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माँ और चाचा ने रंगरेलियां मनाई - Desi Sex Kahani

यह मेरी माँ और मेरे असली चाचा, यानी मेरे पिता के भाई की सच्ची कहानी है। दरअसल, मेरे पिता एक निर्माण कंपनी में काम करते थे। वे पूरे दिन काम करते और शाम को घर लौटते, ठीक मेरी तरह। लेकिन मेरे चाचा रात को काम करते थे, जिसके कारण मेरी माँ और चाचा को एक-दूसरे के साथ समय बिताने और गलत काम करने का मौका मिलता था।


एक दिन मैं दोपहर में जल्दी घर आ गया। मुझे अब याद नहीं कि क्या वजह थी, क्योंकि यह बात तीन साल पुरानी है। मैंने माँ को सारे कमरों में देखा, सिवाय चाचा के कमरे के। चाचा हमारे साथ ही रहते हैं। मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ कि माँ कहाँ हैं। मैंने सोचा कि चलो, चाचा से पूछता हूँ।


जब मैं चाचा के कमरे के पास पहुँचा, तो कुछ आवाज़ सुनाई दी। मैंने ध्यान से सुना, तो कोई मज़े से चाटने को कह रहा था। मैं सोच में पड़ गया कि चाचा तो अकेले रहते हैं, उनके कमरे में कौन हो सकता है? मैंने सोचा कि शायद कोई और है। मेरे दिमाग में यह बात बिल्कुल नहीं थी कि माँ होंगी।


मैं दूसरी तरफ सोच रहा था कि शायद कोई किराए की औरत होगी। लेकिन जब मैं चाचा के कमरे के बराबर वाले दूसरे कमरे में गया और अलमारी के ऊपर झाँकने की कोशिश की, क्योंकि उस दीवार में मैंने कंप्यूटर नेटवर्क केबल के लिए एक छेद बनाया था, तो उस छेद से जब मैंने झाँका, तो मुझे एक गांड दिखी और एक मुँह जो उस गांड को चाट रहा था।


मैं गुस्से में था। चेहरा तो चाचा का था, लेकिन गांड किसकी थी, यह अभी पता नहीं था। चाचा किसी कुत्ते की तरह चाट रहे थे। मैं समझ गया कि चाचा आज रंगरलियाँ मना रहे हैं। अब जब वह गांड वाली घूमी, तो मुझे 440 वॉट का झटका लगा और मैं गिरते-गिरते बचा। वह मेरी माँ थीं।


ओह, शिट! मैंने कहा, यह क्या! मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि माँ ऐसा करेंगी। लेकिन वह कर रही थीं। दिल तो चाहता था कि जाकर उन्हें पकड़ लूँ, लेकिन मेरे अंदर एक और चीज़ भी जाग गई। माँ को चुदते देखकर मेरा लंड 90 डिग्री पर खड़ा हो गया।


मैंने आज तक कभी रियल टाइम में चुदाई नहीं देखी थी। मेरा मतलब है कि रियल टाइम मूवीज़ तो बहुत देखी थीं, लेकिन असल जिंदगी में नहीं। इसलिए मैं एक बेशर्म बेटे की तरह आराम से बैठ गया और उन्हें देखने लगा। माँ गांड चटवाकर अब चूत चटवाने के चक्कर में थीं।


अब चाचा ने अपनी लाल जीभ माँ की चूत में डाल दी और ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगे। साथ ही उनके हाथ माँ के स्तनों को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहे थे और मेरा हाथ मेरे लंड पर तेज़ी से चल रहा था। माँ के मुँह से “आह्ह्ह… ओह्ह्ह… आह्ह्ह… हा हा हा…” की आवाज़ें आ रही थीं।


जब मुझे लगा कि माँ रिलीज़ होने वाली हैं, तो चाचा ने अपना काला लंड माँ के सामने कर दिया कि इसे चूसो। और वह आराम से खड़े हो गए। अब माँ चाचा का लंड ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थीं, जैसे कोई लॉलीपॉप हो। चाचा का मुँह मज़े से लाल हो रहा था।


माँ को चुदते देखकर पता नहीं क्या मज़ा आ रहा था, मैं बता नहीं सकता। यह काम 5 मिनट तक चला। अब चाचा ने माँ को डॉगी स्टाइल में कर लिया। माँ की गांड बहुत बड़ी थी। मैंने पहले कभी इतने गौर से नहीं देखा था, लेकिन मुझे लगता है कि मेरी माँ की गांड पूरी फैमिली में सबसे बड़ी है।


चाचा ने गाली दी, “रंडी, अब ज़रा टाँगें खोल और चुदने के लिए तैयार हो जा। तेरा खाविंद (पति) तुझे शायद भूल गया है, लेकिन मैं नहीं भूला।” अब चाचा ने अपना 7 इंच का लंड माँ की चूत की तरफ किया और माँ के कंधों पर हाथ रखकर एक झटका मारा। लंड अंदर चला गया और माँ के मुँह से मज़े से सिसकारी निकली। अब चाचा ने धड़ाधड़ चुदाई शुरू कर दी। माँ के 38 साइज़ के स्तन आगे-पीछे किसी पेंडुलम की तरह हिल रहे थे। चाचा मज़े से अपने लंड को माँ की चूत में आगे-पीछे कर रहे थे। दोनों जानवरों की तरह चुदाई में मशगूल थे और मैं अपने लंड की मुठ मार रहा था।


अब चाचा ने कहा, “रंडी, मादरचोद की बच्ची, मैं छूटने वाला हूँ।” माँ ने कहा, “हाँ, मेरे अंदर निकालना। और ज़ोर-ज़ोर से मार, बहुत मज़ा आ रहा है। और ज़ोर से, और ज़ोर से।” अब चाचा पूरी जान से माँ की चूत मार रहे थे। वे रिलीज़ होने वाले थे। मैं भी इधर आखिरी स्टेज पर था। फिर चाचा के लंड ने पानी छोड़ दिया और माँ भी छूट गईं। वे दोनों एक-दूसरे के ऊपर लेट गए। मैं अपना गीला लंड लेकर नीचे उतर आया।


यह थी दोस्तों, एक चुदाई की Desi Sex Kahani, जो पता नहीं कितने सालों से चल रही थी।

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