माँ बेटी की चूत गांड की पूरी चुदाई - Family Sex Story
- Kamvasna
- Jul 25
- 17 min read
दोस्तो! मेरा नाम फातिमा है और मेरी उम्र 23 साल है.
मेरा फिगर 34-26-34 है. मेरा रंग गेहुआं है और मेरी हाइट थोड़ी कम, सिर्फ 4 फीट 10 इंच है.
इस वजह से मैं चेहरे से उम्र से काफी छोटी और फिगर से उम्र से बड़ी लगती हूँ.
आज मैं आपको अपनी Family Sex Story सुनाने जा रही हूँ.
मेरे परिवार में चार लोग हैं.
अब्बू अहमद, अम्मी रुखसार, भाई साहिल और मैं.
मेरे अब्बू अम्मी से उम्र में काफी बड़े हैं.
अब्बू अम्मी से 12 साल बड़े हैं और उनकी उम्र अभी 59 साल है.
अम्मी की उम्र 47 और भाईजान की 29 है.
अम्मी की शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी.
क्योंकि नानी ने नानू को अम्मी को चोदते हुए देख लिया था तो उन्होंने जल्दी से अम्मी की शादी करवा दी.
मेरी अम्मी बहुत बड़ी चुदक्कड़ औरत हैं और उनके अन्दर बिल्कुल शर्म-हया नहीं है.
अम्मी अपना फिगर बहुत मेंटेन करके रखती हैं.
उनका फिगर 36-30-38 का है और उनकी शक्ल देखकर कोई उनकी उम्र का अंदाज़ा नहीं लगा सकता.
वे बेहद खूबसूरत हैं!
मेरा फिगर बिल्कुल अम्मी पर गया है.
अम्मी की हाइट भी ज्यादा नहीं, वे मेरे बराबर की ही हैं.
हम दोनों का फिगर भी एक जैसा है.
साहिल भाईजान मुझसे पूरे 6 साल बड़े हैं और वे अम्मी को बहुत चोदते हैं.
मैं बच.पन से उन्हें अम्मी को चोदते हुए देख रही हूँ.
मेरे अब्बू का कपड़े का बिजनेस है, वे सुबह 10 बजे दुकान चले जाते हैं और शाम को 8-9 बजे लौटते हैं.
इसलिए घर पर हम तीनों ही रहते हैं क्योंकि भाईजान की अभी शादी नहीं हुई है.
अब्बू के दुकान जाते ही भाईजान अम्मी को नंगी करके सुबह-सुबह चोदते हैं.
फिर अब्बू के बाद वे भी दुकान चले जाते हैं.
सबसे पहली बार की मुझे याद है, जब मैंने भाईजान को अम्मी को चोदते हुए देखा था.
अब्बू दुकान का सामान लेने दूसरे शहर जाने वाले थे.
रात की ट्रेन थी तो हम सबने खाना खाया.
उसके बाद भाईजान अब्बू को स्टेशन छोड़ने चले गए.
आधे घंटे बाद भाईजान वापस आए.
मैं टीवी देख रही थी और अम्मी रसोई में बर्तन धो रही थीं.
भाईजान ने अम्मी को आवाज़ दी- कहां हो, अम्मी जान!
अम्मी ने रसोई से जवाब दिया- इधर, मेरे लाल … आ जा!
भाईजान रसोई में चले गए.
मैं टीवी देखती रही.
दस मिनट बाद मुझे प्यास लगी तो मैं पानी पीने रसोई में गई.
वहां मैंने देखा कि अम्मी नंगी खड़ी हैं और भाईजान अपने घुटनों पर नंगे बैठे हैं.
उनका लंड एकदम तना हुआ था और वे अम्मी के चूतड़ों के बीच में अपना मुँह डालकर उनकी गांड चाट रहे थे!
मैं जैसे ही पहुंची, अम्मी बोलीं- तुम यहां क्या लेने आई? जाओ, टीवी देखो!
मैंने कहा- प्यास लगी थी.
भाईजान अभी भी अम्मी के बड़े-बड़े चूतड़ों के बीच मुँह डाले हुए थे.
अम्मी बोलीं- पी लो पानी और जाओ, सो जाओ!
मुझे समझ नहीं आया कि ये सब क्या हो रहा है.
मैंने पानी पिया और अपने कमरे में चली गई.
एक घंटे बाद भाईजान नंगे ही कमरे में आए और सो गए.
मैं और भाईजान एक ही कमरे में सोते थे.
भाईजान रात में सोते वक्त कभी कपड़े नहीं पहनते थे इसलिए उन्हें नंगा देखने की मुझे आदत थी.
लेकिन उस दिन मैंने पहली बार अम्मी को नंगी देखा था.
सुबह मेरी आंख जल्दी खुल गई.
अम्मी मेरे कमरे में थीं, नंगी.
भाईजान उनकी टांगें फैलाकर उनकी बुर में लंड डाले हुए चोद रहे थे.
अब्बू के घर पर न होने का पूरा फायदा अम्मी और भाईजान ले रहे थे.
रात में चुदाई, सुबह उठते ही फिर चुदाई शुरू!
थोड़ी देर बाद भाईजान ने अम्मी की चूत में अपना माल गिरा दिया और उनके ऊपर लेट गए.
फिर वे उनके मम्मे चूसने लगे.
कुछ देर बाद दोनों नंगे ही कमरे से बाहर चले गए.
थोड़ी देर बाद मैं भी उठकर बाहर गई.
अम्मी ने नाइटी पहनी थी, जिसमें से उनका पूरा नंगा बदन दिख रहा था.
भाईजान ने बस एक हाफ पैंट पहनी थी.
मुझे उनकी बातों से पता चला कि वे कहीं नहीं जा रहे थे.
मैंने भी पेट दर्द का नाटक किया और स्कूल नहीं गई ताकि अम्मी की चुदाई देख सकूँ.
उस वक्त मुझे नहीं पता था कि ये सब क्या होता है.
मुझे लगा शायद ऐसा ही होता होगा.
शायद एक-दूसरे को खुश करने के लिए कोई भी किसी के साथ ऐसा कर सकता है.
क्योंकि वो दोनों बहुत खुश दिख रहे थे!
कुछ देर बाद अम्मी नाश्ता बनाने लगीं.
भाईजान उनके पीछे खड़े होकर उनके मम्मे सहलाने लगे.
वे कभी अम्मी के मम्मे सहलाते, कभी कुछ और करते.
कभी भाईजान अम्मी की चूत की दरार में उंगली डाल रहे थे.
फिर उन्होंने अम्मी के चूतड़ों के बीच में अपना हाथ डाला.
गांड में दो उंगलियां डालते ही उनका छेद फैलने लगा.
अम्मी बोलीं- अभी साफ करके आई हूँ! ज्यादा गंदा न करना!
भाईजान बोले- आज सारा माल इसमें ही तो गिरेगा सारे दिन! आज तो सारा दिन तुम्हारे मोटे चूतड़ों के बीच में ही रहेगा मेरा लंड!
अम्मी हँसकर बोलीं- अच्छा, ऐसी बात है तो मेरी चूत बुरा मान जाएगी!
भाईजान ने जवाब दिया- उसे भी खुश कर देंगे, टेंशन मत लो!
ये सब बातें करते हुए भाईजान अम्मी की गांड में उंगली डालकर उन्हें उठा रहे थे.
उनकी एड़ियां उचक रही थीं.
कुछ देर बाद वे उंगली बहुत तेजी से अन्दर-बाहर करने लगे.
अम्मी की आंखें बंद होने लगीं.
सिसकारियां लेती हुई वे बोलीं- ऐसे ही करता रह मेरे लाल!
भाईजान अम्मी की गांड को उंगली से चोद रहे थे.
साथ ही उनकी गर्दन को चूमते हुए दूसरे हाथ से उनके मम्मे मसल रहे थे.
मैं आराम से बैठकर ये सब देख रही थी. उन्हें पता भी नहीं था और शायद फर्क भी नहीं पड़ता.
कुछ देर बाद भाईजान अम्मी की गांड में लंड डाले हुए ही रसोई से बाहर आ गए.
टीवी के पास पड़े बेड पर उन्हें झुकाकर चोदने लगे.
मैं पीछे सोफे पर बैठी थी. उनकी नजर मुझ पर पड़ी ही नहीं.
वे अम्मी के चूतड़ों पर तमाचे मारते हुए उनकी तारीफ करते हुए उनकी गांड चोद रहे थे.
अम्मी के बड़े-बड़े स्तन झुकी हुई अवस्था में लटकते हुए झूल रहे थे.
भाईजान बोले- ये मोटे-मोटे चूतड़ों का मजा अब्बू ढंग से नहीं ले पाते! ये तो मेरे लिए ही बने हैं!
अम्मी बोलीं- हां मेरे लाल, तुम्हारे ही हैं! खूब चोदो अपनी अम्मी को, पूरे दो दिन लगातार … चोद-चोदकर मेरी बुर और गांड का कचूमर निकाल दो!
भाईजान ने अम्मी को आधा घंटा तक अलग-अलग पोजीशन में खूब चोदा.
फिर अपना सारा माल उनके मोटे चूतड़ों के बीच में भर दिया.
जब भाईजान ने अम्मी को सीधा करके चोदना शुरू किया, तब उन्होंने मुझे देख लिया.
फिर भी बिना कुछ बोले वे अम्मी को चोदते रहे.
वे बीच-बीच में मेरी तरफ देख रहे थे और मैं दोनों को लगातार देख रही थी.
Xxx माँ सेक्स के बाद भाईजान वैसे ही नंगे मेरे पास आए और बैठकर बोले- मजा आया देखकर?
मैंने कहा- हां!
वे बोले- थोड़ा बड़ी हो जा, फिर तुझे भी अम्मी जितना मजा मिलेगा!
पीछे से अम्मी बोलीं- अभी से न बिगाड़ उसे, नहीं तो तेरा बंटवारा हो जाएगा!
भाईजान बोले- आपके अब्बू ने भी तो आपको बचपन में चोद-चोदकर जवान बनाया था न!
अम्मी बोलीं- हां, ये तो है! मेरी शादी के बाद भी तेरे नानू जब यहां आते थे, तो मुझे हर दिन चोदते थे. फातिमा के होने के दो साल बाद तक भी चोदते थे, जब भी आते थे या मैं जब वहां जाती थी. अब तो बस चूचियां दबाते हैं या चूत रगड़कर मजा ले लेते हैं.
भाईजान बोले- बुड्ढे में अब भी जवानी है!
अम्मी बोलीं- ऐसे नहीं बोलते! नानू हैं तुम्हारे और नानू क्या, अब्बू हैं तुम दोनों के!
भाईजान बोले- हम दोनों के लिए उनका बीज लगा था?
अम्मी बोलीं- हां, तू तो जब मैं शादी करके आई थी, तब पेट में था. एक महीने की प्रेगनेंट थी मैं … और फातिमा जब मैं घर पर थी, तो एक रात जोश में गलती से अब्बू ने सारा माल मेरी बुर की गहराई में भर दिया. नौ महीने बाद ये हो गई.
ये सब बातें करते हुए अम्मी भाईजान के माल को, जो उनके चूतड़ों के बीच में गिराया था, पौंछकर साफ कर रही थीं.
फिर वे भी नंगी ही सोफे पर आकर बैठ गईं.
अम्मी बोलीं- तुम्हें पता है तुम्हारे भाईजान और मैं अभी क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- नहीं!
अम्मी ने भाईजान का लंड हाथ में लिया और बोलीं- इसे प्यार कहते हैं! जब ये तुम्हारे किसी भी छेद में जाता है और दो लोग एक-दूसरे के नंगे बदन को चूमते हैं, एक-दूसरे से चिपकते हैं, एक-दूसरे का पानी निकालते हैं, उसे प्यार करना कहते हैं. जब तुम थोड़ी बड़ी हो जाओगी, तब तुम्हें भी प्यार मिलेगा!
मैंने पूछा- अब्बू भी करेंगे प्यार?
अम्मी बोलीं- हो सकता है, क्या पता!
भाईजान अम्मी के बड़े-बड़े मम्मे चूसने में लगे थे.
अम्मी के मम्मे बहुत बड़े हैं.
गोरी-गोरी बड़ी-बड़ी चूचियों पर हल्के भूरे रंग के निप्पल बहुत सूट करते हैं.
अम्मी की चूचियां बड़ी होने के बावजूद कसी हुई हैं. उनकी चूत एकदम चिकनी, बिना बालों वाली थी, जो मेरे सामने खुली थी क्योंकि अभी-अभी चुदाई हुई थी.
उनकी चूत हल्की भूरी और उसकी दोनों फांकें मोटी-मोटी हैं, जैसी अब मेरी हो गई हैं.
अम्मी बाहर जाने पर बड़े फैशन में जाती हैं. ज्यादातर लैगी और टॉप पहनती हैं.
उनकी चूत की फांकें लैगी के ऊपर से अलग-अलग दिखती हैं. लैगी बीच में घुसी रहती है, क्योंकि वे उसे खींचकर ऊपर पहनती हैं.
उनकी लैगी गांड पर चिपक जाती है, जिससे उनके मोटे-मोटे चूतड़ और भी मोटे नजर आते हैं.
Xxx माँ पैंटी सिर्फ पीरियड में पहनती हैं, बाकी समय वे कभी पैंटी पहनतीं ही नहीं हैं.
दस साल पहले भाईजान ने मुझे भी अपनी रखैल बना लिया और तब से भाईजान मुझे और अम्मी को रोज चोदते हैं.
दिन में दोनों को साथ में और रात में मुझे अकेले!
जब भाईजान ने मुझे चोदना शुरू किया, तब तक घर में और भी लड़के आने लगे थे जो भाईजान के दोस्त ही थे.
भाईजान के बहुत से दोस्त दिन में घर पर आने लगे.
कभी-कभी तो भाईजान के न होने पर भी आते थे और सब अम्मी को चोदने के लिए ही आते थे!
उनके दोस्तों की नजर धीरे-धीरे मुझ पर भी पड़ने लगी.
एक दिन उनके एक दोस्त ने कहा- साहिल, अब तो लड़की बड़ी हो गई है! उसकी मिठाई कब खिलाएगा, या सारी अकेले ही खाएगा? अब तो उसकी चूचियों में भी रस आ गया है और चूतड़ भी गोल-गोल, मोटे-मोटे हो गए हैं!
भाईजान बोले- मैंने कब मना किया? तुम लोग कभी बोले ही नहीं!
भाईजान बैठकर दारू पी रहे थे और उनके पांच दोस्त अम्मी को चोदने में लगे थे.
उन सबने भी दारू पी रखी थी और अम्मी ने भी!
भाईजान के कोई भी दोस्त अकेले नहीं आते थे.
वे हमेशा कम-से-कम तीन-चार लोग ही आते थे, कभी-कभी ज्यादा.
जब अब्बू शहर से बाहर होते थे, तब यह खुल कर होता था.
भाईजान के पांचों दोस्त अगले दो दिन घर में ही रहने वाले थे क्योंकि अब्बू पिछली रात ही निकले थे और उनके जाने के बाद ही रात में वो पांचों लड़के दारू-वारू लेकर आ गए थे!
भाईजान उठकर कमरे में नंगे आए और मुझे चूमने लगे.
वे बोले- आज तुझे अलग-अलग भाईजान चोदेंगे!
तब तक भाईजान मुझे दो साल से चोद चुके थे तो मुझे चुदने की अच्छी-खासी आदत लग चुकी थी और पूरा मजा आने लगा था.
भाईजान मेरी गांड भी मारते थे और चूत भी. इसलिए मेरे दोनों छेद ढंग से खुल चुके थे.
भाईजान ने मुझे बेड से खड़ा किया और अपनी उंगली पर थूक लगाकर मेरी गांड में डालते हुए बोले- गांड साफ है कि नहीं?
मैं बोली- हां! अभी थोड़ी देर पहले तो की थी!
भाईजान ने मुझे गोद में उठाया और अम्मी के कमरे में ले आए, जहां अम्मी को उनके पांच दोस्त पूरी दम लगाकर चोद रहे थे.
भाईजान बोले- लो, पी लो नई चूत का रस भी आज! फिर मत कहना सारी जवानी मैंने अकेले लूटी बहन की!
तब तक भाईजान को कुछ याद आ गया.
मुझे नीचे उतार कर बेड पर बैठते हुए बोले- अबे सोनू! तू कब चखाएगा अपनी बहन की बुर हम सबको?
सोनू भाई बोले- अरे यार, तुझे पता है वह साली नखरे बहुत करती है! झांट सी है और भोली तेरी बहन के जैसी ही!
मैं बोल पड़ी- अच्छा!
सोनू- हां, अभी परसों रात में ही जब मैं उसे चोद रहा था, तो उसने बताया कि चाचा ने उसकी चूत में उंगली डाली, फिर अपना लंड चुसवाया और फिर चूत भी मारी.
मैं मजे से सुनने लगी.
सोनू- वह कह रही थी कि चाचा को मना करो, मुझे उनके साथ नहीं करना! जब मैंने पूछा कि क्यों नहीं करना? तो वह बोली कि मुझे और लंड नहीं भाते!
भाईजान बोले- मुझे नहीं पता ये सब! कल लेकर आ अड्डे पर! चार लंड एक साथ देखकर खुश हो जाएगी!
भाईजान सोनू से बातें कर रहे थे और सोनू अम्मी की गांड मारने में लगा था.
उनके बाकी दोस्त मेरे बदन से खेल रहे थे!
उस समय मेरी चूचियां 30 की, कमर 24 की और चूतड़ 32 के हो गए थे.
मेरी टाइट-टाइट चूचियां और गोल-गोल मोटे चूतड़ उनके चारों दोस्त चूसने-चाटने में लगे थे.
मैं उनमें से दो के लंड पकड़ कर हाथ से हिला रही थी और एक ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल रखा था.
वह मेरा मुँह चोदने में लगा था, जिसमें अम्मी की चूत के पानी का स्वाद आ रहा था क्योंकि उसने अपना लंड अम्मी की चूत से निकल कर सीधे मेरे मुँह में घुसा दिया था.
कुछ देर बाद उन सबने मेरी चुदाई शुरू कर दी और मेरी चूत और गांड में एक-एक लंड डाल दिया.
मैंने पहली बार एक साथ चूत और गांड में लंड लिया था.
शुरू में अजीब-सा लगा, पर कुछ देर में मजा आने लगा.
भाईजान के सारे दोस्तों ने मुझे एक घंटे से ज्यादा चोदा.
फिर बारी-बारी से कोई मेरी गांड में झड़ गया, कोई चूत में और कोई मेरे मुँह में अपना सारा माल भरकर बैठ गया.
मैं और अम्मी टांगें फैलाए एक ही बेड पर थककर नंगी लेटी थीं.
अम्मी बोलीं- आज तो तूने भी डबल लंड का मजा ले लिया! कैसा लगा?
मैंने कहा- बहुत मजा आया!
इस पर भाईजान के दोस्त बोले- तो मेरी रानी, तुझे तो अब हम डबल मजा देते ही रहेंगे … टेंशन मत ले!
भाईजान बोले- उसकी चूत और चूतड़ों को छोड़ो थोड़ी देर … और रात में सूरज की अम्मी को ले आने का इंतजाम करो!
सूरज भाई, साहिल भाईजान के बचपन के दोस्त हैं. उनका घर पड़ोस में ही है, बिल्कुल हमारी दीवार से लगी हुई.
भाईजान उनकी अम्मी को भी कई बार घर पर लाकर चोद चुके हैं और ये बात सूरज भाई को पता भी नहीं है कि साहिल भाई उनकी अम्मी और अप्पी दोनों को चोदते हैं!
सूरज भाई की अम्मी और मेरी अम्मी अच्छी दोस्त हैं.
दोनों ही पूरे फैशन में रहती हैं.
नोरा अप्पी, जो सूरज भाई की बड़ी बहन हैं, वे भाईजान की गर्लफ्रेंड हैं और सूरज भाई को ये भी नहीं पता!
सूरज भाई की अम्मी का फिगर भी बिल्कुल हमारी अम्मी जैसा ही है, बस उनके दूध थोड़े छोटे हैं. उनका फिगर 34-28-36 का है.
अम्मी बोलीं- मैं फोन कर दूँगी शन्नो को, तुम लोग सूरज को देख लो, क्या करना है उसका!
भाईजान ने अपने दोस्तों से कहा- कोई दो जन चले जाना, शाम को 6 बजे. दोनों लोग सूरज को ढंग से पिलाओ, बैठा कर और उसकी मदहोशी के बाद गेम शुरू कर दिया जाएगा.
शाम 6 बजे तक उनके दोस्तों ने मुझे और अम्मी को दो बार और चोदा, फिर सब चले गए.
भाईजान के दूसरे दोस्त भी शाम को आने वाले थे, जो एक घंटे बाद आ गए.
मैंने जाकर दरवाजा खोला तो गेट पर उनके तीन दोस्त खड़े थे.
उनमें से एक बोला- ओहो, मेरी रानी, अम्मी कहां है!
मैंने कहा- अन्दर कमरे में हैं, भाईजान के साथ!
दूसरे दोस्त ने अन्दर आते हुए मेरे चूतड़ों को हाथ से दबा दिया और बोला- नरम गरम चूतड़ वाली रानी, चल अन्दर!
मैंने सिर्फ हाफ पैंट पहनी थी और अन्दर पैंटी भी नहीं थी.
इस वजह से जब उन्होंने मेरे चूतड़ दबाए, तो मेरी हाफ पैंट खिंचकर ऊपर हो गई और मेरे चूतड़ नंगे हो गए.
दूसरे दोस्त ने कहा- सब अकेले मत खा लेना, हमें भी चाहिए!
भाईजान के एक दोस्त ने कमरे में जाते हुए रास्ते में मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे नंगी कर दिया.
उसने मुझे गोद में उठा लिया और मेरे चूतड़ पकड़ कर फैलाने लगा.
कमरे में पहुंचते ही भाईजान बोले- फोन पर क्या बता दिया, तुम लोग तो गेट से ही शुरू हो गए!
भाईजान के दोस्त ने जवाब दिया- अरे, दो साल से अकेले-अकेले कच्ची जवानी की चूत पेल रहा है और बातें बना रहा है!
ये बोलते हुए वो मेरे पीछे बैठ गया और मेरी गांड चाटने लगा क्योंकि दूसरा दोस्त मुझे गोद में उठाकर मेरे चूतड़ फैला रहा था.
वह मेरी गोल-गोल चूचियों को चूस रहा था और मुझे चूमते हुए साहिल भाईजान से बोला- इसके मुँह का रस तो सचमुच मीठा है!
जब तक भाईजान के बाकी दोस्त लौटकर आए, तब तक उन तीनों दोस्तों ने मुझे खूब चोदा.
उन तीनों ने चोद-चोदकर मेरी गुलाबी चूत को लाल कर दिया, मेरे चूतड़ों पर तमाचे मार-मारकर उंगलियों के निशान छोड़ दिए.
मेरी चूचियों को इतनी जोर-जोर से मसला कि उन पर भी उंगलियों के निशान छप गए.
मैं और अम्मी बेड पर नंगे लेटे थे और बाकी सारे लोग दारू पी रहे थे और मुर्गा खा रहे थे.
भाईजान ने उन दोस्तों से पूछा जो लौटकर आए थे- सूरज का क्या हुआ?
एक दोस्त हँसते हुए बोला- सूरज ढल गया!
इस पर सारे हँसने लगे.
फिर दूसरा बोला- उसे ढंग से चढ़ गई थी, उसे उसके घर पर बेड पर लिटाकर तब आए हैं!
जो तीन दोस्त बाद में आए थे, वो बोले- तो इसका मतलब, आज शन्नो डार्लिंग भी आएगी?
भाईजान ने कहा- हां, उसी का तो इंतजाम कर रहे थे!
लगभग एक घंटे तक मैं और अम्मी वहीं नंगे लेटे-लेटे बातें करते रहे.
भाईजान और उनके दोस्त दारू और मुर्गा खाते हुए बातें करते रहे.
तभी गेट की बेल बजी.
सबको पता था कि शन्नो आंटी आई हैं.
भाईजान के एक दोस्त, जो बाद में आए थे, नंगे ही गेट खोलने चले गए क्योंकि उन्होंने मुझे चोदने के बाद कपड़े पहने ही नहीं थे.
शन्नो आंटी फुल तैयार होकर आई थीं और वे बहुत खूबसूरत लग रही थीं.
शन्नो आंटी मुस्कुराती हुई अन्दर आईं और बोलीं- आज तो बड़ी मस्ती चल रही है, लगता है!
एक दोस्त ने कहा- तभी तो तुम्हें बुलाया है मेरी जान, पार्टी की रौनक बढ़ाने के लिए!
जो दोस्त गेट खोलने गया था, वह शन्नो आंटी के पीछे खड़ा होकर उनकी चूचियां मसल रहा था.
शन्नो आंटी ने एक टाइट टॉप और लैगी पहनी थी और अन्दर पैंटी नहीं थी जिससे उनकी चूत की फांकें साफ नजर आ रही थीं.
जो दोस्त पीछे खड़ा था, उसका नंगा लंड शन्नो आंटी की लैगी के ऊपर से ही उनके चूतड़ों के बीच घुस गया था.
शन्नो आंटी हमेशा की तरह एक बैग लाई थीं, क्योंकि उन्हें पता था कि उनके कपड़े हर बार की तरह फटने वाले हैं.
भाईजान के सारे दोस्त नंगे हो गए और अब कमरे में 9 लंड हवा में लहरा रहे थे.
दो खुली हुई चूत और चूतड़ थे और एक चूत और चूतड़ के कपड़े अभी फटकर नंगे होने बाकी थे.
भाईजान शन्नो आंटी के पास गए, नीचे बैठे और उनकी चूत को ऊपर से चाट-चाटकर उनकी लैगी गीली कर दी.
फिर उन्होंने चूत के पास लैगी फाड़ दी और उनकी नंगी चूत चाटने लगे.
बाकी दोस्तों ने शन्नो आंटी का टॉप फाड़ दिया और उनके मम्मे नोचने लगे.
कुछ दोस्त उनके मुँह में मुँह डालकर उन्हें चूम रहे थे.
फिर सबने तय किया कि कौन-कौन किसको चोदेगा.
तीन-तीन लोगों ने एक-एक चूत की जिम्मेदारी ली.
अब 9 लंड तीन चूत चोद रहे थे.
मैं और अम्मी बेड पर चोदे जा रहे थे और शन्नो आंटी सोफे पर.
तीनों ग्रुप अदल-बदल कर हम तीनों को चोदने लगे.
कभी ग्रुप 1, कभी ग्रुप 2, तो कभी ग्रुप 3 मेरी चूत और गांड मार रहा था.
एक घंटे की चुदाई के बाद सब आराम करने लगे.
फिर दारू का दौर चला और इस बार मैंने भी पहली बार दारू का मजा चखा.
सच में दारू पीने के बाद गांड मरवाने में बहुत मजा आता है.
रात में दो राउंड और ग्रुप सेक्स चला.
पूरे घर में फच्च-फच्च की आवाजें गूंज रही थीं.
गंदी-गंदी बातें हो रही थीं, जैसे:
और जोर से चोदो सालो!
गांड में दो लंड डाल कर चोदो!
मेरी चूत में दो लंड चाहिए मुझे!
मेरी गांड चोद-चोद के कचूमर निकाल दो!
आज मेरी चूत का भोसड़ा बना दो!
चोदो अपनी रंडियों को!
आआह्ह! उउम्म्म! ऊऊऊ! आआ आआह!
मेरी चूत फट गई!
मेरी गांड फट गई!
शन्नो आंटी और अम्मी दोनों पूरे जोश से अपनी चुदाई करवा रही थीं.
सारे लोग पूरी ताकत लगाकर हम तीनों को चोदने में जुटे थे.
फिर हम सब सो गए.
सुबह-सुबह फिर से एक राउंड दमदार तरीके से हुआ.
उन सबने मिलकर हम तीनों की चूत का भोसड़ा बना दिया.
उसके बाद शन्नो आंटी तैयार होकर अपने घर चली गईं.
दोपहर में पापा आने वाले थे.
पापा की ट्रेन दोपहर एक बजे थी.
इसलिए दोपहर से पहले इन सब लोगों को सफाई करके निकलना था.
सब सफाई में जुट गए.
जाते-जाते उन सबने मुझे और अम्मी को फिर से चोदा.
इस बार पांच लोग मुझे चोद रहे थे और पांच अम्मी को.
आखिरी चुदाई ने तो मेरी चूत ही फाड़ दी थी!
मेरी गुलाबी फांकेदार चूत, जिसमें हल्के-हल्के रोएं थे, उसमें भाईजान और उनके दोस्तों के मोटे-मोटे लंड ने मेरी चूत का मुँह ही फैला दिया था.
मेरी गांड की गुफा तो अलग ही नजर आ रही थी.
पहली बार मेरी इतनी चुदाई हुई थी!
कुछ समय पहले मुझे अब्बू के साथ एक एग्जाम के लिए दूसरे शहर जाना था.
वहां अब्बू ने होटल में मेरी जमकर चुदाई की.
एग्जाम के बाद अगले दिन लौटना था.
लेकिन अब्बू ने मेरी तबीयत खराब का बहाना बनाकर उसी होटल में पांच दिन तक मुझे बहुत चोदा.
पता नहीं अम्मी अब्बू से ज्यादा क्यों नहीं चुदतीं.
अब्बू का लंड भाईजान से मोटा और लंबा है.
मैं और अब्बू होटल पहुंचे.
अगले दिन सुबह पेपर था.
जब हम होटल पहुंचे, तब शाम हो गई थी.
अब्बू ने खाना मँगवाया और अपने लिए दारू.
मैं बाथरूम में जाकर कपड़े बदलकर बाहर आ गई.
मैंने सोचा, अब तो सिर्फ़ अब्बू हैं कमरे में, तो ब्रा-पैंटी पहनने की क्या जरूरत?
वैसे भी रात हो गई थी, सोना था.
इसलिए मैंने एक ढीला-सा टॉप और हाफ ढीली-ढाली स्कर्ट पहन ली, जो मैं अक्सर घर में भी पहनती थी.
मेरा फिगर अब 32D-26-34 का हो चुका था जो भाईजान और उनके दोस्तों की दिन-रात की मेहनत थी.
मैं खाना खाकर सोने के लिए लेट गई.
अब्बू टीवी देखते हुए दारू पीते रहे.
कुछ देर में मेरी आंख लग गई, मैं सो गई.
ट्रेन के सफर की वजह से थोड़ी थकान थी.
नींद में मैं शायद भूल गई कि मैंने छोटी स्कर्ट पहनी थी, वो भी बिना पैंटी के.
शायद मैंने नींद में अपनी टांगें मोड़ ली थीं, जिससे अब्बू को मेरी चूत साफ दिख रही होगी.
अब्बू ने बाद में मुझे यह बताया.
अपनी बेटी की नंगी, गुलाबी, बिना बालों वाली चिकनी मोटी चूत देखकर अब्बू बहक गए.
अब्बू ने अपने कपड़े उतारे और मेरी टांगें फैलाकर मेरी चूत चाटने लगे.
मेरी अचानक आंख खुल गई, पर मैं कुछ नहीं बोली.
अब्बू दस मिनट तक मेरी चूत चाटते रहे.
फिर वे उठकर आए और अपना हथियार जैसा लंड मेरे होंठों पर रगड़ने लगे.
उन्होंने मेरा टॉप ऊपर कर दिया और मेरी चूचियां मसलने लगे.
मैंने थोड़ा-सा मुँह खोला और उनके लंड का टोपा जीभ से चाटने लगी.
अब्बू जानते थे कि मैं जग गई हूँ.
अब्बू ने मेरा मुँह अपनी तरफ घुमाया और अपना लंड मेरे मुँह में डालकर चुसवाने लगे.
मैंने आंखें खोल लीं और अब्बू का लंड पकड़ कर मुँह में डालकर चूसने लगी.
अब्बू मेरी चूत में उंगली डालने लगे.
मेरी चूत एकदम गीली थी, इसलिए अब्बू की उंगली सरककर अन्दर-बाहर होने लगी.
अब्बू चुत की हालत देख कर समझ गए थे कि मैंने बहुत चुदाई करवाई है.
अब्बू बोले- साहिल के अलावा और कितने लंड गए हैं इसमें?
मैं चौंक गई कि अब्बू को कैसे पता!
अब्बू बोले- मुझे सब पता है, साहिल और तुम रात में क्या करते हो, दिन में भी!
मैंने अब्बू का लंड मुँह से निकाला और कहा- अब्बू, भाईजान के कुछ दोस्त हैं, बस वे आते हैं!
अब्बू कुछ नहीं बोले और मेरी टांगें फैलाकर मेरी चूत पर अपना लंड सैट किया.
एक धक्के में आधा लंड डालकर मुझे चोदने लगे.
अब्बू आधा घंटा से ज्यादा देर तक मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदते रहे.
फिर अब्बू ने अपना माल मेरी कोख में भर दिया और मेरे पास लेट गए.
उस रात अब्बू ने मुझे कुल तीन बार चोदा.
फिर हम दोनों सो गए.
फकिंग के बाद सुबह उठकर मैं पेपर देने निकल गई.
शाम को लौटकर कमरे में आई तो अब्बू ने मुझे फिर नंगी कर दिया.
वे मुझे चोदने लगे.
आधा घंटा की चुदाई के बाद जब अब्बू मेरी गांड में झड़ गए, तब उन्होंने खाना ऑर्डर किया.
शाम को अम्मी को फोन करके अब्बू ने बता दिया- फातिमा की तबीयत खराब हो गई है, तो कुछ दिन यहीं रुककर आएंगे!
अम्मी उधर से बोलीं- ठीक है, आराम से आओ!
मुझे पता था कि अम्मी के उधर तो मजे चल रहे होंगे.
क्योंकि हमारे जाते ही घर में अम्मी को चोदने के लिए 5-6 लड़के आ चुके होंगे.
हो सकता है, जब अब्बू से बात कर रही थीं, तब भी वे किसी के लौड़े से चुद रही हों … क्योंकि अब्बू तो फोन करते हुए अपना लंड मुझे चुसवा रहे थे!
फोन काटने के बाद अब्बू ने मुझे तबीयत से चोदा.
उनका मोटा, लंबा लंड मेरी बच्चेदानी में टक्कर मार रहा था.
जब अब्बू मेरी गांड में लंड डालते थे, तो ऐसा लगता था कि पेट तक पहुंच गया!
अब्बू का लंड सचमुच बहुत लंबा है.
अगले चार दिन मैं और अब्बू होटल में ही रुके.
वहां अब्बू बस खाना खा रहे थे, शराब पी रहे थे और मुझे चोदे जा रहे थे!
पांच दिन की अब्बू से तूफानी चुदाई करवाने के बाद, जब हम दोनों घर लौट रहे थे, तो अब्बू ने रात में ट्रेन में भी मुझे चोदा.
अब्बू बोले- वही स्कर्ट पहनना जो यहां पहले दिन पहनी थी और वही टॉप, बिना ब्रा-पैंटी के!
मैंने वैसा ही किया और अब्बू ने ट्रेन में लाइट बंद होने के बाद मुझे खूब चोदा.
ट्रेन हिलने की वजह से उन्हें हिलना नहीं पड़ रहा था.
उनका लंड मेरी चूत और गांड में खुद ही अन्दर-बाहर हो रहा था.
ट्रेन में रात में अब्बू ने मुझे दो बार चोदा!
सुबह हम दोनों घर पहुंच गए.
इसके बाद से भाईजान, उनके दोस्त और अब्बू सब मुझे रोज चोदते हैं, तबीयत से दबाकर!
दोस्तो, यह ग्रुप सेक्स कहानी आपको कैसी लगी?
Family Sex Story पर मुझे आपके मेल व कमेंट्स का इंतजार रहेगा.

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