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बचपन में भाभी ने सेक्स करना सिखाया - Hindi Sex Stories

मैं विनू, २६ साल का हूँ। आज मैं आपको अपने पहले सेक्स अनुभव के बारे में बताना चाहता हूँ। बात तब की है जब मैं सिर्फ १५ साल का था और १० वीं क्लास में पढ़ता था। एक दिन जब मैं स्कूल से घर वापस आया तो देखा कि दो अजनबी लोग हमारे घर में बैठे थे। पता चला कि ये लोग हसबैंड-वाइफ हैं और सामने वाले घर में हमारे नए पड़ोसी बनकर आए हैं। जल्दी ही वो लोग हमसे घुल-मिल गए।


बाद में पता चला कि उन्होंने लव-मैरिज की थी जिसके बाद उनकी घरवालों से नहीं बनी इसलिए उन्हें घर छोड़कर किराए पर रहना पड़ा। भाभी गजब की सुंदर थीं। भैया को एक मार्केटिंग फर्म में सर्विस मिली थी। जिसकी वजह से उन्हें ज्यादातर बाहर ही रहना पड़ता था। कोई ठिकाना था नहीं सो अपने ही शहर में घर किराए पर लेकर रहने लगे।


जल्दी ही वो फिर अपनी ड्यूटी पर वापस चले गए। अब भाभी का ज्यादातर समय हमारे साथ ही गुजरने लगा। ३-४ दिन ही निकले होंगे कि एक रात को अचानक शोर मच गया “चोर-चोर”। पता लगा कि भाभी की छत पर से कोई कूद कर भागा है। भाभी से पूछा गया तो वो डर कर रोने लगीं कि उनके घर में कोई चोर घुस आया था।


मेरी मॉम उन्हें समझा कर घर ले आईं पर सवाल वही था कि अगर कोई चोर फिर आ गया तो। तय हुआ कि आज से भैया के आने तक मैं उनके घर पर सोया करूँगा। फिर मैं भाभी के साथ उनके घर पर चला गया। रात भर भाभी मेरे साथ चिपक कर सोईं। उस दिन के बाद से हमारी और अच्छी निभने लगी।


मैं रात को तो सोता ही था भाभी के पास, अब दिन में भी मेरा समय उनके साथ बितने लगा। मैं उनके घर के छोटे-मोटे काम कर दिया करता था और वो पढ़ाई में मेरी मदद करने के अलावा मेरे साथ गेम्स भी खेलती थीं। 6वीं में मैं अच्छे नंबरों के साथ पास हुआ। इसका क्रेडिट मैंने भाभी को दिया। सबने उनकी तारीफ की।


अब मेरी वेकेशंस शुरू हो चुकी थीं, मैं भाभी के साथ ज्यादा समय बिता सकता था। भाभी के घर में दो रूम थे, एक ड्रॉइंग रूम और दूसरा बेडरूम। एक रात को मेरी नींद अचानक खुल गई। ड्रॉइंग रूम में से किसी के कराहने की सी आवाज आ रही थी। मैं डर गया। बेड पर भाभी भी नहीं थीं।


दोनों कमरों के बीच में एक विंडो थी जिस पर मोटा पर्दा पड़ा था। डरते-डरते मैंने उसके पास जा कर हल्का सा पर्दा हटा कर देखा। कोई नहीं दिखा क्योंकि उधर अंधेरा था और इस तरफ नाइटलैंप जल रहा था। जब कुछ नहीं दिखा तो मैंने भाभी को आवाज दी। तुरंत उधर से आवाज आनी बंद हो गई। दूसरी तरफ से दरवाजा खुला और भाभी इधर आ गईं। बोलीं क्या हुआ विनू।


मैंने कहा कुछ नहीं, उधर आप क्या कर रही थीं। वो डर सी गईं, बोलीं कुछ नहीं। तुमने क्या देखा? मैंने कहा कुछ नहीं, उधर अंधेरा था, आपके रोने की सी आवाज आ रही थी। वो बोलीं मुझे तुम्हारे भैया को याद करके रोना आ रहा था, तुम जग न जाओ इसलिए मैं उधर रूम में चली गई। मुझे तसल्ली हो गई। और मैं सो गया।


पर दूसरे दिन भाभी सुबह को ही मुझसे फिर पूछने लगीं, तुमने क्या देखा था रात को। मेरे कई बार कहने पर उन्हें यकीन आया कि मैंने कुछ नहीं देखा। खैर फिर मैं घर चला गया। दोपहर में भाभी ने फिर आवाज दी विनू – “साबुन ला दो”। मैं उनके घर चला गया। वो किचन में थीं और आटा गूँध रही थीं। बोलीं तुमने किसी को बताया तो नहीं। मैं बोला– क्या बताया? वही रात वाली बात? नहीं बताई? क्या है भाभी आप भी बस बोर कर रही हो।


अब पूछा तो जरूर किसी को बता दूँगा। अरे नहीं मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही थी। मेरे लिए साबुन ला दोगे, मुझे नहाना है। ला दूँगा मैंने कहा, पैसे दो। वो बोलीं मेरे दोनों हाथ में आटा लगा है, तुम खुद ले लो। ठीक है मैंने कहा– पर पैसे हैं कहाँ। वो बोलीं थोड़ी ऊँची जगह पर हैं, निकाल लोगे? हाँ मैंने कहा अगर हाथ पहुँच गया तो जरूर निकाल लूँगा। तो निकाल लो उन्होंने कहा और नीचे बैठ गईं।


अब मेरी समझ में आया कि वो क्या कह रही हैं। मैं डर गया, नहीं भाभी आप हाथ धो कर दे दो। नहीं वो बोलीं तुमने कहा था कि तुम निकाल लोगे, अब निकालो। मैंने बहुत मना किया पर वो नहीं मानीं। आखिर मुझे उनके ब्लाउज में हाथ डालना ही पड़ा। पहली बार किसी लेडी के बूब्स मैंने टच किए थे।


मुझे कुछ डर तो लग रहा था पर अभी तक इसका मतलब नहीं पता था। मुझे सेक्स के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं थी पर उनके बूब्स टच करते हुए कुछ अजीब लग रहा था। मैंने बीच में हाथ डाला पर पैसे नहीं मिले। वो बोलीं बीच में नहीं साइड में हैं। मैंने पूछा– किस साइड में? पता नहीं वो बोलीं देख लो। बीच में से गिर जाते हैं इसलिए साइड में रखे थे, किस साइड में याद नहीं देख लो।


मैंने जैसे-तैसे पैसे निकाले और जल्दी से सोप लेने चला गया। बहुत अजीब सा लग रहा था। खैर सोप ले के आया तो भाभी कहीं दिखाई नहीं दीं, मैंने आवाज दी तो उनकी आवाज बाथरूम से आई विनू सोप यहाँ दे दो। मैं सोप ले कर बाथरूम के बाहर पहुँचा। दरवाजा खुला था, वो सिर्फ अंडरवियर और ब्रा में थीं।


मैंने नजर झुका ली। वो बोलीं विनू रैपर उतार दो। मैंने रैपर उतार कर सोप उन्हें दी और कहा घर जा रहा हूँ। पर वो बोलीं मैं नहा रही हूँ, दरवाजा खुला पड़ा है। प्लीज मेरे नहाने तक रुक जाओ। मैंने बाहर का दरवाजा बंद किया और लॉबी में बैठ गया। पर जरा देर में ही भाभी ने फिर पुकारा विनू मेरी पीठ पर साबुन लगा दोगे प्लीज।


“उफ़” मैंने कहा आता हूँ भाभी। मैं बाथरूम में गया, वो बैथटब में लेटी थीं, मैं पहुँचा तो बैठ गईं। मैं पीछे बैठ कर उनकी पीठ पर साबुन लगाने लगा। पर वो और उचक कर बैठ गईं और हाथ ऊपर कर लिए कि बगलों में भी लगा दो, उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैंने सोप उनके हाथ में दे दी और बाहर चला आया, वो आवाज देती ही रही।


थोड़ी देर में वो गाउन पहन कर बाहर आईं और मुस्कुराते हुए बोलीं कितना शरमाता है। शादी हो जाएगी तो क्या करेगा। नहीं करूँगा शादी मैंने कहा और चला आया। पर शाम को ही उन्होंने मुझे बुलाया और बोलीं आइसक्रीम खाने का मन हो रहा है, ले आओ दोनों खाएँगे। मैं खुश हो गया क्योंकि आइसक्रीम मुझे भी अच्छी लगती थी। पर पैसे की बात फिर वही आ गई।


बोलीं निकाल लो पैसे। पर आज तो आपके हाथ खाली हैं। तो क्या हुआ वो बोलीं कल भी तो निकाले थे। आज भी निकाल लो। नहीं मैंने कहा आप दे दो। तो फिर रहने दो आइसक्रीम वो बोलीं, मैं चलने लगा तो बोलीं मैं आंटी से कह दूँगी कि कल इसने मेरे ब्लाउज में हाथ डाल कर पैसे निकाले थे। अब मैं डर गया।


मॉम से शिकायत मतलब पिटाई। क्या मुसीबत है मैंने उनके ब्लाउज में हाथ डाला और पैसे निकाल लिए। अब तो ये लगभग रोज ही होने लगा, उन्हें जब भी कुछ मँगाना होता मैंने सामने बैठ जाती। और मैं पैसे निकाल लेता। मेरी ७वीं की पढ़ाई चल रही थी। भाभी मुझे अक्सर पढ़ाती भी रहती थीं।


पर अब वो मस्ती कुछ ज्यादा ही करने लगी थीं। भैया बीच-बीच में आते रहते थे। एक बार वो रात को आए। मैं सोया था पर मुझे नींद में लगा कि कोई है। पता नहीं वो कब आ गए थे। मुझे गोद में लिए हुए थे, भाभी कह रही थीं ड्रॉइंग रूम में लिटा दो, रात में बेचारा कैसे घर तक जाएगा।


और भैया ने मुझे ड्रॉइंग रूम में सोफे पर लिटा कर दरवाजा बंद किया और वापस आ गए। फौरन ही मेरी नींद खुल गई। अंधेरे में मुझे डर लगने लगा। पर डर के मारे उठ नहीं पाया और न ही भाभी को आवाज दे पाया। उनके बेडरूम से लाइट और उनके हँसने की आवाजें आ रही थीं।


मैंने उठ कर विंडो से पर्दा हल्का सा हटाया लाइट के लिए और अपनी आँखें बंद करके लेट गया। पर चैन नहीं आया, फिर थोड़ी देर में उठा और उधर देखने लगा। भैया सिर्फ अंडरवियर में थे और भाभी ने कुछ भी नहीं पहना था। भैया भाभी का दूध पी रहे थे मतलब भाभी के बूब्स चूस रहे थे और भाभी हँस रही थीं। मैं फिर लेट गया।


फिर थोड़ी देर बाद देखा तो भैया भाभी के ऊपर लेट कर कूद रहे थे। ये सब नया अनुभव था मेरे लिए, बड़ी देर में नींद आई। अगले दिन भैया ने ही उठाया, बड़े प्यार से बातें करते रहे। मैं जवाब देता रहा पर दिमाग में रात की ही बातें घूम रही थीं। फिर मैं घर चला गया। पर वहाँ भी और स्कूल में भी मुझे रात वाली बात याद आती रही।


मैं सोच रहा था कि जब भैया जाएँगे तो भाभी से पूछूँगा। वो ही बताएँगी इस बारे में। पर भैया भी पूरे ५ दिन के बाद वापस गए। तब तक मैं घर पर ही सोया। ५वें दिन जब मैं स्कूल से आया तो पता चला भैया चले गए हैं और भाभी ने मुझे बुलाया है। मैं सीधे वहीं चल पड़ा, मॉम ने खाने को कहा तो मैंने कहा भाभी के साथ ही खा लूँगा।


मॉम कुछ बोलती रही और मैं भाभी के घर पहुँच भी गया। उनके साथ ही खाना खाया। मुझे फिर वही बात याद आने लगी, मैंने हिम्मत करके पूछ लिया भाभी छोटे बच्चे तो अपनी मॉम का दूध पीते हैं क्या बड़े लोग भी पीते हैं। नहीं तो उन्होंने कहा। फिर उस दिन भैया आपका दूध क्यों पी रहे थे।


अब वो चौंकीं, बोलीं तुम्हें कैसे पता? मैंने देखा था। कब? उन्होंने पूछा। तब मैंने बताया फिर उन्होंने मुझसे सारी बातें पूछी कि मैंने क्या-क्या देखा। मैंने सब बता दिया। वो पूछने लगीं कि मैंने किसी को बताया तो नहीं। मेरे मना करने पर वो कहने लगीं ये बातें किसी को बताई नहीं जातीं, लोग बड़े हो कर समझ जाते हैं। इसलिए किसी से इस बारे में बात नहीं करना।


ठीक है मैंने कहा। पर उसके बाद भी मुझे चैन नहीं आ रहा था, वही सब कुछ याद आता रहता था। खैर किसी तरह कुछ दिन बीते होंगे, एक रात को अचानक मेरी नींद खुल गई। कुछ अजीब सा लग रहा था। देखा भाभी का हाथ मेरे अंडरवियर के अंदर था और मेरे पेनिस को सहला रहा था। मैं चौंक कर उठ गया। ये क्या कर रही हो भाभी।


वो भी अचानक हड़बड़ा गईं, बोलीं देख रही थी कि तुम्हें टॉयलेट तो नहीं जाना। ओफो ये कौन सा स्टाइल होता है टॉयलेट देखने का। मुझे जगा लिया होता मैंने कहा तो वो बोलीं तुम्हारी नींद खराब हो जाती, मैंने सोचा मैं देख लूँ अगर तुम्हें टॉयलेट आ रही होगी तो जगा दूँगी। पर आपको कैसे पता चलता कि मुझे टॉयलेट जाना है मैंने पूछा।


भाभी बोलीं अगर तुम्हें टॉयलेट आ रही होती तो तुम्हारा ये सु-सु टाइट हो जाता। मैंने गौर किया वो सही कह रही थीं। फिर भी अब तक उनका हाथ मेरे अंडरवियर के अंदर ही था, मैंने कहा अब तो अपना हाथ निकालो मैं जग चुका हूँ। और आगे से मुझे जगा लिया करना इस तरह मत करना।


पर ३-४ दिन ही बीते होंगे कि एक रात को फिर वैसे ही मेरी आँख खुली, आज भी भाभी का हाथ मेरे अंडरवियर में था। मैंने उस दिन उन्हें बहुत झिड़का। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए, मुझे जगा लिया करो। उन्होंने सॉरी कहा तब मैं सोया पर वो अपनी हरकतों से बाज आने वाली नहीं थीं। एक हफ्ता गुजर गया।


उन्होंने रात को मुझे परेशान नहीं किया पर फिर एक दिन मेरे अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को सहला रही थीं और आज तो मेरा लंड भी टाइट होने लगा था। मैं काफी देर तक ऐसे ही पड़ा रहा, मुझे भी मजा आ रहा था। पर थोड़ी देर बाद मुझसे सहना मुश्किल हो गया तो मैं फिर उठ बैठा, उन्हें झिड़का तो वो मासूमियत से बोलीं मैंने हाथ अंदर कहाँ डाला, मैं तो ऊपर से ही देख रही थी।


मुझे हँसी आ गई, कितनी देर से देख रही थीं आप। मैं मॉम से शिकायत कर दूँगा। फिर उन्होंने मेरे लंड को टच करना बंद कर दिया। पर वो मुझे छेड़ने से बाज नहीं आती थीं। कभी अपने ब्लाउज में से पैसे निकलवाने के बहाने से हाथ ब्लाउज में डलवाती और जब मेरा हाथ अंदर होता तो मेरा निक्कर नीचे खींच देतीं, कभी बैठे से उठ कर खड़ी हो जातीं.


मेरा हाथ ब्लाउज में फँस कर ही रह जाता, इस सब में १-२ बार उनके ब्लाउज के बटन भी टूट गए और उनके बूब्स काफी दिख भी जाते थे पर मैं फौरन नजर घुमा लेता था, कभी बाथरूम में बुला कर पीठ पर साबुन लगाने के बहाने मुझे अपने हाथ-पाँव ऊपर तक दिखा देती थीं। पर मैं इग्नोर करता रहता था।


लेकिन अब मुझे भी मजा आने लगा था। स्कूल में दोस्तों के साथ भी ऐसी ही बातें होती रहती थीं। पर मैंने उन्हें कभी भाभी के बारे में नहीं बताया। हाँ अब मैं लंड-चूत का फर्क समझने लगा था पर मैं इनका यूज़ नहीं जानता था। बस सेक्स की नॉलेज आती जा रही थी। मेरा लंड अब अक्सर टाइट हो जाता था। और मैं इसका मतलब समझ नहीं पाता था।


पर भाभी जैसे कुछ समझने को तैयार ही नहीं थीं। मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर वो चाहती क्या हैं। उन दिनों गर्मी के दिन थे। सबकी हालत गर्मी से खराब थी। भाभी रात को कम से कम कपड़ों में सोया करती थीं। मेरी आँख रात को खुल जाती तो मैं आँखें फाड़-फाड़ कर उनका जिस्म देखता रहता था।


१-२ बार उनकी नींद भी खुल गई, उन्होंने देखा तो मैं फौरन ऐसे टॉयलेट की तरफ चल देता जैसे अभी उठा हूँ। उस दिन काफी गर्मी के बाद शाम से बारिश होनी शुरू हो गई थी। मॉम ने मुझे जल्दी ही भाभी के घर भेज दिया ताकि बारिश तेज होने से मैं भीग न जाऊँ। मैं भाभी के घर पहुँचा तो वो बोलीं मैं तुम्हारा ही वेट कर रही थी कि तुम आ जाओ तो मैं नहा लूँ वरना दरवाजा कौन खोलता।


मैंने कहा मैं आ गया हूँ आप नहा लो। उन्होंने अपनी मैक्सी वहीं उतार दी। मैं एकदम चौंक गया, मैंने कहा ये आप क्या कर रही हो, वो बोलीं मैं नहाने जा रही हूँ। मैंने कहा कपड़े यहाँ क्यों उतार रही हो। वो अब अपना ब्लाउज उतार रही थीं। मेरा लंड टाइट हो रहा था। वो तो अच्छा था कि मैं लंबी टी-शर्ट पहना था।


उन्होंने ब्लाउज भी उतार दिया। अब वो ब्रा और पेटीकोट में थीं। मैं फौरन उठ कर लॉबी में आ गया, बाहर बारिश हो रही थी। तभी भाभी भी आ गईं, वो ब्रा और पैंटी में थीं। उफ़ मैं बेचैन हो रहा था। वो मुस्कुराईं- बोलीं मैं बारिश में नहाने जा रही हूँ, तुम नहाओगे? मैंने मना किया तो वो जबरदस्ती मुझे बारिश में खींचने लगीं। मैं समझ गया नहाना ही पड़ेगा।


फिर भी मैंने बहाना किया मेरे पास कपड़े और नहीं हैं, ये भीग जाएँगे तो क्या पहनूँगा। वो बोलीं मेरी पैंटी पहन कर नहा लो फिर अपना निक्कर पहन लेना। नहीं मैंने मना कर दिया। पर वो मानी नहीं, बोलीं तो ऐसे ही नहा लो बाद में देखेंगे क्या पहनना है। नहीं मैंने विरोध किया तो उन्होंने टॉवल दे दी, बोलीं ये पहन लो नहाने के बाद अपने कपड़े वापस पहन लेना।


उनकी जिद से हार कर मैंने अंदर रूम में जा कर कपड़े उतारे और टॉवल लपेट कर बाहर आ गया। भाभी रूम के बाहर ही खड़ी थीं, बोलीं चलो बाहर चले। वो और मैं डालान में आ गए जहाँ बारिश काफी तेज हो रही थी। काफी देर तक हम नहाते रहे, वो बार-बार मेरे बदन पर अपना हाथ रगड़ देती थीं। और कभी मुझसे बिलकुल चिपक जाती थीं।


मुझे अजीब सा फील हो रहा था। अचानक उन्होंने मेरा टॉवल खींच लिया। मैं बिलकुल नंगा हो गया। “भाभी” मैं चीख पड़ा। पर वो हँस दीं। मैं दोनों हाथ से अपना लंड पकड़े खड़ा था, झुका हुआ। वो बोलीं ले लो टॉवल। मैंने कहा वापस दो वरना मैं बात नहीं करूँगा। वो पास आईं, मैं समझा टॉवल वापस करने आई हैं।


पर उन्होंने पास आ कर मेरी चूतड़ के बीच में अपना हाथ फिरा दिया। शर्म से मैं लाल हो गया। भाभी टॉवल वापस दो ना। कितना शरमाता है। ये ले टॉवल। उन्होंने टॉवल वापस मेरी तरफ फेंक दिया। मैं जल्दी से टॉवल की ओर भागा। जब तक टॉवल उठा कर लपेटी, देखा भाभी ने अपनी ब्रा उतार दी थी और दालान में ही लेट गई थीं।


उनके बूब्स ऊपर उठे हुए थे और पानी उन पर गिर रहा था। कुछ देर मैं देखता रह गया, अचानक उन्होंने मेरी तरफ देखा तो जैसे अक्ल आई और मैं अंदर की तरफ भाग गया और रूम बंद कर लिया, भाभी कहती रह गईं कि रूम भीग जाएगा। पर मैं अंदर घुस कर डोर बंद कर चुका था। कपड़े पहन कर मैं बाहर आया, भाभी अभी भी दालान में नहा ही रही थीं। बोलीं तुम तो इतनी जल्दी भाग गए।


मैंने कहा आपने मजबूर किया। वो बोलीं मैंने क्या किया, नहाना है तो कपड़े पहन कर कौन नहाता है। वो बहुत देर तक नहाती रहीं फिर बारिश कम हो गई और अंधेरा भी होने लगा था, बोलीं अच्छा टॉवल तो दे दो अब मैं नहा चुकी हूँ। मैंने बाहर जा कर टॉवल दिया तो मुझे लगा कि वो कुछ भी नहीं पहनी हैं। बिलकुल नंगी हैं।


उन्होंने टॉवल पकड़ने के लिए कदम बढ़ाया तो साफ लगा वो कुछ नहीं पहनी थी। मैंने जल्दी से टॉवल उनके ऊपर फेंका और अंदर आ गया। “शर्मिला टैगोर का भाई” भाभी की आवाज आई। मैं बेडरूम से किचन में चला गया और भाभी बाथरूम में। मैंने खाना लगाया और लॉबी में टेबल पर आ गया, जल्दी ही वो भी आ गईं, उन्होंने मैक्सी पहनी हुई थी। मुझे कुछ तसल्ली हुई। हमने खाना खाया और सो गए।


अगले दिन भाभी की हालत खराब थी, उन्हें सर्दी हो गई थी। और नहाओ बारिश में मैंने कहा और चला आया, मॉम को बता दिया कि भाभी की तबीयत खराब हो गई है। उस रात फिर मॉम ही भाभी के पास रुकीं। मैं घर पर पापा के पास। अगली रात को फिर मुझे ही भाभी के पास जाना था, उनका नंगा बदन बार-बार मेरी आँखों के सामने कौंध जाता था।


खैर मैं भाभी के घर गया, खाना अपने साथ ले कर गया जो मॉम ने बना कर दिया था। मैंने और भाभी ने खाना खाया, वो ठीक लग रही थीं पर बीच-बीच में कराहती जाती थीं। दर्द हो रहा है मैंने पूछा। हाँ वो बोलीं पीठ, सर और सीने में काफी दर्द है। खाना खा कर हम लेट गए पर वो कराह रही थीं।


मैंने पूछा “दवा ली?” वो बोलीं हाँ कल तुम्हारी मॉम ने विक्स लगा दी थी काफी आराम मिला था। तो आज भी लगा लो मैंने कहा। वो बोलीं पीठ पे कैसे लगाऊँ। लाओ मैं लगा देता हूँ-मैंने कहा। उन्होंने विक्स दी। पर वो गाउन पहने थीं, विक्स लगती कैसे। मैंने पूछा कैसे लगाऊँ। वो मुस्कुरा दीं। उन्होंने गाउन उतार दिया।


अब वो ब्लैक ब्लाउज और पैंटी में थीं। बोलीं ब्लाउज भी उतार देती हूँ वरना ब्लाउज में ही लग जाएगी। मैंने मुँह घुमा लिया। वो बोलीं लगा दो। मैंने देखा वो उल्टी लेटी थीं और उनकी पीठ पर अभी ब्लैक ब्रा बाकी थी। मैंने लंबी साँस ली और विक्स लगाने लगा पीठ पर। पर हाथ बार-बार ब्रा की स्ट्रिप से उलझ जाता था।


भाभी बोलीं अभी स्ट्रिप खोल दो, विक्स लगाने के बाद वापस बाँध देना। स्ट्रिप मैंने खोल दी पर उनकी पूरी नंगी पीठ देख कर मेरा लंड फिर सर उठाने लगा। मैंने किसी तरह उसे रोका और विक्स लगाने लगा पर अभी मैं पूरी तरह लगा भी नहीं पाया था कि भाभी ने अचानक करवट ले ली। अब वो सीधी लेटी थीं, उनकी ब्रा भी खुली हुई थी। पर एक साइड से उनके बूब से चिपकी हुई थी। पर एक बूब उनका साफ दिख रहा था।


मैंने झटके से उनके चेहरे की तरफ देखा, वो शायद सो गई थीं और नींद में ही उन्होंने करवट ले ली थी। पर उनके बूब का मैं क्या करता, बार-बार आँख उसी तरफ चली जाती थी। दिल कह रहा था वो तो सोई हुई हैं फिर क्या डर है। पर मैं जीता, मैंने उनकी ब्रा उठा कर उनके बूब पर रखी ही थी कि उन्होंने ऐसा मुँह बनाया जैसे छींक आ रही हो पर आई नहीं.


उन्होंने आँख खोली बोलीं – विनू प्लीज सीने और गले पर भी विक्स मल दो कहते हुए उन्होंने अपनी ब्रा उठा कर साइड में रख दी और आँखों पर कलाई रख ली। उफ़ क्या पोज था। मैं एकदम देखता ही रह गया। वो फिर कराह रही थीं। प्लीज विनू मल दो बहुत दर्द हो रहा है। हार कर मैंने उनके गले पर विक्स लगाई, वो बोलीं सीने पे भी लगा दो।


मैंने ऊपर ऊपर से ही लगा दी तो वो बोलीं दोनों के बीच में भी लगा दो। उनकी बूब्स की दोनों चोटियाँ खड़ी हुई थीं। लेटे होने पर भी ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी पर्वत की तरह से खड़ी हो। मैं विक्स लगाने लगा तो मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा। मैंने भाभी के चेहरे की ओर देखा, वो वैसे ही आँखों पे हाथ रखे लेटी थीं।


मैंने बनियान ऊपर उठा कर अपने लंड को सीधा करना चाहा पर तभी उन्होंने आँख पर से हाथ हटा लिया और बोलीं क्या कर रहे हो? मैं डर गया बोला – “कुछ नहीं”। “कुछ तो”-वो बोलीं। ये क्या कर रहे हो कहते हुए उन्होंने निक्कर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया। अरे ये तो बहुत टाइट हो रहा है वो दबाते हुए बोलीं।


मैं हक्का-बक्का था। होश आया बोला छोड़ो मुझे टॉयलेट जाना है जोर से आ रही है। ओह वो बोलीं सुसु आ रही है, हाँ मैंने कहा अब मेरा लंड ढीला होने लगा था पर उन्होंने छोड़ा नहीं था। पकड़े हुए ही बोलीं सुसु जाना है सच में। हाँ मैंने कहा आप छोड़ो न इसे। वो बोलीं नहीं तुम झूठ बोल रहे हो तुम्हें टॉयलेट नहीं जाना है।


मैंने कहा आपको कैसे मालूम कि मुझे नहीं जाना है। वो बोलीं अगर तुम्हें टॉयलेट आ रही होती तो तुम्हारा सुसु लूज नहीं होता। उन्होंने अभी तक मेरा लंड छोड़ा नहीं था, पकड़े ही हुई थीं निक्कर के ऊपर से ही। नहीं मैंने कहा मुझे सच में टॉयलेट जाना है। ठीक है उन्होंने मेरा लंड छोड़ दिया। चलो तुम्हें टॉयलेट करा दूँ। “करा दूँ मतलब” मैं खुद कर आऊँगा। आप कपड़े पहन लो मैंने कहा।


पर वो बोलीं नहीं कपड़े तो अब तुम्हें टॉयलेट कराने के बाद ही पहनेंगे। चलो निक्कर उतारो। नहीं मैं कर आऊँगा। पर वो नहीं मानी बोलीं चुपचाप उतार दो वरना मुझे जबरदस्ती करनी पड़ेगी। पर मैं कैसे मान जाता। मैं उठने लगा आप ऐसे ही करती हो मैं आपसे बात नहीं करूँगा। पर उन्होंने मुझे फौरन पकड़ लिया।


जबरन मुझे बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गईं बोलीं मुझसे झूठ बोल रहे हो। अब देखती हूँ कितनी टॉयलेट आ रही है तुम्हें, निक्कर छोड़ दो वरना फट जाएगा। उन्होंने मेरे हाथ अपने पैरों के नीचे दबा लिए और जबरदस्ती मेरा निक्कर उतार लिया और मेरा लंड पकड़ कर बोलीं अभी इतना टाइट था अब इतना लूज है। झूठ बोल रहा है कि सुसु आ रही है। चलो अब सुसु करने।


कह कर वो मेरे ऊपर से हट गईं। पर मेरा लंड नहीं छोड़ा। बोलीं चलो बाथरूम में। पर मेरा लंड तो छोड़ो मैं चिल्लाया। “ओहो तो इसे लंड कहते हैं”। अब तो मैं और भी घबरा गया। भाभी प्लीज छोड़ो ना। पर वो नहीं मानी बोलीं अब तो तुम्हारा लंड तभी छूटेगा जब तुम टॉयलेट करने चलोगे।


“उफ़ चलो” मैंने अपनी बनियान नीचे करते हुए कहा अब तो छोड़ दो। वो बोलीं बाथरूम में। मेरा लंड खींचते हुए वो उल्टी चल दीं, मैं भी साथ-साथ चल दिया। उसके बूब्स तने हुए थे। क्योंकि वो मेरा लंड पकड़े उल्टी चल रही थी इसलिए उसके बूब्स बिलकुल मेरे सामने थे।


वो मेरे लंड को हाथों में दबाए तो थी ही साथ ही उसे सहलाती भी जा रही थी इसलिए मेरा लंड फिर से टाइट तन गया। उन्होंने मेरा लंड देखा और बोलीं अभी से ये इतना बड़ा है जब तुम और बड़े होगे तो कितना बड़ा हो जाएगा। मैं लंड छुपाने लगा तो बोलीं लगता है टॉयलेट तुम्हें जोर से आ रही है जल्दी चलो।


मैं टॉयलेट की तरफ बढ़ा तो उन्होंने मुझे बाथरूम की तरफ खींच लिया। मैंने कहा भाभी टॉयलेट जाना है। वो बोलीं बाथरूम में करना। मैंने कहा- बाथरूम में? वहाँ तो बाथ लेते हैं। वो बोलीं टॉयलेट भी कर लेते हैं, अब चलो.और वो मुझे ले कर बाथरूम में घुस गईं। मेरा निक्कर उनके हाथ में था। बाथरूम में अंदर ले जा कर उन्होंने मेरा लंड छोड़ा तो मैंने चैन की साँस ली।


पर इतनी देर में उन्होंने दरवाजा बंद करके चिटकनी लगा दी और मेरा निक्कर शावर की रॉड पर लटका दिया, जहाँ मेरा हाथ नहीं पहुँच सकता था। मैंने अपना लंड अपने हाथों के बीच में छुपा लिया। उन्होंने मेरी तरफ देखा, मुस्कुराईं और बोलीं– अब पेशाब नहीं आ रही क्या? जो अपना, क्या कहते हैं इसे? “हाँ लंड”। अपना लंड हाथों में छुपाए खड़े हो। मुझे बड़ी शर्म आ रही थी।


मैंने कहा आप जाओ मैं आता हूँ। पर वो मेरे और पास आ गईं। बोलीं तुम झूठे हो मैं जानती हूँ तुम्हें सुसु नहीं आ रही है। अब कर के दिखाओ कहते हुए उन्होंने अपना हाथ मेरे हिप्स के बीच में कर दिया और मेरी गांड को सहला दिया। मैं जैसे काँप सा गया। “भाभी” चिल्लाते हुए मैंने उनके बूब्स को नोच लिया क्योंकि वो मेरे एकदम सामने थे।


“आह” उन्होंने सिसकारी ली और बोलीं आज तुम्हें सुसु किए बगैर जाने नहीं दूँगी। चलो सुसु करो आ रही है ना कहते हुए वो मेरे आगे बैठ गईं और मेरे दोनों हाथ जबरदस्ती मेरे लंड पर से हटा दिए। मेरा लंड फुट से बाहर आ कर तन गया। उन्होंने फौरन उसके ऊपर एक चुम्मा दिया और बोलीं करो पेशाब वरना आज तुम यहीं बंद रहोगे ऐसे ही।


अब मैं डर और गया। मैंने कहा आप इसे छोड़ो तो सुसु करूँ ना। भाभी ने हँसते हुए मेरा लंड छोड़ दिया बोलीं करो। पर आप सामने से तो हटो मैं बोला। वो मेरे पीछे आ गईं अपने बूब्स मेरे कंधों पर टिका दिए और बोलीं अब करो मैं देखूँगी तुम्हें सु-सु आती भी है या नहीं। मैंने कहा आप हटो मैं नाली पर कर लूँगा पर वो बोलीं यहीं करो।


मैंने कहा यहाँ बीच बाथरूम में? वो बोलीं हाँ यहीं। उफ़ माँ, मैं साँस भर कर रह गया। उन्होंने फिर से मेरा लंड पकड़ लिया और बोलीं तुम बहुत देर से बहाने कर रहे हो चलो अब सुसु करो कहते हुए उन्होंने मेरे लंड की खाल पीछे को खींच ली। अब मेरा लंड और कस कर बाहर आ गया। वो बोलीं करो।


मैंने पूरी कोशिश की पर पेशाब तो वाकई में आ ही नहीं रही थी। १०-१२ बूँदें टपक कर रह गईं। बस इतनी ही वो बोलीं और फिर मेरे आगे आ गईं। उन्होंने मेरे लंड को झटका सा दिया, कुछ बूँदें उनके ऊपर जा गिरीं। वो बोलीं- “हाई-हाई” तुम्हारी पेशाब मेरे ऊपर आ गई है साफ करो। मैंने कहा आप मेरे आगे आई ही क्यों? अब मैं साफ नहीं करूँगा आप खुद ही करो।


उन्होंने घूर कर मुझे देखा और फिर मुस्कुरा कर अपने बदन पर हाथ फिराया और मेरी सुसु अपने पूरे बदन पर रगड़ ली.मैं देखता ही रह गया। अब भी उन्होंने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ा हुआ था। मेरा लंड फुल टाइट था और मस्ती से तनतना रहा था। वो बोलीं ये अभी तक इतना टाइट क्यों है।


पता नहीं मैंने कहा और इसके साथ ही मेरा लंड सिकुड़ना शुरू हो गया। वो बोलीं लगता है तुम्हारी सुसु खत्म हो गई पर अब मुझे सुसु आ रही है। मैंने कहा मेरा निक्कर दे दो फिर आप सुसु कर आना। वो बोलीं नहीं अभी नहीं पहले मैं भी सुसु कर लूँ। चलो मेरी पैंटी उतारो। नहीं, मैं पीछे हटने लगा पर हट कैसे सकता था उन्होंने मेरा लंड सख्ती से पकड़ रखा था।


बोलीं उतारो वरना मैं तुम्हारा लंड नहीं छोड़ूँगी। तुम भी देखो सुसु कितनी की जाती है। मैंने कहा आप उतार लो मैं खड़ा तो हूँ पर वो नहीं मानी, हार कर मुझे उनकी पैंटी उतारनी ही पड़ी, मैं उनकी पैंटी नीचे की ओर सरका रहा था और वो मेरे लंड को पकड़े हुए खड़ी थी बिलकुल ऐसे कि उनके बूब्स मेरे मुँह से लग रहे थे।


खैर मैंने पैंटी उतार दी तो वो मेरे लंड को पकड़े हुए वहीं बैठ गईं और पेशाब करने लगीं बोलीं देखो ऐसे करते हैं सुसु। मैं पहली बार किसी औरत को पेशाब करते देख रहा था। पेशाब बाहर आने का रास्ता देखते ही मुझे फिर से शर्म आई और मैं पीछे हटा ही था कि भाभी मेरा लंड पकड़े हुए खड़ी हो गईं।


वो अभी भी सुसु कर रही थीं, सारी सुसु उनके पैरों पर आ कर बहने लगी। वो बोलीं ये तुमने क्या किया। मैंने कहा- क्या किया मैंने आप खुद खड़ी हुई। वो बोलीं तुम पीछे हुए तो मुझे खड़ा होना पड़ा। मैं उनकी सुसु देख रहा था जो एक छेद से निकल कर उनके पैरों से बहती हुई नीचे गिर रही थी। फिर उन्होंने सुसु करनी बंद कर दी। अब तो छोड़ दो मेरा लंड अब तो आप भी सुसु कर चुकीं मैंने लगभग चिल्लाते हुए कहा।


उन्होंने मेरा लंड छोड़ दिया। मैं अपने निक्कर की तरफ बढ़ा पर वो ऊपर लटका हुआ था मेरा हाथ नहीं पहुँच सकता था। मेरा निक्कर दो भाभी- मैंने कहा। वो बोलीं देती हूँ पहले सु-सु तो धो लो। मैंने जल्दी से हाथ धोए और बोला अब लाओ निक्कर। “और लंड नहीं धोओगे”-वो बोलीं। गंदा रह जाता है ऐसे चलो यहाँ आओ।


मैं फिर वॉशबेसिन की ओर बढ़ गया। जैसे ही मैंने पानी के लिए वॉशबेसिन में हाथ डाला उन्होंने फिर से मेरा लंड पकड़ लिया बोलीं तुम पानी डालो मैं धो देती हूँ। मैंने कहा नहीं मैं धो लूँगा। वो बोलीं सही से साफ नहीं होगा मैं धो देती हूँ। मेरे पास कहने को कुछ नहीं था, जान गया था वो वही करेंगी जो उनके मन में है।


सो पानी अपने लंड पर डालने लगा और वो उसे धीरे-धीरे रगड़ने लगीं। मेरे लंड में फिर से सख्ती आने लगी। वो बोलीं लगता है फिर से सुसु आ रही है। मैं शर्मा गया बोला नहीं आ रही है। पर ये तो फिर से टाइट हो रहा है वो बोलीं। मैंने कहा पता नहीं क्यों टाइट हो रहा है। वो बोलीं मैं बता दूँगी क्यों टाइट हो रहा है।


कहते हुए उन्होंने मेरा लंड छोड़ दिया और बोलीं अब मैं पानी डालती हूँ तुम साफ करो। ये साफ हो चुका है भाभी मैं बोला। वो बोलीं ये तो साफ हो चुका है पर अभी ये रह गई है। उन्होंने अपनी चूत की तरफ इशारा किया। बोलीं चलो तुम इसे साफ करो। मेरे लाख मना करने फिर भी वो नहीं मानी और मुझे उनकी चूत साफ करने को तैयार होना पड़ा।


उन्होंने हाथ में पानी भर कर अपने पेट पर डाला। जो बहता हुआ उनकी चूत तक आ गया। मैंने जल्दी से उनकी चूत पर हाथ फिराया और बोला हो गई साफ अब चले। वो बोलीं अभी कहाँ हुई, क्या मैंने ऐसे ही साफ किया था तुम्हारा लंड? ठीक से साफ करो वरना निक्कर नहीं मिलेगा और आज यहीं बंद रहोगे मेरे साथ।


“ओफो” डालो पानी, कर रहा हूँ साफ- कहते हुए मैंने अपना हाथ फिर से उनकी गीली चूत पर रख दिया। वो मुस्कुराईं और पानी डालने लगीं। बोलीं- अभी से सीख जाओगे तो अपनी बीवी की चूत भी सही से साफ कर सकोगे। मैंने जल्दी-जल्दी चूत पर हाथ फिराया, इसी बीच मेरी उँगली उसके चूत के छेद में भी चली गई। हाँ यहीं पर रगड़ के साफ करो- वो बोलीं।


अब मुझे भी मजा आ रहा था। मैं मजे से अपनी उँगली उसकी गीली चूत में घुमाने लगा। थोड़ी देर बाद मैं बोला- अब बहुत हो गया भाभी, अब चलो। उसने अपनी पैंटी वहीं पर छोड़ दी और दरवाजे की तरफ चल दी। मैंने कहा भाभी मेरा निक्कर तो दे दो। उसने मेरा निक्कर उठाया, दरवाजा खोला और बाहर चल दी। मैंने कहा भाभी कुछ पहन तो लो और मेरा निक्कर दो मैं भी पहन लूँ।


उसने कहा- मेरी पैंटी गीली हो चुकी है, अंदर जा कर पहन लूँगी। मैंने कहा मेरा निक्कर तो दे दो। उसने कहा अभी गीले हो पहले टॉवल से पोंछ कर सुखा तो लो। नहीं रहने दो, मैं ऐसे ही पहन लूँगा- मैं बोला। पर वो बोलीं- नहीं इस तरह से मेल जमा हो जाता है। पहले सुखा लो। पर मुझे बाथरूम से बाहर आते हुए शर्म आ रही थी।


क्योंकि बाथरूम लॉबी के बाहर बना था। और रूम तक खुले आसमान के नीचे से हो कर जाना पड़ता था। पर जब वो मेरा निक्कर ले कर चली गई तो मैं वहाँ नंगा खड़ा हुआ क्या कर सकता था। मेरा लंड मुरझाया हुआ लटका था। पर जैसे ही मैं भाभी के बूब्स और चूत के बारे में सोचने लगा, फिर से तनतनाने लगा।


मुझे लगा जैसे मैंने कुछ मिस कर दिया, मुझे भाभी की चूत को और सहलाना चाहिए था और उनके बूब्स का दूध पीना चाहिए था। पर अब तक तो भाभी कपड़े पहन चुकी होगी। ये सोचते हुए मैं बाथरूम से बाहर निकला तभी भाभी जो कि बाथरूम की दीवार से छिपी खड़ी थी मेरे पीछे आ गई और मेरे चूतड़ों के बीच में हाथ फेर दिया।


मैं चिहुँक गया- क्या करती हो भाभी? वो बोलीं चलो रूम में, सुखाने के बाद निक्कर पहन लेना। वो अभी तक नंगी ही खड़ी थी। इस बार मैंने जों नजरें उठाई तो उनके बूब्स पर ही जम गईं। कितने बड़े-बड़े थे और आगे निप्पल्स ऐसे लग रहे थे जैसे खरबूजों में अलग से तो लंबे मोटी लगा दिए हों। जी चाहा खींच लूँ उनको। पर ऐसा कर नहीं पाया।


फिर भाभी और मैं बेडरूम में गए। हम दोनों ही लगभग सूख चुके थे। मैंने फिर निक्कर की माँग की तो भाभी बोलीं- ऊपर से सूख चुके हैं पर अभी नमी है उसे सुखाने के बाद ही पहनना। मुझे भी अब ऐसे ही मजा आ रहा था। भाभी बोलीं बेड पर लेट जाओ पहले मैं तुम्हारा लंड सुखा देती हूँ। फिर तुम मेरी चूत को सुखा देना।


मैं जानता था कि मेरे कहने से कुछ नहीं होने वाला, सो बेड पर सीधा लेट गया। मेरा लंड कुछ तना भी था और कुछ हल्का भी हो रहा था। भाभी ने मेरा निक्कर एक तरफ डाला और मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और मेरे पेट पर से नीचे की ओर फूँक मारने लगीं। बहुत मजा आ रहा था।


फिर उन्होंने मेरे लंड की खाल पकड़ी ऊपर उठाई और मेरे लंड के अंदर एक हल्की फूँक मारी। “आह” मजा आ गया। वो धीरे-धीरे मेरे लंड को सहलाते हुए उसमें फूँक मारती रही। मेरा लंड टाइट हो कर तन चुका था। अब उन्होंने मेरे लंड की टोपी के नीचे फूँक मारनी शुरू कर दी, मुझे मजे आ रहे थे। अचानक उन्होंने फूँक की जगह मेरे लंड पर अपना थूक गिरा दिया। मैं चिल्ला पड़ा ये क्या किया भाभी। मेरे लंड पर थूक दिया।


वो बोलीं- सॉरी, अभी साफ कर देती हूँ। हाँ अब फिर धोओगी और फिर से सुखाओगी। बस यही करते रहना। वो बोलीं- नहीं अब नहीं धोना। फिर क्या अब गंदा ही रहेगा। पर उन्होंने जवाब देने की जगह मेरे लंड को अपने मुँह में घुसेड़ लिया और चूसने लगीं। मेरे जिस्म में जैसे आग लग गई। मैं एकदम उठ बैठा-क्या करती हो भाभी “छी”।


वो बोलीं नहीं छी इसी में तो मजा आता है। अच्छा बताओ दूध पीना है। नहीं रहने दो-मैंने कहा। अरे नहीं पी लो। कहते हुए उन्होंने मेरा लंड छोड़ कर मेरे सर को अपने सीने से लगा लिया। उनके बूब्स मेरे मुँह से लग गए। अब मैं समझा कि वो किस दूध की बात कर रही हैं। मैंने जल्दी से एक निप्पल को मुँह में भर लिया और दूध खींचने लगा पर कुछ नहीं आया।


अब मैंने दूसरे निप्पल को मुँह में लेकर दूध पीना चाहा। पर यहाँ भी कुछ नहीं। दूध तो है ही नहीं भाभी मैं बोला तो वो हँस पड़ीं, बोलीं- अभी से दूध थोड़े ही आता है। तो कब आता है। बच्चा होने के बाद। बच्चा कब होगा। जब तुम्हारे भैया चाहेंगे, पर तुम उनसे पूछ मत लेना। तुम थोड़ी देर रुको मैं अभी तुम्हें दूध पिलाती हूँ। कह कर वो उठीं और किचन में चली गईं।


मैंने सोचा पीछा छूटा और जल्दी-जल्दी अपना निक्कर और बनियान पहन लिया। पर वो जल्दी ही वापस आ गईं और खाली हाथ ही, जबकि मैं समझा था कि वो दूध गिलास में लेकर आएँगी। आते ही बोलीं अरे तुमने कपड़े पहन लिए क्यों? मैंने कहा अब आप भी पहन लो फिर सोते हैं।


पर वो नहीं मानीं बोलीं- मैं तुम्हें दूध पिलाने आ रही थी और तुमने कपड़े पहन लिए जल्दी से उतारो वरना मैं उतारूँगी तो फट सकते हैं। मेरे काफी मना करने पर भी वो नहीं मानीं तो हार कर मैंने अपनी बनियान उतार दी। “और निक्कर”- वो बोलीं। नहीं भाभी अब रहने दो मैं थक गया हूँ सोना है। तो सो जाना पर निक्कर तो उतारना ही पड़ेगा वरना मैं आ रही हूँ उतारने। हार कर मैंने निक्कर भी उतार दिया।


मेरा लंड मुरझा चुका था। वो देखते ही बोलीं- हाय तुम्हारा लंड तो फिर से सो गया। अभी इसे जगाते हैं। चलो पहले दूध पीयो। कहते हुए वो बेड पर बैठ गईं। मैंने देखा उनके निप्पल्स कुछ चमक रहे थे। दूध आ गया क्या भाभी? मैंने पूछा। हाँ तुम पीयो तो। मैंने जैसे ही एक निप्पल को मुँह में लिए जान गया भाभी शहद लगा कर आई थीं।


पर मीठा निप्पल बड़ा अच्छा लग रहा था तो मैं चूसने लगा। अभी मैं पहला निप्पल ही चूस रहा था कि उन्होंने मेरा लंड फिर से पकड़ लिया। जो कि अब फिर तन चुका था। जैसे ही उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा मैं चिहुँक गया। मुझे भाभी का हाथ कुछ चिपचिपा लगा। और मैं समझ गया कि उनके हाथ में भी शहद लगा है जो उन्होंने मेरे लंड पर लगा दिया है। हाथ तो धो आती भाभी।


मैंने कहा। क्यों? उन्होंने पूछा। मेरे लंड पर शहद लग गया। मैंने ही लगाया है। तुम मेरा दूध पी रहे हो, मैं भी तो कुछ पीयूँगी। “छी” तो क्या आप मेरा पेशाब पीयोगी? अरे नहीं, मैं तुम्हारा दूध पीयूँगी। मेरा दूध, मेरा दूध कहाँ से आएगा। उन्होंने मेरे छोटे-छोटे निप्पल्स को पकड़ कर कहा आदमियों का दूध यहाँ से नहीं उनके लंड से आता है।


“लंड से?” मेरा तो कभी नहीं आया सिर्फ सुसु आती है। तो दूध आज आएगा, देखना तुम? कहते हुए उन्होंने मेरी गर्दन ऊपर की और मेरे निप्पल चाटने लगीं। जिन पर उनके हाथ का शहद लग गया था। मेरे निप्पल चाट कर बोलीं अब तुम बाद में दूध पीना पहले मेरी चूत को भी तो फूँक मार दो।


कहते हुए वो मेरे ऊपर घोड़ी बन गईं। उनकी चूत के छेद मेरे मुँह के एकदम सामने थे और वहाँ से मीठी सी खुशबू आ रही थी शायद उन्होंने कोई परफ्यूम लगाया था। मैंने फूँक मारनी शुरू की और उधर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।


मैं फिर से घबरा गया उन्होंने मेरा लंड मुँह से बाहर किया और बोलीं फूँक मारते रहो मैं शहद चाट रही हूँ, फूँक मारनी बंद की तो लंड काट लूँगी तुम्हारा। कह कर उन्होंने मेरे लंड पर दाँत गड़ाए। मैं फिर से फूँक मारने लगा। वो काफी देर तक मेरे लंड को चूसती रही। मेरा लंड रॉड की तरह सख्त हो रखा था।


उसने पूछा- क्या कभी मलाई नहीं निकली इसमें से? मैंने कहा- कौन सी मलाई? इसमें से तो सिर्फ सु-सु आती है और ये गंदा होता है आप इसे मुँह में ले रही हो। उसने कहा अच्छा रहने दो चलो सोते हैं। मैं निक्कर उठाने चला तो उन्होंने मना कर दिया, बोलीं- इतनी गर्मी में कपड़े नहीं पहनते। ऐसे ही सोएँगे और तुम्हें अभी मेरा दूध भी तो पीना है।


फिर मैं उनसे चिपक गया और रात को उनका दूध पीते-पीते ही सो गया। वो मेरा लंड अपने हाथों में पकड़े सहलाती रही। सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा भाभी अभी तक सो ही रही थीं उनका मुँह मेरे पैरों की साइड में था और पैर मेरी तरफ, शायद वो मेरा लंड चूसते हुए ही सो गई थीं। मेरा लंड अभी तक सख्त और गर्म था और उसमें से अभी तक कुछ नहीं निकला था।


मैंने भाभी की ओर देखा उनके बूब्स साइड में लटक रहे थे रात की तरह तने हुए नहीं थे। फिर मैंने उनकी चूत की तरफ देखा, चूत ऐसी लग रही थी जैसे कोई लड़की थोड़ा सा मुँह खोले हुए हो। दो होंठ भी दिख रहे थे। मैंने उँगली से उन होंठों को टच किया और भाभी की तरफ देखा। वो वैसे ही सो रही थीं।


मैंने उँगलियों से दोनों होंठों को हल्के से पकड़ा तो चूत का मुँह खुल गया। मुझे रात बाथरूम की याद आई जब मैंने उसमें उँगली डाल कर साफ की थी। मैंने उस मुँह में फिर से उँगली डाल दी। तभी भाभी ने अपने पैर सिकोड़ लिए और मेरा हाथ उनके पैरों के बीच में दब गया। वो आँखें खोल कर मुस्कुराईं और बोलीं- क्या कर रहे हो विनू जी? कल तक तो बहुत शर्मा रहे थे आज उँगलियाँ बहुत चल रही हैं।


तुम्हारी मॉम से कह दूँ कि तुम्हारे लिए अब लड़की ढूँढ ले। मैं शर्मा कर रह गया। उन्होंने अपने पैर खोले और अपनी चूत को सहलाते हुए बोलीं- इसमें उँगली नहीं लंड डालते हैं। उँगलियाँ तो मेरे पास भी हैं, मैं खुद भी डाल सकती हूँ, फिर तुम्हारे लंड की क्या जरूरत है। “इसमें लंड डालते हैं, कैसे भाभी, ये तो मेरे साथ जुड़ा हुआ है, कैसे डाल सकेंगे इसमें?” मैंने पूछा।


बता दूँगी कुछ रात के लिए भी रहने दो अब कपड़े पहन कर घर जाओ वरना तुम्हारी मॉम आवाज देंगी या यहीं आ जाएँगी। जा रहा हूँ, मैंने बुरा सा मुँह बनाया और बोला पर भाभी ये किसी और को मत कहना वरना मेरी मार लग जाएगी। तुम भी किसी से मत कहना, अपने दोस्तों से भी नहीं- वो बोलीं।


मैंने कहा- नहीं कहूँगा मरना थोड़े ही है, पर एक बार दूध और पिला दो ना। नहीं अब रात को, अब जाओ। मन मार कर मैंने कपड़े पहने और घर आ गया। पर मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा था। बार-बार भाभी का शरीर आँखों के सामने आ रहा था। मन कर रहा था कि भाभी के पास वापस चला जाऊँ। पर वो घर पर नहीं थीं। अपनी किसी सहेली के घर गई हुई थीं।


पूरा दिन उनके इंतजार में ही कटा। सुबह को ही मैंने मॉम से कह दिया था कि भाभी की तबीयत क्योंकि अभी पूरी तरह से ठीक नहीं है इसलिए आज भी उनका खाना यहीं बना लेना मैं ले जाऊँगा। दोपहर का खाना उन्हें अपनी सहेली के घर खाना ही था। शाम को मैंने जल्दी-जल्दी कह कर खाना पैक करवाया और ७.३० बजे से ही खाना ले कर उनके घर पहुँच गया।


वो बोलीं अरे तुम इतनी जल्दी आ गए मैं तो तुम्हारे घर ही आ रही थी। मेरे घर, क्यों? मैं फिर घबरा गया कहीं भाभी मेरी शिकायत न कर दे। वो हँसी बोलीं अरे डरो मत मैं तो वैसे ही आ रही थी। थोड़ी देर तुम्हारे यहाँ टाइम-पास किया जाए। चलो खाना बाद में खाएँगे अभी भूख भी नहीं है तुम्हारे घर चल कर गेम खेलते हैं। और आप मुझे कुछ बताने वाली थी- मैंने कहा। क्या? वो बोलीं।


मैं शर्माया- मेरा आपकी उसमें कैसे जाएगा? वो हँसी, बोलीं सब्र करो वो सब रात को, दिन में भूल जाया करो चलो तुम्हारे घर चलते हैं। अब मैं क्या कह सकता था। उन्होंने कपड़े बदलने के लिए अपनी मैक्सी उतारी, नीचे वो ब्लाउज और पेटीकोट पहने हुए थीं। मैं समझा वो भी उतारेंगी। पर उन्होंने मुस्कुराते हुए एक साड़ी लपेटनी शुरू कर दी।


फिर हम लोग मेरे घर गए। वहाँ वो मॉम से बातें करती रही और मैं आसपास इसलिए लगा रहा कि कहीं वो मेरी शिकायत न कर दे, कितना भोला था मैं। पर फिर भी एक बार तो मेरी हवा खराब हो ही गई जब मॉम बोलीं- “रूपी” तुमने तो हमारे लड़के पर जादू सा कर दिया है, जब देखो भाभी-भाभी ही करता रहता है।


मैं डर गया पर भाभी मुस्कुराईं और मेरे गाल पकड़ कर खींचते हुए बोलीं- ये है ही इतना प्यारा, मेरा तो इसके बगैर समय ही नहीं कटता। मॉम को हँसते देख मुझे कुछ सुकून मिला। फिर हम रात को ९.०० बजे करीब घर वापस आए। मैं डोर बंद करते हुए उन्होंने पूछा- कैसी रही? क्या?-मैं बोला।


पर वो जवाब न दे कर मुस्कुराते हुए रूम की तरफ चल दीं। मैं भी पीछे-पीछे आ गया। वो साड़ी उतारते हुए बोलीं तुम खाना लगाओ मैं आती हूँ। मैं उन्हें देखना चाह रहा था पर मन मार कर किचन की ओर बढ़ गया। टिफिन बॉक्स खोल कर खाना लगा ही रहा था कि भाभी की तरफ नजर गई।


वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं, उन्होंने भी मेरी तरफ देखा और मुझे अपनी ओर देखता पा कर मुस्कुराईं और नाइटी पहन ली। मेरा लंड टाइट हो चुका था। फिर हम दोनों खाना खाने डाइनिंग-टेबल पर बैठे तो मैंने जैसे ही थाली उनकी ओर बढ़ाई, उन्होंने नीचे हाथ करके मेरे निक्कर के ऊपर से मेरा लंड पकड़ लिया और बोलीं इसे संभालो जहाँ-तहाँ खड़ा हो जाता है। न-नहीं तो-मैं बोला।


वो बोलीं मैंने देखा था किचन में तुम इसे दबा रहे थे। चलो खाना खाओ। उन्होंने मेरा लंड छोड़ दिया और हम दोनों ने जल्दी से खाना खत्म किया। उन्होंने बर्तन वॉशबेसिन में डाले और बेडरूम में आ गईं। मैं बेड पर बैठा था। बोलीं आज क्या कपड़े पहन कर ही सोने का इरादा है।


मैंने जल्दी से शर्ट और बनियान उतारी और लेट गया, निक्कर उतारने में मुझे आज फिर शर्म आ रही थी। भाभी कुछ नहीं बोलीं लाइट ऑफ की नाइटलैंप ऑन किया, नाइटी का बैंड खोला और उसे पहने हुए ही मेरे पास आ कर लेट गईं। मैं सोचता रहा कि अब शायद वो मेरा निक्कर उतार देंगी।


पर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा, बोलीं थक गई हूँ नींद आ रही है, तुम भी सो जाओ। मैं मन ही मन कुढ़ता हुआ जाने कब सो गया। रात में आँख खुली तो देखा भाभी गहरी नींद में सो रही थीं, उनकी नाइटी खुली हुई साइड में पड़ी थी और व्हाइट ब्रा और पैंटी उनके ऊपर चमक रही थीं। मेरी नींद गायब हो गई।


मैंने उन्हें हिला कर देख लिया वो वाकई में गहरी नींद में ही सो रही थीं। मैंने धीरे से उनकी ब्रा की दोनों स्ट्रिप उनके कंधे से नीचे कर दी पर पीठ पर से वो कसी हुई थी। मैंने बूब्स का खयाल छोड़ा और पैंटी की तरफ देखने लगा। डर तो लग रहा था फिर याद आया भाभी भी तो मेरे निक्कर में हाथ डाल देती हैं।


साहस करके मैंने उनकी पैंटी को पकड़ के थोड़ा खींचा और हाथ डाल दिया पर हाथ उनकी चूत तक नहीं पहुँच सका। अब मुझे जोश आ चुका था मेरा लंड भी तना हुआ था मैं देखना चाहता था कि ये चूत में जाएगा कैसे। भाभी अभी भी सोई हुई थीं, शायद दवा का असर था जो उन्होंने सोने से पहले खाई थी।


मैंने धीरे-धीरे उनकी पैंटी को नीचे करना शुरू कर दिया और देखता रहा कि कहीं वो जग न जाएँ। उनके फैले हुए पैर सीधे करके मैंने पूरी पैंटी उतार दी। अब उनकी चूत दिख रही थी। पर लंड इसमें जाएगा कैसे मैं इस परेशानी में था। मैंने उँगली छेद में सरकाई, अंदर थोड़ा गर्म और गीलापन था। मैंने उँगली बाहर निकाल ली।


अपना निक्कर उतारा और तरह-तरह से पोजीशन ले कर सोचने लगा कि लंड इसमें जाएगा कैसे। मुझे लगा जा सकता है अगर भाभी अपनी एक टाँग के बीच में मेरी एक टाँग ले-ले तो लंड शायद इस छेद में चला जाए। मैं धीरे से भाभी के ऊपर आया इस तरह कि उनसे टच न हो सकूँ और अपने लंड को उनकी चूत पर सेट करने लगा।


पर ऐसा कुछ नहीं हो पाया। तो मैंने अपना लंड उनके हाथ में पकड़ा दिया और उनके पास लेट गया और अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया। मैंने सोचा थोड़ी देर के बाद निक्कर पहन लूँगा और भाभी को भी पैंटी पहना दूँगा, उन्हें कुछ पता ही नहीं चलेगा पर पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।


सुबह भाभी ने मुझे उठाया बोलीं मेरी पैंटी तुमने उतारी। मैं भी नंगा था और मेरा लंड भी तना हुआ था। मैंने उल्टा कह दिया आप ही करती हो सब आपने ही मेरा निक्कर भी उतारा है। भाभी समझ गईं कि मैंने ही सब किया है बोलीं तुम बहुत नॉटी हो रहे हो मैंने कहा मैं तो बस ये देख रहा था कि मेरा लंड आपकी चूत में जाएगा कैसे। पर जा नहीं पाया। आज रात को मैं तुम्हें बताऊँगी। उन्होंने कहा।


फिर मैं रोजाना की तरह घर चला गया। घर पहुँच कर पता चला कि कि मॉम & डैड बाहर जा रहे हैं और शाम तक वापस आएँगे। मॉम ने पूछा यहीं रुकोगे या तुम्हें बुआजी के पास छोड़ दें। मैंने कहा यहीं रुक जाऊँगा। तो मॉम बोलीं फिर कपड़े ले कर अपनी भाभी के घर ही चलो। मैं यहाँ की कीज उन्हें ही दे दूँगी। मेरी तो मन की मुराद पूरी हो रही थी।


मैंने जल्दी से कपड़े उठाए और हम वापस भाभी के घर पहुँच गए। मॉम ने भाभी से कहा हम काम से बाहर जा रहे हैं, वापसी में शाम हो जाएगी, तुम्हें कहीं जाना न हो तो विनू को यहीं छोड़ दो या फिर बुआजी के घर पर छोड़ देंगे। भाभी मुझे देख कर मुस्कुराईं, बोलीं नहीं मुझे आज कहीं नहीं जाना आप इसे यहीं छोड़ दो।


मॉम-डैड के जाने के बाद भाभी ने पूछा कपड़े क्यों लाए हो मैंने कहा नहाने के बाद पहनने के लिए। बोलीं तो चलो फिर नहा लो। मैंने कपड़े उतारे और टॉवल लपेट कर बाथरूम में चला गया और डोर ऐसे ही बंद कर लिया क्योंकि उसकी कुंडी मेरी पहुँच से बाहर थी।


मैं शावर के नीचे खड़ा हुआ ही था कि दरवाजा खुला मैंने देखा तो भाभी आ रही थीं वो उस समय भी नाइटी ही पहने थीं। बोलीं- मुझे भी नहाना है चलो साथ में ही नहाते हैं। उन्होंने अपनी नाइटी उतार कर कील पर टाँग दी, बाथ-टब में शैंपू डाला और उसे भरने के लिए टंकी चालू करके खुद भी शावर के नीचे आ कर खड़ी हो गईं।


पानी उनके सर से बहता हुआ उनकी ब्रा और पैंटी पर आ गया और उनमें से सब कुछ दिखने लगा। मैं उनके आगे दीवार से ही लगा खड़ा था और पानी मुझ पर भी गिर रहा था। अचानक वो नीचे झुकीं और जब तक मैं कुछ समझ पाता उन्होंने मेरा अंडरवियर नीचे खींच दिया।


अब मैं एकदम नंगा खड़ा था। मैंने अपना अंडरवियर ऊपर करना चाहा पर उन्होंने मुझे अपने और दीवार के बीच में दबा लिया। उनके बूब्स मेरे मुँह एक एकदम सामने थे और वो अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ रही थीं। अचानक मैंने उनके एक बूब पर काट लिया। वो सिसकारी ले कर जरा सा पीछे हटीं और जब तक वो कुछ बोलतीं मैंने उनकी पैंटी पकड़ कर नीचे खींचनी शुरू कर दी।


उन्होंने मुझे रोका और खुद ही पैंटी उतार दी और ब्रा की स्ट्रिप खोलने लगीं उनके हाथ पीछे पीठ पर थे और ब्रा में उनके बूब्स तने हुए थे मैंने फौरन हाथ में उनके बूब्स पकड़ कर दबाने शुरू कर दिए। “आह” वो बोलीं तुम तो एक ही दिन में मर्द हो गए। उन्होंने ब्रा उतार कर वहीं डाल दी और बोलीं चलो टब में आ जाओ।


फिर हम दोनों टब में जा कर बैठ गए। मैंने कहा अब बताओ मेरा लंड आपकी चूत में कैसे जाएगा। वो बोलीं- बताऊँगी सब्र करो। वो बहुत देर तक मेरे लंड को अपने हाथों में ले कर सहलाती रही और मैं उनके बूब्स पर हाथ फेरता रहा। फिर वो उठीं और टब से बाहर निकल गईं मैंने देखा तो मुझे भी बाहर आने का इशारा किया।


मैं भी उठ कर बाहर आ गया। वो झुक कर टब की साइड को पकड़ने लगीं, मैंने पूछा भाभी क्या कर रही हो। वो बोलीं मेरे पीछे आओ। मैं पीछे आ गया। वो बहुत झुक गई थीं। उनके चूतड़ मेरे लंड के अब सामने ही थे। बोलीं- अब तुम डाल सकते हो। पीछे से उनकी गांड भी दिख रही थी। साफ और चिकनी। उनके पूरे शरीर पर कोई बाल नहीं था और मेरे तो उस समय बाल होने का सवाल ही नहीं उठता था।


मैं उनके पीछे आ गया और पूछा भाभी कौन से छेद में डालना है। वो बोलीं नीचे वाले में। वही उनकी चूत का छेद था। अब मैंने ध्यान से देखा उनकी चूत में २ छेद दिख रहे थे मैंने हाथ से उनकी चूत को छुआ और बोला भाभी यहाँ तो २ छेद हैं। एक नन्हा सा और एक बड़ा सा।


उन्होंने अपना हाथ अपनी चूत पर रखा और छेद दिखाते हुए बोलीं इसमें डालो। मैंने पीछे से अपना तना हुआ लंड पकड़ कर उसमें डालने की कोशिश की पर लंड था कि जा ही नहीं रहा था। एक-दो बार गया भी पर फौरन ही बाहर भी आ गया। भाभी बोलीं यहाँ नहीं हो पाएगा चलो कमरे में चलते हैं। और हम नंगे भीगे हुए ही रूम में आ गए।


वहाँ भाभी बोलीं पहले तुम्हारे लंड से माल निकलना होगा तब ये जा पाएगा। कह कर उन्होंने मुझे चेयर पर बिठाया और खुद नीचे बैठ कर मेरे लंड को मुट्ठी में ले कर ऊपर-नीचे करते हुए रगड़ने लगीं। बहुत देर तक वो रगड़ती रही मेरे लंड में जलन होने लगी मैंने उन्हें रोका भाभी जलन हो रही है अब रहने दो। पर वो बोलीं माल तो निकलना ही पड़ेगा।


उन्होंने मेरे लंड पर ४-५ ठंडी फूँके मारी और मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। वो मेरे सामने नंगी बैठी थीं पर मैं चाह कर भी उन्हें छू नहीं पा रहा था क्योंकि मैं चेयर पर था और वो नीचे। पर वो मेरा लंड चूस रही थी तो मजा बहुत आ रहा था। मेरा लंड बुरी तरह से तना हुआ था और गर्मी से जल रहा था।


उनकी पूरी कोशिश के बाद भी जब मेरे लंड से कुछ नहीं निकला तो वो मुझे बेड पर लेटने को कह कर अलमारी की ओर बढ़ गईं, उन्होंने कोई क्रीम निकाली और मेरे पास आ कर मेरे लंड पर रगड़ने लगीं। ये क्या है भाभी मैंने पूछा तो बोलीं मैं तुम्हारे लिए कुछ और लाई थी पर जब तुम्हारे लंड से कुछ निकल ही नहीं रहा है तो इस क्रीम से ही काम चल जाएगा।


क्रीम लगाने के बाद वो बेड पर बैठ गईं और अपने पैर फैला कर मेरे पैर अपने पैर से फँसा लिए इस तरह से मैं सरक कर उनके पास हो गया और मेरा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर पहुँच गया और मेरे मुँह के सामने उनके बूब्स आ गए। उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में घुसेड़ लिया और मुझे वैसे ही रोक कर अपने चूतड़ धीरे-धीरे हिलाने लगीं।


अब मेरा लंड उनकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। काफी देर तक वो ऐसे ही करती रही और फिर उनकी चूत से जैसे ज्वालामुखी फूट कर बाहर आ गया। वो बोलीं ऐसे निकलता है माल। पर मेरा तो नहीं निकला आप तो कह रही थी कि तुम्हारा माल निकलेगा। उन्होंने कहा तुम अभी छोटे हो शायद इसलिए अभी तुम्हारा माल नहीं निकल रहा है। कुछ दिन बाद निकलने लगेगा।


फिर हमने पूरे दिन ऐसे ही मजा लिया भाभी और मैं पूरे दिन नंगे ही रहे। और दिन में कम से कम ७-८ बार भाभी का माल निकल गया। हमने शहद लगा कर एक-दूसरे को चाटा। भाभी ने मुझे कंडोम भी दिया जो वो मेरे लिए लाई थी। उसे देख कर मैं समझा कि वो बूब्स पर पहनते हैं। पर भाभी ने बताया कि इसे आदमी अपने लंड पर पहनते हैं जिससे औरतों के बच्चा नहीं होता।


फिर मैंने उससे बहुत मजा किया, जब भाभी किचन में खाना बना रही थीं मैंने उसका एक सिरा उँगली डाल कर भाभी की चूत में घुसेड़ दिया वो कहती ही रह गईं ये क्या कर रहे हो और मैंने उसके दूसरे सिरे से फूँक मार कर उसे उनकी चूत के अंदर ही फुला दिया। भाभी को भी बहुत मजा आया।


फिर खाना खाने के बाद भाभी बेड पर लेट गईं और मैं उनके ऊपर उल्टा लेट गया वो मेरे लंड में शहद लगा कर चूस रही थीं और मैं बार बार कंडोम को उँगली से उनकी चूत में डाल कर हवा भरता और फिर उसे बाहर निकालता। भाभी खुशी से सिसकारी भर रही थीं और मेरे लंड को जोर-जोर से चूस रही थीं पर मेरे लंड से कुछ निकल ही नहीं रहा था।


उनकी चूत से कई बार माल निकल चुका था। उस दिन से हम लोग बहुत मजे करने लगे हम साथ-साथ नंगे ही सोने लगे। साथ में ही सु-सु करने जाते भाभी मेरा लंड पकड़ कर ही मुझे पेशाब कराती और धार को इधर उधर उछालती रहती। मैं भी जब वो पेशाब कर रही होती उनकी चूत में कभी उँगली घुसेड़ देता और कभी पूरा हाथ लगा कर बंद कर देता।


फिर उनकी सुसु एक साथ नीचे गिरती। उसके बाद हम एक दूसरे को पानी से साफ करते और फिर बेड पर फूँक मार कर सुखाते। एक रात भाभी ने मेरा लंड का माप लिया बोलीं लगभग ४” का हो गया है और अभी तो तुम १८ साल के हो जब तुम 24 साल के होगे तो ये ७-८ इंच का हो जायेगा तब बहुत मजा आएगा।


मैंने भी एक बार जब वो सो रही थीं एक सीख उनकी चूत में डाल दो वो अचानक जग गईं बोलीं ऐसा नहीं करते चोट लग जाती है अंदर। मैंने कहा मैं तो गहराई माप रहा था। वो हँस पड़ीं बोलीं इसमें मापा नहीं जाता इसमें सब तरह का लंड आ जाता है। ऐसे ही कुछ दिन निकले कि एक दिन भैया आ गए।


भाभी को पता था कि भैया आने वाले हैं इसलिए उस दिन हम कपड़े पहन कर सोए। रात में भैया आए उन्होंने मुझे गोद में उठाया और ड्रॉइंग रूम में सोफे पर लिटा दिया। मैं जग चुका था ड्रॉइंग रूम की लाइट बंद थी मैंने उठ कर विंडो कर्टेन थोड़ा सा सरकाया और दूसरी तरफ देखने लगा। भैया बेड पर बैठे थे और भाभी उनकी गोद में वो भाभी को किस कर रहे थे उनके लिप्स और चीक्स पर।


भाभी भी जवाब दे रही थीं। फिर उन्होंने अपना हाथ भाभी की नाइटी में डाल दिया और उनके बूब्स सहलाने लगे। फिर उन्होंने भाभी की नाइटी उतार दी और खड़े हो कर अपनी बनियान उतारने लगे भाभी ने उनके सीने पर थोड़े किस किए। उन्होंने बनियान उतार कर भाभी की ब्रा खोल दी भाभी के बूब्स आजाद थे। फिर उन्होंने भाभी की पैंटी भी उतार दी।


वो दोनों धीरे-धीरे कुछ बातें भी कर रहे थे। मेरा सारा ध्यान उन्हीं पर था। भाभी ने अंडरवियर के ऊपर से ही भैया का लंड सहलाना शुरू कर दिया था। भैया ने अचानक उन्हें गोद में उठाया और रूम से बाहर चले गए। मैं समझ गया शायद बाथरूम में ही गए होंगे। मन तो बहुत था फिर भी मैं बाहर नहीं निकला और सोफे पर वापस लेट गया। पर नींद नहीं आई।


थोड़ी देर के बाद मुझे उनकी आहट फिर से सुनाई दी तो मैं फिर खिड़की पर जम गया। भैया अभी भी भाभी को गोद में लिए थे और उनके लिप्स और नेक पर किस कर रहे थे। इस समय वो भी नंगे थे शायद अपना अंडरवियर बाथरूम में ही छोड़ आए थे। उनका लंड लगभग ६′ लंबा था।


उन्होंने भाभी को बेड पर लिटाया उनके पैर अपने कंधों पर रख लिए और फिर मुझे आगे का दिखना बंद हो गया अब मुझे भैया की पीठ और चूतड़ नजर आ रहे थे और भाभी का चेहरामैंने पर्दा थोड़ा सा और सरकाया तो भाभी ने एकदम से आँख मारी और आँख से ही पर्दा बंद करने को कहा।


मैंने पर्दा थोड़ा सा वापस सरकाया पर उधर देखते रहने का लोभ नहीं छोड़ सका। भाभी के मुँह से आहें निकल रही थीं और भैया के चूतड़ जोर-जोर से हिल रहे थे, थोड़ी देर बाद उन्होंने लंड बाहर निकाला और भाभी को उल्टा करके आधा बेड पर और आधा फर्श पर लटका दिया, उनकी टाँगें पकड़ी और ऊपर उठा कर अपनी कमर पर टिका ली और फिर धक्के मारने लगे।


हालाँकि उधर नाइटलैंप ही ऑन था पर मुझे सब साफ दिख रहा था क्योंकि मेरी साइड में बिलकुल अंधेरा था। थोड़ी देर तक धक्के मारने के बाद वो भाभी के ऊपर ही गिर गए। फिर कुछ देर बाद उठ कर उन्होंने अपने लंड पर से कंडोम निकाला और भाभी के मुँह में रख दिया जिसे भाभी ने थोड़ी देर चूस कर थूक दिया।


अब भाभी उनका लंड चाट कर साफ कर रही थीं। उन्होंने एक बार फिर विंडो की ओर देख कर आँख मारी थी मैं समझ नहीं पा रहा था कि वो मुझे देख कैसे रही है क्योंकि नाइटलैंप विंडो के ठीक ऊपर लगा था और मेरी तरफ सिर्फ अंधेरा ही दिख सकता था और कुछ नहीं।


फिर भैया ने एक बोतल ली और भाभी के बूब्स और चूत पर कुछ मला और फिर उनका दूध पीने लगे। मैं समझ गया कि उन्होंने शहद ही लगाया होगा। दोनों बूब्स को काफी देर तक चूसने के बाद उन्होंने भाभी की चूत को चाटना शुरू कर दिया। भाभी ने भी उसी बोतल से शहद हाथ में ले कर भैया का लंड पकड़ लिया.


फिर भैया बेड पर लेट गए भाभी उनके ऊपर उलट कर आ गई अब भैया का लंड और भाभी का मुँह खिड़की की तरफ था पर मैं भैया का मुँह और भाभी की चूत नहीं देख सकता था। भाभी जल्दी-जल्दी उनका लंड चूस रही थीं और बार-बार खिड़की की ओर देख कर मुस्कुरा रही थीं।


भैया का लंड फिर से तन चुका था और फिर कुछ देर के बाद उन्होंने अपना हाथ अपने लंड पर रख कर शायद भाभी को और चूसने से रोकना चाहा पर भाभी ने उनका हाथ हटा दिया और चूसती रही। मेरा लंड भी तना हुआ था और मैं अपने एक हाथ से उसे सहला रहा था।


भाभी ने कुछ देर और चूसा और फिर भैया बड़ी जोर से हिले भाभी ने खिड़की की तरफ देख कर मुँह खोला और अपने मुँह में भैया का माल दिखाया। और फिर से भैया का लंड चाटने लगीं। थोड़ी देर बाद दोनों बेड पर लेट गए। फिर मैं भी लेट कर सो गया।


सुबह भाभी ने मुझे जगाया और बोलीं बड़े मजे आ रहे थे रात और अब ८ बजे तक सो रहे हो। मैं डर गया कहीं भैया न सुन ले। पर वो बोलीं कि भैया नहा रहे हैं। तो मैंने भी पूछ लिया आपको कैसे पता चला कि मैं देख रहा हूँ जो आप बार-बार आँख मार रही थीं। वो बोलीं अंदाजा लगाया और अब तुम घर जाओ एक हफ्ते के बाद सोने के लिए आना। एक हफ्ता? मैंने कहा। हाँ जी एक हफ्ता वो मुस्कुराईं। फिर मैं घर आ गया। भैया पूरे एक हफ्ते तक रहे और मैं अपने घर पर।


अब मुझे अपना लंड रगड़ने की आदत सी हो गई थी। पर अभी तक उसमें से कुछ नहीं निकला था.मैं समय मिलते ही कई-कई घंटों तक रगड़ा करता कि शायद कुछ निकले पर कुछ नहीं आता था। खैर एक हफ्ता बीता भाभी-भैया घर आए भैया ने चलते समय मुझसे कहा भाई विनू मैं जा रहा हूँ आज रात से तुम्हें अपनी भाभी के पास सोना है। मैं कुछ घबराया और कुछ मुस्कुराया। फिर वो चले गए।


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Jaldi se iska second part lao bhabhiji ki

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Guest
Nov 10
Rated 5 out of 5 stars.

nice story

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