मेरी मॉम की जाट लड़कों द्वारा चुदाई - Hindi Sex Stories
- Kamvasna
- Jul 17
- 5 min read
मेरा नाम प्रतीक है, मैं 21 साल का लड़का हूँ.
किसी भी तरह की सेक्स कहानी लिखने का यह मेरा पहला प्रयास है.
पाठक पाठिकाएं कृपया गलतियों को नजरअंदाज करें और सेक्स कहानी का आनन्द लें.
यह Hindi Sex Stories मेरी माँ के बारे में है. उनका नाम माधुरी है, वे बेहद सुडौल शरीर की एक संस्कारी नारी हैं.
वे बचपन और जवानी में कराटे सीखती थीं, इसलिए वे तंदुरुस्त और ताकतवर हैं.
हालांकि अब वे 46 साल की हैं, इस कारण थोड़ी मोटी हो गई हैं. फिर भी, उनका जज्बा अभी भी कराटे वाला ही है.
फिलहाल मेरी मम्मी एक हाउसवाइफ हैं.
मेरे पापा बैंक में मैंनेजर हैं और उन्हें अच्छा-खासा वेतन मिलता है.
हमारा परिवार बहुत समृद्ध है.
यह घटना लगभग एक साल पहले की है.
मैं और मेरे मोहल्ले के कुछ दोस्त पड़ोस वाले मोहल्ले के मैदान पर खेल रहे थे.
तभी उस मोहल्ले के कुछ जाट लड़के आए और हमें भरपूर गालियां देते हुए मारपीट करने लगे और हम सभी को वहां से भगा दिया.
मैं जल्दी घर आ गया.
माँ ने पूछा- क्या हो गया?
मैंने उन्हें बता दिया कि क्या हुआ.
इस पर माँ गुस्सा हो गईं और बोलीं- मैं खुद जाकर उनकी अक्ल ठिकाने लगाती हूँ!
आधा घंटा बाद माँ वापस आ गईं.
उन्होंने कुछ अलग कपड़े पहने थे, लेकिन उस वक्त मेरा ध्यान इस पर नहीं गया.
माँ बोलीं- वह मैदान उनके मोहल्ले में है, तेरा वहां जाना गलत है!
मैं थोड़ा संशय में था लेकिन मैंने उनकी बात मान ली.
दूसरे दिन कॉलेज में उस मोहल्ले में रहने वाले मेरे दोस्त ने मुझे कुछ ऐसा बताया, जिससे मैं भौचक्का रह गया.
उसने मुझे बताया कि माँ ने वहां जाकर क्या किया.
जब माँ वहां गईं, तो वे लड़के मैदान के एक कोने वाले पेड़ के नीचे बैठकर अपने लौड़े हिला रहे थे.
माँ ने उन्हें लंड हिलाते हुए देख लिया.
उनके लंडों को देखकर माँ का संस्कारी मन कब का गायब हो चुका था.
उसकी जगह अब एक रंडीपन वाले मन ने ले ली थी.
माँ ने कहा- क्यों मेरे लड़के को परेशान करते हो?
असलम जाट उनके ग्रुप का लीडर था .. जो बस 18 साल का था.
वह बोला- भाग रंडी यहां से, तेरे निकम्मे बेटे की औकात यही है!
इसके बाद माँ गुस्सा हो गईं और आव देखा न ताव, सीधे साड़ी ऊपर की और कराटे की लात जड़ दी!
लेकिन होशियारी दिखाते हुए असलम ने उनकी टांग पकड़ ली.
बाकी लड़कों ने दूसरी टांग पकड़ कर उन्हें हवा में उठा लिया.
बस फिर क्या होना था, उठाकर ले गए उन्हें मैदान में एक सिरे पर बने कमरे में.
मेरे दोस्त ने पास जाकर दरवाजे के छेद से सब देख लिया.
उन विधर्मी लड़कों ने माँ की साड़ी उतार दी, उनकी ब्रा-पैंटी को फाड़ दिया.
माँ के आगे और पीछे दोनों छेदों में लौड़े डाल दिए गए थे और मां भी कुछ खास विरोध नहीं कर रही थीं.
हालांकि मेरी माँ दिखाने के लिए बुरी तरह चीख रही थीं, चिल्ला रही थीं! लेकिन जल्द ही उन्हें इसमें आनन्द आने लगा.
माँ कई सालों से नाखुश थीं, पापा ने कभी उन्हें सेक्स सुख नहीं दिया था.
उनकी अंतर्वासना भड़क रही थी.
उसी दौरान ताकतवर विधर्मी लड़कों को देखकर, उनके बड़े लौड़ों को देख माँ से रहा नहीं गया.
उनके अन्दर की रंडी जाग उठी और वह उनकी ताबड़तोड़ ठुकाई के मजे लेने लगीं.
वे लड़के मेरी माँ को बुरी तरह चोद रहे थे.
न जाने कितनी बार उन्होंने अपना गाढ़ा मलाई जैसा माल माँ की बुर और गांड के अन्दर और उनके भरे हुए तगड़े शरीर पर डाल दिया.
माँ का मंगलसूत्र निकाल कर असलम के लौड़े से बाँध दिया गया और वह माँ के ऊपर फिर से चढ़ गया.
माँ के गदराए हुए चूचे उसके हाथ में आ गए. जैसे गाय का दूध निकलता है, वैसे वह मेरी माँ के चूचे खींचने लगे.
बारी-बारी सभी लड़के उनके रसीले चूचों का स्वाद लेने लगे.
माँ की जांघों को हाथ में उठाकर उस दिन जो माँ की ठुकाई हुई, वैसी न कभी किसी ने देखी थी, न सुनी थी!
उस दिन माँ को विधर्मी लड़कों की मर्दानगी का पता चल गया.
माँ को अब कुछ और नहीं सूझ रहा था, वे बस कामुक महिला की तरह मादक आवाजें निकाल रही थीं.
माँ को वह चरमसुख मिल गया, जिसकी तलाश उन्हें सालों से थी.
सारे लड़के बारी-बारी माय मॅाम हॉट पुसी के अन्दर झड़ गए थे.
मेरी माँ को उन्होंने रंडी बनाकर रख दिया था.
उसी दौरान उनकी इबादत का समय हो गया और वे लड़के माँ को वैसे ही नंगी हालत में छोड़कर चले गए.
माँ की आग अभी भी शांत नहीं हुई थी.
माँ ने असलम को पकड़ लिया और फिर से चोदने को कहा.
तब असलम ने माँ को अपने घर कामवाली बनकर आने के लिए कहा ताकि वह रोज़ माँ को चोद सके.
इसमें असलम का भी फायदा था.
उसे माँ जैसी गदराई, मादक औरत और कहां मिलती भला!
माँ निढाल होकर वहां 5 मिनट पड़ी रहीं और वहीं पर तार पर सूख रहा एक बड़ा सा कपड़ा पहन कर घर आ गईं.
यह सब जानकर मैं भौचक्का रह गया.
मुझे अपनी माँ को एक सुशील, संस्कारी नारी के रूप में देखने की आदत थी.
लेकिन आज मुझे पता चला कि माँ विधर्मी लड़कों की रंडी बन चुकी हैं!
मैं उसी सदमे में घर आया.
माँ ने मुझसे कहा- मैं घर में रहकर बोर हो जाती हूँ, इसलिए मैंने एक काम ढूँढा है, कामवाली बाई का!
अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
हम बहुत अमीर थे, फिर भी माँ कामवाली बनने जा रही थीं.
अगले दिन जैसे ही पापा काम पर गए, माँ भी निकल गईं.
मैंने उस दिन तय किया कि आज पूरा मामला जानकर रहूँगा.
मैंने माँ का पीछा किया.
वे एक कपड़ों की दुकान में गईं और कामवाली जैसी साड़ी पहन कर बाहर आ गईं.
सोचिए, जो औरत कल तक रानी की तरह रहती थी, वह आज कामवाली बन गई थी!
इसकी वजह मुझे जल्द ही पता चली, जब माँ घूमकर हमारे बगल वाले मोहल्ले में असलम के घर में घुस गईं.
तो मैंने भी हार नहीं मानी और चुपके से एक खिड़की से सारा मामला देखने लगा.
माँ को देखकर असलम उन पर चढ़ गया.
कुछ भी न देखते हुए, उसने माँ की साड़ी फाड़ दी और ज़मीन पर गिराकर कुतिया बनाकर उन्हें चोदने लगा.
कभी माँ नीचे, असलम ऊपर … तो कभी असलम नीचे, माँ ऊपर होती रहीं.
असलं ने मां के मुँह में, गांड में, चूत में, हर जगह अपने लंड को पेला. उसने यह बता दिया था कि अब मेरी माँ पर उसका हक़ है. अब मेरी माँ उसकी जायदाद है.
माँ को भी उसमें मज़ा आ रहा था.
माँ की यह हालत देखकर मुझे बुरा लग रहा था लेकिन मन ही मन मैं खुश भी हो रहा था.
लगभग आधा घंटा तक धकापेल चुदने के बाद माँ थक गईं.
असलम उन्हें उठाकर बेडरूम में ले गया.
मैंने भी घर के बाहर से उनका पीछा किया.
माँ के कपड़े पहले ही निकाल दिए गए थे.
उनके पूरे शरीर पर असलम की मर्दानगी की निशानियां थीं.
माँ निढाल होकर असलम का लंड गांड में लेकर ही सो गईं.
कुछ देर बाद जब उन्हें होश आया, तब फिर से चुदाई का अगला सत्र शुरू हुआ.
फिर से वही चीखें, फिर से वही आह उह, आह उह! फिर से वही सिसकारियां, वही मादक आवाजें, वही लंड गांड पर बजने की आवाज़ कमरे को गुंजाने लगी.
उस चुदाई के लंबे सत्र के बाद, कल फिर से काम पर आने का वादा करके माँ उसके घर से निकल गईं.
इस तरह माँ अब रोज़ असलम की रंडी बनने के लिए तैयार हो गई थीं.
उस दिन के बाद माँ के चेहरे पर निखार बढ़ गया.
वे ज़्यादा खुश रहने लगीं.
उनका मोटापा कम हो गया और वे फिर से फिट दिखने लगीं.
मुझे भले ही उनकी फिटनेस का कारण पता था, लेकिन माँ के लिए मैं खुश था.
आशा करता हूँ कि आप इस सेक्स कहानी को पढ़ कर खुश हुए होंगे.
मेरी Hindi Sex Stories आपको कैसी लगी, यह आप मुझे खुल कर बता सकते हैं.
धन्यवाद.
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