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बुआ से सुनिए बुआ भतीजे का वासना भरा प्यार - Antarvasna Stories

कैसे हो दोस्तों कैसे है?

मेरा मानना है की सेक्स में आदमी और औरत का बराबर का हिस्सा होता है इसलिए मैं कोशिश करता हूं के दोनों के जज़्बातों को आप लोगो के सामने रख सकू।


बुआ भतीजे ने कामवासना में चूर होके चुदाई की तो पढ़िए कहानी स्वीटी बुआ के मुख से।


मेरा नाम स्वीटी श्रीवास्तव है। मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहती हूं। मेरी उम्र उस वक्त 25 साल की थी, शादी नहीं हुई थी, और मैं कॉम्पिटिशन की तैयारी के चक्कर में ट्यूशन जाती थी।

मेरा रंग गोरा है, कद-काठी पतली-सी है मेरे छोटे-छोटे बूब्स है जो मेरी साड़ी में छिपे रहते थे, लेकिन अपने बूब्स आईने में देखकर मैं खुद ही दबाकर दबाकर सोचती हूं कितने प्यारे लगते हैं मेरे बूब्स।

मेरी आंखें बड़ी-बड़ी है, होंठ गुलाबी है, और चेहरा ऐसा जो देखने वाले को हमेशा मुस्कुराकर देखता है।

किशोर मेरा भतीजा है, यानी मेरे भाई का बेटा। वो B.Sc की तैयारी करने हमारे घर आया था। उसकी उम्र 20 साल, लंबाई 5 फुट 6 इंच, जिस्म फिट, और चेहरा इतना सुंदर कि लगता जैसे कोई फिल्म स्टार हो।

जब वो हमारे घर आया तो उसका आना जाना ज़्यादातर मेरे साथ ही होता था। स्कूल-कॉलेज में वो शांत रहता था, लड़कियों से भी कम बात करता था, वो थोड़ा बुद्धू व शर्मीला सा लड़का था।

लेकिन मुझे वो हमेशा से प्यारा लगता था। बचपन में भी जब वो आता, तो मेरे पास चिपक जाता। मैं भी उसे बहुत चाहती थी, जैसे कोई सगा छोटा भाई हो।

लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ा हुआ, मेरी नजरों में उसको लेकर कुछ और ही बात आने लगी। उसके मजबूत कंधे, वो शरमाती हुई मुस्कान, और कभी-कभी जो वो मुझे गांड़ से चूंची तक घूरता,

तो उसकी वो कामुक नजरें... अरे, मैं तो खुद को रोक नहीं पाती। जब से मैने कामवासना पर कहानी पढ़ना शुरू करी तब से मेरी चूत किशोर को यादों में सोचकर पानी निकालती है ।

रातों में सोते वक्त उसके बारे में सोचकर मेरी चूत गीली हो जाती। मैंने कभी किसी लड़के को इतना करीब महसूस नहीं किया था जितना वो छुटकू मुझे अपना करीबी लगता था।

मेरी शादी की उम्र हो गई थी, लेकिन दिल कहीं नहीं बस उसके लन्ड पर था। किशोर के आने से घर में एक नई हलचल-सी हो गई थी। वो मेरे साथ ट्यूशन जाता, रास्ते में बातें करता, और मैं उसके पास रहकर खुद को खुशकिस्मत मानती।

उसके आने के बाद से ही मेरे मन में कुछ-कुछ खुराफाती ख्याल आने लगे। मैं जानती थी कि वो मुझे देखता है, मेरे बूब्स पर नजरें टिकाता है। कभी नहाते समय दरवाजा खुला रह जाता, और मैं जानबूझकर देर तक नंगी रहती, सोचती कहीं वो शायद देख ही ले।

उसके फोन में मेरी फोटोज हैं, ये मुझे पता था। रात को जब वो अपने कमरे में होता, तो मैं कल्पना करती के वो मेरी तस्वीरें देखकर मुठ मार रहा होगा।

अरे, ये सोचकर ही मेरी चूत में सरसराहट-सी हो जाती। मैं भी रुक नहीं पाती, अपनी उंगली चूत में डालकर उसकी कल्पना करती। मैं खुद को ही चोदकर आआह! उफ्फ! किशोर ओहद्ह! की कामुक आवाज़ निकालती।सच कहूं तो मैं इंतजार कर रही थी किसी मौके का।

मैं दिल में सोचती अगर वो पहल करेगा, तो मैं झिझकूंगी नहीं। वो मेरा भतीजा था, लेकिन मेरे लिए वो एक जवान, हट्टा-कट्टा मर्द बन चुका था।

एक दिन की बात है हम शॉपिंग पर गए। मैंने उसे एक छोटी कैंटीन में छोड़ा और ब्रा-पैंटी की दुकान में चली गई। मुझे उसे उकसाने के लिए नई ब्रा लेनी थी, उसका फेवरेट रंग मुझे मालूम था इसलिए मुझे ब्रा क्रीम कलर की लेनी थी।

मुझे एक ब्रा चाहिए थी मुलायम वाली। मैं सोच रही थी, किशोर को ये कैसी लगेगी। जब मैं खरीदकर लौटी, तो रास्ते में मैने उससे पूछा, "और बता छोटे, क्या तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?"

वो पागल इतने में ही शर्मा गया, उसने बस ना में सिर हिला दिया। मैं मुस्कुराई, फिर खुशी से बोली, "क्या रे, कैसी लड़की पसंद है तुझे?"

उसने न जाने कैसे हिम्मत जुटाई और कहा, "आप जैसी।" मेरी सांस अटक गई। मैंने तिरछी नजरों से देखा, और बनावटी गुस्से से बोली, "मुझमें क्या पसंद है तुझे?"

वो हकलाया, " मुझे आपका चेहरा बहुत प्यारा लगता है, आपके ये होंठ, आपकी आंखें... और आपके बूब्स मुझे बहुत प्यारे लगते हैं।"

अरे, बूब्स कहते ही उसकी आंखें नीची हो गईं उसकी निगाहों के तीर मेरे निप्पल को चीरते हुए दिल में चुभ गए। मैं थोड़ा रुकी फिर ध्यान आया घर जाने में देरी हो रही है तो मैं डर गई कि कहीं डांट न पड़े, लेकिन मन में तो खुशी की लहर दौड़ गई।

मैंने बस इतना कहा, "अच्छा, तुझे मेरे बूब्स पसंद हैं?" ऐसा कहते हुए मैंने अपने चूंचे हल्के से दबाए, मैने किशोर को देखा तो वो मेरे दबते बूब घूर रहा था।

हम पूरे रास्ते चुपचाप चले, लेकिन मेरी चूत गीली हो चुकी थी। घर आते ही मैं फ्रेश होने चली गई। बाहर आकर देखा, तो वो मेरे बैग्स खोल रहा था।

मेरी ब्रा उसके हाथ में थी, और वो उसे चूम रहा था! मैं चुपचाप खड़ी हो कर देखती रही। उसकी वो हरकत देखकर मेरा मन पिघल गया।

उस समय मैंने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुराई और अंदर चली गई। सोच रही थी, ये लड़का कितना बेचैन है मेरे लिए। अगले कुछ दिन बाद घर में सबके जाने का मौका आया।

पापा, दादी और बाकी सब शादी में गए। किशोर के एग्जाम्स थे, तो वो रुका उसका ख्याल रखने के लिए मैं भी रुकी।

क्योंकि घर अकेला न रह जाए ये बहाना मेरे जैसी लड़की के लिए बेस्ट होता है लेकिन सच कहूं, मेरा मन तो खुश हो गया। हम दोनो अकेले! दोपहर को दादी ने आलू के पराठे बनाकर रख दिए थे।

मैंने गरम किए और खाने लगी। किशोर ने कहा, साथ खाएंगे। वो फोन में कुछ पढ़ रहा था, शायद कोई कामवासना की वीडियो या कहानी थी।

क्योंकि मैं उसके पास बैठ गई और जब उससे पूछा, "तुम कुछ कर रहे हो फोन में?" तो उसने झेंपकर कहा, "कुछ नहीं, चलो खाना लगाओ।"

खाते वक्त मैंने उसकी तरफ देखा, तो उसका लन्ड निक्कर से बाहर झांक रहा था। उफ्फफ! वो सांप मोटा और लंबा था कम से कम 8 इंच का रहा होगा उसे देखकर मेरी सांसें तेज हो गईं।

मुझे याद आया की मेरे आने के पहले किशोर ने नींद की गोली मेरे खाने में मिलाई थी इसलिए मैने गोली वाला खाना छुपकर अपने पास से हटा दिया मैने सोचा चलो आज कुछ हो ही जाए।

मैं बैठे बैठे शर्मा गई, लेकिन मन में अब आग लग गई थी। मैने रसोई में जाकर खाना गरम करा हमने साथ में ही खाया, मुझे काम निपटाते हुए देर हो गई।

रात को मैंने हाफ पजामा और छोटी टी-शर्ट पहनी, वो भी बिना ब्रा के ऐसा मैने जानबूझकर का ताकी मेरा छुटकू मेरे बूब्स की शक्ल देख सके।

फिर कुछ देर में किशोर आया, तो मैंने कहा, "किशोर, आज मैं तुम्हारे कमरे में सो जाऊंगी। अकेले डर लगता है।" वो बोला, "ठीक है!"

कुछ देर में हम लेट गए। मैंने कहा, "कुछ अच्छा नहीं लग रहा। मम्मी होती तो ठीक रहता।" वो चुप रहा। फिर मैंने अपना मुंह उसकी तरफ किया।

मेरी गरम सांसें काफी तेज थीं, मुझे मेरे भाई मेरे भतीजे की महक आ रही थी। मुझे उसके इतने करीब लेटे लेटे रात के 12 बज गए, मुझे नींद नहीं आ रही थी।

मैं जानबूझकर उसके और करीब सरकी, मेरी वासना ने मेरा हाथ उसके लन्ड पर रख दिया। बेचारा! वो तो कांप गया। उसके होंठ मेरे होंठों से टच हो रहे थे। मेरा मन मचल रहा था। सोचा, आज तो ये होकर रहेगा।

वो थोड़ा हिला, वो जगा हुआ था या नींद में था पता नहीं लेकिन उसने अपनी जीभ निकालकर मेरे होंठ को चखा। शायद वो डर रहा था, लेकिन मैंने कोई हलचल नहीं की।

मुझे मन में हंसी आ रही थी, ये नादान सोच रहा होगा कि मैं सो रही हूं। फिर उसका हाथ धीरे से मेरे बूब्स पर आया, वो बहुत प्यार से मुझे सहलाने लगा।

हमममम! आह! कितना अच्छा लग रहा था मेरी हल्कीसी शिकारी निकल रही थी मेरी आँखें खुली थी और उसकी आँखें बंद थी।

मैंने हल्की सी "हम्म, उन्ह्ह्ह!" की आवाज निकाली, फिर जल्दी से आंखें बंद की। वो फिर और हिम्मत जुटाया, वो मुझसे चिपक कर होंठों पर किस करने लगा उसकी आँखें अभी भी बंद थी ।

उसके होंठ इतने नरम, इतने गर्म थे के मेरा दिल कर रहा था इसे अपने नीचे लेकर इसकी ही चुदाई कर दूं। सच कहती हूं अगर मेरे पास लन्ड होता तो मैं इसकी चूत मार लेती अभी!

उसकी वजह से मेरी चूत गीली हो गई थी। मेरी आँखें बंद थी जिसका फायदा लेकर वो मुझे पीठ की तरफ से सीधा लिटाया, और मेरे ऊपर चढ़ गया मेरी वासना को खुशी हुई।

उसका मोटा लन्ड मेरी चूत से रगड़ रहा था। उसने जीभ मेरे होंठों में दबाई। मुझे शक हो गया कि वो जान गया होगा कि मैं जाग रही हूं, लेकिन मैंने नाटक जारी रखी। मैने सोचा, चलो! इसे मजा लेने दो।

फिर मुझे महसूस हुआ के उसने अपना निक्कर उतारा है।मेरे दिमाग में उसका नंगा लन्ड घूमने लगा! उफ्फ, कितना मोटा, कितना लंबा।

फिर धीरे धीरे मेरे पेट पर जाकर वो मेरी निक्कर उतारने लगा। मैंने दिखाने के लिए हल्का सा विरोध किया, लेकिन मन में तो मैं यही चाह रही थी।

अब मैं निचे से नंगी थी मेरी नाज़ुक चूत उसके सामने थी। पहले उसने मेरी चूत सहलाई, फिर लन्ड को मेरे मुंह के पास लाया। उसने लन्ड मेरे होंठों पर रगड़ा।

उसके लंड से प्रीकम निकला हुआ था, जो मेरे होंठों पर लग गया। मैं बंद आँखें करे हुए ख्यालों में थी की मेरा छोटू भाई इतना बड़ा हो गया आज अपनी मासी को लन्ड चूसा था है।

मैने उसका रस चखा वो मीठा-सा स्वाद था। मैंने नाटक जारी रखते हुए बस हल्का चखा। फिर वो मेरे निप्पल दबाने लगा, मेरे बूब्स मसलने लगा, एक बच्चे की तरह मुझे चूसने लगा।

आह! "आह हमममम, ओह!" मैं कराह उठी। लेकिन आंखें बंद रखी। वो और उत्तेजित हो गया, "आह! उह! आह!" वो खुद भी आवाजें निकालने लगा।

अब वो 8 इंच के साने को मुंह में डालने की कोशिश करने लगा। मैंने दांत जान कर कसे, उसे तड़पाने में मुझे मज़ा आ रहा था।

वो मेरे मुंह में उंगली डालकर थूक से गीला करा, और फिर से जोर लगाया। साला जैसे ट्रेनिंग लेकर आया था लड़की चोदने की फिर भी उसका 8 इंच का लौड़ा! आधा ही अंदर गया।

मैंने भी रजामंदी से चटकारा लिया, जैसे कोई स्वादिष्ट व्यंजन हो। मेरा भाई लोड़े को अंदर-बाहर करने लगा। उसे मजा आ रहा था।

फिर उसने कपड़े उतारे, साथ ही मेरी शर्ट भी। अब मेरे गोरे बूब्स उसके सामने नंगे थे मेरी पूरी जवानी उसके सामने नंगी हो गई थी।

वो मुझे मसलने लगा, चूसने लगा मेरे जिस्म को चाटने लगा। मैं हमममम! आआह! ओह मम्म्ह! की आवाज़ में कराह रही थी, लेकिन मेरा नाटक जारी था।

फिर वो चूत की तरह उल्टा लेट गया, उसने मेरे साथ 69 पोजीशन बनाई। वो मेरी चूत को जीभ से ही चोदने लगा! आह वोह अआआह! मैं जैसे आसमानों की सेर पर थी।

मेरी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे, वो मेरा छेद चटकारा ले-लेकर चाट रहा था। लग रहा था जैसे आइसक्रीम चाट रहा हो।

अब मेरे लिए बरदाश्त करना मुमकिन नहीं था मैने अपना नाटक खत्म करा मैंने भी उसका लंड मुंह में लिया, और जोश के साथ चूसने लगी। वाह! कितना स्वादिष्ट लौड़ा था मेरे भतीजे का!

इस हवस की आग में गिले हो गए थे हम दोनों। लेकिन मेरा मन चंचल हो गया था तो अभी भी सोने का नाटक करने लगी। सोच रही, थोड़ा और इंतजार करूं, फिर खुल कर मज़ा लूंगी ।

फिर उसने अपना 8 इंच का लन्ड चूत पर रखा,और झटका दिया। वो सांप अंदर जाए बिना फिसल गया। मैं अभी कुंवारी थी इसलिए छेद छोटा था ।

उस बेचारे ने 4-5 बार ट्राई किया थूक भी लगाया लेकिन उससे न हो पाया मुझे हसी आने लगी । फिर उसने जीभ चूत में डाली ये काम बहुत अचानक हुआ और बस, मैं जाग गई।

मैने आंखें खोलीं, और वासना भरी आवाज़ में बोली, "किशोर... मन मेरा भी बहुत दिनों से कर रहा था। लेकिन मैं बस तुम्हें किस करना चाहती थी, इतना नहीं सोचा था मैने।

ये सब ना करो, बहुत दर्द हो रहा, प्लीज!" मैंने हाथ जोड़े, लेकिन आंखों में शरारत थी वो रुका नहीं, बोला, "कुछ नहीं होगा।" उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया।

फिर लन्ड हाथ में दिया। मैंने कहा, "उफ! मम्मी, ये तो बहुत बड़ा है, मेरी फट जाएगी।" लेकिन मन में तो खुशी थी के आज लड़की औरत बजाएगी।

मैंने वो लन्ड मुंह में लिया, उसे खूब चूसा, खूब गीला करा। फिर किशोर ने मेरी टांगें फैलाईं, लन्ड मेरी चूत पर रखा।

मैं उसका 8 इंच का खुला सांप देखकर डर से चिल्लाई, "मुंह में चोद लो, चूत में ना डालो, दर्द होगा!"

लेकिन वो बोला, "अभी अच्छा लगेगा।" उसने मुझे बेड पर झुकाया, फिर गांड के नीचे तकिया रखा मैने भी मन में ठानी अब जो होगा देखा जाएगा।

उसने एक जोरदार झटका लगाया! एक बार में आधा लन्ड चूत के अंदर घुस गया! मेरी चीख निकल गई "आह! मम्मी, बहुत दर्द हो रहा है निकालो !" कहते हुए मैं चिल्लाई।

वो बोला, "प्लीज चुप हो जाओ, अब मैं धीरे से करूंगा।" वो धीरे-धीरे आधा डालता-निकालता रहा। मुझे सच में दर्द था, लेकिन आनंद भी मिल रहा था।

मेरी चूत गीली हो गई थी, वो मेरी चुदाई की चिकनाई बनी। कुछ देर बाद अब आराम मिलने लगा था। मैं भी गांड हिलाने लगी, उसका साथ देने लगी।

"आयाहम.. हां...ओहद्ह किशोर... और जोर से Yes आगाह!" मैं बुदबुदाई। वो चौंका, लेकिन और तेज हो गया। वो तेज़ी से मुझे चोद रहा था मैं खुल्लम खुल्ला अआआह! ओहद्ह!

किशोर आगाह, और तेज़ अआआह! माँ अआआह ओह Fuck Me! अआआह ।आयाहम.. हां...ओहद्ह किशोर... और जोर से Yes आगाह, किशोर आगाह,

और तेज़ अआआह! माँ अआआह ओह, मेरा होने वाला है किशोर अआआह, और तेज़ आआह करते रहो बहुत अच्छे! करते हुए अपने चरम सुख को पहुंच गई।

किशोर भी 15 मिनट मेरी ठुकाई करते हुए झड़ गया फिर हम दोनों नंगे लिपट कर सोए मैने रात भर उसका लन्ड अपनी चूत में दबाए रखा, सच कहूं तो मेरी चूत सिकुड़ गई थी जिस वजह से लन्ड फंस गया था।

हमें इस तरह जुड़े हुए सुबह के 5 बज गए, बाहर उजाला होने लगा। मैं रात भर में तीन बार झड़ी और वो दो बार। आखिर में दरवाजे पर दूधवाला आया।

किशोर ने लन्ड चूत से खींचकर बाहर निकाला मुझे तब भी दर्द हुआ फिर उसने लन्ड मेरे मुंह के पास किया। मैंने उसकी मुठ मारी, साले का मैने सारा माल मुंह में लेकर निगल लिया।

वो बहुत मीठा था। फिर मैने मैने उसे बोला, "अब बाद में कर लेना भाई अभी जाने दो। तुम्हारा इतना बड़ा लन्ड है, कैसे कोई इतना ले पाएगी?"

मैने जाते हुए उसके लंड को किस किया, उसने मेरे बूब को किस किया। फिर हमने कपड़े पहने और बाहर निकले। दूधवाले ने पूछा, "बहुत देर कर दी, क्या हुआ?" मैंने कहा, "नहीं, कल सीढ़ी से गिर गई थी, तो कमर में दर्द है।"

वो दूध देकर चला गया। फिर मैं किशोर के पास लौटी, मैने उसे चूत खोलकर दिखाई। किशोर, खून निकल रहा है, रुकने का नाम नहीं ले रहा।" उसने मेरे कपड़ा लगाकर रोका। फिर हम बाथरूम में नहाने गए। मैंने उससे दुबारा चूत चटवाई और बोली, "चटवाने में मजा ज्यादा आता है।"

वो सच में एक कुत्ते की तरह मुझे चाट रहा था, मैं तो बस आआह, ऊंह उम्मम! अच्छा लग रहा है कि आवाज़ में कराहती रही।

फिर बोली, "फिर कब करोगे?" उसने कहा, "जब मन करे।" मैं मुस्कुराई और उसके लन्ड को चूके बोली, "जब तुम्हारा मन करे।"

दोस्तों, ये वो रात थी जिसने हमारी जिंदगी बदल दी। किशोर तो चला गया एग्जाम देने, लेकिन उसके बाद हर मौके पर हम चुदाई के लिए मिले।

जब जब घर अकेला मिला, तो हमने चुदाई। ट्यूशन जाते समय रास्ते में छिपकर हम किस करते थे। मैं जानती थी, ये गलत है, लेकिन प्यार और वासना में क्या फर्क मैं बहुत देर से जानी।

वो मेरा भतीजा था, लेकिन मेरे लिए वो मेरा पहला प्रेमी था, मुझे औरत बनाने वाला वो मेरा मर्द था। आज भी मैं रातों में सोचती हूं, तो चूत गीली हो जाती। अगर मौका मिले, तो फिर से मैं उसके नीचे लेटकर चुदना चाहूंगी।

तो दोस्तों यह कामवासना से भरपूर Antarvasna stories आपको कैसी लगी मुझे नीचे कॉमेंट करके ज़रूर बताना।

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