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पति के दोस्त के लिए ट्रेन में अपनी चूत फैला दी - Antarvasna Sex Stories

मेरा नाम खुशबू है। मेरी शादी को अभी ग्यारह महीने ही हुए हैं। मैं कोलकाता की रहने वाली हूँ, लेकिन शादी के बाद दिल्ली आ गई। मेरे पति, देव, एक सॉफ्टवेयर कंपनी में गुड़गाँव में काम करते हैं। मैं बाईस साल की हूँ, और सच कहूँ तो मेरा बदन ऐसा है कि लोग मुझे देखकर दोबारा पलटकर जरूर देखते हैं। मेरी चूचियाँ गोल और भरी हुई हैं, कमर पतली और गांड मोटी, जो मेरे चलने पर लचकती है। मेरा रंग गोरा है, और मेरे लंबे काले बाल मेरी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। अगर मैं एक लाइन में कहूँ, तो मुझे ऊपर से नीचे तक देखो, तुम्हारा लंड जरूर खड़ा हो जाएगा। आज मूड बना कि अपनी एक कहानी तुम्हें सुनाऊँ, जो मेरे साथ हाल ही में हुई।


हम पति-पत्नी दिल्ली में अकेले रहते हैं। मेरे सास-ससुर और मायका, सब पश्चिम बंगाल में हैं। दिल्ली में अगर कोई करीबी है, तो वो है सर्वेश। सर्वेश मेरे पति का बचपन का दोस्त है। दोनों एक ही गाँव के हैं और साथ में पढ़ाई की है। सर्वेश लंबा-चौड़ा, बॉडी बिल्डर टाइप का लड़का है। उसकी मस्कुलर बॉडी और चौड़ा सीना देखकर कोई भी लड़की पिघल जाए। उसकी उम्र छब्बीस साल है, और उसकी शादी अभी नहीं हुई। वो अपना बिजनेस चलाता है और हमेशा हँसमुख रहता है। उसकी हंसी और बात करने का ढंग ऐसा है कि सामने वाला बंध सा जाता है।


बात तीन दिन पहले की है। मेरे पति को अचानक कंपनी के काम से अमेरिका जाना पड़ा। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि कुछ समझ ही नहीं आया। उनकी फ्लाइट बीस तारीख को थी, और वो सिर्फ एक महीने के लिए जा रहे थे। मैं दिल्ली में अकेले क्या करती? तभी पता चला कि सर्वेश अपने घर कोलकाता जा रहा है, क्योंकि उसके लिए लड़की वाले देखने आने वाले थे। मेरे पति ने कहा, “सर्वेश, तुम तो जा ही रहे हो, खुशबू को भी साथ ले जाओ। एक महीने दिल्ली में अकेले क्या करेगी? घूम-फिरकर मायके-ससुराल हो आएगी।”


ये बात मेरे सास-ससुर और मायके वालों को बहुत पसंद आई। लेकिन दिक्कत ये थी कि सर्वेश का एक ही टिकट कन्फर्म था, सेकंड क्लास एसी का। मेरे लिए टिकट उपलब्ध नहीं था। अब सवाल था कि जाएँ कैसे? देव और सर्वेश ने बात की कि ट्रेन में टीटी से बोलकर कोई बर्थ दिलवा लेंगे। मैंने एक वेटिंग टिकट लिया और ट्रेन में चढ़ गई। हमें साइड की लोअर बर्थ मिली थी। हम दोनों बैठ गए। सर्वेश मेरी बहुत खातिरदारी कर रहा था। खाना-पीना, चाय-कॉफी, हर चीज का ध्यान रख रहा था। और करे भी क्यों ना? आखिर एक हॉट हसीना उसके साथ सफर जो कर रही थी।


हम दोनों बैठकर बातें करने लगे। रात हो रही थी, और ट्रेन अपनी रफ्तार से चल रही थी। टीटी आया, लेकिन उसने कोई अलग सीट देने से मना कर दिया। हमने सोचा, चलो, बैठकर ही सफर कर लेंगे। पर्दा लगाकर हम दोनों साइड बर्थ पर बैठ गए। लेकिन घंटों तक पैर मोड़कर बैठना आसान नहीं था। धीरे-धीरे पैर सीधे करने पड़े। यहीं से कहानी ने नया मोड़ लिया।


शुरू में थोड़ा अजीब लग रहा था। हमारे पैर एक-दूसरे को छू रहे थे, और बार-बार “सॉरी-सॉरी” चल रहा था। लेकिन सफर लंबा था, तो मैंने भी ज्यादा परवाह नहीं की। धीरे-धीरे हमारे पैर एक-दूसरे की जाँघों को टच करने लगे। सर्वेश का पैर मेरी जाँघों के बीच बार-बार रगड़ रहा था। मुझे कुछ-कुछ होने लगा। मैंने कंबल ओढ़ लिया, और सर्वेश भी उसी कंबल के अंदर था। अंधेरा था, ट्रेन की आवाज थी, और बाकी लोग सो रहे थे।


सर्वेश का पैर अब मेरी चूच को छूने लगा। मैंने सोचा, घूमकर सो जाऊँ, लेकिन फिर मन में एक शरारत सी आई। सर्वेश मुझे हमेशा से हॉट लगता था। उसकी मस्कुलर बॉडी और गहरी आवाज मुझे कई बार रात में सपनों में ले जाती थी। जब मेरे पति मुझे चोदते थे, तो कई बार मैं सर्वेश के बारे में ही सोचती थी। सोचती थी कि काश वो मुझे चोद रहा हो। उसकी मजबूत बाहों में मैं पिघल जाना चाहती थी।


मैंने धीरे से अपने पैर खोल लिए और सर्वेश के पैर को अपनी बुर के पास सटा लिया। हौले-हौले मैं अपनी जाँघों से उसके पैर को रगड़ने लगी। मेरी साँसें तेज हो रही थीं। सर्वेश पहले से जगा हुआ था। उसने भी अपने पैर से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। “उफ्फ…” मैंने धीमी सिसकारी ली। मेरी चूत गीली होने लगी थी। मैंने सलवार का नाड़ा ढीला कर दिया। सर्वेश ने मेरी पैंटी के ऊपर से चूत को रगड़ना शुरू किया। उसकी उँगलियाँ मेरी पैंटी के किनारे से अंदर घुसीं और मेरे क्लिट को छूने लगीं। “आह… सर्वेश… क्या कर रहे हो…” मैंने धीमी आवाज में कहा, लेकिन मेरे शरीर में आग लग रही थी।


मुझे पैंटी और सलवार की रुकावट अच्छी नहीं लग रही थी। मैं उठी और टॉयलेट चली गई। वहाँ मैंने अपनी सलवार और सूट उतार दिया। मैंने एक टाइट टी-शर्ट और छोटी सी स्कर्ट पहन ली, जो मेरी जाँघों तक थी। पैंटी भी उतार दी, क्योंकि मैं अब पूरी तरह खुल चुकी थी। वापस आई तो देखा सर्वेश उठकर बैठा था। उसकी आँखों में हवस साफ दिख रही थी। ट्रेन की हल्की-हल्की आवाज और अंधेरा माहौल को और गर्म कर रहा था।


मैं जैसे ही बैठी, सर्वेश ने मेरा हाथ पकड़ लिया। उसने अपनी एक उँगली मेरे चेहरे पर फिराई, मेरे होंठों को छुआ, और फिर धीरे से मेरे मुँह में डाल दी। मैंने उसकी उँगली को चूसना शुरू किया। मेरी नजरें उसकी नजरों से टकरा रही थीं। “खुशबू… तुम कितनी हॉट हो…” उसने धीमी आवाज में कहा। मैंने जवाब नहीं दिया, बस उसकी उँगली को और जोर से चूसा। फिर पता नहीं कैसे, हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में थे।


सर्वेश ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसकी साँसें गर्म थीं, और मेरी धड़कनें तेज। वो मेरे होंठों को चूस रहा था, जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार पर टूट पड़ता है। मैंने भी जवाब दिया, उसकी जीभ को अपनी जीभ से लपेट लिया। “आह… सर्वेश… धीरे…” मैंने सिसकारी ली, लेकिन वो रुका नहीं। उसने मेरे कंधों को पकड़ा और मुझे बर्थ पर लिटा दिया। उसकी आँखों में वो जंगलीपन था, जो मुझे और उत्तेजित कर रहा था।


उसने मेरी टी-शर्ट ऊपर उठाई। मैंने पहले से ब्रा नहीं पहनी थी। मेरी गोल, टाइट चूचियाँ देखकर वो सिसकार उठा। “वाह… भाभी, क्या माल हो तुम… ये चूचियाँ तो जन्नत हैं…” वो बोला और मेरी एक चूच को मुँह में ले लिया। वो चूस रहा था, काट रहा था, और दूसरी चूच को अपने मजबूत हाथों से मसल रहा था। “आआआह… उफ्फ… सर्वेश… धीरे करो… दर्द हो रहा है…” मैं तड़प रही थी, लेकिन मजा भी आ रहा था। उसने मेरी काँख को चाटा, मेरे निप्पल को जीभ से गोल-गोल घुमाया। मेरा पूरा बदन काँप रहा था।


उसके हाथ मेरी स्कर्ट के नीचे घुस गए। उसने मेरी चूत को छुआ और देखा कि मैंने पैंटी नहीं पहनी। “खुशबू… तुम तो पूरी तैयार हो…” वो हँसा और अपनी उँगलियाँ मेरी चूत के होंठों पर फिराने लगा। मेरी चूत इतनी गीली थी कि उसकी उँगलियाँ फिसल रही थीं। “आह… ओह… सर्वेश… और करो…” मैंने सिसकारी ली। वो मेरी जाँघों को चूमने लगा, काटने लगा। फिर उसने मेरी स्कर्ट पूरी तरह ऊपर कर दी और अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया।


वो मेरे क्लिट को चूस रहा था, जीभ को मेरी चूत के छेद में डाल रहा था। “स्लर्प… स्लर्प…” की आवाज ट्रेन की आवाज के साथ मिल रही थी। मैं अपने होंठ काट रही थी, ताकि चीख ना निकल जाए। “आआआह… ओह्ह… सर्वेश… और चाटो… उफ्फ…” मैं तड़प रही थी। उसने मेरी चूत के होंठों को उँगलियों से खोला और जीभ अंदर तक डाल दी। मेरे शरीर में जैसे बिजली दौड़ रही थी। वो मेरी जाँघों को कसकर पकड़े था, और मैं उसका सिर अपनी चूत पर दबा रही थी।


मैंने महसूस किया कि उसका लंड पैंट में तन गया है। मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसकी पैंट की चेन खोली। उसका लंड बाहर निकला। वो करीब सात इंच का था, मोटा और सख्त, जैसे कोई लोहे का रॉड। मैंने उसे पकड़ा और हिलाना शुरू किया। “सर्वेश… इसे मुझे दो… मैं चूसना चाहती हूँ…” मैंने कहा। वो मेरे ऊपर आ गया। उसका लंड मेरे मुँह के पास था। मैंने जीभ से उसके सुपारे को चाटा। “स्स्स… भाभी… चूसो इसे…” वो सिसकार उठा। मैंने उसके लंड को मुँह में लिया, जितना जा सकता था। “स्लर्प… स्लर्प…” मैं चूस रही थी, और वो मेरे बाल पकड़कर धीरे-धीरे धक्के दे रहा था। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और मैं तड़प रही थी।


फिर सर्वेश नीचे उतरा और मेरे पैरों को और फैलाया। उसने मेरी चूत को फिर से चाटा, और इस बार दो उँगलियाँ अंदर डाल दी। “आआआह… उफ्फ… सर्वेश… क्या कर रहे हो…” मैं चिल्ला पड़ी। वो मेरी चूत को उँगलियों से चोद रहा था, और साथ में जीभ से क्लिट को चाट रहा था। मैं पागल हो रही थी। “सर्वेश… अब डाल दो… प्लीज… चोद दो मुझे…” मैंने कहा, मेरी आवाज में हवस और बेचैनी थी।


उसने कहा, “भाभी, तुम चिंता मत करो… ये बात मेरे और तुम्हारे बीच ही रहेगी। मैं अपने दोस्त की जिंदगी बर्बाद नहीं करूँगा। लेकिन आज रात तुम मेरी हो। मैं तुम्हें बहुत दिन से चोदना चाहता था।” उसकी बात सुनकर मेरे शरीर में और आग लग गई। मैंने उसे और करीब खींचा और उसके होंठों को चूमने लगी।


उसने अपना लंड निकाला और मेरी चूत के मुँह पर रखा। मैंने उसकी जाँघों पर बैठकर उसके लंड को अपनी चूत पर रगड़ा। “आह… सर्वेश… डालो ना…” मैंने कहा। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया। “आआआह… उफ्फ… कितना मोटा है… फट जाएगी मेरी चूत…” मैं चिल्ला पड़ी। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। “थप… थप… थप…” की आवाज गूँज रही थी। मैं उसकी कमर पकड़े थी, और वो मेरी चूचियों को मसल रहा था। “आह… ओह… चोदो मुझे… जोर से…” मैं सिसकार रही थी।


मैं करीब पंद्रह मिनट तक वैसे ही चुदवाती रही। फिर उसने मुझे घुमाया और घोड़ी बनाया। मैं घुटनों पर थी, मेरी गांड ऊपर थी। उसने पीछे से लंड डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “थप थप थप…” की आवाज तेज हो गई। वो मेरी कमर पकड़े था, और कभी-कभी मेरी गांड पर थप्पड़ मारता। “भाभी, क्या गांड है… मोटी और मुलायम…” वो बोला। मैं चिल्ला रही थी, “आह… सर्वेश… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत…” वो मेरे बाल पकड़कर खींचता और धक्के मारता।


फिर उसने मुझे फिर से लिटाया और मेरे पैर अपने कंधों पर रखे। इस बार वो गहराई तक लंड डाल रहा था। “आआआह… ओह्ह… सर्वेश… और गहरे… उफ्फ…” मैं तड़प रही थी। वो मेरी चूचियों को चूस रहा था, मेरे निप्पल को काट रहा था। हम दोनों पसीने से तर थे। करीब बीस मिनट तक उसने मुझे ऐसे चोदा। बीच-बीच में वो रुकता, मेरी चूत चाटता, फिर से धक्के मारता।


फिर उसने कहा, “भाभी, तुम्हारी गांड भी मारूँ?” मैं डर गई, लेकिन मेरी चूत इतनी गीली थी कि मैं मना नहीं कर पाई। उसने मेरी गांड को चाटा, उँगली डाली। “आह… धीरे… दर्द हो रहा है…” मैंने कहा। उसने धीरे-धीरे लंड डाला। पहले दर्द हुआ, लेकिन फिर मजा आने लगा। “थप थप…” वो मेरी गांड मार रहा था। “आआआह… उफ्फ… सर्वेश… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी।


आखिर में हम दोनों एक साथ झड़ गए। मेरा पानी निकला, और उसका गरम माल मेरी चूत में भर गया। “आआआह… ओह्ह…” हम दोनों थककर चूर हो गए। पूरी रात में उसने मुझे चार बार चोदा, एक बार गांड भी मारी। सुबह जब स्टेशन पर उतरी, तो मुझसे चला नहीं जा रहा था। वो मुझे इतना चोद चुका था।


घरवाले स्टेशन पर लेने आए। उन्होंने मुझे लंगड़ाते देखा तो बोले, “खुशबू, तेरा पैर अकड़ गया होगा, इसलिए चला नहीं जा रहा।” सर्वेश ने मेरी तरफ देखकर मुस्कुराया, और मैंने भी उसे देखकर हल्की सी स्माइल दी। हम दोनों को पता था कि चला क्यों नहीं जा रहा। फिर वो अपने घर चला गया, और मैं अपने माँ-पापा के साथ चली गई।


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3 Comments

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XYZ
Oct 07
Rated 1 out of 5 stars.

Fake story hai, second AC me side lower seat pe Bhai ne 4 bar pel diya aur logon KO pata hi nhi chala🤣🤣🤣🤣 chay bechne wale iska MMS bna lete train me

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Guest
Sep 21

Nice

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Guest
Sep 20

Very hot

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