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पामीर की गांड़ और मेरे लंड के कीटाणु - Gay Sex Stories

मेरा नाम साबिर खान है, उम्र 32 साल, पेशावर, पाकिस्तान से हूँ। मुझे एनल सेक्स की कहानियाँ पढ़ना और एनल XXX मूवीज देखना बहुत पसंद है। मेरा जुनून है असली गांड चुदाई। मेरा फेवरेट पॉर्न स्टार है रोक्को सिफ्रेडी, इटली का, जो एनल के लिए मशहूर है, और एक्ट्रेस में बेलाडोना, जो भी एनल की क्वीन है। मेरे पास कई एनल अनुभव हैं, कुछ लड़कों और लड़कियों के साथ, जिन्हें मैं आपके साथ धीरे-धीरे शेयर करूँगा। कोई झूठ नहीं, कोई बनावट नहीं, बस सच्ची और मसालेदार कहानी! तो चलिए शुरू करते हैं, और ये कहानी हिंदी में होगी, क्योंकि देसी भाषा में मज़ा दोगुना हो जाता है।


ये उन दिनों की बात है जब मैं 18 साल का था और एक पब्लिक स्कूल में क्लास 12 का स्टूडेंट था। उस वक़्त मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो चुका था, और मैं मुठ मारने की आदत डाल चुका था। मन में बस एक ही ख्याल रहता था कि कोई मिले, जिसकी चुदाई कर सकूँ। मेरे स्कूल में को-एजुकेशन था, यानी लड़के-लड़कियाँ साथ पढ़ते थे। खास बात ये थी कि उन दिनों अफगान मुहाजिरीन, यानी रिफ्यूजी, अफगान-रूस युद्ध की वजह से पेशावर में नए-नए आए थे। अमीर अफगानी परिवारों ने शहर में घर किराए पर ले लिए थे। उनके बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला नहीं मिलता था, इसलिए उन्होंने अपने बच्चों को प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भर्ती करवाना शुरू किया। इस वजह से प्राइवेट स्कूलों का बिजनेस खूब फलने-फूलने लगा।


हमारे स्कूल में भी कई अफगानी बच्चे उनकी पिछली एजुकेशन के हिसाब से दाखिल हुए। मेरी क्लास में कुछ अफगानी लड़के और लड़कियाँ आए। मेरी सीट के ठीक सामने एक अफगानी लड़के, पामिर खान की सीट थी। दोस्तों, जब मैंने उसकी मोटी, गोल गांड देखी, मैं तो दंग रह गया। हमारा यूनिफॉर्म पैंट-शर्ट था, और पामिर की पैंट इतनी टाइट थी कि उसकी गांड और भी खतरनाक लग रही थी। पूरा दिन मैं बस उसकी गांड को ही घूरता रहा। उसी दिन मैंने ठान लिया कि जब तक इस गांड को चोद नहीं लेता, चैन से नहीं बैठूँगा। उसी रात घर जाकर मैंने पामिर की गांड के ख्याल में मुठ मारी और उसकी चुदाई का प्लान बनाना शुरू कर दिया।


हमारी पढ़ाई उर्दू और इंग्लिश में होती थी, जिसकी वजह से अफगानी बच्चों को बहुत दिक्कत होती थी। वो पश्तो या फारसी समझते थे। हमारी लेडी टीचर ने हम सबको कहा कि अफगानी बच्चों की मदद करें। मैंने मौका देखते ही पामिर को पकड़ लिया और उसकी इंग्लिश और उर्दू में मदद करने लगा। कुछ ही दिनों में हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। मुझे अंदाज़ा हुआ कि पामिर खाने-पीने का बहुत शौकीन है और थोड़ा बेवकूफ भी। इस वजह से वो थोड़ा मोटा था, और उसकी गांड भी नरम और भारी हो गई थी। मैं हर मौके पर उसकी गांड को छूने की कोशिश करता। जब भी मेरा हाथ उसकी गांड पर लगता, मुझे करंट सा लगता, और मैं और बेचैन हो जाता।


मेरे डैड मुझे रोज 2 रुपये देते थे, जो उस ज़माने में काफी होते थे। माँ से भी मैं कभी-कभी एक्स्ट्रा पैसे ले लेता था। मैंने पामिर को खूब खाना-पिलाना शुरू किया। उसके पास अक्सर पैसे नहीं होते थे, तो मैं उसे उधार दे देता, जो वो वापस नहीं कर पाता था। इससे वो मेरे और करीब आ गया। अब मैं उससे खुलकर हँसी-मज़ाक करता, और कभी-कभी उसकी गांड पर हल्का सा थप्पड़ भी मार देता। उसे बुरा नहीं लगता था। एक दिन मैंने मज़ाक में उसकी गांड में उंगली (पैंट के ऊपर से) कर दी। वो थोड़ा परेशान हुआ, लेकिन मैंने बात को हँसी-मज़ाक में टाल दिया, और वो नॉर्मल हो गया। इसके बाद मैं अक्सर उसकी गांड में उंगली कर देता, और उसने अब इस पर ध्यान देना बंद कर दिया।


मैं उसका खूब ख्याल रखता, पैसे खर्च करता। अब मेरी सारी सोच इस बात पर थी कि उसे गांड चुदवाने के लिए कैसे मनाऊँ। फिर एक दिन मेरे दिमाग में जबरदस्त आइडिया आया। अगले दिन मैंने बीमारी का बहाना बनाकर स्कूल से छुट्टी ले ली। अगले दिन जब स्कूल गया, तो पामिर ने पूछा कि मैं कहाँ था। मैंने कहा कि मैं बहुत बीमार हूँ। उसने बीमारी के बारे में पूछा, तो मैंने कहा कि ब्रेक टाइम में बताऊँगा। ब्रेक में मैंने बीमारी की एक्टिंग शुरू की और कहा कि मैं बहुत परेशान हूँ। उसने पूछा, “कौन सी बीमारी है?” मैंने उसे स्कूल की सबसे ऊपरी मंजिल पर स्टोर रूम चलने को कहा।


हमारे स्कूल की आखिरी मंजिल पर एक स्टोर रूम था, जहाँ टूटी-फूटी कुर्सियाँ और डेस्क रखे जाते थे। हर दो-तीन महीने में एक कारपेंटर आकर उन्हें ठीक करता था। स्टोर की चाबी एक बूढ़े बाबा (सर्वेंट) के पास होती थी, जो नसवार का बहुत शौकीन था। मैं उसे अक्सर फ्री में नसवार की पुड़िया दे देता था, जिससे वो मुझसे खुश रहता था। मैं उसके पास गया और कहा कि एक कुर्सी टूट गई है, उसे स्टोर में रखकर दूसरी ठीक वाली लानी है। उसने मुझे चाबी दे दी। मैं पामिर को लेकर स्टोर में चला गया। पामिर हैरान था कि मैं उसे कौन सी सीक्रेट बीमारी बताने जा रहा हूँ।


स्टोर में पहुँचकर मैंने खिड़की से बाहर निकलकर दरवाजा बाहर से ताला लगाया, ताकि कोई और न आए। फिर खिड़की से वापस अंदर आ गया। पामिर मेरी हर हरकत को हैरानी से देख रहा था और बोला, “अब बता, क्या बीमारी है?” मेरा लंड पहले से ही हल्का-हल्का खड़ा हो रहा था। मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोली और लंड बाहर निकाला। बाहर आते ही मेरा लंड पूरी तरह टाइट हो गया। मैंने कहा, “डरो मत, मैं तुम्हें अपनी बीमारी बता रहा हूँ। मेरे लंड में बहुत दर्द हो रहा है।” पामिर मेरे लंड को हैरानी से देख रहा था। मैंने कहा, “क्या तुम मेरी मदद करोगे?” उसने कहा, “हाँ, करूँगा।” मैंने जेब से एक बोतल निकाली, जिसमें असल में कोल्ड क्रीम थी। मैंने कहा, “ये क्रीम मेरे लंड पर मालिश कर दो।”


वो बोला, “तू खुद क्यों नहीं लगाता?” मैंने कहा, “डॉक्टर ने कहा है कि किसी और से लगवाओ। घर में मैं किसे बोलूँ कि मेरे लंड पर दवा लगाओ? इसीलिए तुमसे रिक्वेस्ट कर रहा हूँ।” थोड़ी हिचक के बाद वो मान गया। मैं एक कुर्सी पर बैठ गया। उसने डब्बे से क्रीम निकाली और मेरे पास आया। मेरे लंड को देखने लगा। मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “लगा ना!” उसने धीरे से क्रीम लेकर मेरे लंड को छुआ। मुझे ऐसा करंट लगा जैसे बिजली दौड़ गई। ज़िंदगी में पहली बार किसी ने मेरे लंड को छुआ था। मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। वो एक उंगली से क्रीम लगा रहा था। मैंने कहा, “पूरा हाथ इस्तेमाल कर, ऐसे नहीं!” मैंने उसे तरीका समझाया, जो असल में मुठ मारने का स्टाइल था।


पामिर ने धीरे-धीरे मेरी मुठ मारनी शुरू की। उसके नरम-नरम हाथ मेरे लंड पर चल रहे थे, और मैं सातवें आसमान पर था। मैंने खुद कई बार मुठ मारी थी, लेकिन पामिर का मज़ा कुछ और ही था। मज़े से मेरी आँखों के सामने अंधेरा सा छा रहा था। वो बोला, “दर्द हो रहा है?” मैंने कहा, “नहीं, आराम आ रहा है।” मैंने कहा, “मेरे टट्टों (balls) पर भी दवा लगा। एक हाथ से लंड पर लगाओ, दूसरे से टट्टों पर।” अब मैंने अपनी पैंट आधी उतार दी। मेरा पूरा लंड और टट्टे उसके सामने थे। उसने एक हाथ से मेरे लंड की मुठ मारनी शुरू की और दूसरे हाथ से टट्टों पर क्रीम की मालिश करने लगा। मेरा लंड लाल-सुर्ख हो रहा था। मैंने कहा, “पामिर, अब और तेजी से मालिश कर!” उसने मुठ मारने की रफ्तार बढ़ा दी। मेरे लंड से “पचाक-पचाक” की आवाज़ें आने लगीं।


“आआह्ह… और तेज!” मैंने कहा। उसने और रफ्तार बढ़ाई। अचानक मेरा लंड फट पड़ा, और मैं छूट गया। मैंने पामिर का हाथ पकड़कर और ज़ोर से मुठ मारी। वो हैरान था कि मेरे लंड से ये क्या निकल रहा है, जो पेशाब भी नहीं था। मैंने कहा, “ये बीमारी के कीटाणु (germs) निकले हैं। अब मेरा दर्द कम हो गया है।” मैंने रुमाल से उसका हाथ और अपना लंड साफ किया। मैंने उसे दिल से शुक्रिया कहा कि उसने मेरी बीमारी में इतनी मदद की। मैंने उसे 2 रुपये भी दिए, जो उसने हमेशा की तरह फट से ले लिए। हम स्टोर से बाहर निकल आए। उस दिन मैं बहुत खुश था। मुझे खुश देखकर पामिर भी खुश हो रहा था।


घर जाकर मैंने अपनी अगली मंज़िल, यानी पामिर की मोटी, नरम गांड मारने का अगला कदम उठाया। मेरे अंकल की मेडिसिन की दुकान थी। मैं वहाँ से एक नया डिस्पोजेबल सिरिंज (बिना सुई का) चुपके से ले आया। घर आकर मैंने उसमें कुकिंग ऑयल भर लिया। अगली सुबह स्कूल गया और फिर परेशानी की एक्टिंग शुरू कर दी। पामिर ने पूछा, तो मैंने बताया कि कल उसने क्रीम लगाने के बाद हाथ किस चीज़ से धोए थे। वो बोला, “पानी से।” मैंने कहा, “तुझे डेटॉल साबुन से धोना था। मुझे बताना ही भूल गया। अब डर है कि मेरी बीमारी तुझे न लग जाए।”


ये सुनकर पामिर बहुत परेशान हो गया। मैंने फट से कहा, “फिकर मत कर, मैं डॉक्टर के पास गया था। उसने मुझे एक इंजेक्शन दिया है, जो तुझे लगाना है।” पामिर और डर गया। बोला, “मैं इंजेक्शन नहीं लगवाऊँगा!” मैंने कहा, “ये सुई वाला इंजेक्शन नहीं है।” वो हैरान हुआ कि ये कैसा इंजेक्शन है। मैंने कुकिंग ऑयल से भरा इंजेक्शन उसे दिखाया, जिसमें सुई नहीं थी। वो बोला, “ये मुझे कैसे और क्यों लगेगा?” मैंने कहा, “ताकि तू बीमारी से बच जाए। और कैसे लगेगा, वो बाद में पता चलेगा।”


ब्रेक टाइम में मैं फिर बाबा के पास गया और वही बहाना बनाकर चाबी ले आया। हम दोनों स्टोर में गए। मैंने फिर वही तरीका अपनाया—खिड़की से बाहर निकलकर दरवाजा बाहर से लॉक किया और वापस खिड़की से अंदर आ गया। पामिर बोला, “बता, कैसे लगेगा?” मैंने कहा, “तेरी गांड में।” वो चौंका, “बिना सुई के कैसे लगेगा?” मैंने कहा, “तेरी गांड में एक छेद (hole) है ना, उसी में लगेगा।” ये सुनकर वो परेशान हो गया। बोला, “लेकिन क्यों?” मैंने कहा, “पामिर, टाइम वेस्ट मत कर। मैंने इतना महँगा इंजेक्शन तेरे लिए खरीदा है ताकि तू बीमारी से बच जाए, और तू नखरे कर रहा है।”


थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो मान गया। मैंने उसे एक बेंच पर डॉगी स्टाइल में आने को कहा। वो बेंच पर अपनी गांड मेरी तरफ करके तैयार हो गया। मेरा चेहरा उसकी गांड के ठीक सामने था। मैंने उसकी बेल्ट खोली। वो हिलने लगा। मैंने कहा, “हिल मत, और पीछे मत देख। कुछ नहीं होगा।” मैंने धीरे-धीरे उसकी पैंट उतारनी शुरू की। उसकी पैंट टाइट थी, और उसकी मोटी गांड की वजह से और भी टाइट लग रही थी। डॉगी स्टाइल में उसकी गांड और भारी हो गई थी। पैंट धीरे-धीरे “पंस-पंस” की आवाज़ के साथ उतर रही थी। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मन कर रहा था कि ये पैंट सारी उम्र उतरती रहे।


आखिरकार मैंने पैंट को नीचे खींच लिया। उसने लंबी शर्ट पहनी थी, जो उसकी गांड पर पर्दे की तरह थी। मेरी आखिरी मंज़िल अब बस एक शर्ट के नीचे थी। मेरा लंड बेकरार था। मैंने उसकी शर्ट को ऐसे ऊपर किया जैसे सुहागरात में दूल्हा दुल्हन का घूँघट उठाता है। दोस्तों, यकीन मानिए, अपनी बीवी का घूँघट उठाने में भी मुझे इतना मज़ा नहीं आया जितना उस दिन आया।


जैसे ही मैंने शर्ट ऊपर की, वाह! उसकी दूध जैसी सफ़ेद, साफ-सुथरी गांड मेरे सामने थी। उस पर हल्के-हल्के लाल रंग के धब्बे थे, जो उसे और खूबसूरत बना रहे थे। गांड के बीच में गहरा रंग का छेद था, जो उस सफ़ेद गांड में बहुत आकर्षक लग रहा था। उसकी गांड पर एक भी बाल नहीं था। मैंने बेकाबू होकर दोनों हाथों से उसकी गांड पकड़ी और मसलना शुरू किया। पामिर फिर बोला, “जल्दी कर, तू क्या कर रहा है?” मैं तो सेक्स की आग में जल रहा था। मैंने गुस्से में उसे चुप कराया। मेरे गुस्सैल अंदाज़ को देखकर वो खामोश हो गया।


फिर मैंने प्यार से उसकी गांड पर हाथ फेरना शुरू किया और कहा, “पामिर, फिकर मत कर, सब ठीक हो जाएगा।” वो चुप रहा। मैंने अपनी उंगली की टिप उसकी गांड के छेद पर रखी और कहा, “इसके अंदर इंजेक्शन लगेगा।” मैंने उंगली पर थूक लगाया और उसकी गांड में रखकर हल्का सा दबाव डाला। पामिर ने तुरंत अपनी गांड सिकोड़ ली। मैंने कहा, “पामिर, गांड को ढीला कर, ताकि मैं इंजेक्शन के लिए चेक कर सकूँ।” उसने अपनी गांड को रिलैक्स किया। मैंने उंगली थोड़ी सी अंदर की, लेकिन उसकी गांड बहुत टाइट थी। सिर्फ उंगली की टिप ही अंदर गई।


अब मैंने जेब से ऑयल से भरा इंजेक्शन निकाला। उसकी टिप को पामिर की गांड पर रखा और थोड़ा सा ऑयल निकाला। फिर मैंने अपनी मिडिल उंगली से उसके छेद पर ऑयल की मालिश की। इंजेक्शन की टिप पर भी थोड़ा ऑयल लगाया और उसे पामिर की गांड में धीरे-धीरे डालना शुरू किया। इंजेक्शन का आधा हिस्सा उसकी गांड में चला गया। पामिर थोड़ा हिला, लेकिन चुप रहा। मैंने और दबाव डाला, और इंजेक्शन और अंदर चला गया। फिर मैंने थोड़ा ऑयल निकाला और इंजेक्शन को और अंदर किया। इस तरह मैंने 80% ऑयल उसकी गांड में डाल दिया। इंजेक्शन की मोटाई मेरी मिडिल उंगली जितनी थी।


मैंने इंजेक्शन बाहर निकाला और उसकी जगह अपनी उंगली डाल दी। अब मेरी उंगली आसानी से उसकी गांड में चली गई। मैंने पूरी उंगली अंदर डाल दी। पामिर बोला, “इंजेक्शन लगा दिया ना? अब बस कर।” मैंने कहा, “मैं उंगली से दवा को अच्छे से अंदर लगा रहा हूँ।” वो फिर चुप हो गया। ऑयल की वजह से उसकी गांड बहुत नरम और चिकनी हो गई थी। उसने भी अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया था।


अब मैंने अपनी ज़िप खोली और लंड बाहर निकाला। मेरा लंड लाल-सुर्ख था और जटके खा रहा था। मैंने इंजेक्शन में बचा हुआ ऑयल अपने लंड पर लगा लिया। तभी पामिर ने पीछे देखा और मेरे लंड को देखकर घबरा गया। बोला, “ये क्या कर रहा है?” मैंने कहा, “ये मैं तेरी गांड में डालूँगा। इससे हम दोनों की बीमारी ठीक हो जाएगी। चुप रह।” शायद अब उसे भी अंदाज़ा हो गया था कि मैं उसकी गांड मारे बिना नहीं छोड़ूँगा।


मैंने अपनी थंब उंगली, जो मिडिल उंगली से मोटी थी, उसकी गांड में डाली। इससे उसकी गांड और खुल गई। फिर मैंने अपने लंड की टोपी उसके छेद पर रखी और हल्का सा ज़ोर लगाया। पामिर ने तुरंत अपनी गांड सिकोड़ ली। मैंने फिर मिडिल उंगली डाली और कहा, “इसे ढीला कर, वरना दर्द होगा।” उसने गांड को फिर ढीला किया। मैंने लंड की टोपी दोबारा उसके छेद पर रखी और हल्का सा ज़ोर लगाया। इस बार मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड में चला गया।


“आआह्ह…” पामिर ने हल्की सी सिसकारी भरी। वो आगे खिसकने की कोशिश करने लगा, लेकिन मैंने दोनों हाथों से उसकी गांड को जकड़ लिया। अब उसकी गांड मेरे कब्जे में थी। मेरे लंड का सिर्फ सुपारा उसकी गांड में था। मैं पागल हो चुका था। मैंने दोनों हाथों से उसकी गांड को अपने लंड की तरफ दबाया और ज़ोर से धक्का मारा। मेरा लंड आधा उसकी गांड में उतर गया। पामिर ने दर्द से “उउह्ह…” की आवाज़ निकाली, लेकिन कुछ बोला नहीं।


इससे मुझे और हिम्मत मिली। मैंने एक और ज़ोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी गांड में समा गया। “आआह्ह… ओह्ह…” मैंने सिसकारी भरी। मेरे लंड ने जैसे नई दुनिया में कदम रखा था। उसकी खूबसूरत, सफ़ेद गांड में मेरा लाल-सुर्ख लंड पूरी तरह गायब था। सिर्फ मेरे टट्टे बाहर थे। मैंने धीरे से लंड बाहर निकाला और गर्व से उसे देखा, जिसने इस गांड को फतह किया था। फिर मैंने लंड दोबारा उसकी गांड में डाल दिया। ऑयल की वजह से लंड आसानी से अंदर-बाहर होने लगा।


“पच… पच…” लंड के धक्कों से आवाज़ें आने लगीं। मैंने तीन-चार धक्के मारे और फिर लंड बाहर निकाला। पामिर की गांड से “टप्प” की आवाज़ आई, जैसे कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोलने पर आती है। मुझे बहुत मज़ा आया। उसकी गांड में हल्का सा गैप बन गया था, और उसका छेद काफी खुल गया था। मैंने दोनों हाथों से उसकी गांड को साइड में खींचा, तो छेद का गैप और बड़ा हो गया। मैंने थूक डाला और फिर लंड उसकी गांड में डाला। इस बार “पड़पड़” की आवाज़ आई, जैसे पाद की। हम दोनों की हँसी छूट गई। पामिर की हँसी ने मुझे और जोश दिलाया।


मैंने लंड निकाला और उसके सामने आ गया। वो मेरे लंड को देख रहा था। मैंने कहा, “देख, ये लंड मैं तेरी गांड में अंदर-बाहर कर रहा हूँ। कैसा लग रहा है?” उसने जवाब नहीं दिया। मैं फिर उसकी गांड की तरफ गया और लंड दोबारा डाल दिया। अब मैंने धक्के मारने शुरू किए। ऑयल इतना था कि वो उसकी गांड से बाहर निकल रहा था। “स्रप… स्रप…” की आवाज़ें आने लगीं। मैंने रफ्तार और तेज की।


“आआह्ह… उउह्ह… और तेज!” मैंने सिसकारते हुए कहा। पामिर भी अब हल्के-हल्के सिसकार रहा था, “उम्म… आह…” मैंने और जोर से धक्के मारे। उसकी गांड इतनी नरम थी कि हर धक्के में मेरे टट्टे उसकी गांड से टकरा रहे थे। मैंने उसे बेंच पर और झुकाया, ताकि उसकी गांड और ऊपर उठे। अब मैंने उसे लिटाकर उसकी टाँगें ऊपर कीं और फिर से लंड डाला। “पचाक… पचाक…” की आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं।


“पामिर, तेरी गांड तो जन्नत है!” मैंने कहा। वो चुप रहा, लेकिन उसकी सिसकारियाँ बता रही थीं कि उसे भी मज़ा आ रहा था। मैंने अब उसे साइड में लिटाया और एक टांग उठाकर फिर से लंड डाला। इस पोजीशन में उसकी गांड और टाइट लग रही थी। “आआह्ह… कितनी टाइट है!” मैंने सिसकारी भरी। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारे, फिर रफ्तार बढ़ाई। ऑयल की वजह से उसकी गांड से “स्लप… स्लप…” की आवाज़ें आ रही थीं।


मैंने उसे फिर से डॉगी स्टाइल में लाया और अब पूरे जोश में धक्के मारने लगा। “उउह्ह… आह… पामिर, तेरी गांड ने तो मज़ा दे दिया!” मैंने कहा। वो भी अब खुल गया था। “आआह्ह… साबिर, धीरे… उउह्ह…” वो सिसकार रहा था। मैंने और तेज धक्के मारे। मेरा लंड उसकी गांड में पूरी तरह समा रहा था। अचानक मुझे लगा कि मैं छूटने वाला हूँ। मैंने और तेज धक्के मारे और “आआह्ह… उउह्ह…” के साथ उसकी गांड में ही सारा माल निकाल दिया।


मैं उसके ऊपर ही लेट गया। मेरा लंड अभी भी उसकी गांड में था, और धीरे-धीरे नरम हो रहा था। मैं इतनी जोर से छूटा था कि मेरे टट्टों में हल्की-हल्की टीस होने लगी। मेरा लंड धीरे-धीरे उसकी गांड से बाहर निकल गया। मैंने रुमाल से अपना लंड साफ किया और फिर उसकी गांड साफ की। लेकिन उसकी गांड से और ऑयल निकल आया। मैंने फिर साफ किया। पामिर खड़ा हुआ और उसने पैंट बाँधी। बोला, “मेरी गांड से कुछ निकल रहा है।” मैंने चेक किया, तो ऑयल और मेरी पानी का मिक्सचर निकल रहा था। मैंने फिर साफ किया और कहा, “अपनी गांड को टाइट कर, ताकि दवा बाहर न निकले।”


वो बोला, “कैसे करूँ? नहीं हो रहा।” मुझे समझ आया कि ऑयल ज्यादा है। मैंने कहा, “बाथरूम जाकर साफ कर ले।” हम बाहर निकले, और मैं उसे फट से टॉयलेट ले गया। मैंने कहा, “अंदर जाकर अपनी गांड साफ कर।” थोड़ी देर बाद वो वापस आया और बोला, “गांड से सारी दवा निकल गई।” मुझे बहुत हँसी आई। मैंने कहा, “कोई बात नहीं, मैं फिर दवा डाल दूँगा।” इस तरह मैंने कई बार पामिर की गांड में “दवा” डाली।


क्लास 12 तक वो मेरे साथ रहा। मैंने उसे पक्का गांडू बना दिया। लेकिन उसने कभी मेरे अलावा किसी और से गांड नहीं मरवाई। इन दो सालों में मैंने उसे अपने लंड को चुसवाया, मेरा पानी भी उसने निगला । वो खुद ही मुझसे गांड मरवाने को कहता। उसकी मदद से मैंने उसकी एक कजिन (लड़की) की भी गांड और चूत मारी। और भी कुछ लड़के और लड़कियाँ थीं, जिन्हें मैंने चोदा। मेरी हर प्लानिंग में पामिर शामिल और मददगार था।


बाकी Gay Sex Stories मैं आपके रिस्पॉन्स के बाद लिखूँगा। अगर आपको ये कहानी पसंद आई, तो अपने कमेंट्स ज़रूर शेयर करें।

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