीं, कमर हिलाई। मैं झड़ने वाला था, पूछा कहाँ निकालूं? भाभी बोलीं, बूब्स पर अमित। मैंने लंड निकाला, माल बूब्स पर गिरा दिया, रगड़ा।


हम थककर लेट गए। मैंने भाभी को बाहों में लिया, शरीर से चिपकाया, किस किया। बोला, भाभी मजा आया? वो बोलीं, बहुत अमित, पति कभी इतना टाइम नहीं देते। थोड़ी देर में लंड फिर खड़ा हो गया। भाभी ने देखा, सहलाया। मैंने कहा, भाभी ऊपर आओ। वो लंड पर बैठीं, कमर पकड़कर उछाली। ऊपर-नीचे हो रही थीं, बोलीं, अमित… तेरी रंडी बन गई मैं… चोद मुझे… आह्ह्ह… उह्ह्ह… इतना मजा…। मैंने नीचे से धक्के दिए, बूब्स दबाए। पांच मिनट में वो फिर झड़ीं, लेकिन मैं जारी रखा। फिर साइड से चोदा, पैर ऊपर करके। आखिर में मैं भी झड़ा, इस बार मुंह में डाला।


फिर हम बाथरूम में साथ फ्रेश हुए, एक-दूसरे को साबुन लगाया, किस किया। कपड़े पहने। भाभी ने फिर चाय बनाई, हमने बैठकर बात की, हँसे। अब जब मौका मिलता है, चुदाई करते हैं। भाभी को मेरी चुदाई बहुत पसंद आई, पहली बार में ही संतुष्ट कर दिया। उसके बाद चुदाई चलती रही। मैंने कई बार उनकी गांड में लंड डाला, पहले तेल लगाकर, धीरे-धीरे। गांड फाड़ दी, लेकिन अब वो एंजॉय करती हैं। अब वो मेरा लंड हर छेद में डलवाती हैं, बहुत मजा करती हैं।


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