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पड़ोसी अंकल ने जमकर चोदा और गांड मारी - Hindi Sex Stories

मैं मीता राठी हूँ.

मेरे पति का नाम राज है.


अब हाल ही में मेरे पड़ोसी अंकल के साथ जो चुदाई का मजा मिला, वह Hindi Sex Stories मैं आपके सामने पेश करने जा रही हूँ।


हुआ यूँ कि मेरे पड़ोस में एक अंकल और आंटी रहते हैं।

दोनों की उम्र पचास के ऊपर होगी।


उनके तीन बच्चे हैं।

बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है, और एक बेटा व बेटी पढ़ाई व नौकरी के सिलसिले में विदेश में रहते हैं।

तो घर पर ये दोनों ही रहते हैं।


उनकी बालकनी हमारे ड्राई बालकनी से जुड़ी हुई है।


यह घटना तब घटी जब आंटी ऑफिस के टूर पर गई थीं।

आंटी ने मुझे बताया था कि शनिवार और रविवार को वह ट्रिप पर जा रही हैं, और अंकल अकेले घर पर रहेंगे।उन्हें होटल का खाना चलता नहीं। आंटी सुबह का खाना बनाकर जाएंगी, लेकिन शाम का दाल-चावल और रविवार सुबह का नाश्ता मुझे बनाकर देने की रिक्वेस्ट की।


मैंने ख़ुशी-ख़ुशी मान लिया।


मेरे पति राज भी एक हफ्ते के बिजनेस टूर पर गए हुए थे।

तो खाने पर मुझे भी कंपनी मिलेगी, यह सोचकर मैंने हामी भर दी।


शनिवार सुबह ही आंटी मुझे बताकर टूर पर चली गईं।

मैंने सुबह ही अंकल से मिलकर हालचाल पूछा।


उन्होंने कहा, “शाम को सिर्फ दाल-चावल बनाकर लाना!”

मैंने बताया, “शाम को मिलकर खाते हैं! मैं सात-आठ बजे तक खाना लेकर आऊँगी!”


शाम को मैं खाना लेकर उनके घर पहुँच गई।

अंकल टीवी देख रहे थे।


टीवी बंद कर वह मुझसे इधर-उधर की बातें करने लगे।


अंकल बड़े मज़ाकिया किस्म के इंसान हैं, तो उनके साथ बातें करने में मज़ा आता था।


बहुत आराम से बातचीत करते हुए हमने डिनर पूरा किया।

डाइनिंग टेबल पर काफी देर तक हम बातें करते रहे।

फिर हम दोनों ने मिलकर डिश वगैरह साफ किए।


सुबह के नाश्ते की बात चली तो अंकल बोले, “उनके घर पर ही नाश्ता बनाएंगे!”

मैं मान गई।


अब सोने के लिए घर जाना था, लेकिन अंकल की बातें ख़त्म ही नहीं हो रही थीं।


मैंने कहा, “अंकल, आपका बेड बना देती हूँ!”

वह कोई जवाब देने से पहले ही मैं बेडरूम की तरफ चल पड़ी।


बेडरूम में मैंने देखा कि उनके बेड पर मेरी ब्रा और चड्डी पड़ी हुई थीं।

तभी मुझे ख्याल आया कि दो दिन से ये दोनों चीजें गायब थीं।

शायद हमारे ड्राई बालकनी से उड़कर उनकी तरफ पहुँच गई थीं।


मैंने उन्हें हाथ में उठाकर देखा तो वे वीर्य से लथपथ लग रही थीं।

मुझे हँसी आ रही थी।


तभी अंकल अंदर आ गए।

मेरे हाथों में ब्रा और पैंटी देखकर झेंप गए।


मैं हँसते हुए बोली, “क्या अंकल, मेरे कपड़े आपने ख़राब कर दिए! अरे, इस उम्र में भी आप इतना माल निकालते हो? तो आंटी की खैर नहीं!”

अंकल बोले, “अरे, कहाँ! तुम्हारी आंटी तो हफ्ते में एक बार लेती हैं!”


मैंने कहा, “तो क्या, आप रोज चाहते हो?”

अंकल बोले, “क्यों नहीं? रोज मिले तो क्या हर्ज है? तुम लोग कितनी बार करते हो?”


मैं अब भी हँस रही थी, बोली, “हमारी छोड़ो! मुझे तो दिन में कई बार चलता है! अब देखो ना, राज एक हफ्ते से बाहर हैं, और मुझे कोई और भी नहीं मिला!”

अंकल बोले, “मैं हूँ ना!”


मैं और ज़ोर से हँस पड़ी।

तभी अंकल ने मुझे अपनी ओर खींचकर अपनी बाहों में भर लिया।


अंकल दुबले थे, लेकिन बड़े इत्मीनान से मुझे अपनी आगोश में दबा रहे थे।

मैंने सोचा, जो होता है, होने दो, और अंकल की अगली मूव का इंतज़ार करने लगी।


अंकल ने एक-एक करके मेरे कपड़े उतारे।

ब्रा निकालने के बाद बड़ी देर तक मेरे मम्मों के साथ खेलते रहे, बारी-बारी से दोनों मम्मे चूसते रहे।


मैं वैसे ही खड़ी थी।


धीरे-धीरे मुझे पूरी नंगी कर अंकल मम्मों से नीचे जाने लगे, मेरे पेट को प्यार करते हुए मेरी चूत तक पहुँच गए।

वे चूत में उंगली डालकर बहुत हिलाया और फिर चूमने लगे।


मैं अब चहक रही थी।


उन्होंने एक हाथ पीछे ले जाकर मेरी गांड में उंगली डाली और चूत में जीभ डालकर चाटते रहे।

मैंने अपने दोनों हाथों से उनका सिर ज़ोर से अपनी चूत पर दबाकर पकड़ रखा।


मेरी चूत से ढेर सारा पानी निकल गया।

तब जाकर अंकल रुके।

अब मैंने उनका फेवर लौटाना चाहा और उन्हें बेड पर लिटाया।


उनके माथे से शुरू कर मैंने उन्हें चूमना शुरू किया।

माथा, फिर होंठ, गर्दन, छाती, पेट करते हुए उनके लंड तक पहुँच गई।

अब अंकल नीचे लेटे हुए थे, और मैं उनके ऊपर थी।


मेरे मुँह में उनका लंड आराम से समा गया था, और मेरी चूत उनकी नज़र के सामने थी।

अपनी जीभ से मेरा दाना सहलाते हुए मुझे गुदगुदी कर रहे थे।

मैंने भी उनका लंड चूस-चूसकर मोटा कर रखा था।


अंकल का लंड लंबाई में थोड़ा छोटा था और कटा हुआ था।


पूछने पर उन्होंने बताया कि पहली चुदाई के बाद उनका लौड़ा सूज गया था, और उसका ऑपरेशन करना पड़ा था।


कटने से वह छोटा तो नहीं हुआ, मगर आंटी को ज़्यादा मज़ा आने लगा था।

मैं भी जानती थी कि कटा हुआ लौड़ा ज़्यादा मज़ा देता है—मेरा पर्सनल अनुभव है!


अंकल का लौड़ा बहुत ही मोटा था।

कड़क होने के बाद मेरे मुँह में समाना मुश्किल हो रहा था।


मेरी चूत से फिर पानी छूटने लगा, तो मैंने अंकल को चोदने के लिए कहा।


अंकल और थोड़ी देर खेलना चाहते थे।

लेकिन मैंने बहुत इल्तिजा की तो मान गए।


अब उनके सामने अपनी दोनों टाँगें फैलाकर मैं लेट गई और लंड महाराज को अंदर घुसने का अनुरोध करने लगी।


अंकल ने अपना लंड मेरी चूत के आसपास घुमाकर मुझे बहुत तंग किया।

जब मैं पूरी तरह घायल हो गई और रो पड़ी, “प्लीज़, मुझे चोदो!” तब जाकर अंकल ने मेरी चूत को अपने लंड का अहसास कराया।


मेरी चूत में तो जैसे आग लग गई।

कोई जलता हुआ लोहे का रॉड जैसे घुस गया हो!

वह रॉड अपनी गति से आगे-पीछे हो रहा था।


जवान लोगों की तरह अंकल कोई जल्दी नहीं कर रहे थे।

पूरे इत्मीनान के साथ धीरे-धीरे वह मुझे चोद रहे थे।


मैंने अपनी टाँगें अपने हाथों से ऊपर पकड़ रखी थीं, तो थक गई।


अंकल ने मेरी टाँगें बेड पर सीधी कर दीं और मेरे ऊपर चढ़कर मिशनरी पोज में चोदते रहे।

मेरी साँसें फूल रही थीं लेकिन अंकल मज़े ले रहे थे।


वैसे अंकल का वज़न ज़्यादा नहीं था लेकिन मुझे उनके वज़न का अहसास होने लगा।


तभी उन्होंने मुझे बेड के कोने में घसीटा।

अब मेरी कमर बेड के एक साइड में आ गई और मैंने पैर नीचे छोड़ दिए।


मेरी चूत को हाथों से फैलाकर अंकल ने अपना लौड़ा उसमें घुसा दिया और खड़े होकर मुझे चोदने लगे।


एक निरंतर प्रवाह में अंकल पता नहीं कितनी देर मुझे चोदते रहे।

मैं तो वक्त भूल ही चुकी थी।


फिर जब उनकी स्पीड बढ़ गई तो मैं समझ गई कि वह अब झड़ने वाले हैं।


मैं बड़ी बेसब्री से उनके माल का इंतज़ार करने लगी।


जब अंकल भी बेसब्र हो गए, तो उन्होंने अपना लंड चूत से निकालकर बेड पर चढ़ गए।

लौड़ा हिलाते हुए उन्होंने अपना पूरा माल मेरे मुँह, बूब्स, और पेट पर खाली कर दिया।


जब पूरा माल निकल गया, तो हल्के होकर एक साइड में लुढ़क गए।


मैंने बड़े प्यार से उनकी जाँघों के बीच अपना सिर रखकर उनका अब लूज़ हो चुका लौड़ा अपने मुँह में ले लिया।

बड़ा मस्त लग रहा था।


मैं उनका लंड छोड़ना नहीं चाह रही थी।

लेकिन अंकल ने 69 पोजीशन की रिक्वेस्ट की तो मैंने मुँह से उनका लौड़ा निकाला।


फिर हम एक-दूसरे की जाँघों पर सिर रखकर एक-दूसरे को चाटते रहे।


अपनी चूत में अंकल की जीभ और मुँह में लंड लेकर मुझे स्वर्ग का अहसास होने लगा।

मुझे वहीं नींद लग गई।


अंकल भी शायद सो गए और मैं घर जाना भूलकर वहीं सो गई।


सुबह जब नींद खुली, तो हम उसी अवस्था में थे।

अंकल अभी सो रहे थे।

जगने के बाद मैं उठ बैठ गई।

इससे अंकल भी जग गए।


उन्होंने कहा, “अब यहीं नहा लो और ब्रेकफास्ट करने के बाद घर चली जाना!”


मैं मान गई और वॉशरूम जाने के लिए उठने लगी।


अंकल ने रोककर कहा, “अगर मैं पहले जग जाता, तो तुम मेरा लौड़ा अपने मुँह में बड़ा और कड़क होता हुआ महसूस करती! उसमें बड़ा मज़ा आता है! तुम्हारी आंटी को वह बहुत भाता है!”


मैंने पूछा, “अंकल, तो क्या आप वही चाहते हो?”


अंकल बोले, “उससे ज़्यादा! अपनी गांड में ले लो, वहाँ बड़ा होता हुआ बहुत अच्छा लगता है!”


मुझे भी वह आइडिया अच्छा लगा।

तुरंत मैंने अपने दोनों हाथों से कूल्हे फैलाकर अपनी गांड का छेद उन्हें दिखा दिया।


अंकल ने अपना ढीला-ढाला लंड उंगली की मदद से आसानी से मेरी गांड में धकेल दिया।

वह आसानी से अंदर गया।


अंकल मेरे पीछे लेटे हुए थे।

उन्होंने अपने दोनों हाथ आगे ले जाकर मेरे बूब्स के साथ खेलना शुरू कर दिया।


वह गंदी-गंदी बातें करने लगे।

आंटी की चूत, उनके बूब्स के बारे में बताने लगे।

आंटी की गांड पहली बार कैसे मारी, इसका ब्यौरा देने लगे।


धीरे-धीरे उनका लौड़ा अब और ज़्यादा चौड़ा होने लगा।

मेरी तो गांड फटने लगी … मेरी साँसें ज़ोर से चलने लगीं।


मेरा दिल और ज़ोरों से धड़कने लगा।

अंकल का लौड़ा अब गांड में सहना मेरे बस के बाहर लगने लगा।


मैंने अंकल से रुकने को कहा।

वे रुक गए लेकिन लौड़ा बाहर नहीं निकाला, आराम से मेरे बाल सहलाते रहे, मेरी चूत में उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगे।


मुझे थोड़ा आराम लगने लगा।

फिर मुझे वैसे ही पकड़कर अंकल बेड पर नीचे पाँव छोड़कर बैठ गए।

वह बैठे थे, और उनका लौड़ा मेरी गांड में लिए मैं उनकी गोद में बैठी थी।


वैसे ही अंकल खड़े हो गए।

दुबले थे लेकिन काफी स्ट्रॉन्ग थे।

मेरा वज़न भी कम है इसलिए उन्होंने मुझे लौड़ा गांड में रखते हुए उठा लिया।

वैसे ही मुझे वॉशरूम की तरफ ले गए।


वॉशरूम में मुझे खड़ा किया और अपना कड़क लंड मेरी गांड से थोड़ा बाहर निकाला।

मैंने चैन की साँस ली।


फिर उन्होंने अपने लंड पर तेल डालकर अंदर घुसाने की कोशिश की।


लेकिन अब तक और ज़्यादा मोटा हो चुका लौड़ा आगे घुसने को राजी नहीं था।

मुझे दर्द भी ज़्यादा होने लगा।

मैं दर्द से रोने लगी।


अंकल को दया आ गई और उन्होंने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया।

मैंने मुड़कर देखा, तो कोई राक्षस का लंड लग रहा था!


अंकल फिर भी मेरी गांड मारना चाहते थे लेकिन मैं डर गई थी।


तब अंकल ने मुझे धीरज दिया और थोड़ा झुककर खड़े होने को कहा।


मैं उनके सामने झुककर खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथों से कूल्हे अलग कर पकड़ रखे।


अंकल ने ढेर सारा तेल मेरी गांड में डाल दिया।


अपनी उंगलियों को तेल लगाकर मेरी गांड को तेल से भर दिया।

थोड़ी देर बाद तो उन्होंने अपना हाथ भी वहाँ डाल दिया।


मैं भी आश्वस्त हो गई और लंड पेलने को कहा।


अपने लौड़े को भी तेल लगाकर अंकल ने उसे मेरी गांड में घुसा दिया।


मैंने अपने दोनों हाथ वॉशरूम की दीवार पर सहारे के लिए रख दिए।

क्योंकि अंकल मुझे पीछे से धक्के पर धक्के दे रहे थे।


मैंने अपनी गर्दन दाहिनी ओर घुमाकर देखा।

वॉशरूम की दीवार पर बड़ा-सा आइना लगा हुआ था।

उसमें मेरी गांड मारते हुए अंकल बड़े मस्त लग रहे थे।


बड़ी देर तक अंकल मेरी गांड मारते रहे, या यूँ कहिए कि कूटते रहे!

कल रात मेरी चूत की कुटाई हो गई थी, और आज गांड की!


तेल लगाने से दर्द तो नहीं हो रहा था, लेकिन गांड बहुत चौड़ी हो रही थी … यह समझ में आ रहा था।


बहुत देर कूटने के बाद अंकल ने अपना माल मेरी गांड में ही छोड़ दिया।


तब तक मेरी चूत अपना पानी दो-तीन बार छोड़ चुकी थी।


आइने में मैंने अपनी चूत को ऐसे लीक होते हुए बड़े चाव से देखा।


झड़ने के बाद हम दोनों उसी अंदाज़ में कुछ देर खड़े रहे।

फिर शुशू करने के बाद हमने मिलकर स्नान भी किया।


फिर वैसे ही नंगे बाहर आए।


हमने ब्रेकफास्ट बनाया और खा भी लिया।


फिर कपड़े पहनकर मैं अपने घर चली गई।


आंटी शाम को आने वाली थीं तो मैंने लंच बनाकर लाने का प्रॉमिस कर दिया।


लंच बनाकर पहुँची, तो अंकल इंतज़ार कर रहे थे।

मैंने डाइनिंग टेबल पर प्लेट रखी और खाना परोसना चाहा।

अंकल ने मुझे पहले चुदने का आग्रह किया।


मैं मना कर रही थी।

लेकिन अंकल नहीं माने।


उन्होंने कहा, “मुझे तुम्हें खाना है! नंगी होकर तुम खाना खाओ!”


डाइनिंग चेयर पर पैर फैलाए मैं बैठी थी।

वे मेरी चूत चाटते रहे।


मैं लंच कर रही थी और अंकल टेबल के नीचे जाकर अपना मुँह मेरी जाँघों के बीच रखकर मुझे खा रहे थे।


उफ, क्या सीन था!

काश इसका वीडियो लिया होता!


मेरा लंच पूरा होने तक अंकल चूत को अपनी जीभ से चाटते रहे।

जब मेरा पेट और दिल भर गया, तो मैं उठ गई।

अब अंकल की लंच करने की बारी थी।


अंकल ने प्लेट में चीज़ें भरकर ले लीं और खड़े-खड़े खाने का इरादा किया।


वे खड़े थे, और मैं उनके सामने बैठकर उनका लौड़ा चूस रही थी।

शुरू में वह बहुत ही ढीला था।


अंकल मज़े में मेरे बनाए हुए खाने की तारीफ करते हुए खा रहे थे।


मैं उनका लूज़ लौड़ा लॉलीपॉप जैसे चूस रही थी।


अपने दोनों हाथों से उनके कूल्हे पकड़कर मैं उनका लौड़ा अपने होंठ और जीभ से टटोल रही थी।


धीरे-धीरे उसमें जान आने लगी।


मैंने अपने हाथ और पीछे ले जाकर अंकल की गांड का छेद ढूँढना चाहा।

अंकल ने अपने पैर थोड़े फैलाकर मुझे मदद की।


जैसे ही मेरी उंगली उनकी गांड में घुसी, अंकल का लंड ज़्यादा मोटा होने लगा।

मैंने दूसरी उंगली भी घुसा दी, तो अंकल उछल पड़े।

उन्होंने खाने की प्लेट टेबल पर रख दी।


दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़कर अपने लौड़े पर खींचने लगे।

अब अपना लौड़ा मेरे मुँह में डालकर मेरा मुँह चोद रहे थे।


मैं अपनी दो उंगलियों से उनकी गांड मार रही थी।

दोनों को मज़ा आ रहा था।


इस बार अंकल ज़्यादा देर चल न सके।

अपने वीर्य से उन्होंने मेरा मुँह भर दिया।

खड़े-खड़े अंकल काफी हाँफ रहे थे।


मैंने उन्हें उसी चेयर पर बिठाया।

उनका लौड़ा चाटकर पूरा साफ कर दिया।

मेरा तो पेट जैसे भर गया।


अंकल भी और ज़्यादा खा न सके।

फिर हम दोनों एक-दूसरे की आगोश में थोड़ी देर के लिए सो गए।

शाम को आंटी आने से पहले मैं घर चली गई।


सचमुच, अंकल ने मुझे जमकर चोदा था!


इसके बाद भी कई बार अंकल मुझे चोदते रहे।

फिर कभी मुझे पति के टूर पर जाने की वजह से हार्ड सेक्स के कारण चुदाई से महरूम नहीं रहना पड़ा।


वैसे, मैंने डिलीवरी बॉय या अनजाने मर्दों से भी खुद को चुदवाया है।

क्योंकि मैं बड़ी चुदक्कड़ हूँ!


लेकिन वह कहानी फिर कभी!

Hindi Sex Stories का मजा आपको आया होगा.

मुझे लिखें.

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