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माँ की वासना भरी दिमागी जद्दोजहद - Incest Sex Stories

नमस्ते दोस्तो, मैं हूं आफरीन खान शर्मा.

जी हाँ … शर्मा … क्योंकि मेरी शादी शर्मा जी से हुई थी.


मैं एक साधारण-सी हाउसवाइफ, जिसकी जिंदगी कभी हंसी-खुशी से भरी थी और कभी दुखों के साये में डूबी रही.


मेरा बेटा मेरी दुनिया का वह सितारा है, जिसके लिए मैंने अपनी हर सांस को जिया.


ये कहानी मेरी और मेरे बेटे की है.

एक ऐसी कहानी, जो शायद आपको फिल्मी या फंतासी जैसी लगे, लेकिन ये मेरे दिल की सच्चाई है.

इसमें कोई बनावट नहीं, बस वह हकीकत है, जो मेरे साथ गुजरी.


Incest Sex Stories में मैं कोशिश करूंगी कि ज्यादा उर्दू शब्दों का इस्तेमाल न करूं, क्योंकि बचपन से उर्दू में पढ़ाई करने की आदत ने मेरी जुबान को थोड़ा रंग दिया है.


हमारी जिंदगी किसी मध्यमवर्गीय परिवार की तरह थी. सादगी भरी, प्यार से लबरेज.


मैं, मेरे शौहर और हमारा प्यारा-सा बेटा समीर.


मेरे शौहर मुझसे बेइंतहा मोहब्बत करते थे और मैं उनकी हर बात में खुद को खुशनसीब मानती थी.


मेरा बेटा उस वक्त छोटा था और खिलौनों का दीवाना था.

उसे रंग-बिरंगे खिलौने देखकर ऐसी खुशी मिलती थी, जैसे कोई खजाना मिल गया हो.


एक दिन हम तीनों कार से बाहर घूमने निकले थे.

रास्ते में हमने अपनी पड़ोसन रिमिका और उनके बेटे शांतनु को पैदल जाते देखा तो उनको भी गाड़ी में बिठा लिया.

रिमिका के पति नहीं रहे थे, वह अकली अपने बेटे को पाल रही थी.


एक टॉय शॉप देख कर बेटे ने जिद की कि उसे नया खिलौना चाहिए.


हम रुक गए.

मेरे पति ने मुझे कहा कि तुम दोनों बालकों को लेजाकर खिलौने दिलवा दो.

मैं बेटे और शांतनु को लेकर दुकान में चली गयी और रिमिका गाड़ी और मेरे शौहर कार में बैठे रहे.


जब हम तीनों खिलौने लाकर दूकान से बाहर निकले तो मेरा बेटा एकदम से अपना पापा के पास भागा.

उन्होंने गाड़ी का बोनुत खोला हुआ था, कुछ चेक कर रहे थे क्योंकि वह बार-बार दिक्कत दे रही थी.


मैं शांतनु का हाथ थामे दुकान से बाहर निकली ही थी कि अचानक एक जोरदार धमाका हुआ.

मेरी नजरें उस तरफ मुड़ीं और जो मैंने देखा, वह मेरी जिंदगी का सबसे भयानक मंजर था.


हमारी कार पूरी तरह तबाह हो चुकी थी. वे सब अब इस दुनिया में नहीं थे.


उनके शरीर सडक पर गिरे हुए थे.

और वह दृश्य मेरे दिल-दिमाग पर छा गया.

मैं वहीं सड़क पर गिर पड़ी, मैं शांतनु को सीने से लगाई हुई थी.


उस दिन ऐसा लगा जैसे मेरी सारी दुनिया लुट गई.

मैंने शांतनु को अपना बेटा मान लिया. मैंने उसका नाम भी बदल कर समीर रख दिया.


उस हादसे ने मुझे तोड़ दिया लेकिन बेटे के लिए मुझे जीना था.

एक अकेली जवान मां के तौर पर जिंदगी चलाना आसान नहीं थी.


घर चलाना, बेटा की परवरिश करना और खुद को संभालना.


ये सब एक साथ करना किसी जंग से कम नहीं था.


फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी. मैंने बेटे को अच्छे संस्कार दिए, उसे प्यार से पाला.


वह मेरा सहारा बन गया.

चाहे झाड़ू-पौंछा हो या खाना बनाना, बेटा हमेशा मेरे साथ खड़ा रहता.


उसकी मुस्कान मेरे दुखों को हल्का कर देती थी.


लेकिन कहते हैं ना, इंसान की संगत उसका रास्ता बदल देती है.


बेटे के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

स्कूल में उसे कुछ ऐसे दोस्त मिले, जिनकी बातों ने उसे गलत रास्ते पर धकेलना शुरू किया.


मुझे इस बात का इल्म तब हुआ, जब मैंने एक दिन उसका फोन चेक किया.


उसके दोस्त के साथ चैट्स पढ़कर मेरे होश उड़ गए.

वह दोस्त उसे इंसेस्ट कहानियां सुनाता था, पॉर्न वीडियो भेजता था.


लेकिन जो बात मुझे सबसे ज्यादा हैरान कर गई, वह थी मेरे बेटे की चैट्स.

उसने अपने दोस्त के साथ मेरे बारे में गलत फंतासियां शेयर की थीं.


मेरे अंडरगार्मेंट्स की तस्वीरें, मेरे बाथरूम में नहाते वक्त की वीडियो और मेरे काम करते हुए समय के क्लिप्स.


ये सब उसने अपने दोस्त को भेजे थे.


पहले तो मुझे गुस्सा आया, शर्मिंदगी हुई. मैंने सोचा कि मेरा बेटा ऐसा कैसे कर सकता है?


लेकिन फिर पता नहीं क्यों, मेरे मन में एक अजीब-सी उत्सुकता जागी.


मैंने वही इंसेस्ट स्टोरीज वाली साइट खोली, जो बेटे की चैट्स में थी.

मैंने कुछ कहानियां पढ़ीं और मेरे शरीर में एक अनजानी-सी सिहरन दौड़ गई.


मेरे मन ने मना किया, लेकिन मेरे हाथ खुद-ब-खुद मेरी टांगों के बीच में बढ़ गए.


मैं बाथरूम में गई और वहां मैंने खुद को छुआ.

मेरी चुत में एक गर्माहट थी जो मैंने पहले कभी इतनी शिद्दत से महसूस नहीं की थी.


उस पल में मैंने खुद को संभोग की उस दुनिया में खो दिया, जो मेरे लिए अब तक अनजानी थी.

बाथरूम में एक गोल वस्तु को लेकर मैंने अपनी चुत में रगड़न की और झड़ गई.


वह दिन मेरे लिए एक टर्निंग पॉइंट था.

मैं दिन भर उसी उधेड़बुन में डूबी रही.


रात को जब मैं और बेटा खाना खाकर सोने गए तो मेरे दिमाग में वही सब बातें घूम रही थीं.


उस रात मुझे एक सपना आया.

सपने में मैं और बेटा एक अंधेरे कमरे में थे.


उसकी आंखों में एक अजीब-सी चमक थी.

वह मेरे करीब आया और मैंने देखा कि उसका लंड मेरी ओर बढ़ रहा था. मेरे स्तन उसकी छुअन से सिहर उठे.


जैसे ही वह मेरी चुत को छूने वाला था, मैं एकदम से जाग गई.

मेरी सांसें तेज थीं और मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था.


मैंने खुद से कहा कि नहीं, यह गलत है. मेरा बेटा मेरा बेटा है!


उसके बाद मैंने बेटा से दूरी बनानी शुरू की.

मैं नहीं चाहती थी कि मेरे मन में कोई गलत ख्याल आए.


लेकिन मेरे बेटे को मेरी ये दूरी खलने लगी.


एक दिन उसने मुझसे पूछा- अम्मी, क्या मैंने कुछ गलत किया? आप मुझसे बात क्यों नहीं करतीं?


उसकी मासूमियत देखकर मेरा दिल पिघल गया.

मैंने उसे गले लगाया और कहा- नहीं बेटा, तुमने कुछ नहीं किया. बस मैं थोड़ा परेशान हूं.


लेकिन सच तो ये था कि मेरे मन में एक तूफान उठ रहा था.

मैं अपने ही ख्यालों से जूझ रही थी.


एक तरफ मां का प्यार था, जो बेटा को हर गलती से बचाना चाहता था.

दूसरी तरफ, वह अजीब-सी चाहत थी, जो मुझे बार-बार उन कहानियों और सपनों की ओर खींच रही थी.


मैंने मन ही मन फैसला किया कि मुझे बेटा को सही रास्ते पर लाना होगा लेकिन उससे पहले मुझे खुद को समझना होगा.


एक रात जब बेटा सो रहा था, मैंने फिर से उसका फोन चेक किया.


इस बार उसकी चैट्स में कुछ और था


उसने अपने दोस्त को लिखा था कि मेरी मम्मी बहुत खूबसूरत हैं. उनके स्तन इतने परफेक्ट हैं और उनकी कमर … मैं हर वक्त उनके बारे में सोचता हूं.


ये पढ़कर मेरे मन में गुस्सा और उत्तेजना दोनों एक साथ उमड़ आए.

मैंने फोन रख दिया और अपने कमरे में चली गई.


वहां मैंने फिर से खुद को छुआ और इस बार मेरे ख्यालों में बेटा था.


मेरे शरीर ने फिर से मुझे धोखा दे दिया.

चुत में वह गर्माहट फिर लौट आई और मैंने खुद को उस दिन जैसे अहसास में खो दिया.


आज मैं किचन से मूली लेकर बाथरूम में गई थी.

मूली से मेरी चुत को बड़ा सुख मिला.

मैं झड़ गई और उस मूली को चाट कर मैंने अपनी चुत के रस का स्वाद ले लिया.


इसी तरह से कई दिन बीत गए.

अब मैंने बेटे से इस बारे में बात करने की सोची.


एक शाम जब हम दोनों बैठे थे, मैंने उससे कहा- बेटा, तुम मेरे लिए सबसे कीमती हो. लेकिन कुछ चीजें गलत हैं, जो तुम कर रहे हो!


उसने मेरी ओर देखा और कहा- मम्मी, मुझे पता है. मैं गलत रास्ते पर चला गया था. लेकिन मैं बदलना चाहता हूं!


उसके शब्दों ने मुझे सुकून दिया.

मैंने उसे गले लगाया और कहा- हम साथ मिलकर सब ठीक कर लेंगे.


उस रात मैंने फैसला किया कि मैं बेटे को वह प्यार और मार्गदर्शन दूंगी, जो उसे सही रास्ते पर ले जाए.


मेरे मन में जो उलझन थी, उसे मैंने अपने अन्दर ही दफन कर दिया.

मैं जानती थी कि एक मां का फर्ज सबसे ऊपर है.


लेकिन फिर भी, कहीं न कहीं, मेरे मन के एक कोने में वह सवाल जिंदा था क्या मैं सचमुच अपने ख्यालों को दबा पाऊंगी? क्या बेटा और मेरे रिश्ते की ये उलझन कभी सुलझ पाएगी?

ये सवाल मेरे साथ आज भी हैं और शायद हमेशा रहेंगे.


उस रात के बाद मेरी जिंदगी जैसे एक अंधेरे भंवर में फंस गई थी.


मैं इन्सेस्ट कहानी पढ़ने से खुद को रोक ही नहीं पा रही थी और साथ ही अपनी चुत से खेलना मेरा रोजाना का शगल हो गया था.

जिस वक्त मैं अपनी चुत में गाजर मूली करती थी उस वक्त कहीं न कहीं मेरे ख्यालों में मेरा लड़का रहता था.


शायद ये मेरी सबसे बड़ी गलती थी.

मैं चुप रही और मेरी चुप्पी ने बेटा को और हिम्मत दी.


मुझे नहीं पता था कि उसने मुझे बाथरूम में मास्टरबेट करते हुए भी देख लिया था.

उसने वह पल भी अपने फोन में कैद कर लिया था.


एक दिन बेटा मेरे पास मेरा ही फोन लेकर आया.

उसकी आंखों में एक अजीब-सी चमक थी.


उसने मेरी आंखों में देखा और कहा- मॉम, आई वांट टु फक यू हार्डर!


मेरे कानों में जैसे बिजली कौंध गई.

मैंने गुस्से और हैरानी से उसकी ओर देखा.


‘पागल हो गया है क्या? ये कैसी बात कर रहा है?’ मैंने चिल्लाकर कहा.


बेटा हंसा और बोला- हां मॉम, पागल हूं. तभी तो आपके फोन में इंसेस्ट स्टोरीज और वीडियो देखे. गूगल क्रोम की हिस्ट्री में सब कुछ है. और तो और, मैंने आपको बाथरूम में मास्टरबेट करते हुए भी देखा है!


मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई. मैं कुछ बोल ही नहीं पाई.


इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया.


मैंने उसे धक्का देने की कोशिश की लेकिन मेरी 40 साल की ताकत उसके 18 साल के जोश के सामने कम पड़ गई.


उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे चूमने लगा.

मैं विरोध करती रही लेकिन वह रुका नहीं.


पूरे दस मिनट तक वह मुझे चूमता रहा और फिर अचानक मुझे छोड़कर स्कूल चला गया.


मैं फर्श पर बैठकर रोने लगी.


मेरे आंसुओं में शर्मिंदगी थी, गुस्सा था और कहीं न कहीं मेरी अपनी कमजोरी का इल्जाम भी था.


मैंने खुद को इस राह पर धकेला था.

मैंने जानते हुए भी बेटे की हरकतों को अनदेखा किया … और नतीजा सामने था.


उस दिन के बाद मैंने बेटे से दूरी बनाने की कोशिश की.

लेकिन मेरे मन की उलझन कम नहीं हुई.


मैं हर रात वही इंसेस्ट कहानियां पढ़ती और मेरी चुत में वही सिहरन जागती.


मैं खुद को रोक नहीं पाती थी.

मेरे स्तन उस अहसास से भारी हो जाते और मैं अपने जिस्म की गर्मी में डूब जाती.

लेकिन हर बार झड़ने के बाद में मुझे खुद पर गुस्सा आता.


एक शाम इबादत का वक्त था. मैं अपने कमरे में पूजा कर रही थी, अपने रब से माफी मांग रही थी.


तभी अचानक बेटा पीछे से आया.

मैंने उसे नहीं देखा.


उसने मेरी पजामी नीचे खींच दी और अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया.

बिना किसी चेतावनी, बिना किसी सहमति.


मैं चीख पड़ी- बेटा, ये क्या कर रहा है? मैं पूजा कर रही हूं! रुक जा!


लेकिन उसने मेरी एक न सुनी. उसने मेरा मुँह अपने हाथ से दबा दिया और जोर-जोर से मेरी गांड में धक्के मारने लगा.

मैं दर्द से कराह रही थी. मेरी चीखें मेरे ही गले में दब गईं.


कुछ देर बाद उसने मेरे अन्दर अपना वीर्य छोड़ दिया और मेरे होंठों को चूमते हुए बोला- आई लव यू, मॉम!

फिर वह अपने कमरे में चला गया.


मैं दर्द और शर्मिंदगी से टूट चुकी थी.

मैंने खुद को संभाला, अपने कपड़े ठीक किए और बाथरूम जाकर साफ किया.

लेकिन मेरा मन शांत नहीं था.


मैंने बेटे के कमरे में जाकर उससे बात करने का फैसला किया.

‘बेटा!’ मैंने गंभीर स्वर में कहा- तूने मेरे साथ जो किया, वह गलत है. मेरी मर्जी के बिना तूने मुझे हाथ लगाया. ये हमारे धर्म में पाप है और हराम भी है.


बेटे ने हल्के से हंसते हुए कहा- मम्मी, जब आपने मेरे फोन को बिना इजाजत चेक किया, तब तो कुछ नहीं हुआ? आप खुद इंसेस्ट स्टोरीज देखकर मास्टरबेट करती हैं. मैंने तो बस खुशी में आपके साथ सेक्स कर लिया. आपको भी तो मजा आया होगा!


मैंने गुस्से से कहा- बेटा, बिना सहमति से सेक्स में दोष होता है. अगर मैं तुझसे कहूं कि मैं तैयार हूं, वह अलग बात है. लेकिन तूने मेरी मर्जी के बिना ये सब किया. ये गलत है!


बेटा ने बेपरवाही से कहा- कम ऑन, मॉम. आपको मजा आया ना? बस यही काफी है. चलो, अब अगला राउंड करते हैं!


मैंने सख्ती से कहा- नहीं, बेटा! मैं मास्टरबेट करूं, जो चाहे वह देखूं, लेकिन अपने बेटे के साथ सेक्स नहीं कर सकती!


बेटे ने मेरी ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा- अब तो मैंने आपकी गांड भी मार ली है. अब किस बात का डर? आपकी सेक्सी गांड का गड्ढा इतना प्यारा है, जी करता है रोज मारूं!


मैंने उसे चुप कराते हुए कहा- बेटा, अगर किसी को पता चल गया तो हमारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी!


‘कोई नहीं जानेगा अम्मी!’

उसने कहा और मुझे अपनी ओर खींच लिया.


उसने फिर से मुझे चूमना शुरू कर दिया.

मैंने विरोध किया, लेकिन मेरा मन कहीं न कहीं कमजोर पड़ रहा था.


उसने मेरी पजामी में हाथ डाला और मेरी चुत में उंगली करने लगा.


मेरे स्तन उसकी छुअन से सिहर उठे.

मैं सच कहूं, तो मुझे मजा आने लगा.


मेरी शादी के बाद पहली बार सेक्स का वह अहसास मुझे इतना गहरा नहीं लगा था, जितना अब बेटे के साथ फोरप्ले से मिल रहा था.


मैंने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन मेरा जिस्म मेरे मन से बगावत कर रहा था.


मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया.

बेटा हैरान था, लेकिन खुश भी.


उसकी आंखों में जीत की चमक थी.


मैंने धीरे से पूछा- बेटा, अब क्या करेगा?

वह हंसा और बोला- अम्मी, अब तो बस शुरुआत है.


उसने मेरी कुर्ती उतार दी और मेरे स्तनों को चूमने लगा.

उसकी जीभ मेरे निप्पलों पर फिर रही थी और मेरी चुत में गर्मी बढ़ती जा रही थी.


वह अपने लंड को मेरी चुत के पास लाया और मैंने एक पल के लिए सांस रोक ली.


‘बेटा, रुक!’

वह रुक गया.


मैंने कहा- मुझे सोचने का वक्त चाहिए!

वह रुक गया था.


शायद उसे मेरी आवाज में वह दर्द और उलझन सुनाई दी, जो मेरे दिल में थी.

उसने मुझे गले लगाया और कहा- मॉम, मैं आपसे प्यार करता हूं. मैं नहीं चाहता कि आप दुखी हों! कहीं न कहीं आपकी भी कुछ जरूरत है. किसी बाहर वाले से मैं अच्छा ही साबित होऊंगा!


उसका यह कहना मुझे अन्दर तक काफी सुकून दे गया था.


वह मुझे छोड़ कर चला गया और जाते जाते बोला- आप अपना निर्णय लेने के लिए आजाद हैं.

वह चला गया.


उस रात मैं अपने कमरे में अकेली थी.

मेरे सामने दो रास्ते थे.

एक रास्ता वह था, जो मुझे मेरे जिस्म की चाहत की ओर ले जा रहा था.


दूसरा रास्ता वह था जो मुझे मेरे फर्ज की याद दिला रहा था.


मैं एक मां थी. बेटा मेरा बेटा था.


लेकिन मेरे मन में जो सवाल उठ रहे थे, उनका जवाब मेरे पास नहीं था.


अगले दिन मैंने बेटा से बात की.

मैंने कहा- बेटा, हमें यह सब रोकना होगा. ये गलत है. हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं, लेकिन ये प्यार मां-बेटे का होना चाहिए!


बेटे ने मेरी ओर देखा और कहा- मॉम, मैं कोशिश करूंगा. लेकिन आप भी तो जानती हैं कि ये आसान नहीं है!


मैंने उसका हाथ थामा और कहा- हम साथ मिलकर इसे ठीक करेंगे. लेकिन हमें एक-दूसरे की इज्जत करनी होगी!


उसके बाद मैंने अपने आपको संभालने की कोशिश की.

मैंने इंसेस्ट कहानियां पढ़ना बंद कर दिया; मैंने अपने धार्मिक कामों में ज्यादा वक्त बिताना शुरू किया.


बेटा भी धीरे-धीरे बदलने लगा.

उसने अपने दोस्तों से दूरी बना ली.


लेकिन कहीं न कहीं, हमारे बीच वह अजीब-सा तनाव अभी भी था.


एक दिन बेटा मेरे पास आया और बोला- मॉम, मैंने अपनी गलतियां सुधारने का फैसला किया है. मैं नहीं चाहता कि आप मेरी वजह से दुखी हों!


मेरे आंसू छलक आए.

मैंने उसे गले लगाया और कहा- बेटा, तू मेरा बेटा है. हम एक-दूसरे का सहारा हैं!


आज भी मेरे मन में कई सवाल हैं.

क्या मैं सचमुच अपने ख्यालों को दबा पाऊंगी?

क्या बेटा और मेरा रिश्ता कभी पहले जैसा हो पाएगा?


लेकिन एक बात मैंने सीखी है कि जिंदगी उलझनों से भरी है और हमें हर कदम पर अपने फर्ज को याद रखना होगा.


तभी न जाने क्या हुआ कि उसने मेरी पजामी खोल दी और मेरी पैंटी खोलकर सीधा चुत पर झपट पड़ा.


उसने मुझे पेल दिया और मैं भी चुप रही.

मुझे थोड़ा दर्द हुआ लेकिन कुछ देर बाद मजा आने लगा.


उसने अपना लंड निकाला और मैं हैरान रह गई.

उसका लंड मेरे पति से ज़्यादा बड़ा था.


उसने सीधा मेरे मुँह में लंड डाला और मेरे बालों को पकड़ कर मुझसे लंड चुसवाने लगा.


उसने अपना पूरा लंड! मेरे मुँह में अन्दर तक ठूंस दिया था. उसका लंड मेरे गले तक ज़ा रहा था.


कुछ मिनट लंड चुसवाकर उसने अपना लंड निकाला और मुझसे बोला- अम्मी मेरे ऊपर चढ़ो!

मैं भी शायद राजी थी- ओके बेटा!


मैं अपने बेटे के खड़े लौड़े पर चढ़ गई और चुत में धीरे धीरे किसी मूली की तरह जज़्ब करने लगी.


उसके मोटे लंड पर जैसे ही मेरी चुत घुसी, मुझे दर्द होने लगा.

उसने तुरंत मुझे नीचे खींचा और मेरे होंठों में अपने होंठ डाल कर मुझे दबा लिया.

अब वह मुझे चोदने लगा.


कुछ देर दर्द हुआ पर उसके बाद मुझे मजा आने लगा.


कुछ देर बाद मैं खुद गांड उछाल उछाल कर चुदाई करवाने लगी.


मैं अपने बेटे से बोली- आह बेटा सच में मैं धन्य हो गई हूँ कि मुझे तेरे जैसा बेटा मिला.


वह बोला- मजा आ रहा है न अम्मी!

मैं- आह हां … मेरे बेटे बहुत मजा आ रहा है.


वह हंस कर बोला- मेरा लंड कैसा लगा अम्मी!

मैं- तेरा लंड तेरे बाप से भी मस्त है आअहह आआहह!


बेटा- मां, मैं अपने आपका ही बेटा हूँ न!

उसके इस सवाल पर मैं हैरान हो गई और वह बात मुझे वापस याद आ गई कि मेरा बेटा मेरा नहीं पड़ोसन का बेटा था.


उन दोनों के दुर्घटना में मरने के बाद मैंने ही उसके बेटे नितिन को अपना बेटा समीर बना लिया था.


यह याद आते ही मैं चुप हो गई और समीर के लौड़े पर पूरी ताकत से अपनी चुत पटकने लगी.


समीर- आह अब चुदो अम्मी, मस्त होकर चुदो मैं आज अपना माल भी आपकी चुत में ही छोड़ूँगा.


वह मुझे धकापेल चोद रहा था.

हॉट सेक्स स्टेप मॅाम में हम दोनों को बेहद मजा आ रहा था.


चुदाई के बाद हम दोनों वैसे ही नंगे सो गए.

चार घंटे बाद नींद खुली तो मैं उठकर अपने आपको साफ करके कपड़े पहन कर किचन में गई.


किचन में चाय बना ही रही थी कि तभी समीर फिर से आ गया.


समीर- अम्मी लेट’स गो फॉर नेक्स्ट राउंड!

मैं- नहीं बेटा पागल हो क्या!


तब तक उसने दुबारा से मेरी पजामी उतार दी और खड़ी अवस्था में ही मेरी टांगें चौड़ी करके मेरी गांड में लंड पेल दिया.

वह मेरी गांड मारने लगा.

मीठा दर्द होने लगा पर सच में मजा आ रहा था.


मैंने उससे कहा- करना ही है तो अच्छे से कर न, तेल लगा कर चोद ले!

वह हंस दिया और मुझे किसी फूल के जैसे उठा कर कमरे में ले आया.


उसने कमरे में बेड पर मुझे कुतिया बनाया और मेरी गांड में तेल लगा कर उंगली से गांड ढीली की और तब तक मैंने अपने मुँह को तकिया से दबा लिया ताकि मैं चिल्लाऊँ तो आवाज़ ना आए.


उसने मेरी गांड में लंड घुसाया और शुरू से ही स्पीड तेज़ कर दी.


मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं सच में अपने बेटे की कुतिया ही हूँ.

मैं चीखती रही और वह मेरी गांड मारता रहा.


आज तो वह ज़ोर ज़ोर से मेरी गांड ऐसे मार रहा था जैसे उसको कभी सेक्स करने का मौका ना मिला हो.


गांड मारने के बाद उसने अपने लंड का पूरा माल मेरी गांड में ही निकाला और अलग होकर लेट गया.

मुझे भी दर्द हो रहा था पर सुकून था.


दोस्तो, अब मैं आपके सामने हूँ आपको मेरी Incest Sex Stories पर जो भी कहना ठीक लगे, आप वह कह सकते हैं.

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