मेरे बॉयफ्रेंड ने दो बाबाओं से चुदवा दिया - Hindi Sex Stories
- Kamvasna
- May 14
- 24 min read
दोस्तो, मेरा नाम सोनम है. मेरी उम्र 27 साल है. मेरा फिगर 34-30-36 है.
मेरी Hindi Sex Stories का मजा लें.
एक दिन मैं अपनी फ्रेंड के घर गयी थी. वहां पर मैंने पाया कि मेरी सहेली का एक फ्रेंड आया हुआ था.
उसका नाम महेश था. वो देखने में काफी अच्छा था.
मेरी सहेली ने उससे मेरा परिचय करवाया. फिर मैंने भी उसके साथ थोड़ी बहुत बात की. उसने फोन नम्बर देने के लिए कहा तो मैं भी मना नहीं कर पायी.
उस दिन के बाद से फिर हम दोनों के बीच में बात करने का सिलसिला शुरू हुआ.
उससे बात करते करते पता नहीं कब मुझे उससे प्यार हो गया.
उसके दिल में भी वही था जो मेरे दिल में था.
मैंने उसको अपने दिल की बात बताई और उसने भी अपने दिल की बात कही. हम दोनों ने अपने प्यार का इज़हार किया और हम दोनों ने मिलने का प्लान किया.
पहली बार हम मिले तो बहुत देर तक बातें ही करते रहे.
उसने भी मुझे छूने की कोशिश नहीं की और मैंने भी ऐसा कोई इशारा नहीं दिया.
फिर हम दोबारा भी मिले. उस दिन उसने मुझे गले लगाया और मुझे बहुत अच्छा लगा.
हम धीरे धीरे ऐसे ही मिलने लगे. अब वो कई बार मेरे कंधे सहला देता था. मेरी जांघ पर हाथ रख लेता था. मेरी कमर में हाथ डालकर मेरी चूचियों के ऊपर से मुझे अपनी बांहों में ले लेता था.
इस तरह से मैं उसके साथ धीरे धीरे अब खुलने लगी थी.
मगर अभी तक हमने एक दूसरे के सेक्स अंगों को नहीं छुआ था. न ही अभी तक हमारी किस हुई थी.
लेकिन एक बात मैं कहूंगी कि उसकी पैंट में उसका लंड मैंने तनाव में कई बार देख लिया था.
मैं जानती थी कि वो मेरे साथ सेक्स करना चाहता है लेकिन कभी उसने पहल नहीं की और मैंने भी कभी कदम आगे नहीं लिया.
इस तरह से हम दोनों के बीच में बहुत दिन से कुछ नहीं हो पा रहा था.
एक बार हम दोनों पार्क में बैठे हुए थे.
वो बोला- तुम स्पा में गयी हो क्या कभी?
मैंने कहा- नहीं, मैं ब्यूटी पार्लर तो गयी हूं लेकिन कभी स्पा में नहीं गयी हूं.
उसने कहा- तो इसका मतलब तुमने कभी मसाज भी नहीं ली होगी?
मैंने कहा- हां, मैंने तो कभी नहीं ली आज तक. क्यों क्या हो गया?
वो बोला- यार, मुझे मसाज करवाने का मन है. आज बदन बहुत दर्द कर रहा है. मगर तुम्हें मसाज के बारे में पता ही नहीं है तो तुम करोगी कैसे?
मैं बोली- हां, मैंने कभी नहीं करवाई और न ही मुझे इसके बारे में पता है.
उसने कहा- तो फिर चलो, आज रूम पर चलते हैं. वहां मैं तुम्हें मसाज करनी सिखाऊंगा. उसके बाद तुम एक बार मेरी कर देना.
उसकी बात पर मैं भी राजी हो गयी.
वो मुझे अपने एक दोस्त के रूम पर ले गया.
उस दिन उसका दोस्त किसी काम से बाहर गया हुआ था और वो शाम को आने वाला था.
हम दोनों दोपहर से पहले ही उसके रूम पर पहुंच गये. रूम पर जाकर हमने थोड़ा रिलेक्स किया और फिर हम बातें करने लगे.
कुछ देर के आराम के बाद वो कहने लगा कि चलो मसाज करना सिखाता हूं तुम्हें.
मैंने कहा- चलो सिखाओ फिर।
वो बोला- ऐसे सूट सलवार में सीखोगी?
मैंने कहा- तो क्या मुझे बिना कपड़ों के सिखाओगे?
उसने कहा- मैंने ऐसा तो नहीं बोला, मगर पूरे कपड़े रहेंगे तो तुम्हें पता ही नहीं चलेगा कि किस जगह पर कैसे मसाज करते हैं. इसलिए कपड़े उतार लो और अंडरगार्मेंट्स मत उतारना.
मैंने कपड़े उतारने से मना किया तो उसने मुंह बना लिया.
फिर उसको नाराज होता देख मैंने सोचा कि इसका दिल तोड़ना ठीक नहीं है, पहली बार इसने कुछ करने को कहा है तो मैं भी कर देती हूं.
फिर मैं उसके सामने ही अपने कपड़े उतारने लगी. मैंने शर्ट और सलवार निकाल दिया और केवल ब्रा पैंटी में रह गयी.
मुझे शर्म आ रही थी लेकिन मैंने अपने सूट और सलवार को उठाकर एक तरफ रख दिया.
उसके बाद उसने मुझे नीचे गद्दे पर लेटने को कहा. मैं उसके सामने पेट के बल लेट गयी. फिर वो तेल लेकर आया और मेरे बदन पर मसाज देने लगा. पहले उसने मेरे कंधों पर मसाज दी.
फिर वो पीठ पर मसाज करने लगा लेकिन मेरी ब्रा के हुक आ रहे थे बीच में तो वो नीचे कमर पर मसाज देने लगा. उसके हाथ मेरे कूल्हों तक पहुंच रहे थे.
मुझे थोड़ा अच्छा लग रहा था. मैं पहली बार किसी से मसाज ले रही थी और वो भी एक लड़के के हाथों से। वो फिर से पीठ की ओर आया और मसाज देने लगा.
वो बोला- ये पट्टी खोल लो कुछ देर यहां से. यहां पर हाथ नहीं चल पा रहे हैं.
मैं सोचने लगी कि इसके सामने कैसे खोलूं!
मगर फिर वो बोला- यहां पर मसाज देने से ज्यादा रिलेक्स होता है.
फिर मैंने उससे कहा कि तुम ही खोल दो. फिर उसने मेरी ब्रा के हुक खोल दिये. मेरी ब्रा की पट्टी मेरी चूचियों के साइड में आकर रुक गयी. उसके बाद एक बार फिर से उसके हाथ मेरी पीठ पर चलने लगे.
अब उसके हाथ मेरी पीठ पर से मेरी बगलों के पास मेरी चूचियों की जड़ तक आ रहे थे. मुझे उसकी उंगलियां अपनी चूचियों के निचले हिस्से पर महसूस हो रही थीं और मुझे बदन में अजीब सी झुरझुरी हो रही थी.
कोई लड़का पहली बार मेरी चूचियों को अपनी उंगलियों से छू रहा था. फिर धीरे धीरे उसके हाथों की पकड़ मेरी चूचियों के नीचे बढ़ने लगी थी. मुझे अच्छा लगने लगा था.
एक दो बार तो उसके हाथ मेरी आधी चूचियों पर आ गये और वो मेरी चूची दबाकर फिर से हाथ ऊपर ले जाकर पीठ की मालिश करने लगता था.
मैं भी कुछ नहीं बोल रही थी क्योंकि मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था.
फिर उसके हाथ मेरी जांघों पर चले गये. वो मेरी जांघों के बीच में मालिश करने लगा.
उसने मेरी जांघों को थोड़ी और फैलवा दिया और हाथ को नीचे तक लाने लगा.
अब उसके हाथ मेरे चूतड़ों के नीचे तक जा रहे थे. धीरे धीरे उसकी उंगली मेरी पैंटी के नीचे तक घुसने लगीं. उसकी उंगली लगभग मेरी चूत से इंच भर की दूरी तक पहुंच कर रुक रही थी.
मुझे लग रहा था कि वो मेरी चूत को छूना चाहता है. मैंने भी उसको रोकने की कोशिश नहीं की क्योंकि मैं अब तक काफी गर्म हो चुकी थी.
फिर उसने मेरी चूत को एक दो बार छुआ तो मुझे बहुत अच्छा लगा.
मैंने सोचा कि जो होगा देखा जायेगा अब मैं इसे नहीं रोकूंगी.
अब उसके हाथ फिर से मेरी पीठ पर आ गये और वो अब आराम से मेरी चूचियों को आधे हिस्से तक दबाने लगा.
बार बार उसके हाथ दोनों तरफ से मेरी चूचियों पर आते थे और वो उनको दबाकर चला जाता था.
अब मुझे काफी मजा आने लगा.
मैंने अपनी छाती थोड़ी सी उठानी शुरू कर दी ताकि उसके हाथ मेरी पूरी चूची पर पहुंच जायें.
वो तो इसी इंतजार में था. वो मेरी पूरी चूचियों को दबाने लगा.
जब उसे लगा कि मैं अब खुद ही दबवाना चाह रही हूं तो उसने मुझे सीधी होने को कहा.
मैं सीधी होकर पीठ के बल लेट गयी और मेरी ब्रा नीचे ही रह गयी जिसको मैंने ऊपर ढकने की कोशिश नहीं की.
अब मेरे स्तन उसके सामने ऊपर की ओर आकर पूरे नंगे थे.
उसके हाथ मेरी चूचियों पर अच्छे से आकर मसाज देने लगे. वो मेरे निप्पलों को भी अपनी उंगलियों के बीच में दबाने लगा; उनको मसलने लगा.
जब वो मेरे निप्पलों को मसलता तो मेरे मुंह से आह्ह निकल जाती थी.
अब उसने मेरी चूचियों को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और मेरी आहें निकलने लगीं. अब मुझे मेरी चूचियों के निप्पलों में सरसराहट सी होती हुई महसूस हो रही थी.
मैंने खुद ही उसके हाथों को अपनी चूचियों पर दबाना शुरू कर दिया. अब उसको भी समझ आ गया कि मैं अब सेक्स करने के लिए तैयार हो रही हूं तो उसने मेरे पेट को सहलाना शुरू कर दिया.
उसका एक हाथ मेरी चूचियों पर सहला रहा था और दूसरा हाथ मेरे पेट पर सहला रहा था. अब धीरे धीरे उसका हाथ मेरी पैंटी तक पहुंचने लगा. फिर उसने मेरी पैंटी में हाथ दे दिया और मेरी चूत को सहला दिया.
मैंने अपनी टांगें सिकोड़ीं तो उसने फिर से टांगों को फैला दिया और तेजी से मेरी चूत को सहलाने लगा.
मैं चुदासी होती चली गयी और एकदम से उसने मेरी चूत में उंगली दे दी.
मेरे मुंह से जोर से आह्ह … निकली और वो एक हाथ से मेरी चूचियों को दबाते हुए मेरी चूत में उंगली करने लगा.
मैं बहुत गर्म हो गयी और फिर उसने मेरी पैंटी भी निकाल.
अब मैं उसके सामने पूरी नंगी हो गयी. वो नीचे गया और मेरी टांगों को खोलकर मेरी चूत में जीभ से चाटने लगा.
मैं एकदम से सिसकार उठी- आह्ह … ओह्ह … नो … उम्म … ओह्ह!
ऐसे करके मैं अपनी चूचियों को सहलाने लगी.
उसने मेरी चूत में जीभ डाल दी और चूत को तेजी से चाटने और काटने लगा.
अब मेरी हालत बुरी होने लगी. मैं चुदना चाहती थी.
वह भी ये समझ गया कि अब चूत में लंड पेलने का सही समय है.
फिर उसने मिनट भर में ही अपने कपड़े उतार फेंके और खुद भी पूरा नंगा हो गया.
वो नंगा होकर मेरे ऊपर आ गया और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे जिस्म पर अपने जिस्म को रगड़ने लगा.
मैंने भी उसको बांहों में कस लिया और उसके लंड की ओर चूत को दबाने लगी. फिर उसने नीचे से मेरी चूत पर लंड लगा दिया और एक झटका देकर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
एकदम से लंड चूत में गया तो मैं दर्द से चीख पड़ी.
उसने मेरे मुंह पर हाथ रखा और मुझे प्यार करने लगा; मेरे गालों को चूमने लगा; मेरी चूचियों को सहलाने लगा.
कुछ देर तक उसने कोई हरकत नहीं की. अब मैं भी थोड़ी शांत हो गयी.
उसने फिर धीरे धीरे लंड को चूत में हिलाना शुरू किया. अभी वो बहुत धीरे धीरे अपने लंड के धक्के मेरी चूत में मार रहा था.
मुझे कुछ धक्कों के बाद लंड का चूत में आना जाना अच्छा लगने लगा. मैंने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और उसका साथ देने की कोशिश करने लगी.
उसको पता लग गया कि मेरी चूत में अब मुझे मजा आने लगा.
फिर उसने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी और मैं आराम से चुदने लगी.
अब उसकी स्पीड बढ़ती ही चली गयी और उसने मुझे अगले 10 मिनट तक बहुत मस्ती से चोदा.
मैं इस बीच दो बार झड़ गयी और फिर वो भी मेरी चूत में ही माल छोड़कर मेरे ऊपर लेट गया.
मैं खुश हो गयी. पहली बार चुदाई करवाकर बहुत मजा आया. मदहोशी में मेरी आंखें बंद हो गयी थीं.
हम कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहे. लेटे लेटे एक बार फिर से उसका लंड खड़ा हो गया और उसने एक बार फिर मेरी चूत चोद डाली.
उस दिन के बाद से मैं उसके लंड की दीवानी हो गयी. अब वो हफ्ते में तीन बार तो कम से कम मेरी चूत को चोद देता था.
वो मुझे रूम पर ले जाता था और मेरी चूत चोद देता था.
एक दिन फिर उसने चलती कार में मुझसे उसका लंड चूसने के लिये कहा.
मैंने चलती कार में उसका लंड चूसा. अब मैं भी उसके साथ पूरी खुल चुकी थी. वो जो बोलता था मैं कर देती थी. उसके साथ चुदकर मुझे बहुत मजा आता था.
मैं उससे प्यार करने लगी थी और वो भी मेरे लिये बहुत पागल रहता था.
फिर एक दिन की बात है कि हम लोग कार में घूमने जा रहे थे. रास्ते में एक भिखारी दूर से हमें बैठा हुआ दिखाई दिया.
बॉयफ्रेंड ने कहा कि इस भिखारी को तेरे चूचे दिखाते हैं, बहुत मजा आयेगा.
मैं हैरान हो गयी.
मगर फिर मुझे भी आइडिया अच्छा लगा और उसने मेरे से मेरी कुर्ती और ब्रा उतारने के लिए कहा.
वो बोला- कुर्ती और ब्रा निकाल कर केवल चुन्नी डाल ले और आगे वाली सीट पर लेट जा।
मैंने वैसा ही किया.
फिर उसने उस भिखारी के पास जाकर गाड़ी रोकी. उसने उसको पैसे दिखाए और वो भिखारी उठकर गाड़ी के पास आने लगा तो रमेश ने मुझे इशारा कर दिया.
उसको देखते ही मैंने अपनी चुन्नी हटा दी. भिखारी की आंखें खुली की खुली रह गयीं. उसने मेरे सीने के सामने से हाथ आगे लाकर पैसे लिये और फिर वहीं पर हैरानी से देखने लगा.
मैं नीचे ही नीचे मुस्करा रही थी. मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था. ऐसा मैंने पहली बार किया था.
रमेश बोला- दबा लूं?
मैंने कहा- हां, दबा लो.
वो भिखारी वहीं गाड़ी के बाहर हक्का बक्का खड़ा था. उसने पैसों को देखा भी नहीं और मेरी चूचियों को देखता रहा. उसके सामने ही रमेश ने मेरी चूचियों को एक दो बार दबाया और फिर हम आगे निकल आये.
रमशे बोला- मजा आया?
मैंने कहा- हां, बहुत मजा आया.
वो बोला- ठीक है, अब अपनी लैगी भी निकाल दे और घोड़ी बनकर मेरे लंड को चूस. अब मैं उसको तेरी चूत और गांड भी दिखाऊंगा.
मैंने वैसा ही किया. मैंने अपनी लैगी और पैंटी भी निकाल दी. मैं पूरी नंगी हो गयी और रमेश का लौड़ा चूसने लगी.
अब रमेश ने गाड़ी पीछे की ओर ली और उल्टी दिशा में चलाता हुआ ही फिर से भिखारी के सामने ले गया.
वो भिखारी उठकर आया और उसने मेरी चूत और गांड देखी. मैं रमेश का लौड़ा चूसने में लगी हुई थी. रमेश उसको फिर से एक नोट निकाल कर दिया और मेरी गांड पर हाथ फिराते हुए फिर से गाड़ी आगे ले आया.
मैं रमेश का लंड चूसती रही. उसने गाड़ी अब रोड के साइड में रोक ली.
वहां पर ज्यादा लोगों का आना जाना नहीं था क्योंकि यहां से आगे जंगल का रास्ता शुरू हो जाता था.
मुझे रमेश का लंड चूसने में बहुत मजा रहा था. उसने मुझे लंड चूसने की आदत लगा दी थी.
वो भी जोर जोर से सिसकार रहा था- आह्ह … जान … आह्ह … चूसो … आह्ह पूरा चूस जाओ मेरी रानी … आह्ह … बहुत मजा आता है तेरे साथ!
मैं भी अपने बॉयफ्रेंड को पूरा मजा देने में लगी हुई थी. उसकी गोटियों तक मेरी लार पहुंच चुकी थी. फिर उसने मुझे उठने के लिए कहा. मुझे समझ नहीं आया कि वो क्या करना चाहता है.
फिर मैं उठ गयी और वो अपनी पैंट उतारने लगा.
उसने मुझे आगे वाली सीट पर घोड़ी बना लिया और मेरी चूत में लंड को रगड़ने लगा. मेरी चूत काफी देर से पानी छोड़कर लंड की प्यासी हो गयी थी. उसने मेरी चूत में लंड डाला और मुझे वहीं गाड़ी में चोदने लगा.
मुझे भी चुदते हुए मजा आने लगा. गाड़ी हल्की हल्की हिल भी रही थी और उसकी जांघों मेरे चूतड़ों पर आकर लग रही थीं.
गाड़ी में जोर जोर से पट पट की आवाज आ रही थी.
इस आवाज से रमेश के लंड से चुदने का अहसास और भी ज्यादा तेज हो जाता था.
मैं भी पूरी मस्त होती जा रही थी.
अब उसके धक्के काफी तेज हो गये थे और उसने मेरे मुंह में हाथ फंसा लिया और जोर से चोदने लगा.
मेरा सिर गाड़ी के शीशे से टकराने लगा. मुझे बहुत मजा आने लगा.
फिर अचानक से पुलिस की गाड़ी जैसा सायरन बजा और हम दोनों घबरा गये. फिर हम जल्दी से अलग हुए और हड़बड़ाहट में कपड़े पहन लिये।
हमने गाड़ी को वहां से बाहर निकाला और फिर रोड पर आ गये. हम सीधे चलने लगे लेकिन रोड पर कोई पुलिस नहीं थी.
फिर हम थोड़ी देर चले ही थे कि गाड़ी गर्म हो गयी. रमेश ने बाहर जाकर देखा तो गाड़ी के इंजन में पानी की कमी हो गयी थी.
अब हम जंगल के बीच में फंस गये थे. हम दोनों जंगल की ओर गये कि कहीं पानी मिल जाये. मगर उसी वक्त बारिश शुरू हो गयी. हम दौड़कर एक झोपड़ी की ओर भागे क्योंकि हम गाड़ी से काफी दूर आ गये थे.
वहां पर हमने देखा कि एक बाबा घूम रहे थे. वो बारिश में अपना सामान अंदर उठाकर रख रहे थे.
रमेश ने मेरे कान में कहा- इससे चुदवाओगी?
मैंने देखा कि बाबा की धोती भीग चुकी थी. उनका लंड उनकी भीगी धोती में अलग ले लटका हुआ दिख रहा था.
मैंने कुछ देर पहले ही रमेश के लंड को चूसा था और चूत में डलवाया था.
मेरी चुदास रमेश का लंड लेकर और ज्यादा बढ़ गयी थी. मुझे अपनी चूत की प्यास को शांत करना था.
बाबा का लंड देखकर मुझे चुदने का मन कर रहा था. चूत की चुदास अभी अंदर ही भड़क रही थी.
बीच जंगल में बाबा का लंड देखकर मेरे अंदर भी रोमांच आने लगा और मैंने बाबा से चुदाई करवाने के लिए हां कर दी.
वो बोला- ठीक है, मैं बाबा से पानी लेकर गाड़ी में डालने जाऊंगा. तब तक तुम बाबा को अपनी चूचियां दिखाकर गर्म कर देना.
मैंने वैसा ही किया.
हम बाबा के पास गये. रमेश ने बाबा से पानी मांगा और कहा कि हमारी गाड़ी खराब हो गयी है, मैं गाड़ी में पानी डालने जा रहा हूं. हमारी गाड़ी रोड से दस मिनट पैदल की दूरी पर खड़ी थी.
उसके बाद रमेश चला गया और मैंने बाबा से कहा- मेरी लैगी खराब हो गयी है, आप थोडा़ सा पानी डालकर इसको भी धुलवा दो.
बाबा ने कहा- ठीक है, मैं पानी लाता हूं.
फिर वो पानी लेकर आये और मैं नीचे झुककर अपनी लैगी धोने लगी.
मेरी चूचियां बाबा के सामने थीं और मैं जानबूझकर ऐसे झुकी थी कि बाबा को मेरी चूचियां हिलती दिख जायें.
मैं जोर जोर से चूची हिलाते हुए लैगी धो रही थी. मेरी गांड भी मैंने उठा रखी थी.
मैंने देखा कि धीरे धीरे बाबा का लंड आकार लेने लगा था. मैंने दो मिनट बाद नजर उठाकर देखा तो बाबा का लंड उनकी धोती को उठा चुका था.
नीचे ही नीचे मैं मुस्कराने लगी. फिर मैं दूसरी तरफ घूम गयी. बाबा वैसे ही खड़े रहे.
मैं धोने का नाटक करती रही और मैंने धीरे धीरे बाबा के लंड की ओर अपनी गांड पास में कर दी.
मेरी गांड और बाबा के लंड अब दोनों एक दूसरे से सटने वाले थे. मैंने फिर थोड़ा और सरक कर बाबा के लंड पर अपनी गांड सटा दी.
अब बाबा से भी रुका न गया और उन्होंने मेरी गांड पर लंड को सटा दिया.
मैंने कुछ नहीं कहा.
जब उनको लगा कि मैं कुछ नहीं बोल रही हूं तो उन्होंने और थोड़ा आगे आकर मेरी गांड पर लंड रगड़ना शुरू कर दिया.
मैंने फिर भी कुछ नहीं कहा.
अब बाबा लंड को धीरे धीरे धकेलने लगे थे और मैंने फिर एकदम से पीछे हाथ ले जाकर बाबा की कमर को पकड़ा और अपनी गांड पर उनके बदन को सटा लिया.
अब बाबा ने लोटा नीचे फेंका और मेरे ऊपर झुक कर अपने लंड को मेरी गांड में घुसाने लगे.
उनके हाथ मेरी चूचियों पर आ गये और वो मेरे ऊपर झुककर मेरी चूचियों मसलने लगे.
मैं भी यही चाहती थी.
वो मेरी गांड में कपड़ों के ऊपर से धक्के लगाने लगे.
अब बाबा से रुका नहीं गया तो उन्होंने मेरी लैगी खींच दी. मैंने अपनी पैंटी निकाल दी और बाबा ने धोती उठाकर अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया.
अगले ही पल बाबा ने अपने लंड को पकड़ा और मेरी चूत पर सटाकर एक धक्का देते हुए मेरे ऊपर झुक गये.
उनका लंड मेरी चूत में घुस गया और मेरी चूत चौड़ी फटकर फैल गयी.
बाबा का मोटा लंड मेरी चूत में था और उन्होंने मेरी चूचियों से मुझे पकड़ लिया और वहीं पर कुतिया बनाकर चोदने लगे.
तेजी से मेरी चूत में बाबा ने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
मुझे मजा आने लगा.
जंगल में ऐसी बारिश में खुली चुदाई करवाकर मुझे अलग ही मजा आ रहा था.
मेरे मुंह से जोर जोर की सिसकारें निकलने लगीं- आह्ह … आह्ह … आह्ह … बाबा … ओह्ह … आह्ह … ऊहह … आह्ह।
बाबा की जांघें मेरी गांड पर टकरा कर पट पट की आवाज कर रही थीं. बाबा मुझे कुत्ते की तरह चोदने में लगे हुए थे.
फिर उन्होंने मुझे खड़ी कर लिया और मुझे अपनी तरफ घुमाया.
मैंने बाबा के लंड को पकड़ लिया और वो मेरे होंठों को चूसने लगे.
मैं भी बाबा के होंठों को चूसने लगी.
उनकी बड़ी बड़ी दाढ़ी-मूछ थी लेकिन उनके होंठ चूसने में बहुत मजा आ रहा था.
फिर उन्होंने मेरी कुर्ती को उतरवा दिया और मेरी ब्रा को भी निकलवा दिया.
वो मेरी चूचियों पर टूट पड़े और उनको जोर जोर से दबाते हुए मेरी चूचियों के निप्पलों को पीने लगे.
मैं भी बाबा की पीठ को सहलाने लगी.
बाबा ने फिर अपनी धोती खोल दी और वो पूरे नंगे हो गये. अब वो मुझे अंदर ले गये और झोपड़ी की दीवार के साथ मुझे सटा दिया.
फिर मेरी टांग उठा ली और मुझे दीवार से लगाकर चोदने लगे.
मैं भी उनकी बांहों में लिपट गयी और उनसे खड़ी खड़ी चुदने लगी.
बाबा के लंड में बहुत दम था. वो बहुत जोर से धक्के दे रहे थे.
कुछ देर चोदने के बाद बाबा पीछे हट गये और मुझे उनके गद्दे पर चलने को कहा. नीचे उनका गद्दा बिछा हुआ था और वो उस पर जाकर लेट गये.
मैं उनके पास गयी तो उन्होंने मेरे सिर को अपने लंड पर झुका दिया. मैं बाबा का लंड चूसने लगी.
वो स्स … आह्ह … स्स्स … आह्ह करके मेरे मुंह को लंड पर धकेलने लगे.
बाबा पूरा लंड गले तक घुसा रहे थे. मैंने पांच मिनट तक बाबा का लंड चूसा मगर वो अभी भी नहीं झड़े.
फिर बाबा ने मुझे लंड पर बैठने को कहा और मैं उनके लंड पर बैठ गयी.
मैंने चूत में बाबा का लंड ले लिया और वो मेरी गांड पकड़ कर मुझे अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगे.
बाबा का लंड 7 इंच का था जो मेरी चूत में अंदर मेरे पेट तक जाकर ठोक रहा था.
मैं चुदते हुए अब तक दो बार झड़ चुकी थी.
फिर बाबा ने मुझे नीचे पटका और मेरी टांगों को चौड़ी करवा कर मेरी चूत में लंड पेल दिया.
वो मेरी टांगों को अपनी कमर पर लिपटवाकर मेरे ऊपर लेट गये और मेरे होंठों को चूसते ही मेरी चूत में लंड को पेलने लगे.
मैंने भी बाबा की पीठ को सहलाना शुरू कर दिया और चुदाई में मदहोश हो गयी.
बाबा का लंड मेरी चूत की बखिया उधेड़ रहा था और मैं इस दर्द भरी चुदाई का पूरा मजा ले रही थी.
रमेश के लंड से बाबा का लंड कहीं ज्यादा मजा दे रहा था.
मुझे लग रहा था कि बाबा को काफी समय से चूत नहीं मिली है. वो रुक ही नहीं रहे थे. बस हवस में पागल होकर मेरी चूत को चोदे जा रहे थे.
आधे घंटे तक बाबा ने मेरी चूत को चोद चोदकर उसकी चटनी बना दी.
मेरी चूत का हाल बेहाल हो गया. पूरी चूत में जलन होने लगी थी.
फिर उनके धक्के और ज्यादा तेज हो गये. मैं अब दर्द में रोने लगी. मगर बाबा मेरी चूत को फाड़ने पर तुले हुए थे.
फिर पांच मिनट के बाद बाबा ने बेरहमी से चोदने के बाद मेरी चूत में ही अपना पानी निकाल दिया.
मेरी चूत के चिथड़े उड़ गये थे. मैं बदहवास होकर पड़ी हुई थी और बाबा भी बुरी तरह से हांफ रहे थे.
अब बारिश भी रुक गयी और बाहर सब कुछ शांत हो गया.
मैंने बाबा का लंड चाटकर साफ कर दिया.
बाबा बोले- बाहर जाकर देख, कोई है तो नहीं पास में?
मैं गांड मटकाते हुए बाहर गयी और देखने लगी.
बाहर कोई नहीं था.
फिर मैं वापस आकर अपने कपड़े पहनने लगी.
बाबा बोले- इतनी क्या जल्दी है … आजा एक बार मेरी जांघों पर!
बाबा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपनी गोद में अपनी जांघों पर बिठा लिया. बाबा मुझे बांहों में लेकर मेरे होंठों को चूसने लगे. मैं भी बाबा के होंठों को चूसने लगी.
कुछ देर बाद बाबा का लंड मुझे तनाव में आता हुआ महसूस हुआ.
देखते ही देखते बाबा का लंड मेरी गांड पर नीचे ही नीचे टकराने लगा.
बाबा का लंड एक बार फिर से चुदाई के लिये तैयार हो गया था.
उन्होंने मुझे उठने को कहा. मैं उठी और बाबा ने लंड को हाथ में लेकर ऊपर की ओर कर लिया; मुझे उनके लंड पर बैठने को कहा.
मैं धीरे से बाबा के लंड पर बैठ गयी और उनका लंड एक बार फिर से मेरी चूत में उतर गया.
लंड को चूत में लेकर मैं उछलने लगी. बाबा का लंड मेरी चूत में तेजी से अंदर बाहर होने लगा. बाबा ने मेरे चूचों को मुंह में भर लिया और चूसने लगे. अब मुझे दोगुना मजा आने लगा.
वो मेरी चूचियों को पीते रहे और मैं लंड पर कूदती रही.
15 मिनट की चुदाई के बाद अबकी बार हम दोनों साथ में झड़ गये. मेरी चूत पूरी बाबा के वीर्य से भर गयी.
उसके बाद मैंने फिर से बाबा के लंड को चाटकर साफ कर दिया.
वो खुश हो गये और बोले- मेरे एक गुरूजी हैं, उनका लंड मेरे लंड से भी ज्यादा बड़ा है. बोलो, कब सेवा दोगी?
मैं बोली- बहुत जल्दी … शायद अगले हफ्ते!
वो बोले- ठीक है, तो फिर दो दो लंड से चुदने के लिए तैयार रहना.
मैंने कहा- ठीक है बाबा … बहुत मजा आयेगा.
फिर मैंने अपने कपड़े पहने और बाबा ने भी अपनी धोती बांध ली.
मैंने बाहर देखा तो रमेश थोड़ी दूर से आता हुई दिखाई दे रहा था.
वो झोपड़ी में आया और उसने बाबा का बर्तन वापस कर दिया.
उसके बाद हमने बाबा को धन्यवाद कहा और हम झोपड़ी से बाहर आकर कार की ओर जाने लगे.
मैंने पूछा- तुम अभी लौटे हो?
वो बोला- नहीं, मैं तो यहीं बाहर से छुपकर तुम्हारी जोरदार चुदाई देख रहा था.
मैंने उसके लंड को पकड़ कर उसकी गोटियों को भींच दिया और वो सॉरी बोलने लगा.
फिर मैंने उसकी गोटियां छोड़ दीं और उसने मुझे किस कर लिया.
फिर हम वापस अपनी कार में आ गये और जाने लगे.
रमेश बोला- तो फिर दो दो लंड से कब चुदोगी अब?
मैंने कहा- अगले हफ्ते.
वो बोला- लगता है बाबा का लंड बहुत पसंद आ गया तुम्हें?
मैंने कहा- दिलाया भी तो तुमने ही है.
ये बोलकर मैंने रमेश को बांहों में भर लिया और उसके लंड को सहलाते हुए उसके गालों पर चूमने लगी.
उस दिन मैं बाबा जी के लौड़े से चुदवा कर घर आ गई थी और उसी रात मैं व्हाट्सैप पर रमेश से चैटिंग कर रही थी.
तभी दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी.
मैंने उठ कर दरवाजा खोला तो सामने एक भिखारी था.
वो कुछ खाना मांगने के लिए आया था. वो भी मस्त लग रहा था मगर मैंने चूत की खाज को उस्ताद के लंड से मिटवाने की ठान ली थी तो मैंने भिखारी को खाना दिया और उसको बाद में आने का कह दिया.
उसके जाने के बाद मैं वापस चैटिंग पर लग गयी.
रमेश ने पूछा- इतनी देर बाद जवाब क्यों दिया?
मैंने उसे बताया कि एक भिखारी खाना मांगने आ गया था. उसे खाना देने चली गई थी.
तब वो एकदम से बोला- अरे, भिखारी से याद आया. तुमको उस बाबा के उस्ताद के पास कब चलना है?
उसने जैसे ही बाबा जी का नाम लिया, मेरी चूत में खुजली मचने लगी.
मैं चुदासी हो गई और उसे लिखा- तुम बताओ, कब चलना है?
उसने लिखा- कल ही चलते हैं.
मैंने कहा- ठीक है, कल सुबह जल्दी ही चलूँगी … लगभग 8 बजे.
रमेश ने ओके कहा और चैट बंद हो गई.
मैं बाबा जी की चुदाई को याद करके चूत रगड़ने लगी और कुछ देर बाद झड़ कर सो गई.
सुबह रमेश सही समय पर मेरे घर आ गया और हम दोनों जंगल की ओर चल दिए.
थोड़ा घने जंगल के अन्दर जाकर बाबा जी की झोपड़ी आ गई.
हम लोग अन्दर गए, तो बाबा नाश्ता बना रहे थे.
हम दोनों ने बाबा जी को प्रणाम किया.
बाबा ने घूम कर देखा और मुझको देखते ही उनकी आंखों में खुशी झलकने लगी.
बाबा जी ने हम दोनों को बैठने को बोला और चाय पीने को दी.
इसके बाद बाबा जी बोले- कैसे आना हुआ?
रमेश बोला- आपका धन्यवाद करने आए हैं.
बाबा बोले- धन्यवाद की कोई बात नहीं … इंसान ही इंसान के काम आता है.
तब रमेश मुझसे आंख मारता हुआ बोला- मैं कार में से वो सामान लेकर आता हूँ, जो हम बाबा जी के लिए लाए थे.
मैं बोली- हां जाओ, निकाल लाओ.
उसके जाते ही बाबा मुझ पर लपक पड़े और मेरे होंठों को पागलों की तरह चूसने लगे और मेरे मम्मों को मसलने लगे.
मैं भी गर्म हो गयी थी. मैंने ज़्यादा वक्त ना लगाते हुए अपनी लैंगिंग्स नीचे की और घोड़ी बन गयी.
बाबा ने भी वक्त ना गंवाते हुए अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया.
मेरे मुँह से तेज आअहह निकलते ही बाबा जी ने अपने हाथों से मेरा मुँह बंद कर दिया.
अब बाबा जी तेज़ी से मुझे चोदने लगे और कुछ देर बाद झड़ गए.
चुदने के बाद मैं घूम गई और बाबा जी के लंड को मैंने चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
चुदने के बाद मैंने अपने कपड़े ठीक किए और पूछा- बाबा, आपके उस्ताद जी कहां रहते हैं?
बाबा जी बोले- वो उस पहाड़ी के पीछे रहते हैं … वहीं उनकी झोपड़ी है.
मैंने कहा- तो बताओ, कब जाऊं उनके पास?
बाबा ने मुस्कुरा कर पूछा- उनसे क्या काम है?
मैंने बताया कि उनसे चुदवाने के लिए जाने का मन है.
बाबा बोले- एक काम कर, तू परसों आ जाना. मैं कल वहीं जा रहा हूँ. मैं उनके पास जाकर वहां उस्ताद जी को सब बता दूँगा. पर तू अकेली ही आना.
मैंने कहा- ठीक है.
बाबा आगे बोले- और आज से जरा जल्दी सुबह के समय आना, जिससे शाम तक तू अपने घर वापस जा सके.
मैंने कहा- ठीक है.
रमेश बाहर खड़ा ये सब सुन रहा था.
वो भी अन्दर सामान लेकर आ गया.
बाबा जी को सामान देकर हम लोग निकल गए.
रोड पर आते ही रमेश बोला- बाबा तेरा तो दीवाना हो गया है.
मैं हंसी और बोली- अब उस्ताद जी की बारी है. परसों उनके पास भी चलते हैं.
रमेश बोला- मगर बाबा तो तुझे अकेली आने की कह रहा था.
मैंने कहा- उसके कहने से क्या होता है. हम दोनों ही परसों सुबह निकलेंगे.
तयशुदा दिन को हम दोनों बड़ी भोर निकल गए.
रमेश ने उस जगह से काफी पहले अपनी गाड़ी रोक दी और हम दोनों पैदल चल दिए.
कुछ देर बाद हमें उस्ताद जी की झोपड़ी दिखने लगी.
रमेश झाड़ियों की आड़ में छिप गया ताकि बाबा जी उसको देख ना पाएं.
मैं झोपड़ी के अन्दर गयी.
वहां पर बाबा जी और उनके उस्ताद जी थे.
बाबा जी ने मुझे देखते ही कहा- आ जाओ … बैठ जाओ.
मैं उस्ताद जी की तरफ देखने लगी.
बाबा जी बोले- उस्ताद जी, ये वही कन्या है … मैंने जिसके बारे में आपको बताया था.
उस्ताद जी ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और बोले- इसका जिस्म बहुत गर्म है.
बाबा जी बोले- हां गर्म तो बहुत है.
अब उस्ताद जी ने अपनी धोती अपनी जांघ तक ऊपर की और कहा- आ जा, बैठ जा मेरी जांघ पर.
मैं जाकर बैठ गयी.
उस्ताद जी ने एक हाथ मेरी गांड पर फेरना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से मेरे दूध मसलने लगे.
मैं गर्म होने लगी थी.
तभी बाबा जी ने कहा- आज से तू हम दोनों की रांड है.
मैंने हां में सिर हिला दिया.
उस्ताद जी बोले- मेरी रांड, चल अब नंगी हो जा.
मैंने कमीज़ निकाली और लैंगिंग्स उतार दी. अब मैं पैंटी और ब्रा में थी.
उस्ताद जी देखते ही बोले- बहुत ही मस्त जिस्म है तेरा!
मैं शर्मा कर हंस दी.
मैंने अपनी ब्रा खोली और अपने चूचों को आज़ाद कर दिया.
एक बार मैंने अपने चूचे बड़ी अदा से उन दोनों के सामने हिलाए तो उस्ताद जी का लौड़ा धोती के अन्दर लंगोट में फूलने लगा.
फिर मैंने अपनी पैंटी निकाली और मैं पूरी नंगी होकर नीचे बैठ गयी.
मुझे नंगी बैठी देख कर बाबा जी ने इशारा किया.
मैं अपने घुटनों के बल चलती हुई उस्ताद जी के पास आ गयी और उनकी धोती व लंगोट को खोलना शुरू कर दिया.
उस्ताद जी की धोती व लंगोटी को खोलते ही उनका नौ इंच का काला लंबा अजगर सा लंड मेरी आंखों के सामने था.
मैंने बिना सोचे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
उस्ताद जी मेरे मम्मों को मसल रहे थे और बाबा जी मेरे पीछे आ गए.
बाबा मेरी चूत को चाटने लगे. मुझे और ज्यादा मज़ा आने लगा.
कुछ देर बाद उस्ताद जी उठे और बाबा जी से कहा- अब मैं पीछे आता हूँ, तब तक तू अपना लंड चुसवा इससे!
मैं अब बाबा जी के लौड़े को चूस रही थी और उस्ताद जी अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ रहे थे.
मुझे मोटे लंड की रगड़ से मज़ा आ रहा था. मैंने चूत को लंड से कुछ ज्यादा घिसा तो उस्ताद जी ने मेरी चूत के छेद पर लंड सैट कर दिया और एक धक्का दे मारा.
उस्ताद जी का अजगर नुमा मोटा लंड मेरी चूत की आधी गहराई में अन्दर घुस गया.
मेरी चीख निकल गयी- मर गयी मम्मी रे … आअहह ऑह निकालो मैं मर जाऊंगी … उस्ताद जी आपका बहुत मोटा है … मेरी फट गई.
पर उस्ताद ने मेरी एक ना सुनी और हल्के हल्के धक्के लगाने लगे.
कुछ देर बाद मुझे भी मज़ा आने लगा था.
मुझे मजा लेते देख कर उस्ताद ने एक और करारा धक्का दे मारा. इस बार उस्ताद का पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
मैं- अऔच आहह निकालो ओ प्लीज़ आअहह …
पर उस्ताद जी नहीं माने और हल्के हल्के धक्के देते रहे.
अब मेरा थोड़ा दर्द कम हो गया और मुझे मज़े आने लगा. मैं भी उस्ताद का साथ देने लगी.
धकापेल चुदाई होने लगी.
मैं उस्ताद जी के लंड से दो बार झड़ चुकी थी मगर उस्ताद जी न जाने कौन सी औषधि का प्रयोग करते थे कि उनके लंड में फूं फां तक नहीं हुई थी.
काफी देर बाद अब उस्ताद जी झड़ने वाले हो गए थे.
उस्ताद जी बोले- चूत में लेगी मेरा माल या मुँह में?
मैंने कहा- मुँह में.
मैं घूमी और मैंने उस्ताद जी के लंड को चूसना शुरू कर दिया.
उनका पानी एक तेज पिचकारी के रूप में मेरे गले में अन्दर जा गिरा.
मैं लंड का सारा पानी पी गयी.
कुछ देर बाद बाबा जी ने भी मुझे ऐसे ही चोदा और मैं उनका भी सारा पानी पी गयी.
थोड़ी देर बाद उस्ताद जी मुझे एक पेय दिया. जिसको पीते ही मुझमें नई ताकत का संचार हो गया.
अब उन दोनों ने एक एक करके मुझे फिर से चोदना शुरू कर दिया. वो दोनों बारी बारी से मुझे हचक का चोदते रहे.
अब दोपहर के 3 बज चुके थे और मैं अब तक उन दोनों से चार चार बार चुद चुकी थी.
मैंने कहा- अब मैं चलती हूँ उस्ताद जी.
वो बोले- एक बार दोनों से एक साथ और चुद ले, फिर चली जाना.
मैं समझ गयी कि उस्ताद जी मेरी गांड मारना चाहते हैं.
मैं बोली- उस्ताद जी, गांड में बहुत दर्द होगा.
वो बोले- पगली, मज़ा भी बहुत आएगा. फिर मेरे पास तो औषधियों का भंडार है. तुझे केवल मजा आएगा.
मैं बोली- ठीक है उस्ताद जी … आप आराम से करना.
उस्ताद जी बोले- तू पहले मेरा लंड चूत में ले. बाद में मस्त हो जाएगी तब गांड में ले लेना.
मैंने ऐसा ही किया.
उस्ताद जी ने मुझे कोकाकोला जैसे रंग का शर्बत पिलाया. वो बड़ी तेज गंध वाला था. उसे पीते ही मुझे मस्ती छाने लगी.
अब उस्ताद जी ने बाबा जी को इशारा किया कि वो अपना लंड मेरी गांड में पेल दें.
बाबा जी ने अपना लंड जैसे ही मेरी गांड में लगाया.
मैं बोली- थूक लगा कर करना बाबा जी … तब दर्द कम होगा.
बाबा जी ने थूक लगाया और एक ही झटके में लंड पेल दिया. बाबा जी का लंड मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
दर्द के मारे मेरी चीख निकल गयी. मैं रोना चाहती थी पर मैंने किसी तरह से अपने आपको रोक लिया.
अब बाबा जी आराम आराम से झटके लगाने लगे और मेरे दूध दबाने लगे.
तभी नीचे से उस्ताद जी भी आ गए और मेरी चूत में लंड पेल कर लग गए.
कुछ देर के दर्द के बाद अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैं- आअहह ओह चोद दो बाबा जी चोद दो उस्ताद जी … आंह अपनी रांड को एक साथ दोनों छेदों में मजा दे दो … आहह
फिर उस्ताद जी ने बाबा जी से कहा- अब मैं इसकी गांड में लंड दूंगा.
उन दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल दी.
बाबा जी ने मेरी चूत में लंड पेल दिया और अपने दोनों हाथों से मेरी गांड फैला कर पूरी खोल दी.
उस्ताद जी ने मेरी गांड के फूल पर थोड़ा थूक लगाया और बाबा जी की तरह एक ही झटके में लौड़ा अन्दर कर दिया.
अब मैं अपने आपको रोक ना सकी और रोने लगी. मेरे आंसू गिरने लगे पर उन दोनों को कोई रहम नहीं आया.
वो मुझे धकापेल चोदते रहे.
मुझे भी कुछ देर बाद मज़ा आने लगा था. मैं मस्ती से उन दोनों का साथ देने लगी थी.
कुछ देर बाद उन दोनों ने एक साथ मेरे मुँह पर पानी निकाल दिया.
मैंने अपनी उंगली से उन दोनों का दही लेकर चाटना शुरू कर दिया, फिर दोनों के लंड चाट चाट कर साफ़ कर दिए.
अब मैं थक गई थी तो थोड़ा लेट गई.
मैंने देखा कि 4 बज चुके थे.
मैं बोली- अब मैं चलती हूँ बाबा जी.
मैंने बाबा जी और उस्ताद जी को अपना नंबर दिया और कहा- अब जल्दी से नया फोन ले लो, हमारा मिलना जुलना लगा रहेगा.
मैं ये कह कर बाहर आ गई और थोड़ी दूरी पर जाकर रुक गयी.
मैंने देखा कि रमेश आ रहा है.
उसने आते ही मुझे किस किया और बोला- बड़ा मस्त चुदवाया तूने!
मैं बोली- हां यार, लंड ही ऐसे थे दोनों के … तूने फिल्म बनाई?
वो बोला- हां, गुरु बाबा सेक्स की पूरी वीडियो बना ली.
अब हम दोनों वहां से चल दिए.
दोस्तो, अब आप बताएं कि कैसी लगी मेरी Hindi Sex Stories?
प्लीज़ मेल और कमेंट से ज़रूर बताएं.
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